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बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण: 86.32% गणना प्रपत्र जमा, अंतिम 10 दिनों में बीएलओ करेंगे घर-घर संपर्क


पटना, 15 जुलाई 2025 – बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के तहत मतदाता सूची को अद्यतन करने का कार्य तेजी से जारी है। अब तक राज्य में 86.32% गणना प्रपत्र (Enumeration Forms - EF) एकत्र किए जा चुके हैं, और शेष मतदाताओं से संपर्क स्थापित करने के लिए लगभग 1 लाख बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) जल्द ही घर-घर जाकर सर्वेक्षण का तीसरा दौर शुरू करेंगे। यह अभियान यह सुनिश्चित करने के लिए है कि कोई भी पात्र मतदाता प्रारूप मतदाता सूची में शामिल होने से वंचित न रहे।

राज्य में कुल 7,89,69,844 मतदाताओं में से 6,81,67,861 ने अपने गणना प्रपत्र जमा कर दिए हैं। मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित और एक से अधिक स्थानों पर नामांकित व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए, एसआईआर के ईएफ संग्रह चरण में बिहार के लगभग 7.9 करोड़ मतदाताओं में से 90.84% को कवर किया गया है। अब 25 जुलाई की अंतिम समय-सीमा से पहले केवल 9.16% मतदाताओं को अपने भरे हुए ईएफ जमा करने हैं।

शेष मतदाताओं को समय पर अपने प्रपत्र भरने और 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाली प्रारूप मतदाता सूची में अपना नाम शामिल कराने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। बिहार के सभी 261 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के 5,683 वार्डों में विशेष शिविर स्थापित किए गए हैं और समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी किए गए हैं। बीएलओ मतदाताओं को अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके ECINet ऐप या https://voters.eci.gov.in पर ऑनलाइन फॉर्म के माध्यम से अपने फॉर्म ऑनलाइन भरने के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं।

ECINet के माध्यम से, मतदाता अपने EF ऑनलाइन भर सकते हैं और 2003 ईआर में अपने नाम भी खोज सकते हैं। वे ECINet ऐप का उपयोग करके अपने बीएलओ सहित अपने चुनाव अधिकारियों से भी जुड़ सकते हैं। आज शाम 6.00 बजे तक प्लेटफॉर्म पर 6.20 करोड़ से अधिक गणना प्रपत्र अपलोड किए जा चुके हैं। अपने ईएफ जमा करने की स्थिति की जांच के लिए एक नया मॉड्यूल आज रात https://voters.eci.gov.in पर लाइव हो जाएगा।

बीएलओ के प्रयासों में सभी राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 1.5 लाख बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) भी सहायता कर रहे हैं, जिनमें से प्रत्येक प्रतिदिन 50 ईएफ तक प्रमाणित और जमा कर सकता है। शहरी क्षेत्रों में किसी भी पात्र मतदाता के छूटने को रोकने के लिए, सभी 261 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के सभी 5,683 वार्डों में विशेष शिविर भी लगाए जा रहे हैं।

बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण: 83.66% प्रपत्र जमा, ECI ने पारदर्शिता और पहुंच बढ़ाने के लिए उठाए कदम

बिहार में चल रहे SIR (सिस्टमैटिक इनरोलमेंट रिविजन) में भरे हुए गणना प्रपत्र (EFs) जमा करने की अंतिम तिथि में 11 दिन शेष रहने के साथ, BLOs (बूथ लेवल अधिकारी) द्वारा घर-घर जाकर किए गए दो दौर के बाद, बिहार में 7,89,69,844 मतदाताओं में से 6,60,67,208 या 83.66% मतदाताओं के EF एकत्र किए गए हैं।

अब तक 1.59% मतदाताओं को मृत पाया गया है, 2.2% स्थायी रूप से स्थानांतरित पाए गए हैं और 0.73% व्यक्ति एक से अधिक स्थानों पर नामांकित पाए गए हैं।

इसलिए, 88.18% मतदाताओं ने या तो पहले ही अपना EF जमा कर दिया है या उनकी मृत्यु हो गई है या उन्होंने अपना नाम एक ही स्थान पर रखा है या वे अपने पिछले निवास स्थान से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं। अब केवल 11.82% मतदाताओं को अपने भरे हुए EF जमा करने हैं और उनमें से कई ने आने वाले दिनों में दस्तावेजों के साथ अपने गणना प्रपत्र जमा करने के लिए समय मांगा है।

ECI (भारत निर्वाचन आयोग) यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है कि कोई भी पात्र मतदाता छूटे नहीं और शेष मतदाता अपने EF भरें। लगभग 1 लाख BLOs जल्द ही अपने घर-घर जाकर दौरे का तीसरा दौर शुरू करेंगे। उनके प्रयासों को सभी राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 1.5 लाख BLAs (बूथ लेवल एजेंट) द्वारा बढ़ाया जा रहा है, जिनमें से प्रत्येक प्रति दिन 50 EF तक प्रमाणित और जमा कर सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी पात्र शहरी मतदाता ER (इलेक्टोरल रोल) से न छूटे, बिहार के सभी 261 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के सभी 5,683 वार्डों में विशेष शिविर भी लगाए जा रहे हैं।

उन मतदाताओं के लिए जो अस्थायी रूप से राज्य से बाहर चले गए हैं, समाचार पत्रों के विज्ञापनों और ऐसे मतदाताओं के साथ सीधा संपर्क के माध्यम से केंद्रित प्रयास किए जा रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे समय पर अपने EF भर सकें और 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाले प्रारूप मतदाता सूची में उनके नाम भी शामिल किए जा सकें। ऐसे मतदाता ECINet ऐप के माध्यम से अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके या https://voters.eci.gov.in पर ऑनलाइन फॉर्म के माध्यम से आसानी से EF ऑनलाइन भर सकते हैं (SIR दिशानिर्देशों के पैरा 3(d) के अनुसार)। वे अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से या व्हाट्सएप या इसी तरह के अनुप्रयोगों सहित किसी भी ऑनलाइन माध्यम से संबंधित BLOs को अपने फॉर्म भी भेज सकते हैं।

नवीनतम तकनीक और डिजिटलीकरण के उपयोग की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में, ECI द्वारा हाल ही में लॉन्च किया गया ECINet प्लेटफॉर्म, एक एकल एकीकृत प्लेटफॉर्म है जो पहले के 40 विभिन्न ECI अनुप्रयोगों को subsume कर रहा है, इसे बिहार SIR अभ्यास के सभी पहलुओं के लिए भी तैयार किया गया है और यह कुशलता से चल रहा है।

ECINet के माध्यम से, मतदाता अपने इलेक्ट्रॉल फॉर्म ऑनलाइन भरने और जहां भी लागू हो, 2003 मतदाता सूची में अपने नाम खोजने में सक्षम हैं। मतदाता ECINet ऐप का उपयोग करके अपने चुनाव अधिकारियों, जिसमें उनके BLOs भी शामिल हैं, से भी जुड़ सकते हैं।

ECINet क्षेत्र-स्तर के चुनाव पदाधिकारियों के लिए फॉर्म और दस्तावेजों को अपडेट करने की प्रक्रिया को भी तेज कर रहा है जिसके परिणामस्वरूप आज शाम 6.00 बजे तक 5.74 करोड़ से अधिक गणना प्रपत्र अपलोड किए गए हैं। ECINet के दस्तावेज़ समीक्षा मॉड्यूल ने AEROs (सहायक चुनावी पंजीकरण अधिकारी), EROs (चुनावी पंजीकरण अधिकारी) और DEOs (जिला चुनाव अधिकारी) द्वारा मतदाताओं की पात्रता के सत्यापन की गति को भी सुव्यवस्थित तरीके से तेज किया है।

बिहार के 4.96 करोड़ मतदाताओं के लिए खुशखबरी: 2003 की वोटर लिस्ट ECI वेबसाइट पर उपलब्ध, अब नहीं लगेंगे दस्तावेज

1.भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार की 2003 की मतदाता सूची, जिसमें 4.96 करोड़ मतदाताओं का विवरण शामिल है, को ईसीआई वेबसाइट – https://voters.eci.gov.in पर अपलोड कर दिया है।

2. ईसीआई के 24 जून, 2025 के निर्देशों के पैरा 5 में यह उल्लेख किया गया था कि सीईओ/डीईओ/ईआरओ 01.01.2003 की अर्हक तिथि वाली मतदाता सूचियों को सभी बीएलओ को हार्ड कॉपी में, साथ ही अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन भी मुफ्त में उपलब्ध कराएंगे ताकि कोई भी व्यक्ति इसे डाउनलोड कर सके और अपना गणना प्रपत्र जमा करते समय इसे दस्तावेजी प्रमाण के रूप में उपयोग कर सके।

3. बिहार की 2003 की मतदाता सूचियों की आसान उपलब्धता, बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को बहुत सुविधा प्रदान करेगी क्योंकि अब कुल मतदाताओं का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा कोई भी दस्तावेज़ जमा नहीं करेगा। उन्हें केवल 2003 की मतदाता सूची में अपने विवरण को सत्यापित करना होगा और भरा हुआ गणना प्रपत्र जमा करना होगा। मतदाता और बीएलओ दोनों इन विवरणों को आसानी से प्राप्त कर सकेंगे।

4. इसके अलावा, निर्देशों के अनुसार, जिसका नाम 2003 की बिहार मतदाता सूची में नहीं है, वह अभी भी अपने माता या पिता के लिए कोई अन्य दस्तावेज़ प्रदान करने के बजाय 2003 की मतदाता सूची का अंश उपयोग कर सकता है। ऐसे मामलों में, उसके माता या पिता के लिए किसी अन्य दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं होगी। केवल 2003 की मतदाता सूची का प्रासंगिक अंश/विवरण पर्याप्त होगा। ऐसे मतदाताओं को केवल अपने लिए, भरे हुए गणना प्रपत्र के साथ, दस्तावेज़ जमा करने होंगे।

5.यह दोहराया जाता है कि प्रत्येक चुनाव से पहले, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 21(2)(ए) और मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के नियम 25 के अनुसार मतदाता सूची का पुनरीक्षण अनिवार्य है। ईसीआई अब तक 75 वर्षों से वार्षिक पुनरीक्षण, गहन और संक्षिप्त दोनों, करता रहा है।

6. यह अभ्यास आवश्यक है क्योंकि मतदाता सूची हमेशा एक गतिशील सूची होती है जो मृत्यु, व्यवसाय/शिक्षा/विवाह जैसे विभिन्न कारणों से लोगों के स्थानांतरण, 18 वर्ष के नए मतदाताओं के जुड़ने आदि के कारण बदलती रहती है।

7. इसके अलावा, संविधान का अनुच्छेद 326 एक मतदाता बनने की पात्रता को निर्दिष्ट करता है। केवल भारतीय नागरिक, 18 वर्ष से अधिक आयु के और उस निर्वाचन क्षेत्र के सामान्य निवासी, एक मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के पात्र हैं।

बैक डोर से एनआरसी लाने की कोशिश, टीएमसी ने मतदाता सूची की जांच पर उठाए सवाल

#tmcmpraisesquestionoverecelectoralrollvoterlistrevision

पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने मतदाता सूची के पुनर्निरीक्षण पर सवाल उठाया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने चुनाव आयोग पर इसको लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। चुनाव आयोग के अभियान की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विपक्षी इंडी गठबंधन की पार्टियां इस मुद्दे को संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह उठाएंगी।

एनआरसी लागू करने की खतरनाक साज़िश’ करार

दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ब्रायन कहा कि बिहार से शुरू होकर पश्चिम बंगाल में लागू होने जा रही ‘स्पेशल इंटेंसिव रिविजन ऑफ इलेक्टोरल रोल’ की प्रक्रिया संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है। टीएमसी सांसद ने इसे ‘पीछे के दरवाज़े से एनआरसी लागू करने की खतरनाक साज़िश’ करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कवायद संदिग्ध समय पर शुरू की गई है।

चुनावी गणित बदलने की कोशिश का आरोप

डेरेक ओ’ब्रायन ने सवाल उठाया, अब अचानक इस प्रक्रिया की क्या जरूरत पड़ गई? उन्होंने दावा किया, हमारे पास सबूत हैं कि यह कवायद क्यों की जा रही है। बीजेपी के आंतरिक सर्वे में उन्हें बंगाल में केवल 46-49 सीटें मिलती दिख रही हैं, और इसी हताशा में वे चुनावी गणित बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

बता दें कि चुनाव आयोग ने पिछले सोमवार को बिहार में इस विशेष गहन समीक्षा की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए थे, जिसका मकसद अपात्र नामों को हटाना और पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल करना बताया गया है। यह कवायद बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले हो रही है। बिहार में पिछली बार इस तरह की समीक्षा 2003 में हुई थी।

आधार कार्ड से लिंक होगा मतदाता पहचान पत्र, चुनाव आयोग-गृह मंत्रालय की बैठक में फैसला

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केंद्र सरकार वोटर आईडी और आधार को लिंक करने की तैयारी कर रही है। इसे लेकर मंगलवार को चुनाव आयोग और यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें दोनों को लिंक करने पर सहमति बनी।चुनाव आयोग ने मंगलवार को कहा कि मतदाता पहचान-पत्रों को आधार से जोड़ने का काम मौजूदा कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार किया जाएगा। इसके साथ ही इसके लिए यूआईडीएआई और उसके विशेषज्ञों के बीच तकनीकी परामर्श जल्द ही शुरू होगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी ने निर्वाचन सदन नई दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव और यूआईडीएआई के सीईओ तथा चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ बैठक की। बैठक में निर्णय लिया गया कि मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने का काम संविधान के अनुच्छेद 326 के प्रावधानों के अनुसार ही किया जाएगा। कहा गया कि इस संबंध में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण और चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञ जल्द ही आगे की चर्चा करेंगे। 

क्या कहता है अनुच्छेद 326

भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, मतदान का अधिकार केवल भारत के नागरिक को दिया जा सकता है, आधार कार्ड केवल एक व्यक्ति की पहचान स्थापित करता है। इसलिए यह निर्णय लिया गया कि ईपीआईसी को आधार से जोड़ने का काम संविधान के अनुच्छेद 326, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के प्रावधानों के अनुसार और डब्ल्यूपी (सिविल) संख्या 177/2023 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुरूप ही किया जाएगा। अब यूआईडीएआई और ईसीआई के तकनीकी विशेषज्ञों के बीच तकनीकी परामर्श जल्द ही शुरू किया जाएगा।

संविधान में हैं वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का प्रावधान

संविधान में भी वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का प्रावधान है।बताया जाता है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23, जिसे चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 कहा जाता के मुताबिक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी मौजूदा या भावी मतदाताओं से स्वैच्छिक आधार पर पहचान स्थापित करने के लिए आधार संख्या प्रदान करने की मांग कर सकते हैं। यह कानून मतदाता सूची को आधार डाटाबेस के साथ स्वैच्छिक रूप से जोड़ने की अनुमति देता है।

चुनाव आयोग ने अप्रैल 2025 से पहले सुझाव मांगे

भारतीय निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार, वोटर-आधार को लिंक करने का मकसद आगामी चुनावों से पहले चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता, समावेशिता और एफिशिएंसी को बढ़ाना है। चुनाव आयोग 31 मार्च से पहले निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों, जिला चुनाव अधिकारियों और मुख्य चुनाव अधिकारियों के लेवल पर मीटिंग करेगा।

इसके लिए पिछले 10 साल में पहली बार चुनाव आयोग ने कानूनी ढांचे के भीतर सभी राष्ट्रीय और राज्य-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल 2025 तक आधिकारिक तौर पर सुझाव मांगे हैं।

पहले भी हो चुकी है ऐसी कोशिश

इससे पहले 2015 में भी ऐसी ही कोशिश हो चुकी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे रोक दिया गया था। 2015 में चुनाव आयोग ने मार्च 2015 से अगस्त 2015 तक राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धिकरण कार्यक्रम चलाया था। उस समय चुनाव आयोग ने 30 करोड़ से ज्यादा वोटर आईडी को आधार से लिंक करने का प्रोसेस पूरा कर लिया था। ये प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रुकी।

दरअसल, वोटर आईडी को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया के दौरान आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के करीब 55 लाख लोगों के नाम वोटर डेटाबेस से हट गए थे। इसी को लेकर आधार की संवैधानिकता को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को वोटर आईडी और आधार को लिंक करने से रोक दिया था।

राहुल गांधी ने उठाया वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मुद्दा, सदन में चर्चा की मांग

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लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आगे कई राज्यों में मतदाता सूचियों में कथित गड़बड़ी का मुद्दा सदन में उठाया। उन्होंने इस पर सदन में चर्चा की मांग की।उन्होंने कहा कि सरकार वोटर लिस्ट नहीं बनाती है, यह तो सबको पता है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं तो अच्छा होगा कि संसद में इस विषय पर चर्चा हो। बता दें कि पिछले कुछ चुनावों के बाद लगातार वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मुद्दा विपक्षी दल उठा रहे हैं। महाराष्ट्र चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी ने मतदाता सूची में हेराफेरी का आरोप लगाया था। फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव के वक्त आम आदमी पार्टी ने वोटर लिस्ट में फर्जी मतदाताओं को शामिल करने की मुद्दा उठाया था। बीते दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कथित सबूत के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

आज से संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू हो गया है। सदन में शून्यकाल के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र और कुछ दूसरे राज्यों में मतदाता सूचियों को लेकर सवाल उठे हैं। उन्होंने कहा, मैं इस बात से सहमत हूं कि मतदाता सूची सरकार नहीं बनाती, लेकिन पूरे देश में मतदाता सूची को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा, पूरा विपक्ष यह मांग कर रहा है कि मतदाता सूची पर चर्चा हो जाए।

दरअसल, उद्धव के सांसद से ठीक पहले टीएमसी के सांसद सौगत रॉय ने वोटर लिस्ट का मुद्दा उठाया था। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत रॉय ने कहा कि उनकी पार्टी की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कागजात दिखाए हैं जिससे पता चला है कि मतदाता पहचान पत्र संख्या का दोहराव हो रहा है। उन्होंने दावा किया, कुछ गंभीर गड़बड़ी है, जिसके बारे में पहले महाराष्ट्र में बात हुई थी। हरियाणा में भी इसे लेकर बात हुई थी। तृणमूल कांग्रेस सदस्य ने पश्चिम बंगाल और असम में भी भविष्य में इस तरह की बात सामने आने की आशंका जताई।

रॉय ने कहा, पूरी मतदाता सूची में व्यापक सुधार होना चाहिए। निर्वाचन आयोग को बताना चाहिए कि यह कैसे हुआ है। रॉय के सवाल पर स्पीकर ओम बिरला ने कह दिया कि वोटर लिस्ट सरकार बनाती है क्या?

इस पर राहुल गांधी ने कहा कि सरकार नहीं बनाती है, यह बात बिल्कुल सही है। उन्होंने कहा, 'आपने सही बात बोली कि वोटर लिस्ट क्या सरकार बनाती है? आपने सही बोला कि सरकार वोटर लिस्ट नहीं बनाती है। मगर पूरे देश में वोटर लिस्ट पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष शासित हर राज्य में और खासकर महाराष्ट्र में साफ-साफ सवाल उठे हैं। पूरा विपक्ष मिलकर सिर्फ ये कह रहा है कि वोटर लिस्ट पर यहां चर्चा हो जाए। आप बनाते नहीं हैं, ये हम मानते हैं, लेकिन वोटर लिस्ट पर चर्चा तो हो जाए।

बता दें कि हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी वोटर लिस्ट को लेकर चुनाव आयोग को निशाने पर लिया था। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के स्थानीय अधिकारी केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं।

दिल्ली के बाद पश्चिम बंगाल में ‘फर्जी वोटर’ बनेगा मुद्दा, ममता बनर्जी ने शुरू किया “खेला”

#mamatabanerjeeidentifyfakevoters

दिल्ली में हाल ही में विधानसभा चुनाव खत्म हुए हैं। इस चुनाव में बीजेपी ने 27 साल के बाद वापसी करते हुए अरविंद केजरीवाल की पार्टी को करारी शिकस्त दी। हालांकि सरकार गठन के बाद बीजेपी पर बड़ा आरोप लगा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि भाजपा ने दिल्ली और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव फर्जी वोटों के जरिए जीता। इसमें चुनाव आयोग ने मदद की। बता दें कि चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी ने वोटर लिस्ट में फर्जी नामों का मुद्दा जोर शोर से उठाया था। अब पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने गुरुवार को बड़ा दावा किया। कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में तृणमूल कांग्रेस के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि बंगाल में फर्जी वोटर कार्ड बनाने के लिए दो एजेंसियां भेजी गई हैं।

दो एजेंसियों का लिया नाम

दो संगठनों का सीधे तौर पर नाम लेते हुए ममता बनर्जी ने दावा किया कि भाजपा ने उन्हें मतदाता पहचान पत्र में धोखाधड़ी के लिए राज्य में भेजा गया। उन्होंने एक कागज हाथ में लिया और एक उदाहरण देकर समझाया कि क्या हो रहा है? तृणमूल सुप्रीमो ने कहा, जहां तक मुझे खबर मिली है। ‘एसोसिएशन ऑफ बिलियन माइंड्स’ और ‘कंपनी इंडिया 360 सब्सिडियरी’ नामक दो एजेंसियां हैं। कई लोगों ने उन्हें यहां भेजा है। ऑनलाइन हेरफेर किया गया। इसी एपिक कार्ड में बाहरी लोगों के नाम भी थे। उन्होंने कहा, ममता का दावा है कि जब बंगाल के लोग वोट देने जाएंगे तो कोई बाहर से आकर उनके लिए वोट देगा।

एक उदाहरण देते हुए ममता ने बताया कि मुर्शिदाबाद के रानीनगर के सैदुल इस्लाम और हरियाणा की सोनिया देवी नामक एक अन्य मतदाता के मतदाता पहचान पत्र का ईपीआईसी नंबर एक ही नाम है। इसी तरह से बंगाल के मोहम्मद अली हुसैन और हरियाणा के मंजीत के मतदाता पहचान पत्र का ईपीआईसी नंबर एक जैसा है। ममता का सवाल, “पश्चिम बंगाल वोट देगा या हरियाणा?” एक लंबी सूची दिखाते हुए ममता ने कहा, “सभी हरियाणा के मतदाता है। यह भाजपा का काम है। हरियाणा ही नहीं, गुजरात के मतदाताओं के नाम भी सूची में हैं।

बीजेपी के साथ चुनाव आयोग को भी लपेटा

ममता ने कहा- भाजपा नेताओं ने चुनाव आयोग के ऑफिस में बैठकर ऑनलाइन फर्जी मतदाता सूची बनाई है। उन्होंने पश्चिम बंगाल के हर जिले में फर्जी मतदाताओं को जोड़ा है। ज्यादातर वोटर गुजरात और हरियाणा से हैं। महाराष्ट्र और दिल्ली में विपक्ष इन तथ्यों का पता नहीं लगा पाया।

उन्होंने कहा- मैं बंगाल के लोगों से अपील करती हूं कि वे वोटर लिस्ट की जांच करें। किसी भी दिन एनआरसी और सीएए के नाम पर सही वोटर्स के नाम हटाए जा सकते हैं। भाजपा ऐसा करके किसी तरह टीएमसी को हराना चाहती है। ममता ने वोटर लिस्ट की जांच के लिए पार्टी स्तर पर कमेटी भी बनाई है।

इस मुद्दे पर आक्रामक हो रही टीएमसी

बता दें कि कुछ दिनों पहले भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि बीजेपी के कहने पर राज्य में फर्जी तरीके से वोटर लिस्ट में बाहरी लोगों के नाम जोड़े जा रहे हैं। साथ ही कहा कि महाराष्ट्र और दिल्ली में बीजेपी ने इसी तरह जीत हासिल की, लेकिन बंगाल में ऐसा नहीं चलेगा। अब टीएमसी के नेता इस मुद्दे पर आक्रामक हो रहे हैं। उनका का कहना है कि चुनाव आयोग के कुछ अधिकारी बीजेपी को लाभ पहुंचाने के लिए पश्चिम बंगाल के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में वोटर लिस्ट में बाहरी लोगों को नाम जोड़ रहे हैं।

आधार, पैन समेत ये 18 दस्तवेज दिखाकर कर सकेंगे मतदान, वोटर लिस्ट में ऐसे चेक करें अपना नाम

रायपुर-  नगरपालिकाओं और त्रिस्तरीय पंचायतों के आम निर्वाचन 2025 के लिए मतदान केन्द्र पर मतदाता की पहचान स्थापित करने के लिए 18 प्रकार के दस्तावेजों को मान्य किया गया है.

 

छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने बताया कि दस्तावेजों में क्रमशः भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदाय किया गया मतदाता पहचान पत्र, बैंक / डाकघर फोटोयुक्त पासबुक, पासपोर्ट, आयकर पहचान-पत्र (PAN CARD), आधार कार्ड, राज्य/केन्द्र सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम या स्थानीय निकाय अथवा अन्य निजी औद्योगिक संस्थानों द्वारा उनके कर्मचारियों को जारी किए जाने वाले फोटोयुक्त सेवा पहचान-पत्र, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज, मनरेगा जॉब कार्ड, फोटोयुक्त स्वास्थ्य बीमा योजना (स्मार्ट) कार्ड, ड्रायविंग लायसेंस, स्वतंत्रता सेनानी फोटोयुक्त पहचान-पत्र, केन्द्रीय अथवा छ.ग. राज्य माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा जारी दसवीं एवं बारहवीं की फोटोयुक्त अंकसूची, बार कौशिल द्वारा अधिवक्ताओं को जारी फोटोयुक्त परिचय-पत्र, फोटोयुक्त निःशक्तता प्रमाण-पत्र, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी वैध फोटोयुक्त राशन कार्ड, महाविद्यालय अथवा विद्यालय द्वारा जारी फोटोयुक्त छात्र पहचान-पत्र, फोटोयुक्त शस्त्र लायसेंस एवं छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा तैयार सॉफ्टवेयर SEC-ER द्वारा Online जनरेटेड मतदाता पहचान पर्ची को मान्य किया गया है. मतदाता उपरोक्त में से कोई भी एक फोटोयुक्त पहचान-पत्र मतदान केन्द्र पर लेकर जायेगा और पीठासीन अधिकारी द्वारा पहचान स्थापित की जायेगी.

 

छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा तैयार सॉफ्टवेयर SEC-ER द्वारा Online जनरेटेड मतदाता पहचान पर्ची को मान्य किया गया है. यह पर्ची आयोग की वेबसाईट पर दिये गये लिंक से मतदाता के द्वारा डाउनलोड की जा सकती है, इसके लिए cgsec.gov.in वेबसाईट में जाकर VOTER SEARCH & PRINT – URBAN एवं से VOTER SEARCH & PRINT – RURAL नामवार Search करके अपना मतदान केन्द्र का विवरण देख व print कर सकते हैं.

घर बैठे चुटकियों में निकल जाएगी Voter Slip, ये है पूरा प्रोसेस

दिल्ली विधानसभा इलेक्शन के लिए वोटिंग 5 फरवरी को होगी. ऐसे में अगर आप भी वोट डालने के लिए जाने वाले हैं तो अपनी वोटिंग स्लिप घऱ से ही निकाल कर जाएं. इससे आपका काफी समय बचेगा. आप 10 सेकंड से भी कम समय में अपनी वोटिंग स्लिप निकाल सकते हैं. इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ेगा. बस अपने स्मार्टफोन के जरिए घर बैठे ये काम तुरंत करें. वोटिंग के लिए कई जरूरी डॉक्यूमेंट की जरूरत होती है. जिनके बिना आप वोट नहीं डाल पाएंगे.

इलेक्शन कमीशन वोटर इन्फोर्मेशन स्लिप (VIS) जारी करता है. इसमें वोटर की उम्र, जेंडर, नाम, असेंबली कांस्टीट्यूएंसी, पोलिंग स्टेशन लोकेशन जैसी जानकारी मेंशन होती हं. वोटर स्लिप ऑनलाइन डाउनलोड करने के लिए दिया गया प्रोसेस फॉलो करें.

SMS के जरिए वोटर स्लिप

SMS के जरिए वोटर स्लिप निकालने के लिए अपने फोन के मैसेज सेक्शन में जाएं. ECI (आपका वोटर आईडी नंबर) डालें. इसके बाद 1950 नंबर पर सेंड कर दें. इसके बाद आपको चुनाव आयोग की तरफ से धन्यवाद का मैसेज आएगा. SMS करने के 10 सेकंड के अंदर वोटर स्लिप भी भेज दी जाएगी. अगर आप वोटर हेल्पलाइन नंबर के जरिए स्लिप निकालना चाहते हैं तो ये प्रोसेस फॉलो करें.

ऐसे निकालें Voter Slip

Voter Helpline मोबाइल ऐप के जरिए आप आसानी से वोटर स्लिप निकाल सकते हैं. सबसे पहले Voter Helpline App को गूगल प्ले स्टोर या एपल ऐप स्टोर से इंस्टॉल करें. मोबाइल नंबर से रजिस्टर करें और पासवर्ड से रजिस्टर कर लें. अगर पहले से अकाउंट है तो लॉगिन करें., Search Your Name in Electoral Roll ऑप्शन पर जाएं और अपना नाम वहां पर सर्च करें..सर्च बाई EPIC No, Search by Bar/QR Code या Search by Mobile इन चारों ऑप्शन में से कोई भी एक सलेक्ट करें.. जरूरी जानकारी भरें और सर्च वाले ऑप्शन पर क्लिक करें. आपके सामने सभी डिटेल्स आ जाएंगी. डाउनलोड आइकन पर क्लिक करके डाउनलोड कर सकते हैं.

जिला निर्वाचन अधिकारी चन्द्र विजय सिंह और एसएसपी राज करन नय्यर ने दी जानकारी


अयोध्या।जिला निर्वाचन अधिकारी चन्द्र विजय सिंह ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजकरन नैय्यर के साथ 273-मिल्कीपुर विधानसभा निर्वाचन उपचुनाव 2025 को निष्पक्ष, शान्तिपूर्ण एवं पारदर्शिता से सम्पन्न कराये जाने हेतु अब तक की गयी तैयारियों के सम्बंध में जनपद के सम्मानित पत्रकार बन्धुओं के साथ कलेक्टेªट सभागार में प्रेसवार्ता की गयी। जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि मिल्कीपुर में 414 मतदेय स्थलों पर मतदान कराने की पूर्ण तैयारी कर ली गयी है, जिसके क्रम मे राजकीय इंटर कालेज अयोध्या से पोलिंग पार्टियों की रवानगी की गई है । उन्होंने बताया कि उपनिर्वाचन को निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण सम्पन्न कराने के लिए 210 मतदेय स्थल पर वेवकास्टिंग, 25 मतदेय स्थल पर वीडियोग्राफी, 71 मतदान केन्द्र पर माइको आब्जर्बर, 09 टीम उड़नदस्ता, 09 टीम स्थैतिक निगरानी टीम, 06 टीम वीडियो निगरानी टीम, 02 सुपर जोनल मजिस्टेªट, 04 जोनल मजिस्टेªट व 41 सेक्टर मजिस्टेªट तैनात किये गये है। उन्होंने बताया कि कुल 97.26 प्रतिशत मतदान पर्चियां वितरित की जा चुकी है तथा अवशेष मतदाता पर्ची का वितरण बी0एल0ओ0 द्वारा यथाशीघ्र करने के निर्देश सम्बंधित को दिये गये है तथा जिन मतदाताओं को किसी कारणवश मतदान पर्ची नही प्राप्त होती है तो उसके लिए मा0 भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अन्य विकल्प दिये गये है, जिसमें आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, बैंकों/डाकघरों द्वारा निर्गत फोटोयुक्त पासबुक, श्रम मंत्रालय की योजना के अन्तर्गत निर्गत स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेन्स, पैन कार्ड, एनपीआर के अन्तर्गत आरजीआई द्वारा निर्गत स्मार्ट कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज, केन्द्रध्राज्य सरकारध्लोक उपक्रमध्पब्लिक लिमिटेड कम्पनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को जारी किये गये फोटोयुक्त सेवा पहचान पत्र, सासदों/विधायकों/विधान परिषद सदस्यों को जारी किये गये सरकारी पहचान-पत्र और यूनिक डिसएबिलिटी आईडी (यूडीआईडी) कार्ड, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार मतदाता सूचना पर्ची को डाउनलोड करने हेतु भारत निर्वाचन आयोग के पोर्टल पर https://voters.eci.gov.in से मतदाताओं द्वारा डाउन लोड किया जा सकता है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजकरन नैय्यर ने बताया कि दिनांक 05 फरवरी 2025 को होने वाले मतदान के लिए पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा बलों की तैनाती की गयी है, जिसमें मानक के अनुसार सुरक्षा कार्मिक पोलिंग पार्टी रवानगी के साथ मतदेय स्थल पर पहुंच जायेंगे, शेष अपने-अपने क्षेत्र में तैनात किये जा चुके है। उन्होंने कहा कि मिल्कीपुर उपचुनाव को शांतिपूर्ण व भयमुक्त वातावरण में सम्पन्न कराने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी व पुलिस प्रशासन द्वारा सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गयी है। अधिकारी द्वय ने सभी मिल्कीपुर क्षेत्र के मतदाताओं व निवासियों से अपील करते हुये कहा कि चुनाव सम्बंधी कोई भी शिकायत प्राप्त होने पर उसकी जानकारी तत्काल दें तथा भ्रामक सूचनाओं पर ध्यान न दें। उन्होंने मतदाताओं से अपील की है कि दिनांक 05 फरवरी को शत प्रतिशत मतदान करते हुये अपने मताधिकार का प्रयोग करें।

बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण: 86.32% गणना प्रपत्र जमा, अंतिम 10 दिनों में बीएलओ करेंगे घर-घर संपर्क


पटना, 15 जुलाई 2025 – बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के तहत मतदाता सूची को अद्यतन करने का कार्य तेजी से जारी है। अब तक राज्य में 86.32% गणना प्रपत्र (Enumeration Forms - EF) एकत्र किए जा चुके हैं, और शेष मतदाताओं से संपर्क स्थापित करने के लिए लगभग 1 लाख बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) जल्द ही घर-घर जाकर सर्वेक्षण का तीसरा दौर शुरू करेंगे। यह अभियान यह सुनिश्चित करने के लिए है कि कोई भी पात्र मतदाता प्रारूप मतदाता सूची में शामिल होने से वंचित न रहे।

राज्य में कुल 7,89,69,844 मतदाताओं में से 6,81,67,861 ने अपने गणना प्रपत्र जमा कर दिए हैं। मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित और एक से अधिक स्थानों पर नामांकित व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए, एसआईआर के ईएफ संग्रह चरण में बिहार के लगभग 7.9 करोड़ मतदाताओं में से 90.84% को कवर किया गया है। अब 25 जुलाई की अंतिम समय-सीमा से पहले केवल 9.16% मतदाताओं को अपने भरे हुए ईएफ जमा करने हैं।

शेष मतदाताओं को समय पर अपने प्रपत्र भरने और 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाली प्रारूप मतदाता सूची में अपना नाम शामिल कराने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। बिहार के सभी 261 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के 5,683 वार्डों में विशेष शिविर स्थापित किए गए हैं और समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी किए गए हैं। बीएलओ मतदाताओं को अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके ECINet ऐप या https://voters.eci.gov.in पर ऑनलाइन फॉर्म के माध्यम से अपने फॉर्म ऑनलाइन भरने के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं।

ECINet के माध्यम से, मतदाता अपने EF ऑनलाइन भर सकते हैं और 2003 ईआर में अपने नाम भी खोज सकते हैं। वे ECINet ऐप का उपयोग करके अपने बीएलओ सहित अपने चुनाव अधिकारियों से भी जुड़ सकते हैं। आज शाम 6.00 बजे तक प्लेटफॉर्म पर 6.20 करोड़ से अधिक गणना प्रपत्र अपलोड किए जा चुके हैं। अपने ईएफ जमा करने की स्थिति की जांच के लिए एक नया मॉड्यूल आज रात https://voters.eci.gov.in पर लाइव हो जाएगा।

बीएलओ के प्रयासों में सभी राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 1.5 लाख बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) भी सहायता कर रहे हैं, जिनमें से प्रत्येक प्रतिदिन 50 ईएफ तक प्रमाणित और जमा कर सकता है। शहरी क्षेत्रों में किसी भी पात्र मतदाता के छूटने को रोकने के लिए, सभी 261 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के सभी 5,683 वार्डों में विशेष शिविर भी लगाए जा रहे हैं।

बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण: 83.66% प्रपत्र जमा, ECI ने पारदर्शिता और पहुंच बढ़ाने के लिए उठाए कदम

बिहार में चल रहे SIR (सिस्टमैटिक इनरोलमेंट रिविजन) में भरे हुए गणना प्रपत्र (EFs) जमा करने की अंतिम तिथि में 11 दिन शेष रहने के साथ, BLOs (बूथ लेवल अधिकारी) द्वारा घर-घर जाकर किए गए दो दौर के बाद, बिहार में 7,89,69,844 मतदाताओं में से 6,60,67,208 या 83.66% मतदाताओं के EF एकत्र किए गए हैं।

अब तक 1.59% मतदाताओं को मृत पाया गया है, 2.2% स्थायी रूप से स्थानांतरित पाए गए हैं और 0.73% व्यक्ति एक से अधिक स्थानों पर नामांकित पाए गए हैं।

इसलिए, 88.18% मतदाताओं ने या तो पहले ही अपना EF जमा कर दिया है या उनकी मृत्यु हो गई है या उन्होंने अपना नाम एक ही स्थान पर रखा है या वे अपने पिछले निवास स्थान से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं। अब केवल 11.82% मतदाताओं को अपने भरे हुए EF जमा करने हैं और उनमें से कई ने आने वाले दिनों में दस्तावेजों के साथ अपने गणना प्रपत्र जमा करने के लिए समय मांगा है।

ECI (भारत निर्वाचन आयोग) यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है कि कोई भी पात्र मतदाता छूटे नहीं और शेष मतदाता अपने EF भरें। लगभग 1 लाख BLOs जल्द ही अपने घर-घर जाकर दौरे का तीसरा दौर शुरू करेंगे। उनके प्रयासों को सभी राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 1.5 लाख BLAs (बूथ लेवल एजेंट) द्वारा बढ़ाया जा रहा है, जिनमें से प्रत्येक प्रति दिन 50 EF तक प्रमाणित और जमा कर सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी पात्र शहरी मतदाता ER (इलेक्टोरल रोल) से न छूटे, बिहार के सभी 261 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के सभी 5,683 वार्डों में विशेष शिविर भी लगाए जा रहे हैं।

उन मतदाताओं के लिए जो अस्थायी रूप से राज्य से बाहर चले गए हैं, समाचार पत्रों के विज्ञापनों और ऐसे मतदाताओं के साथ सीधा संपर्क के माध्यम से केंद्रित प्रयास किए जा रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे समय पर अपने EF भर सकें और 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाले प्रारूप मतदाता सूची में उनके नाम भी शामिल किए जा सकें। ऐसे मतदाता ECINet ऐप के माध्यम से अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके या https://voters.eci.gov.in पर ऑनलाइन फॉर्म के माध्यम से आसानी से EF ऑनलाइन भर सकते हैं (SIR दिशानिर्देशों के पैरा 3(d) के अनुसार)। वे अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से या व्हाट्सएप या इसी तरह के अनुप्रयोगों सहित किसी भी ऑनलाइन माध्यम से संबंधित BLOs को अपने फॉर्म भी भेज सकते हैं।

नवीनतम तकनीक और डिजिटलीकरण के उपयोग की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में, ECI द्वारा हाल ही में लॉन्च किया गया ECINet प्लेटफॉर्म, एक एकल एकीकृत प्लेटफॉर्म है जो पहले के 40 विभिन्न ECI अनुप्रयोगों को subsume कर रहा है, इसे बिहार SIR अभ्यास के सभी पहलुओं के लिए भी तैयार किया गया है और यह कुशलता से चल रहा है।

ECINet के माध्यम से, मतदाता अपने इलेक्ट्रॉल फॉर्म ऑनलाइन भरने और जहां भी लागू हो, 2003 मतदाता सूची में अपने नाम खोजने में सक्षम हैं। मतदाता ECINet ऐप का उपयोग करके अपने चुनाव अधिकारियों, जिसमें उनके BLOs भी शामिल हैं, से भी जुड़ सकते हैं।

ECINet क्षेत्र-स्तर के चुनाव पदाधिकारियों के लिए फॉर्म और दस्तावेजों को अपडेट करने की प्रक्रिया को भी तेज कर रहा है जिसके परिणामस्वरूप आज शाम 6.00 बजे तक 5.74 करोड़ से अधिक गणना प्रपत्र अपलोड किए गए हैं। ECINet के दस्तावेज़ समीक्षा मॉड्यूल ने AEROs (सहायक चुनावी पंजीकरण अधिकारी), EROs (चुनावी पंजीकरण अधिकारी) और DEOs (जिला चुनाव अधिकारी) द्वारा मतदाताओं की पात्रता के सत्यापन की गति को भी सुव्यवस्थित तरीके से तेज किया है।

बिहार के 4.96 करोड़ मतदाताओं के लिए खुशखबरी: 2003 की वोटर लिस्ट ECI वेबसाइट पर उपलब्ध, अब नहीं लगेंगे दस्तावेज

1.भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार की 2003 की मतदाता सूची, जिसमें 4.96 करोड़ मतदाताओं का विवरण शामिल है, को ईसीआई वेबसाइट – https://voters.eci.gov.in पर अपलोड कर दिया है।

2. ईसीआई के 24 जून, 2025 के निर्देशों के पैरा 5 में यह उल्लेख किया गया था कि सीईओ/डीईओ/ईआरओ 01.01.2003 की अर्हक तिथि वाली मतदाता सूचियों को सभी बीएलओ को हार्ड कॉपी में, साथ ही अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन भी मुफ्त में उपलब्ध कराएंगे ताकि कोई भी व्यक्ति इसे डाउनलोड कर सके और अपना गणना प्रपत्र जमा करते समय इसे दस्तावेजी प्रमाण के रूप में उपयोग कर सके।

3. बिहार की 2003 की मतदाता सूचियों की आसान उपलब्धता, बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को बहुत सुविधा प्रदान करेगी क्योंकि अब कुल मतदाताओं का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा कोई भी दस्तावेज़ जमा नहीं करेगा। उन्हें केवल 2003 की मतदाता सूची में अपने विवरण को सत्यापित करना होगा और भरा हुआ गणना प्रपत्र जमा करना होगा। मतदाता और बीएलओ दोनों इन विवरणों को आसानी से प्राप्त कर सकेंगे।

4. इसके अलावा, निर्देशों के अनुसार, जिसका नाम 2003 की बिहार मतदाता सूची में नहीं है, वह अभी भी अपने माता या पिता के लिए कोई अन्य दस्तावेज़ प्रदान करने के बजाय 2003 की मतदाता सूची का अंश उपयोग कर सकता है। ऐसे मामलों में, उसके माता या पिता के लिए किसी अन्य दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं होगी। केवल 2003 की मतदाता सूची का प्रासंगिक अंश/विवरण पर्याप्त होगा। ऐसे मतदाताओं को केवल अपने लिए, भरे हुए गणना प्रपत्र के साथ, दस्तावेज़ जमा करने होंगे।

5.यह दोहराया जाता है कि प्रत्येक चुनाव से पहले, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 21(2)(ए) और मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के नियम 25 के अनुसार मतदाता सूची का पुनरीक्षण अनिवार्य है। ईसीआई अब तक 75 वर्षों से वार्षिक पुनरीक्षण, गहन और संक्षिप्त दोनों, करता रहा है।

6. यह अभ्यास आवश्यक है क्योंकि मतदाता सूची हमेशा एक गतिशील सूची होती है जो मृत्यु, व्यवसाय/शिक्षा/विवाह जैसे विभिन्न कारणों से लोगों के स्थानांतरण, 18 वर्ष के नए मतदाताओं के जुड़ने आदि के कारण बदलती रहती है।

7. इसके अलावा, संविधान का अनुच्छेद 326 एक मतदाता बनने की पात्रता को निर्दिष्ट करता है। केवल भारतीय नागरिक, 18 वर्ष से अधिक आयु के और उस निर्वाचन क्षेत्र के सामान्य निवासी, एक मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के पात्र हैं।

बैक डोर से एनआरसी लाने की कोशिश, टीएमसी ने मतदाता सूची की जांच पर उठाए सवाल

#tmcmpraisesquestionoverecelectoralrollvoterlistrevision

पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने मतदाता सूची के पुनर्निरीक्षण पर सवाल उठाया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने चुनाव आयोग पर इसको लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। चुनाव आयोग के अभियान की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विपक्षी इंडी गठबंधन की पार्टियां इस मुद्दे को संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह उठाएंगी।

एनआरसी लागू करने की खतरनाक साज़िश’ करार

दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ब्रायन कहा कि बिहार से शुरू होकर पश्चिम बंगाल में लागू होने जा रही ‘स्पेशल इंटेंसिव रिविजन ऑफ इलेक्टोरल रोल’ की प्रक्रिया संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है। टीएमसी सांसद ने इसे ‘पीछे के दरवाज़े से एनआरसी लागू करने की खतरनाक साज़िश’ करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कवायद संदिग्ध समय पर शुरू की गई है।

चुनावी गणित बदलने की कोशिश का आरोप

डेरेक ओ’ब्रायन ने सवाल उठाया, अब अचानक इस प्रक्रिया की क्या जरूरत पड़ गई? उन्होंने दावा किया, हमारे पास सबूत हैं कि यह कवायद क्यों की जा रही है। बीजेपी के आंतरिक सर्वे में उन्हें बंगाल में केवल 46-49 सीटें मिलती दिख रही हैं, और इसी हताशा में वे चुनावी गणित बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

बता दें कि चुनाव आयोग ने पिछले सोमवार को बिहार में इस विशेष गहन समीक्षा की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए थे, जिसका मकसद अपात्र नामों को हटाना और पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल करना बताया गया है। यह कवायद बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले हो रही है। बिहार में पिछली बार इस तरह की समीक्षा 2003 में हुई थी।

आधार कार्ड से लिंक होगा मतदाता पहचान पत्र, चुनाव आयोग-गृह मंत्रालय की बैठक में फैसला

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केंद्र सरकार वोटर आईडी और आधार को लिंक करने की तैयारी कर रही है। इसे लेकर मंगलवार को चुनाव आयोग और यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें दोनों को लिंक करने पर सहमति बनी।चुनाव आयोग ने मंगलवार को कहा कि मतदाता पहचान-पत्रों को आधार से जोड़ने का काम मौजूदा कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार किया जाएगा। इसके साथ ही इसके लिए यूआईडीएआई और उसके विशेषज्ञों के बीच तकनीकी परामर्श जल्द ही शुरू होगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी ने निर्वाचन सदन नई दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव और यूआईडीएआई के सीईओ तथा चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ बैठक की। बैठक में निर्णय लिया गया कि मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने का काम संविधान के अनुच्छेद 326 के प्रावधानों के अनुसार ही किया जाएगा। कहा गया कि इस संबंध में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण और चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञ जल्द ही आगे की चर्चा करेंगे। 

क्या कहता है अनुच्छेद 326

भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, मतदान का अधिकार केवल भारत के नागरिक को दिया जा सकता है, आधार कार्ड केवल एक व्यक्ति की पहचान स्थापित करता है। इसलिए यह निर्णय लिया गया कि ईपीआईसी को आधार से जोड़ने का काम संविधान के अनुच्छेद 326, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के प्रावधानों के अनुसार और डब्ल्यूपी (सिविल) संख्या 177/2023 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुरूप ही किया जाएगा। अब यूआईडीएआई और ईसीआई के तकनीकी विशेषज्ञों के बीच तकनीकी परामर्श जल्द ही शुरू किया जाएगा।

संविधान में हैं वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का प्रावधान

संविधान में भी वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का प्रावधान है।बताया जाता है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23, जिसे चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 कहा जाता के मुताबिक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी मौजूदा या भावी मतदाताओं से स्वैच्छिक आधार पर पहचान स्थापित करने के लिए आधार संख्या प्रदान करने की मांग कर सकते हैं। यह कानून मतदाता सूची को आधार डाटाबेस के साथ स्वैच्छिक रूप से जोड़ने की अनुमति देता है।

चुनाव आयोग ने अप्रैल 2025 से पहले सुझाव मांगे

भारतीय निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार, वोटर-आधार को लिंक करने का मकसद आगामी चुनावों से पहले चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता, समावेशिता और एफिशिएंसी को बढ़ाना है। चुनाव आयोग 31 मार्च से पहले निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों, जिला चुनाव अधिकारियों और मुख्य चुनाव अधिकारियों के लेवल पर मीटिंग करेगा।

इसके लिए पिछले 10 साल में पहली बार चुनाव आयोग ने कानूनी ढांचे के भीतर सभी राष्ट्रीय और राज्य-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल 2025 तक आधिकारिक तौर पर सुझाव मांगे हैं।

पहले भी हो चुकी है ऐसी कोशिश

इससे पहले 2015 में भी ऐसी ही कोशिश हो चुकी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे रोक दिया गया था। 2015 में चुनाव आयोग ने मार्च 2015 से अगस्त 2015 तक राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धिकरण कार्यक्रम चलाया था। उस समय चुनाव आयोग ने 30 करोड़ से ज्यादा वोटर आईडी को आधार से लिंक करने का प्रोसेस पूरा कर लिया था। ये प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रुकी।

दरअसल, वोटर आईडी को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया के दौरान आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के करीब 55 लाख लोगों के नाम वोटर डेटाबेस से हट गए थे। इसी को लेकर आधार की संवैधानिकता को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को वोटर आईडी और आधार को लिंक करने से रोक दिया था।

राहुल गांधी ने उठाया वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मुद्दा, सदन में चर्चा की मांग

#rahul_gandhi_demands_discussion_on_voter_list

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आगे कई राज्यों में मतदाता सूचियों में कथित गड़बड़ी का मुद्दा सदन में उठाया। उन्होंने इस पर सदन में चर्चा की मांग की।उन्होंने कहा कि सरकार वोटर लिस्ट नहीं बनाती है, यह तो सबको पता है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं तो अच्छा होगा कि संसद में इस विषय पर चर्चा हो। बता दें कि पिछले कुछ चुनावों के बाद लगातार वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मुद्दा विपक्षी दल उठा रहे हैं। महाराष्ट्र चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी ने मतदाता सूची में हेराफेरी का आरोप लगाया था। फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव के वक्त आम आदमी पार्टी ने वोटर लिस्ट में फर्जी मतदाताओं को शामिल करने की मुद्दा उठाया था। बीते दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कथित सबूत के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

आज से संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू हो गया है। सदन में शून्यकाल के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र और कुछ दूसरे राज्यों में मतदाता सूचियों को लेकर सवाल उठे हैं। उन्होंने कहा, मैं इस बात से सहमत हूं कि मतदाता सूची सरकार नहीं बनाती, लेकिन पूरे देश में मतदाता सूची को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा, पूरा विपक्ष यह मांग कर रहा है कि मतदाता सूची पर चर्चा हो जाए।

दरअसल, उद्धव के सांसद से ठीक पहले टीएमसी के सांसद सौगत रॉय ने वोटर लिस्ट का मुद्दा उठाया था। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत रॉय ने कहा कि उनकी पार्टी की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कागजात दिखाए हैं जिससे पता चला है कि मतदाता पहचान पत्र संख्या का दोहराव हो रहा है। उन्होंने दावा किया, कुछ गंभीर गड़बड़ी है, जिसके बारे में पहले महाराष्ट्र में बात हुई थी। हरियाणा में भी इसे लेकर बात हुई थी। तृणमूल कांग्रेस सदस्य ने पश्चिम बंगाल और असम में भी भविष्य में इस तरह की बात सामने आने की आशंका जताई।

रॉय ने कहा, पूरी मतदाता सूची में व्यापक सुधार होना चाहिए। निर्वाचन आयोग को बताना चाहिए कि यह कैसे हुआ है। रॉय के सवाल पर स्पीकर ओम बिरला ने कह दिया कि वोटर लिस्ट सरकार बनाती है क्या?

इस पर राहुल गांधी ने कहा कि सरकार नहीं बनाती है, यह बात बिल्कुल सही है। उन्होंने कहा, 'आपने सही बात बोली कि वोटर लिस्ट क्या सरकार बनाती है? आपने सही बोला कि सरकार वोटर लिस्ट नहीं बनाती है। मगर पूरे देश में वोटर लिस्ट पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष शासित हर राज्य में और खासकर महाराष्ट्र में साफ-साफ सवाल उठे हैं। पूरा विपक्ष मिलकर सिर्फ ये कह रहा है कि वोटर लिस्ट पर यहां चर्चा हो जाए। आप बनाते नहीं हैं, ये हम मानते हैं, लेकिन वोटर लिस्ट पर चर्चा तो हो जाए।

बता दें कि हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी वोटर लिस्ट को लेकर चुनाव आयोग को निशाने पर लिया था। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के स्थानीय अधिकारी केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं।

दिल्ली के बाद पश्चिम बंगाल में ‘फर्जी वोटर’ बनेगा मुद्दा, ममता बनर्जी ने शुरू किया “खेला”

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दिल्ली में हाल ही में विधानसभा चुनाव खत्म हुए हैं। इस चुनाव में बीजेपी ने 27 साल के बाद वापसी करते हुए अरविंद केजरीवाल की पार्टी को करारी शिकस्त दी। हालांकि सरकार गठन के बाद बीजेपी पर बड़ा आरोप लगा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि भाजपा ने दिल्ली और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव फर्जी वोटों के जरिए जीता। इसमें चुनाव आयोग ने मदद की। बता दें कि चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी ने वोटर लिस्ट में फर्जी नामों का मुद्दा जोर शोर से उठाया था। अब पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने गुरुवार को बड़ा दावा किया। कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में तृणमूल कांग्रेस के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि बंगाल में फर्जी वोटर कार्ड बनाने के लिए दो एजेंसियां भेजी गई हैं।

दो एजेंसियों का लिया नाम

दो संगठनों का सीधे तौर पर नाम लेते हुए ममता बनर्जी ने दावा किया कि भाजपा ने उन्हें मतदाता पहचान पत्र में धोखाधड़ी के लिए राज्य में भेजा गया। उन्होंने एक कागज हाथ में लिया और एक उदाहरण देकर समझाया कि क्या हो रहा है? तृणमूल सुप्रीमो ने कहा, जहां तक मुझे खबर मिली है। ‘एसोसिएशन ऑफ बिलियन माइंड्स’ और ‘कंपनी इंडिया 360 सब्सिडियरी’ नामक दो एजेंसियां हैं। कई लोगों ने उन्हें यहां भेजा है। ऑनलाइन हेरफेर किया गया। इसी एपिक कार्ड में बाहरी लोगों के नाम भी थे। उन्होंने कहा, ममता का दावा है कि जब बंगाल के लोग वोट देने जाएंगे तो कोई बाहर से आकर उनके लिए वोट देगा।

एक उदाहरण देते हुए ममता ने बताया कि मुर्शिदाबाद के रानीनगर के सैदुल इस्लाम और हरियाणा की सोनिया देवी नामक एक अन्य मतदाता के मतदाता पहचान पत्र का ईपीआईसी नंबर एक ही नाम है। इसी तरह से बंगाल के मोहम्मद अली हुसैन और हरियाणा के मंजीत के मतदाता पहचान पत्र का ईपीआईसी नंबर एक जैसा है। ममता का सवाल, “पश्चिम बंगाल वोट देगा या हरियाणा?” एक लंबी सूची दिखाते हुए ममता ने कहा, “सभी हरियाणा के मतदाता है। यह भाजपा का काम है। हरियाणा ही नहीं, गुजरात के मतदाताओं के नाम भी सूची में हैं।

बीजेपी के साथ चुनाव आयोग को भी लपेटा

ममता ने कहा- भाजपा नेताओं ने चुनाव आयोग के ऑफिस में बैठकर ऑनलाइन फर्जी मतदाता सूची बनाई है। उन्होंने पश्चिम बंगाल के हर जिले में फर्जी मतदाताओं को जोड़ा है। ज्यादातर वोटर गुजरात और हरियाणा से हैं। महाराष्ट्र और दिल्ली में विपक्ष इन तथ्यों का पता नहीं लगा पाया।

उन्होंने कहा- मैं बंगाल के लोगों से अपील करती हूं कि वे वोटर लिस्ट की जांच करें। किसी भी दिन एनआरसी और सीएए के नाम पर सही वोटर्स के नाम हटाए जा सकते हैं। भाजपा ऐसा करके किसी तरह टीएमसी को हराना चाहती है। ममता ने वोटर लिस्ट की जांच के लिए पार्टी स्तर पर कमेटी भी बनाई है।

इस मुद्दे पर आक्रामक हो रही टीएमसी

बता दें कि कुछ दिनों पहले भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि बीजेपी के कहने पर राज्य में फर्जी तरीके से वोटर लिस्ट में बाहरी लोगों के नाम जोड़े जा रहे हैं। साथ ही कहा कि महाराष्ट्र और दिल्ली में बीजेपी ने इसी तरह जीत हासिल की, लेकिन बंगाल में ऐसा नहीं चलेगा। अब टीएमसी के नेता इस मुद्दे पर आक्रामक हो रहे हैं। उनका का कहना है कि चुनाव आयोग के कुछ अधिकारी बीजेपी को लाभ पहुंचाने के लिए पश्चिम बंगाल के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में वोटर लिस्ट में बाहरी लोगों को नाम जोड़ रहे हैं।

आधार, पैन समेत ये 18 दस्तवेज दिखाकर कर सकेंगे मतदान, वोटर लिस्ट में ऐसे चेक करें अपना नाम

रायपुर-  नगरपालिकाओं और त्रिस्तरीय पंचायतों के आम निर्वाचन 2025 के लिए मतदान केन्द्र पर मतदाता की पहचान स्थापित करने के लिए 18 प्रकार के दस्तावेजों को मान्य किया गया है.

 

छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने बताया कि दस्तावेजों में क्रमशः भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदाय किया गया मतदाता पहचान पत्र, बैंक / डाकघर फोटोयुक्त पासबुक, पासपोर्ट, आयकर पहचान-पत्र (PAN CARD), आधार कार्ड, राज्य/केन्द्र सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम या स्थानीय निकाय अथवा अन्य निजी औद्योगिक संस्थानों द्वारा उनके कर्मचारियों को जारी किए जाने वाले फोटोयुक्त सेवा पहचान-पत्र, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज, मनरेगा जॉब कार्ड, फोटोयुक्त स्वास्थ्य बीमा योजना (स्मार्ट) कार्ड, ड्रायविंग लायसेंस, स्वतंत्रता सेनानी फोटोयुक्त पहचान-पत्र, केन्द्रीय अथवा छ.ग. राज्य माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा जारी दसवीं एवं बारहवीं की फोटोयुक्त अंकसूची, बार कौशिल द्वारा अधिवक्ताओं को जारी फोटोयुक्त परिचय-पत्र, फोटोयुक्त निःशक्तता प्रमाण-पत्र, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी वैध फोटोयुक्त राशन कार्ड, महाविद्यालय अथवा विद्यालय द्वारा जारी फोटोयुक्त छात्र पहचान-पत्र, फोटोयुक्त शस्त्र लायसेंस एवं छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा तैयार सॉफ्टवेयर SEC-ER द्वारा Online जनरेटेड मतदाता पहचान पर्ची को मान्य किया गया है. मतदाता उपरोक्त में से कोई भी एक फोटोयुक्त पहचान-पत्र मतदान केन्द्र पर लेकर जायेगा और पीठासीन अधिकारी द्वारा पहचान स्थापित की जायेगी.

 

छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा तैयार सॉफ्टवेयर SEC-ER द्वारा Online जनरेटेड मतदाता पहचान पर्ची को मान्य किया गया है. यह पर्ची आयोग की वेबसाईट पर दिये गये लिंक से मतदाता के द्वारा डाउनलोड की जा सकती है, इसके लिए cgsec.gov.in वेबसाईट में जाकर VOTER SEARCH & PRINT – URBAN एवं से VOTER SEARCH & PRINT – RURAL नामवार Search करके अपना मतदान केन्द्र का विवरण देख व print कर सकते हैं.

घर बैठे चुटकियों में निकल जाएगी Voter Slip, ये है पूरा प्रोसेस

दिल्ली विधानसभा इलेक्शन के लिए वोटिंग 5 फरवरी को होगी. ऐसे में अगर आप भी वोट डालने के लिए जाने वाले हैं तो अपनी वोटिंग स्लिप घऱ से ही निकाल कर जाएं. इससे आपका काफी समय बचेगा. आप 10 सेकंड से भी कम समय में अपनी वोटिंग स्लिप निकाल सकते हैं. इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ेगा. बस अपने स्मार्टफोन के जरिए घर बैठे ये काम तुरंत करें. वोटिंग के लिए कई जरूरी डॉक्यूमेंट की जरूरत होती है. जिनके बिना आप वोट नहीं डाल पाएंगे.

इलेक्शन कमीशन वोटर इन्फोर्मेशन स्लिप (VIS) जारी करता है. इसमें वोटर की उम्र, जेंडर, नाम, असेंबली कांस्टीट्यूएंसी, पोलिंग स्टेशन लोकेशन जैसी जानकारी मेंशन होती हं. वोटर स्लिप ऑनलाइन डाउनलोड करने के लिए दिया गया प्रोसेस फॉलो करें.

SMS के जरिए वोटर स्लिप

SMS के जरिए वोटर स्लिप निकालने के लिए अपने फोन के मैसेज सेक्शन में जाएं. ECI (आपका वोटर आईडी नंबर) डालें. इसके बाद 1950 नंबर पर सेंड कर दें. इसके बाद आपको चुनाव आयोग की तरफ से धन्यवाद का मैसेज आएगा. SMS करने के 10 सेकंड के अंदर वोटर स्लिप भी भेज दी जाएगी. अगर आप वोटर हेल्पलाइन नंबर के जरिए स्लिप निकालना चाहते हैं तो ये प्रोसेस फॉलो करें.

ऐसे निकालें Voter Slip

Voter Helpline मोबाइल ऐप के जरिए आप आसानी से वोटर स्लिप निकाल सकते हैं. सबसे पहले Voter Helpline App को गूगल प्ले स्टोर या एपल ऐप स्टोर से इंस्टॉल करें. मोबाइल नंबर से रजिस्टर करें और पासवर्ड से रजिस्टर कर लें. अगर पहले से अकाउंट है तो लॉगिन करें., Search Your Name in Electoral Roll ऑप्शन पर जाएं और अपना नाम वहां पर सर्च करें..सर्च बाई EPIC No, Search by Bar/QR Code या Search by Mobile इन चारों ऑप्शन में से कोई भी एक सलेक्ट करें.. जरूरी जानकारी भरें और सर्च वाले ऑप्शन पर क्लिक करें. आपके सामने सभी डिटेल्स आ जाएंगी. डाउनलोड आइकन पर क्लिक करके डाउनलोड कर सकते हैं.

जिला निर्वाचन अधिकारी चन्द्र विजय सिंह और एसएसपी राज करन नय्यर ने दी जानकारी


अयोध्या।जिला निर्वाचन अधिकारी चन्द्र विजय सिंह ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजकरन नैय्यर के साथ 273-मिल्कीपुर विधानसभा निर्वाचन उपचुनाव 2025 को निष्पक्ष, शान्तिपूर्ण एवं पारदर्शिता से सम्पन्न कराये जाने हेतु अब तक की गयी तैयारियों के सम्बंध में जनपद के सम्मानित पत्रकार बन्धुओं के साथ कलेक्टेªट सभागार में प्रेसवार्ता की गयी। जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि मिल्कीपुर में 414 मतदेय स्थलों पर मतदान कराने की पूर्ण तैयारी कर ली गयी है, जिसके क्रम मे राजकीय इंटर कालेज अयोध्या से पोलिंग पार्टियों की रवानगी की गई है । उन्होंने बताया कि उपनिर्वाचन को निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण सम्पन्न कराने के लिए 210 मतदेय स्थल पर वेवकास्टिंग, 25 मतदेय स्थल पर वीडियोग्राफी, 71 मतदान केन्द्र पर माइको आब्जर्बर, 09 टीम उड़नदस्ता, 09 टीम स्थैतिक निगरानी टीम, 06 टीम वीडियो निगरानी टीम, 02 सुपर जोनल मजिस्टेªट, 04 जोनल मजिस्टेªट व 41 सेक्टर मजिस्टेªट तैनात किये गये है। उन्होंने बताया कि कुल 97.26 प्रतिशत मतदान पर्चियां वितरित की जा चुकी है तथा अवशेष मतदाता पर्ची का वितरण बी0एल0ओ0 द्वारा यथाशीघ्र करने के निर्देश सम्बंधित को दिये गये है तथा जिन मतदाताओं को किसी कारणवश मतदान पर्ची नही प्राप्त होती है तो उसके लिए मा0 भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अन्य विकल्प दिये गये है, जिसमें आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, बैंकों/डाकघरों द्वारा निर्गत फोटोयुक्त पासबुक, श्रम मंत्रालय की योजना के अन्तर्गत निर्गत स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेन्स, पैन कार्ड, एनपीआर के अन्तर्गत आरजीआई द्वारा निर्गत स्मार्ट कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज, केन्द्रध्राज्य सरकारध्लोक उपक्रमध्पब्लिक लिमिटेड कम्पनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को जारी किये गये फोटोयुक्त सेवा पहचान पत्र, सासदों/विधायकों/विधान परिषद सदस्यों को जारी किये गये सरकारी पहचान-पत्र और यूनिक डिसएबिलिटी आईडी (यूडीआईडी) कार्ड, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार मतदाता सूचना पर्ची को डाउनलोड करने हेतु भारत निर्वाचन आयोग के पोर्टल पर https://voters.eci.gov.in से मतदाताओं द्वारा डाउन लोड किया जा सकता है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजकरन नैय्यर ने बताया कि दिनांक 05 फरवरी 2025 को होने वाले मतदान के लिए पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा बलों की तैनाती की गयी है, जिसमें मानक के अनुसार सुरक्षा कार्मिक पोलिंग पार्टी रवानगी के साथ मतदेय स्थल पर पहुंच जायेंगे, शेष अपने-अपने क्षेत्र में तैनात किये जा चुके है। उन्होंने कहा कि मिल्कीपुर उपचुनाव को शांतिपूर्ण व भयमुक्त वातावरण में सम्पन्न कराने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी व पुलिस प्रशासन द्वारा सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गयी है। अधिकारी द्वय ने सभी मिल्कीपुर क्षेत्र के मतदाताओं व निवासियों से अपील करते हुये कहा कि चुनाव सम्बंधी कोई भी शिकायत प्राप्त होने पर उसकी जानकारी तत्काल दें तथा भ्रामक सूचनाओं पर ध्यान न दें। उन्होंने मतदाताओं से अपील की है कि दिनांक 05 फरवरी को शत प्रतिशत मतदान करते हुये अपने मताधिकार का प्रयोग करें।