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नए चीनी नक्शे पर मचे बवाल के बीच विदेश मंत्री जयशंकर बोले- कोई नई बात नहीं, वही बेतुकी चाल, थरूर ने भी मिलाई ताल

#china_new_map_jaishankar_said_nothing_new_tharoor_echoes

दो साल पहले जब गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष हुआ था उसके बाद भारत चीन के संबंध अभी तक सामान्य नहीं हो पाए हैं। चीन भले ही शांति और बातचीत के जरिये मामले का समाधान निकालने की बात करे लेकिन उसकी मंशा साफ नहीं है। इस बीच चीन ने अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन पर दावा किया है। चीन ने सोमवार को अपना ऑफिशियल मैप जारी किया, जिसमें भारत के अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चीन को अपने क्षेत्र में दिखाया। चीन के इस दावे के बाद देश की सियासत में एक बार फिर उबाल आ गया है। विपक्ष खासकर कांग्रेस सरकार पर निसाने साध रही है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के दावे को कारिज किया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन पर दावा जताने वाले चीन के तथाकथित ‘मानक मानचित्र’ को खारिज करते हुए कहा कि सिर्फ बेतुके दावे करने से अन्य लोगों के क्षेत्र आपके नहीं हो जाते।

यह चीन की पुरानी आदत-जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि बीजिंग ने पहले भी उन क्षेत्रों पर दावा करते हुए ऐसे नक्शे जारी किए थे, जो उसके नहीं हैं और यह चीन की पुरानी आदत है। विदेश मंत्री ने एक न्यूज चैनल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मानचित्र पर एक सवाल के जवाब में यह टिप्पणी की। जयशंकर ने कहा, इसकी शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी, इसलिए भारत के कुछ क्षेत्रों पर अपना दावा करने वाला मानचित्र पेश करने से मुझे लगता है कि इससे कुछ नहीं बदलता। ये भारत का हिस्सा हैं।

अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए क्या करने की जरूरत ये साफ है-जयशंकर

जयशंकर ने कहा, हम बहुत स्पष्ट हैं कि हमारे क्षेत्र कहां तक हैं। यह सरकार इस बारे में बहुत स्पष्ट है कि हमें अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए क्या करने की जरूरत है। आप इसे हमारी सीमाओं पर देख सकते हैं। मुझे लगता है कि इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए।

थरूर ने जयशंकर को दी ये सलाह

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने विदेश मंत्री एस.जयशंकर के सुर में सुर मिलाए हैं। उन्होंने कहा, मैं विदेश मंत्री की इस बात का समर्थन करता हूं कि दूसरे की सीमा को अपना बताना चीन की पुरानी आदत रही है। उसकी ये भी आदत है कि वह हमारे विरोध प्रदर्शन को नजरअंदाज करता है तो क्या हमें इस बात को यहीं छोड़ देना चाहिए?'

थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि 'क्या हम अपनी नाराजगी दिखाने के लिए कुछ नहीं कर सकते? क्यों ना हमें भी चीनी पासपोर्ट धारक तिब्बत के लोगों के लिए भी स्टेपल वीजा जारी करने शुरू कर देने चाहिए? साथ ही हमें वन चाइना पॉलिसी को समर्थन देना भी बंद कर देना चाहिए।' 

भारत सरकार ने जताया कड़ा विरोध

इससे पहले भारत ने मंगलवार को मानचित्र मुद्दे पर चीन के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया और कहा कि चीनी पक्ष के ऐसे कदम सीमा से जुड़े विषय को केवल जटिल ही बनायेंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने चीन के तथाकथित ‘मानक मानचित्र’ के 2023 के संस्करण के बारे में पूछे गये सवालों पर अपने बयान में कहा, हमने चीन के तथाकथित ‘मानक मानचित्र’ के 2023 के संस्करण पर राजनयिक माध्यमों के जरिये आज कड़ा विरोध दर्ज कराया है, जो भारतीय क्षेत्र पर दावा करता है। बागची ने कहा, हम इन दावों को खारिज करते हैं जिसका कोई आधार नहीं है। चीनी पक्ष के ऐसे कदम सीमा से जुड़े विषय को केवल जटिल ही बनायेंगे।

चीन के नक्शा जारी करने पर भड़के राहुल गांधी, कहा- लद्दाख पर झूल बोल रहे पीएम मोदी, देना चाहिए जवाब

#rahul_gandhi_reaction_on_new_chinese_map

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चीन के नए नक्शे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा है।चीन ने हाल ही में एक नक्शा जारी किया है जिसमें अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताया है। अब इस पर राहुल गांधी का बयान आया है। राहुल ने कहा कि मैं इस मसले को लंबे वक्त से उठा रहा हूं, उन्होंने कहा कि मैंने तो पहले ही बोला था की प्रधानमंत्री झूठ बोल रहे हैं कि लद्दाख में एक इंच जमीन भी नहीं गई है।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बुधवार को कर्नाटक जाने के लिए हवाईअड्डे पर पहुंचे थे।इस दौरान समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, " जो प्रधानमंत्री ने कहा कि लद्दाख में एक इंच जमीन नहीं गई है वो झूठ है। पूरा लद्दाख जानता है कि चीन ने हमारी जमीन हड़प ली है। उन्होंने आगे कहा कि मैं लद्दाख से हाल ही में वापस आया हूं। वहां सब जानते हैं कि चीन ने हमारी जमीन हड़प ली है। मैप की बात बड़ी गंभीर है, लेकिन इन्होंने (चीन) जमीन तो ले ही ली है। उस बारे में भी प्रधानमंत्री को कुछ कहना चाहिए।"

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी हाल ही में कुछ दिनों के लद्दाख के दौरे पर थे, यहां उन्होंने स्थानीय लोगों से मुलाकात की। राहुल गांधी बार-बार मोदी सरकार पर ये आरोप लगा रहे हैं कि चीन ने लद्दाख की जमीन हड़पी है और केंद्र सरकार ने कुछ एक्शन नहीं लिया है। राहुल गांधी का सीधा वार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रहा है, जिसमें उन्होंने पीएम पर लद्दाख मामले में झूठ बोलने का आरोप लगाया है।

चीन ने हाल ही में अपने मानक मानिचत्र का नया संस्करण जारी किया है। चीन द्वारा मानचित्र जारी करते ही विवाद खड़ा हो गया। दरअसल, चीन ने भारत के अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चीन, ताइवान और दक्षिण चीन सागर को अपने क्षेत्र में दिखाया। इसके बाद भारत ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और हमेशा रहेगा।

भद्रा के कारण काशी समेत पूर्वांचल में दो दिन रक्षाबंधन

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भाई-बहन के मांगलिक पर्व पर पिछले साल की तरह इस बार भी भद्रा का साया है। इसी कारण यह मदभेद भी है कि यह पर्व 30 को मनाएं या 31 अगस्त को कुछ ज्योतिषीयों की राय 30 तथा कुछ की 31 अगस्त के पक्ष में है।काशी समेत पूर्वांचल के जिलों में 30 व 31 दोनों दिन रक्षा पर्व मनेगा। मथुरा वृन्दावन में भी 31 अगस्त को ही रक्षा पर्व है। तमाम विद्वानों का कहना है कि 30 अगस्त की रात्रि 9.01 के बाद राखी बांधी जा सकती है।

इस बार श्रावण पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10.58 बजे आरंभ होगी और 31 अगस्त की सुबह 7.05 बजे तक रहेगी। 30 अगस्त को पूर्णिमा शुरू होने के साथ सुबह 10.58 बजे से भद्रा भी लग जाएगी। यह रात 9 बजकर 1 मिनट तक रहेगी।

भद्रा में नहीं बंधती राखी

यदि भद्रा का साया हो तो राखी नहीं बांधी जाती। भद्रा को क्रूर और आसूरी प्रवृत्ति माना गया है। वहीं एक मान्यता यह भी है कि रात में राखी बांधना शुभ नहीं होता।

बनारस के विद्वान 30 अगस्त के पक्ष में

काशी विद्वत परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रोफेसर रामचंद्र पांडेय ने कहा कि 30 अगस्त को 9 बजे तक भद्रा है। भद्रा के बाद रक्षाबंधन करना सम्मत होगा। यदि पूर्णिमा का मान दो दिन प्राप्त हो रहा हो तथा प्रथम दिन सूर्योदय के एकादि घटी के बाद पूर्णिमा का आरंभ होकर द्वितीय दिन पूर्णिमा 6 घटी से कम प्राप्त हो रही है तो पूर्व दिन भद्रा से रहित काल में रक्षाबंधन मनाना चाहिए। यही भृगु संहिता विशेषज्ञ पं वेदमूर्ति शास्त्री का भी मानना है ‌।

31 अगस्त को भी रक्षाबंधन कि मान

ज्योतिष परिषद के राष्ट्रीय महासचिव आचार्य कृष्णदत्त शर्मा की तरह काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णपति त्रिपाठी और आचार्य अरुण त्रिपाठी का भी कहना है कि 31 अगस्त सूर्योदय 5.45 बजे होगा। पूर्णिमा तिथि सूर्योदय के बाद सुबह 7.45 तक तक रहेगी।

राखी बांधने का 

बुधवार 30 अगस्त

अमृत मुहुर्त

रात्रि 9.02 से 10.30 बजे रात तक

चर योग रात्रि - 10.31 से 12.00 बजे तक

31 अगस्त

सुबह 10.44 से 12.19 (चर) 

दोपहर 12.19 से 13.55 (लाभ)

दोपहर 13.55 से 15.30 (अमृत)

शाम 5.06 से 06.41 (शुभ)

उदया पूर्णिमा 31 अगस्त

शुभ योग -प्राय: 06.00 से 07.06 बजे तक

लाभामृत योग- दोपहर 12.00 से 3.00 बजे से

आज सुबह दस बजकर 59 मिनट से पूर्णिमा शुरू हो रही है। उसी समय भद्रा लग रही है। यह रात नौ बजकर 12 मिनट तक रहेगी जबकि अगले दिन सुबह 07 बजे तक पूर्णिमा तिथि रहेगी जो कि उदयव्यापिनी होने से पूरे दिन मान्य होगी, कोई तारीख हमें दो दिन मिल रही हो यानी एक रात में और दूसरी सूर्योदय के समय तो उसमें सूर्योदय के समय वाली तारीख को शुभ माना जाता है। इसलिए 31 अगस्त को सुबह 9 बजे से शाम पांच बजे तक राखी बांध सकते हैं। 

आचार्य कृष्ण दत्त शर्मा राष्ट्रीय महासचिव अखिल भारतीय ज्योतिष परिषद

महिला के दिमाग से डाक्टरों ने निकाला रेंगता हुआ कीड़ा ऑस्ट्रेलिया में दुनिया का पहला मामला, कीड़े की लंबाई 8 सेमी

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव 

ऑस्ट्रेलिया से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक 64 साल की महिला के मस्तिष्क में जिदा कीड़ा मिला है, जो दुनिया का ऐसा पहला मामला है। डॉक्टरों ने कहा, ये उनके करियर का ऐसा पहला मामला है। महिला में निमोनिया,पेट दर्द, दस्त,सूखी खांसी, बुखार और रात को पसीना जैसे लक्षणों थे। डॉक्टर 2021 से उसे स्टेराॅयड दे रहे हैं। न्यूरो सर्जन गत वर्ष हरिप्रिया बांदी कैनबरा अस्पताल में मरीज की खोपड़ी में एक छेद के माध्यम से बायोप्सी कर रही थी,तभी उन्होंने इसे पहली बार देखा जिसकी माप 8 सेंटीमीटर या 3 इंच थी। बताया कि यह कीड़ा लगातार आगे बढ़ रहा था। यह जीवंत और गतिशील था, जिसकी सूचना बांदी ने अपनी संचालन टीम को दी हरिप्रिया बांदी और संक्रामक रोग विशेषज्ञ संजय सेनानायके ने इस बारे में इमर्जिंग इंफेक्शियस डिसीज जर्नल के ताजा अंक में विस्तार से लेख लिखा है। कीड़ा निकालने के बाद सेनानायके ने खुशी जताई। यह जीव एक जीव ऑस्ट्रेलियाई देशी राउंडवार्म का लार्वा था,जो आमतौर पर अजगरों में पाया जाता है। महिला का नाम उजागर नहीं किया गया है।

पालक से ब्रेन तक पहुंचे होंगे सांप के अंडे

अनुमान है कि पालक जैसी किसी खाने की चीज पर कीड़े के अंडे आ ग‌ए हो। चूंकि महिला पालक उगाती थी , इसलिए माना जा रहा है कि अंडा उसी पर मौजूद रहा होगा।

पेट दर्द , दस्त भूलने की रोगी

जनवरी 2021 में महिला की तबीयत खराब हुई। पेट में 3 हफ्ते तक दर्द रहा व तेज दस्त भी हुए। जैसे जैसे ठीक हुई तो तेज सूखी खांसी हो गई, रात में तेज पसीना आने लगा। वह चीजों को भूलने लगी और डिप्रेशन में भी चली गई।

सांपों में पाया जाता है कीड़ा

इसका मनुष्य शरीर में मिलना इसलिए भी अजीब था क्योंकि यह आमतौर पर सांपों में पाया जाता है। कार्पेट पायथंस ( अजगर की प्रजाति) में पाया जाता है, जो कंस्ट्रिक्टर की एक बड़ी प्रजाति है और यह ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया,व पापुआ न्यू गिनी में पाई जाती है।

इसरो चीफ के मंदिर जाने पर बढ़ा विवाद, जानें एस. सोमनाथ ने विरोधियों को कैसे दिया जवाब

#thecontroversyovertheworshipofisro_chief

चांद पर चंद्रयान 3 की सफल लैंडिग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) चीफ एस सोमनाथ ने मंदिर जाकर पूजा की। एस सोमनाथ ने चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग के पूर्व तिरुपति मंदिर जा कर पूजा-अर्चना की थी। इसके बाद जब चंद्र मिशन पूरा हुआ तो वे केरल के विक्षिंजम में स्थित पौर्णामिकावू मंदिर में अपने आराध्य का आभार जताने पहुंचे। उनकी तस्वीरें वायरल हो गईं और सोशल मीडिया पर एक नया विवाद शुरू हो गया। इंटरनेट यूजर्स के एक वर्ग द्वारा 'विज्ञान बनाम धर्म' की बहस छिड़ गई। अब इस पर उन्होंने जवाब दिया है।एस सोमनाथ ने कहा है कि यह उनका निजी मामला है और मंदिर जाने से चंद्रयान-3 का कोई लेना देना नहीं है।

विज्ञान और अध्यात्म दोनों अलग-अलग-एस सोमनाथ

इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने आस्था पर सवाल उठाने वालों को जवाब देते हुए कहा कि अध्यात्म और विज्ञान एक-दूसरे से अलग हैं। ऐसे में विज्ञान और अध्यात्म को मिलाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने केरल के मंदिर जाने पर कहा कि मैं यहां पर इसलिए आया हूं, क्योंकि मंदिर से मुझे आध्यात्मिक बल मिलता है।सोमनाथ ने उपासना स्थलों पर जाने और प्रार्थना करने को तनाव से मुक्ति का तरीका बताया। उन्होंने कहा, प्रार्थना मानसिक संतोष के लिए की जाती है। जब हम जटिल वैज्ञानिक मिशन पर काम कर रहे हैं तो कई बाधाएं और समस्याएं होती हैं और किसी भी समय चीजें गलत हो सकती हैं। ऐसे में मन को शांत रखने के लिए प्रार्थना और पूजा मदद करती हैं।इसके चलते मैं अपने बाकी के काम भी सफलतापूर्वक कर पाता हूं। उन्होंने कहा कि मैं तो बचपन से ही मंदिर जाता रहा हूं और इसका चंद्रयान से कोई लेना-देना नहीं है। यह मेरा बेहद निजी मामला है।

विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों का पता लगाना मेरे जीवन का हिस्सा-एस सोमनाथ

सोमनाथ इसरो के अध्यक्ष के रूप में चंद्रयान -3 मिशन के नायक हैं। भारत अब एक खास अंतरिक्ष क्लब का हिस्सा है, जो चंद्रमा पर उतरा है। इस बड़ी सफलता के बाद इसरो प्रमुख ने केरल के एक मंदिर में पूजा-अर्चना की। जब एस. सोमनाथ से इसके बारे में पूछा गया, तो उन्‍होंने कहा, "मैं एक खोजकर्ता हूं। मैं चंद्रमा के बारे में अनुसंधान करता हूं। मैं आंतरिक ज्ञान का पता लगाता हूं। विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों का पता लगाना मेरे जीवन की यात्रा का एक हिस्सा है।मैं कई मंदिरों का दौरा करता हूं और कई धर्मग्रंथ पढ़ता हूं। मैं इसका अर्थ खोजने की कोशिश करता हूं कि हमारा अस्तित्व और इस ब्रह्मांड में हमारी यात्रा कहां तक है।

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो की सूरज को “साधने” की तैयारी, जानें क्या है मिशन आदित्य L1

#nowisrowilllaunchadityal1mission

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) अब सूर्य को साधने की तैयारी में है। चंदा मामा के बाद सूर्य देव के अध्ययन के लिए 2 सितम्बर को आदित्य एल-1 मिशन लॉन्च करने की घोषणा की है।इसरो ने बताया कि आदित्य-एल 1 को 2 सितंबर को सुबह 11:50 बजे पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C57) के जरिये आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा।

इसरो ने ट्वीट करके कहा है कि ‘आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन होगा। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में भेजा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है।

पृथ्वी से सूर्य की दूरी काफी ज्यादा है। सूरज के आसपास कई लांग्रेज पॉइंट होते हैं। धरती और सूर्य के बीच लैग्रेंज प्वाइंट ही वो जगह है जहां से सूर्य को बिना किसी ग्रहण या अवरोध के देखा जा सकता है। धरती और सूर्य के बीच पांच लैग्रेंज प्वाइंट है। इस पर किसी अंतरिक्ष यान का गुरुत्वाकर्षण सेंट्रिपेटल फोर्स के बराबर हो जाता है। जिसकी वजह से यहां कोई भी यान लंबे समय तक रुक कर शोध कर सकता है। इस जगह को ‘अंतरिक्ष का पार्किंग’ भी कहा जाता है, क्योंकि बेहद कम ईंधन के साथ इस जगह पर अंतरिक्ष यान को स्थिर किया जा सकता है।

भारत का मिशन आदित्य एल-1 इन्हीं में से एक पॉइंट पर जाएगा। तभी इसका नाम आदित्य लांग्रेज-1 रखा गया है। जब श्रीहरिकोटा के स्पेस सेंटर से ये मिशन लॉन्च किया जाएगा, तब इसरो का मकसद इसे सूर्य के लांग्रेज बिंदु-1 पर स्थापित करने का होगा।पृथ्वी से इसकी दूरी 1.5 मिलियन किमी. है, यहां पर आदित्य एल-1 को स्थापित करने का फायदा है। इस पॉइंट से सूरज सातों दिन और 24 घंटे दिखाई पड़ता है, ऐसे में यहां से अध्ययन आसान होगा।

आदित्य एल-1 मिशन के फायदे?

इसरो उन सौर गतिविधियों की स्टडी करना चाहता है जो उसकी सतह (कोई सॉलिड सतह नहीं है) से बाहर निकल कर अंतरिक्ष में फैल जाते हैं और कई बार धरती की तरफ भी आ जाते हैं, जैसे कोरोनल मास इजेक्शन, सोलर फ्लेयर्स, सौर तूफान आदि। इसलिए लैग्रेंज प्वाइंट1 (एल-1) इस लिहाज से खास जगह है, क्योंकि सूर्य से निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफान इसी रास्ते से होकर धरती की ओर जाते हैं। सूर्य के वातावरण से निकलकर अंतरिक्ष में फैलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफानों में कई तरह के रेडियोएक्टिव तत्व होते हैं, जो पृथ्वी के लिहाज से नुकसानदेह होते हैं। सौर तूफान और कोरोनल मास इजेक्शन की वजह से पृथ्वी के बाहरी वायुमंडल में चक्कर काट रही सैटेलाइट में खराबी आ सकती है। इसके अलावा अगर कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफान धरती के वातावरण में दाखिल हो जाए तब पृथ्वी पर शार्ट वेब कम्यूनिकेशन, मोबाइल सिग्नल, इलेक्ट्रिक पॉवर ग्रिड सिस्टम पूरी तरह से ठप पड़ जाएगा।

इन देशों ने भेजे सूर्य के अध्ययन के लिए अभियान

सूर्य के अध्ययन के लिए अब तक केवल अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, यूरोपीय स्पेस एजेंसी और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर ने अलग अलग और संयुक्त अंतरिक्ष अभियान भेजे हैं।नासा ने तीन मुख्य मिशन भेजे हैं- सोहो (सोलर एंड हेलियोस्फ़ेरिक ऑब्जर्वेटरी), पार्कर सोलर प्रोब और आइरिस (इंटरफ़ेस रिजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ़)।इसके अलावा नासा ने कई अन्य सूर्य मिशन भेजे हैं, जिनमें एस, विंड, हिनोड, सोलर डायनामिक्स ऑब्ज़र्वेटरी और स्टीरियो शामिल हैं। सोहो मिशन को नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने संयुक्त रूप से लॉन्च किया था।पार्कर सोलर प्रोब चार साल से सूर्य की सतह के सबसे क़रीब चक्कर लगा रहा है। आइरिस (इंटरफ़ेस रिजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ) सूर्य के सतह की हाई रिजोल्यूशन तस्वीरें ले रहा है। सूर्य के अध्ययन में अभी तक सबसे बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ है नासा का पार्कर सोलर प्रोब मिशन, जो सूर्य के सबसे क़रीब पहुंचने वाला एकमात्र अंतरिक्षयान है।

*चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो की सूरज को “साधने” की तैयारी, जानें क्या है मिशन आदित्य L1*

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चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) अब सूर्य को साधने की तैयारी में है। चंदा मामा के बाद सूर्य देव के अध्ययन के लिए 2 सितम्बर को आदित्य एल-1 मिशन लॉन्च करने की घोषणा की है।इसरो ने बताया कि आदित्य-एल 1 को 2 सितंबर को सुबह 11:50 बजे पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C57) के जरिये आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा।

इसरो ने ट्वीट करके कहा है कि ‘आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन होगा। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में भेजा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है।

पृथ्वी से सूर्य की दूरी काफी ज्यादा है। सूरज के आसपास कई लांग्रेज पॉइंट होते हैं। धरती और सूर्य के बीच लैग्रेंज प्वाइंट ही वो जगह है जहां से सूर्य को बिना किसी ग्रहण या अवरोध के देखा जा सकता है। धरती और सूर्य के बीच पांच लैग्रेंज प्वाइंट है। इस पर किसी अंतरिक्ष यान का गुरुत्वाकर्षण सेंट्रिपेटल फोर्स के बराबर हो जाता है। जिसकी वजह से यहां कोई भी यान लंबे समय तक रुक कर शोध कर सकता है। इस जगह को ‘अंतरिक्ष का पार्किंग’ भी कहा जाता है, क्योंकि बेहद कम ईंधन के साथ इस जगह पर अंतरिक्ष यान को स्थिर किया जा सकता है।

भारत का मिशन आदित्य एल-1 इन्हीं में से एक पॉइंट पर जाएगा। तभी इसका नाम आदित्य लांग्रेज-1 रखा गया है। जब श्रीहरिकोटा के स्पेस सेंटर से ये मिशन लॉन्च किया जाएगा, तब इसरो का मकसद इसे सूर्य के लांग्रेज बिंदु-1 पर स्थापित करने का होगा।पृथ्वी से इसकी दूरी 1.5 मिलियन किमी. है, यहां पर आदित्य एल-1 को स्थापित करने का फायदा है। इस पॉइंट से सूरज सातों दिन और 24 घंटे दिखाई पड़ता है, ऐसे में यहां से अध्ययन आसान होगा।

आदित्य एल-1 मिशन के फायदे?

इसरो उन सौर गतिविधियों की स्टडी करना चाहता है जो उसकी सतह (कोई सॉलिड सतह नहीं है) से बाहर निकल कर अंतरिक्ष में फैल जाते हैं और कई बार धरती की तरफ भी आ जाते हैं, जैसे कोरोनल मास इजेक्शन, सोलर फ्लेयर्स, सौर तूफान आदि। इसलिए लैग्रेंज प्वाइंट1 (एल-1) इस लिहाज से खास जगह है, क्योंकि सूर्य से निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफान इसी रास्ते से होकर धरती की ओर जाते हैं। सूर्य के वातावरण से निकलकर अंतरिक्ष में फैलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफानों में कई तरह के रेडियोएक्टिव तत्व होते हैं, जो पृथ्वी के लिहाज से नुकसानदेह होते हैं। सौर तूफान और कोरोनल मास इजेक्शन की वजह से पृथ्वी के बाहरी वायुमंडल में चक्कर काट रही सैटेलाइट में खराबी आ सकती है। इसके अलावा अगर कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफान धरती के वातावरण में दाखिल हो जाए तब पृथ्वी पर शार्ट वेब कम्यूनिकेशन, मोबाइल सिग्नल, इलेक्ट्रिक पॉवर ग्रिड सिस्टम पूरी तरह से ठप पड़ जाएगा।

इन देशों ने भेजे सूर्य के अध्ययन के लिए अभियान

सूर्य के अध्ययन के लिए अब तक केवल अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, यूरोपीय स्पेस एजेंसी और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर ने अलग अलग और संयुक्त अंतरिक्ष अभियान भेजे हैं।नासा ने तीन मुख्य मिशन भेजे हैं- सोहो (सोलर एंड हेलियोस्फ़ेरिक ऑब्जर्वेटरी), पार्कर सोलर प्रोब और आइरिस (इंटरफ़ेस रिजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ़)।इसके अलावा नासा ने कई अन्य सूर्य मिशन भेजे हैं, जिनमें एस, विंड, हिनोड, सोलर डायनामिक्स ऑब्ज़र्वेटरी और स्टीरियो शामिल हैं। सोहो मिशन को नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने संयुक्त रूप से लॉन्च किया था।पार्कर सोलर प्रोब चार साल से सूर्य की सतह के सबसे क़रीब चक्कर लगा रहा है। आइरिस (इंटरफ़ेस रिजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ) सूर्य के सतह की हाई रिजोल्यूशन तस्वीरें ले रहा है। सूर्य के अध्ययन में अभी तक सबसे बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ है नासा का पार्कर सोलर प्रोब मिशन, जो सूर्य के सबसे क़रीब पहुंचने वाला एकमात्र अंतरिक्षयान है।

रक्षाबंधन पर सरकार ने दिया देश की बहनों को तोहफा, 200 रूपया सस्ता मिलेगा रसोई गैस सिलेंडर, जानिए नई कीमत

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देशभर की गृहणियों को मोदी सरकार ने रक्षा बंधन पर बड़ा तोहफा दिया है।सरकार के एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 200 रुपये की कमी करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। इसके साथ ही मोदी कैबिनेट में पैसला लिया गया है कि उज्ज्वला योजना के तहत लोगों को गैस सिलेंडर पर अलग से 200 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। यानी उन्हें कुल 400 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी।इसके साथ ही 75 लाख महिलाओं को मुफ्त में गैस कनेक्शन दिया जाएगा। इस फैसले से आम लोगों को महंगाई से बड़ी राहत मिलेगी।

सरकार के फैसले से एलपीजी के 33 करोड़ ग्राहकों को लाभ होगा

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी।प्रेस ब्रीफिंग के दौरान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि गैस सिलेंडर सस्ता हुआ फिर एक बार, राखी और ओणम पर देश की करोड़ों बहनों को पीएम ने दिया उपहार। उन्होंने कहा कि नए 75 लाख उज्ज्वला कनेक्शन मिलने के बाद इस श्रेणी में कुल 10 करोड़ 35 लाख कस्टमर्स हो जाएंगे। ठाकुर ने कहा कि अप्रैल 2020 से अप्रैल 2022 तक दुनिया भर में एलपीजी का दाम तिगुना हुआ। लेकिन भारत में इसकी कीमत सिर्फ 35 फीसदी बढ़ी। सरकार ने पेट्रोलियम कंपनियों को मदद की। इस निर्णय से एलपीजी के 33 करोड़ ग्राहकों को लाभ होगा। इस फैसले का किसी इलेक्शन से कोई लेना-देना नहीं है। यह फैसला आज से ही लागू हो जाएगा। इससे इस वित्त वर्ष में 7,680 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

चुनावी चाल?

सरकार के इस फैसले को आने वाले चुनावों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। इस साल देश में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे अहम राज्यों में चुनाव होने हैं। वहीं 2024 की शुरुआत में लोकसभा चुनाव भी हैं। ऐसे में महंगाई एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है।इस साल होने वाले राज्यों के चुनाव में पहले से ही गैस सिलेंडर पर छूट दी जा रही है। राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने इंदिरा गांधी गैस सिलेंडर सब्सिडी योजना के तहत 1140 रुपये तक का सिलेंडर 500 रुपये में उपलब्ध करा रही है। इससे 14 लाख लाभार्थियों को फायदा पहुंचने का दावा किया गया है। वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया है कि सावन माह में सभी को 450 रुपये में गैस सिलेंडर उपलब्ध करवाये जाएंगे। शिवराज के इस एलान से प्रदेश एक करोड़ 20 लाख से अधिक घरेलू गैस उपभोक्ताओं को फायेदा पहुंचेगा।

सुप्रीम कोर्ट का केन्द्र सरकार से सवाल, पूछा- जम्मू-कश्मीर राज्य कब बनेगा, कब होंगे चुनाव?

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अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई हो रही है। आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे और राज्य का दर्जा कब बहाल होगा? सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समय सीमा और रोडमैप को स्पष्ट करने की बात कही। 

दरअसल केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला स्थायी नहीं था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब हालात सामान्य हो जाएंगे तो जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। वहीं लद्दाख का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा कुछ समय तक बरकरार रहेगा। केंद्र ने आगे कहा कि पूरे मामले पर वो 31 अगस्त को विस्तृत बयान देगा। 

बता दें कि पांच जजों की बेंच करीब दो हफ्ते से 370 के मामले पर सुनवाई कर रही है। आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एसजी तुषार मेहता से पूछा कि क्या आप राज्य को यूटी में तब्दील कर सकते हैं? सीजेआई ने पूछा कि क्या संसद के पास राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की शक्ति है? अगर यूनियन टेरिटरी की स्थिति स्थायी नहीं है तो यह कितनी अस्थायी है? और आप चुनाव कब कराने जा रहे हैं?

इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमें जानकारी दी गई है कि जम्मू-कश्मीर का केंद्रशासित दर्जा स्थायी नहीं है और इसका राज्य का स्टेटस बहाल किया जाएगा। हालांकि लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश बना रहेगा। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जम्मू-कश्मीर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करना एक अस्थायी उपाय है और भविष्य में जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश को वापस राज्य के रूप में वापस कर दिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि यह कितना अस्थायी है और जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे? एसजी तुषार मेहता ने कहा कि उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह बताने को कहा कि क्या जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कोई समय सीमा है और इस प्रगति का कोई रोडमैप है?

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त को इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अनुच्छेद 35ए को नागरिक अधिकारों का हनन करने वाला बताया था। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 35ए के तहत जम्मू कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार मिले थे, लेकिन इस अनुच्छेद की वजह से देश के अन्य लोगों के तीन बुनियादी अधिकार छीन लिए गए। जिनमें अन्य राज्यों के लोगों के कश्मीर में नौकरी करने, जमीन खरीदने और बसने के अधिकार का हनन हुआ।

मोदी सरकार देने जा रही बड़ा तोहफा, घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दामों में 200 रुपये की कटौती के संकेत, जल्द हो सकता है ऐलान

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लंबे समय से महंगाई की मार झेल रही जनता के लिए खुशखबरी है।रक्षा बंधन के मौके पर मोदी सरकार सस्ते एलपीजी सिलेंडर की सौगात दे सकती है। सरकारी सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक, मोदी सरकार रसोई गैस सिलेंडर के दाम में 200 रुपये की बड़ी कटौती करने जा रही है।सूत्रों की मानें तो सरकार रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी देने की योजना पर काम कर रही है। ये सब्सिडी 100 से 200 रुपये प्रति सिलेंडर तक हो सकती है। मोदी सरकार बहुत जल्द इस छूट का ऐलान भी कर सकती है।

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के लाभार्थियों को मिलेगा लाभ

हालांकि यह फायदा केवल प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के लाभार्थियों को ही मिलेगा।सूत्रों के मुताबिक उज्ज्वला योजना के तहत रसोई सिलेंडर 200 रुपये और सस्ती होगी। केंद्र सरकार ने मई 2022 में भी पीएम उज्जवला योजना के लाभार्थियों को साल में 12 सिलेंडर सिफिल कराने पर 200 रुपये प्रति सिलेंडर सब्सिडी देना शुरू किया था जिसकी मियाद को अब 31 मार्च 2024 तक के लिए एक्सटेंड कर दिया गया. इसके बावजूद इस योजना के तहत सिलेंडर कराने वालों को 900 रुपये खर्च पड़ रहे हैं. यही वजह है कि पीएम उज्जवला योजना के लाभार्थियों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार अब 200 रुपये अतिरिक्त एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी देने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया है। जल्द ही इसका औपचारिक एलान हो सकता है। 

चुनावी चाल?

सरकार के इस फैसले को आने वाले चुनावों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। इस साल देश में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे अहम राज्यों में चुनाव होने हैं। वहीं 2024 की शुरुआत में लोकसभा चुनाव भी हैं। ऐसे में महंगाई एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है।इस साल होने वाले राज्यों के चुनाव में पहले से ही गैस सिलेंडर पर छूट दी जा रही है। राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने इंदिरा गांधी गैस सिलेंडर सब्सिडी योजना के तहत 1140 रुपये तक का सिलेंडर 500 रुपये में उपलब्ध करा रही है। इससे 14 लाख लाभार्थियों को फायदा पहुंचने का दावा किया गया है। वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया है कि सावन माह में सभी को 450 रुपये में गैस सिलेंडर उपलब्ध करवाये जाएंगे। शिवराज के इस एलान से प्रदेश एक करोड़ 20 लाख से अधिक घरेलू गैस उपभोक्ताओं को फायेदा पहुंचेगा।

तीन साल में एलपीजी सिलेंडर की कीमत दोगुनी हुई

पिछले तीन साल देश में एलपीजी सिलेंडर की कीमत दोगुनी हो गई है। लोग लंबे समय से घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत में राहत का इंतजार कर रहे हैं। पिछले तीन साल में एलपीजी सिलेंडर की कीमत में भारी इजाफा हुआ है। एक नवंबर को इसकी कीमत 594 रुपये थी। दो दिसंबर, 2020 को इसे बढ़ाकर 644 रुपये किया गया था। फिर 15 दिसंबर, 2020 को यह कीमत 694 रुपये हो गई। फरवरी, 2021 में तीन बार इसकी कीमत बढ़ाई गई और यह 794 रुपये का हो गया था। एक अप्रैल को इसमें दस रुपये की कटौती की गई और इसकी कीमत 809 रुपये रह गई। लेकिन एक जुलाई 2021 को इसे बढ़ाकर 834 रुपये कर दिया गया। फिर 17 अगस्त, 2021 को इसकी कीमत 859.50 रुपये कर दी गई। एक सितंबर, 2021 को फिर इसमें इजाफा हुआ और 14.2 किलो का सिलेंडर दिल्ली में 884.50 रुपये का हो गया। छह अक्टूबर, 2021 को इसकी कीमत बढ़कर 899.50 रुपये हो गया। फिर 22 मार्च, 2022 को 949.50 रुपये का हो गया। सात मई, 2022 को फिर इसमें 50 रुपये की बढ़ोतरी हुई और यह 999.50 रुपये को हो गया। 19 मई, 2022 को इसकी कीमत में 3.50 रुपये की बढ़ोतरी हुई और इसकी कीमत 1003 रुपये हो गई। इसके बाद मार्च, 2023 में इसमें फिर 50 रुपये का इजाफा किया गया और इसकी कीमत 1103 रुपये पहुंच गई। तबसे इसकी कीमत में कोई बदलाव नहीं किया गया है।