सम्पादकीय:- आपसी भाईचारा और सौहार्द का पर्व है होली ! आइये मिलकर हम स्नेह का दीप जलाएं और अपनों के बीच की दूरियां मिटायें
(विनोद आनंद)
रंगों का त्योहार होली आज है ! यह पर्व उमंग, उल्लास, मस्ती और रोमांच का पर्व है। इस पर्व के बहाने समाज में आपसी भाईचारा और सौहार्द का वातावरण भी बनता है। यह पर्व हमारे भारतीय परंपरा का एक अनूठा पर्व है जो हमे एक दूसरे से जोड़ता है और और प्रेम का आह्वान करता है।
हमारे भारतीय परंपरा और संस्कृति में हमें कई ऐसे पर्व विरासत में मिला है जो हमारे सामाजिक बंधन को मजबूत बनाता है। हमारे संस्कृति और पर्व के बीच एक ऐसा प्रगाढ संबंध है जो हमें और हमारी सामाजिक व्यवस्था को मजबूत करता आया है। इसलिए हम अलग अलग भाषा, संस्कृति, विभिन्न सामाजिक परिवेश के वाबजूद भी हम सब आज एक हैं।
होली के लेकर हमारी यह मान्यता रही है कि हमारे अंदर की कलुषित भावनाओं का होलिका दहन के साथ समाप्त हो जाता है और नेह की ज्योति जलाते हुए हम सभी एक रंग में रंगकर बंधुत्व को बढ़ाते हैं । होली पर्व का यही संदेश भी है।इस भारतीय पर्व का धमक देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पहुंच चुका है और पूरे जोश खरोश के साथ लोग इस पर्व को मना रहे हैं। भले हीं विदेशों में मनाई जाने वाली होली मौसम और समय अलग-अलग हो, पर संदेश सभी का एक ही है आपसी प्रेम और भाईचारा।
होली शीत ऋतु की विदाई और ग्रीष्म ऋतु के आगमन का सांकेतिक पर्व है। इस समय बसंत के बाद पतझड़ के कारण साख से पत्ते टूटकर दूर हो रहे होते हैं। महुए की गंध की मादकता, पलाश और आम की मंजरियों की महक से चमत्कृत कर देने वाला मौसम फाल्गुन मास की निराली बासंती हवाओं में संस्कृति के परंपरागत परिधानों में आंतरिक प्रेमानुभूति सुसज्जित होकर चहुंओर मस्ती की भंग आलम बिखेरती है, जिससे दु:ख-दर्द भूलकर लोग रंगों में डूब जाते हैं।
जब बात होली की हो, तो ब्रज की होली को भला कैसे भुला जा सकता है? ढोलक की थाप और झांझों की झंकार के साथ लोकगीतों की स्वर-लहरियों से वसुधा के कण-कण को प्रेममय क्रीड़ाओं के लिए आकर्षित करने वाली होली ब्रज की गलियों में बड़े ही अद्भूत ढंग से मनाई जाती है।
फागुन मास में कृष्ण और राधा के मध्य होने वाली प्रेम-लीलाओं के आनंद का त्योहार होली प्रकृति के साथ जनमानस में सकारात्मकता और नवीन ऊर्जा का संचार करने वाला है।
होली में नायक और नायिका के बीच बढ़ रही चुहलपन,प्रेम और प्रगाढ सम्बन्धों को हिन्दी के कई रचनाधर्मी कवियों ने अपनी रचनाओं में बहुत ही प्रभावी ढंग से ढाला है, वाकई यह सभी प्रसंग बहुत ही अद्भूत है। अनुराग और प्रीति के त्योहार होली का भक्तिकालीन और रीतिकालीन काव्य में सृजनधर्मी रचना प्रेमियों ने बखूबी से चित्रण किया है। आदिकालीन कवि विद्यापति से लेकर भक्तिकालीन कवि सूरदास, रहीम, रसखान, पद्माकर, जायसी, मीरा, कबीर और रीतिकालीन कवि बिहारी, केशव, घनानंद सहित सगुन साकार और निर्गुण निराकर भक्तिमय प्रेम और फाल्गुन का फाग भरा रस सभी के अंतस की अतल गहराइयों को स्पर्श करके गुजरा है।
सूफी संत अमीर खुसरो ने प्रेम की कितनी उत्कृष्ट व्याख्या की है-
'खुसरो दरिया प्रेम का, सो उल्टी वाकी धार। जो उबरा सो डूब गया, जो डूबा हुआ पार।।'
बेशक, होली का त्योहार मन-प्रणय मिलन और विरह-वेदना के बाद सुखद प्रेमानुभूति के आनंद का प्रतीक है। राग-रंग और अल्हड़पन का झरोखा, नित नूतन आनंद के अतिरेकी उद्गार की छाया, राग-द्वेष का क्षय कर प्रीति के इन्द्रधनुषी रंग बिखेरने वाला होली का त्योहार कितनी ही लोककथाओं और किंवदंतियों में गुंथा हुआ है।
प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा जनमानस में सर्वाधिक प्रचलित है। बुराई का प्रतीक होलिका अच्छाई के प्रतीक ईश्वर-श्रद्धा के अनुपम उदाहरण प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं कर सकी। बुराई भले कितनी ही बुरी क्यों न हो, पर अच्छाई के आगे उसका मिटना तय है।
लेकिन इसके विपरीत आज बदलते दौर में होली को मनाने के पारंपरिक तरीकों की जगह आधुनिक अश्लील तरीकों ने ले ली है जिसके फलस्वरूप अब शरीर के अंगों से केसर और चंदन की सुगंध की बजाय गोबर की दुर्गंध आने लग गई है। लोकगीतों में मादकता भरा सुरमय संगीत विलुप्त होने लगा है और अब उसकी जगह अभद्र शब्दों की मुद्राएं भी अंकित दिखलाई पड़ने लगी हैं।
हमे बस यही ख्याल रखना है कि होली के इस महान पर्व को अपने विरासत में मिली परम्परा का निर्वहन करते हुए जिस उधेश्य से इस पर्व को हमारे पूर्वज मानते आए हैं उसे हम बरकरार रखें।
भाईचारा, सौहार्द वातावरण कायम करते हुए हम समाज को संदेश दें कि हमारी संस्कृति हमारी सोच और हमारा समृद्ध परंपरा महान है।
पिछले दो सालों से वैश्विक महामारी के कारण हम होली या अन्य पर्व को नही ढंग से मना पाए,अपनो से हम कटे रहे,इस बीच थोड़ी दूरी भी बनी ,हम इस होली के अवसर पर हम अपने संबंधों,अपने प्रेम और अपनी भाईचारा के रंगों में रंग कर मज़बूत बनाएं। इसी कामनाओं के साथ होली के अवसर पर स्ट्रीटबज़्ज़ पाठकों को ढेर शुभकामनाएं।
Mar 08 2023, 12:52