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*पुण्यतिथि पर विशेष : आज फिल्म निर्देशक चेतन आनंद की पुण्यतिथि,उनकी जिंदगी में प्रिया राजबंश के लिए था खास अहमियत


मुंबई : हिंदी सिनेमा के सबसे मंझे हुए प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और स्क्रीनराइटर चेतन आनंद को गुजरे आज 26 साल बीत चुके हैं। 6 जुलाई 1997 को 82 साल की उम्र में दुनिया से रुख्सत हुए चेतन की फिल्में जितनी लीजेंड्री थी, उनकी निजी जिंदगी उतनी ही उथल-पुथल से भरी हुई। शादीशुदा होने के बावजूद इनका रिश्ता अपनी ही फिल्म की हीरोइन प्रिया राजवंश से रहा। प्यार ऐसा परवान चढ़ा कि चेतन अपनी हर फिल्म में सिर्फ और सिर्फ प्रिया को ही हीरोइन रखते थे, वहीं प्रिया ने भी जुनून में किसी और फिल्ममेकर के साथ काम न करने का प्रण लिया हुआ था।

50 के दशक में तलाक को मान्यता न मिलने के चलते दोनों 20 सालों तक साथ तो रहे, लेकिन शादी नहीं कर सके। मौत के बाद चेतन अपनी करोड़ों की जायदाद जब पत्नी और बच्चों की जगह इनके नाम कर गए तो खूब हल्ला हुआ। इनकी मौत के बाद इनकी गर्लफ्रेंड की इन्हीं के घर में घुसकर हत्या कर दी गई, जिसका इल्जाम इनके दोनों बेटों और नौकरों पर लगा। लीजेंड्री एक्टर देव आनंद चेतन आनंद के ही छोटे भाई थे, जो इनकी राह पर चलकर फिल्मों से जुड़े थे। राजेश खन्ना को फिल्मों में लाने का क्रेडिट भी इन्हें ही दिया जाता है।

आज चेतन की डेथ एनिवर्सरी के मौके पर पढ़िए उनकी कामयाबी और विवादों से घिरी जिंदगी की चुनिंदा बातें।

3 जनवरी 1915। लाहौर में एडवोकेट पिशोरी लाल आनंद के घर बेटे का जन्म हुआ, जिसका नाम रखा गया चेतन आनंद। इनके जन्म के 8 साल बाद इनके छोटे भाई देव आनंद का जन्म हुआ था। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से हिंदू स्क्रिप्चर की पढ़ाई करने के बाद चेतन ने लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया।

कुछ समय बाद 1930 में उनका ताल्लुक इंडियन नेशनल कांग्रेस से जुड़ा। इसी समय उन्होंने लंदन में इंडियन सिविल सर्विस का एग्जाम भी दिया, लेकिन उनका सिलेक्शन नहीं हुआ।

फिल्म स्क्रिप्ट बेचने पहुंचे थे मुंबई

पढ़ाई पूरी करते ही 40 के दशक के शुरुआत में चेतन ने BBC के लिए काम किया फिर देहरादून के दून स्कूल में इतिहास पढ़ाने लगे। हालांकि, इसी समय उन्होंने सम्राट अशोक पर फिल्म की स्क्रिप्ट लिखनी भी शुरू कर दी। जब स्क्रिप्ट पूरी हुई तो चेतन आनंद अपना सामान बांधकर स्क्रिप्ट बेचने मुंबई आ गए।

उनकी स्क्रिप्ट तो किनारे हो गई, लेकिन फिल्ममेकर मजूमदार ने उन्हें फिल्म राजकुमार में कास्ट कर लिया। फिल्मों में एक्टिंग तो की, लेकिन उनकी असली पसंद तो लेखन और निर्देशन ही थी।

1940 में चेतन ने ख्वाजा अहमद अब्बास की स्क्रिप्ट पर नीचा नगर फिल्म डायरेक्ट की। ये पैरलल सिनेमा की शुरुआती पायनियर फिल्म थी। ये कांस फिल्म फेस्टिवल जाने वाली और वहां बेस्ट फिल्म का ग्रैंड प्रिक्स (अब गोल्डन पाम) जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म है। पहली ही फिल्म से चेतन आनंद इंडस्ट्री के सबसे बेहतरीन डायरेक्टर्स में गिने जाने लगे।

जिससे शादी की उसने दिया धोखा

1943 में चेतन आनंद ने बंगाली क्रिश्चियन उमा चटर्जी से शादी की। उनके पिता ज्ञानेश चंद्र चटर्जी गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, लाहौर के प्रिंसिपल थे। इस शादी से कपल को दो बच्चे केतन और विवेक हुए। कुछ समय बाद ही दोनों में तल्खियां बढ़ने लगीं और उमा चटर्जी का रिश्ता इब्राहिम अलकाजी से शुरू हो गया। उस समय तलाक लेना पाप समझा जाता था, ऐसे में दोनों दुनियावालों की नजरों में शादीशुदा तो रहे, लेकिन दोनों के बीच कोई रिश्ता नहीं रहा।

50 के दशक में चेतन आनंद ने अपने छोटे भाई देव आनंद के साथ मिलकर प्रोडक्शन हाउस नवकेतन प्रोडक्शन की शुरुआत की और अफसर (1950) फिल्म बनाई, देव आनंद हीरो बने और चेतन डायरेक्टर। ये फिल्म काफी सफल साबित हुई और आगे कामयाब फिल्मों का सिलसिला टैक्सी ड्राइवर (1954), आंधियां (1952) से चलता रहा।

वहीदा रहमान के चलते हुआ था छोटे भाई देव आनंद से झगड़ा

चेतन और देव आनंद मिलकर अपने प्रोडक्शन हाउस नवकेतन के लिए फिल्म गाइड (1966) बना रहे थे।

इस फिल्म में देव आनंद ने वहीदा रहमान को रोजी बनाने का फैसला कर लिया, जबकि डायरेक्टर और बड़े भाई चेतन इससे खुश नहीं थे। चेतन को लगता था कि वहीदा अच्छी तरह अंग्रेजी नहीं बोल पातीं, ऐसे में कोई दूसरी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली हीरोइन रखनी चाहिए। दोनों भाइयों की वहीदा रहमान पर ऐसी बहस हुई कि गुस्से में चेतन आनंद ने फिल्म डायरेक्ट करने से ही इनकार कर दिया। उनकी जगह दूसरे भाई विजय आनंद इसके डायरेक्टर बने। गुस्सा यहां भी ठंडा नहीं हुआ तो चेतन ने अपने ही प्रोडक्शन हाउस को भाई देव आनंद के भरोसे छोड़ दूसरा प्रोडक्शन हाउस हिमालय फिल्म्स शुरू कर दिया।

राजेश खन्ना को दिलाई फिल्मों में जगह

1965 में 23 साल की उम्र में राजेश खन्ना ने ऑल इंडिया टैलेंट कॉन्टेस्ट में हिस्सा लिया और 10 हजार लोगों के बीच टॉप 8 फाइनलिस्ट बने। उनके साथ इन 8 फाइनलिस्ट में फरीदा जलाल और राजेश ने जीत हासिल की थी। इसी दौरान राजेश खन्ना पर चेतन आनंद की नजर पड़ी और उन्होंने राजेश को अपनी फिल्म आखिरी खत से हिंदी सिनेमा में उतारा। हालांकि, प्रोडक्शन डिले के चलते राजेश खन्ना की फिल्म राज पहले रिलीज हो गई।

अनलकी समझे जाने वाले कैफी आजमी को दिलाई पहचान

शबाना आजमी के पिता कैफी आजमी अपने जमाने के मशहूर उर्दू राइटर हुआ करते थे। 1951 की फिल्म बुजदिल से कैफी ने बतौर लिरिसिस्ट काम शुरू किया। कैफी के लिखे ज्यादातर गाने जुबां पर चढ़ जाया करते थे, लेकिन जिन भी फिल्मों में वो इस्तेमाल हुए वो लगभग सारी फ्लॉप रहीं। फिल्मी गलियारों में खबरें फैल गईं कि कैफी अनलकी लिरिसिस्ट हैं, जिनके गाने तो हिट होते हैं, लेकिन फिल्में फ्लॉप करवा देते हैं।

एक समय ऐसा आया जब उन्हें काम मिलना बंद होने लगा। इसी बीच एक दिन चेतन आनंद ने उनके घर पर दस्तक दे दी।

चेतन आनंद ने उनसे कहा- मैं एक फिल्म बना रहा हूं, मैं चाहता हूं कि आप उसके गाने लिखें।

कैफी साहब ने जवाब में कहा- सब यही कहते हैं कि मैं लिखता तो अच्छा हूं, पर मेरे सितारे कुछ ठीक नहीं हैं।

आप मुझसे गाने लिखवाकर जोखिम ले रहे हैं।

चेतन ने कहा- मेरे बारे में भी तो लोग यही कहते हैं कि मैं फिल्में तो अच्छी बना लेता हूं पर मेरे भी सितारे अच्छे नहीं हैं। हो सकता है दो खराब सितारे मिलकर कुछ अच्छा कर जाएं।

इसी बात के बाद चेतन ने कैफी आजमी को फिल्म हकीकत में लिरिसिस्ट बना लिया। ये फिल्म भी हिट रही और इसका गाना अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों आज भी सबसे बेहतरीन देशभक्ति गानों में गिना जाता है।

एक तस्वीर से प्रिया राजवंश को चाहने लगे थे चेतन आनंद

ये किस्सा शुरू होता है 1958 में जब प्रिया राजवंश लंदन में पढ़ाई कर रही थीं। प्रिया बेहद खूबसूरत हुआ करती थीं। एक प्रोग्राम के दौरान लंदन के एक फोटोग्राफर ने उनकी तस्वीर निकाली और उसे भारत ले आया। भारत में वो फोटोग्राफर सबसे पहले फिल्ममेकर ठाकुर रणवीर सिंह के पास पहुंचा। रणवीर ने तस्वीर देखी और उन्हें एक नजर में ही प्रिया पसंद आ गईं। वो उस तस्वीर को लेकर सीधे चेतन आनंद के पास आ पहुंचे जो उस समय फिल्म हकीकत की हीरोइन के लिए नए चेहरे की तलाश में थे। जैसे ही चेतन के हाथ प्रिया की तस्वीर लगी तो उन्होंने 1962 में उन्हें फिल्म में साइन कर लिया।

प्रिया के बिना चेतन ने नहीं बनाई कोई फिल्म

हकीकत फिल्म की शूटिंग करते हुए प्रिया राजवंश और चेतन आनंद एक- दूसरे को चाहने लगे और प्यार ऐसा परवान चढ़ा कि दोनों ने ये रिश्ता जिंदगी भर जारी रखा। इसके बावजूद कि दोनों की उम्र में 21 सालों का लंबा फासला था। हकीकत फिल्म की कामयाबी के बाद से ही चेतन अपनी लगभग हर फिल्म में प्रिया राजवंश को ही हीरोइन बनाने लगे। प्रिया राजवंश पहली फिल्म हकीकत से पॉपुलर हुईं तो उस जमाने का हर बड़ा फिल्ममेकर उन्हें लेकर फिल्में बनाना चाहता था, लेकिन प्रिया ने सिर्फ चेतन आनंद की ही फिल्में करने का फैसला किया। अपने छोटे करियर में प्रिया ने चेतन के भाई देव के साथ 1977 की फिल्म साहेब बहादुर की।

प्रिया ने चेतन के साथ रहने के लिए अपना फिल्मी करियर और पर्सनल लाइफ सब छोड़ दी। प्रिया अपने जमाने की सबसे पढ़ी-लिखी एक्ट्रेस थीं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने परिवार का दबाव होने के बावजूद शादीशुदा चेतन को न छोड़ा न ही कभी शादी की। दोनों लिव-इन में चेतन आनंद के जुहू के रुइया पार्क बंगले पर साथ रहते थे। दोनों का ये रिश्ता चेतन की मौत तक कायम रहा।

अपनी संपत्ति पत्नी की जगह प्रिया को सौंप गए थे चेतन

6 जुलाई 1997 तो चेतन आनंद ने 82 साल की उम्र में आखिरी सांसें लीं। मौत से पहले उन्होंने अपनी ज्यादातर संपत्ति पत्नी उमा और बच्चों की जगह प्रिया राजवंश के नाम कर दी थी। इनमें उनका जुहू स्थित वो आलीशान बंगला भी था, जिसमें उन्होंने प्रिया के साथ 20 साल बिताए थे। जिस जगह वो बंगला है वो भारत का सबसे महंगा इलाका है। विल के अनुसार प्रिया उस बंगले में रह सकती थीं, लेकिन उसे बेचने का अधिकार उनके पास नहीं था। अगर प्रिया को कुछ होता तो वो बंगला और बची हुई संपत्ति चेतन आनंद के बच्चों केतन और विवेक के पास जाती, क्योंकि प्रिया और चेतन की अपनी कोई संतान नहीं थी।

चेतन आनंद के बेटे केतन आनंद।

केतन टूटे खिलौने (1978), शर्त (1986) और आजा मेरी जान (1993) फिल्में डायरेक्ट कर चुके हैं।

बच्चों और नौकरों पर लगा कत्ल का आरोप

चेतन आनंद की मौत के 3 साल बाद 27 मार्च 2000 को प्रिया राजवंश का शव उनके जुहू स्थित बंगले में मिला, जहां उन दिनों चेतन के बेटे विवेक और केतन भी रह रहे थे। जांच में प्रिया के कमरे में एक लेटर मिला, जिसमें उन्होंने दोनों बेटों से हत्या के डर का जिक्र किया था। जांच में दोनों बेटों और नौकरों माला चौधरी और अशोक चिन्नास्वामी को दोषी माना गया। चारों को 2002 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, हालांकि चंद महीनों बाद ही उन्हें बेल पर रिहाई मिल गई। 2011 में चेतन आनंद ने केस में दोबारा सुनवाई की मांग की थी, जिसके बाद उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है।

डेंगू व चिकुनगुनिया से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी

नई दिल्ली: स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्षाकाल में डेंगू व चिकुनगुनिया से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। बताया गया है कि बारिश की शुरूआत में मच्छर पनपने पर डेंगू रोग वायरस के संक्रमण से होता है और मादा ऐडीस मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू का इलाज समय पर नहीं होने से मरीज की हालत गंभीर हो सकती है और जान भी जा सकती है। वर्षा के मौसम में डेंगू बीमारी से ग्रसित होने की संभावना अधिक होती है।

रोग के लक्षण

डेंगू में तेज बुखार, शरीर पर लाल चकत्ते, मांशपेसियों एवं जोड़ो में दर्द, आंखें घुमाने में दर्द शुरूआत की दशा में सामान्य लक्षण हैं। गंभीर स्थिति में मुंह, नाक और आंतों से खून आना, पेट दर्द, उल्टी होना और आंखों में खून उतरना, प्लेटलेट्स में अत्यधिक गिरावट होना जैसे लक्षण होते हैं। इसी तरह चिकुनगुनिया बुखार में उंगलियों और हाथ पैर के जोड़ों में तेज दर्द, सिर दर्द, हल्का बुखार बना रहना और त्वचा में चकत्ते होना सामान्य लक्षण हैं।

बचाव के उपाय

डेंगू से बचाव का उपाय घर में मच्छरों को पनपने से रोकना है। डेंगू का मच्छर दिन में काटता है। इसलिए दिन में फुल स्लीव्स के कपडे़ पहनना चाहिए। पानी की सभी टंकियों व पात्रों को ढंककर रखना चाहिए। साथ ही बगैर उपयोग वाली वस्तुओं में जलभराव की रोकथाम के लिए इन्हें नष्ट करना चाहिए। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए। प्रारंभिक अवस्था में बीमारी का इलाज आसानी से हो सकता है। डेंगू और चिकुनगुनिया की जांच जिला चिकित्सालय में निःशुल्क उपलब्ध है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा बीमारी के लक्षण दिखने पर तत्काल जांच कराने और चिकित्सक के परामर्श से पूर्ण उपचार लेने की सलाह दी गई है।

22 तरह के स्वादिष्ट समोसे मिलते हैं इस दुकान में, मलाई पनीर समोसा बहुत है ख़ास

नयी दिल्ली : यह दुकान अक्षरधाम मंदिर के नज़दीक गणेश नगर में स्थित है. यहां बेहतरीन 22 तरह के समोसे मिलते हैं. पिज्जा समोसा, पनीर समोसा, चाउमीन समोसा के अलावा कई और तरह की वैरायटी हैं. लोग यहां बहुत ही ज्यादा आते हैं.

सर्दियों में यहां भीड़ लगी रहती है

क्या आप भी समोसे खाना पसंद करते हैं? इस देश में कई लोग समोसे खाना काफी ज्यादा पसंद किया करते हैं. अभी तक हम सभी आलू वाले समोसे ही खाया करते थे, मगर अब मार्केट में 22 तरह के समोसे मिलने लगे हैं. अक्षरधाम मंदिर के नज़दीक गणेश नगर में ये दुकान स्थित है.

यहां लोग बड़े चाव से इन समोसे का स्वाद लेते हैं. आज के वीडियो में हम आपको इस दुकान की कहानी बताएंगे. जहां पर आपको 22 तरह के समोसे खाने को मिलेंगे. यहां जाकर आप पनीर समोसा, चाऊमीन समोसा समेत कई तरह के समोसे खाने को मिलेंगे.

यह दुकान अक्षरधाम मंदिर के नज़दीक गणेश नगर में स्थित है. यहां बेहतरीन 22 तरह के समोसे मिलते हैं. पिज्जा समोसा, पनीर समोसा, चाउमीन समोसा के अलावा कई और तरह की वैरायटी हैं. लोग यहां बहुत ही ज्यादा आते हैं. सर्दियों में यहां भीड़ लगी रहती है.

समोसा भारत में सबसे लोकप्रिय व्यंजन है. इसे हर मौके पर बहुत ही प्यार और अदब के साथ खाया जाता है. कोई भी पार्टी हो, फंक्शन हो या फिर कोई इवेंट, हर मौके पर समोसे का सदुपयोग किया जाता है. लोग बड़े ही चाव के साथ खाते हैं. कई लोग मीठी चटनी का प्रयोग करते हैं, कुछ लोग छोले के साथ खाते हैं वहीं कुछ लोग छाछ से बने चटनी के साथ पसंद करते हैं.

दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में वकीलों के दो गुट में हुई मामूली झड़प में हवाई फायरिंग की खबर सामने आई,पुलिस कर रही है जांच,गोली किसने और क्यों चलाई


 नई दिल्ली: कोर्ट परिसर में वकीलों के मामूली झड़प में एक बार फिर फायरिंग की घटना सामने आई है।बताया जाता है कि तीस हजारी कोर्ट में वकीलों की आपसी बहस और झगड़े के बाद इस गोलीबारी की घटना को अंजाम दिया गया है। हालांकि इस घटना में किसी को घायल होने की सूचना नहीं है। इस घटना का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि हवाई फायरिंग की जा रही है। हालांकि तनाव को देखते हुए मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है। और पूरे मामले की जांच की जा रही है कि गोली किसने और क्यों चलाई है।

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार दोपहर लगभग एक बजकर 35 मिनट पर किसी बात को लेकर वकीलों के दो गुटों के बीच बहस तीखी झड़प में बदल गई। दोनों गुट एक दूसरे के आमने-सामने आ गए। दोनों पक्षों के बीच हुई इस हिंसक झड़प में जमकर ईंट-पत्थर और लाठी डंडे चले। पुलिस मौके पर मौजूद है। पुलिस ने इस घटना को लेकर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।

पुलिस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पुलिस को सब्जी मंडी में गोलीबारी की घटना की सूचना मिली थी। जब पुलिस टीम मौके पर पहुंची, तो पता चला कि वकीलों के दो गुटों ने कथित तौर पर हवा में फायरिंग की थी। 

फिलहाल स्थिति सामान्य है। वहीं बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के अध्यक्ष केके मनन ने तीस हजारी कोर्ट परिसर में गोलीबारी की घटना की निंदा की है।

काउंसिल ऑफ दिल्ली के अध्यक्ष केके म नन ने जारी आधिकारिक बयान में कहा- यह घटना क्यों हुई। इसमें कौन-कौन शामिल थे। इसकी विस्तृत जांच की जाएगी। इस बात की जांच की जाएगी कि हथियार लाइसेंसी था या नहीं। अगर हथियार लाइसेंसी थे, तो भी कोई वकील या कोई अन्य उनका उपयोग अदालत परिसर के भीतर या आसपास इस तरह से नहीं कर सकता है।

कोर्ट परिसर में फायरिंग की घटना के वीडियो फुटेज सामने आए हैं। इसमें साफ नजर आ रहा है कि वकीलों के दो गुट आमने सामने हैं। फुटेज में दोनों गुटों के वकीलों के बीच ईंट पत्थर चल रहे हैं। वकील एक दूसरे पर हमले करते साफ नजर आ रहे हैं। वकीलों का एक समूह दूसरे गुट पर लाठी डंडों से हमला करता दिखाई दे रहा है। दोनों समूहों के बीच हुई लड़ाई में युवा वकील हमले करते नजर आ रहे हैं। दोनों गुट एक दूसरे पर अपशब्दों का इस्तेमाल भी करते सुने जा सकते हैं।

दिल्ली:देश की राजधानी दिल्ली के जनकपुरी इलाके में सड़क का एक बड़ा हिस्सा धंस गया बीच सड़क पर भयंकर गड्ढा बन गया,ट्रैफिक को किया गया डायवर्ट

दिल्ली:- राजधानी दिल्ली में बारिश के जलजमाव के कारण एक बड़ा हादसा होते होते बच गया दिल्ली के जनकपुरी इलाके में अचानक मुख्य सड़क का एक बड़ा हिस्सा धंस गया। जिस जगह यह हादसा हुआ वह एक पॉश इलाका है और हर रोज यहां से हजारों की संख्या में वाहन गुजरते हैं। गनीमत यह रही कि जिस वक्त यह हादसा हुआ उस समय वहां से कोई वाहन नहीं गुजर रहा था।

जानकारी के अनुसार जिस सड़क के बीचों-बीच यह भयंकर गड्ढा बना है वो सड़क जनकपुरी के अति व्यस्त सड़कों में से एक है। जनकपुरी इलाके में जिस जगह यह सड़क धंसी है उसके आसपास पब्लिक स्कूल और पार्क भी है। बता दें कि सड़क के बीचों-बीच बने इस गड्ढे को देखने के लिए मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई।

इसलिए किसी तरह की कोई सड़क दुर्घटना नहीं हुई। तो वहीं, सड़क धसने की जो तस्वीर सामने आई हो वो काफी डरा देने वाली है। जैसे ही सड़क धसने की सूचना जनकपुरी पुलिस और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को मिली तो एक टीम तत्काल मौके पर पहुंच गई। इस दौरान खतरे को भांपते हुए पुलिस ने मौके पर बैरिकेडिंग ट्रैफिक को डायवट कर दिया।

फिलहाल पुलिस ने सड़क के धंसे हिस्से के आसपास बैरिकेडिंग कर दी है और ट्रैफिक डायवर्ट कर दिया गया है। इससे पहले द्वारका से सटे भारत विहार में कल शाम सड़क धंसने से एक टैम्पो फंस गई थी। प्रशासन ने उस पूरे हिस्से की बैरिकेडिंग कर दी है ताकि आगे भी किसी हादसे से बचा जा सके।

वहीं, लोगों ने सड़क के बीच बने इस भयंकर गड्ढा के वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो में देखा जा सकता है कि सड़क धंसने से बीचों-बीच वहां कई फुट बड़ा गड्ढा बना गया है। अगर वाहनों के गुजरते वक्त यह सड़क धंसती तो कोई बड़ी दुर्घटना भी हो सकती थी। गनमीत रही कि कोई हादसा नहीं हुआ है।

फिल्मी कोना : बॉलीवुड के ये कलाकार ने खूब कमाया नेम और फेम लेकिन जिंदगी के आखिरी दिनों में दाने-दाने को रहे मोहताज़

नई दिल्ली (डेस्क) : मायानगरी की चकाचौंध भरी जिंदगी को देख हर कोई इसकी ओर खिंचा चला आता है. बॉलीवुड की इस जगमगाती दुनिया को देख लोग यही समझते हैं कि यहां नाम और शोहरत तो है ही पैसा भी खूब है और इस बात में बहुत हद तक सच्चाई है भी. लेकिन कई बार ऐसा हुआ है जब बॉलीवुड में बुंलदी और शोहरत हासिल करने वाले सितारों ने आखिरी वक्त में न सिर्फ मुफलिसी झेली बल्कि कहीं गुमनामी में खो गए. आज हम ऐसे ही सितारों की चर्चा कर रहे हैं.

परवीन बॉबी

अपने जमाने की सबसे ग्लैमरस एक्ट्रेस कही जाने वाली परवीन बॉबी ने नेम और फेम दोनों ही पाया. एक समय में वह इंडस्ट्री की सबसे डिमांडिंग एक्ट्रेस बन गई थीं और एक से बढ़कर एक बड़ी फिल्में उनकी झोली में गिर रही थीं, लेकिन जिंदगी के आखिरी समय में परवीन गुमनामी में खो गईं. साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम से जूझ रही परवीन के आखिरी दिन आर्थिक तंगी में गुजरे और एक दिन उनके ही अपार्टमेंट में उनकी लाश बरामद हुई.

मीना कुमारी

आज भी मीना कुमारी को बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत अभिनेत्री माना जाता है. मीना का खूबसूरती और उनकी एक्टिंग के लोग दीवाने थे. लेकिन मीना की जिंदगी बाहर से जितनी खूबसूरत नजर आती थी, पास जाकर देखने पर वह उतनी ही धुंधली दिखती. रिपोर्ट्स के अनुसार शराब की आदी हो चुकीं मीना गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं. वहीं उनकी पर्सनल लाइफ और रिश्तों में भी काफी उथल पुथल थी. आखिरी दिनों में मीना इस कदर आर्थिक तंगी से परेशान हो गईं कि उनके पास इलाज के पैसे भी नहीं थे.

एके हंगल

बॉलीवुड की अनगिनत फिल्मों में बूढे काका का रोल निभाने वाले और खासकर शोले में अपने रोल के लिए पहचाने जाने वाले एकटर ए. के हंगल भी जिंदगी के आखिरी दिनों में मुफलिसी से गुजर रहे थे. उनकी स्थिति को देखते हुए अमिताभ बच्चन ने उन्हें 20 लाख रुपए की मदद की थी.

भारत भूषण

बीते जमाने के दिग्गज एक्टर भारत भूषण ने पर्दे पर कालिदास, कबीर, तानसेन, कबीर और मिर्जा गालिब जैसे महान लोगों के किरदार को जिया था. रिपोर्ट्स के अनुसार जुए की लत की वजह से वह आखिरी दिनों में छोटे-मोटे रोल्स निभाने पर मजबूर हुए और बाद की जिंदगी आर्थिक तंगी में गुजरी.

बालासोर ट्रैन दुर्घटना: रेलवे के उच्चस्तरीय जांच में बालासोर ट्रेन दुर्घटना का कारण सिग्नल सिस्टम में खराबी की बात सामने आयी,

समय पर कदम उठाया जाता तो सैकड़ों जानें बच जाती

नई दिल्ली: बालासोर ट्रेन दुर्घटना का प्राथमिक कारण 'गलत सिग्नलिंग' था. उच्चस्तरीय जांच में सिग्नलिंग और दूरसंचार (एसएंडटी) विभाग के भीतर 'कई स्तरों पर चूक' को उजागर किया गया है. साथ ही ये स्वीकार किया गया है कि यदि पिछली चेतावनियों की सूचना दी गई होती, तो इस त्रासदी को रोका जा सकता था.

समय पर देते जानकारी तो न होता हादसा :रेलवे सुरक्षा आयोग (सीआरएस) ने रेलवे बोर्ड को एक स्वतंत्र रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कहा गया कि सिग्नलिंग कार्य में कमियों के बावजूद, एसएंडटी कर्मचारी सुधारात्मक उपाय कर सकते थे यदि उन्हें बाहानागा बाजार के स्टेशन प्रबंधक द्वारा दो समानांतर पटरियों को जोड़ने वाले स्विच के 'बार-बार असामान्य व्यवहार' के बारे में सूचित किया गया होता, जहां हादसा हुआ.

इसके अतिरिक्त रिपोर्ट ने संकेत दिया कि स्टेशन के लिए अप्रूव्ड सर्किट डायग्राम न होने के परिणामस्वरूप बाहानागा बाजार स्टेशन में लेवल क्रॉसिंग गेट 94 पर इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर बदलने का गलत तरीका सामने आया. डायग्राम न होने के कारण गलत वायरिंग हुई. रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि फील्ड पर्यवेक्षकों की एक टीम ने वायरिंग डायग्राम को संशोधित करने का प्रयास किया लेकिन इसे सटीक रूप से दोहराने में विफल रही.

बांकरा नयाबाज़ स्टेशन हादसे का भी जिक्र :इसके अलावा, रिपोर्ट में 16 मई, 2022 को दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर डिवीजन के बांकरा नयाबाज़ स्टेशन पर भी इसी तरह की घटना पर प्रकाश डाला गया, जो दोषपूर्ण वायरिंग और केबल मुद्दों के कारण हुई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि इस घटना के बाद गलत वायरिंग की समस्या को दूर करने के लिए सुधारात्मक उपाय किए गए होते तो बीएनबीआर में दुर्घटना टाली जा सकती थी.

इसलिए गलत सिग्नल मिला :निर्णायक रूप से, रिपोर्ट ने पीछे की टक्कर को दुर्घटना का जिम्मेदार ठहराया. 'सिग्नलिंग-सर्किट-परिवर्तन में चूक' जो अतीत में उत्तरी सिग्नल 'गुमटी' पर हुआ था, साथ ही स्टेशन लेवल क्रॉसिंग गेट 94 पर इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर के बदलने से संबंधित सिग्नलिंग कार्य के दौरान हुआ था.इन खामियों के परिणामस्वरूप ट्रेन संख्या 12841 को गलत सिग्नल मिला, जिससे यह अप लूप लाइन पर चली गई और अंततः वहां मौजूद माल गाड़ियों से टकरा गई.

सीआरएस ने ये दिए सुझाव :भीषण ट्रेन हादसे की जांच रिपोर्ट में रेलवे सुरक्षा आयोग ने कई सुझाव भी दिए हैं. आयोग ने साइट पर सिग्नलिंग सर्किट के पूरा होने वाले सिग्नलिंग वायरिंग डायग्राम, साथ ही अन्य प्रासंगिक दस्तावेजों और लेटरिंग को अपडेट करने के लिए एक अभियान शुरू करने का सुझाव दिया है. साथ ही कहा है कि सिग्नलिंग संशोधन कार्य करते समय मानकों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए.गौरतलब है कि ओडिशा के बालासोर जिले में बाहानगा बाजार के निकट दो जून को हुई दुर्घटना में 292 लोगों की मौत हो गई थी और 1,000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.

पीपलू का शंकर मीणा हत्याकांड, वारदात में शामिल बजरी रॉयल्टी नाके के आठ कर्मचारी गिरफ्तार_

जयपुर. टोंक जिले के पीपलू इलाके में बजरी खनन को लेकर ट्रैक्टर चालक शंकर मीणा की पीट-पीटकर हत्या करने के मामले की जांच के लिए बनी एसआईटी ने खुलासा कर दिया है. इस मामले में एसआईटी ने बजरी रॉयल्टी नाके के आठ कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि वारदात में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश में टीमों का गठन किया गया है. 

साथ ही रॉयल्टी नाकों के मालिक, मैनेजर और लीजधारकों की घटना में क्या भूमिका रही, इसे लेकर भी एसआईटी अनुसंधान कर रही है. 

डीजीपी उमेश मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर 2 जून को इस प्रकरण की जांच पुलिस मुख्यालय क्राइम ब्रांच को सौंपी गई थी.

एडीजी (क्राइम) दिनेश एमएन ने बताया कि 27 जून की रात करीब 10:30 बजे टोंक जिले में पीपलू थाना इलाके के गाता-डोडवाडी रोड पर ट्रैक्टर चालक शंकर मीणा की हत्या कर दी गई. दो दिन धरना-प्रदर्शन के बाद 29 जून को घटनास्थल पर ही मृतक के भाई पिंटू मीणा की रिपोर्ट पर पीपलू थाने में मुकदमा दर्ज कर जांच एएसपी राकेश बैरवा को सौंपी गई. मामले के खुलासे के लिए आईजी प्रफुल्ल कुमार के सुपरविजन में एसआईटी गठित की गई.

जिसमें एएसपी नेम सिंह, आशाराम चौधरी व राजेश मलिक, पुलिस निरीक्षक हनुमान सिंह, रविंद्र यादव व राम सिंह, एएसआई रामकरण और कांस्टेबल रतीराम शामिल थे. एसआईटी ने तकनीकी अनुसंधान कर आरोपियों की घटनास्थल पर मौजूदगी सुनिश्चित की. 

साथ ही एसआईटी ने मामले का खुलासा करते हुए नीमकाथाना निवासी सागरमल चौधरी, राकेश उर्फ शेरा जाट, सुरेंद्र गुर्जर, राजेंद्र उर्फ मुकेश जाट, अभिषेक कुमावत, जोबनेर निवासी महेंद्र सिंह, बानसूर निवासी मुकेश तंवर और सीकर निवासी सतवीर सिंह को गिरफ्तार कर लिया है.

अवैध रूप से करते हैं धरपकड़ और गश्तःएडीजी दिनेश एमएन के अनुसार जांच में सामने आया है कि पकड़े गए सभी आरोपी रॉयल्टी नाकों के प्राइवेट कर्मचारी हैं, जो क्षेत्र में अवैध रूप से गश्त और धरपकड़ करते हैं. घटना के समय रॉयल्टी नाका पर बजरी के चार ट्रैक्टर आने की सूचना पर सागरमल चौधरी ने अलग-अलग रॉयल्टी नाकों से अपने कर्मचारियों को बुलाया और सभी एक बिना नंबरी बोलेरो और दो बोलेरो कैंपर लेकर गाता-डोड़वाड़ी रोड पहुंचे.

सूचना मिलने पर शंकर ने खाली कर दी बजरीः एडीजी दिनेश एमएन ने बताया कि 27 जून की रात करीब 10:30 बजे शंकर मीणा और एक अन्य लोग अपने ट्रैक्टर की लाइट बंद कर चल रहे थे. इस बीच शंकर के दोस्त शक्ति सिंह ने उसे कॉल कर आगाह किया कि आगे रॉयल्टी नाके के आदमी खड़े हैं. इस पर शंकर ने ट्रैक्टर से बजरी खाली कर दी और खाली ट्रैक्टर लेकर आगे बढ़ा.

लाठियों से पीट-पीटकर हत्याः 

शंकर अपना खाली ट्रैक्टर लेकर आगे बढ़ रहा था तभी साइड से रॉयल्टी नाका कार्मिकों ने शंकर के ट्रैक्टर को टक्कर मारी. इससे उसका ट्रैक्टर घूम कर सड़क के नीचे खेत में सीमेंट के पोल और कांटेदार बाड़ से टकरा कर रुक गया.

 आरोपियों ने शंकर मीणा को ट्रैक्टर से नीचे उतारा और उसकी लाठियों से पीट-पीटकर हत्या कर दी. बाद में आरोपी ट्रैक्टर को घुमा कर वापस सड़क पर लाए और घटनास्थल से दूर खड़ा कर दिया. 

इसके बाद अपने वाहन भी वहां खड़े कर दिए

राजनीतिक दबाव में प्राथमिकी दर्ज करने का आरोपःशंकर मीणा हत्याकांड में बजरी कारोबारी मेघराज सिंह सहित कई लोगों पर राजनीतिक दबाव में प्राथमिकी दर्ज करने का आरोप लगाते हुए राजपूत समाज के प्रतिनिधियों ने डीजीपी उमेश मिश्रा से मुलाकात की. उन्होंने इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है. समाज के लोगों ने डीजीपी को एक ज्ञापन भी सौंपा है. 

इसमें बताया गया है कि मेघराज सिंह को पीपलू थाने में दर्ज प्राथमिकी में नामजद किया गया है, जो पूरी तरह से राजनीतिक दबाव से प्रेरित है. ज्ञापन में लिखा है कि जिस तरह से सार्वजनिक मंचों से मेघराज सिंह के लिए सार्वजनिक मंच से अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया था. तभी से इस बात का अंदेशा था कि उनके खिलाफ कोई साजिश हो सकती है. राजपूत समाज की ओर से दिए ज्ञापन में दावा किया गया है कि जिस जगह शंकर मीणा की अप्राकृतिक मौत का हवाला दिया गया है. वह मेघराज सिंह का खनन क्षेत्र नहीं है न ही उस जगह उनका कोई बजरी रॉयल्टी का ठेका है.

अलवर बैंक जाने की बात कहकर घर निकला लापता व्यापारी का शव मिला,क्षेत्र में सनसनी

अलवर (राजस्थान): शिवाजी पार्क थाना क्षेत्र के निवासी एक व्यापारी घर से बैंक जाने की बात कहकर घर से निकला लेकिन रात तक घर नही लौटा।दूसरे दिन उसका शव बरामद हुआ।इस घटना के बाद क्षेत्र में सनसनी फैल गयी।

उस व्यापारी के परिजनों ने मामले की सूचना पुलिस को दी थी. पुलिस की मानें तो व्यापारी हवाला के पैसे का काम करता था. ऐसे में प्रथम दृष्टया मामला सुसाइड का लग रहा है.

शाम को निकला, रात तक नहीं लौटा : 

एसएचओ नेकीराम ने बताया कि अलवर के शिवाजी पार्क थाना क्षेत्र के विजयनगर मैदान के पास मंगलवार सुबह कच्ची बस्ती क्षेत्र में एक व्यपारी का शव मिला है. शव की पहचान स्कीम 10 निवासी अभिषेक गोयल (40) के रूप में हुई है, जो सोमवार शाम करीब 4 बजे से लापता था. अभिषेक सोमवार शाम 4 बजे घर से बैंक जाने का कहकर निकला था, लेकिन इसके बाद वापस नहीं लौटा. रात 8 बजे तक परिजनों ने अभिषेक की तलाश की, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली. इसके बाद मामले की सूचना पुलिस को दी गई.

परिजनों ने की शव की शिनाख्त :

एसएचओ ने बताया कि मंगलवार सुबह विजयनगर मैदान के पास कच्ची बस्ती क्षेत्र की तरफ अभिषेक गोयल का शव पड़ा हुआ मिला. लोगों ने शव की जानकारी पुलिस को दी. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को अपने कब्जे में लेकर राजीव गांधी सामान्य अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया और मृतक के परिजनों को घटना की जानकारी दी. परिजन मौके पर पहुंचे और उन्होंने शव की पहचान की. इसके बाद मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करावाकर शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया.

हवाला कारोबारी होने की आशंका : 

परिजनों ने बताया कि अभिषेक ऑनलाइन टिकट बुकिंग का काम करता था. उसके दो भाई हैं, जो दिल्ली और लद्दाख में व्यापार करते हैं. अभिषेक गोयल का एक बेटा है. शुरुआती जांच पड़ताल में कई अन्य तथ्य भी सामने आ रहे हैं. पुलिस के अनुसार अभिषेक गोयल हवाला के पैसे का काम भी करता था. उस पर लोगों का पैसा बकाया चल रहा था, जिसके चलते अभिषेक परेशान रहता था. फिलहाल मौत के कारणों का भी पता नहीं चल सका है.

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की जाति व्यवस्था के पुनर्वर्गीकरण के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका याचिकाकर्ता पर लगाया जुर्माना

नई दिल्ली :उच्चतम न्यायालय ने जाति व्यवस्था के पुनर्वर्गीकरण के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने मंगलवार को जाति व्यवस्था के पुनर्वर्गीकरण के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने एक वकील की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए याजिका कर्ता पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. इस तरह की जनहित याचिकाएं बंद होनी चाहिए. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 का आह्वान करते हुए केंद्र को जाति व्यवस्था के पुन: वर्गीकरण के लिए एक नीति बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है. यह जनहित याचिका अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. हम इसे खारिज करते हैं और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन को 25,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश देते हैं.

याचिकाकर्ता को दो सप्ताह के भीतर भुगतान की रसीद पेश करनी होगी. शीर्ष अदालत वकील सचिन गुप्ता की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जाति व्यवस्था के पुन: वर्गीकरण के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई थी. इससे पहले एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च 2023 को कहा था कि फैसले के वाद शीर्षक में किसी मामले में शामिल पक्षों की जाति का उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए.

सरल शब्दों में, इसमें कहा गया है कि मामले में शामिल लोगों की जाति का उल्लेख केस फ़ाइल के नाम में करने की आवश्यकता नहीं है. शीर्ष अदालत की यह सलाह तब आई थी जब वह बलात्कार के दोषी की सजा कम करने के खिलाफ 'राजस्थान राज्य बनाम गौतम हरिजन' मामले की सुनवाई कर रही थी.

राज्य सरकार ने राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी, जिसने बलात्कार के दोषी की सजा को बरकरार रखा था, लेकिन उसकी उम्र, कारावास की अवधि और पहली बार अपराधी होने जैसे कारकों के कारण उसकी सजा कम कर दी थी. उस व्यक्ति को ट्रायल कोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO), 2012 अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी ठहराया था.