रामचरित मानस के बाद अब बिना कॉलेज गए वेतन के विवाद में घिरे है बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर, आइए जानते है उनके महाविद्यालय के शिक्षकों का क्या है कहना
औरंगाबाद : विवादों से चोली दामन का नाता रखनेवाले बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ. चंद्रशेखर कुमार की मौजां ही मौजां है। मौज की वजह भी है। वजह यह कि एक ओर तो वें 2010 से मघेपुरा के सदर विधायक है। वही दूसरी ओर औरंगाबाद के रामलखन सिंह यादव कॉलेज के प्राणी विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक भी है। इस कॉलेज में वें 8 अक्टूबर 1985 से कार्यरत है और उन्हे मार्च 2026 में सेवानिवृत होना है।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विजय रजक बताते है कि वें 7 जून 2022 से रामलखन सिंह यादव कॉलेज के प्रधानाचार्य है। यहां आने पर ही उन्हे जानकारी हुई कि मघेपुरा के सदर विधायक डॉ. चंद्रशेखर कुमार इस कॉलेज में जन्तु विज्ञान विभाग में सहायक प्राध्यापक है। विधायक निर्वाचित होने के पहले वें बतौर प्राध्यापक यहां के छात्रों को पढ़ाते भी रहे है।
उन्हे यह भी जानकारी मिली कि डॉ. कुमार पूर्व में आपदा विभाग के भी मंत्री रहे है और वर्तमान में राज्य सरकार के शिक्षा मंत्री है। वें बताते है कि सरकारी प्रावधानों के मुताबिक डॉ. कुमार का यहां से वेतन बनता है, जो उन्हे उनके बैंक खाते में मिलता है।
डॉ. रजक कहते है कि अपने कॉलेज के प्राध्यापक का बिहार का शिक्षा मंत्री होना कॉलेज के लिए गर्व की बात है और कॉलेज के जो छात्र यह जानते है कि अपने कॉलेज के सहायक प्राध्यापक बिहार के शिक्षा मंत्री है, तो वें भी अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते है।
प्राचार्य बताते है कि एक दो बार वें डॉ. कुमार से मिले है। बतौर शिक्षा मंत्री उन्हे उनसे कॉलेज के विकास में सहयोग की उम्मीद है और अनौपचारिक बातचीत में उन्होने इस आशय का भरोसा भी दिला रखा है। वही छात्र भी अपने कॉलेज के प्राध्यापक के शिक्षा मंत्री होने पर गर्व करते है। वें उम्मीद जताते हुए कहते है कि जब शिक्षा मंत्री उनके कॉलेज में आएंगे तो उन्हे बहुत अच्छा लगेगा। वें कहते है कि शिक्षा मंत्री उनके कॉलेज में जरूर आएंगे और जब आएंगे तो वें उनसे दिल खोलकर बात करेंगे।
दीगर बात यह भी है कि डॉ. चंद्रशेखर कुमार का नाम 15 साल से इस कॉलेज की उपस्थिति पंजी में नहीं है लेकिन कॉलेज के प्राध्यापकों की सूची में उनका नाम दर्ज और लिस्ट में उनके नाम के सामने मथेपुरा सदर विधायक दर्ज है। सूची के मुताबिक कॉलेज में कुल 16 प्राध्यापक है। अब देखने वाली बात यह होगी कि मंत्री जी प्रोफेसरी के वेतन के साथ विधायकी का भी तो कही वेतन नही उठा रहे है। हालांकि कॉलेज के प्राचार्य तो यह कहते है कि उन्हे विधायकी का भी वेतन मिलता है।
एक खास बात यह भी है कि पूर्व में बिहार विभाजन के पूर्व अखंड बिहार में राज्य के 40 संबद्ध महाविद्यालयों का अंगीभूतीकरण हुआ था। मंत्री जी का कॉलेज भी इसी अंगीभूतीकरण की देन है। उस वक्त अंगीभूतिकरण के लाभ से ऐसे कई कॉलेजो के प्राध्यापक वंचित रह गये थे। इसे लेकर एससी अग्रवाल जांच कमिटी और जस्टिस एसबी सिंहा जांच कमिटी बनी थी। इन कमिटियों की रिपोर्ट के आधार पर भी कई प्राध्यापकों को अंगीभूतीकरण का लाभ मिला था।
शिक्षा मंत्री भी इसी प्रकार का लाभ पानेवाले प्राध्यापकों में एक है। आज भी अंगीभूतिकरण का लाभ लेने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला चल भी रहा है।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र
Apr 06 2023, 15:07