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कैसे रूकेगी जंगःगाजा के साथ संघर्षविराम को मंजूरी देने से नेतन्याहू का इनकार, बोले- डील अभी पूरी नहीं

#israel_hamas_ceasefire_know_pm_benjamin_netanyahu_office_reaction

इजरायल और हमास के बीच संघर्ष विराम समझौते पर संकट के बादल मंडराते हुए नजर आ रहे हैं। जो संघर्ष विराम समझौता तय माना जा रहा था उसे नेतन्याहू इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने यह कहकर उलझा दिया है कि हमास के साथ संघर्ष विराम समझौता अभी पूरा नहीं हुआ है। इसे अंतिम रूप देने पर काम किया जा रहा है। हालांकि, नेतन्याहू के इस बयान से कुछ घंटे पहले ही अमेरिका और कतर ने समझौते की घोषणा कर दी थी। इससे गाजा में 15 महीने से बनी हुई युद्ध की स्थिति को रोकने और बड़ी संख्या में बंधकों के रिहा होने का रास्ता साफ होगा।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा है कि जब तक हमास पीछे नहीं हटता, तब तक मंत्रिमंडल संघर्ष विराम समझौते को मंजूरी देने के लिए बैठक नहीं करेगा। नेतन्याहू के कार्यालय ने हमास पर अंतिम समय में छूट पाने की कोशिश करते हुए समझौते के कुछ हिस्सों से मुकरने का आरोप लगाया। हालांकि, उसने इन छूटों के बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा।

फिलहाल, नेतन्याहू ने स्पष्ट रूप से नहीं बताया है कि वह कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल सानी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा घोषित समझौते को स्वीकार करते हैं या नहीं। नेतन्याहू ने एक बयान में यह जरूर कहा था कि वह समझौते का अंतिम ब्योरा पूरा होने के बाद ही औपचारिक प्रतिक्रिया जारी करेंगे।

इससे पहले कतर के प्रधानमंत्री ने बुधवार 15 जनवरी को संघर्ष विराम समझौते के होने की घोषणा की। शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल सानी ने कतर की राजधानी दोहा में समझौते की घोषणा करते हुए कहा कि संघर्ष विराम समझौता रविवार से लागू होगा। उन्होंने आगे कहा कि इसकी सफलता इजरायल और हमास पर निर्भर करेगी वे यह सुनिश्चित करने के लिए सद्भावना से काम करें कि यह समझौता टूट न जाए।

दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने वॉशिंगटन से समझौते की तारीफ करते हुए कहा कि जब तक इजरायल और हमास दीर्घकालिक युद्धविराम के लिए बातचीत की मेज पर बने रहेंगे, तब तक युद्धविराम लागू रहेगा। बाइडन ने इस समझौते को सफल बनाने के लिए महीनों की अमेरिकी कूटनीति को श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि समझौता वार्ता के प्रयास में उनका प्रशासन और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टीम एक भाषा में बोल रही थी।

इस समझौते की घोषणा के बाद बड़ी संख्या में फलस्तीनी सड़कों पर उतरे और उन्होंने खुशी मनाई। मध्य गाजा के दीर अल बलाह में महमूद वादी ने कहा कि इस समय हम जो महसूस कर रहे हैं, कोई नहीं कर सकता। इसे बयां नहीं किया जा सकता।

15 महीने बाद गाजा में बंद होगा युद्, इजरायल-हमास के बीच हुआ समझौता

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इजराइल और हमास ने 15 महीने से गाजा में चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए सीजफायर पर सहमति दी है। यह समझौता इजराइली बंधकों के बदले फिलिस्तीनी कैदियों के आदान-प्रदान के तहत हुआ है। ये समझौता 19 जनवरी से लागू होने की बात की जा रही है।मिस्र और कतर की मध्यस्थता से हुआ यह सौदा अमेरिकी समर्थन से संभव हो पाया है। अक्टूबर 2023 में शुरू हुए इस युद्ध में 46,000 से अधिक लोगों की मौत हुई।

कतर, मिस्र और अमेरिका ने बुधवार को एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें बताया गया कि इस्राइल और हमास ने युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई के लिए समझौता किया है। यह समझौता 19 जनवरी 2025 से प्रभावी होगा और इसमें तीन चरणों में शांति लाने की योजना है। साथ ही मामले में कतर, मिस्र और अमेरिका ने यह सुनिश्चित करने का वचन दिया है कि सभी तीन चरणों का पालन किया जाएगा और यह समझौता पूरी तरह से लागू होगा। इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को सफल बनाने का भी वादा किया है।

वहीं, सीजफायर को लेकर इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास के साथ युद्ध विराम समझौता अभी पूरी तरह से तय नहीं हुआ है और इस पर आखिरी विवरण पर काम किया जा रहा है। साथ ही पीएम नेतन्याहू ने इजाराइली बंधकों की रिहाई और वापसी के लिए प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप को धन्यवाद किया।

33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा

समझौते के विवरण की अभी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआती चरण में छह हफ्ते का प्रारंभिक युद्धविराम होगा जिसमें गाजा पट्टी से इजरायली सेना की धीरे-धीरे वापसी, हमास के कब्जे से इजरायली बंधकों की रिहाई और इजरायल की कैद से फलस्तीनी कैदियों की रिहाई शामिल है। 

इस चरण में 33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा जिनमें सभी महिलाएं, बच्चे और 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष हैं। दूसरे चरण को लागू करने के लिए पहले चरण के 16वें दिन वार्ता शुरू होगी और इसमें सैनिकों समेत सभी बाकी बंधकों की रिहाई, स्थायी युद्ध विराम और गाजा से इजरायली सेना की पूर्ण वापसी शामिल होने की संभावना है। तीसरे चरण में सभी बाकी शवों को लौटाने और मिस्त्र, कतर व संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में गाजा का पुनर्निर्माण शुरू करने की बात हो सकती है।

46 हजार से अधिक लोगों ने गंवाई जान

बीते 7 अक्तूबर 2023 को हमास के हमले के साथ शुरू हुए इस्राइल और फलस्तीन के बीच जंग ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। इस युद्ध में अब तक 23 लाख की आबादी वाली गाजा पट्टी में लगभग 90 प्रतिशत लोग विस्थापित हो चुके हैं और 46 हजार से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।

इजराइल ने जारी किया नया नक्शा, भड़के ये अरबी देश, जताया कड़ा विरोध

#israelnewmap

सीरिया में गृहयुद्ध चरम पर है. देश में तख्तापलट के बाद अब तक राष्ट्रपति रहे बशर अल-असद को रूस भागना पड़ा। इस बीच, इज़राइल ने सीरियाई सीमा पर गोलान हाइट्स के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया है। इस बीच इजराइल ने नया मैप शेयर किया है। इजराइल के विदेश मंत्रालय के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक मानचित्र शेयर किया है। इस मानचित्र में बाइबिल में बताए गए इजरायल और जुदेया राज्य की सीमाओं को दिखाया गया है। मैप में इजरायल के कब्जे वाले फिलिस्तीनी इलाकों और पड़ोसी अरब जमीनों को ग्रेटर इजरायल के रूप में दर्शाया गया है। इस मानचित्र के प्रकाशित होने के बाद सऊदी अरब समेत अरब देश भड़क उठे हैं, जिसमें इजरायल का दोस्त मुस्लिम देश जॉर्डन भी शामिल है। इस मानचित्र के बाद कहा जा रहा है कि यहूदी देश अब ग्रेटर इजरायल प्लान की तरफ बढ़ रहा है।

इजरायली विदेश मंत्रालय की ओर से अरबी भाषा के इंस्टाग्राम और एक्स पर एक पोस्ट शेयर की गई है। इसमें लिखा है, क्या आप जानते हैं कि इजरायल का साम्राज्य 3000 साल पहले स्थापित हुआ था? इसमें आगे लिखा था,हालांकि, प्रवासी यहूदी लोग अपनी शक्तियों और क्षमताओं के पुनरुद्धार और अपने राज्य के पुनर्निर्माण की प्रतीक्षा कर रहे थे, जिसे 1948 में इजरायल राज्य में मध्य पूर्व में एकमात्र लोकतंत्र घोषित किया गया था।

फिलिस्तीनियों समेत अरबी देश भड़के

इजरायल के इस पोस्ट ने फिलिस्तीनियों समेत अरबी देशों में आक्रोश पैदा कर दिया है। संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन और कतर ने इजरायल के इस कदम की कड़ी निंदा की है। इन अरब देशों ने इजरायल की इस हरकत को उनकी संप्रभुता का सीधे उल्लंघन के रूप में देखा। जॉर्डन और कतर के विदेश मंत्रालय ने इसे शांति संभावनाओं के लिए खतरा बताया।

अरब लीग ने क्या कहा

इजरायल के नक्शे की आलोचना करते हुए अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल घेइत ने इसे भड़काऊ कार्रवाई बताया और चेतावनी दी कि इस तरह के भड़काऊ कदम और गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी से निपटने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की विफलता से सभी पक्षों में चरमपंथ और अतिवाद का विरोध बढ़ने का खतरा है। कतर और संयुक्त अरब अमीरात ने भी अलग-अलग बयानों में इस कदम की निंदा करते हुए इसे कब्जे को बढ़ाने का जानबूझकर किया गया प्रयास बताया।

ईरान के गैस, तेल भंडार को इजरायल ने क्यों नहीं बनाया निशाना? जानें क्या हो सकता है दुनिया पर असर

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इजरायल ने शनिवार को अपनी जगह से 2000 किलोमीटर दूर ईरान में घुसकर हमला किया। टारगेट ईरान के मिलिट्री ढांचे थे। यानी हथियार डिपो, कम्यूनिकेशन सेंटर, मिलिट्री कमांड और राडार सेंटर्स। इजरायली विमानों ने 2000 किलोमीटर की दूरी तक उड़ान भरकर ईरान की राजधानी तेहरान और उसके सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायल ने एकसाथ 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स उड़ाए थे। इजरायल ने अपने अलग-अलग बेस से 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स उड़ाए। हमले का मेन फोकस तेहरान और करज शहर था। यहीं के मिलिट्री इंस्टॉलेशन टारगेट पर थे। इजरायल का हमला सीधे तौर पर राडार और एयर डिफेंस सिस्टम को उड़ाना था।

इजराइली हमले में उन जगहों को निशाना बनाया गया, जहां ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलें बनाई जाती थीं। इनका इस्तेमाल ईरान ने इजराइल पर 1 अक्टूबर के हमले में किया था। 1980 के दशक में इराक युद्ध के बाद से पहली बार किसी दुश्मन देश ने ईरान पर इस तरह से हवाई हमले किए हैं। हमले के बाद इजरायली सेना ने कहा कि ईरान की न्यूक्लियर या तेल फैसिलिटी पर हमला नहीं कर रहा है। उसका फोकस ईरान के मिलिट्री टार्गेट हैं। सवाल उठता है कि आखिर क्यों इजराइल ने ईरान की न्यूक्लियर या तेल फैसिलिटी को निशाना नहीं बनाया?

दरअसल, इजराइल का अजीज दोस्त अमेरिका लगातार चेताता रहा है कि वह ईरान की तेल या न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला न करे। क्योंकि अगर तेल साइट को निशाना बनाया गया तो पूरी दुनिया में तेल के दाम बढ़ सकते हैं। अमेरिका के सहयोगियों पर भी इसका असर पड़ता। वहीं, न्यूक्लियर साइट पर हमला एक बड़ा युद्ध शुरू कर सकता है। अगर न्यूक्लियर साइट को निशाना बनाया गया तो ईरान के साथ इजरायल का बड़ा युद्ध शुरू हो सकता है। इसमें अमेरिका को भी इजरायल को बचाने के लिए आना पड़ेगा।

दुनिया के तेल बाज़ार में ईरान की अहमियत

ईरान दुनिया में तेल का सातवां सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यह अपने तेल उत्पादन का क़रीब आधा निर्यात करता है। इसके प्रमुख बाज़ारों में चीन शामिल है। हालांकि चीन में तेल की कम मांग और सऊदी अरब से तेल की पर्याप्त सप्लाई ने इस साल तेल की कीमतों को बढ़ने से काफ़ी हद तक रोके रखा है। दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार ईरान के पास है। जबकि ईरान में दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा गैस भंडार है।

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) में ईरान तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और प्रति दिन लगभग 30 लाख बैरल तेल का उत्पादन करता है। ये कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग तीन फीसदी है। इस बात की आशंका है कि अगर इजराइल ने ईरान के तेल ठिकानों को निशाना बनाया और उसे नष्ट किया तो इससे तेल की सप्लाई पर असर पड़ेगा और दुनिया भर में तेल की क़ीमतों में बड़ा इज़ाफा हो सकता है।

इजराइल के निशाने पर हैं ईरान के न्यूक्लियर साइट

वहीं, अमेरिका ने इजराइल से ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला न करने की अपील की है। हालांकि, इजरायल ने इस सलाह को मानने का आश्वासन नहीं दिया है। ऐसे में आशंका जताई जाती रही है इजराइल की तरफ से ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला किया जा सकता है। हालांकि, शनिवार को किए हमले में भी इजराइल ने न्यूक्लियर साइट को निशाना नहीं बनाया। ऐसे में सवाल उठते रहे हैं कि क्या रान के पास परमाणु हथियार हैं। ईरान के परमाणु हथियार को लेकर कई सालों से कयास लग रहे हैं। उसने कभी खुलकर नहीं माना है कि उसके पास न्यूक्लियर वेपन हैं। पर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था का मानना है कि ईरान 2003 से ही परमाणु हथियार कार्यक्रम पर काम कर रहा है। जिसे उसने बीच में कुछ वक्त के लिए रोक दिया था। साल 2015 में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से राहत पाने लिए अपनी परमाणु गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने को राजी हुआ। हालांकि 2018 में जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने इस समझौते से बाहर निकलने का ऐलान कर दिया। इसके बाद यह समझौता खटाई में पड़ गया। ईरान ने भी प्रतिबंधों को वापस लेना शुरू कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक 2018 के बाद से ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम का तेजी से विस्तार कर रहा है।

ईरान के हमले से इजरायल को हुआ भारी नुकसान! एयरबेस तक पहुंची मिसाइलें, सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा

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ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर है। ईरान ने मंगलवार को इजराइल पर लगभग 200 मिसाइलें दागीं। इनमें से कई को इजराइल की वायु रक्षा प्रणाली ने रोक लिया, कुछ समुद्र में गिरीं, तथा अन्य ने धरती में गड्ढे कर दिए। ईरान का कहना है कि उसकी 90 फीसदी मिसाइलों ने अपने टारगेट को हिट किया है। ईरान द्वारा किए गए हमले में दो इजरायली एयरबेस, एक स्कूल का मैदान और मोसाद मुख्यालय के संदिग्ध क्षेत्र के निकट स्थित दो स्थान शामिल हैं। इसमें इजरायल को सबसे ज्यादा नुकसान नेवातिम एयरबेस और तेल नॉफ एयरबेस पर हुआ। हालांकि, इजराइल ने दावा किया है कि उसके मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने हमलों को नाकाम कर दिया।

इजरायल के सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक है नेगेव रेगिस्तान में मौजूद नेवातिम एयर बेस। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों ने इस एयरबेस पर नुकसान पहुंचाया है। सैटेलाइट तस्वीरों में यह खुलासा हो रहा है। इन तस्वीरों को प्लैनेट लैब्स की सैटेलाइट ने लिया है। जिसे समाचार एजेंसी एपी ने जारी किया है।

हालांकि सैटेलाइट तस्वीरों से यह स्पष्ट नहीं है कि इजरायली स्टेल्थ फाइटर जेट को नुकसान पहुंचा है या नहीं। वो उस हैंगर में थे या नहीं जिसपर मिसाइल हमले से ज्यादा नुकसान हुआ है। लेकिन एयरबेस पर कई क्रेटर यानी गड्ढे बने दिख रहे हैं, जो मिसाइलों की टक्कर से बने हैं।

नुकसान के दावों से इजराइल का इनकार

वहीं, इजरायल इस दावे को नकार रहा है। इजरायली सेना ने कहा कि हमले हुए हैं। मिसाइलें गिरी हैं। लेकिन उनसे किसी फाइटर जेट, विमान, ड्रोन, हथियार या जरूरी ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचा है। मिसाइल हमले में ऑफिस बिल्डिंग और मेंटेनेंस एरिया क्षतिग्रस्त हुआ है।

इजरायल के लिए कितना अहम है नेवातिम एयरबेस

नेवातिम एयरबेस नेगेव रेगिस्तान में स्थित नेवातिम एयरबेस, जहां इजरायल के एफ-35 लड़ाकू विमान स्थित हैं, को अप्रैल में ईरान के ड्रोन और मिसाइल हमले का निशाना बनाया गया था, जो दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमले के जवाब में किया गया था। यह इजरायल के सबसे बड़े रनवे में से एक है और इसमें अलग-अलग लंबाई के तीन रनवे हैं। यहां स्टील्थ लड़ाकू विमान, परिवहन विमान, टैंकर विमान और इलेक्ट्रॉनिक टोही/निगरानी के लिए मशीनें, साथ ही विंग ऑफ जियोन भी तैनात थे. इस एयरबेस पर ईरान का हमला मतलब इजरायल के लिए गहरी चोट के बराबर है। थोड़ा सा भी नुकसान इजरायल के लिए काफी भारी पड़ सकता है।

नेवातिम एयरबेस का इजरायल का क्या है महत्व?

नेवातिम एयरबेस एयर फोर्स बेस 8 के नाम से भी जाना जाने वाला यह बेस इज़रायली एयर फ़ोर्स (आईएएफ) का सबसे पुराना और मुख्य बेस है जो इजरायल के रेहोवोट से 5 किमी दक्षिण में स्थित है। तेल नॉफ में दो स्ट्राइक फ़ाइटर, दो हेलिकॉप्टर और एक यूएवी स्क्वाड्रन है। बेस पर फ़्लाइट टेस्ट सेंटर मनात और इज़राइल डिफेंस फ़ोर्स (आईएएफ) की कई विशेष इकाइयां भी स्थित हैं, जिनमें यूनिट 669 (हेलीबोर्न कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू (सीएसएआर) और पैराट्रूपर्स ब्रिगेड प्रशिक्षण केंद्र और उसका मुख्यालय शामिल हैं।

जंग के मुहाने पर खड़ा मिडिल ईस्ट, इजराइल-ईरान जंग में कौन देश किसके साथ?

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मध्यपूर्व में तनाव बढ़ा हुआ है।ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर बड़ा हमला किया। ईरान ने इजरायल पर 180 से ज्यादा मिसाइलें दायर कीं। इस हमले को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की बड़ी गलती बताया। उन्होंने कहा कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी पड़े। इजरायली पीएम नेतन्याहू के इस बयान को ईरान के लिए खुली चेतावनी माना जा रहा है। ईरान के हमले के बाद मिडिल ईस्ट जंग के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया।

मिडिल ईस्ट पिछले कई दशकों से अशांति की चपेट में रहा है। इस क्षेत्र में कई युद्ध और गृहयुद्ध हुए, जिसने क्षेत्र को एक नया आकार दिया। अक्टूबर 2023 में इजरायल और हमास के बीच जंग की शुरूआत हुई। इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच जारी संघर्ष का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस जंग में हमास के कई प्रमुख नेताओं और हिज्बुल्लाह के प्रमुख समेत ईरान के सीनियर कमांडरों को अपने अंदर समा लिया। ऐसे में अब ईरान भी जंग में कूद पड़ा है और क्षेत्र भयानक जंग की कगार पर है।आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में हालात बिगड़ सकते हैं।

करीब दो महीने पहले हमास नेता इस्माइल हनिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या हुई थी। जिसके बाद बीती 28 सितंबर को हिज़्बुल्लाह ने इसराइली हमले में अपने नेता हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की थी, उसके बाद से मध्य-पूर्व में संघर्ष और गंभीर होता जा रहा है। इजराइल हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर लेबनान में हमले जारी रखे हुए है और अब उसने हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर ज़मीन से सैन्य कार्रवाई भी शुरू कर दी है। हनिया की मौत के बाद ईरान ने फौरन कोई सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन एक अक्तूबर के ईरान के मिसाइल हमलों ने मध्य-पूर्व के इस संघर्ष को बढ़ा दिया है। इस बढ़ते संघर्ष पर अरब मुल्क़ के साथ ही दुनियाभर के कई देश स्पष्ट तौर पर बँटे हुए नज़र आ रहे हैं

अब जबकि जंग एक नया रूप अख्तियार करने की राह पर है, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर मिडिल ईस्ट की इस जंग में कौन, किसके साथ खड़ा है?

इजराइल के खिलाफ इस्लामिक देशों को एकजुट करने के लिए ईरान ने पहले ही इन मुल्कों से इसराइल से व्यापार खत्म करने की अपील की थी। दूसरी तरफ अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश इसराइल के साथ खड़े हैं और इस युद्ध में उसकी मदद कर रहे हैं।

13 खाड़ी देश का रुख

मिडिल ईस्ट में कुल 18 देश हैं, इनमें से 13 अरब दुनिया का हिस्सा हैं। जानते हैं कि ईरान-इजरायल और लेबनान की जंग में इन 13 खाड़ी देश का रुख क्या है?

बहरीन: बहरीन ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस तरफ है। हालांकि इस देश के कुछ दल ईरान का समर्थन कर रहे हैं, इस देश ने 2020 से अपने संबध इजरायल से ठीक कर लिए थे।

ईरान: ईरान पूरी तरह से लेबनान के साथ खड़ा और हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत का बदले लेने के लिए इजरायल पर मंगलवार को 180 से ज्यादा मिसाइलें दागीं।

इराक: फिलहाल इस जंग से बाहर है, ईरान से इसकी दुश्मनी सभी जानते हैं, ईरान के इजरायल पर हमले का जश्न यहां भी लोगों ने मनाया।ईरानी समर्थित संगठनों ने इस हमले का समर्थन किया है। ईरान की मिसाइल सीरिया और इराक की हवाई सीमा को क्रॉस करके इजरायल में गिरीं।

फिलीस्तीन: 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमले किए थे। इसके बाद से इजरायल लगातार फिलिस्तीन और गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों को निशाना बना रहा है। हमास के समर्थन में ही लेबनानी संगठन हिजबुल्लाह इजरायल से जंग कर रहा है।

जॉर्डन: जॉर्डन ने खुद को इस जंग से अलग रखा हुआ है। जॉर्डन पीएम ने कहा है कि वो अपने देश को युद्ध का मैदान नहीं बनने देंगे। अरब मुल्क जॉर्डन की सीमा वेस्ट बैंक से मिलती है और यहां फिलिस्तीनी शरणार्थियों की बड़ी संख्या रहती है। इजराइल जब बना तो इस क्षेत्र की एक बड़ी आबादी भागकर जॉर्डन आ गई थी।

कुवैत: कुवैत ने कहा कि उसने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है। कुवैत ने यूएन में नेतनयाहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था।

लेबनान: इजराइल से सीधी जंग लड़ रहा है।

ओमान: इजराइल का विरोध करता रहा है। इसकी दोस्ती ईरान से भी है और यूएस से भी। शांति की अपील कर रहा है।

कतर: नसरल्लाह की मौत पर खामोश हैं, अभी तक कोई बयान नहीं दिया गया। हालांकि इस देश ने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है।

सऊदी अरब: सऊदी अरब ने भी खुद को जंग से दूर रखा है. सऊदी द्वारा इजराइल की निंदा तो की गई, लेकिन अभी तक किसी के साथ खुलकर नहीं आया है. यूएन में नेतन्याहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था.

सीरिया: इजराइल के खिलाफ रहा है, जंग लड़ता रहा है। इजरायल ने सीरिया में भी हमले किए हैं।

यूएई: नसरल्लाह की मौत पर खामोश है। कुछ भी नहीं बोल रहा है। इस देश ने 2020 से अपने संबध इजराइल से ठीक कर लिए थे।

यमन: इजरायल ने यमन में भी कई ठिकानों पर बमबारी की है।

अमेरिका और पश्चिमी देश

ये बात नई नहीं है कि फिलिस्तीन और इजराइल के संघर्ष में ज्यादातर पश्चिमी देशों का झुकाव इजराइल की तरफ रहा है। अब ईरान की बात करें तो इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान से पश्चिमी देशों ने दूरी बना ली है। अमेरिका के साथ साथ कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली आदि खुले तौर पर इजराइल के साथ हैं और अगर ईरान इजराइल पर हमला करता है, तो ये इजराइल को सैन्य मदद भी दे सकते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन ने पहले ही अपनी मौजूदगी मध्य पूर्व में बढ़ा दी है।

चीन-रूस किस तरफ जाएंगे?

इस पूरे तनाव के बीच दुनिया की नजरें चीन और रूस पर बनी हुई है। पिछले कुछ सालों में ईरान की चीन और रूस के साथ करीबी बढ़ी है। रूस और चीन के इजराइल के साथ सामान्य रिश्ते हैं, लेकिन चीन गाजा युद्ध के दौरान इजराइल के हमलों की निंदा करता रहा है और कुछ खबरों के मुताबिक वे हमास के नेताओं से भी संपर्क में है।

क्या होगा भारत का रूख?

इजराइल-ईरान संघर्ष के बीच भारत ने दोनों देश में रह रहे पने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है। भारत इस मुद्दे पर शांतिपूर्ण समझौते के पक्ष में रहा है। हालांकि भारत ने साल 1988 में फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। लेकिन हाल के वर्षों में मध्य-पूर्व के हालात पर भारत किसी एक पक्ष की तरफ स्पष्ट तौर पर झुका नज़र नहीं आता है। पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजराइल के ख़िलाफ लाए गए एक प्रस्ताव में एक साल के अंदर गाजा और वेस्ट बैंक में इजराइली कब्ज़े को ख़त्म करने की बात कही गई थी।

‘इजरायल के पहुंच से परे कोई जगह नहीं’: हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद नेतन्याहू की ईरान को चेतावनी

#netanyahuwarnsiranafterisraelkilledhassan_nasrallah

Israel's Prime Minister Benjamin Netanyahu (REUTERS)

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शनिवार को कहा कि “ईरान या मध्य पूर्व में ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां इजरायल की लंबी भुजाएं नहीं पहुंच सकतीं,” उन्होंने इजरायली सशस्त्र बलों द्वारा हवाई हमले में हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की लक्षित हत्या को लेकर ईरान को उनके देश पर हमला करने के किसी भी प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी।

नेतन्याहू ने कहा, “अगर कोई आपको मारने के लिए उठता है, तो पहले उसे मार दें। कल, इजरायल राज्य ने कट्टर हत्यारे हसन नसरल्लाह को मार डाला,” उन्होंने कहा कि इजरायल ने “अनगिनत” इजरायलियों और अमेरिका और फ्रांस सहित अन्य देशों के नागरिकों की हत्या में कथित भूमिका के लिए हिजबुल्लाह प्रमुख के साथ “हिसाब-किताब चुकाया” है। उन्होंने नसरल्लाह को “सिर्फ एक और आतंकवादी” नहीं बल्कि “आतंकवादी” कहा और पश्चिम एशिया में “ईरान की बुराई की धुरी का मुख्य इंजन” भी कहा। नेतन्याहू ने यह भी आरोप लगाया कि नसरल्लाह ईरान के अयातुल्ला शासन की इजरायल को "नष्ट" करने की योजना के मुख्य वास्तुकारों में से एक थे।

पश्चिम एशिया में इस्लामी शासन और उसके सहयोगियों को जनविरोधी के रूप में चित्रित करने के प्रयास में, नेतन्याहू ने कहा, "वे सभी जो बुराई की धुरी का विरोध करते हैं, वे सभी जो लेबनान, सीरिया, ईरान और अन्य स्थानों पर ईरान और उसके समर्थकों की हिंसक तानाशाही के तहत लड़ रहे हैं, वे सभी आज आशा से भरे हुए हैं। मैं उन देशों के नागरिकों से कहता हूं: इजरायल आपके साथ खड़ा है और अयातुल्ला शासन से मैं कहता हूं: जो हम पर हमला करते हैं, हम उन पर हमला करते हैं। ईरान या मध्य पूर्व में ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ इजरायल का लंबा हाथ न पहुँच सके। आज, आप पहले से ही जानते हैं कि यह सही है"।

नसरल्लाह को क्यों मारा जाए?

नेतन्याहू ने तर्क दिया कि नसरल्लाह को खत्म करना इजरायली नागरिकों को लेबनान के साथ देश की उत्तरी सीमा पर अपने घरों में वापस लाने और आने वाले "वर्षों" के लिए क्षेत्र में "शक्ति संतुलन" को बदलने के लिए आवश्यक था।

इजरायली प्रधानमंत्री ने अपने नागरिकों की “रक्षा” करने और सभी बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए अपने देश की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “हम अपने दुश्मनों पर हमला जारी रखने, अपने निवासियों को उनके घरों में वापस भेजने और अपने सभी बंधकों को वापस भेजने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। हम उन्हें एक पल के लिए भी नहीं भूलते।”

जब तक नसरल्लाह जीवित थे, उन्होंने हिजबुल्लाह से छीनी गई क्षमताओं को जल्दी से फिर से बनाया होता। उनके खात्मे से हमारे निवासियों की उत्तर में उनके घरों में वापसी की संभावना बढ़ेगी। इससे दक्षिण में हमारे बंधकों की वापसी की संभावना भी बढ़ेगी,” नेतन्याहू ने इजरायली सशस्त्र बलों और खुफिया एजेंसियों को उनकी “महान उपलब्धियों” के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा।

भारत ने इजराइल के साथ निभाई दोस्ती! यूएनजीए में फिलिस्तीन से जुड़े प्रस्ताव पर वोटिंग में नहीं लिया हिस्सा

#indiaabstainsfromungaisraelpalestinianresolution

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में फिलिस्तीन से जुड़े प्रस्ताव पर वोटिंग से किनारा कर लिया। इस प्रस्ताव में मांग की गई थी कि इजराइल ने फिलिस्तीन के क्षेत्र में जो अवैध कब्जा किया है, उसे जल्द से जल्द हटाए और वो भी बिना किसी देरी के 12 महीने के अंदर। इस प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग नहीं किया।

भारत का कहना है कि हम बातचीत और कूटनीति के जरिए विवाद को सुलझाने के समर्थक हैं। भारत ने कहा कि हमें विभाजन बढ़ाने के बजाय मतभेद मिटाने की दिशा में काम करना चाहिए। 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुधवार को फिलिस्तीन पर प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव में मांग की गई है कि इजराइल को कब्जाए गए फिलिस्तीन के इलाकों को 12 महीनों में खाली कर देना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में पेश किए गए प्रस्ताव के पक्ष में 124 देशों ने मतदान किया। वहीं 14 देशों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया। 43 देश वोटिंग से दूर रहे, जिनमें भारत भी शामिल है।

इन देशों ने मतदान से बनाई दूरी

मतदान में जिन देशों ने भाग नहीं लिया, उनमें भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, इटली, नेपाल, यूक्रेन और ब्रिटेन शामिल हैं। वहीं इजराइल और अमेरिका ने प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने इजराइल-फिलिस्तीन विवाद की शांतिपूर्ण, न्यायपूर्ण और स्थानीय समाधान की वकालत की और दोहराया कि प्रत्यक्ष और सार्थक बातचीत के जरिए ही दोनों देशों के बीच दो राज्य समाधान ही स्थायी शांति ला सकता है।

फिलिस्तीन के प्रस्ताव में क्या?

फिलिस्तीन की ओर से तैयार प्रस्ताव में इजराइल सरकार की ओर से संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रासंगिक प्रस्तावों के तहत अपने दायित्वों की अवहेलना किए जाने की भी कड़ी निंदा की गई। इस बात पर जोर दिया गया कि ऐसे उल्लंघनों से क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को गंभीर खतरा है। इसमें कहा गया है कि इजराइल को कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून के किसी भी उल्लंघन के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

हिज़्बुल्लाह ने इजराइल पर 320 रॉकेट दागे जाने का किया दावा, तेल अवीव ने दक्षिणी लेबनान में शुरू किए हवाई हमले

#airstrikesinsouthernlebanon

Pictures of blast in Israel

ईरान समर्थित समूह हिजबुल्लाह ने रविवार को कहा कि शेष मध्य पूर्व संभावित रूप से एक और युद्ध के कगार पर पहुंच सकता है, उसने 11 इजरायली सैन्य स्थलों पर 320 कत्यूषा रॉकेट दागे। इज़राइल ने कहा कि उसने समूह के हमले को विफल करने के लिए दक्षिणी लेबनान में हवाई हमले शुरू किए हैं।

लेबनानी आतंकवादी समूह ने कहा कि उसने बेरूत में अपने एक कमांडर की हत्या के प्रतिशोध में इज़राइल पर ड्रोन हमले किए थे।

समूह ने कहा कि हमला "एक गुणात्मक इजरायली सैन्य लक्ष्य को लक्षित कर रहा था जिसकी घोषणा बाद में की जाएगी" और साथ ही "कई दुश्मन साइटों और बैरकों और आयरन डोम प्लेटफार्मों को लक्षित किया गया।"

ये हमले समूह के एक शीर्ष कमांडर फौद शुकुर की हत्या के जवाब में थे

इससे पहले रविवार को, इजरायली सेना ने लेबनान में हिजबुल्लाह साइटों पर अपने पूर्वव्यापी हमलों की घोषणा करते हुए कहा था कि आतंकवादी समूह हमले की तैयारी कर रहा था। सेना ने कहा कि हिजबुल्लाह इजरायल की ओर रॉकेट और मिसाइलों की भारी बमबारी शुरू करने की योजना बना रहा था। ईरान समर्थित समूह पिछले महीने के अंत में इज़राइल द्वारा एक शीर्ष कमांडर की हत्या का बदला लेने का वादा कर रहा था।

इन खतरों को दूर करने के लिए एक आत्मरक्षा कार्रवाई में, (इजरायली सेना) लेबनान में आतंकी ठिकानों पर हमला कर रही है, जहां से हिजबुल्लाह इजरायली नागरिकों पर अपने हमले शुरू करने की योजना बना रहा था। हम देख सकते हैं कि हिज़्बुल्लाह लेबनानी नागरिकों को खतरे में डालते हुए इज़राइल पर एक व्यापक हमला करने की तैयारी कर रहा है,'' उन्होंने विवरण दिए बिना कहा। हम उन क्षेत्रों में स्थित नागरिकों को चेतावनी देते हैं कि अपनी सुरक्षा के लिए जहां हिज़्बुल्लाह नुकसान कर रहा है वहां रास्ते से तुरंत हट जाएं , ”इजरायल के सैन्य प्रवक्ता, रियर एडमिरल डैनियल हागारी ने रविवार को कहा।

कई समाचार एजेंसियों के अनुसार, उत्तरी इज़राइल में हवाई हमले के सायरन बजाए गए। देश के बेन-गुरियन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे ने भी एहतियात के तौर पर उड़ानों को डायवर्ट किया। इसके तुरंत बाद हिजबुल्लाह ने अपने हमले की घोषणा कर दी। 

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस मामले पर कैबिनेट बैठक में हिस्सा लेंगे। यह हमला गाजा में इजरायल-हमास युद्ध को समाप्त करने के लिए नए दौर की वार्ता से पहले हुआ। हिजबुल्लाह ने कहा है कि अगर संघर्ष विराम होता है तो वह लड़ाई रोक देगा।

हमास चीफ इस्माइल हानिया के साथ एक और शख्स की हत्या, इजरायल ने अपने इस दुश्मन को मार गिराने का किया दावा

#israelkilledanotherenemyknowwhowas

इजरायल ने ईरान में घुसकर हमास चीफ इस्माइल हानिया को मार गिराया है। हालांकि, इसको लेकर इजराइल की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। मगर शक की सुई इजरायल पर ही टिकी है। दरअसल, बेंजामिन नेतन्याहू ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए हमले के बाद से ही हमास चीफ इस्माइल हानिया और हमास के अन्य नेताओं को मारने की कसम खाई थी। इसी बीच इजरायल ने अपने एक और दुश्मन के मारे जाने का दावा किया है। इजराइल की सेना ने हिजबुल्‍लाह के कमांडर फउद शुकर को मार गिराने का दावा किया है। इजरायल की सेना ने कहा कि उसके लड़ाकू विमानों ने मंगलवार को बेरूत इलाके में फउद शुकर को खत्म कर दिया है।

शुकर को गोलान हाइट्स पर रॉकेट हमले के लिए जिम्मेदार माना जा रहा था। लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह ने इजरायल के गोलन हाइट्स इलाके में शनिवार को एक फुटबॉल ग्राउंड पर रॉकेट दागे थे। इस हमले में 12 बच्चों की मौत हो गई थी, जिसका बदला लेने के लिए ही इजरायल की सेना ने लेबनान की राजधानी बेरूत पर हवाई हमले किए। इजराइल की सेना के निशाने पर हिजबुल्लाह का कमांडर फुआद शुकर था। इजराइली की सेना ने कहा कि यह हमला गोलान में 12 युवाओं की मौत की मौत के साथ-साथ अन्य हमलों में कई इजराइली नागरिकों की मौत के लिए जिम्मेदार आतंकी कमांडर के ठिकाने को निशाना बनाकर किया गया।

लंबे समय से इजराइल-अमेरिका को थी शुकर की तलाश

इजरायल के खिलाफ कई बड़े हमलों को अंजाम देने वाले फउद शुकर की तलाश काफी समय से इजराइय और अमेरिका को थी। पिछले कई दशकों से इसकी तलाश जारी थी। बता दें कि हिजबुल्लाह के लिए रणनीति बनाने और उसे अंजाम देने के लिए ये काम करता था। फउद शुकर पर 40 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया गया था। इनाम की राशि के जरिए आप हिंजबुल्लाह के कमांडर के कद का अंदाजा लगा सकते हैं। इस बीच इजरायली सेना की तरफ से दावा किया गया है कि उन्होंने कई मासूमों की मौत का बदला ले लिया है और फउद शुकर को मार गिराया है। 

कई हमलों का रह चुका है मास्टरमाइंड

बता दें कि फउद शुकर को मार गिराने के लिए उजरायल ने लेबनान की राजधानी बेरूत पर कई हवाई हमले किए। फउद शुकर को हिजबुल्ला नेता हसन नसरल्लाह का करीबी और भरोसेमंद माना जाता है। साल 2016 में सीरिया में वरिष्ठ हिजबुल्लाह कमांडर की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद फउद शुकर ने उनकी जगह ली थी। साल 1983 में बेरूत की एक बैरक में हमला किया गया था। यह हमला जहां हुआ, वहां फ्रांस और अमेरिका के सैनिक तैनात थे। 

बता दें कि फउद शुकर के अलाव इजरायल ने आज हमास के मुखिया इस्माइल हानिया को भी मार गिराया है। हमास पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हानिया को ईरान में घुसकर मार गिराया है।

कैसे रूकेगी जंगःगाजा के साथ संघर्षविराम को मंजूरी देने से नेतन्याहू का इनकार, बोले- डील अभी पूरी नहीं

#israel_hamas_ceasefire_know_pm_benjamin_netanyahu_office_reaction

इजरायल और हमास के बीच संघर्ष विराम समझौते पर संकट के बादल मंडराते हुए नजर आ रहे हैं। जो संघर्ष विराम समझौता तय माना जा रहा था उसे नेतन्याहू इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने यह कहकर उलझा दिया है कि हमास के साथ संघर्ष विराम समझौता अभी पूरा नहीं हुआ है। इसे अंतिम रूप देने पर काम किया जा रहा है। हालांकि, नेतन्याहू के इस बयान से कुछ घंटे पहले ही अमेरिका और कतर ने समझौते की घोषणा कर दी थी। इससे गाजा में 15 महीने से बनी हुई युद्ध की स्थिति को रोकने और बड़ी संख्या में बंधकों के रिहा होने का रास्ता साफ होगा।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा है कि जब तक हमास पीछे नहीं हटता, तब तक मंत्रिमंडल संघर्ष विराम समझौते को मंजूरी देने के लिए बैठक नहीं करेगा। नेतन्याहू के कार्यालय ने हमास पर अंतिम समय में छूट पाने की कोशिश करते हुए समझौते के कुछ हिस्सों से मुकरने का आरोप लगाया। हालांकि, उसने इन छूटों के बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा।

फिलहाल, नेतन्याहू ने स्पष्ट रूप से नहीं बताया है कि वह कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल सानी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा घोषित समझौते को स्वीकार करते हैं या नहीं। नेतन्याहू ने एक बयान में यह जरूर कहा था कि वह समझौते का अंतिम ब्योरा पूरा होने के बाद ही औपचारिक प्रतिक्रिया जारी करेंगे।

इससे पहले कतर के प्रधानमंत्री ने बुधवार 15 जनवरी को संघर्ष विराम समझौते के होने की घोषणा की। शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल सानी ने कतर की राजधानी दोहा में समझौते की घोषणा करते हुए कहा कि संघर्ष विराम समझौता रविवार से लागू होगा। उन्होंने आगे कहा कि इसकी सफलता इजरायल और हमास पर निर्भर करेगी वे यह सुनिश्चित करने के लिए सद्भावना से काम करें कि यह समझौता टूट न जाए।

दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने वॉशिंगटन से समझौते की तारीफ करते हुए कहा कि जब तक इजरायल और हमास दीर्घकालिक युद्धविराम के लिए बातचीत की मेज पर बने रहेंगे, तब तक युद्धविराम लागू रहेगा। बाइडन ने इस समझौते को सफल बनाने के लिए महीनों की अमेरिकी कूटनीति को श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि समझौता वार्ता के प्रयास में उनका प्रशासन और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टीम एक भाषा में बोल रही थी।

इस समझौते की घोषणा के बाद बड़ी संख्या में फलस्तीनी सड़कों पर उतरे और उन्होंने खुशी मनाई। मध्य गाजा के दीर अल बलाह में महमूद वादी ने कहा कि इस समय हम जो महसूस कर रहे हैं, कोई नहीं कर सकता। इसे बयां नहीं किया जा सकता।

15 महीने बाद गाजा में बंद होगा युद्, इजरायल-हमास के बीच हुआ समझौता

#agreementsignedbetweenisraelandhamashostageswillbe_released

इजराइल और हमास ने 15 महीने से गाजा में चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए सीजफायर पर सहमति दी है। यह समझौता इजराइली बंधकों के बदले फिलिस्तीनी कैदियों के आदान-प्रदान के तहत हुआ है। ये समझौता 19 जनवरी से लागू होने की बात की जा रही है।मिस्र और कतर की मध्यस्थता से हुआ यह सौदा अमेरिकी समर्थन से संभव हो पाया है। अक्टूबर 2023 में शुरू हुए इस युद्ध में 46,000 से अधिक लोगों की मौत हुई।

कतर, मिस्र और अमेरिका ने बुधवार को एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें बताया गया कि इस्राइल और हमास ने युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई के लिए समझौता किया है। यह समझौता 19 जनवरी 2025 से प्रभावी होगा और इसमें तीन चरणों में शांति लाने की योजना है। साथ ही मामले में कतर, मिस्र और अमेरिका ने यह सुनिश्चित करने का वचन दिया है कि सभी तीन चरणों का पालन किया जाएगा और यह समझौता पूरी तरह से लागू होगा। इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को सफल बनाने का भी वादा किया है।

वहीं, सीजफायर को लेकर इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास के साथ युद्ध विराम समझौता अभी पूरी तरह से तय नहीं हुआ है और इस पर आखिरी विवरण पर काम किया जा रहा है। साथ ही पीएम नेतन्याहू ने इजाराइली बंधकों की रिहाई और वापसी के लिए प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप को धन्यवाद किया।

33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा

समझौते के विवरण की अभी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआती चरण में छह हफ्ते का प्रारंभिक युद्धविराम होगा जिसमें गाजा पट्टी से इजरायली सेना की धीरे-धीरे वापसी, हमास के कब्जे से इजरायली बंधकों की रिहाई और इजरायल की कैद से फलस्तीनी कैदियों की रिहाई शामिल है। 

इस चरण में 33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा जिनमें सभी महिलाएं, बच्चे और 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष हैं। दूसरे चरण को लागू करने के लिए पहले चरण के 16वें दिन वार्ता शुरू होगी और इसमें सैनिकों समेत सभी बाकी बंधकों की रिहाई, स्थायी युद्ध विराम और गाजा से इजरायली सेना की पूर्ण वापसी शामिल होने की संभावना है। तीसरे चरण में सभी बाकी शवों को लौटाने और मिस्त्र, कतर व संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में गाजा का पुनर्निर्माण शुरू करने की बात हो सकती है।

46 हजार से अधिक लोगों ने गंवाई जान

बीते 7 अक्तूबर 2023 को हमास के हमले के साथ शुरू हुए इस्राइल और फलस्तीन के बीच जंग ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। इस युद्ध में अब तक 23 लाख की आबादी वाली गाजा पट्टी में लगभग 90 प्रतिशत लोग विस्थापित हो चुके हैं और 46 हजार से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।

इजराइल ने जारी किया नया नक्शा, भड़के ये अरबी देश, जताया कड़ा विरोध

#israelnewmap

सीरिया में गृहयुद्ध चरम पर है. देश में तख्तापलट के बाद अब तक राष्ट्रपति रहे बशर अल-असद को रूस भागना पड़ा। इस बीच, इज़राइल ने सीरियाई सीमा पर गोलान हाइट्स के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया है। इस बीच इजराइल ने नया मैप शेयर किया है। इजराइल के विदेश मंत्रालय के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक मानचित्र शेयर किया है। इस मानचित्र में बाइबिल में बताए गए इजरायल और जुदेया राज्य की सीमाओं को दिखाया गया है। मैप में इजरायल के कब्जे वाले फिलिस्तीनी इलाकों और पड़ोसी अरब जमीनों को ग्रेटर इजरायल के रूप में दर्शाया गया है। इस मानचित्र के प्रकाशित होने के बाद सऊदी अरब समेत अरब देश भड़क उठे हैं, जिसमें इजरायल का दोस्त मुस्लिम देश जॉर्डन भी शामिल है। इस मानचित्र के बाद कहा जा रहा है कि यहूदी देश अब ग्रेटर इजरायल प्लान की तरफ बढ़ रहा है।

इजरायली विदेश मंत्रालय की ओर से अरबी भाषा के इंस्टाग्राम और एक्स पर एक पोस्ट शेयर की गई है। इसमें लिखा है, क्या आप जानते हैं कि इजरायल का साम्राज्य 3000 साल पहले स्थापित हुआ था? इसमें आगे लिखा था,हालांकि, प्रवासी यहूदी लोग अपनी शक्तियों और क्षमताओं के पुनरुद्धार और अपने राज्य के पुनर्निर्माण की प्रतीक्षा कर रहे थे, जिसे 1948 में इजरायल राज्य में मध्य पूर्व में एकमात्र लोकतंत्र घोषित किया गया था।

फिलिस्तीनियों समेत अरबी देश भड़के

इजरायल के इस पोस्ट ने फिलिस्तीनियों समेत अरबी देशों में आक्रोश पैदा कर दिया है। संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन और कतर ने इजरायल के इस कदम की कड़ी निंदा की है। इन अरब देशों ने इजरायल की इस हरकत को उनकी संप्रभुता का सीधे उल्लंघन के रूप में देखा। जॉर्डन और कतर के विदेश मंत्रालय ने इसे शांति संभावनाओं के लिए खतरा बताया।

अरब लीग ने क्या कहा

इजरायल के नक्शे की आलोचना करते हुए अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल घेइत ने इसे भड़काऊ कार्रवाई बताया और चेतावनी दी कि इस तरह के भड़काऊ कदम और गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी से निपटने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की विफलता से सभी पक्षों में चरमपंथ और अतिवाद का विरोध बढ़ने का खतरा है। कतर और संयुक्त अरब अमीरात ने भी अलग-अलग बयानों में इस कदम की निंदा करते हुए इसे कब्जे को बढ़ाने का जानबूझकर किया गया प्रयास बताया।

ईरान के गैस, तेल भंडार को इजरायल ने क्यों नहीं बनाया निशाना? जानें क्या हो सकता है दुनिया पर असर

#israelnottargetirannuclearandoilfacilityreason

इजरायल ने शनिवार को अपनी जगह से 2000 किलोमीटर दूर ईरान में घुसकर हमला किया। टारगेट ईरान के मिलिट्री ढांचे थे। यानी हथियार डिपो, कम्यूनिकेशन सेंटर, मिलिट्री कमांड और राडार सेंटर्स। इजरायली विमानों ने 2000 किलोमीटर की दूरी तक उड़ान भरकर ईरान की राजधानी तेहरान और उसके सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायल ने एकसाथ 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स उड़ाए थे। इजरायल ने अपने अलग-अलग बेस से 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स उड़ाए। हमले का मेन फोकस तेहरान और करज शहर था। यहीं के मिलिट्री इंस्टॉलेशन टारगेट पर थे। इजरायल का हमला सीधे तौर पर राडार और एयर डिफेंस सिस्टम को उड़ाना था।

इजराइली हमले में उन जगहों को निशाना बनाया गया, जहां ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलें बनाई जाती थीं। इनका इस्तेमाल ईरान ने इजराइल पर 1 अक्टूबर के हमले में किया था। 1980 के दशक में इराक युद्ध के बाद से पहली बार किसी दुश्मन देश ने ईरान पर इस तरह से हवाई हमले किए हैं। हमले के बाद इजरायली सेना ने कहा कि ईरान की न्यूक्लियर या तेल फैसिलिटी पर हमला नहीं कर रहा है। उसका फोकस ईरान के मिलिट्री टार्गेट हैं। सवाल उठता है कि आखिर क्यों इजराइल ने ईरान की न्यूक्लियर या तेल फैसिलिटी को निशाना नहीं बनाया?

दरअसल, इजराइल का अजीज दोस्त अमेरिका लगातार चेताता रहा है कि वह ईरान की तेल या न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला न करे। क्योंकि अगर तेल साइट को निशाना बनाया गया तो पूरी दुनिया में तेल के दाम बढ़ सकते हैं। अमेरिका के सहयोगियों पर भी इसका असर पड़ता। वहीं, न्यूक्लियर साइट पर हमला एक बड़ा युद्ध शुरू कर सकता है। अगर न्यूक्लियर साइट को निशाना बनाया गया तो ईरान के साथ इजरायल का बड़ा युद्ध शुरू हो सकता है। इसमें अमेरिका को भी इजरायल को बचाने के लिए आना पड़ेगा।

दुनिया के तेल बाज़ार में ईरान की अहमियत

ईरान दुनिया में तेल का सातवां सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यह अपने तेल उत्पादन का क़रीब आधा निर्यात करता है। इसके प्रमुख बाज़ारों में चीन शामिल है। हालांकि चीन में तेल की कम मांग और सऊदी अरब से तेल की पर्याप्त सप्लाई ने इस साल तेल की कीमतों को बढ़ने से काफ़ी हद तक रोके रखा है। दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार ईरान के पास है। जबकि ईरान में दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा गैस भंडार है।

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) में ईरान तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और प्रति दिन लगभग 30 लाख बैरल तेल का उत्पादन करता है। ये कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग तीन फीसदी है। इस बात की आशंका है कि अगर इजराइल ने ईरान के तेल ठिकानों को निशाना बनाया और उसे नष्ट किया तो इससे तेल की सप्लाई पर असर पड़ेगा और दुनिया भर में तेल की क़ीमतों में बड़ा इज़ाफा हो सकता है।

इजराइल के निशाने पर हैं ईरान के न्यूक्लियर साइट

वहीं, अमेरिका ने इजराइल से ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला न करने की अपील की है। हालांकि, इजरायल ने इस सलाह को मानने का आश्वासन नहीं दिया है। ऐसे में आशंका जताई जाती रही है इजराइल की तरफ से ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला किया जा सकता है। हालांकि, शनिवार को किए हमले में भी इजराइल ने न्यूक्लियर साइट को निशाना नहीं बनाया। ऐसे में सवाल उठते रहे हैं कि क्या रान के पास परमाणु हथियार हैं। ईरान के परमाणु हथियार को लेकर कई सालों से कयास लग रहे हैं। उसने कभी खुलकर नहीं माना है कि उसके पास न्यूक्लियर वेपन हैं। पर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था का मानना है कि ईरान 2003 से ही परमाणु हथियार कार्यक्रम पर काम कर रहा है। जिसे उसने बीच में कुछ वक्त के लिए रोक दिया था। साल 2015 में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से राहत पाने लिए अपनी परमाणु गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने को राजी हुआ। हालांकि 2018 में जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने इस समझौते से बाहर निकलने का ऐलान कर दिया। इसके बाद यह समझौता खटाई में पड़ गया। ईरान ने भी प्रतिबंधों को वापस लेना शुरू कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक 2018 के बाद से ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम का तेजी से विस्तार कर रहा है।

ईरान के हमले से इजरायल को हुआ भारी नुकसान! एयरबेस तक पहुंची मिसाइलें, सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा

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ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर है। ईरान ने मंगलवार को इजराइल पर लगभग 200 मिसाइलें दागीं। इनमें से कई को इजराइल की वायु रक्षा प्रणाली ने रोक लिया, कुछ समुद्र में गिरीं, तथा अन्य ने धरती में गड्ढे कर दिए। ईरान का कहना है कि उसकी 90 फीसदी मिसाइलों ने अपने टारगेट को हिट किया है। ईरान द्वारा किए गए हमले में दो इजरायली एयरबेस, एक स्कूल का मैदान और मोसाद मुख्यालय के संदिग्ध क्षेत्र के निकट स्थित दो स्थान शामिल हैं। इसमें इजरायल को सबसे ज्यादा नुकसान नेवातिम एयरबेस और तेल नॉफ एयरबेस पर हुआ। हालांकि, इजराइल ने दावा किया है कि उसके मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने हमलों को नाकाम कर दिया।

इजरायल के सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक है नेगेव रेगिस्तान में मौजूद नेवातिम एयर बेस। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों ने इस एयरबेस पर नुकसान पहुंचाया है। सैटेलाइट तस्वीरों में यह खुलासा हो रहा है। इन तस्वीरों को प्लैनेट लैब्स की सैटेलाइट ने लिया है। जिसे समाचार एजेंसी एपी ने जारी किया है।

हालांकि सैटेलाइट तस्वीरों से यह स्पष्ट नहीं है कि इजरायली स्टेल्थ फाइटर जेट को नुकसान पहुंचा है या नहीं। वो उस हैंगर में थे या नहीं जिसपर मिसाइल हमले से ज्यादा नुकसान हुआ है। लेकिन एयरबेस पर कई क्रेटर यानी गड्ढे बने दिख रहे हैं, जो मिसाइलों की टक्कर से बने हैं।

नुकसान के दावों से इजराइल का इनकार

वहीं, इजरायल इस दावे को नकार रहा है। इजरायली सेना ने कहा कि हमले हुए हैं। मिसाइलें गिरी हैं। लेकिन उनसे किसी फाइटर जेट, विमान, ड्रोन, हथियार या जरूरी ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचा है। मिसाइल हमले में ऑफिस बिल्डिंग और मेंटेनेंस एरिया क्षतिग्रस्त हुआ है।

इजरायल के लिए कितना अहम है नेवातिम एयरबेस

नेवातिम एयरबेस नेगेव रेगिस्तान में स्थित नेवातिम एयरबेस, जहां इजरायल के एफ-35 लड़ाकू विमान स्थित हैं, को अप्रैल में ईरान के ड्रोन और मिसाइल हमले का निशाना बनाया गया था, जो दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमले के जवाब में किया गया था। यह इजरायल के सबसे बड़े रनवे में से एक है और इसमें अलग-अलग लंबाई के तीन रनवे हैं। यहां स्टील्थ लड़ाकू विमान, परिवहन विमान, टैंकर विमान और इलेक्ट्रॉनिक टोही/निगरानी के लिए मशीनें, साथ ही विंग ऑफ जियोन भी तैनात थे. इस एयरबेस पर ईरान का हमला मतलब इजरायल के लिए गहरी चोट के बराबर है। थोड़ा सा भी नुकसान इजरायल के लिए काफी भारी पड़ सकता है।

नेवातिम एयरबेस का इजरायल का क्या है महत्व?

नेवातिम एयरबेस एयर फोर्स बेस 8 के नाम से भी जाना जाने वाला यह बेस इज़रायली एयर फ़ोर्स (आईएएफ) का सबसे पुराना और मुख्य बेस है जो इजरायल के रेहोवोट से 5 किमी दक्षिण में स्थित है। तेल नॉफ में दो स्ट्राइक फ़ाइटर, दो हेलिकॉप्टर और एक यूएवी स्क्वाड्रन है। बेस पर फ़्लाइट टेस्ट सेंटर मनात और इज़राइल डिफेंस फ़ोर्स (आईएएफ) की कई विशेष इकाइयां भी स्थित हैं, जिनमें यूनिट 669 (हेलीबोर्न कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू (सीएसएआर) और पैराट्रूपर्स ब्रिगेड प्रशिक्षण केंद्र और उसका मुख्यालय शामिल हैं।

जंग के मुहाने पर खड़ा मिडिल ईस्ट, इजराइल-ईरान जंग में कौन देश किसके साथ?

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मध्यपूर्व में तनाव बढ़ा हुआ है।ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर बड़ा हमला किया। ईरान ने इजरायल पर 180 से ज्यादा मिसाइलें दायर कीं। इस हमले को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की बड़ी गलती बताया। उन्होंने कहा कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी पड़े। इजरायली पीएम नेतन्याहू के इस बयान को ईरान के लिए खुली चेतावनी माना जा रहा है। ईरान के हमले के बाद मिडिल ईस्ट जंग के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया।

मिडिल ईस्ट पिछले कई दशकों से अशांति की चपेट में रहा है। इस क्षेत्र में कई युद्ध और गृहयुद्ध हुए, जिसने क्षेत्र को एक नया आकार दिया। अक्टूबर 2023 में इजरायल और हमास के बीच जंग की शुरूआत हुई। इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच जारी संघर्ष का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस जंग में हमास के कई प्रमुख नेताओं और हिज्बुल्लाह के प्रमुख समेत ईरान के सीनियर कमांडरों को अपने अंदर समा लिया। ऐसे में अब ईरान भी जंग में कूद पड़ा है और क्षेत्र भयानक जंग की कगार पर है।आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में हालात बिगड़ सकते हैं।

करीब दो महीने पहले हमास नेता इस्माइल हनिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या हुई थी। जिसके बाद बीती 28 सितंबर को हिज़्बुल्लाह ने इसराइली हमले में अपने नेता हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की थी, उसके बाद से मध्य-पूर्व में संघर्ष और गंभीर होता जा रहा है। इजराइल हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर लेबनान में हमले जारी रखे हुए है और अब उसने हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर ज़मीन से सैन्य कार्रवाई भी शुरू कर दी है। हनिया की मौत के बाद ईरान ने फौरन कोई सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन एक अक्तूबर के ईरान के मिसाइल हमलों ने मध्य-पूर्व के इस संघर्ष को बढ़ा दिया है। इस बढ़ते संघर्ष पर अरब मुल्क़ के साथ ही दुनियाभर के कई देश स्पष्ट तौर पर बँटे हुए नज़र आ रहे हैं

अब जबकि जंग एक नया रूप अख्तियार करने की राह पर है, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर मिडिल ईस्ट की इस जंग में कौन, किसके साथ खड़ा है?

इजराइल के खिलाफ इस्लामिक देशों को एकजुट करने के लिए ईरान ने पहले ही इन मुल्कों से इसराइल से व्यापार खत्म करने की अपील की थी। दूसरी तरफ अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश इसराइल के साथ खड़े हैं और इस युद्ध में उसकी मदद कर रहे हैं।

13 खाड़ी देश का रुख

मिडिल ईस्ट में कुल 18 देश हैं, इनमें से 13 अरब दुनिया का हिस्सा हैं। जानते हैं कि ईरान-इजरायल और लेबनान की जंग में इन 13 खाड़ी देश का रुख क्या है?

बहरीन: बहरीन ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस तरफ है। हालांकि इस देश के कुछ दल ईरान का समर्थन कर रहे हैं, इस देश ने 2020 से अपने संबध इजरायल से ठीक कर लिए थे।

ईरान: ईरान पूरी तरह से लेबनान के साथ खड़ा और हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत का बदले लेने के लिए इजरायल पर मंगलवार को 180 से ज्यादा मिसाइलें दागीं।

इराक: फिलहाल इस जंग से बाहर है, ईरान से इसकी दुश्मनी सभी जानते हैं, ईरान के इजरायल पर हमले का जश्न यहां भी लोगों ने मनाया।ईरानी समर्थित संगठनों ने इस हमले का समर्थन किया है। ईरान की मिसाइल सीरिया और इराक की हवाई सीमा को क्रॉस करके इजरायल में गिरीं।

फिलीस्तीन: 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमले किए थे। इसके बाद से इजरायल लगातार फिलिस्तीन और गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों को निशाना बना रहा है। हमास के समर्थन में ही लेबनानी संगठन हिजबुल्लाह इजरायल से जंग कर रहा है।

जॉर्डन: जॉर्डन ने खुद को इस जंग से अलग रखा हुआ है। जॉर्डन पीएम ने कहा है कि वो अपने देश को युद्ध का मैदान नहीं बनने देंगे। अरब मुल्क जॉर्डन की सीमा वेस्ट बैंक से मिलती है और यहां फिलिस्तीनी शरणार्थियों की बड़ी संख्या रहती है। इजराइल जब बना तो इस क्षेत्र की एक बड़ी आबादी भागकर जॉर्डन आ गई थी।

कुवैत: कुवैत ने कहा कि उसने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है। कुवैत ने यूएन में नेतनयाहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था।

लेबनान: इजराइल से सीधी जंग लड़ रहा है।

ओमान: इजराइल का विरोध करता रहा है। इसकी दोस्ती ईरान से भी है और यूएस से भी। शांति की अपील कर रहा है।

कतर: नसरल्लाह की मौत पर खामोश हैं, अभी तक कोई बयान नहीं दिया गया। हालांकि इस देश ने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है।

सऊदी अरब: सऊदी अरब ने भी खुद को जंग से दूर रखा है. सऊदी द्वारा इजराइल की निंदा तो की गई, लेकिन अभी तक किसी के साथ खुलकर नहीं आया है. यूएन में नेतन्याहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था.

सीरिया: इजराइल के खिलाफ रहा है, जंग लड़ता रहा है। इजरायल ने सीरिया में भी हमले किए हैं।

यूएई: नसरल्लाह की मौत पर खामोश है। कुछ भी नहीं बोल रहा है। इस देश ने 2020 से अपने संबध इजराइल से ठीक कर लिए थे।

यमन: इजरायल ने यमन में भी कई ठिकानों पर बमबारी की है।

अमेरिका और पश्चिमी देश

ये बात नई नहीं है कि फिलिस्तीन और इजराइल के संघर्ष में ज्यादातर पश्चिमी देशों का झुकाव इजराइल की तरफ रहा है। अब ईरान की बात करें तो इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान से पश्चिमी देशों ने दूरी बना ली है। अमेरिका के साथ साथ कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली आदि खुले तौर पर इजराइल के साथ हैं और अगर ईरान इजराइल पर हमला करता है, तो ये इजराइल को सैन्य मदद भी दे सकते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन ने पहले ही अपनी मौजूदगी मध्य पूर्व में बढ़ा दी है।

चीन-रूस किस तरफ जाएंगे?

इस पूरे तनाव के बीच दुनिया की नजरें चीन और रूस पर बनी हुई है। पिछले कुछ सालों में ईरान की चीन और रूस के साथ करीबी बढ़ी है। रूस और चीन के इजराइल के साथ सामान्य रिश्ते हैं, लेकिन चीन गाजा युद्ध के दौरान इजराइल के हमलों की निंदा करता रहा है और कुछ खबरों के मुताबिक वे हमास के नेताओं से भी संपर्क में है।

क्या होगा भारत का रूख?

इजराइल-ईरान संघर्ष के बीच भारत ने दोनों देश में रह रहे पने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है। भारत इस मुद्दे पर शांतिपूर्ण समझौते के पक्ष में रहा है। हालांकि भारत ने साल 1988 में फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। लेकिन हाल के वर्षों में मध्य-पूर्व के हालात पर भारत किसी एक पक्ष की तरफ स्पष्ट तौर पर झुका नज़र नहीं आता है। पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजराइल के ख़िलाफ लाए गए एक प्रस्ताव में एक साल के अंदर गाजा और वेस्ट बैंक में इजराइली कब्ज़े को ख़त्म करने की बात कही गई थी।

‘इजरायल के पहुंच से परे कोई जगह नहीं’: हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद नेतन्याहू की ईरान को चेतावनी

#netanyahuwarnsiranafterisraelkilledhassan_nasrallah

Israel's Prime Minister Benjamin Netanyahu (REUTERS)

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शनिवार को कहा कि “ईरान या मध्य पूर्व में ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां इजरायल की लंबी भुजाएं नहीं पहुंच सकतीं,” उन्होंने इजरायली सशस्त्र बलों द्वारा हवाई हमले में हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की लक्षित हत्या को लेकर ईरान को उनके देश पर हमला करने के किसी भी प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी।

नेतन्याहू ने कहा, “अगर कोई आपको मारने के लिए उठता है, तो पहले उसे मार दें। कल, इजरायल राज्य ने कट्टर हत्यारे हसन नसरल्लाह को मार डाला,” उन्होंने कहा कि इजरायल ने “अनगिनत” इजरायलियों और अमेरिका और फ्रांस सहित अन्य देशों के नागरिकों की हत्या में कथित भूमिका के लिए हिजबुल्लाह प्रमुख के साथ “हिसाब-किताब चुकाया” है। उन्होंने नसरल्लाह को “सिर्फ एक और आतंकवादी” नहीं बल्कि “आतंकवादी” कहा और पश्चिम एशिया में “ईरान की बुराई की धुरी का मुख्य इंजन” भी कहा। नेतन्याहू ने यह भी आरोप लगाया कि नसरल्लाह ईरान के अयातुल्ला शासन की इजरायल को "नष्ट" करने की योजना के मुख्य वास्तुकारों में से एक थे।

पश्चिम एशिया में इस्लामी शासन और उसके सहयोगियों को जनविरोधी के रूप में चित्रित करने के प्रयास में, नेतन्याहू ने कहा, "वे सभी जो बुराई की धुरी का विरोध करते हैं, वे सभी जो लेबनान, सीरिया, ईरान और अन्य स्थानों पर ईरान और उसके समर्थकों की हिंसक तानाशाही के तहत लड़ रहे हैं, वे सभी आज आशा से भरे हुए हैं। मैं उन देशों के नागरिकों से कहता हूं: इजरायल आपके साथ खड़ा है और अयातुल्ला शासन से मैं कहता हूं: जो हम पर हमला करते हैं, हम उन पर हमला करते हैं। ईरान या मध्य पूर्व में ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ इजरायल का लंबा हाथ न पहुँच सके। आज, आप पहले से ही जानते हैं कि यह सही है"।

नसरल्लाह को क्यों मारा जाए?

नेतन्याहू ने तर्क दिया कि नसरल्लाह को खत्म करना इजरायली नागरिकों को लेबनान के साथ देश की उत्तरी सीमा पर अपने घरों में वापस लाने और आने वाले "वर्षों" के लिए क्षेत्र में "शक्ति संतुलन" को बदलने के लिए आवश्यक था।

इजरायली प्रधानमंत्री ने अपने नागरिकों की “रक्षा” करने और सभी बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए अपने देश की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “हम अपने दुश्मनों पर हमला जारी रखने, अपने निवासियों को उनके घरों में वापस भेजने और अपने सभी बंधकों को वापस भेजने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। हम उन्हें एक पल के लिए भी नहीं भूलते।”

जब तक नसरल्लाह जीवित थे, उन्होंने हिजबुल्लाह से छीनी गई क्षमताओं को जल्दी से फिर से बनाया होता। उनके खात्मे से हमारे निवासियों की उत्तर में उनके घरों में वापसी की संभावना बढ़ेगी। इससे दक्षिण में हमारे बंधकों की वापसी की संभावना भी बढ़ेगी,” नेतन्याहू ने इजरायली सशस्त्र बलों और खुफिया एजेंसियों को उनकी “महान उपलब्धियों” के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा।

भारत ने इजराइल के साथ निभाई दोस्ती! यूएनजीए में फिलिस्तीन से जुड़े प्रस्ताव पर वोटिंग में नहीं लिया हिस्सा

#indiaabstainsfromungaisraelpalestinianresolution

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में फिलिस्तीन से जुड़े प्रस्ताव पर वोटिंग से किनारा कर लिया। इस प्रस्ताव में मांग की गई थी कि इजराइल ने फिलिस्तीन के क्षेत्र में जो अवैध कब्जा किया है, उसे जल्द से जल्द हटाए और वो भी बिना किसी देरी के 12 महीने के अंदर। इस प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग नहीं किया।

भारत का कहना है कि हम बातचीत और कूटनीति के जरिए विवाद को सुलझाने के समर्थक हैं। भारत ने कहा कि हमें विभाजन बढ़ाने के बजाय मतभेद मिटाने की दिशा में काम करना चाहिए। 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुधवार को फिलिस्तीन पर प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव में मांग की गई है कि इजराइल को कब्जाए गए फिलिस्तीन के इलाकों को 12 महीनों में खाली कर देना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में पेश किए गए प्रस्ताव के पक्ष में 124 देशों ने मतदान किया। वहीं 14 देशों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया। 43 देश वोटिंग से दूर रहे, जिनमें भारत भी शामिल है।

इन देशों ने मतदान से बनाई दूरी

मतदान में जिन देशों ने भाग नहीं लिया, उनमें भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, इटली, नेपाल, यूक्रेन और ब्रिटेन शामिल हैं। वहीं इजराइल और अमेरिका ने प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने इजराइल-फिलिस्तीन विवाद की शांतिपूर्ण, न्यायपूर्ण और स्थानीय समाधान की वकालत की और दोहराया कि प्रत्यक्ष और सार्थक बातचीत के जरिए ही दोनों देशों के बीच दो राज्य समाधान ही स्थायी शांति ला सकता है।

फिलिस्तीन के प्रस्ताव में क्या?

फिलिस्तीन की ओर से तैयार प्रस्ताव में इजराइल सरकार की ओर से संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रासंगिक प्रस्तावों के तहत अपने दायित्वों की अवहेलना किए जाने की भी कड़ी निंदा की गई। इस बात पर जोर दिया गया कि ऐसे उल्लंघनों से क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को गंभीर खतरा है। इसमें कहा गया है कि इजराइल को कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून के किसी भी उल्लंघन के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

हिज़्बुल्लाह ने इजराइल पर 320 रॉकेट दागे जाने का किया दावा, तेल अवीव ने दक्षिणी लेबनान में शुरू किए हवाई हमले

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Pictures of blast in Israel

ईरान समर्थित समूह हिजबुल्लाह ने रविवार को कहा कि शेष मध्य पूर्व संभावित रूप से एक और युद्ध के कगार पर पहुंच सकता है, उसने 11 इजरायली सैन्य स्थलों पर 320 कत्यूषा रॉकेट दागे। इज़राइल ने कहा कि उसने समूह के हमले को विफल करने के लिए दक्षिणी लेबनान में हवाई हमले शुरू किए हैं।

लेबनानी आतंकवादी समूह ने कहा कि उसने बेरूत में अपने एक कमांडर की हत्या के प्रतिशोध में इज़राइल पर ड्रोन हमले किए थे।

समूह ने कहा कि हमला "एक गुणात्मक इजरायली सैन्य लक्ष्य को लक्षित कर रहा था जिसकी घोषणा बाद में की जाएगी" और साथ ही "कई दुश्मन साइटों और बैरकों और आयरन डोम प्लेटफार्मों को लक्षित किया गया।"

ये हमले समूह के एक शीर्ष कमांडर फौद शुकुर की हत्या के जवाब में थे

इससे पहले रविवार को, इजरायली सेना ने लेबनान में हिजबुल्लाह साइटों पर अपने पूर्वव्यापी हमलों की घोषणा करते हुए कहा था कि आतंकवादी समूह हमले की तैयारी कर रहा था। सेना ने कहा कि हिजबुल्लाह इजरायल की ओर रॉकेट और मिसाइलों की भारी बमबारी शुरू करने की योजना बना रहा था। ईरान समर्थित समूह पिछले महीने के अंत में इज़राइल द्वारा एक शीर्ष कमांडर की हत्या का बदला लेने का वादा कर रहा था।

इन खतरों को दूर करने के लिए एक आत्मरक्षा कार्रवाई में, (इजरायली सेना) लेबनान में आतंकी ठिकानों पर हमला कर रही है, जहां से हिजबुल्लाह इजरायली नागरिकों पर अपने हमले शुरू करने की योजना बना रहा था। हम देख सकते हैं कि हिज़्बुल्लाह लेबनानी नागरिकों को खतरे में डालते हुए इज़राइल पर एक व्यापक हमला करने की तैयारी कर रहा है,'' उन्होंने विवरण दिए बिना कहा। हम उन क्षेत्रों में स्थित नागरिकों को चेतावनी देते हैं कि अपनी सुरक्षा के लिए जहां हिज़्बुल्लाह नुकसान कर रहा है वहां रास्ते से तुरंत हट जाएं , ”इजरायल के सैन्य प्रवक्ता, रियर एडमिरल डैनियल हागारी ने रविवार को कहा।

कई समाचार एजेंसियों के अनुसार, उत्तरी इज़राइल में हवाई हमले के सायरन बजाए गए। देश के बेन-गुरियन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे ने भी एहतियात के तौर पर उड़ानों को डायवर्ट किया। इसके तुरंत बाद हिजबुल्लाह ने अपने हमले की घोषणा कर दी। 

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस मामले पर कैबिनेट बैठक में हिस्सा लेंगे। यह हमला गाजा में इजरायल-हमास युद्ध को समाप्त करने के लिए नए दौर की वार्ता से पहले हुआ। हिजबुल्लाह ने कहा है कि अगर संघर्ष विराम होता है तो वह लड़ाई रोक देगा।

हमास चीफ इस्माइल हानिया के साथ एक और शख्स की हत्या, इजरायल ने अपने इस दुश्मन को मार गिराने का किया दावा

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इजरायल ने ईरान में घुसकर हमास चीफ इस्माइल हानिया को मार गिराया है। हालांकि, इसको लेकर इजराइल की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। मगर शक की सुई इजरायल पर ही टिकी है। दरअसल, बेंजामिन नेतन्याहू ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए हमले के बाद से ही हमास चीफ इस्माइल हानिया और हमास के अन्य नेताओं को मारने की कसम खाई थी। इसी बीच इजरायल ने अपने एक और दुश्मन के मारे जाने का दावा किया है। इजराइल की सेना ने हिजबुल्‍लाह के कमांडर फउद शुकर को मार गिराने का दावा किया है। इजरायल की सेना ने कहा कि उसके लड़ाकू विमानों ने मंगलवार को बेरूत इलाके में फउद शुकर को खत्म कर दिया है।

शुकर को गोलान हाइट्स पर रॉकेट हमले के लिए जिम्मेदार माना जा रहा था। लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह ने इजरायल के गोलन हाइट्स इलाके में शनिवार को एक फुटबॉल ग्राउंड पर रॉकेट दागे थे। इस हमले में 12 बच्चों की मौत हो गई थी, जिसका बदला लेने के लिए ही इजरायल की सेना ने लेबनान की राजधानी बेरूत पर हवाई हमले किए। इजराइल की सेना के निशाने पर हिजबुल्लाह का कमांडर फुआद शुकर था। इजराइली की सेना ने कहा कि यह हमला गोलान में 12 युवाओं की मौत की मौत के साथ-साथ अन्य हमलों में कई इजराइली नागरिकों की मौत के लिए जिम्मेदार आतंकी कमांडर के ठिकाने को निशाना बनाकर किया गया।

लंबे समय से इजराइल-अमेरिका को थी शुकर की तलाश

इजरायल के खिलाफ कई बड़े हमलों को अंजाम देने वाले फउद शुकर की तलाश काफी समय से इजराइय और अमेरिका को थी। पिछले कई दशकों से इसकी तलाश जारी थी। बता दें कि हिजबुल्लाह के लिए रणनीति बनाने और उसे अंजाम देने के लिए ये काम करता था। फउद शुकर पर 40 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया गया था। इनाम की राशि के जरिए आप हिंजबुल्लाह के कमांडर के कद का अंदाजा लगा सकते हैं। इस बीच इजरायली सेना की तरफ से दावा किया गया है कि उन्होंने कई मासूमों की मौत का बदला ले लिया है और फउद शुकर को मार गिराया है। 

कई हमलों का रह चुका है मास्टरमाइंड

बता दें कि फउद शुकर को मार गिराने के लिए उजरायल ने लेबनान की राजधानी बेरूत पर कई हवाई हमले किए। फउद शुकर को हिजबुल्ला नेता हसन नसरल्लाह का करीबी और भरोसेमंद माना जाता है। साल 2016 में सीरिया में वरिष्ठ हिजबुल्लाह कमांडर की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद फउद शुकर ने उनकी जगह ली थी। साल 1983 में बेरूत की एक बैरक में हमला किया गया था। यह हमला जहां हुआ, वहां फ्रांस और अमेरिका के सैनिक तैनात थे। 

बता दें कि फउद शुकर के अलाव इजरायल ने आज हमास के मुखिया इस्माइल हानिया को भी मार गिराया है। हमास पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हानिया को ईरान में घुसकर मार गिराया है।