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चांद पर पहुंचकर केवल जानकारियां ही नहीं अरबों का बिजनेस देगा चंद्रयान 3, स्पेस इकॉनमी में आएगा बूम

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भविष्य में चांद पर लोगों को बसाने की भी प्लानिंग है। इससे पहले ये जानना जरूरी है कि चांद पर जीवन कितना संभव है। इस मिशन मून में हिंदुस्तान इतिहास रचने जा रहा है।चांद पर जाने की रेस में भारत उन चुनिंदा देशों में हो जाएगा जो चांद पर वो खोज कर सकते हैं, जिनसे आगे जाकर भारत चंद्रमा पर अपना बेस बनाने में कामयाब हो सके।चंद्रयान 3 की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग सिर्फ भारत की वैज्ञानिक दक्षता की ही सफलता नहीं होगी। इस मिशन की सफलता से बहुत कुछ जुड़ा है। यह विकसित भारत बनने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। इस मिशन से कई तरह के मौके खुल जाएंगे। इन अवसरों से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को दौड़ने के लिए बड़ी खुराक मिलेगी।

इस मिशन के साथ बड़ा आर्थिक पहलू भी जुड़ा हुआ है।दुनिया ने पहले ही अंतरिक्ष संबंधी प्रयासों से रोजमर्रा की जिंदगी में मिले फायदे देखे हैं जैसे कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जल पुनर्चक्रण के साथ स्वच्छ पेयजल तक पहुंच, स्टारलिंक द्वारा विश्वभर में इंटरनेट का प्रसार, सौर ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियां आदि। स्पेस एक्स जैसी कई कंपनियां चांद तक के ट्रांसपोर्ट को बड़ा बिज़नस मान रही हैं। चंद्रयान के ज़रिए भारत उस बड़े बिज़नस में अपनी हिस्सेदारी के लिए तैयार है।

भारत के LVM3 का इस्तेमाल कॉमर्शियल और टूरिज्म पर्पज के लिए

बीते दिनों अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस की कंपनी ‘ब्लू ओरिजिन’ ने इसरो के LVM3 रॉकेट के इस्तेमाल में अपना इंटरेस्ट दिखाया था। जेफ बेजोस अपनी स्पेस कंपनी ब्लू ओरिजिन में भारत के LVM3 का इस्तेमाल कॉमर्शियल और टूरिज्म पर्पज के लिए करना चाहते हैं। चंद्रयान-3 भारत के लिए भारी भरकम मून इकॉनोमी के दरवाजे खोलने वाला है।

अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में पिछले दशक में 91 प्रतिशत की वृद्धि

उपग्रह से मिलने वाली तस्वीरों और नौवहन के वैश्विक आंकड़ों की बढ़ती मांग के साथ कई रिपोर्टें दिखाती हैं कि दुनिया पहले ही अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की तेजी से वृद्धि के चरण में है। ‘स्पेस फाउंडेशन’ ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2023 की दूसरी तिमाही में 546 अरब डॉलर के मूल्य पर पहुंच चुकी है। यह आंकड़ा पिछले दशक में इस मूल्य में 91 प्रतिशत की वृद्धि को दिखाता है।

2025 तक 13 अरब डॉलर हो जाएगी भारत की स्‍पेस इकॉनमी

आंकड़ों के अनुसार, भारत की स्‍पेस इकॉनमी 2020 तक 9.6 अरब डॉलर की थी। 2025 तक इसके बढ़कर 13 अरब डॉलर हो जाने के आसार हैं। आज भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए भी खुला है। देश में 140 से ज्‍यादा स्‍पेस-टेक स्‍टार्टअप हैं। इनमें स्‍कायरूट, सैटश्‍योर, ध्रुव स्‍पेस और बेलाट्रिक्‍स जैसी कंपनियां शामिल हैं। ये ऐसी टेक्‍नोलॉजी बनाने पर काम कर रही हैं जिनका रोजमर्रा के जीवन में इस्‍तेमाल है। ये कंपनियां सैटेलाइट आधारित फोन सिग्‍नल, ब्रॉडबैंड, ओटीटी से लेकर 5जी और सोलर फार्म तक में स्‍पेस टेक्‍नोलॉजी का इस्‍तेमाल करने के मौके तलाश रही हैं।भारत के स्‍पेस सेक्‍टर में पैसा लगाने के लिए निवेशक लालायित हैं। स्‍पेस इंडस्‍ट्री में सरकार निजी सेक्‍टर का ज्‍यादा पार्टिसिपेशन चाहती है। इसी मंशा से उसने भारतीय अंतर‍िक्ष नीति 2023 को मंजूरी दी है। यह निजी सेक्‍टर के लिए भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं को बढ़ाएगी।

चंद्रयान-3 की सफलता से बढ़ेगा निवेशकों का भरोसा

चंद्रयान-3 के सफल लॉन्‍च से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा। वे भारत की स्‍पेस टेक्‍नोलॉजी में ज्‍यादा निवेश के लिए आकर्षित होंगे। एक्‍सपर्ट कहते हैं कि अगर चंद्रयान-3 मिशन सफल हुआ तो यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा। इससे निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। गूगल जैसी कंपनियां पहले से ही भारत के स्पेस-टेक स्टार्टअप में निवेश कर रही हैं। ताज्‍जुब नहीं करना चाहिए अगर चंद्रयान -3 मिशन की सफलता के बाद विदेशी कंपनियों की ओर से निवेश बढ़ जाए। इसके अलावा निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी से नए स्टार्टअप, व्यवसाय और नौकरी के अवसर सामने आ सकते हैं। इससे आर्थिक विकास और इनोवेश को बढ़ावा मिलेगा।

इस स्थिति में बदली जा सकती है चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने की तारीख, इसरो का बड़ा बयान, रोमांच से भरपूर होगें आखिरी के 15 मिनट

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भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतिहास गढ़ने वाला है। भारत का महत्वकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-3 अपने अंतिम चरण में है।हर बीतते वक्त के साथ हमारा चंद्रयान चांद के करीब पहुंच रहा है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) की तरफ से लैंडिंग की तारीख भी तय कर दी गई है। 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर यह चांद की सतह पर लैंड करेगा।हालांकि, इससे पहले विक्रम लैंडर के लिए अनुकूल स्थितियों को पहचाना जाएगा। इसरो के मुताबिक, लैंडिंग के लिए निर्धारित समय से ठीक 2 घंटे पहले यान को उतारने या न उतारने पर अंतिम निर्णय होगा।यानी इसरो की तरफ से इस तारीख में बदलाव भी किया जा सकता है। इस बात की जानकारी खुद इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी है।

23 अगस्त को आई बाधा तो 27 को होगी लैंडिंग

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी इसरो ने कहा कि चांद पर चंद्रयान की लैंडिंग 27 अगस्त तक बढ़ाई जा सकती है। अहमदाबाद स्थित इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने कहा, चंद्रयान के चांद पर उतरने से 2 घंटे पहले हम लैंडर और चांद की स्थिति का जायजा लेंगे और उसके बाद लैंडर के चांद पर लैंड कराने पर फैसला लेंगे।नीलेश एम देसाई ने बताया कि यह निर्णय उस समय लैंडर मॉड्यूल की सेहत, टेलीमेट्री डाटा और चंद्रमा की स्थिति के आधार पर होगा। अगर उस समय कोई ऐसी वजह सामने आई जो चंद्रयान 3 को उतारने के लिए अनुकूल नहीं लगी, तो लैंडिंग को टाल कर 27 अगस्त के लिए निर्धारित किया जाएगा। वहीं अगर कोई समस्या नजर नहीं आई, तो 23 अगस्त को ही लैंडर उतारा जाएगा।

लैंड़िंग के चार चरण

इसरो जब चंद्रयान-3 लैंडर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के कोशिश करेगा तो मिशन को अंतिम 15 मिनट में प्रवेश करना होगा। इस दौरान लैंडर को उच्च गति वाली क्षैतिज स्थिति से एक लंबवत स्थिति में स्थानांतरित करना होगा।लैंडिंग का यह 15 मिनट रोमांच से भरपूर होगा। लैंड़िंग चार व्यापक चरणों में शुरू होगा। इसमें रफ ब्रेकिंग फेज, एल्टीट्यूड होल्ड फेज, फाइन ब्रेकिंग फेज औक टर्मिनल डिसेंट फेज शामिल है।

पहला चरण रफ ब्रेकिंग

लैंडर के लैंडिग की प्रक्रिया जब शुरू होगी तो पहला चरण रफ ब्रेकिंग चरण होगा। यह लगभग 690 सेकेंड का होगा। इस चरण में लैंडर लगभग 1.68 किमी प्रति सेकेंड (लगभग 6048 किमी प्रति घंटे) की गति से यात्रा शुरू करेगा और उसे घटाकर 358 मीटर प्रति सेकेंड (लगभग 100 किमी प्रति घंटे) तक लाया जाएगा। लैंडर का स्पीड (क्षैतिज) कम करने के लिए 400 न्यूटन के 4 इंजन फायर किए जाएंगे।अंतरिक्षयान 690 सेकेंड में लगभग 745 किमी दूर पहुंचेगा जहां उसकी ऊंचाई चांद की सतह से केवल 7.4 किमी रह जाएगी।

दूसरा चरण एल्टीट्यूड होल्डिंग फेज

इसके बाद दूसरा चरण एल्टीट्यूड होल्डिंग फेज होगा. इसकी शुरुआत चांद की सतह से 7.4 किमी की ऊंचाई पर होगी।इस चरण में लगभग 10 सेकेंड में लैंडर की चांद की सतह से ऊंचाई घटकर 6.8 किमी की जाएगी। इस दौरान गति 336 मीटर प्रति सेकेंड हो जाएगी। इस चरण में 740 न्यूटन के बराबर 4 इंजन फायर जाएंगे।

तीसरा चरण फाइन ब्रेकिंग

तीसरा चरण फाइन ब्रेकिंग फेज होगा। इस चरण में लैंडर 6.8 किमी की ऊंचाई से अपनी यात्रा शुरु करेगा और चांद की सतह से लगभग 800 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचेगा। इसमें लगभग 175 सेकेंड का वक्त लगेगा। इस ऊंचाई पर लैंडर का स्पीड शून्य हो जाएगा और वह कुछ देर तक मंडराएगा। यह बहुत ही महत्वपूर्ण चरण होगा। क्योंकि, यहां से लैंडर के सेंसर चांद की सतह पर लेजर किरणें भेजकर लैंडिंग स्थल का मुआयना करेंगे कि, यह स्थल लैंडिंग के अनुकूल है या नहीं। इसके बाद वह चांद की सतह से लगभग 150 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचेगा।

आखिरी चरण टर्मिनल डिसेंट*

इसके बाद चांद की सतह से 150 मीटर की ऊंचाई लैंडर फैसला लेगा कि उसे इस स्थल पर लैंड करना है या नहीं। अगर लैंडिंग के लिए स्थिति अनुकूल नहीं होगी तो लैंडर वहां से 150 मीटर दूर चला जाएगा और वहां लैंड करेगा। यह आखिरी चरण टर्मिनल डिसेंट फेज होगा। विक्रम 150 मीटर की ऊंचाई से पहले 60 मीटर की ऊंचाई तक आएगा फिर वहां से 10 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचेगा। जब चांद की सतह से ऊंचाई सिर्फ 10 मीटर रह जाएगी तब वह धीरे से लैंडिंग के लिए आगे बढ़ेगा और उस समय उसकी गति केवल 1 या 2 मीटर प्रति सेकेंड रह जाएगी। इसके बाद जब लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा तो उसका कुल वजन 800 Kg रहेगा।

सनी देओल का बड़ा ऐलान, नहीं लड़ेंगे 2024 का लोकसभा चुनाव

#sunny_deol_will_not_contest_lok_sabha_election_2024

बॉलीवुड एक्टर और बीजेपी सांसद सनी देओल इन दिनों सुर्खियों में हैं।एक तरफ सनी की गदर-2 बॉक्स ऑफिस के सभी रिकॉर्ड्स को ध्वस्त कर रही है, तो दूसरी तरफ बैंक ऑफ बड़ौदा ने सनी देओल की कोठी की नीलामी का नोटिस वापस ले लिया है। इन चर्चाओं के बीच सनी देओल ने बड़ा एलान कर दिया है। यह एलान भाजपा को एक झटके जैसा है।गुरदासपुर से भाजपा सांसद सनी देओल ने ऐलान किया है कि वह साल 2024 में कोई चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं।

एक तरफ देश में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर माहौल बनना शुरू हो गया है, दूसरी ओर सनी देओल ने चुनाव ना लड़ने का ऐलान कर हलचल मचा दी है।एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान सनी देओल ने साफ किया कि वह कोई चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। सनी ने कहा, ‘आप एक जॉब कर सकते हैं, कई जॉब नहीं कर सकते। जब मैं आया था, तब मैंने काफी कुछ सोचा था।लेकिन जो कुछ मैं अभी कर रहा हूं वो मैं बतौर एक्टर भी कर सकता हूं।

सनी देओल ने कहा, ‘एक्टिंग की दुनिया में मेरा जो दिल करे, वो मैं कर सकता हूं। लेकिन राजनीति में अगर मैं कुछ कमिट कर दूं और उसे पूरा न कर पाऊं। तो मुझसे वह बर्दाश्त नहीं होता है। मैं ऐसा नहीं कर सकता।’ सांसद के तौर पर लोकसभा सदन में सन्नी देओल की उपस्थिति केवल 19 फीसदी है, इसे लेकर बीजेपी सांसद सनी देओल ने कहा, ‘जब मैं संसद जाता हूं को देखता हूं कि यहां देश चलाने वाले लोग बैठे हैं।सभी पार्टियों के नेता बैठे हैं। लेकिन यहां कैसा व्यवहार करते हैं, जबकि हम दूसरे लोगों से कहते हैं कि ऐसा व्यवहार मत करो।

बता दें कि सनी देओल मौजूदा समय में पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद हैं। यह सीट भाजपा के लिए बेहद अहम है। इस सीट पर विनोद खन्ना भी भाजपा की टिकट पर 1999 से 2004 और 2014 से 2017 तक सासंद रहे। विनोद खन्ना के निधन के बाद यहां उपचुनाव में कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने जीत दर्ज की थी। वहीं 2019 में सनी देओल ने गुरदासपुर सीट फिर से भाजपा की झोली में डाली थी।

पीएम मोदी दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना, 15वें ब्रिक्स समिट में लेंगे हिस्सा, जिनपिंग से हो सकती है मुलाकात

#pmmoditoleaveforsouthafricatodaytoattend15thbricssummit

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका रवाना हो गए।ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 22-24 अगस्त तक आयोजित किया जाएगा।2019 के बाद पहली बार ब्रिक्स देश ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेता एक मंच पर दिखाई देंगे। कोरोना महामारी और उसके बाद के वैश्विक प्रतिबंधों के उभरने के बाद व्यक्तिगत रूप से आयोजित होने वाला पहला ब्रिक्स शिखर सम्मेलन होगा।

इस साल का ब्रिक्स समिट दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में हो रही है। इस वर्ष के शिखर सम्मेलन का विषय है: ‘ब्रिक्स और अफ्रीका: पारस्परिक तेज विकास, सतत विकास और समावेशी बहुपक्षवाद के लिए साझेदारी।’दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के निमंत्रण पर पीएम मोदी यहां का दौरा कर रहे हैं।राष्ट्रपति माटामेला सिरिल रामफोसा के निमंत्रण पर यह पीएम मोदी की दक्षिण अफ्रीका की तीसरी यात्रा होगी। यह यात्रा भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच राजनयिक संबंधों की 30वीं सालगिरह का प्रतीक है।

चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग से हो सकती है मुलाकात

पीएम मोदी जोहानिसबर्ग में मौजूद कुछ नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। इस दौरान वह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात कर सकते हैं। सम्मेलन के बाद अफ्रीका आउटरीच और ब्रिक्स प्लस डायलॉग का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें दक्षिण अफ्रीका की ओर से आमंत्रित अन्य देश शामिल होंगे। 

ग्रीस भी जाएंगे पीएम मोदी

दक्षिण अफ्रीका के दौरै के बाद पीएम मोदी ग्रीस की यात्रा करेंगे। प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस के निमंत्रण पर पीएम मोदी की यह पहली ग्रीस यात्रा होगी।बता दें कि पीएम मोदी 40 साल में ग्रीस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। 1983 में तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एथेंस की यात्रा की थी। इस दौरान दोनों देश व्यापार, इंवेस्टमेंट, डिफेंस और बुनियादी ढांचे में सहयोग पर चर्चा करेंगे।

दो देशों की यात्रा शुरू करने से पहले पीएम मोदी का बयान

दक्षिण अफ्रीका और ग्रीस की यात्रा पर रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने एक बयान में कहा, 'मैं दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में जोहानिसबर्ग में आयोजित होने वाले 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के निमंत्रण पर 22-24 अगस्त 2023 तक दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर रहूंगा। मैं जोहानिसबर्ग में मौजूद कुछ नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने के लिए भी उत्सुक हूं।'

अपनी ग्रीस यात्रा को लेकर पीएम मोदी ने कहा, 'ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस के न्योते पर मैं 25 अगस्त 2023 को एथेंस की यात्रा करूंगा। इस प्राचीन देश की यह मेरी पहली यात्रा होगी। मुझे 40 वर्षों के बाद ग्रीस की यात्रा करने वाला पहला भारतीय प्रधानमंत्री होने का सम्मान प्राप्त हुआ है।'

क्या हिंदू ब्राह्मण थे ओवैसी के परदादा? दावे पर एआईएमआईएम चीफ ने दिया ये दवाब

#asaduddinowaisireactionongreat_grandfather

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद के मुसलमानों के पूर्वजों को लेकर दिए बयान पर बहस छिड़ी हुई है।ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को उस सोशल मीडिया पोस्ट पर जवाब दिया, जिसमें हिंदू ब्राह्मण तुलसीराम दास को उनके परदादा होने का दावा किया गया है

ओवैसी के परदादा “हिंदू ब्राम्हण” थे। तुलसीरामदास उनके पर परदादा का नाम है। इस बात की जानकारी जब खुद ओवैसी को लगी तो वह हैरान रह गए। एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर एक स्क्रीनशॉट शेयर किया करते हुए उन्होंने कहा"यह मेरे लिए हमेशा मनोरंजक होता है. जब संघियों को एक वंश गढ़ना होता है। तब भी उन्हें मेरे लिए एक ब्राह्मण पूर्वज ढूंढना पड़ता है। हम सभी को अपने कर्मों का उत्तर खुद देना होगा। हम सभी आदम और हव्वा की संतान हैं। जहां तक मेरी बात है। मुसलमानों के समान अधिकारों और नागरिकता के लिए लोकतांत्रिक संघर्ष आधुनिक भारत की आत्मा की लड़ाई है। यह "हिंदूफोबिया" नहीं है।"

सोशल मीडिया पर महिला का दावा

दरअसल, एक महिला ने सोशल मीडिया पर तीन मुस्लिम नेताओं के परदादा का नाम खोज लाईं। पूर्णिमा नाम की महिला ने एक्स पर दावा किया कि फारुक अब्दुल्ला के परदादा बालमुकुंद कौल, असदुद्दीन ओवैसी के परदादा तुलसीरामदास और जिन्ना के परदादा जिन्नाभाई खोजा थे, जो खोजा समुदाय से ताल्लुक रखते थे।ये तीनों आज के मुसलमानों को रिप्रजेंट करते हैं और हिंदूफोबिया उगलते हैं।

गुलाम नबी के बयान से शुरू हुआ था विवाद

ओवैसी को लेकर यह दावा और उनकी प्रतिक्रिया ऐसे वक्त में आई है जब जम्मू-कश्मीर के नेता गुलाम नबी आजाद ने हाल ही में एक बयान दिया था।कांग्रेस के पूर्व नेता और हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर में अपने घर पर रह रहे गुलाम नबी आजाद ने भी कहा कि हिंदुस्तान के हिंदू ही मुस्लिम बने हैं। आजाद उन दावों का जवाब दे रहे थे, जिसमें कहा जाता है कि हिंदुस्तान में मुसलमान बाहर से आए। आजाद ने कहा कि बहुत थोड़े मुस्लिम बाहर से आए। हिंदू समुदाय के लोगों ने ही इस्लाम कबूल किया और मुस्लिम बने।कश्मीर में कौन था 600 साल पहले, सब कश्मीरी पंडित थे। सब मुसलमान बन गए. सब इसी (हिंदू) धर्म में पैदा हुए।

आजाद ने अपने बयान पर दी सफाई

वहीं, विवाद बढ़ने के बाद गुलाम नबी आजाद ने हिंदू धर्म से धर्मांतरित मुसलमान वाले अपने बयान पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि मैंने जो कहा था उसका पूरा वीडियो रिकॉर्ड नहीं किया गया, जिसकी वजह से जनता में भ्रम पैदा हो गया। उन्होंने कहा, मैं हिंदू-मुसलमान के इतिहास के बारे में बोल रहा था। मैं ये भी बोल रहा था कि कुछ लोग जो हमेशा कहते हैं कि मुसलमान बाहर से आए हैं, जिसका मैं हमेशा तर्क देता हूं कि बहुत ही कम मुस्लिम बाहर से आए हैं। ज्यादातर हिंदुस्तानी मुसलमान हैं। दुनिया में और हिंदुस्तान में भी इस्लाम कभी भी तलवार के बल पर नहीं आया है, बल्कि मोहब्बत, प्यार और पैगाम के जरिए आया है। बदकिस्मती से इस चीज को रिकॉर्ड नहीं किया गया है।

*चंद्रमा के ऑर्बिट में चंद्रयान-2 ने किया चंद्रयान-3 का स्वागत, दोनों के बीच कैसे हुई बात इसरो ने दी जानकारी*

#chandrayaan_3_welcomed_by_chandrayaan_2_orbiter_in_moon 

चार साल पहले भारत का महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 फेल हो गया था। हालांकि इसके बाद भी इसका आर्बिटर अभी भी चांद की कक्षा में स्थापित है। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अभी भी सक्रिय है। चंद्रयान-3 का चांद की सतह पर मौजूद चंद्रयान-2 ने स्वागत किया है। दोनों अंतरिक्षयानों का संपर्क स्थापित हो चुका है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में इस बारे में ट्वीट करके जानकारी दी। 

इसरो ने ट्वीट कर कहा कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया है। इसरो ने बताया कि दोनों के बीच टू-वे कम्युनिकेशन स्थापित हो चुका है।स्पेस एजेंसी ने ट्वीट किया, ‘स्वागत है दोस्त… चंद्रयान 2 ऑर्बिटर ने चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर का औपचारिक स्वागत किया.. अब दोनों के बीच दोतरफा संवाद स्थापित हो गया है। MOX के पास अब LM तक पहुंचने के लिए अधिक मार्ग हैं।’

इससे पहले सुबह में इसरो ने चंद्रयान से ली गई चांद के सतह की कुछ तस्वीरों को ट्वीट किया था। इसरो ने बताया कि लैंडर विक्रम में लगा कैमरा चांद पर किसी सुरक्षित जगह की तलाश कर रहा है ताकि वहां सर्तकता के साथ उतरा जा सके। चंद्रयान-3 चांद के दक्षिण ध्रुव पर उतरेगा। अभी वह चांद के 25 किलोमीटर ऊपर चक्कर काट रहा है।

चंद्रयान-3 की चांद की सतह पर लैंडिंग के लिए अतिम चरण में है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने बताया कि चद्रयान-3 को 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग कराने के लिए उसे कक्षा में थोड़ा और नीचे सफलतापूर्वक पहुंचा दिया है। चंद्रयान को बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है।

*लीबिया में फंसे 17 भारतीय अपने वतन लौट, कैसे बनाए गए बंधक, बयां किया दर्द*

#17_indians_were_safely_evacuated_from_libya 

करीब 6 महीनों से लीबिया में फंसे 17 भारतीय भारत लौट आए हैं।इन भारतीय नागरिकों को सशस्त्र बलों ने बंधक बनाया था। विदेश मंत्रालय के सतत प्रयासों से लीबिया में एक सशस्त्र समूह द्वारा बंधक बनाये गए 17 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालकर भारत वापस लाया गया है।पंजाब और हरियाणा के रहने वाले भारतीय नागरिक रविवार को दिल्ली पहुंचें। 

इन भारतीयों को वापस भारत पहुंचाने में ट्यूनिशिया स्थित भारतीय दूतावास ने अहम भूमिका निभाई है। यह मामला ट्यूनिस में भारतीय दूतावास के पास तब आया, जब 26 मई को लीबिया में फंसे भारतीय नागरिकों के परिवारवालों ने बात की। वहां फंसे भारतीय नागरिकों के परिवार के सदस्यों ने 26 मई को इस मामले पर ट्यूनिश स्थित भारतीय दूतावास का ध्यान आकर्षित कराया था।

सूत्रों ने बताया कि ट्यूनिश में भारतीय राजदूत और नयी दिल्ली से विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के उच्च स्तरीय हस्तक्षेप से लीबिया प्रशासन ने इन्हें रिहा करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने बताया कि लीबिया में इन भारतीय नागरिकों के रुकने के दौरान भारतीय दूतावास ने उनकी सभी जरूरतों का ध्यान रखा। चूंकि इनके पास कोई पासपोर्ट नहीं था, ऐसे में उनकी भारत यात्रा करने के लिए उन्हें आपात प्रमाणपत्र जारी किए गए। इसके अलावा भारत लौटने के लिए टिकटों का भुगतान भी भारतीय दूतावास ने किया।

यह सभी लोग फरवरी और अप्रैल के बीच इटली में नौकरी पाने की उम्मीद में भारत से निकले थे, लेकिन इनको लीबिया में बेच दिया गया। इन लोगों को भारत से पहले दुबई ले जाया गया, फिर इनको मिस्त्र ले जाया गया और आखिर में इन लोगों को लीबिया के ज़ुवारा में उनके एजेंट्स के ग्रुप ने बेच दिया। एजेंट्स ने इन लोगों को अलग-अलग देश में ले जाने के लिए लाखों रुपए की मांग की। इस पूरी प्रक्रिया के तहत पीड़ित भारतीयों को करीब 12 से 14 लाख का नुकसान हुआ। कई लोग अपने जमीन बेचकर भारत से निकले थे।एजेंट्स ने इन लोगों के साथ धोखा किया और अवैध और अत्यधिक खतरनाक तरीके अपनाकर इनको लीबिया पहुंचा दिया।

*चंद्रयान 3 की शॉफ्ट लैंडिंग के साथ चंद्रमा पर छप जाएंगे भारत की मौजूदगी के निशान, चांद पर कदम रखते ही प्रज्ञान रोवर बनाएगा “अशोक स्तम्भ”*

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चमकते चांद को वो अंजान हिस्सा, जिसकी जानकारी धरती पर रह रहे हम मानवों को नहीं है। क्या वहां जीवन की संभावना है? इसी सवाल का जवाब जानने भारत का मिशन चंद्रयान-3 हर मुश्किल और चुनौतियों को पार करते हुए अपनी मंजिल की ओर बढ़ता चला जा रहा है।चंद्रयान-3 की चांद की सतह पर लैंडिंग के लिए अतिम चरण में है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने बताया कि चद्रयान-3 को 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग कराने के लिए उसे कक्षा में थोड़ा और नीचे सफलतापूर्वक पहुंचा दिया है। चंद्रयान को बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है।

लैंडिंग कर चंद्रयान दो रिकॉर्ड बनाएगा

लैंडिंग के दौरान चंद्रयान दो रिकॉर्ड बनाएगा। पहला, अगर सॉफ्ट लैंडिंग सफल रही तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत यह कारनामा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। दूसरा रिकॉर्ड तब बनेगा जब चंद्रयान-3 चांद पर राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ बनाएगा। इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 के लैंडर को करीब 30 मीटर की ऊंचाई से चांद पर उतरने में 15 से 20 मिनट का वक्त लगेगा। इस प्रक्रिया के दौरान विक्रम लैंडर से रैम्प की मदद से 6 व्हील वाले प्रज्ञान रोवर को चांद पर उतारा जाएगा। धीरे-धीरे यह बाहर आएगा। इसरो इसे कमांड देगा और यह अपने पहियों के जरिए ही चांद की जमीन पर भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ को बनाएगा। 

चंद्रमा पर भारत की मौजूदगी के होंगे निशान

लैंडर से निकलने के बाद रोवर प्रज्ञान न केवल डेटा इकठ्ठा करेगा बल्कि चंद्रमा की सतह पर हमेशा के लिए भारत की मौजूदगी के निशान भी छोड़ेगा। रोवर का पिछला पहिया इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह आगे बढ़ने पर अपने पीछे चंद्रमा की सतह पर सारनाथ में अशोक की लाट से लिया गया भारत का राष्ट्रीय चिह्न अंकित करेगा। इसका दूसरा पिछला पहिया इसरो का निशान प्रिंट करेगा जो हमेशा के लिए चांद पर भारत की मौजूदगी का प्रमाण होगा।

चंद्रयान-3 का लैंडिंग प्रोसेस

चंद्रयान-3 का लैंडिंग प्रोसेस भी जान लीजिए। 25 किमी की ऊंचाई से लैंडिंग प्रोसेस शुरू होगा। लैंडर की रफ्तार 1,680 मीटर प्रति सेकेंड से 2 मीटर प्रति सेकेंड पर लानी होगी। लैंडर रोवर दोनों ही पावर जेनरेट करने के लिए सोलर पैनल यूज करेंगे। अभी चंद्रमा पर रात है और 23 अगस्त को सूर्योदय होगा। उसके बाद चंद्रयान-3 की लैंडिंग की जाएगी।

14 दिन तक आंकड़े जुटेगा

चंद्रमा की सतह पर उतरते ही विक्रम लैंडर के उतरते ही उसमें मौजूद रोवर प्रज्ञान अपना काम शुरू कर देगा और इसरों को आंकड़े भेजने लगेगा। लैंडिंग के बाद प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर 14 दिन तक घूम-घूमकर आंकड़े जुटाएगा। इसमें लगे 2 उपकरणों में से एक अल्फा पार्टिकल एक्सरे स्पेक्टोमीटर (APXS) चंद्रमा की सतह पर किसी धातु की खोज और उसकी पहचान करेगा, जबकि दूसरा अन्य जानकारी एकत्रित करेगा।

सॉफ्ट लैंडिंग का होगा सीधा प्रसारण

चंद्रयान-3 मिशन के जरिए अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करेगा। यह उपलब्धि भारतीय विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और उद्योग की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में राष्ट्र की प्रगति को प्रदर्शित करता है। इस बहुप्रतीक्षित कार्यक्रम का टेलीविजन पर 23 अगस्त को सीधा प्रसारण किया जाएगा, जो इसरो की वेबसाइट, इसके यूट्यूब चैनल, इसरो के फेसबुक पेज, और डीडी (दूरदर्शन) नेशनल टीवी चैनल सहित कई मंचों पर पांच बजकर 27 मिनट से शुरू होगा।

*एशिया कप के लिए टीम इंडिया का ऐलान, राहुल-श्रेयस की वापसी, तिलक वर्मा पहली बार वनडे टीम में शामिल*

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एशिया कप 2023 के लिए बीसीसीआई ने टीम इंडिया का एलान कर दिया है। बीसीसीआई ने 2023 एशिया कप के लिए अभी 17 सदस्यीय टीम का चयन किया है। टूर्नामेंट की टीम का ऐलान भारतीय टीम के चीफ सेलेक्टर अजीत अगरकर और कप्तान रोहित शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए किया।अजीत अगरकर की अगुवाई में भारतीय सेलेक्टर्स ने दिल्ली में बैठक कर इस बड़े काम को अंजाम दिया। इस दौरान टीम के हेड कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा भी साथ रहे। भारतीय चयनकर्ताओं ने 17 खिलाड़ियों के नामों पर एशिया कप के लिए मुहर लगाई है। वहीं बैक अप के तौर पर संजू सैमसन को रखा गया है।

इन खिलाड़ियों की वापसी

केएल राहुल और श्रेयस अय्यर की टीम में वापसी हुई है। दोनों पिछले काफी समय से चोट की वजह से बाहर थे। अब दोनों की वापसी हुई है। केएल राहुल और श्रेयस अय्यर की वापसी से टीम इंडिया का मिडिल ऑर्डर काफी मजबूत नजर आ रहा है। वहीं, जसप्रीत बुमराह और प्रसिद्ध कृष्णा भी वनडे टीम में वापसी कर रहे हैं। यह दोनों भी चोटिल थे। अजीत अगरकर की अगुआई वाली चयन समिति ने तिलक वर्मा को चुनकर चौंकाया है।उन्होंने हाल ही में वेस्टइंडीज दौरे पर टी20 डेब्यू किया था।

एशिया कप के लिए टीम इंडिया

रोहित शर्मा (कप्तान), शुभमन गिल, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, केएल राहुल, सूर्यकुमार यादव, तिलक वर्मा, ईशान किशन, हार्दिक पांड्या, रवींद्र जडेजा, शार्दुल ठाकुर, अक्षर पटेल, कुलदीप यादव, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज, प्रसिद्ध कृष्णा।

एशिया कप का आगाज़ 30 अगस्त से

बता दें कि 2023 एशिया कप का आगाज़ 30 अगस्त से होगा। टूर्नामेंट का पहला मैच पाकिस्तान और नेपाल के बीच खेला जाएगा। वहीं टीम इंडिया 2023 एशिया कप में अपना पहला मैच पाकिस्तान के खिलाफ 2 सितंबर को खेलेगी। वहीं एशिया कप का फाइनल मुकाबला 17 सितंबर को खेला जाना है।

सुप्रीम कोर्ट ने रेप पीड़िता को दी गर्भपात की अनुमति, कहा-शादी से पहले 'मां' बनना, मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

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सुप्रीम कोर्ट ने एक रेप पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है। गर्भपात की अनुमति के लिए दायर की गई याचिका को गुजरात हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था, ऐसे में उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने कहा है कि अगर भ्रूण जीवित पैदा होता है तो सरकार प्रयास करे कि वह जिंदा रह सके।

सुप्रीम कोर्ट ने रेप पीड़िता को गर्भपात कराने की अनुमति तो दे दी और इसके साथ ही बड़ी टिपण्णी भी की है। कोर्ट ने कहा कि गर्भावस्था किसी परिवार के लिए ख़ुशी का स्त्रोत होता है, लेकिन कई बार यह बेहद ही दुखी करने वाला होता है।कोर्ट ने कहा कि भारतीय समाज में, विवाह संस्था के भीतर, गर्भावस्था एक जोड़े और समाज के लिए बेहद ही खुशी का पल होता है। लेकिन शादी के बिना या महिला के बिना मर्जी के होने पर उसके मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। इसलिए इस मामले में कोर्ट महिला के गर्भपात की अनुमति देता है।

भ्रूण जिंदा मिलने पर कोर्ट का ये आदेश

पीठ ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट के मद्देनजर हम पीड़िता को गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देते हैं। आगे कहा कि यदि भ्रूण जीवित पाया जाता है, तो अस्पताल भ्रूण के जीवित रहने को सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक सहायता देगा। यदि यह जीवित रहता है, तो राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएगा कि बच्चे को गोद लिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट की भी आलोचना

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता से जुड़े एक मामले में आदेश देने पर गुजरात हाईकोर्ट को फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट की आलोचना करते हुए कहा था कि बहुत कीमती वक्त बर्बाद हो गया है। ऐसे मामलों में फौरन फैसला होना चाहिए।

यह है मामला

बता दें, एक दुष्कर्म पीड़िता ने गर्भपात कराने की इजाजत मांगी थी, जिस पर गुजरात हाईकोर्ट ने शनिवार को उसे राहत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को आज के लिए सूचीबद्ध किया था। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को एक विशेष बैठक में पीड़िता की गर्भावस्था को समाप्त करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसकी दोबारा मेडिकल जांच का आदेश दिया था और अस्पताल से 20 अगस्त तक रिपोर्ट मांगी थी।

गुजरात की दुष्कर्म पीड़िता 25 साल की है। पीड़िता का दावा है कि 04 अगस्त को उसे अपनी गर्भ का पता चला। जिसके बाद उसने 07 अगस्त को कोर्ट में अर्जी लगाआ थी। कोर्ट ने बोर्ड बनाया और 11 अगस्त को रिपोर्ट आई। बोर्ड हमारी दलील के समर्थन में था। लेकिन गुजरात हाई कोर्ट ने सरकार की नीति के हवाले देकर अर्जी को खारिज कर दी थी।