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कनाडा के पीएम ट्रूडो को आखिरकार देना पड़ा इस्तीफा, अब आगे क्या?

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कनाडा के प्रधानमंत्री और लिबरल पार्टी के नेता जस्टिन ट्रूडो ने लंबे चले विरोध के बाद सोमवार को इस्तीफा दे दिया। ट्रूडो के इस्तीफे के बाद उनके 10 साल पुरानी सत्ता का अंत हो गया। यह फैसला उन्होंने अपनी ही पार्टी में विद्रोह और जनता में बढ़ती अलोकप्रियता के बीच लिया है। इस साल होने वाले आम चुनावों में पियरे पोइलिवरे की कंजरवेटिव पार्टी के सत्ता में आने की भविष्यवाणी की जा रही है। जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे से पहले एक अधिकारी ने बताया कि सरकार के प्रति बढ़ते असंतोष के कारण उन्होंने पद छोड़ने का फैसला लिया।

कनाडाई सरकार के एक अधिकारी ने कहा, सत्ताधारी लिबरल पार्टी में अगले नेता का चुनाव होने तक ट्रूडो कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहेंगे। अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि देश की संसद का सत्र 27 जनवरी से प्रस्तावित था। अब इस्तीफे के कारण संसद की कार्यवाही 24 मार्च तक स्थगित रहेगी।अधिकारी ने बताया कि 24 मार्च तक लिबरल पार्टी अपने नए नेता का चुनाव कर लेगी। सियासी उथल-पुथल के बीच यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि कनाडा में आम चुनाव कब कराए जाएंगे।

इस्तीफा देते हुए ट्रूडो ने क्या कहा?

53 वर्षीय नेता ने ओटावा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से कहा, मैं पार्टी के नए नेता के चयन के बाद पार्टी नेता और प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का इरादा रखता हूं। इसका मतलब है कि ट्रूडो तब तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में बने रहेंगे जब तक कि नए नेता का चुनाव नहीं हो जाता। बतौर रेगुलर पीएम अपने आखिरी भाषण में उन्होंने खुद को फाइटर करार दिया। ट्रूडो ने कहा, यह देश अगले चुनाव में एक असल विकल्प का हकदार है और यह मेरे लिए साफ हो गया है कि अगर मुझे आंतरिक लड़ाई लड़नी पड़ रही है, तो मैं उस चुनाव में सबसे अच्छा विकल्प नहीं हो सकता।

ट्रूडो दो बार से कनाडा के पीएम चुने जा रहे हैं, हाल ही में 2021 में वे सत्ता में रहने में तो कामयाब रहे शुरुआत में उनकी नीतियों को सराहा गया था। लेकिन हाल के वर्षों में बढ़ती खाद्य और आवास की कीमतों और बढ़ते आप्रवासन के कारण उनका समर्थन घट गया है। यह राजनीतिक उथल-पुथल ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर कनाडा अपने यहां अमेरिका में आने वाले अप्रवासी और नशीली दवाओं को रोकने में विफल रहा तो, कनाडा के सभी सामानों पर 25 फीसदी शुल्क लगा दिया जाएगा।  

क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने भी दिया था वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा

कनाडा की पूर्व वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने 16 दिसंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अर्थव्यवस्था से जुड़े ट्रुडो के फैसलों की आलोचना की थी। फ्रीलैंड और ट्रूडो के बीच नीतियों पर मतभेद थे। फ्रीलैंड का कहना था कि इस समय कनाडा को आर्थिक रूप से मजबूत रहना चाहिए और खर्चों को नियंत्रण में रखना चाहिए, ताकि अगर अमेरिका से किसी प्रकार के आर्थिक दबाव या शुल्क का सामना करना पड़े, तो कनाडा के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन हों। उनका मानना था कि ब्रिकी कर पर अस्थायी छूट और नागरिकों को 250 डॉलर भेजने जैसी योजनाएं राजनीतिक दिखावा हैं और इनसे आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ सकता है। 

कौन होगा लिबरल का नया लीडर?

संभावित नेताओं में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ कनाडा के पूर्व गवर्नर मार्क कार्नी, विदेश मंत्री मेलानी जोली और पूर्व उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड शामिल हैं। उम्मीद है कि 20 अक्टूबर को या उससे पहले होने वाले आम चुनाव से पहले एक नया पार्टी नेता लिबरल्स को उनकी निराशा से बाहर निकाल सकता है।

हाल के सर्वों में ट्रूडो की लिबरल पार्टी विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी से पीछे है, जिसका नेतृत्व तेजतर्रार पियरे पोलीवर कर रहे हैं। पार्टी से जुड़े लोग मानते हैं कि एक नया नेता ही पिछड़ती पार्टी को आगे ला सकता है।

भारत से पंगा लेने वाले जस्टिन ट्रूडो की जाने ही वाली है कुर्सी, दे सकते हैं इस्तीफा
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* कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पिछले काफी समय से पार्टी अंदर पनपे असंतोष का सामना कर रहे हैं। अब खबर आ रही है कि जस्टिन ट्रूडो सोमवार को लिबरल पार्टी के नेता पद से इस्तीफा दे सकते हैं। कनाडा के समाचारपत्र द ग्लोब एंड मेल ने रविवार को अपनी रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया है। द ग्लोब एंड मेल ने रविवार को सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। ऐसा तब हो रहा है जब 53 साल के ट्रूडो कथित तौर पर अपनी पार्टी के भीतर समर्थन खो रहे हैं और कई सर्वों से संकेत मिल रहा है कि अगर आज चुनाव हुए तो पियरे पोलिएवर के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी उन्हें और लिबरल पार्टी को सत्ता से बाहर कर देगी। *अगले एक या दो दिनों में छोड़ सकते हैं पद* रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिन ट्रूडो अगले एक या दो दिनों के भीतर पद छोड़ सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अभी ये तय नहीं है कि ट्रूडो कब इस्तीफा देंगे, लेकिन माना जा रहा है कि बुधवार को होने वाली राष्ट्रीय कॉकस बैठक से पहले ट्रूडो अपना पद छोड़ सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जस्टिस ट्रूडो को सत्ताधारी लिबरल पार्टी के नेता के पद से भी हटाने पर विचार किया जा रहा है। *क्यों इस्तीफा देंगे ट्रूडो?* जनमत सर्वेक्षणों के मुताबिक, इस समय वह अपने मुख्य प्रतिद्वंदी कंजर्वेटिव पार्टी के पियरे पॉइलीवर से 20 पॉइंट पीछे चल रहे हैं। यही वजह है कि लिबरल सदस्यों की ओर से उन पर इस्तीफा देने का प्रेशर है। उनके विरोध में खुलकर सांसद आ चुके हैं। उन्हें हटाने के लिए तो सिग्नेचर कैंपेन भी चल चुका है। बंद कमरे में उन पर सवालों की बौछार भी हो चुकी है। अब क्योंकि लिबरल पार्टी को लगने लगा है कि ट्रूडो के नेतृत्व में कनाडा में उनकी हार निश्चित है। इसलिए अब ट्रूडो की पीएम वाली कुर्सी जाने का खतरा पूी तरह मंडरा गया है। *ट्रूडो से नाराज हैं कनाडा के लोग* कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार की लोकप्रियता में गिरावट की कई वजह हैं। इनमें प्रमुख वजहों में अर्थव्यवस्था, कनाडा में घरों की कीमतों में जबरदस्त उछाल, अप्रवासी मुद्दा आदि शामिल हैं। कोरोना महामारी के बाद कनाडा में महंगाई 8 फीसदी तक बढ़ गई थी। हालांकि फिलहाल यह दो प्रतिशत से नीचे है। कनाडा में बेरोजगारी भी बड़ा मुद्दा है, जो फिलहाल छह फीसदी के आसपास है। ट्रूडो सरकार के कार्बन टैक्स कार्यक्रम की भी विपक्ष द्वारा आलोचना की जा रही है। कनाडा में महंगे घर एक बड़ी समस्या है। कनाडा के अधिकतर बड़े शहरों में घर खरीदना आम लोगों के बजट के बाहर हो गया है। लंबे समय से यह समस्या बनी हुई है और सरकार इसे नियंत्रित कर पाने में नाकाम रही है। ये भी एक बड़ी वजह है कि लोगों में ट्रूडो सरकार के प्रति गहरी नाराजगी है। कनाडा में अप्रवासन भी बड़ा मुद्दा है। हालांकि ट्रूडो सरकार ने हाल के समय में अप्रवासन को लेकर नई नीतियां बनाई हैं, जिससे अप्रवासियों की संख्या को नियंत्रित किया जा सके। हालांकि अभी भी लोगों की नाराजगी कम नहीं हुई है। अप्रवासियों की बढ़ती संख्या की वजह से कनाडा की स्वास्थ्य व्यवस्था और अन्य सेवाओं पर भारी दबाव पड़ा है। कनाडा में खालिस्तानियों के बढ़ते प्रभाव को लेकर भी कई कनाडाई नागरिक नाराज हैं। हाल ही में कनाडा की डिप्टी पीएम और वित्त मंत्री ने भी इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद ट्रूडो पर भी इस्तीफा देने का दबाव बढ़ा है।
बुरे फंसे भारत विरोधी जस्टिन ट्रूडो, अमेरिका के बाद अब चीन ने सिखाया सबक
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भारत के साथ अपने संबंधों को बिगाड़ने वाले जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। जस्टिन ट्रूडो इस वक्त घरेलू मोर्चे पर संघर्ष कर रहे हैं और कूटनीतिक स्तर पर भी चारों ओर से चुनौतियों से घिर गए हैं। इस बार मामला चीन से जुड़ा हुआ है। अमेरिका के बाद अब चीन ने कनाडा के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। चीन उइगर मुस्लिम और तिब्बत से संबंधित मानवाधिकार के मुद्दों में शामिल कनाडा के 2 संस्थानों के करीब 20 लोगों पर बैन लगाने जा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप के टैक्स बम के बाद अब चीन की ये घोषणा कनाडा के लिए बड़ी परेशानी पैदा करने वाली है।

चीन ने रविवार को कहा है कि वह उइगरों और तिब्बत से संबंधित मानवाधिकार के मुद्दों में शामिल दो कनाडाई संस्थानों सहित 20 लोगों के खिलाफ प्रतिबंध की कार्रवाई करने जा रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर घोषणा की कि शनिवार को प्रभावी हुए इन उपायों में संपत्ति जब्त करना और प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना शामिल है और इनके निशाने पर कनाडा का उइगर अधिकार वकालत परियोजना और कनाडा-तिब्बत समिति शामिल है। चीन ने कहा कि वह इन दोनों संस्थानों की चल संपत्ति, अचल संपत्ति और चीन के क्षेत्र में अन्य प्रकार की संपत्ति को फ्रीज कर रहा है।

दरअसल, कनाडा के मानवाधिकार संगठनों ने चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया था। मानवाधिकार संगठनों का दावा है कि चीन में उइगर मुसलमानों का शोषण हो रहा है और सरकारी तंत्र उन्हें लगातार प्रताड़ित कर रहा है। इसके बाद चीन ने बड़ा एक्शन लिया है। कनाडा के 20 लोगों को चीन ने बैन कर दिया है। ये सभी लोग अलग-अलग मानवाधिकार संगठनों से जुड़े थे। इन सभी लोगों के चीन में प्रवेश के साथ ही हांगकांग और मकाऊ क्षेत्र में प्रवेश पर भी बैन लगा दिया गया है।

इस प्रतिबंध के तहत, उइगर संस्थान से जुड़े 15 और तिब्बत समिति के पांच सदस्यों की चीन में संपत्तियों को फ्रीज किया गया है। इसके अलावा, इन व्यक्तियों के हांगकांग और मकाऊ सहित पूरे चीन में प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

कनाडा के मानवाधिकार समूहों ने चीन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि चीन ने शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बड़े पैमाने पर शोषण किया है। लगभग एक करोड़ उइगर मुसलमानों को कथित रूप से नजरबंदी शिविरों में रखा गया है, जहां उनसे जबरन मजदूरी करवाया जाता है। हालांकि, चीन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि ये शिविर पुनर्वास और शिक्षा के लिए हैं। चीन ने 1950 में तिब्बत पर नियंत्रण किया था और इसे "शांतिपूर्ण मुक्ति" कहा था। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और निर्वासित तिब्बती समुदायों ने इसे दमनकारी शासन करार दिया है और समय-समय पर इसकी निंदा की है।

बता दें कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इन दिनों आंतरिक और बाहरी संकटों का सामना कर रहे हैं। उनके कार्यकाल में कनाडा के अमेरिका, भारत और चीन जैसे प्रमुख देशों के साथ संबंध खराब हुए हैं। ये तीनों देश वैश्विक स्तर पर अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इसके अलावा, कनाडा में उनकी लोकप्रियता तेजी से घट रही है। उनके पूर्व सहयोगी और एनडीपी नेता जगमीत सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा की है, जिससे ट्रूडो की सरकार पर दबाव और बढ़ गया है।
अब जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ खड़ी हुई कनाडा की पुलिस, बदहाल कानून व्यवस्था देने का आरोप, इस्तीफे की मांग

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कनाडा में वहां की ट्रूडो सरकार के लिए सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पीएम ट्रूडो के लिए हालात किस कदर जटिल बने हुए हैं इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि उन्हें बीते कुछ समय से अपनी सरकार के भीतर भी तीखी आलोचनाएं झेलनी पड़ रही हैं। साथ ही साथ ट्रूडो जिन आतंकी ताकतों को सहारा दे रहे थे,उससे कनाडा के लोग नाराज हैं। उस पर से अमेरिका के होने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ट्रुडो फूटी आंख नहीं सुहाते। भारत का विरोध और खालिस्तान का समर्थन करने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो के लिए जनता का समर्थन हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है। उनके खिलाफ कनाडा में उसी बगावत की सबसे बड़ी झलक उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिश्टिया फ्रीलैंड का इस्तीफा है। इस बीच अब कनाडा पुलिस ने भी प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर पूरी तरह से अविश्वास जता दिया है।

कनाडा पुलिस की दो संगठन ने प्रधानमंत्री जस्टिन पर कनाडा में बदहाल कानून व्यवस्था देने का आरोप लगाया है। पुलिस संगठन का आरोप है कि जस्टिन के राज में अपराधी कल्चर बढ़ा है। अवैध हथियारों और ड्रग्स की सभ्यता को बढ़ावा मिला है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिन अपराधियों को पुलिस अपनी जान पर खेल कर पकड़ती है। उन अपराधियों को कोर्ट से खड़े-खड़े जमानत मिल जाती है।

टोरंटो पुलिस एसोसिएशन ने इस बाबत बाकायदा अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी जस्टिन ट्रूडो की गलत नीतियों की आलोचना की है। टोरंटो पुलिस एसोसिएशन ने कहा कि खोखले वादों और बातों का बहुत कम अर्थ है और वे हमारे सदस्यों और आम जनता के प्रति कपटपूर्ण बने हुए हैं। हिंसक अपराध, बंदूक अपराध और वास्तविक जमानत सुधार की कमी जनता, अधिकारियों और पूरे समाज को खतरे में डालने के अलावा कुछ नहीं करती है।

दरहम क्षेत्रीय पुलिस एसोसिएशन ने भी टोरंटो पुलिस एसोसिएशन का समर्थन किया। उन्होंने जस्टिन ट्रूडो पर अविश्वास जताते हुए उनके इस्तीफे की मांग की और कहा कि देश में नए चुनाव होने चाहिए।

पुलिस द्वारा प्रधानमंत्री पर अविश्वास जताना दर्शाता है कि कनाडा में कानून व्यवस्था की स्थिति गंभीर हो चुकी है। पुलिस और प्रधानमंत्री के बीच अविश्वास की यह स्थिति अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई को और अधिक जटिल बना रही है। जस्टिन ट्रूडो पर दबाव लगातार बढ़ रहा है। पुलिस संगठनों और सांसदों की ओर से इस्तीफे की मांग की जा रही है।

कनाडा फिर बैकफुट, पीएम मोदी, जयशंकर और डोभाल पर किए गए दावे से पलटा

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पहले दावे करना और फिर उससे पलट जाना। हरदीप सिंह निज्जर मामले में कनाडा एक बार फिर अपने दावों से पीछे हट गई है। कनाडा सरकार ने माना है कि निज्जर हत्याकांड में पीएम मोदी, एस जयशंकर और अजित डोभाल का न तो कोई कनेक्शन है और न ही कोई सबूत है। ट्रूडो सरकार ने उस कनाडाई मीडिया के दावे को खारिज किया है, जिसने यह आरोप लगाया था। इससे पहले द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत के शीर्ष नेतृत्व को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की साजिश के बारे में पता था। अखबार ने आरोप लगाया गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के प्लान के बारे में पहले से जानकारी थी। भारत सरकार ने कनाडाई अखबार द ग्लोब एंड मेल की उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया था।

भारत की सख्ती के बाद कनाडा के तेवर नरम पड़ते दिख रहे हैं। भारत की सख्ती के बाद ट्रूडो सरकार ने बयान जारी किया है। कनाडाई मीडिया रिपोर्ट पर सफाई देते हुए जस्टिन सरकार ने कहा, ‘कनाडा सरकार ने यह बयान नहीं दिया है, न ही उसे प्रधानमंत्री मोदी, विदेश मंत्री जयशंकर, या एनएसए अजित डोभाल को कनाडा के भीतर गंभीर आपराधिक गतिविधि से जोड़ने वाले सबूतों की जानकारी है। यह रिपोर्ट अटकलों पर आधारित और गलत है। 

ट्रूडो सरकार ने क्या कहा?

कनाडा सरकार ने एक बयान जारी कर रहा कि, 14 अक्टूबर को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण और निरंतर खतरे के कारण आरसीएमपी और अधिकारियों ने भारत सरकार के एजेंटों द्वारा कनाडा में गंभीर आपराधिक गतिविधि को अंजाम देने के सार्वजनिक आरोप लगाने का असाधारण कदम उठाया था। बयान में आगे कहा गया है कि, कनाडा सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी, मंत्री जयशंकर या एनएसए अजित डोभाल के कनाडा के भीतर किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधि में शामिल होने के कोई भी सबूत नहीं है, न ही उसे इसकी जानकारी है। 

निराधार आरोपों पर चिंताएं

कनाडा सरकार ने इस मामले में मीडिया और अन्य स्रोतों से अनुरोध किया कि वे किसी भी बिना साक्ष्य के आरोपों को बढ़ावा न दें। सरकार का कहना था कि इस तरह के निराधार आरोप अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं और दोनों देशों के बीच विश्वास को भी चोट पहुंचा सकते हैं।

कनाडा सरकार का यह बयान दोनों देशों के बीच जारी तनावपूर्ण स्थिति को और स्पष्ट करता है। हालांकि, कनाडा ने यह भी माना है कि सार्वजनिक सुरक्षा के संदर्भ में गंभीर खतरे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह कदम उठाया था, लेकिन अब इसने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय नेताओं का इस आपराधिक गतिविधियों से कोई संबंध नहीं है। अब देखने वाली बात यह होगी कि दोनों देशों के बीच रिश्ते इस स्थिति के बाद किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।

रिपोर्ट में क्या कहा गया?

बता दें कि द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र था कि निज्जर की हत्या से जुड़े कथित प्लॉट के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजित डोवाल को जानकारी थी और सेक्योरिटी एजेंसियों को लगता है कि इसकी जानकारी पीएम मोदी को भी हो सकती है। रिपोर्ट में ये दावे बिना नाम दिए कनाडा के नेशनल सिक्योरिटी ऑफिसर के हवाले से किए गए थे।

निज्जर की हत्या के मामले में पहली बार सीधे पीएम मोदी पर आरोप लगाए गए। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि इसे लेकर कानाडा सरकार के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। इससे पहले कनाडा की संसदीय समिति के सामने वहां के उप विदेशमंत्री केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर भी ऐसी ही टिप्पणी कर चुके हैं। भारत ने इन पर भी कड़ी आपत्ति जताते हुए इन्हें बेतुका और निराधार बताया था। बीते दिनों विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को निराधार करार देते हुए कनाडा सरकार के समक्ष आधिकारिक तौर पर विरोध भी दर्ज करवाया था।

*जी-20 नेताओं की ग्रुप फोटोः बगल में खड़े थे ट्रूडो, बाइडेन ने मोदी को दी ज्यादा तरजीह*
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भारत और कनाडा के बीच दुश्मनी की तलवार खींच गई है। जस्टिन ट्रूडो के खालिस्तान प्रेम की वजह से दोनों देशों के रिश्तों निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं। इसका असर ब्राजील में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में भी दिखा। जब कनाडा के पीएम ट्रूडो को भारत ने पूरी तरह से अनदेखा कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन से अलग दुनिया भर के नेताओं से द्विपक्षीय मीटिंग की। पीएम मोदी ने इससे जुड़ी तस्वीरें शेयर की। लेकिन उनकी जस्टिन ट्रूडो से मुलाकात की कोई भी फोटो सामने नहीं आई। जी-20 से जुड़ा एक वीडियो अब वायरल हो रहा है, जिसमें पीएम मोदी जस्टिन ट्रूडो को इग्नोर करते दिख रहे हैं। दरअसल वीडियो तब का है जब जी-20 के सभी मेहमान फोटो खिंचवाने के लिए खड़े हुए थे। ट्रूडो और पीएम मोदी के बीच में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन मौजूद थे। इस दौरान पीएम मोदी के कंधे पर उनका हाथ रखा हुआ था और वह ट्रूडो से कुछ कह रहे थे। पीएम मोदी इस दौरान ट्रूडो को देख रहे थे। वीडियो में दिख रहा है कि बाइडन ने कुछ कहा जिस पर पीएम मोदी हंसने लगे। लेकिन उन्होंने बातचीत को आगे नहीं बढ़ाया। बाद में वह दूसरी तरफ देखने लगे तस्वीर में देखा जा रहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन के दायीं तरफ कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खड़े हैं। वहीं बायीं तरफ पीएम मोदी हैं और उनके साथ ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा भी मौजूद हैं। इस दौरान राष्ट्रपति जो बाइडेन और लूला डी सिल्वा पीएम मोदी का हाथ अपने हाथों में लेकर भारत के साथ अपने मजबूत संबंधों को दर्शाते नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो अपने दोस्त मुल्क अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन के बगल खड़े होकर भी अलग-थलग पड़े दिख रहे हैं। जबकि बाइडेन इस दौरान पीएम मोदी को ट्रूडो से ज्यादा तरजीह देते दिख रहे हैं। इससे ट्रूडो की हंसी में भी निराशा झलकती दिख रही है। दरअसल, जी20 समिट से जो तस्वीर सामने आई है, वह भारत के ग्लोबल दमखम को दिखाती है। जी20 समिट के फोटो में सेंटर में जो बाइडन के साथ पीएम मोदी दिख रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन जिस तरह से पीएम मोदी को इज्जत देते हैं और भारत की अहमियत को समझते हैं, उससे जस्टिन ट्रूडो भी वाकिफ हैं। यही वजह है कि जस्टिन ट्रूडो का पीएम मोदी के सामने जी20 के मंच पर नरम और अलग तेवर दिखा। जी20 के फैमिली फोटो में एक चीज और गौर करने वाली है। इस तस्वीर में पीएम मोदी जो बाइडन के करीब सेंटर में दिख रहे हैं। बता दें कि ब्राजील के रियो डी जेनेरियो पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन में दुनिया भर के नेताओं, पश्चिम और वैश्विक दक्षिण से मुलाकात की है। जी20 शिखर सम्मेलन के लिए पीएम मोदी ने सोमवार को औपचारिक बैठकें और अनौपचारिक बैठकें भी कीं। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी के साथ भी द्विपक्षीय बैठक की। दोनों राष्ट्राध्यक्षों और विदेश मंत्री जयशंकर की मौजूदगी वाले प्रतिनिधिमंडल ने भारत और इटली से जुड़े अहम द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर संक्षिप्त मुलाकात की। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को यहां ब्राजील, चिली और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति से मुलाकात की तथा रक्षा, ऊर्जा, जैव ईंधन एवं कृषि जैसे विविध क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के तौर-तरीकों पर चर्चा की। नाइजीरिया की दो दिवसीय यात्रा के बाद, रविवार को ब्राजील के रियो डी जेनेरियो शहर पहुंचे मोदी ने यहां जी20 शिखर सम्मेलन से इतर राष्ट्रपति लुइज इनासियो लुला डा सिल्वा से मुलाकात की और जी20 की अध्यक्षता के दौरान ब्राजील की ओर से किये गए विभिन्न प्रयासों के लिए उनकी सराहना की।
ट्रूडो सरकार की ये कैसी करतूत, जयशंकर की प्रेस कॉन्फ्रेंस टेलीकास्ट के बाद ऑस्ट्रेलियाई चैनल को किया बैन

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ख़ालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत-कनाडा के बीच संबंध पहले ही निम्नतम स्तर पर पहुंच चुका है। इस बीच हाल ही में हिंदू मंदिर पर हमले और हिंदू समुदाय को निशाना जाने को लेकर घमासान अभी थमा भी नहीं था। इसी बीच कनाडा सरकार की एक और करतूत पर भारत ने सवाल उठाए हैं। इस बार कनाडा ने एक ऑस्ट्रेलियाई मीडिया संस्थान 'ऑस्ट्रेलिया टुडे' के सोशल मीडिया अकाउंट को ब्लॉक कर दिया। यह कार्रवाई भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और ऑस्ट्रेलिया में उनकी समकक्ष पेनी वोंग की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ घंटों बाद हुई।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और पेनी वोंग के बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कनाडा ने ऑस्ट्रेलियाई चैनल 'ऑस्ट्रेलिया टुडे' के सोशल मीडिया पेज को ब्लॉक कर दिया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में, एस जयशंकर ने कनाडा पर आरोप लगाया था कि वह बिना किसी ठोस सबूत के भारत पर झूठे आरोप लगा रहा है। इसके तुरंत बाद ही कनाडा ने 'ऑस्ट्रेलिया टुडे' के सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया।

कनाडा सरकार की ओर से ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख आउटलेट 'ऑस्ट्रेलिया टुडे' को ब्लॉक/बैन करने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हमें पता चला है कि कनाडा में एक महत्वपूर्ण प्रवासी आउटलेट के सोशल मीडिया हैंडल, पेज को ब्लॉक/बैन कर दिया गया है। यह इस विशेष हैंडल से पेनी वोंग के साथ विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की प्रेस कॉन्फ्रेंस को प्रसारित करने के ठीक कुछ घंटों बाद हुआ। इस कार्रवाई को लेकर हमें आश्चर्य हुआ।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति कनाडा के पाखंड को उजागर करता है। विदेश मंत्री ने अपने मीडिया कार्यक्रमों में तीन चीजों के बारे में बात की। पहला, कनाडा की ओर से बिना किसी विशेष सबूत के आरोप लगाना। दूसरा, कनाडा में भारतीय राजनयिकों की अस्वीकार्य निगरानी करना। तीसरा, कनाडा में भारत विरोधी तत्वों को राजनीतिक स्थान दिया जाना...इससे आप निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि ऑस्ट्रेलिया टुडे चैनल को कनाडा द्वारा क्यों ब्लॉक किया गया।

बता दें कि यह घटना कनाडा के ब्रैम्पटन में स्थित हिंदू मंदिर पर हुए हमले के वीडियो के सामने आने के बाद हुई। इस हमले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कनाडाई समकक्ष जस्टिन ट्रूडो ने निंदा की थी। कनाडा में रविवार को ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर पर खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने हमला बोला था। इस दौरान भारतीय कांसुलेट वहां एक कार्यक्रम आयोजित कर रहा था। खालिस्तान समर्थकों ने लाठी डंडों के साथ वहां मौजूद लोगों पर हमला बोल दिया था।

కెనడాలో హిందూ ఆలయంపై దాడి

కెనడా (Canada)లో ఖలిస్థానీల దాడులు ఆగడం లేదు. గత కొంతకాలంగా ఆ దేశంలోని హిందూ ఆలయాలే (Hindu Temples) లక్ష్యంగా వరుస దాడులకు పాల్పడుతున్నారు. తాజాగా బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం వెలుపల విధ్వంసం సృష్టించారు.

కెనడా (Canada)లో ఖలిస్థానీల దాడులు ఆగడం లేదు. గత కొంతకాలంగా ఆ దేశంలోని హిందూ ఆలయాలే (Hindu Temples) లక్ష్యంగా వరుస దాడులకు పాల్పడుతున్నారు. తాజాగా బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం వెలుపల విధ్వంసం సృష్టించారు. భక్తులపై దాడి చేసి తీవ్రంగా గాయపరిచారు (Devotees Attacked). ఇలా వరుస దాడులతో కెనడాలోని హిందువులు తీవ్ర భయాందోళన వ్యక్తం చేస్తున్నారు.

బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం, భక్తులపై జరిగిన దాడి ఘటనపై కెనడా ప్రధాని (Canada PM)జస్టిన్‌ ట్రూడో (Justin Trudeau) స్పందించారు. ఇది ఏమాత్రం ఆమోదయోగ్యం కాదని పేర్కొన్నారు. తమ దేశంలోని ప్రజలు అన్ని మతాలను పాటించే హక్కును కాపాడతామని పేర్కొన్నారు. ఈ ఘటనపై తక్షణమే స్పందించి దర్యాప్తు చేపట్టాలని ప్రాంతీయ పోలీసులన ట్రూడో ఆదేశించారు.

మరోవైపు ఈదాడి ఘటనపై బ్రాంప్టన్‌ మేయర్‌ తీవ్రంగా స్పందించారు. హిందూ ఆలయం వెలుపల జరిగిన దాడి ఘటన విని ఆందోళన చెందినట్లు చెప్పారు. కెనడాలో మత స్వేచ్ఛ అనేది ప్రాథమిక హక్కు అని పేర్కొన్నారు. దాడులకు తెగబడిన వారిపై కఠిన చర్యలు తీసుకుంటామని హామీ ఇచ్చారు. దోషులుగా తేలిన వారిని చట్ట ప్రకారం శిక్షిస్తామన్నారు.

भारत के साथ तनाव के बीच जस्टिन ट्रूडो ने दी दिवाली की बधाई, जानें कनाडा में हिंदुओं को लेकर क्या कहा?

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खालिस्तानियों को खुश करने में जुटे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को आखिरकार दिवाली की याद आ ही गई। अपने बयानों से भारत के साथ रिश्तों में कड़वाहट घोलने वाले कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने शुक्रवार को देश में रहने वाले भारतीय लोगों को दीपावली की शुभकामनाएं दीं।इस अवसर पर ट्रूडो ने ये भी कहा है कि उनकी सरकार हिंदू कनाडाई लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

कनाडा के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी जस्टिन ट्रूडो के संदेश में कहा गया है कि दिवाली की शुभकामनाएं... आज, हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन परिवार उत्सव, मोमबत्तियां, दीये और आतिशबाजी के साथ अंधकार पर प्रकाश की विजय का जश्न मनाएंगे। इस विशेष मौके पर आप सभी को खुशी और समृद्धि की शुभकामनाएं।

ट्रूडो ने आगे कहा कि आज हम कनाडा और दुनिया भर में दिवाली का त्‍योहार मनाने वाले लोगों से जुड़ रहे हैं। दिवाली बुराई पर अच्छाई की, अज्ञान पर ज्ञान की जीत का जश्न मनाने का फेस्टिवल है। इस दिन परिवार मंदिरों में प्रार्थना करने, उपहारों का अदान-प्रदान करने और देश भर में उत्सवों में भाग लेने के लिए इकट्ठा होंगे. घरों को मोमबत्तियों और दीयों से रोशन किया जाएगा। आसमान में आतिशबाज़ी छा जाएगी। दिवाली की चमकदार रोशनी हम सभी को अंधेरे को हराने और उद्देश्य खोजने के लिए प्रोत्साहित करती है।

जस्टिन ट्रूडो ने आगे कहा कि कनाडा में दिवाली हमारे अविश्वसनीय इंडो-कनाडाई समुदाय के बिना पूरी नहीं हो सकती है। इंडो-कैनेडियन समुदाय कनाडा के हर क्षेत्र में शानदार काम कर रहा है। ये समुदाय कलाकारों, उद्यमियों, डॉक्टरों, शिक्षकों और व्यवसाय के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहा है। दिवाली के मौके पर पर हम कनाडा के समुदायों में उनकी कोशिशें से लाई गई रोशनी का भी जश्न मना रहे हैं।

कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो का बयान ऐसे समय आया है, जब भारत से उनके रिश्ते बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं।

अप्रवासियों की संख्या में कटौती करने जा रहा है कनाडा, ट्रूडो के फैसले से कैसे प्रभावित होंगे भारतीय?

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पिछले कुछ समय से भारत और कनाडा के बीच के संबंधों में खटास आई है। इस बीच कनाडाई प्रधानमंत्री का जस्टिन ट्रूडो ने एक नई घोषणा कर दी है। जो कनाडा में रह रहे अप्रवासी भारतीय लोगों की खासी परेशानी का सबब बन गया है। दरअसल, कनाडा ने अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी में अहम बदलाव का ऐलान किया है। कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार के फैसले से अगले तीन वर्षों में (2027 तक) स्थायी और अस्थायी निवासियों की संख्या कम हो जाएगी। इसका भारतीयों पर खासतौर से असर होने जा रहा है, जो कनाडा की अप्रवासी और छात्र आबादी का बड़ा हिस्सा हैं।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक्स पर पोस्ट करके कहा कि हम कनाडा में विदेशी कामगारों की संख्या में कमी करने वाले हैं। जिसने भारतीय अप्रवासियों के सामने एक बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। ट्रूडो ने पोस्ट में आगे लिखा कि, “हम कंपनियों के लिए सख्त नियम लेकर आ रहे हैं, जिससे कि वो यह साबित कर सकें कि वे पहले क्यों पहले कनाडा के कर्मचारियों को नियुक्त नहीं कर सकते।”

कई वर्षों में पहली बार अप्रवासियों में की जा रही भारी कमी

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल सरकार ने कई वर्षों के बाद पहली बार देश में आने वाले अप्रवासियों की संख्या में भारी घटाव करने जा रही है। सीबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिन ट्रूडो ने 2025 में नए स्थायी निवासियों को घटाकर 3,95,000 करने का फैसला लिया है। वहीं, 2025 में अस्थायी प्रवासियों की संख्या 30,000 घटकर करीब तीन लाख रह जाएगी।

हालांकि, कनाडा के आव्रजन मंत्रालय ने पहले 2025 और 2026 में 500,000 नए स्थायी निवासियों को देश में बसने देने की योजना बनाई थी, लेकिन बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए इसमें संशोधन किया गया है। अब अगले साल के लिए ये संख्या 395,000 और 2026 के लिए 380,000 कर दिया गया है। वहीं, 2027 के लिए यह संख्या 365,000 निर्धारित की गई है।

पहले ही लिया स्टडी परमिट सीमित करने का फैसला

कनाडा के सीएम का यह एलान ऐसे समय में हुआ है जब वहां पहले से ही स्टडी वीजा पर आने वाले विदेशी छात्रों की संख्या को सीमित कर दिया गया है। सरकार इस साल 35 फीसदी कम इंटरनेशनल स्टूडेंट परमिट देगी और उन्होंने आव्रजन प्रणाली का गलत उपयोग करने वाले लोगों पर नकेल कसने की भी बात कही है। ट्रूडो ने यह भी कहा कि 2025 में इंटरनेशनल स्टडी परमिट की तादाद में अतिरिक्त 10 फीसदी की कमी की जाएगी।सरकार के मुताबिक, कनाडा 2025 में 437,000 स्टजी परमिट जारी करने का प्लान बना रहा है, जो 2024 में जारी किए गए 485,000 परमिट से 10 फीसदी कम है।

इस फैसले के पीछे वजह क्या है?

आप्रवासन में कटौती करने का कनाडा का निर्णय बुनियादी ढांचे के दबाव के चलते लिया गया है। कनाडाई जनता की राय उच्च आप्रवासन स्तर के खिलाफ बदल रही है क्योंकि घरों की कमी बड़ा मुद्दा बन गया है। सरकार के अनुसार, आप्रवासन में कटौती से 2027 तक कनाडा के आवास आपूर्ति अंतर को 6,70,000 यूनिट तक कम किया जा सकता है।बैंक ऑफ मॉन्ट्रियल में अर्थशास्त्र के निदेशक रॉबर्ट कैवसिक ने एक रिपोर्ट में कहा है कि नई आप्रवासन योजना अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे से तनाव कम करेगी जो हाल के वर्षों में कमजोर हो गई है। उन्होंने कहा कि आप्रवासन श्रम अंतराल को भरने के लिए जरूरी है लेकिन इसकी मौजूदा रफ्तार कनाडा के बुनियादी ढांचे से आगे निकल सकती है।

भारतीयों पर क्या होगा असर?

भारत के लोग कनाडा की आप्रवासी और अंतरराष्ट्रीय छात्र आबादी का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ऐसे में इमिग्रेशन में कटौती के नतीजे के तौर पर भारतीयों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इस बदलाव का कनाडा में पढ़ाई और नौकरी के इच्छुक भारतीय छात्रों पर सबसे ज्यादा होगा। कनाडा के अस्थायी विदेशी कामगार कार्यक्रम (टीएफडब्ल्यूपी) के तहत वर्क परमिट में भारी कटौती और स्टडी परमिट पर सीमा तय होने से नौकरी और नागरिकता की उम्मीद कर रहे भारतीयों के लिए अवसर सीमित हो जाएंगे। ये कटौती आईटी और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में भी भारतीयों को प्रभावित करेगी।

कनाडा के पीएम ट्रूडो को आखिरकार देना पड़ा इस्तीफा, अब आगे क्या?

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कनाडा के प्रधानमंत्री और लिबरल पार्टी के नेता जस्टिन ट्रूडो ने लंबे चले विरोध के बाद सोमवार को इस्तीफा दे दिया। ट्रूडो के इस्तीफे के बाद उनके 10 साल पुरानी सत्ता का अंत हो गया। यह फैसला उन्होंने अपनी ही पार्टी में विद्रोह और जनता में बढ़ती अलोकप्रियता के बीच लिया है। इस साल होने वाले आम चुनावों में पियरे पोइलिवरे की कंजरवेटिव पार्टी के सत्ता में आने की भविष्यवाणी की जा रही है। जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे से पहले एक अधिकारी ने बताया कि सरकार के प्रति बढ़ते असंतोष के कारण उन्होंने पद छोड़ने का फैसला लिया।

कनाडाई सरकार के एक अधिकारी ने कहा, सत्ताधारी लिबरल पार्टी में अगले नेता का चुनाव होने तक ट्रूडो कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहेंगे। अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि देश की संसद का सत्र 27 जनवरी से प्रस्तावित था। अब इस्तीफे के कारण संसद की कार्यवाही 24 मार्च तक स्थगित रहेगी।अधिकारी ने बताया कि 24 मार्च तक लिबरल पार्टी अपने नए नेता का चुनाव कर लेगी। सियासी उथल-पुथल के बीच यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि कनाडा में आम चुनाव कब कराए जाएंगे।

इस्तीफा देते हुए ट्रूडो ने क्या कहा?

53 वर्षीय नेता ने ओटावा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से कहा, मैं पार्टी के नए नेता के चयन के बाद पार्टी नेता और प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का इरादा रखता हूं। इसका मतलब है कि ट्रूडो तब तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में बने रहेंगे जब तक कि नए नेता का चुनाव नहीं हो जाता। बतौर रेगुलर पीएम अपने आखिरी भाषण में उन्होंने खुद को फाइटर करार दिया। ट्रूडो ने कहा, यह देश अगले चुनाव में एक असल विकल्प का हकदार है और यह मेरे लिए साफ हो गया है कि अगर मुझे आंतरिक लड़ाई लड़नी पड़ रही है, तो मैं उस चुनाव में सबसे अच्छा विकल्प नहीं हो सकता।

ट्रूडो दो बार से कनाडा के पीएम चुने जा रहे हैं, हाल ही में 2021 में वे सत्ता में रहने में तो कामयाब रहे शुरुआत में उनकी नीतियों को सराहा गया था। लेकिन हाल के वर्षों में बढ़ती खाद्य और आवास की कीमतों और बढ़ते आप्रवासन के कारण उनका समर्थन घट गया है। यह राजनीतिक उथल-पुथल ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर कनाडा अपने यहां अमेरिका में आने वाले अप्रवासी और नशीली दवाओं को रोकने में विफल रहा तो, कनाडा के सभी सामानों पर 25 फीसदी शुल्क लगा दिया जाएगा।  

क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने भी दिया था वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा

कनाडा की पूर्व वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने 16 दिसंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अर्थव्यवस्था से जुड़े ट्रुडो के फैसलों की आलोचना की थी। फ्रीलैंड और ट्रूडो के बीच नीतियों पर मतभेद थे। फ्रीलैंड का कहना था कि इस समय कनाडा को आर्थिक रूप से मजबूत रहना चाहिए और खर्चों को नियंत्रण में रखना चाहिए, ताकि अगर अमेरिका से किसी प्रकार के आर्थिक दबाव या शुल्क का सामना करना पड़े, तो कनाडा के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन हों। उनका मानना था कि ब्रिकी कर पर अस्थायी छूट और नागरिकों को 250 डॉलर भेजने जैसी योजनाएं राजनीतिक दिखावा हैं और इनसे आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ सकता है। 

कौन होगा लिबरल का नया लीडर?

संभावित नेताओं में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ कनाडा के पूर्व गवर्नर मार्क कार्नी, विदेश मंत्री मेलानी जोली और पूर्व उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड शामिल हैं। उम्मीद है कि 20 अक्टूबर को या उससे पहले होने वाले आम चुनाव से पहले एक नया पार्टी नेता लिबरल्स को उनकी निराशा से बाहर निकाल सकता है।

हाल के सर्वों में ट्रूडो की लिबरल पार्टी विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी से पीछे है, जिसका नेतृत्व तेजतर्रार पियरे पोलीवर कर रहे हैं। पार्टी से जुड़े लोग मानते हैं कि एक नया नेता ही पिछड़ती पार्टी को आगे ला सकता है।

भारत से पंगा लेने वाले जस्टिन ट्रूडो की जाने ही वाली है कुर्सी, दे सकते हैं इस्तीफा
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* कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पिछले काफी समय से पार्टी अंदर पनपे असंतोष का सामना कर रहे हैं। अब खबर आ रही है कि जस्टिन ट्रूडो सोमवार को लिबरल पार्टी के नेता पद से इस्तीफा दे सकते हैं। कनाडा के समाचारपत्र द ग्लोब एंड मेल ने रविवार को अपनी रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया है। द ग्लोब एंड मेल ने रविवार को सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। ऐसा तब हो रहा है जब 53 साल के ट्रूडो कथित तौर पर अपनी पार्टी के भीतर समर्थन खो रहे हैं और कई सर्वों से संकेत मिल रहा है कि अगर आज चुनाव हुए तो पियरे पोलिएवर के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी उन्हें और लिबरल पार्टी को सत्ता से बाहर कर देगी। *अगले एक या दो दिनों में छोड़ सकते हैं पद* रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिन ट्रूडो अगले एक या दो दिनों के भीतर पद छोड़ सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अभी ये तय नहीं है कि ट्रूडो कब इस्तीफा देंगे, लेकिन माना जा रहा है कि बुधवार को होने वाली राष्ट्रीय कॉकस बैठक से पहले ट्रूडो अपना पद छोड़ सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जस्टिस ट्रूडो को सत्ताधारी लिबरल पार्टी के नेता के पद से भी हटाने पर विचार किया जा रहा है। *क्यों इस्तीफा देंगे ट्रूडो?* जनमत सर्वेक्षणों के मुताबिक, इस समय वह अपने मुख्य प्रतिद्वंदी कंजर्वेटिव पार्टी के पियरे पॉइलीवर से 20 पॉइंट पीछे चल रहे हैं। यही वजह है कि लिबरल सदस्यों की ओर से उन पर इस्तीफा देने का प्रेशर है। उनके विरोध में खुलकर सांसद आ चुके हैं। उन्हें हटाने के लिए तो सिग्नेचर कैंपेन भी चल चुका है। बंद कमरे में उन पर सवालों की बौछार भी हो चुकी है। अब क्योंकि लिबरल पार्टी को लगने लगा है कि ट्रूडो के नेतृत्व में कनाडा में उनकी हार निश्चित है। इसलिए अब ट्रूडो की पीएम वाली कुर्सी जाने का खतरा पूी तरह मंडरा गया है। *ट्रूडो से नाराज हैं कनाडा के लोग* कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार की लोकप्रियता में गिरावट की कई वजह हैं। इनमें प्रमुख वजहों में अर्थव्यवस्था, कनाडा में घरों की कीमतों में जबरदस्त उछाल, अप्रवासी मुद्दा आदि शामिल हैं। कोरोना महामारी के बाद कनाडा में महंगाई 8 फीसदी तक बढ़ गई थी। हालांकि फिलहाल यह दो प्रतिशत से नीचे है। कनाडा में बेरोजगारी भी बड़ा मुद्दा है, जो फिलहाल छह फीसदी के आसपास है। ट्रूडो सरकार के कार्बन टैक्स कार्यक्रम की भी विपक्ष द्वारा आलोचना की जा रही है। कनाडा में महंगे घर एक बड़ी समस्या है। कनाडा के अधिकतर बड़े शहरों में घर खरीदना आम लोगों के बजट के बाहर हो गया है। लंबे समय से यह समस्या बनी हुई है और सरकार इसे नियंत्रित कर पाने में नाकाम रही है। ये भी एक बड़ी वजह है कि लोगों में ट्रूडो सरकार के प्रति गहरी नाराजगी है। कनाडा में अप्रवासन भी बड़ा मुद्दा है। हालांकि ट्रूडो सरकार ने हाल के समय में अप्रवासन को लेकर नई नीतियां बनाई हैं, जिससे अप्रवासियों की संख्या को नियंत्रित किया जा सके। हालांकि अभी भी लोगों की नाराजगी कम नहीं हुई है। अप्रवासियों की बढ़ती संख्या की वजह से कनाडा की स्वास्थ्य व्यवस्था और अन्य सेवाओं पर भारी दबाव पड़ा है। कनाडा में खालिस्तानियों के बढ़ते प्रभाव को लेकर भी कई कनाडाई नागरिक नाराज हैं। हाल ही में कनाडा की डिप्टी पीएम और वित्त मंत्री ने भी इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद ट्रूडो पर भी इस्तीफा देने का दबाव बढ़ा है।
बुरे फंसे भारत विरोधी जस्टिन ट्रूडो, अमेरिका के बाद अब चीन ने सिखाया सबक
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भारत के साथ अपने संबंधों को बिगाड़ने वाले जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। जस्टिन ट्रूडो इस वक्त घरेलू मोर्चे पर संघर्ष कर रहे हैं और कूटनीतिक स्तर पर भी चारों ओर से चुनौतियों से घिर गए हैं। इस बार मामला चीन से जुड़ा हुआ है। अमेरिका के बाद अब चीन ने कनाडा के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। चीन उइगर मुस्लिम और तिब्बत से संबंधित मानवाधिकार के मुद्दों में शामिल कनाडा के 2 संस्थानों के करीब 20 लोगों पर बैन लगाने जा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप के टैक्स बम के बाद अब चीन की ये घोषणा कनाडा के लिए बड़ी परेशानी पैदा करने वाली है।

चीन ने रविवार को कहा है कि वह उइगरों और तिब्बत से संबंधित मानवाधिकार के मुद्दों में शामिल दो कनाडाई संस्थानों सहित 20 लोगों के खिलाफ प्रतिबंध की कार्रवाई करने जा रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर घोषणा की कि शनिवार को प्रभावी हुए इन उपायों में संपत्ति जब्त करना और प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना शामिल है और इनके निशाने पर कनाडा का उइगर अधिकार वकालत परियोजना और कनाडा-तिब्बत समिति शामिल है। चीन ने कहा कि वह इन दोनों संस्थानों की चल संपत्ति, अचल संपत्ति और चीन के क्षेत्र में अन्य प्रकार की संपत्ति को फ्रीज कर रहा है।

दरअसल, कनाडा के मानवाधिकार संगठनों ने चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया था। मानवाधिकार संगठनों का दावा है कि चीन में उइगर मुसलमानों का शोषण हो रहा है और सरकारी तंत्र उन्हें लगातार प्रताड़ित कर रहा है। इसके बाद चीन ने बड़ा एक्शन लिया है। कनाडा के 20 लोगों को चीन ने बैन कर दिया है। ये सभी लोग अलग-अलग मानवाधिकार संगठनों से जुड़े थे। इन सभी लोगों के चीन में प्रवेश के साथ ही हांगकांग और मकाऊ क्षेत्र में प्रवेश पर भी बैन लगा दिया गया है।

इस प्रतिबंध के तहत, उइगर संस्थान से जुड़े 15 और तिब्बत समिति के पांच सदस्यों की चीन में संपत्तियों को फ्रीज किया गया है। इसके अलावा, इन व्यक्तियों के हांगकांग और मकाऊ सहित पूरे चीन में प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

कनाडा के मानवाधिकार समूहों ने चीन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि चीन ने शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बड़े पैमाने पर शोषण किया है। लगभग एक करोड़ उइगर मुसलमानों को कथित रूप से नजरबंदी शिविरों में रखा गया है, जहां उनसे जबरन मजदूरी करवाया जाता है। हालांकि, चीन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि ये शिविर पुनर्वास और शिक्षा के लिए हैं। चीन ने 1950 में तिब्बत पर नियंत्रण किया था और इसे "शांतिपूर्ण मुक्ति" कहा था। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और निर्वासित तिब्बती समुदायों ने इसे दमनकारी शासन करार दिया है और समय-समय पर इसकी निंदा की है।

बता दें कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इन दिनों आंतरिक और बाहरी संकटों का सामना कर रहे हैं। उनके कार्यकाल में कनाडा के अमेरिका, भारत और चीन जैसे प्रमुख देशों के साथ संबंध खराब हुए हैं। ये तीनों देश वैश्विक स्तर पर अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इसके अलावा, कनाडा में उनकी लोकप्रियता तेजी से घट रही है। उनके पूर्व सहयोगी और एनडीपी नेता जगमीत सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा की है, जिससे ट्रूडो की सरकार पर दबाव और बढ़ गया है।
अब जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ खड़ी हुई कनाडा की पुलिस, बदहाल कानून व्यवस्था देने का आरोप, इस्तीफे की मांग

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कनाडा में वहां की ट्रूडो सरकार के लिए सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पीएम ट्रूडो के लिए हालात किस कदर जटिल बने हुए हैं इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि उन्हें बीते कुछ समय से अपनी सरकार के भीतर भी तीखी आलोचनाएं झेलनी पड़ रही हैं। साथ ही साथ ट्रूडो जिन आतंकी ताकतों को सहारा दे रहे थे,उससे कनाडा के लोग नाराज हैं। उस पर से अमेरिका के होने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ट्रुडो फूटी आंख नहीं सुहाते। भारत का विरोध और खालिस्तान का समर्थन करने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो के लिए जनता का समर्थन हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है। उनके खिलाफ कनाडा में उसी बगावत की सबसे बड़ी झलक उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिश्टिया फ्रीलैंड का इस्तीफा है। इस बीच अब कनाडा पुलिस ने भी प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर पूरी तरह से अविश्वास जता दिया है।

कनाडा पुलिस की दो संगठन ने प्रधानमंत्री जस्टिन पर कनाडा में बदहाल कानून व्यवस्था देने का आरोप लगाया है। पुलिस संगठन का आरोप है कि जस्टिन के राज में अपराधी कल्चर बढ़ा है। अवैध हथियारों और ड्रग्स की सभ्यता को बढ़ावा मिला है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिन अपराधियों को पुलिस अपनी जान पर खेल कर पकड़ती है। उन अपराधियों को कोर्ट से खड़े-खड़े जमानत मिल जाती है।

टोरंटो पुलिस एसोसिएशन ने इस बाबत बाकायदा अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी जस्टिन ट्रूडो की गलत नीतियों की आलोचना की है। टोरंटो पुलिस एसोसिएशन ने कहा कि खोखले वादों और बातों का बहुत कम अर्थ है और वे हमारे सदस्यों और आम जनता के प्रति कपटपूर्ण बने हुए हैं। हिंसक अपराध, बंदूक अपराध और वास्तविक जमानत सुधार की कमी जनता, अधिकारियों और पूरे समाज को खतरे में डालने के अलावा कुछ नहीं करती है।

दरहम क्षेत्रीय पुलिस एसोसिएशन ने भी टोरंटो पुलिस एसोसिएशन का समर्थन किया। उन्होंने जस्टिन ट्रूडो पर अविश्वास जताते हुए उनके इस्तीफे की मांग की और कहा कि देश में नए चुनाव होने चाहिए।

पुलिस द्वारा प्रधानमंत्री पर अविश्वास जताना दर्शाता है कि कनाडा में कानून व्यवस्था की स्थिति गंभीर हो चुकी है। पुलिस और प्रधानमंत्री के बीच अविश्वास की यह स्थिति अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई को और अधिक जटिल बना रही है। जस्टिन ट्रूडो पर दबाव लगातार बढ़ रहा है। पुलिस संगठनों और सांसदों की ओर से इस्तीफे की मांग की जा रही है।

कनाडा फिर बैकफुट, पीएम मोदी, जयशंकर और डोभाल पर किए गए दावे से पलटा

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पहले दावे करना और फिर उससे पलट जाना। हरदीप सिंह निज्जर मामले में कनाडा एक बार फिर अपने दावों से पीछे हट गई है। कनाडा सरकार ने माना है कि निज्जर हत्याकांड में पीएम मोदी, एस जयशंकर और अजित डोभाल का न तो कोई कनेक्शन है और न ही कोई सबूत है। ट्रूडो सरकार ने उस कनाडाई मीडिया के दावे को खारिज किया है, जिसने यह आरोप लगाया था। इससे पहले द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत के शीर्ष नेतृत्व को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की साजिश के बारे में पता था। अखबार ने आरोप लगाया गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के प्लान के बारे में पहले से जानकारी थी। भारत सरकार ने कनाडाई अखबार द ग्लोब एंड मेल की उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया था।

भारत की सख्ती के बाद कनाडा के तेवर नरम पड़ते दिख रहे हैं। भारत की सख्ती के बाद ट्रूडो सरकार ने बयान जारी किया है। कनाडाई मीडिया रिपोर्ट पर सफाई देते हुए जस्टिन सरकार ने कहा, ‘कनाडा सरकार ने यह बयान नहीं दिया है, न ही उसे प्रधानमंत्री मोदी, विदेश मंत्री जयशंकर, या एनएसए अजित डोभाल को कनाडा के भीतर गंभीर आपराधिक गतिविधि से जोड़ने वाले सबूतों की जानकारी है। यह रिपोर्ट अटकलों पर आधारित और गलत है। 

ट्रूडो सरकार ने क्या कहा?

कनाडा सरकार ने एक बयान जारी कर रहा कि, 14 अक्टूबर को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण और निरंतर खतरे के कारण आरसीएमपी और अधिकारियों ने भारत सरकार के एजेंटों द्वारा कनाडा में गंभीर आपराधिक गतिविधि को अंजाम देने के सार्वजनिक आरोप लगाने का असाधारण कदम उठाया था। बयान में आगे कहा गया है कि, कनाडा सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी, मंत्री जयशंकर या एनएसए अजित डोभाल के कनाडा के भीतर किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधि में शामिल होने के कोई भी सबूत नहीं है, न ही उसे इसकी जानकारी है। 

निराधार आरोपों पर चिंताएं

कनाडा सरकार ने इस मामले में मीडिया और अन्य स्रोतों से अनुरोध किया कि वे किसी भी बिना साक्ष्य के आरोपों को बढ़ावा न दें। सरकार का कहना था कि इस तरह के निराधार आरोप अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं और दोनों देशों के बीच विश्वास को भी चोट पहुंचा सकते हैं।

कनाडा सरकार का यह बयान दोनों देशों के बीच जारी तनावपूर्ण स्थिति को और स्पष्ट करता है। हालांकि, कनाडा ने यह भी माना है कि सार्वजनिक सुरक्षा के संदर्भ में गंभीर खतरे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह कदम उठाया था, लेकिन अब इसने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय नेताओं का इस आपराधिक गतिविधियों से कोई संबंध नहीं है। अब देखने वाली बात यह होगी कि दोनों देशों के बीच रिश्ते इस स्थिति के बाद किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।

रिपोर्ट में क्या कहा गया?

बता दें कि द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र था कि निज्जर की हत्या से जुड़े कथित प्लॉट के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजित डोवाल को जानकारी थी और सेक्योरिटी एजेंसियों को लगता है कि इसकी जानकारी पीएम मोदी को भी हो सकती है। रिपोर्ट में ये दावे बिना नाम दिए कनाडा के नेशनल सिक्योरिटी ऑफिसर के हवाले से किए गए थे।

निज्जर की हत्या के मामले में पहली बार सीधे पीएम मोदी पर आरोप लगाए गए। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि इसे लेकर कानाडा सरकार के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। इससे पहले कनाडा की संसदीय समिति के सामने वहां के उप विदेशमंत्री केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर भी ऐसी ही टिप्पणी कर चुके हैं। भारत ने इन पर भी कड़ी आपत्ति जताते हुए इन्हें बेतुका और निराधार बताया था। बीते दिनों विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को निराधार करार देते हुए कनाडा सरकार के समक्ष आधिकारिक तौर पर विरोध भी दर्ज करवाया था।

*जी-20 नेताओं की ग्रुप फोटोः बगल में खड़े थे ट्रूडो, बाइडेन ने मोदी को दी ज्यादा तरजीह*
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भारत और कनाडा के बीच दुश्मनी की तलवार खींच गई है। जस्टिन ट्रूडो के खालिस्तान प्रेम की वजह से दोनों देशों के रिश्तों निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं। इसका असर ब्राजील में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में भी दिखा। जब कनाडा के पीएम ट्रूडो को भारत ने पूरी तरह से अनदेखा कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन से अलग दुनिया भर के नेताओं से द्विपक्षीय मीटिंग की। पीएम मोदी ने इससे जुड़ी तस्वीरें शेयर की। लेकिन उनकी जस्टिन ट्रूडो से मुलाकात की कोई भी फोटो सामने नहीं आई। जी-20 से जुड़ा एक वीडियो अब वायरल हो रहा है, जिसमें पीएम मोदी जस्टिन ट्रूडो को इग्नोर करते दिख रहे हैं। दरअसल वीडियो तब का है जब जी-20 के सभी मेहमान फोटो खिंचवाने के लिए खड़े हुए थे। ट्रूडो और पीएम मोदी के बीच में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन मौजूद थे। इस दौरान पीएम मोदी के कंधे पर उनका हाथ रखा हुआ था और वह ट्रूडो से कुछ कह रहे थे। पीएम मोदी इस दौरान ट्रूडो को देख रहे थे। वीडियो में दिख रहा है कि बाइडन ने कुछ कहा जिस पर पीएम मोदी हंसने लगे। लेकिन उन्होंने बातचीत को आगे नहीं बढ़ाया। बाद में वह दूसरी तरफ देखने लगे तस्वीर में देखा जा रहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन के दायीं तरफ कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खड़े हैं। वहीं बायीं तरफ पीएम मोदी हैं और उनके साथ ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा भी मौजूद हैं। इस दौरान राष्ट्रपति जो बाइडेन और लूला डी सिल्वा पीएम मोदी का हाथ अपने हाथों में लेकर भारत के साथ अपने मजबूत संबंधों को दर्शाते नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो अपने दोस्त मुल्क अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन के बगल खड़े होकर भी अलग-थलग पड़े दिख रहे हैं। जबकि बाइडेन इस दौरान पीएम मोदी को ट्रूडो से ज्यादा तरजीह देते दिख रहे हैं। इससे ट्रूडो की हंसी में भी निराशा झलकती दिख रही है। दरअसल, जी20 समिट से जो तस्वीर सामने आई है, वह भारत के ग्लोबल दमखम को दिखाती है। जी20 समिट के फोटो में सेंटर में जो बाइडन के साथ पीएम मोदी दिख रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन जिस तरह से पीएम मोदी को इज्जत देते हैं और भारत की अहमियत को समझते हैं, उससे जस्टिन ट्रूडो भी वाकिफ हैं। यही वजह है कि जस्टिन ट्रूडो का पीएम मोदी के सामने जी20 के मंच पर नरम और अलग तेवर दिखा। जी20 के फैमिली फोटो में एक चीज और गौर करने वाली है। इस तस्वीर में पीएम मोदी जो बाइडन के करीब सेंटर में दिख रहे हैं। बता दें कि ब्राजील के रियो डी जेनेरियो पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन में दुनिया भर के नेताओं, पश्चिम और वैश्विक दक्षिण से मुलाकात की है। जी20 शिखर सम्मेलन के लिए पीएम मोदी ने सोमवार को औपचारिक बैठकें और अनौपचारिक बैठकें भी कीं। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी के साथ भी द्विपक्षीय बैठक की। दोनों राष्ट्राध्यक्षों और विदेश मंत्री जयशंकर की मौजूदगी वाले प्रतिनिधिमंडल ने भारत और इटली से जुड़े अहम द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर संक्षिप्त मुलाकात की। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को यहां ब्राजील, चिली और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति से मुलाकात की तथा रक्षा, ऊर्जा, जैव ईंधन एवं कृषि जैसे विविध क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के तौर-तरीकों पर चर्चा की। नाइजीरिया की दो दिवसीय यात्रा के बाद, रविवार को ब्राजील के रियो डी जेनेरियो शहर पहुंचे मोदी ने यहां जी20 शिखर सम्मेलन से इतर राष्ट्रपति लुइज इनासियो लुला डा सिल्वा से मुलाकात की और जी20 की अध्यक्षता के दौरान ब्राजील की ओर से किये गए विभिन्न प्रयासों के लिए उनकी सराहना की।
ट्रूडो सरकार की ये कैसी करतूत, जयशंकर की प्रेस कॉन्फ्रेंस टेलीकास्ट के बाद ऑस्ट्रेलियाई चैनल को किया बैन

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ख़ालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत-कनाडा के बीच संबंध पहले ही निम्नतम स्तर पर पहुंच चुका है। इस बीच हाल ही में हिंदू मंदिर पर हमले और हिंदू समुदाय को निशाना जाने को लेकर घमासान अभी थमा भी नहीं था। इसी बीच कनाडा सरकार की एक और करतूत पर भारत ने सवाल उठाए हैं। इस बार कनाडा ने एक ऑस्ट्रेलियाई मीडिया संस्थान 'ऑस्ट्रेलिया टुडे' के सोशल मीडिया अकाउंट को ब्लॉक कर दिया। यह कार्रवाई भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और ऑस्ट्रेलिया में उनकी समकक्ष पेनी वोंग की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ घंटों बाद हुई।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और पेनी वोंग के बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कनाडा ने ऑस्ट्रेलियाई चैनल 'ऑस्ट्रेलिया टुडे' के सोशल मीडिया पेज को ब्लॉक कर दिया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में, एस जयशंकर ने कनाडा पर आरोप लगाया था कि वह बिना किसी ठोस सबूत के भारत पर झूठे आरोप लगा रहा है। इसके तुरंत बाद ही कनाडा ने 'ऑस्ट्रेलिया टुडे' के सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया।

कनाडा सरकार की ओर से ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख आउटलेट 'ऑस्ट्रेलिया टुडे' को ब्लॉक/बैन करने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हमें पता चला है कि कनाडा में एक महत्वपूर्ण प्रवासी आउटलेट के सोशल मीडिया हैंडल, पेज को ब्लॉक/बैन कर दिया गया है। यह इस विशेष हैंडल से पेनी वोंग के साथ विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की प्रेस कॉन्फ्रेंस को प्रसारित करने के ठीक कुछ घंटों बाद हुआ। इस कार्रवाई को लेकर हमें आश्चर्य हुआ।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति कनाडा के पाखंड को उजागर करता है। विदेश मंत्री ने अपने मीडिया कार्यक्रमों में तीन चीजों के बारे में बात की। पहला, कनाडा की ओर से बिना किसी विशेष सबूत के आरोप लगाना। दूसरा, कनाडा में भारतीय राजनयिकों की अस्वीकार्य निगरानी करना। तीसरा, कनाडा में भारत विरोधी तत्वों को राजनीतिक स्थान दिया जाना...इससे आप निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि ऑस्ट्रेलिया टुडे चैनल को कनाडा द्वारा क्यों ब्लॉक किया गया।

बता दें कि यह घटना कनाडा के ब्रैम्पटन में स्थित हिंदू मंदिर पर हुए हमले के वीडियो के सामने आने के बाद हुई। इस हमले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कनाडाई समकक्ष जस्टिन ट्रूडो ने निंदा की थी। कनाडा में रविवार को ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर पर खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने हमला बोला था। इस दौरान भारतीय कांसुलेट वहां एक कार्यक्रम आयोजित कर रहा था। खालिस्तान समर्थकों ने लाठी डंडों के साथ वहां मौजूद लोगों पर हमला बोल दिया था।

కెనడాలో హిందూ ఆలయంపై దాడి

కెనడా (Canada)లో ఖలిస్థానీల దాడులు ఆగడం లేదు. గత కొంతకాలంగా ఆ దేశంలోని హిందూ ఆలయాలే (Hindu Temples) లక్ష్యంగా వరుస దాడులకు పాల్పడుతున్నారు. తాజాగా బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం వెలుపల విధ్వంసం సృష్టించారు.

కెనడా (Canada)లో ఖలిస్థానీల దాడులు ఆగడం లేదు. గత కొంతకాలంగా ఆ దేశంలోని హిందూ ఆలయాలే (Hindu Temples) లక్ష్యంగా వరుస దాడులకు పాల్పడుతున్నారు. తాజాగా బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం వెలుపల విధ్వంసం సృష్టించారు. భక్తులపై దాడి చేసి తీవ్రంగా గాయపరిచారు (Devotees Attacked). ఇలా వరుస దాడులతో కెనడాలోని హిందువులు తీవ్ర భయాందోళన వ్యక్తం చేస్తున్నారు.

బ్రాంప్టన్‌లోని హిందూ ఆలయం, భక్తులపై జరిగిన దాడి ఘటనపై కెనడా ప్రధాని (Canada PM)జస్టిన్‌ ట్రూడో (Justin Trudeau) స్పందించారు. ఇది ఏమాత్రం ఆమోదయోగ్యం కాదని పేర్కొన్నారు. తమ దేశంలోని ప్రజలు అన్ని మతాలను పాటించే హక్కును కాపాడతామని పేర్కొన్నారు. ఈ ఘటనపై తక్షణమే స్పందించి దర్యాప్తు చేపట్టాలని ప్రాంతీయ పోలీసులన ట్రూడో ఆదేశించారు.

మరోవైపు ఈదాడి ఘటనపై బ్రాంప్టన్‌ మేయర్‌ తీవ్రంగా స్పందించారు. హిందూ ఆలయం వెలుపల జరిగిన దాడి ఘటన విని ఆందోళన చెందినట్లు చెప్పారు. కెనడాలో మత స్వేచ్ఛ అనేది ప్రాథమిక హక్కు అని పేర్కొన్నారు. దాడులకు తెగబడిన వారిపై కఠిన చర్యలు తీసుకుంటామని హామీ ఇచ్చారు. దోషులుగా తేలిన వారిని చట్ట ప్రకారం శిక్షిస్తామన్నారు.

भारत के साथ तनाव के बीच जस्टिन ट्रूडो ने दी दिवाली की बधाई, जानें कनाडा में हिंदुओं को लेकर क्या कहा?

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खालिस्तानियों को खुश करने में जुटे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को आखिरकार दिवाली की याद आ ही गई। अपने बयानों से भारत के साथ रिश्तों में कड़वाहट घोलने वाले कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने शुक्रवार को देश में रहने वाले भारतीय लोगों को दीपावली की शुभकामनाएं दीं।इस अवसर पर ट्रूडो ने ये भी कहा है कि उनकी सरकार हिंदू कनाडाई लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

कनाडा के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी जस्टिन ट्रूडो के संदेश में कहा गया है कि दिवाली की शुभकामनाएं... आज, हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन परिवार उत्सव, मोमबत्तियां, दीये और आतिशबाजी के साथ अंधकार पर प्रकाश की विजय का जश्न मनाएंगे। इस विशेष मौके पर आप सभी को खुशी और समृद्धि की शुभकामनाएं।

ट्रूडो ने आगे कहा कि आज हम कनाडा और दुनिया भर में दिवाली का त्‍योहार मनाने वाले लोगों से जुड़ रहे हैं। दिवाली बुराई पर अच्छाई की, अज्ञान पर ज्ञान की जीत का जश्न मनाने का फेस्टिवल है। इस दिन परिवार मंदिरों में प्रार्थना करने, उपहारों का अदान-प्रदान करने और देश भर में उत्सवों में भाग लेने के लिए इकट्ठा होंगे. घरों को मोमबत्तियों और दीयों से रोशन किया जाएगा। आसमान में आतिशबाज़ी छा जाएगी। दिवाली की चमकदार रोशनी हम सभी को अंधेरे को हराने और उद्देश्य खोजने के लिए प्रोत्साहित करती है।

जस्टिन ट्रूडो ने आगे कहा कि कनाडा में दिवाली हमारे अविश्वसनीय इंडो-कनाडाई समुदाय के बिना पूरी नहीं हो सकती है। इंडो-कैनेडियन समुदाय कनाडा के हर क्षेत्र में शानदार काम कर रहा है। ये समुदाय कलाकारों, उद्यमियों, डॉक्टरों, शिक्षकों और व्यवसाय के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहा है। दिवाली के मौके पर पर हम कनाडा के समुदायों में उनकी कोशिशें से लाई गई रोशनी का भी जश्न मना रहे हैं।

कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो का बयान ऐसे समय आया है, जब भारत से उनके रिश्ते बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं।

अप्रवासियों की संख्या में कटौती करने जा रहा है कनाडा, ट्रूडो के फैसले से कैसे प्रभावित होंगे भारतीय?

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पिछले कुछ समय से भारत और कनाडा के बीच के संबंधों में खटास आई है। इस बीच कनाडाई प्रधानमंत्री का जस्टिन ट्रूडो ने एक नई घोषणा कर दी है। जो कनाडा में रह रहे अप्रवासी भारतीय लोगों की खासी परेशानी का सबब बन गया है। दरअसल, कनाडा ने अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी में अहम बदलाव का ऐलान किया है। कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार के फैसले से अगले तीन वर्षों में (2027 तक) स्थायी और अस्थायी निवासियों की संख्या कम हो जाएगी। इसका भारतीयों पर खासतौर से असर होने जा रहा है, जो कनाडा की अप्रवासी और छात्र आबादी का बड़ा हिस्सा हैं।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक्स पर पोस्ट करके कहा कि हम कनाडा में विदेशी कामगारों की संख्या में कमी करने वाले हैं। जिसने भारतीय अप्रवासियों के सामने एक बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। ट्रूडो ने पोस्ट में आगे लिखा कि, “हम कंपनियों के लिए सख्त नियम लेकर आ रहे हैं, जिससे कि वो यह साबित कर सकें कि वे पहले क्यों पहले कनाडा के कर्मचारियों को नियुक्त नहीं कर सकते।”

कई वर्षों में पहली बार अप्रवासियों में की जा रही भारी कमी

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल सरकार ने कई वर्षों के बाद पहली बार देश में आने वाले अप्रवासियों की संख्या में भारी घटाव करने जा रही है। सीबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिन ट्रूडो ने 2025 में नए स्थायी निवासियों को घटाकर 3,95,000 करने का फैसला लिया है। वहीं, 2025 में अस्थायी प्रवासियों की संख्या 30,000 घटकर करीब तीन लाख रह जाएगी।

हालांकि, कनाडा के आव्रजन मंत्रालय ने पहले 2025 और 2026 में 500,000 नए स्थायी निवासियों को देश में बसने देने की योजना बनाई थी, लेकिन बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए इसमें संशोधन किया गया है। अब अगले साल के लिए ये संख्या 395,000 और 2026 के लिए 380,000 कर दिया गया है। वहीं, 2027 के लिए यह संख्या 365,000 निर्धारित की गई है।

पहले ही लिया स्टडी परमिट सीमित करने का फैसला

कनाडा के सीएम का यह एलान ऐसे समय में हुआ है जब वहां पहले से ही स्टडी वीजा पर आने वाले विदेशी छात्रों की संख्या को सीमित कर दिया गया है। सरकार इस साल 35 फीसदी कम इंटरनेशनल स्टूडेंट परमिट देगी और उन्होंने आव्रजन प्रणाली का गलत उपयोग करने वाले लोगों पर नकेल कसने की भी बात कही है। ट्रूडो ने यह भी कहा कि 2025 में इंटरनेशनल स्टडी परमिट की तादाद में अतिरिक्त 10 फीसदी की कमी की जाएगी।सरकार के मुताबिक, कनाडा 2025 में 437,000 स्टजी परमिट जारी करने का प्लान बना रहा है, जो 2024 में जारी किए गए 485,000 परमिट से 10 फीसदी कम है।

इस फैसले के पीछे वजह क्या है?

आप्रवासन में कटौती करने का कनाडा का निर्णय बुनियादी ढांचे के दबाव के चलते लिया गया है। कनाडाई जनता की राय उच्च आप्रवासन स्तर के खिलाफ बदल रही है क्योंकि घरों की कमी बड़ा मुद्दा बन गया है। सरकार के अनुसार, आप्रवासन में कटौती से 2027 तक कनाडा के आवास आपूर्ति अंतर को 6,70,000 यूनिट तक कम किया जा सकता है।बैंक ऑफ मॉन्ट्रियल में अर्थशास्त्र के निदेशक रॉबर्ट कैवसिक ने एक रिपोर्ट में कहा है कि नई आप्रवासन योजना अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे से तनाव कम करेगी जो हाल के वर्षों में कमजोर हो गई है। उन्होंने कहा कि आप्रवासन श्रम अंतराल को भरने के लिए जरूरी है लेकिन इसकी मौजूदा रफ्तार कनाडा के बुनियादी ढांचे से आगे निकल सकती है।

भारतीयों पर क्या होगा असर?

भारत के लोग कनाडा की आप्रवासी और अंतरराष्ट्रीय छात्र आबादी का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ऐसे में इमिग्रेशन में कटौती के नतीजे के तौर पर भारतीयों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इस बदलाव का कनाडा में पढ़ाई और नौकरी के इच्छुक भारतीय छात्रों पर सबसे ज्यादा होगा। कनाडा के अस्थायी विदेशी कामगार कार्यक्रम (टीएफडब्ल्यूपी) के तहत वर्क परमिट में भारी कटौती और स्टडी परमिट पर सीमा तय होने से नौकरी और नागरिकता की उम्मीद कर रहे भारतीयों के लिए अवसर सीमित हो जाएंगे। ये कटौती आईटी और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में भी भारतीयों को प्रभावित करेगी।