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राहुल गांधी फिर अमेठी से लड़ेंगे लोकसभा चुनाव? यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय का बड़ा ऐलान

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लोकसभा चुनाव 2024 में अभी वक्त बचा है, हालांकि सभी दल तैयारी में जुटे हुए हैं, इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। यूपी कांग्रेस के नए अध्यक्ष अजय राय ने कहा है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आना वाला लोकसभा चुनाव अमेठी से लड़ेंगे।बता दें कि वर्तमान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद हैं।

आम चुनाव को देखते हुए कांग्रेस ने पार्टी में कई बड़े फेरबदल किए हैं। इसी फेरबदल के तहत यूपी कांग्रेस की कमान अजय राय को दी गई है।पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उत्तर प्रदेश पहुंचे कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि कांग्रेस 2024 के चुनाव में बीजेपी को हराएगी।साथ ही अजय राय ने राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़ने का बयान देकर सबको चौंका दिया।उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि राहुल गांधी बिल्कुल अमेठी से चुनाव लड़ेंगे। जहां से प्रियंका गांधी की इच्छा चुनाव लड़ने की होगी तो वहीं से लड़ेंगी, प्रियंका जी चाहें तो वाराणसी से चुनाव लड़ सकती हैं, हमारा एक एक कार्यकर्ता उनके लिए जान लगा देगा।

वहीं इस दौरान अजय राय ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पर भी जमकर हमला बोला।एक सवाल के जवाब में कहा कि स्मृति ईरानी बौखला गईं हैं। वो 13 रुपये किलो चीनी दिला रहीं थीं। पूछा कि 13 रुपये किलो चीनी मिल रहा है क्या? अजय राय ने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व ने जो विश्वास किया है उस विश्वास को लेकर आम जनता में जाएंगे। बता दें कि वर्तमान में अमेठी की संसदीय सीट पर भाजपा कायम है। अमेठी की सीट से भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी सांसद हैं।

बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी तीन बार अमेठी सीट से सांसद रह चुके हैं लेकिन साल 2014 में उन्हें भाजपा की कद्दावर नेता स्मृति ईरानी से हार मिली। अमेठी लोकसभा सीट कांग्रेस की पारवारिक सीट रही है. इस सीट से संजय गांधी, पूर्व पीएम राजीव गांधी, सोनिया गांधी भी लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. इसके अलावा अमेठी लोकसभा सीट से राहुल गांधी भी लगातार तीन बार सांसद रह चुके हैं। हालांकि, 2019 के चुनाव में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के किले में सेंध लगा दी थी। इस दौरान राहुल गांधी ने दो जगहों से चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें केरल के वायनाड से जीत मिली थी और वायनाड से जीतकर राहुल गांधी संसद में पहुंचे।

पटना हवाई अड्डा के नवनिर्मित सिविल विमानन निदेशालय भवन का सीएम नीतीश कुमार ने किया उद्घाटन, एयरपोर्ट पर चल रहे निर्माण कार्य का लिया जायजा

 

डेस्क :  आज पटना हवाई अड्डा के नवनिर्मित सिविल विमानन निदेशालय भवन का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फीता काटकर एवं शिलापट्ट अनावरण कर उद्घाटन किया। उद्घाटन के पश्चात् मुख्यमंत्री ने नवनिर्मित सिविल विमानन निदेशालय भवन का निरीक्षण किया। 

नवनिर्मित भवन के मीटिंग हॉल में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ बैठक की और वहां की व्यवस्थाओं के संबंध में विस्तृत जानकारी ली। इसके पश्चात् मुख्यमंत्री ने पटना हवाई अड्डा पर चल रहे निर्माण एवं सौंदर्यीकरण कार्य का भी जायजा लिया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये।

कार्यक्रम के पश्चात् पटना हवाई अड्डा से निकलकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि राज्य सरकार का जो क्षेत्र है वहां पर विकास कार्य कराए जा रहे हैं। एक हिस्से का काम हो गया है और एक हिस्से का कार्य प्रगति पर है, उसका हम जायजा लेने आए हैं। बहुत पहले ही हमने इस सड़क का चौड़ीकरण करवाया ताकि पटना एयरपोर्ट तक लोगों का आवागमन आसान हो सके।

उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र बहुत ही ऐतिहासिक है इसलिए यहां ज्यादा कुछ छेड़छाड़ कर निर्माण कार्य नहीं कर सकते हैं और वृक्षों को काटना भी ठीक नहीं है। बगल से भी हमलोग रास्ता बनवा रहे हैं ताकि पटना हवाई अड्डा तक पहुंचने में किसी को कोई दिक्कत नहीं हो। जब बिहटा एयरपोर्ट बन जाएगा तो फिर कोई दिक्कत नहीं होगी। दोनों एयरपोर्ट तक लोगों को आने-जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी ।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, वित्त, वाणिज्य कर एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव सह मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ० एस० सिद्धार्थ, पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत, अपर पुलिस महानिदेशक, विशेष शाखा सुनील कुमार, पटना के जिलाधिकारी चन्द्रशेखर सिंह, वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के निदेशक अंचल प्रकाश, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के जेनरल मैनेजर के०एस० विजयन सहित अन्य वरीय अधिकारी मौजूद थे।

12 दिन की शांति के बाद मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, गोलीबारी में तीन कुकी नागरिकों की मौत

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मणिपुर पिछले तीन महीने से ज्यादा समय से जल रहा है। राज्य में रूक रूककर हिंसा भड़क जा रही है। पिछले 12 दिनों से घाटी में शांति थी, लेकिन आज शुक्रवार की सुबह एक बार फिर हिंसा की खबर सामने आई है। मणिपुर के उखरुल जिले में शुक्रवार सुबह भड़की ताजा हिंसा के दौरान तीन कुकी लोगों की मौत हो गई।बताया जा रहा है कि सुबह करीब 4.30 गांव में उपद्रवियों ने गोलीबारी की जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई है। इस हमले के पीछे मैतेई समुदाय का हाथ बताया जा रह है। फिलहाल पुलिस गोलीबारी करने वालों की पहचान करने में जुटी है।

मणिपुर पुलिस ने बताया कि यह घटना उखरूल जिले से लगभग 47 किलोमीटर दूर स्थित थोवई गांव में सुबह करीब 4.30 बजे हुई, यह कुकी बहुल गांव है। उखरुल के पुलिस अधीक्षक एन वाशुम के मुताबिक, हथियारबंद उपद्रवियों का एक समूह गांव के पूर्व में स्थित पहाड़ियों से गांव के पास आया और ग्राम रक्षकों पर गोलीबारी शुरू कर दी। घटना में गांव के 3 लोगों की मौत हो गई है। किसी के घायल होने की खबर नहीं है।

बताया जा रहा है कि मैतेई उपद्रवियों ने सबसे पहले गांव के ड्यूटी पोस्ट पर हमला किया, जहां स्वयंसेवक गांव की सुरक्षा के लिए ड्यूटी कर रहे थे। इस गोलीबारी में कुकी स्वयंसेवकों के तीन लोगों के मारे जाने की खबर है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अधिकारियों ने बचाया है कि जब पुलिस ने सर्च अभियान चलाया तब यहां जंगल के इलाके से 3 शव बरामद हुए हैं। मारे गए लोगों की पहचान जामखोगिन हाओकिप (26), थांगखोकाई हाओकिप (35) और होलेनसोन बाइते (24) के रूप में हुई है।चाकू से इनके शरीर पर निशान बनाए गए हैं, जबकि अंगों को भी काटा गया है।

राज्य में अब तक 190 लोगों की मौत

मैतइ और कुकी समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर शुरू हुई जातीय हिंसा ने धीरे-धीरे पूरे राज्य में हिंसा का स्वरूप ले लिया था, जिसके बाद कई जान चली गई। हिंसा की ताजा घटना के साथ, मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष में कम से कम 190 लोग मारे गए हैं। राज्य में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच व्यापक हिंसा देखी गई है। हिंसा भड़कने के बाद से लगभग 60,000 लोग अपने घरों से भागने को मजबूर हो गए हैं। राज्य में बलात्कार और हत्या के मामले सामने आए हैं और केंद्रीय सुरक्षा बलों की भारी उपस्थिति के बावजूद भीड़ ने पुलिस शस्त्रागार लूट लिया और कई घरों में आग लगा दी।

हिंसा की वजह

बता दें कि मणिपुर में बहुसंख्यक मैतई समुदाय जनजातीय आरक्षण देने की मांग कर रहा है। इसकी वजह ये है कि मैतई समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है लेकिन ये लोग राज्य के सिर्फ 10 प्रतिशत मैदानी इलाके में रहते हैं। वहीं कुकी और नगा समुदाय राज्य के पहाड़ी इलाकों में रहते हैं जो की राज्य का करीब 90 फीसदी है। जमीन सुधार कानून के तहत मैतई समुदाय के लोग पहाड़ों पर जमीन नहीं खरीद सकते, जबकि कुकी और नगा समुदाय पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। यही वजह है, जिसकी वजह से हिंसा शुरू हुई और अब तक इस हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

शोएब अख्तर का बड़ा बयान, कहा-भारत के पैसे से पलते हैं पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ी

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पाकिस्तानी के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर रिटायरमेंट के बाद भी अपने बयानों के कारण सुर्खियों में बने रहते हैं। एक बार फिर पूर्व क्रिकेटर ने ऐसा बयान दिया है, जिससे विवाद गहरा सकता है। उन्होंने भारतीय खेल पत्रकार को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान क्रिकेट को लेकर बड़ी बात कही है। शोएब अख्तर ने कहा कि भारत के पैसों से पाकिस्तान के क्रिकेटर पलते हैं।अख्तर के इस बयान पर पाकिस्तान में काफी बवाल हो सकता है।

शोएब अख्तर ने वरिष्ठ खेल पत्रकार बोरिया मजूमदार से खास बातचीत में बताया कि बीसीसीआई वर्ल्ड क्रिकेट में कितनी पावरफुल एसोसिएशन है।एशिया कप में भारत-पाकिस्तान के मुकाबले को लेकर बोरिया मजूमदार से बातचीत के दौरान शोएब अख्तर ने इस बात को माना कि बीसीसीआई के जरिए जो पैसा आईसीसी के पास आता है और फिर इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल रेवेन्यू शेयरिंग के तहत वो पैसा पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को भेजती है। उसी पैसे के दम पर ही पाकिस्तान में घरेलू क्रिकेटर्स को मैच फीस मिल पाती है।

शोएब अख्तर ने ये भी कहा कि वर्ल्ड कप 2023 सुपरहिट होने वाला है। अख्तर ने भविष्यवाणी करते हुए कहा कि बीसीसीआई इस वर्ल्ड कप से काफी पैसा कमाएगी। इससे बीसीसीआई की आर्थिक स्थिति और ज्यादा मजबूत हो जाएगी।साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मैं चाहता हूं कि भारत इस विश्व कप से खूब पैसे बनाए।कई लोग इस बात को कहने से हिचकेंगे।लेकिन मैं साफ कहता हूं कि भारत से जो रेवेन्यू आईसीसी को जाता है। उसका हिस्सा पाकिस्तान में भी आता है और इससे हमारे घरेलू क्रिकेटरों को मैच फीस मिलती है। यानी भारत से जो पैसा आ रहा है, उससे हमारे युवा क्रिकेटर पल रहे हैं।

शोएब अख्तर ने आईगे कहा कि भारत-पाकिस्तान मैच में एक बार फिर टीम इंडिया पर ही दबाव होगा। अख्तर ने कहा कि ये दबाव मीडिया की वजह से बनता है। लगातार टीम इंडिया की जीत के ही दावे किए जाते हैं। स्टेडियम भी बिल्कुल ब्लू कर दिए जाते हैं। इससे पाकिस्तान को मदद ही मिलती है क्योंकि वो अपने आप ही डार्कहॉर्स बन जाती है और इससे उसके खिलाड़ियों को खुलकर खेलने में मदद मिलती है।

हिंदू से मुसलमान में कन्वर्ट होने वाले गुलाम नबी के बयान पर महबूबा मुफ्ती ने कसा तंज, कहा-कहीं उनके पूर्वज बंदर न निकल जाएं

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कांग्रेस पार्टी के पूर्व वरिष्ठ नेता और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के मुखिया गुलाम नबी आजाद के बयान पर घमासाम छिड़ता दिख रहा है।दरअसल, गुलाम नबी आज़ाद ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया है कि सभी भारतीय मुसलमान हिंदू धर्म से कन्वर्ट हुए हैं।आजाद के इस बयान पर जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने तंज कसा है। मुफ्ती ने कहा है कि अगर गुलाम नबी आजाद थोड़ा और पीछे जाएं तो कहीं ऐसा न हो कि उनके पूर्वज बंदर निकल जाएं।

गुलाम नबीं आजाद के बयान पर तंज कसते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा, मुझे नहीं पता कि वह कितना पीछे चले गए और उन्हें अपने पूर्वजों के बारे में क्या ज्ञान है। मैं उनसे बहुत पीछे जाने की सलाह दूंगी और हो सकता है कि उसे वहां पूर्वजों में कुछ बंदर मिल जाएं।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डोडा जिले में एक सभा को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान आजाद ने कहा, कुछ बीजेपी नेता ने कहा कि कुछ मुसलमान बाहर से आए हैं और कुछ नहीं। कोई भी बाहर या अंदर से नहीं आया है। इस्लाम सिर्फ 1,500 साल पहले वजूद में आया था। हिंदू धर्म बहुत पुराना है। उनमें से लगभग 10-20 मुसलमान हैं। कुछ बाहर से आए होंगे लेकिन कुछ मुगल सेना में थे।उन्होंने कहा, भारत में अन्य सभी मुसलमानों ने हिंदू धर्म छोड़ दिया। इसका एक उदाहरण कश्मीर में पाया जा सकता है। 600 साल पहले कश्मीर में मुसलमान कौन थे? सभी कश्मीरी पंडित थे।उन्होंने इस्लाम अपना लिया। सभी इसी धर्म में पैदा हुए हैं।उन्होंने कहा कि यह हमारा घर है। हम बाहर से नहीं आये हैं।हम इसी मिट्टी पर पैदा हुए हैं और इसी में फना हो जाएंगे।

अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, कहा-हमें ये देखना है संविधान का उल्लंघन तो नहीं हुआ

#supreme_court_hearing_on_article_370_abrogation

जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को हटाने को लेकर शीर्ष अदालत में बहस जारी है।आर्टिकल 370 को बेअसर करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।गुरुवार को सुनवाई के सातवें दिन के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने को सिर्फ इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है कि इसमें संवैधानिक प्रावधानों का कथित तौर पर उल्लंघन हुआ है। इस आधार पर नहीं कि इस कदम को उठाने के लिए सरकार की मंशा क्या थी। अगली सुनवाई अब 22 अगस्त मंगलवार को होगी।

सुनवाई के दौरान सीजआई के नेतृत्व में बनी संविधान पीठ ने गुरुवार को याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे से पूछा, क्या आप अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के सरकार के फैसले की समझदारी की समीक्षा करने के लिए अदालत को आमांत्रित कर रहे हैं? आप कह रहे हैं कि सरकार के फैसले के आधार का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए कि अनुच्छेद 370 को जारी रखना राष्ट्रीय हित में नहीं था? इस पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बी आर गवई और सूर्यकांत शामिल हैं।

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के विरोध में दलील पेश करते हुए एडवोकेट दुष्यंत दवे ने कहा कि वो संविधान के साथ धोखाधड़ी की तरफ इशारा कर रहे हैं। केंद्र सरकार का फैसला पूरी तरह सियासी था। उन्होंने कहा कि अगर आप पूरे घटनाक्रम को देखें तो फैसले से पहले जम्मू कश्मीर की विधानसभा भंग कर दी गई थी और संसद के पास शक्ति के साथ राष्ट्रपति को भी अनुच्छेद 356 के तहत शक्ति हासिल थी। उन्होंने अनुच्छेद 370 के उपखंड तीन का हवाला देते हुए कहा कि इस आधार पर अनुच्छेद 370 को हटाया ही नहीं जा सकता था। केंद्र सरकार ने संविधान के साथ धोखाधड़ी की थी।

सुनवाई के दौरान दवे ने ये भी दलील दी कि आर्टिकल 370 को सिर्फ संविधान में संशोधन के जरिए ही खत्म किया जा सकता था। उन्होंने कहा, एक नैरेटिव है कि आर्टिकल 370 की वजह से ही जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है, लेकिन ये पूरी तरह गलत है। जम्मू-कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है। यहां तक कि जवाहर लाल नेहरू ने भी इस नैरेटिव को खारिज किया।

इस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राष्ट्रपति को आर्टिकल 356 के तहत संविधान के कुछ प्रावधानों को निलंबित करने की शक्ति है। बेंच ने कहा कि जनवरी 1957 में जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा भंग होने के बाद अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के प्रावधान को अकेले अस्तित्वहीन नहीं माना जा सकता है। आर्टिकल 370 के कुछ हिस्से अगले 62 सालों तक प्रभाव में रहे।

साल दर साल तबाह हो रहा हिमाचल प्रदेश, केवल कुदरत का कहर या मानवीय चूक भी इसके लिए जिम्मेदार?

#himachal_cause_of_disaster

पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश से हिमाचल प्रदेश में भारी तबाही हो रही है।पिछले दो महीने से राज्य के किसी न किसी क्षेत्र में बादल फट जाने की घटना हो जाती है।बारिश के साथ-साथ बादल फटने की घटनाएं भयानक तबाही मचा रही हैं। इसके अलावा भूस्खलन से पहाड़ टूट रहे हैं, जिसके कारण मंडी, शिमला, कुल्लू और अन्य क्षेत्रों में हालात काफी बिगड़े हुए हैं।हिमाचल प्रदेश में इस हफ्ते हुई तबाही में अब तक कम से कम 70 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 7500 करोड़ का अभी तक नुकसान हुआ है। यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।

दस साल पहले 2013 में केदार नाथ हादसा हुआ था, जिससे पूरा गढ़वाल क्षेत्र चौपट हो गया था। उस समय चूंकि चार धाम यात्रा भी चल रही थी, इसलिए कोई दस हजार के करीब तीर्थ यात्री मारे गये थे।यही अब हिमाचल में हो रहा है। जुलाई में मंडी के आसपास का इलाका नष्ट हुआ था और अगस्त की बारिश ने राजधानी शिमला को ध्वस्त कर दिया।

इन हालात में तबाही के लिए पूरी तरह कुदरत को दोष देना सही नहीं है। कहीं न कही मानवीय चूक भी इसके लिए जिम्मेदार है।हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य में इस हफ्ते हुई तबाही के लिए अंधाधुंध निर्माण कार्य को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि बिना नक्शे के गलत तरीके से बन रहे मकान और प्रवासी वास्तुकारों के कारण प्रदेश को आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोग बिना नक्शे का उपयोग किए घर बना रहे हैं। हाल ही में बनी इमारतों में जल निकासी की व्यवस्था बहुत खराब है। वो बिना यह जाने पानी बहा रहे हैं कि पानी कहीं और नहीं बल्कि पहाड़ियों में जा रहा है, जिससे यहां की स्थिति नाजुक हो रही है।राजधानी शिमला पर टिप्णणी करते हुए सीएम ने कहा, शिमला डेढ़ सदी से भी अधिक पुराना शहर है और इसकी जल निकासी व्यवस्था उत्कृष्ट थी। लेकिन अब नालों पर इमारतें बन गई हैं।आजकल जो मकान गिर रहे हैं, वो स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के मानकों से नहीं गुजरे हैं।

शिमला तो ब्रिटिश कालीन भारत की समर कैपिटल हुआ करती थी। गर्मियां शुरू होते ही वायसरॉय कलकत्ता से शिमला आ जाया करते। कालका एक्सप्रेस ट्रेन चलाई ही इसीलिए गई थी। हावड़ा से वाया दिल्ली कालका और फिर टॉय ट्रेन से शिमला।इतना करने के बाद भी ब्रिटिशर्स ने किसी भी पहाड़ी शहर का प्राकृतिक दोहन नहीं किया। क्योंकि उन्हें पता था, कि हिमालय के पहाड़ कच्चे हैं। उनका व्यावसायिक इस्तेमाल किया तो वे ढह जाएंगे। यही कारण है कि जब तक अंग्रेज रहे न यहां कभी बादल फटा न आफत की बारिश आई।

आजादी के बाद से भारत की हर चीजों को लूटने का सिलसिला शुरू हुआ। तो वहीं विकास के नाम पर प्रकृति के साथ खिलवाड़ का भी सिलसिला शुरू हो गया। आज हिमाचल की स्थिति बहुत ख़राब हो चली है। कालका-शिमला रोड को चौड़ा करने के पहले भी कई बार आगाह किया गया था, कि यहां पहाड़ों का खनन ठीक नहीं है। पर तब सरकार नहीं चेती। कालका से शिमला जाते हुए धर्मपुर को इतना व्यावसायिक स्वरूप दे दिया गया है, कि पूरा क्षेत्र बर्बादी के कगार पर है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के एक 2017 में हुए एक शोध से पता चला था कि हिमाचल प्रदेश में कुल 118 हाइड्रो प्रोजेक्ट हैं जिनमें से 67 पहाड़ खिसकने वाले ज़ोन में हैं। राज्य के आदिवासी बहुल ज़िले किन्नौर, कुल्ली और कई अलग हिस्सों में जब हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाये जा रहे थे तब पर्यावरणविदों और प्रभावित स्थानीय नागरिकों ने उनका विरोध भी किया था और कई जन अभियान भी चले थे। हिमालय के पहाड़ अभी छोटे बच्चे की तरह हैं, जो निरंतर बढ़ रहे हैं। माउंट एवरेस्ट की हाइट भी हर साल एक सेंटीमीटर से ज्यादा बढ़ रही है। ऐसे हिमालय में अवैज्ञानिक व अंधाधुंध कटिंग तबाही का बड़ा कारण है।

मौसम अलर्ट : प्रदेश के पांच जिलों में हो सकती है भारी, राजधानी पटना समेत इन जिलों में मध्यम बारिश की संभावना

डेस्क : प्रदेश के पांच जिलों में शुक्रवार को भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। वहीं पटना समेत राज्य के उत्तर-पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-मध्य भाग के जिलों में हल्की से मध्यम स्तर की बारिश की संभावना है।

मौसम विभाग के अनुसार औरंगाबाद, रोहतास, कैमूर, गया और किशनगंज में भारी बारिश की संभावना जताई गई है। वहीं, प्रदेश के उत्तर मध्य भाग को छोड़कर सभी जिलों में वज्रपात के आसार हैं। मानसून की द्रोणी रेखा का पश्चिम छोर हिमालय की तलहटी में है। वहीं पूर्वी छोर बाराबंकी, डेहरी, रांची और दीघा से गुजरते हुए दक्षिण-पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी तक प्रभावी है। इससे राज्य के पांच जिलों में भारी बारिश के अलावा मेघ गर्जन व वज्रपात की आशंका है।

बीते गुरुवार को प्रदेश के अररिया में अति भारी बारिश हुई। वहीं भारी बारिश पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, बांका और भागलपुर जिले के कुछ स्थानों पर हुई। इसके अलावा हल्की से मध्यम स्तर की बारिश प्रदेश के दक्षिण-मध्य और दक्षिण-पूर्व भाग के अधिकतर जगहों पर व उत्तरी भाग के अनेक स्थानों में हुई। 

मौसम विभाग के अनुसार अररिया के फारबिसगंज में 117.4, पूर्वी चंपारण के मोतिहारी में 75.2, गया के खीरसराय में 74.8 मिमी, बांका के बोसी में 74.2 मिमी, पश्चिम चंपारण के लौरिया नंदनगढ़ में 68.4 मिमी, भागलपुर में 67.2 मिमी, पूर्वी चंपारण के सुगौली में 62.8 मिमी, खगड़िया के बेलदौर में 60.4 मिमी, सुपौल में 56.6 मिमी, जहानाबाद के मखदुमपुर में 54.4 मिमी, किशनगंज के टेढ़ागाछ में 52.8 मिमी बारिश हुई।

पटना में वायरल बीमारियों का बढ़ रहा प्रकोप, डॉक्टरों ने सतर्क रहने को कहा

डेस्क : राजधानी पटना में वायरल बीमारियो का प्रकोप बढ़ता दिख रहा है। अस्पतालों में वायरल सर्दी-खांसी, बुखार, टायफाइड, आंखों में वायरल कंजक्टिवाइटिस, डायरिया आदि बीमारियों का प्रकोप ज्यादा दिख रहा है। 

अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले लगभग 50 प्रतिशत मरीज इन मौसमी बीमारियों से पीड़ित रह रहे हैं। सामान्य मेडिसिन, टीबी और छाती रोग, चर्म रोग, गैस्ट्रोलॉजी, नेत्र रोग से लेकर शिशु रोग विभाग में आने वाले आधे से अधिक मरीज इन बीमारियों से पीड़ित रह रहे हैं। 

पीएमसीएच ओपीडी में मंगलवार को 2100 मरीज अलग-अलग विभागों में पहुंचे। इनमें से 900 से एक हजार मरीज मौसमी वायरल बीमारियों और चर्म रोग से पीड़ित थे।

पीएमसीएच के मेडिसिन विभाग के वरीय चिकित्सक तथा आईजीआईएमएस के शिशु रोग विशेषज्ञ, क्षेत्रीय चक्षु संस्थान के हेड ने बताया कि अगस्त में भी अचानक तेज धूप और बारिश के कारण मौसम में काफी उमस और गर्मी की स्थिति है। 

जितना तेजी से वातावरण ठंडा-गर्म होता है, शरीर उतना तेजी से सामंजस्य नहीं बैठा पाता है। यह मौसम वायरस जनित बीमारियों के लिए भी अनुकूल है। ऐसे में सर्दी, खांसी, बुखार और डायरिया जैसी बीमारी महामारी का रूप ले रही है। 

डॉक्टरों ने कहा कि वायरल बीमारियों से बचने के लिए लोगों को सावधान और सतर्क रहने की जरुरत है।

राजधानी पटना में तीन दिवसीय वैदिक सम्मेलन का हुआ शुभारंभ, राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया उद्घाटन


डेस्क : राजधानी पटना में महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन और महावीर मन्दिर पटना के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिनों का वैदिक सम्मेलन आज गुरुवार को प्रारंभ हुआ। पटना के महाराणा प्रताप भवन में राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने वैदिक सम्मेलन का दीप प्रज्वलित कर विधिवत् उद्घाटन किया। उन्होंने चारों वेदों पर माल्यार्पण कर नमन किया। 

अपने उद्घाटन संबोधन में राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि भारत की आत्मा आध्यात्मिक है। एक हजार साल की विदेशी गुलामी और आक्रमणों के बावजूद हमारी आध्यात्मिक चेतना जीवित है। महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान द्वारा वेदों के प्रचार-प्रसार के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि बिहार की समृद्ध परंपरा रही है। महामहिम ने युवा पीढ़ी के बीच वेद के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया। 

महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि ज्ञान का मूल तत्व वेदों में है। उन्होंने बताया कि प्रतिष्ठान का बजट 50 करोड़ से बढ़कर 100 करोड़ कर दिया गया है। प्रतिष्ठान की ओर से वेद पर सालाना दो राष्ट्रीय सम्मेलन, 6 क्षेत्रीय सम्मेलन, 10-12 वेद महोत्सव, 100 से ज्यादा व्याख्यान आयोजित किए जा रहे हैं। प्रतिष्ठान द्वारा 125 संबद्ध वेद विद्यालयों और 250 गुरु-शिष्य परंपरा की इकाइयों में कुल लगभग 8 हजार वेद विद्यार्थियों को प्रतिमाह 5 हजार रुपये मानदेय दिया जा रहा है।

उद्घाटन सत्र के दौरान अपने संबोधन में आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि वेद धर्म का आधार है। महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान वेदों के संवर्धन के लिए प्रशंसनीय कार्य कर रहा है। 

आचार्य किशोर कुणाल ने बिहार के वैशाली स्थित इस्माइलपुर या पूर्वी चंपारण स्थित कैथवलिया में वेद विद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि दोनों स्थानों में कहीं भी महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान यदि संबद्धता देगा तो महावीर मन्दिर वहां वेद विद्यालय का निर्माण एवं उसकी स्थापना करेगा। इसके लिए दोनों स्थानों पर पर्याप्त जमीन उपलब्ध है। आचार्य किशोर कुणाल ने 11 हजार रुपये सालाना से 10 लाख रुपये प्रतिदिन महावीर मन्दिर की आय होने के पीछे पारदर्शिता को आधार बताया। उन्होंने राम रसोई, सीता रसोई, गरीब मरीजों को सहायता समेत जनहित के कार्यों की जानकारी दी। 

महाराणा प्रताप भवन में वैदिक सम्मेलन के पहले दिन सुबह उद्घाटन सत्र और दोपहर के सत्र में भी ॠग्वेद की एक शाखा, यजुर्वेद की तीन शाखा, सामवेद की तीन शाखा और अथर्ववेद की दो शाखाओं के वेद पाठ से अद्भुत नजारा दिखा। बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, बंगाल और मणिपुर राज्यों से आए 100 से अधिक वैदिक अध्यापकों ने वेद पाठ किया। वैदिक सम्मेलन में मणिपुर जैसे हिंसाग्रस्त राज्य से दो वेद अध्यापकों के आगमन की विशेष चर्चा हुई। 

इस अवसर पर पटना विश्वविद्यालय के संस्कृत के पूर्व विभागाध्यक्ष रामविलास चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान, नव नालंदा महाविहार के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. विजय कुमार कर्ण, कार्यक्रम के संयोजक पं भवनाथ झा, प्राणशंकर मजूमदार आदि मौजूद थे। मंच संचालन राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. शिवानन्द शुक्ल ने किया।