अमेरिका और भारत के रक्षा संबंध खरीदार और विक्रेता के दायरे से आगे बढ़ा,अमेरिका ने अपने आधुनिक टैंक 'स्ट्राइकर' भारत में बनाने की पेशकश की
नई दिल्ली। भारत और अमेरिका शीत युद्ध के दौर में ऐसे देश थे, जिनके राष्ट्रीय हित टकरा रहे थे। 1971 के भारत-पाक युद्ध में अमेरिका ने भारत पर दबाव बनाने के लिए अपना सातवां बेड़ा तक अरब सागर में उतार दिया था।
उस समय इस बात की कल्पना करना मुश्किल था कि भारत और अमेरिका के रिश्ते आगे चल कर रणनीतिक साझेदारी के स्तर पर पहुंचेंगे और अमेरिका न सिर्फ अपने उन्नत हथियार और प्रणालियां भारत को बेचेगा बल्कि भारत की रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए हथियारों के सह उत्पादन की पेशकश भी करेगा। करीब 5 दशक का समय जरूर लगा लेकिन अमेरिका ने अपने आधुनिक टैंक 'स्ट्राइकर' को भारत में बनाने की पेशकश करके रक्षा संबंधों को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।
अब अमेरिका और भारत के रक्षा संबंध खरीदार और विक्रेता के दायरे से आगे बढ़ चुके हैं। आइये जानते हैं कि वर्ष 2000 के बाद भारत और अमेरिका के रक्षा संबंध किस तरह से विकसित हुए हैं और वे कौन सी वजहें जो दोनों देशों को रक्षा के मोर्चे पर लगातार करीब ला रही हैं।
भारत ने खरीदा पी-8आई और सी 17 ग्लोबमास्टर
2000 के दशक में भारत अमेरिका रक्षा संबंधों में नया अध्याय तब शुरू हुआ जब भारत ने अमेरिका से समुद्र में लंबी दूरी तक निगरानी करने में सक्षम पी-8 आइ विमान खरीदने का सौदा किया। 2.1 अरब डालर में आठ विमानों के लिए यह सौदा 2009 में हुआ।
हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी के लिहाज से ये विमान बहुत कारगर साबित हुए हैं और अमेरिका की कंपनी बोइंग के इन विमानों ने भारतीय नौसेना की निगरानी और पनडुब्बी रोधी क्षमताओं को कई गुना बढ़ाया है। अमेरिका ने चीन की चुनौती के खिलाफ भारतीय नौसेना की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए भारत को ये विमान बेचने की मंजूरी दी थी।
साल 2014 में भारत-अमेरिका के रक्षा संबंधों को मिली नई दिशा
आज समुद्र में चीन की नौसेना की बढ़ती गतिविधियों को ध्यान में रख कर भारत और अमेरिका की नौसेनाएं मिल कर काम कर रहीं हैं। भारत ने अमेरिका से 10 भारी परिवहन विमान सी 17 ग्लोबमास्टर खरीदने का सौदा भी 2011 में किया था। अपाचे और चिनूक ने बढ़ाई भारतीय सेना की क्षमता 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों को नई दिशा मिली।
साल 2015 में भारत ने चिनूक हेलिकॉप्टर खरीदे
साल 2015 में भारत ने अमेरिका से 22 अपाचे और 15 चिनूक हेलिकाप्टर खरीदने की डील पर हस्ताक्षर किए। ये डील करीब 3 अरब डालर की थी। अपाचे हमलावर हेलीकाप्टर है और चिनूक भारी परिवहन हेलीकाप्टर है। 2020 में लद्दाख में चीन की घुसपैठ के बाद तेजी से सीमा पर सैनिको और युद्धक साजो-सामान की तैनाती में भारी परिवहन विमान सी 17 ग्लोबमास्टर और हेलिकाप्टर चिनूक ने अपनी क्षमता साबित की।
अपाचे हेलीकाप्टर घातक मिसाइलों से लैस हैं और इनको लद्दाख में चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए तैनात किया गया है। एम 77 हावित्जर तोप की तैनाती भारत ने अमेरिका से 145 एम 77 हावित्जर तोपें खरीदी हैं। इन तोपों को खरीदने का सौदा 2016 में किया गया था। भारतीय सेना ने अमेरिका से खरीदी गई तोपों को अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात किया है।
एम 77 तोपों की ये है खासियत
एम 77 तोपें कम वजन वाली हैं और उनको चिनूक हेलिकाप्टर पर ले जाकर कहीं भी तेजी से तैनात किया जा सकता है। भारत की ताकत बढ़ागा अमेरिकी ड्रोन जून में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान भारत ने अमेरिका से 31 एमक्यू 9 बी ड्रोन खरीदने का समझौता किया है। माना जा रहा है कि ये सौदा करीब 3 अरब डालर का होगा।
ये ड्रोन मुख्यतौर पर निगरानी के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। साथ इन ड्रोन को कई तरह के हथियारों से भी लैस किया जा सकता है। इसके अलावा भारत और अमेरिका ने भारत में जेट इंजन बनाने के लिए भी समझौता किया है। इससे भारत में लड़ाकू विमान के इंजन सहित सभी जरूरी स्पेयर पार्ट बनाने का इकोसिस्टम तैयार करने में मदद मिलेगी।
Nov 15 2023, 18:03