दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी लकड़ी की तस्करी जोरों पर विभिन्न जगह पर चेक नाका कैसे हो रहा यह गोरख धंधा कौन जिम्मेवार ,जंगल से कर रहे पलायन गजराज
सरायकेला :- पूर्वी सिंहभूम रेंज दलमा क्षेत्र से गज परियोजना के जंगल के अंदर धरल्ले से पेड़ की कटाई और गद्दी बनाकर साइकिल में तीन तीन गद्दी लकड़ी लोड करके ग्रामीण , पश्चिम बंगाल राज्य के पुरुलिया जिला अंतर्गत बड़ाबाजार मार्केट में प्रत्येक रविवार की दिन झारखंड राज्य के दलमा सेंचुरी से बेसकीमती शाल की पेड़ काटकर तराई के ग्रामीण पूर्वी सिंहभूम जिले के बोड़ाम थाना अंतर्गत कोईरा, बोटा, खोकरो, लाईटम,आदि गांव से कुछ लोगो द्वारा प्रत्येक रविवार को गद्दी बनाकर बेचने पोडोसी राज्य के बड़ाबाजार ले जाते ।
जिसे जंगल की आस्तिव मिट रहे हे।साथ ही वन्य जीवजंतु की संरक्षण के लिए खतरा मंडरा रहा है।वन्य जीव जंतु सेंचुरी से पलायन करते हे।कोई जगह में है चेखनाका फिर भी पेड़ काटकर लेकड़ी की चोरी जोरो से विभाग के कौन लोग होंगे जिम्मेवार।किसके इशारे में होता है, यह गोरख धंधा कब तक चलेगा यह सिलसिला ।
एक तरफ दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी के पूर्वी रेंज....के इस...... बिट क्षैत्र में सेकडो पेड़ काटकर पश्चिम बंगाल साफलाई होता है।गद्दी ही नही घरेलू कार्य में उपयोग होने वाले कार्य के लिए विभिन्न प्रकार के कीमती पेड़ की कटाई जोरो से होता है।
जिसे जंगल की कुछ बिट से कटाई होने से जंगल खातरे में हे।ओर वन एब पर्यावरण विभाग में मौन बनाकर रहे हे। एक समय था सूचना मिलते ही धरपकड़ होता था। साथ ही सेंचुरी के अंदर दिन रात पेट्रोलिंग किया जाता था अब पेट्रोलिंग के बदले मुख्यालय में पदाधिकारी रहने लगा । शाम होते ही वनपाल ,वन रक्षित , आपने कार्य क्षेत्र से शहर की ओर चले जाते ।
जबकि सरकार द्वारा उन लोगो के लिए फॉरेस्ट क्वाटर विश्राम हाउस में रूम बनाया गया । जहा विभाग के कर्मचारी लोग रहे । व्यवस्था के बाबजूद सभी कर्मचारी मुख्यालय में डेरा डालने के कारण आज उन लोगो के लिए ओर सुविधा हो रहा है ओर हाथ में कुल्हाड़ी लेकर जंगल में प्रवेश कर जाते ओर पेड़ कटाई शुरू न विभाग के प्रति कोई डर हे।जिसे लोगो को शिकार और पेड़ कटाई , तस्करी की करने के लिए खुला आमंत्रण करते हे।
सुखलाल पहाड़िया समाजसेवी आसनवनी व मानसिंह मार्डी , परंपरागत प्रधान ग्राम सभा शहर बेड़ा ने बताया की चांडिल के आसनबनी पंचायत एवं चिलगु पंचायत क्षेत्र में दलमा में गजराजों के ठिकाने पर भू माफिया का कब्जा हो गया । हाथियों के लिए संरक्षित झारखंड राज्य क्यू एक मात्र दलमा वन्य प्राणी अभयारण्य इको सेंसेटिव जोन घोसीत है।
अभ्यारण्य की पांच किलोमीटर परिधि में औद्योगिक गतिविधियां और बड़े निर्माण की अनुमति नहीं है,फिर भी वहां निर्माण कार्य धडल्ले से जारी हे।सख्ती होने के बाद भी दलमा इको सेंसेटिव जो में निर्माण जारी है।
दैनिक भोगी मजदूर के भोरोसे जंगल और पर्यटकों संरक्षण होता है।आज जंगल में पेड़ कटाई होने से गजराज का झुंड जंगल से पलायन करके छोटे जंगल में डेरा डाला हे। एक दर्शक था ,जो जंगल घने होने के कारण सूर्य का रोशनी जमीन पर नही पड़ता । आज जंगल चीत्कार करके आह्वान करते हे मेरा आस्तिव्य खतरे में हमे बचा लो ।
जंगल की तराई अवैध देशी शराब की भाटी और चुलाइ दूसरी ओर लड़की की तस्करी जिसे प्रतिदिन न जाने कितने पेड़ नष्ट होता है।दूसरी ओर जल,वन एवं पर्यावरण विभाग को सरकार जंगल और वन्य जीवों की संरक्षण के लिए करोड़ों रुपया मुहैया करते हे।
देखना यह वन विभाग जंगल बचाने में कितने सक्षम होंगे आने वाले समय नही तो एक समय होगा दलमा सेंचुरी नही बोलके एक डूंगरी नजर आएंगे ।इस संबध में पूछे जाने पर कोई पदाधिकारी मौन बना लिया ।
May 12 2023, 14:22