*जिला कृषि अधिकारी द्वारा किसान भाइयों को गाजर घास नियंत्रण एवं उन्मूलन सम्बन्धी सुझाव दिये गये*
बलरामपुर। जिला कृषि अधिकारी आर0पी0 राना ने किसान भाइयों को सूचित करते हुये बताया कि गाजर घास यानी पार्थेनियम घास के खाद्यान्न फसलों, सब्जियों एवं उद्यानों में प्रकोप के साथ मनुष्य की त्वचा सम्बन्धी बीमारियों, एग्जिमा, एलजी, बुखार तथा दमा जैसी बीमारियों का प्रमुख कारण है।
यह एक वर्षीय शाकीय पौधा है जिसकी लम्बाई 1.5 से 2 मीटर तक होती है यह मुख्यतः बीजों से फैलता है इसमें एक पौधे से लगभग 5 हजार से 25 हजार बीज प्रति पौधा पैदा करने की क्षमता रहती है इनके बीजों का प्रकीर्णन हवा द्वारा होता है, जिससे इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी तेजी से होती है।
उन्होंने गाजर घास नियंत्रण एवं उन्मूलन सम्बन्धी सुझाव दिये है जिसमें वर्षा ऋतु में गाजर घास को फूल आने से पहले जड़ से ऊखाड़ कर कम्पोस्ट एवं वर्मी कम्पोस्ट बनाना चाहिए। वर्षा आधारित क्षेत्रों में शीघ्र बढ़ने वाली फसलें जैसे ढ़ैचा, ज्वार, बाजरा, मक्का आदि की फसलें लेनी चाहिए।
घर के आस-पास बगीचे उद्यान एवं संरक्षित क्षेत्रों की गेंद के पौधे उगाकर गाजर घास के फैलाव एवं वृद्धि को रोका जा सकता है। जैविक नियंत्रण हेतु मैक्सिकन बीटल (जाइगोग्रामा बाइक्लोराटा) नामक कीट को वर्षा ऋतु में गाजर घास पर छोड़ना चाहिए।
रसायनिक नित्रंत्रण हेतु ग्लाइफोसेट अथवा मैट्रीब्यूजीन का छिड़काव करनी चाहिए। खेत में किसी भी प्रकार के कीट/रोग के प्रकोप की स्थिति में सहभागी फसल निगरानी एवं नियंत्रण प्रणाली व्हाट्सएप नम्बर-9452247111 अथवा 9452257111 पर फोटो भेज कर अपनी समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते है।
Aug 29 2023, 16:36