*रहीमाबाद थाना भ्रष्ट है कहकर छात्र ने लगा ली फांसी*
लखनऊ । राजधानी में इन दिनों पुलिस नये-नये कारनामे कर रही है। यही वजह है कि लोग पुलिस से परेशान होकर गलत कदम उठा ले रहे है। ऐसा ही कुछ रहीमाबाद के रहने वाले प्रतियोगी छात्र के साथ हुआ। पुलिस की फर्जी कार्रवाई से परेशान आकर छात्र ने फांसी लगाकर जान दे दी। छात्र में फांसी लगाने से पहले एक सुसाइड नोट लिखा। जिसमें कहा कि रहीमाबाद थाना भ्रष्ट है। मुझपर झूठा केस दर्ज किया। जिससे परेशान होकर खुदकुशी करने जा रहे है। जिसका जिम्मेदार रहीमाबाद थाना है। यह सुसाइड नोट मिलने के बाद कमिश्नरेट पुलिस में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में देर रात तीनों पुलिसकर्मियों समेत पांच के खिलाफ आत्महत्या का मुकदमा दर्ज करने केबाद उन्हें लाइन हाजिर कर दिया। साथ ही पूरे मामले की जांच एसीपी मलिहाबाद वीरेंद्र विक्रम सिंह को सौंपी गई है। जांच के बाद इनपर कार्रवाई की जाएगी।
मृतक छात्र के कमरे से मिला दो पन्ने का सुसाइड नोट
बता दें कि रविवार की दोपहर थानाक्षेत्र के गहदों निवासी मयंक रावत ने पुलिस को सूचना दिया कि उसके भाई आशीष कुमार उम्र 22 वर्ष ने फांसी लगाकर जान दे दी है। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची तो उसे कमरे से एक सुसाइड नोट दो पन्ने का मिला। जिसमें दो दरोगा व एक सिपाही पर गंभीर आरोप लगाया गया था। वहीं, आशीष की मां सुशीला ने थाने में तहरीर देकर दरोगा राजमणि पाल व लल्लन प्रसाद पाल और सिपाही मोहित शर्मा के साथ ही बकतौरीपुर निवासी नंदू विश्वकर्मा व श्यामलाल के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई की मांग की। भाई मयंक ने बताया कि आशीष सिविल सर्विसेज के लिए तैयारी कर रहा था। इसमें उसने लिखा कि हमने इनसे ( दरोगा राजमणि पाल, लल्लन प्रसाद पाल व सिपाही मोहित शर्मा) कहा कि हमारे घर पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। उनको चेक कर लो। धोखे से हम सब भाइयों को थाने पर बुलाकर सादे कागज व आधार कार्ड पर दस्तखत करा लिए...। मैं खुदकुशी करने जा रहा हूं। रहीमाबाद थाना पूरा भ्रष्ट है...।
पचास हजार रुपये दे दो तो मुकदमा खत्म कर दूंगा, परिजन का आरोप
परिजनों का आरोप है कि दरोगा राजमणि पाल, लल्लन प्रसाद पाल व सिपाही मोहित शर्मा ने आशीष व मयंक पर दर्ज केस में अंतिम रिपोर्ट लगाने की बात कही। इसके लिए तीनों ने 50 हजार रुपये की मांग की। कहा कि, रुपये दे दो मुकदमे को खत्म कर दूंगा। रुपये देने से इनकार करने पर धमकी देने लगे। इसके बाद दूसरे पक्ष से मिलकर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी। परिजनों के मुताबिक केस में चार्जशीट लगने के बाद आशीष डिप्रेशन में चला गया। उसे हर वक्त यही चिंता सताती रहती कि इसकी वजह से उसे सरकारी नौकरी मिलने में दिक्कत होगी। वह अक्सर कमरे में गुमसुम बैठा रहता या रोता रहता था। चूंकि वह सिविल सेवा में जाना चाहता था।
यह था पूरा मामला, जिसकी वजह से आशीष ने दी जान
सुशीला के मुताबिक 8 दिसंबर 2018 को आशीष पिता महादेव के साथ नंदू विश्वकर्मा की दुकान पर ट्राॅली खरीदने गया था। वहां पर किसी बात पर नंदू से कहासुनी हो गई। इसपर नंदू के मजदूरों ने आशीष के सिर पर सरिया से वार कर घायल कर दिया था। पिता महादेव ने नंदू व उसके मजदूरों पर माल थाने में केस दर्ज कराया था। इस मुकदमे में समझौते के लिए नंदू लगातार आशीष व उसके पिता महादेव पर दबाव बना रहा था।
सुशीला का आरोप है कि समझौता नहीं करने पर नंदू ने शिवपुरी निवासी अपने मित्र श्यामलाल से रहीमाबाद थाने में 28 सितंबर 2022 को एक तहरीर दिलवाई। इसमें श्यामलाल ने बताया कि वह महादेव के घर में स्थित मौरंग व गिट्टी की दुकान में सामान खरीदने गया था। वहां खरीदारी के दौरान आशीष व उसके भाई मयंक ने मारपीट की। पुलिस ने केस दर्ज कर लिया। तब दरोगा राजमणि पाल ने दुकान व घर पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखने के बाद मामले को रफादफा करने की बात कही थी।
Jun 12 2023, 10:11