*माफिया जीवा को गोली मारने में विजय यादव ने खाली दी पूरी रिवॉल्वर, पलक झपकते ही हो गया ढेर*
लखनऊ । कुख्यात संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा पर गोलियां दागने के लिए हमलावर घात लगाए बैठा रहा। वह वकील के वेश में था, इसलिए उस पर किसी तरह का शक नहीं हुआ। जैसे ही अपने केस की बारी आते ही जीवा कोर्ट रूम के कटघरे की तरफ चला आरोपी विजय यादव ने उसपर ताबड़तोड़ गोलियां दागनी शुरू कर दीं। पलक झपकते ही जीवा ढेर हो गया। गोलियां रिवॉल्वर से दागी गईं। पुलिस ने छह खोखे बरामद किए है। यानी पूरी रिवाॅल्वर खाली कर दी।
जीवा के पहुंचने से पहले कोर्ट परिसर में पहुंच गया था विजय
संजीव के पहुंचने से काफी पहले ही विजय कोर्ट परिसर में पहुंच गया था। काली कोट, हाथों में फाइलें लिए एससी-एसटी कोर्ट रूम के बाहर वह बैठ गया। इससे उस पर
किसी को शक नहीं हुआ। कोट के भीतर उसने रिवॉल्वर छिपा रखी थी। संजीव को आता देखते ही वह सक्रिय हो गया। संजीव कोर्ट रूम के भीतर गया तो वह भी पीछे से घुस गया। जैसे ही संजीव के केस की बारी और वह उठकर चला, उसने गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा कोर्ट परिसर गूंज उठा। हर तरफ भगदड़ मच गई।
भागना तो दूर पीछे मुड़ने का मौका तक नहीं दिया
विजय ने संजीव पर पीछे से गोलियां मारीं। संजीव खून से लथपथ औंधे मुंह गिर गया। भागना तो दूर उसको पीछे मुड़ने तक का वक्त नहीं मिला। अभिरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी इधर-उधर भागने लगे। पुलिस जवाबी कार्रवाई तक नहीं कर सकी। पुलिसकर्मी को भी गोली लगी। विजय वारदात को अंजाम देकर तेजी से कोर्ट रूम से निकला और दौड़ने लगा। चूंकि वकीलों की संख्या अधिक थी, इसलिए उसको दबोच लिया।
अतीक-अशरफ की तरह जीवा को मारा
कुछ समय पहले ही प्रयागराज में पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिए गए माफिया अतीक अहमद व अशरफ की हत्या कर दी गई थी। कुछ उसी तरह से इस वारदात को भी अंजाम दिया गया। उस वारदात में पत्रकार बनकर वारदात को अंजाम दिया गया था, यहां आरोपी वकील के लिबास में पहुंचा। अतीक व अशरफ भी पुलिस अभिरक्षा में थे, जीवा भी पुलिस अभिरक्षा में कोर्ट में पहुंचा था। वारदात के बाद इसको लेकर सोशल मीडिया पर यह बात चर्चा का विषय बनी रही।
आखिर बुलेट प्रूफ जैकेट क्यों नहीं पहनी थी
वारदात की जानकारी पर संजीव की बहन मोर्चरी पहुंची। उन्होंने बताया कि हर पेशी पर संजीव को बुलेटप्रूफ जैकेट पहनाकर ले जाया जाता था। पिछले दो बार से उसे जैकेट नहीं पहनाई जा रही थी। उनका आरोप है कि ये साजिश की ओर इशारा करता है। सवाल है कि आखिर ऐसा क्यों किया गया।
मुन्ना बजरंगी के बाद संजीव का अंत
मुख्तार के दो सबसे करीबी शूटर थे। ये हथियारों की डीलिंग भी करते थे। जिसमें मुन्ना बजरंगी व संजीव शामिल थे। दोनों उसके मजबूत हाथ थे। मुन्ना पहले ही बागपत जेल में मारा जा चुका है। अब संजीव भी मार दिया गया। पुलिस मुन्ना बजरंगी की हत्या करने वाले सुनील राठी गैंग से कनेक्शन को लेकर पड़ताल कर रही है।
Jun 08 2023, 09:15