नवरात्र पर विशेष, मां सिद्धिदात्री के कारण ही महादेव कहलाये थे अर्द्धनारीश्वर, जानिए मां सिद्धिदात्री की उत्पत्ति की कथा...
23 अक्टूबर, सोमवार को शारदीय नवरात्रि का नौवा दिन है। शारदीय नवरात्रि के नौवे दिन मां के नौवे स्वरूप देवी सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के चलते मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के नौवे दिन का महत्व बहुत अधिक होता है। इस दिन मां दुर्गा के नौवीं शक्ति देवी सिद्धिदात्री की की पूजा होती है. मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष प्रदान करने वाली देवी माना गया है। देवी के यह स्वरूप बहुत शक्तिशाली है। देवी-देवता, गंधर्व, मनुष्य सभी को इन्हीं के आशीर्वाद से सिद्धियां मिलती हैं। जिस पर मां सिद्धिदात्रि प्रसन्न हो जाएं उसके पास ब्रह्मांड को प्राप्त करने की शक्ति आ जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि मां सिद्धिदात्री से ही सभी देवी देवताओं ने सिद्धियां प्राप्त की है।
कैसे हुई थी मां सिद्धिदात्री की उत्पत्ति
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान महादेव ने मां सिद्धिदात्री की तपस्या करके उनसे सिद्धियां हासिल कीं। माता की कृपा से उनका आधा शरीर नारी का तथा आधा पुरुष का हो गया, जिससे वे अर्द्धनारीश्वर कहलाए। मां दुर्गा का ये अत्यंत शक्तिशाली स्वरूप है। शास्त्रों के अनुसार, देवी दुर्गा का यह स्वरूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है। माता की पूजा करने वाले को अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व एवं वशित्व नामक सिद्धियों की प्राप्ति हो सकती है। गंन्धर्व, देवता, यक्ष और असुर सभी मां की आराधना करते हैं। इन सिद्धियों को प्राप्त करने वाले में पूरे ब्रह्मांड पर विजय प्राप्त करने की शक्ति आ जाती है। सृष्टि में उसके लिए कुछ भी शेष नहीं रह जाता।
मां सिद्धिदात्री का रूप
कमल पर विराजमान चार भुजाओं वाली मां सिद्धिदात्री लाल साड़ी में विराजित हैं। इनके चारों हाथों में सुदर्शन चक्र, शंख, गदा एवं कमल रहता है। सिर पर ऊंचा सा मुकूट एवं चेहरे पर मंद मुस्कान ही मां सिद्धिदात्री की पहचान है।
Oct 23 2023, 15:25