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यूपी एटीएस की हिरासत में सीमा हैदर, गुप्त जगह पर हो रही पूछताछ, सामने आया है पाकिस्तानी से सेना

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पाकिस्तान से चार बच्चों संग ग्रेटर नोएडा के रबूपुरा पहुंची महिला सीमा हैदर को यूपी पुलिस की एटीएस टीम ने हिरासत में ले लिया है। सीमा हैदर पर पाकिस्तानी जासूस होने का भी आरोप लग रहा है। सीमा हैदर शुरू से ही एटीएस के राडार पर थी, वह नेपाल के रास्ते अपने प्रेमी सचिन से मिलने भारत आई। अब एटीएस की टीम सीमा हैदर और उसके प्रेमी सचिन को अपने संग ले गई है।इनसे किसी गुप्त जगह पर पूछताछ कर रही है।

जानकारी के मुताबिक सोमवार को दोपहर में यूपी एटीएस की टीम सादे कपड़ों में ग्रेटर नोएडा स्थित सचिन के घर पहुंची और उन्हें अपने साथ लेकर चली गई. इस दौरान गली में मीडिया के आने पर रोक लगा दी गई। बता दें कि पुलिस टीम और सुरक्षा एजेंसियां सीमा हैदर के मामले को लेकर पूरी तरह से सजग हैं। हाल ही में पाकिस्‍तानी जासूस होने की आशंका में सीमा को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।

सीमा के आईडी कार्ड हाई कमीशन भेजे गए, जिससे पता चला है कि सीमा के चाचा पाकिस्तान आर्मी में सूबेदार और सीमा का भाई पाकिस्तानी सैनिक है। सीमा से अभी भारत की सुरक्षा एजेंसी पूछताछ करेंगी। प्रेम कहानी से लेकर भारत में आने तक के सभी पहलुओं पर पूछताछ हो रही है। यूपी पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने कहा कि सीमा एक पाकिस्तानी नागरिक है और उसके आने में बहुत सारे पेंच हैं। ऐसे में उससे पूछताछ लाजिमी है, इसलिए देश की सुरक्षा में लगी ऐसी सभी एजेंसी उससे पूछताछ करेंगी।

सीमा और सचिन मीणा 2019 में पबजी खेलने के दौरान एक-दूसरे के संपर्क में आए और फिर इनकी प्रेम कहानी शुरू हुई।इस गेमिंग ऐप पर दोनों ने नंबर एक्‍सचेंज कर लिए। इसके बाद पाकिस्‍तान की रहने वाली महिला सीमा ग्रेटर नोएडा के रहने वाले सचिन के प्यार में अपने चार बच्चों के साथ तीन देशों की सरहद पार कर भारत खिंची चली आई। 13 मई 2023 को सीमा हैदर नेपाल के रास्ते बस में सवार होकर भारत में आ गई। पुलिस ने सीमा को बिना वीजा के नेपाल के जरिए अपने चार बच्चों के साथ अवैध तरीके से भारत में घुसने को लेकर चार जुलाई को गिरफ्तार किया था। इसके साथ ही सचिन को अवैध शरणार्थी को पनाह देने के आरोप में जेल भेज था। हालांकि इन दोनों को बाद में छोड़ दिया था और अब फिर से यूपी एटीएस ने सीमा को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।

एस जयशंकर और डेरेक ओ'ब्रायन समेत 11 लोग राज्यसभा के लिए चुने जाएंगे निर्विरोध, 24 जुलाई को नहीं होगा मतदान

#sjaishankarderekobrienamong11electedrajyasabha

विदेश मंत्री एस जयशंकर और तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन समेत 11 नेता को निर्विरोध राज्यसभा के लिए चुना जाना तय है।

यही वजह है कि राज्यसभा के लिए 24 जुलाई को तय कार्यक्रम के मुताबिक मतदान नहीं होगा। बता दें कि राज्यसभा के लिए पश्चिम बंगाल की छह, गुजरात की तीन और गोवा की एक सीट पर 24 जुलाई को मतदान होना तय किया गया था।इन सीटों पर किसी भी पार्टी ने विरोधी उम्मीदवार नहीं उतारा है। 

चुनाव लड़ने के लिए नामांकन वापस लेने की आज (17 जुलाई) आखिरी तारीख थी। तृणमूल कांग्रेस के छह और भाजपा के पांच उम्मीदवार निर्विरोध चुने जाएंगे। पश्चिम बंगाल में एक राज्यसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी तृणमूल ने जीत हासिल की है। 

भाजपा के पांच उम्मीदवार निर्विरोध चुने जाएंगे

एस जयशंकर गुजरात से उच्च सदन में दूसरे कार्यकाल के लिए जीत दर्ज करेंगे। इनके अलावा बाबूभाई देसाई और केसरीदेव सिंह झाला गुजरात से, अनंत महाराज पश्चिम बंगाल से और सदानंद शेट तनावडे गोवा से चुने जाने वाले भाजपा उम्मीदवार हैं।

टीएमसी के छह उम्मीदवार निर्विरोध चुने जाएंगे

डेरेक ओ ब्रायन के अलावा निर्विरोध चुने जाने वाले अन्य तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेताओं में सुखेंदु शेखर रॉय, डोला सेन, साकेत गोखले, समीरुल इस्लाम और प्रकाश बारिक शामिल हैं।

बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंची बीजेपी

24 जुलाई के बाद 245 सदस्यीय राज्यसभा में सात सीटें खाली हो जाएंगी। इनमें जम्मू-कश्मीर में चार सीटें, दो मनोनीत और उत्तर प्रदेश में एक सीट। इससे राज्यसभा में कुल सीटों की संख्या घटकर 238 हो जाएगी। बहुमत का आंकड़ा 120 होगा। बीजेपी और उसके सहयोगी पार्टियों को मिलाकर 105 सदस्य हैं। बीजेपी को पांच नामांकित और दो निर्दलीय सांसदों का समर्थन मिलना भी तय है। इसके बावजूद मोदी सरकार के पास 112 सदस्यों का समर्थन होगा, जो बहुमत के आंकड़े से कम है।

धीरे-धीरे चांद के करीब जा रहा चंद्रयान-3, सफलतापूर्वक दूसरी कक्षा में पहुंचा

#chandrayaan3secondorbitraising

चंद्रयान-3 के साथ भारत ने एक बार फिर चांद की सतह पर पहुंचने की कोशिश शुरू की है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी (इसरो) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया।भारत का महत्वपूर्ण मिशन चंद्रयान 3 धीरे-धीरे कर चांद की तरफ बढ़ रहा है।भारत के अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान 3 ने सफलतापूर्वक पृथ्वी की दूसरी कक्षा में प्रवेश कर लिया है। इसरो ने एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है।

इसरो ने बताया कि चंद्रयान3 अब पृथ्वी से 41,603 किलोमीटर x226 किलोमीटर दूर स्थित पृथ्वी की कक्षा में मौजूद है।यह धरती के चक्कर लगाते हुए उसके गुरुत्वाकर्षण बल से बाहर निकलेगा। वहीं अगले चरण के लिए अगली फायरिंग कल दोपहर 2-3 बजे के बीच किए जाने की योजना है।कल यानी कि मंगलवार को चंद्रयान3 फिर से अगली कक्षा में प्रवेश करेगा।

चांद पर कब होगी सॉफ्ट लैंडिंग

बता दें कि इस मिशन की सबसे बड़ी चुनौती चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग है। इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 के सफलतापूर्वक लॉन्च के बाद पत्रकारों से कहा कि यान को एक अगस्त से चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने की योजना बनाई गई है। सॉफ्ट लैंडिंग कराने की योजना 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर है और अगर यह संभव हो जाता है तो भारत अमेरिका, चीन और सोवियत यूनियन के बाद चांद पर यह कारनामा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। अमेरिका और सोवियत यूनियन का मिशन सफल होने से उनका स्पेसक्राफ्ट कई बार क्रैश हुआ था। अब तक चीन एक मात्र ऐसा देश है जिसने चांग-3 मिशन 2013 के तहत अपने पहले प्रयास में ही सफलता हासिल की थी।

चंद्रयान-2 मिशन से कितना अलग?

चंद्रयान-2 में जहां ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर थे। वहीं, चंद्रयान-3 में प्रपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर होंगे। चंद्रयान-3 का लैंडर+रोवर चंद्रयान-2 के लैंडर+रोवर से करीब 250 किलो ज्यादा वजनी है। चंद्रयान-2 की मिशन लाइफ 7 साल (अनुमानित) थी, वहीं चंद्रयान-3 के प्रपल्शन मॉड्यूल को 3 से 6 महीने काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। चंद्रयान-2 के मुकाबले चंद्रयान-3 ज्यादा तेजी से चांद की तरफ बढ़ेगा। चंद्रयान-3 के लैंडर में 4 थ्रस्टर्स लगाए गए हैं। करीब 40 दिन के सफर के बाद चंद्रयान-3 चांद की सतह तक पहुंच जाएगा।

चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य

615 करोड़ रुपये की लागत वाले चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य वही है जो पिछले प्रोजेक्‍ट्स का था। चांद की सतह के बारे में ज्यादा से ज्‍यादा जानकारी जुटाना। चंद्रयान-3 के लैंडर पर चार तरह के साइंटिफिक पेलोड जाएंगे। ये चांद पर आने वाले भूकंपों, सतह की थर्मल प्रॉपर्टीज, सतह के करीब प्‍लाज्‍मा में बदलाव और चांद और धरती के बीच की सटीक दूरी मापने की कोशिश करेंगे। चांद की सतह के रासायनिक और खनिज संरचना की भी स्‍टडी होगी।

एनसीपी में पक रही फिर कोई खिचड़ी? 24 घंटे के अंदर दूसरी बार विधायकों संग शरद पवार से मिलने पहुंचे अजित

#ajit_reached_to_meet_sharad_pawar_with_mlas 

महाराष्ट्र में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है।एनसीपी में दो फाड़ होने के बाद र्टी में कुछ खिचड़ी पकती हुई दिख रही है।राज्य के डिप्टी सीएम अजित पवार और उनके गुट के विधायक सोमवार को लगातार दूसरे दिन शरद पवार से मिलने वाईबी चव्हाण सेंटर पहुंचे।अजित पवार और शरद पवार की बगावत के बाद यह तीसरी मुलाक़ात है।वहीं, अजित पवार 24 घंटे के अंदर दूसरी बार शरद पवार से मिलने वाईबी चव्हाण सेंटर पहुंचे हैं।

इससे पहले रविवार को अजित पवार सहित बाकी के मंत्री और विधायक शरद पवार से मिलने वाय बी सेंटर पहुंचे थे। इस मुलाकात के बाद प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि अजित पवार, सुनील तटकरे और मैंने वाईबी चव्हाण सेंटर में शरद पवार से मुलाकात की। हमने उनसे फिर से एनसीपी को एकजुट रखने का अनुरोध किया और उन्होंने हमारी बात सुनी लेकिन इस पर कुछ नहीं कहा। 

महाराष्ट्र में शिवसेना के बाद एनसीपी में भी फूट पड़ चुकी है। अजित पवार ने शरद पवार से अलग होकर बीजेपी से हाथ मिला लिया है। इन सबके बावजूद अजित पवार, अपनी चाची प्रतिभा पवार (शरद पवार की पत्नी) के हाथ की सर्जरी के बाद उनसे मिलने के लिए सिल्वर ओक गए थे। अजित पवार ने इस मुलाकात के बाद कहा था कि राजनीति अलग है और परिवार अलग है। इसके बाद वाईबी चव्हाण सेंटर में रविवार को अजित पवार और उनके मंत्रियों ने शरद पवार से मुलाकात की थी। उन्होंने शरद पवार से माफ़ी भी मांगी थी। उन्होंने शरद पवार से समर्थन और आशीर्वाद भी मांगा था। हालांकि, शरद पवार ने अजित पवार और उनके मंत्रियों को कोई जवाब नहीं दिया था। यह मुलाकात तक़रीबन एक घंटे तक चली थी। अब अगले ही दिन यानी सोमवार को एकबार फिर अजित पवार अपने विधायकों संग शरद पवार से मिलने के लिए पहुंचे हैं।

बता दें कि 2 जुलाई को महाराष्ट्र की राजनीति में अचानक नया मोड़ आया था। अजित के नेतृत्व में एनसीपी के दिग्गज नेताओं ने पार्टी से बगावत कर दी थी और एनडीए में शामिल हो गए थे। अजित समेत 9 विधायक सरकार में शामिल हो गए थे। अजित डिप्टी सीएम बने थे।

सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में सामने आया पाकिस्तानी कनेक्शन, पड़ोसी देश से हुई थी मर्डर में इस्तेमाल हथियारों की सप्लाई, एनआईए का बड़ा खुलासा

#big_disclosure_in_punjabi_singer_sidhu_moosewala_murder 

पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। एनआईए के मुताबिक, मूसेवाला की हत्या में इस्तेमाल हथियारों की सप्लाई एक पाकिस्तान शख्स ने की थी जो फिलहाल दुबई में रहता है।युवक की पहचान हामिद के रूप में हुई है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अनुसार, दुबई स्थित पाकिस्तानी हथियार आपूर्तिकर्ता ने पिछले साल सिद्धू मूसेवाला की हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियारों की आपूर्ति की थी। हामिद ने सिद्धू मूसेवाला की हत्या से पहले दुबई में लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के बुलंदशहर स्थित एक आर्म्स डीलर से भी मुलाकात की थी।

बता दें कि सरकार द्वारा सुरक्षा में कटौती के 24 घंटे से भी कम समय में 29 वर्षीय मूसेवाला की पिछले साल 29 मई को दिनदहाड़े मानसा जिले में उनके पैतृक गांव के पास गैंगस्टरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। सिद्धू मूसेवाला को उस वक्त गोलियों से भून दिया गया था, जब वो बिना सुरक्षा के अपने कुछ दोस्तों के साथ थार में सवार होकर कहीं जा रहे थे। जब उनकी गाड़ी मनसा पहुंची, तब छह हमलावरों ने घेरकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी और मुसेवाला को मौत के घाट उतार दिया। बाद में इस हत्या की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के सदस्य गोल्‍डी बराड़ ने ली थी। मुसेवाला की हत्या मामले में शामिल अब चार शूटर गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जबकि दो एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं।

सिद्धू मूसेवाला की हत्या को अंजाम देने के लिए आस्ट्रिया की ग्लोक 30 जिगाना पिस्टल, जर्मन मेड हेकलर एंड कोच, स्टार और एके 47 का इस्तेमाल हुआ। एनआइए ने बुलंदशहर से हवाला कारोबारी शाहबाज अंसारी को दिसंबर 2022 को गिरफ्तार किया था। अंसारी से पूछताछ में पता चला था कि लारेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ का करीबी है। शाहबाज अंसारी कनाडा, दुबई कई बार गया। कनाडा में गोल्डी बराड़ के टच में आया था। इन यात्राओं को वह फैजी खान के संपर्क में आया जो पाकिस्तानी नागरिक है और दुबई में हवाला का कारोबार करता है। फैजी खान ने ही शाहबाज अंसारी को दुबई में बैठे पाकिस्तानी नागरिक और हथियार सप्लायर हामिद से मिलवाया था।l

विपक्ष ने जेडीएस को अभी अपना हिस्सा नहीं माना, बेंगलुरू की बैठक पर बोले एच कुमारस्वामी, जानें एनडीए में शामिल होने को मसले पर क्या कहा

#jdsleaderhdkumaraswamywaitingforbjp_invitation 

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों की दूसरी बैठक बेंगलुरु में होनी है। इसी बीच, महाविपक्ष को लेकर जेडीएस ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। संयुक्त विपक्ष की बैठक पर जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि विपक्ष ने कभी भी जेडीएस को अपना हिस्सा नहीं माना है।

दरअसल कुमारस्वामी से पूछा गया थाकि क्या जेडीएस विपक्षी एकता का हिस्सा होगा? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसा होने का कोई सवाल ही नहीं है, क्योंकि किसी भी विपक्षी दल ने कभी भी जेडीएस को अपना हिस्सा नहीं माना।इसी के साथ उन्होंने विपक्षी दलों की बैठक में जाने के सवाल को सिरे से खारिज कर दिया।उन्होंने कहा, जेडीएस का किसी भी महागठबंधन में शामिल होने का कोई सवाल ही नहीं है।

एनडीए को मिल सकता है कांग्रेस के बेरुखी का फायदा

कांग्रेस के बेरुखी का फायदा एनडीए को मिल सकता है। माना जा रहा है कि पहले जेडीएस और बीजेपी एक साथ आ सकती है। इस पर कुमारस्वामी ने भी कहा, अब तक एनडीए की तरफ से कोई भी ऐसा निमंत्रण नहीं मिला है। अगर आगे ऐसा होता है तो इस पर विचार किया जाएगा। बताया जा रहा है कि जल्द एनडीए की तरफ से जेडीएस को भी न्योता दिया जा सकता है।

बीजेपी-जेडीएस में सहमति के संकेत

हाल में, भाजपा और जद(एस) के नेताओं की ओर से लोकसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के बीच सहमति बनने के पर्याप्त संकेत मिले हैं। भाजपा के कद्दावर नेता बी एस येदियुरप्पा ने कहा था कि उनकी पार्टी और जद(एस) साथ मिलकर राज्य में कांग्रेस सरकार से लड़ेंगे।वहीं, ऐसी खबरें आई थीं कि कुमारस्वामी ने नयी दिल्ली की अपनी हालिया यात्रा के दौरान भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की थी।

बता दें कि कुमारस्वामी जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे तो उन्हें कांग्रेस ने ही समर्थन दिया था और सरकार बनवाई थी। हालांकि, बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली बहुमत के बाद पार्टी ने जेडीएस को गठबंधन में शामिल नहीं किया। यही नहीं बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता में भी जेडीएस दूर दूर तक नजर नहीं आ रही है।

विपक्षी दलों की बैठक से पूर्व अध्यादेश पर अरविंद केजरीवाल को कांग्रेस का समर्थन मिलते ही आम आदमी पार्टी गदगद, इसे पॉजिटिव डेवलपमेंट दिया करार

कांग्रेस ने रविवार को साफ कर दिया कि वह दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण के मुद्दे पर केंद्र सरकार के अध्यादेश का समर्थन नहीं करेगी। कांग्रेस का कहना है कि वह देश में 'संघवाद को खत्म' करने के केंद्र सरकार के किसी भी प्रयास का विरोध करेगी। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी का रुख साफ है कि वह राज्यपालों के जरिए विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में हस्तक्षेप करने के केंद्र के हर तरह के फैसले का विरोध करेगी। कांग्रेस के इस बयान से आम आदमी पार्टी गदगद है। उसने इसे पॉजिटिव डेवलपमेंट करार दिया है। 

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा- पार्टी ने संसद में दिल्ली अध्यादेश पर विधेयक आने पर इसका विरोध करने का फैसला किया है। हम संघवाद को खत्म करने के केंद्र सरकार के प्रयासों का निरंतर विरोध कर रहे हैं। हम विपक्ष द्वारा शासित राज्यों को राज्यपालों के जरिए चलाने के केंद्र सरकार के रवैये का निरंतर विरोध कर रहे हैं। हमारा रुख बिल्कुल साफ है कि हम दिल्ली अध्यादेश का समर्थन नहीं करने वाले हैं। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी (आप) के सोमवार से बेंगलुरु में शुरू हो रही विपक्ष की दूसरी बैठक में भाग लेने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

'आम आदमी पार्टी' कहती रही है कि कांग्रेस दिल्ली अध्यादेश पर अपना रुख स्पष्ट करे, इसके बाद ही वह विपक्षी दलों की अगली बैठक में भाग लेने पर फैसला करेगी। इस बीच, आम आदमी पार्टी का बयान सामने आया है। आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने अध्यादेश पर कांग्रेस के 'स्पष्ट विरोध' करने की घोषणा का स्वागत किया है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राघव चड्ढा ने ट्वीट कर कहा- कांग्रेस ने दिल्ली अध्यादेश का स्पष्ट विरोध करने की घोषणा की है। यह एक सकारात्मक रुख है।

अब अहम है कि आम आदमी पार्टी बेंगलुरु में सोमवार से शुरू होने वाली विपक्षी पार्टियों की बैठक में शामिल होती है या नहीं। वहीं दिल्ली अध्यादेश मुद्दे पर पार्टी का रुख स्पष्ट करने के साथ कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने उम्मीद जताई कि AAP अब बेंगलुरु में विपक्षी दलों की आगामी बैठक में भाग जरूर लेगी। पटना में विपक्षी दलों की पहली बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर करने का संकल्प लिया गया था।

गौरतलब है कि केंद्र के अध्यादेश के मसले पर कांग्रेस का यह रुख ऐसे वक्त में सामने आया है जब उसकी दिल्ली और पंजाब इकायों के नेताओं ने आम आदमी पार्टी का समर्थन नहीं करने का विचार प्रकट किया था। दिल्ली और पंजाब कांग्रेस नेताओं के बयान से ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक साथ नहीं आएंगे। अब कांग्रेस ने साल 2024 के चुनावों में विपक्षी एकता को लेकर बड़ा दिल दिखाते हुए एक मजबूत पहल करते हुए गेंद आम आदमी पार्टी के पाले में डाल दिया है।

मालूम हो कि केंद्र सरकार मई में दिल्ली में नौकरशाहों के तबादले और तैनाती पर अध्यादेश देकर आई थी। इससे सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का प्रभाव खत्म हो गया था जिसमें सेवाओं पर नियंत्रण निर्वाचित सरकार को दिया गया था। अध्यादेश में दानिक्स कैडर के समूह-ए अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही और तबादलों के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण स्थापित करने का प्रावधान है। उच्चतम न्यायालय के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के तबादले और तैनाती का शासकीय नियंत्रण उपराज्यपाल के पास था।

बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा, नीतीश कुमार बताएं की जब पाकिस्तान सहित अनेक मुस्लिम देशों में बहु-विवाह, फौरी तीन तलाक और गुजारा भत्ता के मुद्दे पर कानून में सुधार हो सकता है, तो भारत में क्यों नहीं



पूर्व उपमुख्यमंत्री व बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार बताएं कि जब पाकिस्तान सहित अनेक मुस्लिम देशों में बहु-विवाह, फौरी तीन तलाक और गुजारा भत्ता के मुद्दे पर कानून में सुधार किया जा सकता है, तो भारत में क्यों नहीं होना चाहिए? संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए समान नागरिक संहिता जब भी लागू होगी, पूरे देश पर लागू होगी। तब बिहार या बंगाल की सरकार अपने राज्यों में इसे लागू करने से रोक नहीं पाएगी।

रविवार को जारी बयान में उन्होंने कहा कि अगर सभी धर्मों के भारतीय नागरिकों के लिए एक विवाह का प्रावधान होता है। सभी के लिए तलाक लेने के कानून समान होते हैं। सभी धर्मों की महिलाओं को तलाक के बाद गुजारा-भत्ता पाने तथा पैतृक सम्पत्ति में समान अधिकार मिलता है और सभी धर्मों के स्री-पुरुष लिए विवाह करने की उम्र एक समान निर्धारित की जाती है। ये बातें कुछ नेताओं को अच्छा क्यों नहीं लग रहा है।

सुशील मोदी ने पूछा कि क्या पर्सनल लॉ के नाम पर देश की 15 करोड़ मुस्लिम महिलाओं के साथ कठोर भेदभाव और लैंगिक असमानता जारी रखना चाहते हैं? एक समुदाय के थोक वोट से सत्ता में बने रहने की मंशा से यदि सरकार उस समुदाय के कट्टरपंथियों तक के आगे घुटने टेक रहे हैं, तो क्या यह साम्प्रदायिकता से समझौता नहीं है?

NDA की बैठक के लिए चिराग को न्योता मिलने के साथ ही क्या गहरा गया चाचा भतीजे का झगड़ा, भाजपा को क्या नफा नुकसान, यहां डिटेल में पढ़िए


लोक जनशक्ति पार्टी दो फाड़ पहले ही हो चुकी है। अब पशुपतिनाथ पारस की अगुवाई वाला एक समूह पहले ही भारतीय जनता पार्टी के साथ है। वहीं, भतीजे चिराग पासवान के नेतृत्व वाले गुट के भी साथ आने की अटकलें जारी हैं। अब कहा जा रहा है कि लोजपा को एक करना भाजपा के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। खबरें हैं कि केंद्रीय मंत्री पारस ने भतीजे के साथ आने के प्रस्ताव से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं। दरअसल, अगर दोनों गुटों में तकरार जारी रही, तो भाजपा के सामने पासवान मतों के बंटने का जोखिम बना रहेगा।

कहा जा रहा है कि चाचा-भतीजे के बीच हाजीपुर सीट को लेकर बड़ा झगड़ा जारी है। दरअसल, यह सीट दिवंगत राम विलास पासवान का गढ़ रही है और दोनों ही नेता इस विरासत को साधने की कोशिश में हैं। साल 2019 चुनाव में यहां से पारस ने यहां से जीत हासिल की थी। जबकि, चिराग जमुई से जीते थे। चाचा ने भतीजे के लिए सीट छोड़ने से इनकार कर दिया था।

हाल ही में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने दोनों दलों से मिले थे और पार्टी को एक करने का प्रस्ताव रखा था। खबर है कि पारस की तरफ से इसे अस्वीकार कर दिया गया। लोजपा नेता ने राय के साथ हुई बैठक को लेकर कहा, 'उन्होंने कहा कि चाचा, भतीजे को साथ आना चाहिए। मैंने कहा कि ऐसा मुमकिन नहीं है। जब चीजें खराब हो जाती हैं, जब दूध फट जाता है तो आप कितनी भी कोशिशें कर लें, आपको मक्खन नहीं मिलेगा।'

NDA की बैठक के लिए चिराग को न्योता

खास बात है कि भाजपा ने सोमवार को होने वाली एनडीए की बैठक के लिए चिराग को भी न्योता भेजा है। इसे लेकर पारस गुट का कहना है कि वे चिराग के मीटिंग में शामिल होने का विरोध नहीं करेंगे, लेकिन वे उनका स्वागत भी नहीं करेंग। पारस ने कहा, 'यह चुनावी साल है। हर पार्टी ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ना चाहती है...। इसलिए चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को न्योता भेजा गया है। लोग बैठक में आएंगे, जो अच्छी बात है। जो कुछ भी होगा वह बैठक के नतीजे पर निर्भर करेगा।'

लालू का क्यों नहीं करते विरोध, पारस का सवाल

पारस ने चिराग पर राष्ट्रीय जनता दल के साथ होने के आरोप लगाए। उन्होंने सवाल किया, 'क्या आपने कभी भी चिराग पासवान को लालू जी और तेजस्वी यादव का विरोध करते देखा है।' लोजपा के 6 में से पांच सांसदों का समर्थन पारस को हासिल है।

जानें क्या है वो क्लस्टर बम? यूक्रेन को अमेरिका की ओर से मिली इस मदद पर बौखलाए पुतिन ने दिया ये जवाब

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एक साल से अधिक होने के बाद भी रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। इस बीच अमेरिका से यूक्रेन को क्लस्टर बम की आपूर्ति पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चेतावनी दी कि अगर यूक्रेन ने विवादास्पद हथियार का इस्तेमाल किया तो उसके पास भी 'जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार' है। साथ ही पुतिन ने एक इंटरव्यू में दावा किया कि रूस ने यूक्रेन में अपने युद्ध में अब तक क्लस्टर बम का इस्तेमाल नहीं किया है।दरअसल, अमेरिका ने यूक्रेन को क्लस्टर बमों की आपूर्ति करके नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार को कहा कि रूस के पास क्लस्टर बम का 'पर्याप्त भंडार' है और चेतावनी दी कि अगर यूक्रेन ने विवादास्पद हथियार का इस्तेमाल किया तो उसके पास भी 'जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार' है। पुतिन ने स्थानीय मीडिया को बताया कि अमेरिका ने यूक्रेन को क्लस्टर युद्ध सामग्री की आपूर्ति करने का फैसला किया क्योंकि रूस के खिलाफ पश्चिमी हथियारों वाले छद्म युद्ध में गोला-बारूद की कमी हो रही है। एक रूसी पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए पुतिन ने कहा कि वे (संयुक्त राज्य अमेरिका) ऐसा 'अच्छे जीवन' के लिए नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनके पास आम तौर पर गोला-बारूद की कमी हो रही है। 

पुतिन ने दिलाई अमेरिका की पुरानी बात

पुतिन ने याद दिलाया कि अमेरिका ने पहले क्लस्टर हथियारों के इस्तेमाल को अपराध बताया था, हालांकि अब वे उसी हथियार को यूक्रेन को सौंप रहे हैं।पुतिन ने कहा कि जहां तक क्लस्टर बम का सवाल है, अमेरिकी प्रशासन ने स्वंय कुछ समय पहले अपने अधिकारियों के बयानों के साथ इस हथियार का मूल्यांकन किया था। तब क्लस्टर म्यूनिशन के इस्तेमाल को अमेरिकी प्रशासन ने अपराध बताया था। मुझे लगता है कि इसे इसी तरह माना जाना चाहिए। पुतिन ने जोर देकर कहा कि रूस के खिलाफ क्लस्टर हथियारों के इस्तेमाल के मामले में उनका देश उसी के अनुसार प्रतिक्रिया देने का अधिकार सुरक्षित रखता है।

दुनिया के 123 देशों में कलस्टर हथियारों में प्रतिबंध

बता दें कि बाइडन प्रशासन ने 7 जुलाई को यूक्रेन के लिए एक नए सैन्य सहायता पैकेज का ऐलान किया था। इस पैकेज में प्रतिबंधित क्लस्टर बम भी शामिल थे। इस बम पर दुनिया के 123 देशों ने प्रतिबंध लगा रखा है, हालांकि उनमें न तो अमेरिका और यूक्रेन शामिल हैं और ना ही रूस। 

जानें क्या हैं क्लस्टर बम

क्लस्टर बमों की गितनी परमाणु बम के बाद दूसरे खतरनाक बमों में होती है। इनको ऊंचाई से हवा में छोड़ा जाता है और इसके अंदर से हजारों की संख्या में छोटे बम निकलते हैं, जो निशाना बनाए गए स्थान पर भारी तबाही मचाते हैं। अतीत में क्लस्टर बम के इस्तेमाल में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं। यही वजह है कि कई देश क्लस्टर बम के इस्तेमाल से परहेज करते हैं। पिछले सप्ताह अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा अंतिम निर्णय लेने से पहले, अमेरिकी नेताओं ने महीनों तक इस पेचीदे मुद्दे पर चर्चा की। यूक्रेन ने इन्हें घनी आबादी वाले इलाकों से दूर ही इसके इस्तेमाल करने का वादा किया है।