चांद पर रोवर के सामने आया पहला “रोड़ा”, प्रज्ञान ने ऐसे पार की पहली रूकावट
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चंद्रयान-3 के जरिए भेजे गए विक्रम लैंडर के चांद पर उतरने के बाद रोवर प्रज्ञान साउथ पोल पर चहलकदमी कर रहा है।प्रज्ञान रोवर लैंडर के आस-पास घूमकर चंद्रमा की सतह के नमूने ले रहा है और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) को डेटा भेज रहा है। विक्रम लैंडर अपने कैमरे से रोवर की चहलकदमी की तस्वीरें भी भेज रहा है।जब रोवर चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर के आस-पास घूम रहा था तभी उसके सामने एक बड़ी चुनौती आ गई। रोवर का सामना चार मीटर व्यास गहरे गड्ढे से हुआ। इसके बाद रोवर को निर्देश भेजे गए। रोवर ने अपना रास्ता बदला और खतरे से बचते हुए नई दिशा में आगे बढ़ गया।इसरो ने ये जानकारी दी है।
इसरो ने सोमवार को रोवर प्रज्ञान की और भी तस्वीरें जारी की। इसरो ने इससे जुड़ी दो तस्वीरें भी जारी की हैं। पहली तस्वीर में नेविगेशन कैमरे के जरिए यह दिखाई दे रहा है कि रोवर प्रज्ञान की राह में कैसे आगे की तरफ एक बड़ा गड्ढा मौजूद है। रोवर जब अपने स्थान से तीन मीटर आगे चला, तब वहां यह गड्ढा मौजूद था। दूसरी तस्वीर में नेविगेशन कैमरा बता रहा है कि कैसे रोवर ने बाद में रास्ता बदला और अब वह नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।
इसरो ने बताया, " चंद्रयान 3 मिशन का रोवर प्रज्ञान 27 अगस्त को अपने स्थान से 3 मीटर आगे एक 4 मीटर व्यास वाले गड्ढे (क्रेटर) के पास पहुंचा। इसके बाद रोवर को वापस लौटने की कमांड दी गई। अब ये सुरक्षित रूप से एक नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।"
चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. वीरामुथुवेल ने समझाया कि चांद पर प्रज्ञान रोवर जो चहलकदमी कर रहा है, उसके लिए निर्देश इसरो से ही जाते हैं। यहां सेंटर से चांद की परिस्थिति को परखा जाता है और फिर प्रज्ञान रोवर को निर्देश भेजे जाते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर प्रज्ञान रोवर को एक पॉइंट से दूसरे पॉइंट पर भेजा जाता है, तो उसके लिए वहां का ग्राउंड, रोशनी, तापमान और बाकी सभी चीज़ों को परखना पड़ता है।
चंद्रमा पर तापमान तो लेकर मिली जानकारी
इससे पहले चंद्रयान-3 के 'विक्रम' लैंडर में लगे चास्टे उपकरण ने चंद्रमा के तापमान से जुड़ी पहली जानकारी भेजी थी। इसके अनुसार चंद्रमा पर अलग-अलग गहराई पर तापमान में काफी अंतर है। चंद्र सतह जहां करीब 50 डिग्री सेल्सियस जितनी गर्म है, वहीं सतह से महज 80 मिमी नीचे जाने पर तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। चंद्रमा की सतह एक ऊष्मारोधी दीवार जैसी है, जो सूर्य के भीषण ताप के असर को सतह के भीतर पहुंचने से रोकने की क्षमता रखती है।
भारत बना चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश
अगर चंद्रयान-3 मिशन की बात करें तो 14 जुलाई को इसे लॉन्च किया गया था, 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की चांद के दक्षिणी हिस्से पर सफलतम लैंडिंग हुई। भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बना है, जबकि चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश है। इस हिस्से को भारत ने ‘शिवशक्ति प्वाइंट’ नाम दिया है। 23 अगस्त के बाद से ही विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर ने काम शुरू किया, अभी के हिसाब से 2 सितंबर तक इनकी लाइफलाइन है।
Aug 28 2023, 20:13