अपनी कुंडलियों को जगाकर अपनी सभी बीमारियां दूर करें : मोनिका सिंघल
पटना : आज बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स सभागार में मारवाड़ी महिला समिति, पटना, वनबंधु परिषद महिला समिति, पटना एवं राधारानी ग्रुप द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम में चंडीगढ़ से पधारी प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु एवं मोटिवेशनल स्पीकर मोनिका सिंघल ने खचाखच भरे सभागार में लोगों को जीवन जीने की कला के बारे में विस्तार से बताया।
कार्यक्रम के प्रारंभ मोनिका सिंघल जी का स्वागत चुनड़ी ओढ़ाकर अध्यक्ष केसरी अग्रवाल ने किया। इसके बाद स्वागत गान दो छोटी छोटी राज नंदिनी बंसल एवं ऋषिका बच्चियों ने गाया। कार्यक्रम में बिनोद बंसल, पी के अग्रवाल, नीलम अग्रवाल, राधेश्याम बंसल, एम पी जैन, गीता जैन, नीना मोटानी, राजेश बजाज, सीता बंसल, मीना अग्रवाल, मिसी अग्रवाल, रामलाल खेतान, नीलम केजरीवाल, गणेश खेतरीवाल, राजेश कुमार सिकरिया, नंद लाल अग्रवाल, .आशा भूटिया, मिली बंसल,सहित पटना के सैकड़ों लोग उपस्थित थे।
आध्यात्मिक गुरु एवं मोटिवेशनल स्पीकर मोनिका सिंघल ने बताया कि आज लोग दौड़ रहे हैं, उनके पास फुर्सत ही नहीं है। वे जितना कर रहे हैं उतनी ही टेंशन बढ़ रही है। इसी का इलाज ढूंढ़ने के लिए स्माइल निकला है। हम सोचते हैं कि ब्रह्मांड इतना बड़ा और हमारे चारों तरफ है लेकिन हमारे ऋषि-मुनियों ने हमारे अंदर भी इतना बड़ा ब्रह्मांड खोजा था। इससे लोगों को जोड़ने की हमारी पूरी कोशिश है। स्माइल में हजारों-लाखों लोग जुड़े हुए हैं। उन लोगों ने सेशन अटेंड कर पल भर में अपनी परेशानियां और माइग्रेन, आर्थराइटिस, ब्लड प्रेशर, शुगर और कैंसर जैसी बीमारियां दूर की हैं। इंसान खुद ही उनको हील करता है।
उन्होंने कहा कि सब लोग समझते हैं कि भगवान मंदिर में हैं, मस्जिद में है और गुरुद्वारे में है लेकिन हमारे भीतर भी एक भगवान है जो हर पल हमारी श्वांस चला रहा है। हम सो जाते हैं तब भी जिंदा रहते हैं। इसका मतलब वह शक्ति हमारे भीतर हमेशा रहती है पर हमारे पास उसका पासवर्ड नहीं है। उससे डरते हैं और उसे मानते हैं। लेकिन हम जिसे जानते हैं, उसे मानते नहीं और जिसे मानते हैं उसे जानते नहीं।
मैं कहती हूं कि जो हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों साल पहले जो खोजा था, आज पूरी दुनिया के साइंटिस्ट उस पर खोज कर रहे हैं और अब भी वहां तक नहीं पहुंचे हैं। हमारे आर्यभट्ट ने जीरो को खोजा था। उन्होंने बिना लैबोरेट्री, बिना रॉकेट के बता दिया था कि पृश्वी और सूरज की दूरी कितनी है।
मोनिका जी ने बताया कि मेडिकल साइंस तरक्की कर रही है, इसका मतलब मरीज कम हो जाने चाहिए लेकिन मरीज तो बढ़ते ही जा रहे हैं। यह कैसी तरक्की है, जिसमें मेडिकल साइंस भी बढ़ रहा है, इलाज भी बढ़ रहा है और मरीज भी बढ़ रहे हैं। शुगर, ब्लड प्रेशर एक बार शरीर में आ गये तो उसकी आजीवन दवा खा रहे हैं। हार्ट की प्राब्लम आ गई तो पूरी जिंदगी दवा खाते रहिए। इसका कारण यही है कि हम उस शक्ति को भूल गए हैं जो हर वक्त हमारे अंदर रहती है। हम उसी शक्ति से लोगों को जोड़ने आए हैं। आज का कार्यक्रम है रू-ब-रू। इसका मतलब है कि जो रूह हमारे लिए रात-दिन काम कर रही है, उससे हम मिलेंगे। इसमें हम 20, 25 साल से जो जिस भी रोग से पीड़ित हैं, उसे दावे के साथ उसी समय ठीक करेंगे।
उन्होंने बताया कि रामायण और महाभारत में जितनी चीजें हैं, वे सब प्रमाणित हैं लेकिन इंसान इतना दौड़ रहा है और उसे लग रहा है कि खुशी बाहर से आएगी। एक घर उसके पास है और वह सोचता है कि दूसरा घर बना लेगा तो खुशी और बढ़ जाएगी। इसके बाद भी खुशी आ नहीं रही है, क्योंकि हमारा सत्य स्वरूप है सत, चित, आनंद, जिससे हम दूर हैं। हम अपने भीतर के साइंस को नहीं मान रहे हैं। साइंस एंड स्प्रीचुएलिटी वर्क हैंड एंड हैंड लेकिन हमने उसे अंधविश्वास मानकर छोड़ दिया है, जबकि वह सुपर साइंस है। सारा विश्व यह जानने में लगा है ह्वाट इज सीक्रेट बिहाइंड द यूनिवर्स। क्वांटम फिजिक्स, जिसे हमारे ऋषि-मुनि बहुत साल पहले जानते थे।
कहा कि 50 वर्ष पहले बर्कले यूनिवर्सिटी के डॉ. अलवारिस ने डिफाइन किया कि 1 के पीछे 22 जीरो लगाओ एटम इतनी बार बनता और बिगड़ता है। 50 साल पहले शोध करके उन्होंने एक एटॉमिक बम बनाया। एटॉमिक बम की शक्ति जानने के लिए हिरोशिमा पर वह बम गिरा। अब हम देखते हैं कि कितना बड़ा विस्फोट होता है। एक के पीछे 22 जीरो को हिन्दू संस्कृति में सहस्र कोटि कहते हैं। हमारे वेदांत और उपनिषद में यह बात है कि जब हम परमात्मा के आगे एक बार शीश झुकाते हैं तो 1 के पीछे 22 जीरो लगते हैं। भारत को इसीलिए विश्व गुरु बोला जाता है, लेकिन इसे हम भूल चुके हैं।
आज का युवा जितनी मेहनत कर रहा है, उतने घर बिखर रहे हैं। हमने कहा महिला सशक्तीकरण होना चाहिए और सारी औरतें काम करने निकल गईं। यह अच्छी बात है। हमारे यहां जितनी नारियां देखेंगे वह सहस्र कला संपन्न थीं। वह मन को एंपावर करती थीं। अब मन को कोई एंपावर नहीं कर रहा है। लोग मन का गुलाम बनकर घूम रहे हैं। सारी दुनिया को जीतने वाला सिकंदर भी मन के आगे हार गया था।
मोनिका जी ने बताया कि हमारा इंटेलीजेंस और एजुकेशन डिपार्टमेंट आईक्यू पर काम कर रहे हैं। फिर आज आईआईटी का टॉपर सुसाइड क्यों कर रहा है, क्योंकि यह डिसबैलेंस हो रहा है। एक बढ़िया से बढ़िया बंगले में भी लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं। हमारा इलाज करने का तरीका है, अवचेतन मन (अनकांसस माइंड) को सबकांसस माइंड (चेतन मन) से मिलाना। यही हमारा इलाज कर रहा है, क्योंकि इंसान के अलावा पूरी दुनिया में कोई भी प्राणी डॉक्टर के पास जाता है क्या? इसका मतलब मैं मेडिकल साइंस के अगेंस्ट नहीं हूं। हम अपने शरीर को हम पूरी जिंदगी यूज तो कर लेते हैं लेकिन इसका मैकेनिज्म ही नहीं पता है। हमारी आंख देख रही है और उसे कोई और शक्ति मदद कर रही है। उसी शक्ति से मनुष्य को मिलाना है। आज लोग भारतीय संस्कृति से दूर हो रहे हैं।
एक उदाहरण बताती हूं। आज यंग एज में ही यूटरस की सर्जरी हो रही है। अगर आज की महिलाएं सिंदूर लगातीं तो यह नौबत नहीं आती। क्योंकि सिंदूर में मर्करी, लेड व टर्मरिक होता है और जहां महिलाएं सिंदूर लगाती हैं वहां हमारी पिट्यूटरी ग्लैंड होती है। अगर इस ग्लैंड पर ये तीनों चीजें एक साथ लगाई जाती है तो यूटरस में हार्मोन रिलीज होते रहते हैं और यूटरस को लुब्रिकेटेड रखते हैं। इससे रिप्रोडक्टिव सिस्टम एक्टिव रहता है। पहले की महिलाएं 10-10 बच्चे पैदा कर लेती थीं, आज एक बच्चे को भी लाने के लिए बहुत बड़ा इलाज चलता है। वेंटीलेटर तो आज की जरूरत ही बन गए हैं।
Mar 22 2023, 19:06