अखण्ड सौभाग्य की कामना हेतु 18 सितम्बर को हरितालिका व्रत: महेन्द्र पाण्डेय
नालंदा: धनेश्वरघाट मंदिर पुजारी ज्योतिषाचार्य महेन्द्र पाण्डेय बताते हैं कि वैदिक पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज पर्व मनाया जाता है और यह शुभ संयोग 18 सितम्बर 2023 दिन सोमवार को हो रहा है इस विशेष दिन पर सुहागिन महिलाएं माता पार्वती व भगवान शिव की मिट्टी से बनी अस्थाई मूर्तियों की पूजा करती हैं।
मान्यता है कि हरतालिका तीज व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है और संतान प्राप्ति के लिए भी इस व्रत को बहुत ही कारगर माना गया है।
इस वर्ष खास:---
इस वर्ष श्रावण माह में पुरषोत्तम मास होने से जिन स्त्री का यह पहला तीज होगा वह व्रत नहीं करेगी उपवास नहीं रखेगी सिर्फ 16 सृंगार कर कथा श्रवण कर सकती है
शुभ मुहूर्त:---
17 सितम्बर 2023 दिन रविवार को नहाय खाय से पर्व का शुभारंभ होगा 18 सितम्बर दिन सोमवार को दिन रात निर्जला रहकर विधिवत पूजन कर ब्राह्मण के मुख से कथा श्रवण करें 19 सितम्बर दिन मंगलवार को प्रातः 5:45 के बाद ब्राह्मण को दान दक्षिणा देकर पारण करें।
हरतालिका तीज में इस वर्ष बेहद शुभ संयोग:---
इस साल हरतालिका तीज का व्रत रवि योग, इंद्र योग के संयोग में रखा जाएगा. खास बात ये है कि हरतालिका तीज के दिन सोमवार पड़ रहा है. ये व्रत और सोमवार का दिन दोनों ही शिव जी को समर्पित है. ऐसे में हरतालिका तीज की पूजा से महादेव बहुत प्रसन्न होंगे.
हरतालिका तीज व्रत का पौराणिक महत्व:---
ज्योतिषाचार्य महेन्द्र पाण्डेय बताते हैं कि हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था।
हिमालय पर गंगा नदी के तट पर माता पार्वती ने भूखे-प्यासे रहकर तपस्या की। माता पार्वती की यह स्थिति देखकप उनके पिता हिमालय बेहद दुखी हुए।
एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर आए लेकिन जब माता पार्वती को इस बात का पता चला तो, वे विलाप करने लगी। एक सखी के पूछने पर उन्होंने बताया कि, वे भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप कर रही हैं। इसके बाद अपनी सखी की सलाह पर माता पार्वती वन में चली गई और भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई।
इस दौरान भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की आराधना में मग्न होकर रात्रि जागरण किया।
माता पार्वती के कठोर तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती जी की इच्छानुसार उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया तभी से अच्छे पति की कामना और पति की दीर्घायु के लिए कुंवारी कन्या और सौभाग्यवती स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
Sep 17 2023, 13:18