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कर्नाटक के स्कूलों में अब नहीं पढ़ाई जाएगी आरएसएस संस्थापक की जीवनी, सिद्धारमैया सरकार के फैसले पर बीजेपी का पलटवार

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कर्नाटक में सरकार बदलने के साथ ही पुराने कानूनों को पलटने का काम भी शुरू हो गया है। कर्नाटक सरकार ने स्कूल की किताब से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार से संबंधित पाठ हटा दिया है। इतना ही नहीं, दक्षिणपंथी चक्रवर्ती सुलिबेले और बन्नान्जे गोविंदाचार्य से जुड़ी सामग्रियां भी हटा दी गईं हैं। कर्नाटक मंत्रीमंडल ने आज हेडगेवार व अन्य आरएसएस के नेता से जुड़े पाठ को पाठ्यक्रम से हटाने के फैसले पर मुहर लगा दी।इसकी जानकारी कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत के दौरान दी।

हेडगेवार के चैप्टर को हटाया गया

कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने बताया कि राज्य में स्कूली पाठ्य पुस्तकों से आरएसएस संस्थापक केबी हेडगेवार और अन्य के चैप्टर को हटाने का फैसला किया है। उनके साथ ही मंत्री एचके पाटिल ने बताया है कि राज्य मंत्रिमंडल ने स्कूलों और कॉलेजों में प्रेयर के साथ संविधान की प्रस्तावना को पढ़ना अनिवार्य करने का फैसला किया है। साथ ही कैबिनेट बैठक में कृषि उत्पाद बाजार समिति अधिनियम में संशोधन करने पर भी निर्णय लिया गया है। इस कदम का उद्देश्य पुराने कानून को बहाल करना है। उन्होंने यह भी कहा कि आज कैबिनेट की बैठक में पाठ्यपुस्तकों के पुनरीक्षण पर भी चर्चा हुई। कानून और संसदीय कार्य मंत्री ने आगे कहा धर्मांतरण के कानून को रद्द करने के संबंध में प्रस्ताव तीन जुलाई से शुरू होने वाले सत्र के दौरान पेश किया जाएगा। 

सभी स्कूलों को तत्काल एक सप्लीमेंट्री बुकलेट भेजा जाएगा

चूंकि इस साल की किताबें पहले से ही छप चुकी हैं, इसीलिए मंत्रीमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया कि सभी स्कूलों को तत्काल एक सप्लीमेंट्री बुकलेट भेजा जाएगा। जिसमें इस बात के दिशा-निर्देश होंगे कि कक्षा 6 से 10 तक की कन्नडा और सामाजिक ज्ञान की पुस्तक से कौन-कौन से चैप्टर हटाए जाने चाहिए।

कमेटी को दिए थे जांच के आदेश

बता दें कि इससे पहले सिद्दारमैया ने निर्देश दिया था कि बीजेपी के कार्यकाल में जोड़ी गई विवादित सामग्रियों की जांच के लिए एक 5 सदस्यीय कमेटी बनाई जाए, और वो एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपे। इसके बाद कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी, जिस पर कर्नाटक सरकार ने फैसला लिया है।

बीजेपी ने कहा- सिद्धारमैया की सरकार हिंदुओं के खिलाफ

केबी हेडगेवार वाला पाठ किताब से हटाए जाने पर बीजेपी की ओर से भी प्रतिक्रिया आई है। बीजेपी नेता और कर्नाटक के पूर्व शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने पलटवार में कहा है कि सिद्धारमैया की सरकार हिंदुओं के खिलाफ है।न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कर्नाटक के पूर्व शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा, ''वे (कांग्रेस) मुस्लिमों के वोट चाहते हैं।मूल रूप से सिद्धारमैया की सरकार हिंदुओं के खिलाफ है। आपको हमेशा पता होना चाहिए। वह हिंदुओं के लिए नहीं है। निश्चित रूप से हमने अपनी संस्कृति को बचाने के लिए जो कुछ भी किया है, वे उसके खिलाफ जा रहे हैं।

धर्मांतरण विरोधी कानून को कर्नाटक सरकार ने लिया वापस, गोहत्या निरोधक कानून के सख्त प्रावधानों को भी कांग्रेस सरकार के कमजोर कर देने की चर्चा जोर

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने राज्य में धर्मांतरण विरोधी कानून को वापस ले लिया है। इस कानून को भाजपा की सरकार लेकर आई थी। चर्चा है कि इसके बाद गोहत्या निरोधक कानून के सख्त प्रावधानों को भी कांग्रेस सरकार कमजोर कर सकती है। आज हुई सिद्धारमैया सरकार की कैबिनेट मीटिंग में यह फैसला लिया गया है। मीटिंग में आरएसएस के संस्थापक रहे केशव बलिराम हेडगेवार को स्कूली किताबों के सिलेबस से हटा दिया है। कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने कहा, 'हेडगेवार पर स्कूल सिलेबस में जो दिया गया था, उसे हटाया गया है। पिछले सरकार ने बीते साल जो भी बदलाव किए थे, उन्हें वापस लिया गया है। अब वही पढ़ाई होगी, जो पहले होती थी।'

इसके अलावा कैबिनेट ने एक फैसला और लिया है कि सभी सरकारी, गैर-सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों एवं कॉलेजों में संविधान की प्रस्तावना को पढ़ना अनिवार्य़ होगा। कांग्रेस सरकार की ओर से धर्मांतरण विरोधी कानून को हटाने पर भाजपा ने हमला बोला है।

पूर्व शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा, 'ये लोग मुसलमानों के वोट चाहते हैं। सिद्धारमैया की सरकार हिंदुओं के खिलाफ है। ये लोग तो हिजाब को फिर से लागू करा सकते हैं। ये लोग अल्पसंख्यकों को वोट हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं और सब चीजों को राजनीति से जोड़ देते हैं।' चर्चा है कि कांग्रेस सरकार गोहत्या निरोधक कानून भी हटा सकती है। पिछले दिनों एक मंत्री ने यहां तक कहा था कि यदि भैंसों को काटा जा सकता है तो फिर गायों को क्यों नहीं।

बेटी कात्यायनी का पासपोर्ट बनवाने पटना के मौर्यालोक स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट ऑफिस पहुंचे बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, सभी जरूरी दस्तावेज क

डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव आज बेटी कात्यायनी का पासपोर्ट बनवाने के लिए पटना के मौर्यालोक स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट ऑफिस पहुंचे। सभी जरूरी दस्तावेज भी जमा किए। इससे पहले भी वो इसके लिए आशियाना रोड स्थित पासपोर्ट ऑफिस पहुंचे थे। जहां पासपोर्ट बनवाने संबंधी सभी प्रक्रिया पूरी की थी। इस दौरान उनके साथ पत्नी राजश्री और बेटी कात्यायनी भी मौजूद थीं। 

बेटी कात्यायनी का पासपोर्ट बनवा रहे तेजस्वी

 तेजस्वी ने बताया कि वो बेटी का पासपोर्ट बनवाने आए हैं। साथ ही बर्थ सर्टिफिकेट भी बनवाना है। वैसे आपको बता दें तेजस्वी यादव अपने परिवार को लेकर काफी एक्टिव रहते हैं। अपने परिवार की हर खुशी वो अक्सर सोशल मीडिया पर शेयर करते रहे हैं। और जब से उनके परिवार में बेटी कात्यायनी आई है। तब से वो उसके साथ काफी वक्त बिताते हैं। ऐसे में विदे जाने के लिए बेटी को पासपोर्ट की जरूरत पड़ी तो पापा तेजस्वी खुद ही पासपोर्ट ऑफिस पहुंच गए। और सारी प्रक्रियाओं को पूरा किया। 

लालू ने पोती का नाम रखा कात्यायनी

बता दें कि तेजस्वी यादव की पुत्री का जन्म इसी वर्ष चैत्र नवरात्र के दौरान हुआ था और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने पोती का नाम कात्यायनी रखा है। लालू एंड फैमिली ने अपनी खुशी सोशल मीडिया पर भी शेयर की थी। दिसंबर, 2021 में तेजस्वी और राजश्री की शादी हुई थी। यह शादी दिल्ली में अचानक की गई थी। दोनों एक-दूसरे को पहले से अच्छी तरह जानते थे।

चक्रवाती तूफान को लेकर राहत भरी खबर, गुजरात के तटीय क्षेत्रों की ओर बढ़ रहा बिपरजॉय पड़ा कमजोर, तूफान के लैंडफॉल में भी बदलाव की संभावना

चक्रवाती तूफान बिपरजॉय को लेकर राहत भरी खबर है। गुजरात के तटीय इलाकों की ओर बढ़ रहा बिपरजॉय कमजोर पड़ता नजर आ रहा है। पिछले कुछ घंटों में तूफान की तीव्रता कम हो गई है। राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक के दौरान राहत आयुक्त आलोक पांडे ने यह जानकारी दी। 

कच्छ जिले में जखाऊ बंदरगाह 

उन्होंने बताया कि चक्रवात बिपरजॉय की हवा की गति में उल्लेखनीय कमी देखी गई है। इसके चलते तूफान के संभावित लैंडफॉल में भी बदलाव की संभावना है। अधिकारी ने बताया कि पहले के पूर्वानुमान के मुताबिक, तूफान कच्छ जिले में जखाऊ बंदरगाह के करीब शाम 4 बजे से शाम 5 बजे के बीच पहुंचने वाला था। लेकिन अब इसमें बदलाव की संभावना है क्योंकि हवा की गति कम पड़ी है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने एक दिन पहले भविष्यवाणी करते हुए कहा था कि लैंडफॉल के दौरान हवा की गति लगभग 140-145 किमी प्रति घंटा हो सकती हा।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, "मौसम विभाग के अनुसार तूफान की रफ्तार धीमी होने के कारण अब इसके गुरुवार रात करीब नौ बजे से रात 10 बजे के बीच तट से टकराने की संभावना है। संभावित चक्रवात के जमीन से टकराने पर हवा की गति 115-125 किमी प्रति घंटा होने की संभावना है। केवल तूफान की रफ्तार कम हुई है, लेकिन संकट अभी टला नहीं है, ऐसे में प्रशासन एहतियात के तौर पर पूरी तैयारी कर चौकसी बरत रहा है।"

सतर्क रहने पर जोर

तूफान की तीव्रता में कमी एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि अधिकारियों ने सतर्क रहने पर जोर दिया है क्योंकि संकट अभी पूरी तरह टला नहीं है। अधिकारी ने कहा कि राज्य प्रशासन उच्च स्तर की तैयारियों को बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है। आईएमडी के मुताबिक, अगले 3 घंटों के दौरान गुजरात राज्य के द्वारका, जामनगर, पोरबंदर, मोरबी, राजकोट, जूनागढ़, अमरेली, भावनगर, गिर सोमनाथ और कच्छ जिले में 40 किमी प्रति घंटे से कम की अधिकतम सतही हवा की गति के साथ मध्यम बारिश (5-15 मिमी/घंटा) की संभावना है।  

सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री पटेल ने चक्रवात बिपरजॉय द्वारा उत्पन्न संभावित जोखिमों के मद्देनजर सक्रिय उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया है और सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों को राज्य के निवासियों की सुरक्षा और भलाई को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है। भारतीय सेना, नौसेना, स्टेट रिजर्व डिफेंस फोर्स (SRDF), नेशनल रिजर्व डिफेंस फोर्स (NRDF) और कोस्ट गार्ड के साथ राज्य सरकार ने चक्रवात के प्रभाव को कम करने और प्रभावित आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक सामूहिक प्रयास शुरू किया है।

94,000 से अधिक लोगों को निकाला

गुजरात सरकार ने एक मीडिया बयान में कहा कि 8 प्रभावित जिलों के चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले 94,000 से अधिक लोगों को सफलतापूर्वक सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया गया है। निकाले गए लोगों में कच्छ से 46,823, जूनागढ़ से 4,864, जामनगर से 9,942, पोरबंदर से 4379, देवभूमि द्वारका से 10,749, गिर सोमनाथ से 1605, मोरबी से 9243 और राजकोट से 6822 लोग शामिल हैं। इसके अलावा, 8930 बच्चे, 4697 बुजुर्ग और 1131 गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। वन्य जीवों की सुरक्षा और संरक्षा को ध्यान में रखते हुए गुजरात वन विभाग द्वारा करीब 180 टीमें तैयार की गई हैं। इसके अलावा रिहायशी इलाकों में पशुशालाओं को खुला रखने के भी निर्देश दिए गए हैं।

*गलवान हिंसा के तीन साल पूरे होने खड़गे का केन्द्र पर तंज, बोले-मोदी सरकार की 'लाल आंख' धुंधली पड़ गई है, उस पर लगा चीनी चश्मा*

#galwanclashmallikarjunkhargesaidduetofailuresofgovtstatus

चीनी सैनिकों के साथ साल 2020 में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की झड़प के तीन साल पूरे होने पर कांग्रेस ने पीएम मोदी पर जोरदार हमला बोला। कांग्रेस ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति बरकरार नहीं रखने का आरोप लगाते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल दागे। कांग्रेस ने पीएम मोदी के चीन को क्लीन चिट देने को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा झटका भी करार दिया। 

मल्लिकार्जुन खरगे ने उठाए सवाल 

गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्विटर पर लिखा, "तीन साल पहले गलवान घाटी में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले 20 वीर जवानों को कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि, मोदी सरकार की नाकामियों के चलते एलएसी पर इन तीन सालों में पूर्व यथास्थिति अब नहीं है। हम 65 में से 26 पेट्रोलिंग प्वाइंट पर अपना अधिकार खो चुके हैं।"

मोदी सरकार देशवासियों को अंधेरे में रखना चाहती है

मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने ट्वीट में लिखा, हमने संसद में ये मुद्दा कई बार उठाने की कोशिश की है, पर मोदी सरकार देशवासियों को अंधेरे में रखना चाहती है। गलवां पर पीएम मोदी की 'क्लीन चिट' की वजह से चीन अपने नापाक इरादों में सफल होता दिख रहा है। ये हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की अखंडता पर गहरा आघात है। मोदी सरकार की 'लाल आंख' धुंधली पड़ गई है, जिस पर उसने चीनी चश्मा पहन रखा है। विपक्ष में रहकर हमारा काम है, देश को चीनी विस्तारवादी नीति के खिलाफ एकजुट रखना और मोदी सरकार के चीनी चश्मे को उतार फेंकना।

राहुल गांधी ने शहीद जवानों को किया याद

पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा, गलवां घाटी के संघर्ष में शहीद हुए हमारे सभी वीर जवानों को उनके शहादत दिवस पर शत-शत नमन। देश की सीमा की रक्षा के लिए उनका दिया सर्वोच्च बलिदान भारत सदैव याद रखेगा।

प्रियंका गांधी ने भी किया ट्वीट

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के अलावा पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने भी शहीद जवानों को याद किया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "देश की रक्षा करते हुए गलवान घाटी में शहीद हुए सभी वीर जवानों को नमन, हम वीर जवानों की शहादत कभी नहीं भूलेंगे और इस सर्वोच्च बलिदान के लिए हमेशा उनके ऋणी रहेंगे।

जब भारत-चीन के जवान आमने-सामने आ गए थे

गलवान घाटी में तीन साल पहले भारत और चीन के जवान आमने-सामने आ गए। इस दौरान चीनी सैनिक कंटीली तारों वाले डंडों से लेस थे। जिनसे उन्होंने भारतीय जवानों पर हमला कर दिया। इस खूनी संघर्ष में 20 जवान शहीद हो गए।चीनी सैनिकों की घुसपैठ को रोकने के दौरान हुई इस घटना में दोनों तरफ से जवानों में जमकर झड़प हुई, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। वहीं कई चीनी सैनिकों के मारे जाने की भी जानकारी सामने आई थी।

गलवान हिंसा के तीन साल पूरे होने खड़गे का केन्द्र पर तंज, बोले-मोदी सरकार की 'लाल आंख' धुंधली पड़ गई है, उस पर लगा चीनी चश्मा

#galwanclashmallikarjunkhargesaidduetofailuresofgovtstatus

चीनी सैनिकों के साथ साल 2020 में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की झड़प के तीन साल पूरे होने पर कांग्रेस ने पीएम मोदी पर जोरदार हमला बोला। कांग्रेस ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति बरकरार नहीं रखने का आरोप लगाते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल दागे। कांग्रेस ने पीएम मोदी के चीन को क्लीन चिट देने को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा झटका भी करार दिया। 

मल्लिकार्जुन खरगे ने उठाए सवाल 

गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्विटर पर लिखा, "तीन साल पहले गलवान घाटी में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले 20 वीर जवानों को कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि, मोदी सरकार की नाकामियों के चलते एलएसी पर इन तीन सालों में पूर्व यथास्थिति अब नहीं है। हम 65 में से 26 पेट्रोलिंग प्वाइंट पर अपना अधिकार खो चुके हैं।"

मोदी सरकार देशवासियों को अंधेरे में रखना चाहती है

मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने ट्वीट में लिखा, हमने संसद में ये मुद्दा कई बार उठाने की कोशिश की है, पर मोदी सरकार देशवासियों को अंधेरे में रखना चाहती है। गलवां पर पीएम मोदी की 'क्लीन चिट' की वजह से चीन अपने नापाक इरादों में सफल होता दिख रहा है। ये हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की अखंडता पर गहरा आघात है। मोदी सरकार की 'लाल आंख' धुंधली पड़ गई है, जिस पर उसने चीनी चश्मा पहन रखा है। विपक्ष में रहकर हमारा काम है, देश को चीनी विस्तारवादी नीति के खिलाफ एकजुट रखना और मोदी सरकार के चीनी चश्मे को उतार फेंकना।

राहुल गांधी ने शहीद जवानों को किया याद

पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा, गलवां घाटी के संघर्ष में शहीद हुए हमारे सभी वीर जवानों को उनके शहादत दिवस पर शत-शत नमन। देश की सीमा की रक्षा के लिए उनका दिया सर्वोच्च बलिदान भारत सदैव याद रखेगा।

प्रियंका गांधी ने भी किया ट्वीट

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के अलावा पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने भी शहीद जवानों को याद किया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "देश की रक्षा करते हुए गलवान घाटी में शहीद हुए सभी वीर जवानों को नमन, हम वीर जवानों की शहादत कभी नहीं भूलेंगे और इस सर्वोच्च बलिदान के लिए हमेशा उनके ऋणी रहेंगे।

जब भारत-चीन के जवान आमने-सामने आ गए थे

गलवान घाटी में तीन साल पहले भारत और चीन के जवान आमने-सामने आ गए। इस दौरान चीनी सैनिक कंटीली तारों वाले डंडों से लेस थे। जिनसे उन्होंने भारतीय जवानों पर हमला कर दिया। इस खूनी संघर्ष में 20 जवान शहीद हो गए।चीनी सैनिकों की घुसपैठ को रोकने के दौरान हुई इस घटना में दोनों तरफ से जवानों में जमकर झड़प हुई, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। वहीं कई चीनी सैनिकों के मारे जाने की भी जानकारी सामने आई थी।

दिल्ली के मुखर्जी नगर के कोचिंग सेंटर में लगी आग, छात्रों से रस्सी के सहारे कूदकर बचाई जान

#fire_breaks_out_in_delhi_mukherjee_nagar_gyan_building

दिल्ली के मुखर्जी नगर में संस्कृति कोचिंग सेंटर में आग लगने के बाद हड़कंप मच गया है। कोचिंग सेंटर की तीसरी मंजिल पर आग लगने से अफरातफरी मच गई। आग लगने के बाद कोचिंग सेंटर में मौजूद छात्र रस्सी के सहारे नीचे उतरकर जान बचाते हुए दिखे। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर आ गया है। 

कोचिंग सेंटर में आग आज दोपहर करीब साढ़े 12 बजे लगी। कोचिंग सेंटर में आग लगी देख छात्रों में हड़कंप मच गया। छात्र चीख-पुकार मचाने लगे। आनन-फानन में इसकी सूचना पुलिस और फायर ब्रिगेड को दी गई। सूचना पर पहुंची पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम ने आग बुझाना और छात्रों का रेस्क्यू करना शुरू किया।

बताया जा रहा है कि आग बिजली के मीटर में लगी थी, जिससे पूरे कोचिंग सेंटर में धुआं भर गया। डर के मारे छात्रों ने खिड़की से कूदकर अपनी जान बचाई। इस दौरान चार छात्र घायल भी हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।दमकल विभाग के मुताबिक, सभी छात्रों को रेस्क्यू कर लिया गया है। किसी छात्र को गंभीर चोट नहीं लगी है। स्थिति कंट्रोल में है।

दिल्ली डीसीपी सुमन नलवा ने घटना के बारे में न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया, ‘घायल कुछ छात्रों को नजदीकी अस्पताल भेजा गया। हालांकि, किसी तरह के गंभीर नुकसान या किसी के जीवन के लिए खतरा उत्पन्न नहीं हुआ। बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर बिजली के एक मीटर में आग लगी थी। हालांकि, आग बड़ी नहीं थी, महज एक मीटर में फैल गई थी। लेकिन धुंआ उठने के बाद बच्चे घबड़ा गए और बिल्डिंग के पीछे के रास्ते से नीचे उतरने का प्रयास करने लगे। रस्सी के सहारे इमारत से नीचे उतरने में 4 छात्र घायल हुए। हालांकि आग से कोई व्यक्ति हताहत नहीं हुआ है। छात्रों को मामूली चोटें आई हैं।

बीजेपी को आ रही पुराने साथियों की याद! जाने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इन दलों पर क्यों है खास नजर

#bjpfocusonnewregionalalliancesfor2024general_election

2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता की बातें होने लगी हैं। विपक्षी दल एकजुट होकर बीजेपी को हराने की योजना बनाने के लिए बैठक कर रहे हैं। नई संसद के उद‌्घाटन समारोह का कांग्रेस सहित 20 विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया था। इसके जरिए विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखाने की भी कोशिश की। एकतरफ विपक्षी एकता की कोशिश हो रही है तो दूसरी तरफ बीजेपी भी अपना कुनबा बढ़ाने की कोशिश कर रही है। पिछले लोकसभा चुनाव से अब तक बीजेपी अपने कई साथियों को खो चुकी है। ऐसे में यह पार्टी आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले अपने पुराने सहयोगियों को बार फिर वापस लाने की कोशिश में दिख रही हैं।

बीजेपी पुराने सहयोगियों को एकबार फिर वापस लाने की कवायद में

दरअसल पिछले दो लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को बुरी तरह हराकर बहुमत हासिल किया था। साल 2014 में बीजेपी ने अपने दम पर 282 सीटें जीतीं और एनडीए ने मिलकर 336, साल 2019 में बीजेपी ने 303 और एनडीए ने 352 सीटें जीतीं। धीरे-धीरे 2024 के चुनाव से पहले बीजेपी के अपने पुराने सहयोगी अलग होते गए और एक समय पार्टी के साथ कदमताल मिलाकर वर्षों तक चलनेवाली पार्टियों ने या तो विपक्ष का दामन थाम लिया या फिर एकला चलो की राह पर निकल पड़ीं। अब जब विपक्ष एकजुट हो रहा है तो बीजेपी भी लोकसभा चुनाव से पहले अपनी रणनीति बदल रही है और पार्टी को 25 साल पुराने सहयोगियों की फिर से याद आ रही है। बीजेपी गठबंधन की पुराने सहयोगियों को एकबार फिर से वापस लाने की कवायद में है।

टीडीपी के साथ दोस्ती का संकेत

हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने आंध्र प्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात की थी। 2019 में एनडीए से अलग हो चुकी इस पार्टी के प्रमुख से मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले लोकसभा चुनाव में तेलुगु देशम पार्टी एक बार फिर एनडीए के गठबंधन में शामिल हो सकती। वैसे इसकी नींव इस साल हुए पोर्ट ब्लेयर के नगर परिषद के चुनाव में पड़ चुकी है। यहां दोनों दलों ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था और चुनाव जीत भी लिया था। इसके बाद मई में पीएम मोदी ने भी 'मन की बात' कार्यक्रम में एन टी रामाराव की जयंती पर उन्हें याद कर टीडीपी के साथ दोस्ती का संकेत दिया था। इसके बाद उनके साथ आने की अटकलें और बढ़ गईं।

पंजाब में अकाली दल की होगी वापसी

पंजाब के बीजेपी के पुराने सहयोगी की बात करें तो अकाली दल को लेकर पार्टी असमंजस में है। मगर जिस तरह सीनियर बादल यानी प्रकाश सिंह बादल के निधन पर प्रधानमंत्री समेत तमाम बड़े नेता उनके गांव पहुंचे और पीएम ने जो सह्रदयता दिखाई उसे देखकर कयास फिर से लगाए जा रहे हैं कि ये पार्टियां एकबार फिर एक प्लेटफार्म पर आ सकती हैं। 

राजभर के साथ यूपी में दोस्ती का प्लान

लोकसभा चुनाव में बीजेपी उत्तर प्रदेश में किसी तरह का कोई राजनीतिक रिस्क नहीं लेना चाहती है, जिसके लिए मौजूदा सहयोगी दलों को साथ रखने के अलावा भी नए साथ की तलाश में है। ऐसे में बीजेपी की नजर यूपी में ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा के साथ गठबंधन करने की है। विधान परिषद के चुनाव में राजभर ने बीजेपी के पक्ष में वोटिंग कर दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया है। इसकी वजह यह है कि सुभासपा से गठबंधन करने पर बीजेपी को पूर्वांचल में पांच से छह लोकसभा सीटों पर फायदा हो सकता है। ओम प्रकाश राजभर की एनडीए में वापसी कराने की जिम्मेदारी उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को सौंपी गई है। माना जा रहा है जुलाई में सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की बीजेपी नेतृत्व की बैठक प्रस्तावित है।

बिहार में बीजेपी राजनीतिक साथियों की तलाश में

बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होकर महागठबंधन के खेमे में जाने के बाद बीजेपी नए राजनीतिक साथियों की तलाश में है। राम विलास पासवान की सियासी विरासत संभाल रहे चिराग पासवान की बीजेपी के साथ नजदीकियां बढ़ रही हैं। जेडीयू से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा के भी बीजेपी के साथ गठबंधन की तैयारी है तो वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी को भी साथ लेने की तैयारी है। ये दोनों ही नेता पहले एनडीए के साथ रह चुके हैं। वहीं, महागठबंधन में शामिल जीतनराम मांझी भी इन दिनों बागी तेवर अपनाए हुए हैं, जिसके चलते उनके भी एनडीए में वापसी के कयास लगाए जा रहे हैं।

बृजभूषण शरण सिंह को क्लीन चिट, पुलिस को पॉक्सो केस में नहीं मिले सबूत, कोर्ट में कैंसिलेशन रिपोर्ट दायर

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भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को पॉक्सो केस में बड़ी राहत मिली है। दिल्ली पुलिस ने पॉक्सो मामले में पटियाला हाऊस कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है। इस रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि उनके खिलाफ इस केस में कोई सबूत नहीं मिले हैं लिहाजा हम इस मामले की जांच बंद कर रहे हैं। अदालत ने पुलिस रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए मामले की अगली सुनवाई 4 जुलाई तय की है।

कैंसिलेशन रिपोर्ट भी दाखिल

महिला पहलवानों के उत्पीड़न के मामले में दिल्ली पुलिस ने आज यानी गुरुवार को अपनी चार्जशीट दाखिल कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, 1100 से 1200 पन्नों की चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया है कि महिला पहलवान केस में पर्याप्त सबूत उपलब्ध कराने में असफल रहे हैं। इसके साथ-साथ पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दर्ज पोक्सो मामले को वापस लेने के लिए 550 पेज की कैंसिलेशन रिपोर्ट भी दाखिल की है। 

बृजभूषण सिंह के खिलाफ कोई टेक्निकल एविडेन्स नही मिले

चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने बताया है कि उसे मामले की तफ्तीश के दौरान बृजभूषण सिंह के खिलाफ कोई टेक्निकल एविडेन्स नही मिले हैं। जांच में पुलिस को न तो कोई संदिग्ध तस्वीर, वीडियो या फुटेज या फिर फोरेंसिक सबूत नहीं मिले हैं। पुलिस की ओर से महिला पहलवानों से भी सबूत मांगे गए थे लेकिन वो उपलब्ध कराने में असफल रहे।

क्या था पूरा मामला?

बीते महीने 23 अप्रैल को देश के शीर्ष तीन पहलवान विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक बृजभूषण सिंह शरण के ऊपर यौन शोषण के आरोप लगाते हुए धरने पर बैठ गए और उनके इस्तीफे की मांग करने लगे। इसके बाद उन्होंने बृजभूषण सिंह शरण पर यौन शौषण के आरोप लगाए जिस पर दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज करते हुए मामले की जांच शुरू की थी। ओलंपियन पहलवान साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगट ने इस महीने की शुरुआत में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ भी बातचीत की थी। सरकार ने पहलवानों को आश्वासन दिया था कि भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ 15 जून तक आरोप पत्र दायर किया जाएगा, जिसके बाद उन्होंने अपना विरोध प्रदर्शन अगले फैसले तक स्थगित कर दिया था।

अमेरिका का भारत को बड़ा ऑफर, पीएम मोदी की यात्रा से पहले किलर ड्रोन बेचना चाहता है बाइडेन प्रशासन

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले बाइडेन सरकार ने भारत को बड़ा ऑफर दिया है।रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका चाहता है, कि भारत सरकार अमेरिका से विशाल हथियारबंद ड्रोन डील को पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले फाइनल कर ले। दरअसल, भारत लंबे समय से अमेरिका से विशाल हथियारबंद ड्रोन विमान सी गार्डियन खरीदना चाहता है लेकिन यह डील लटकी हुई है। अमेरिकी वार्ताकार अब यह उम्‍मीद कर रहे हैं कि पीएम मोदी की 22 जून होने वाली यात्रा में यह गतिरोध टूट सकता है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक चूंकि पीएम मोदी की यात्रा तय हो गई है, ऐसे में अमेरिका के विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय पेंटागन और राष्‍ट्रपति कार्यालय वाइट हाउस ने भारत से कहा है कि वह 30 MQ-9 प्रिडिएटर हथियारबंद ड्रोन के मामले में प्रगति 'दिखाए।' 

इंडिया टुडे ने सरकारी सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में ये जानकारी दी है। जिसमें बताया गया है कि लंबे समय से अटकी हुई इस डील को 15 जून को होने वाली बैठक के बाद आगे बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए अमेरिका की तरफ से भी लगातार कोशिशें हो रही हैं। रक्षा मंत्रालय की ये बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 21 से 24 जून तक अमेरिका दौरे से ठीक पहले हो रही है। जिसमें कई रक्षा सौदों को लेकर चर्चा हो सकती है।

पीएम मोदी का ये दौरा पिछले कई दौरों से बिल्कुल अलग होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने देश को सशक्त बनाने का जो प्रण लिया है।सुपरपावर अमेरिका भी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है। इस बार अमेरिका की 3 सबसे बड़ी संस्थाएं भारत के साथ बहुत बड़ी डील करने को बेताब हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार अमेरिका से MQ-9B सी गार्डियन ड्रोन की डील भी हो सकती है। इस तरह के ड्रोन्स भारत ने साल 2020 में लीज़ पर लिए थे। नेवी के बेड़े में ये दोनों ड्रोन शामिल किए गए थे। भारत को इस ड्रोन की ताकत का अहसास हो गया है, इसलिए इसकी डील सीधे अमेरिका से बड़े स्तर पर हो सकती है।

बता दें कि भारत ने समुद्र में चीनी और पाकिस्‍तानी हरकतों पर निगरानी के लिए दो सी गार्डियन ड्रोन लीज पर लिया हुआ है। MQ-9 प्रिडिएटर ड्रोन सैटेलाइट से संचालित होता है और यह 45 हजार फुट की ऊंचाई पर उड़ते हुए 35 घंटे तक हवा में रह सकता है। इसमें रेडॉर की तरह से सेंसर लगे होते हैं। इसमें इलेक्‍ट्रानिक सपोर्ट के लिए उपकरण होते हैं जो किसी भी दुश्‍मन की पहचान कर सकते हैं। इसके बाद इस ड्रोन में लगी मिसाइलों और बम की मदद से उस दुश्‍मन को तबाह कर दिया जाता है।