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रुझानों में पलटी बाजी, हरियाणा में बड़ा उलटफेर, बीजेपी ने बनाई बढ़त, कांग्रेस पीछे

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हरियाणा में वोटों की गिनती की जा रही है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के रुझान आने शुरू हो गए हैं। हालांकि आगे-पीछे होने का सिलसिला जारी। शुरूआती रूझानों में कांग्रेस बहुमत की सरकार बनाती दिख रही थी। हालांकि कुछ ही मिनटों बाजी पलटती दिख रही है।

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने वापसी कर ली है। बीजेपी 45 सीटों पर आगे चल रही है। जबकि कांग्रेस 38 सीटों पर आगे चल रही है। जबकि अन्य 5 सीटों पर आगे चल रहा है।

वोटों की गिनती शुरू होने के बाद पहली बार बीजेपी ने रुझानों में बढ़त बना ली है।चुनाव आयोग के डेटा के अनुसार बीजेपी अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस से आगे चल रही है।

हरियाणा में लौट रही कांग्रेस सरकार! अब बढ़ेगा सिरदर्द, कौन बनेगा सीएम- हुड्डा, सैलजा या सुरजेवाला

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हरियाणा में लोगों ने हाथ का साथ दिया है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर अब धीरे-धीरे साफ होती हुई दिख रही है। शुरुआती रुझानों से ही कांग्रेस पार्टी ने बढ़त बना रखी है। हरियाणा में शुरुआती रुझानों में कांग्रेस की आंधी दिखाई दे रही है। रूझानों की मानें तो कांग्रेस की प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बन रही है। कांग्रेस 10 साल के बाद हरियाणा में वापसी कर रही है। ये कांग्रेस खेमे में बहुत बड़ी जश्न की बात है, हालांकि इसके साथ भी बड़ा सिरदर्द शुरू होने वाला है। सिरदर्द होगा सीएम के सवाल पर। जी हां, सवाल है कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री कौन होगा?

हरियामा में सीएम के कई दावेदार हैं, जो पार्टी आलाकमान की सिरदर्दी बड़ा सकते हैं। इस पद के दोनों प्रमुख दावेदारों भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा ने सोमवार को स्पष्ट किया कि अंतिम फैसला आलाकमान को करना है। हुड्डा और सैलजा ने यह भी कहा कि कांग्रेस आलाकमान का फैसला उन्हें मंजूर होगा।

ये हैं प्रमुख दावेदार

भूपेंद्र सिंह हुड्डा: हरियाणा में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री की रेस में कई नेताओं का नाम चल रहा है। सबसे पहला नाम है भूपेंद्र सिंह हुड्डा का है, जो 10 साल तक हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के लिए जमकर प्रचार किया था। इस दौरान 10 में से पांच सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।

कुमारी सैलजा: दूसरा नाम इस लिस्ट में कुमारी सैलजा का है, जो एक दलित चेहरा हैं। वह वर्तमान में सिरसा लोकसभा सीट से सांसद हैं और उनका नाम भी सीएम की रेस में शामिल है। उनकी गांधी परिवार से नजदीकी भी जगजाहिर है। वह हरियाणा की प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।

रणदीप सिंह सुरेजवाला: चौथा नाम रणदीप सिंह सुरजेवाला का है। राज्यसभा सांसद और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी नाम सीएम पद की रेस में शामिल है। इसके अलावा हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदय भान के नाम की भी अटकलें लगाई जा रही हैं। बताया जा रहा है कि अगर पार्टी किसी दलित चेहरे के नाम पर आगे बढ़ती है, तो वह भी इस रेस में शामिल हो सकते हैं। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर शनिवार (5 अक्टूबर) को मतदान हुआ था, जबकि नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।

हरियाणा में वोटों की गिनती शुरू, शुरुआती रुझान में कांग्रेस की धमाकेदार एंट्री

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हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना जारी है। हरियाणा के सभी 22 जिलों की 90 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला आज हो रहा है। 1031 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद है, जिसपर फैसला आज हो जाएगा। रुझानों में भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर चल रही है। 5 अक्टूबर को वोटिंग खत्म होने के बाद सामने आए एग्जिट पोल के सर्वे में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार मिलने का अनुमान जताया गया है। शुरुआती रुझानों में भाजपा ने नौ सीटों पर बढ़त बना रखी है। कांग्रेस पांच पर आगे चल रही है।

हम तीसरी बार सरकार बनाएंगे- सीएम नायब सिंह सैनी

हरियाणा के सीएम और लाडवा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार नायब सिंह सैनी ने कहा, “आज मतगणना का दिन है और मुझे पूरा विश्वास है कि पिछले दस वर्षों में बीजेपी सरकार द्वारा किए गए कार्यों के परिणामस्वरूप हम तीसरी बार हरियाणा में सरकार बनाएंगे। हमारी सरकार हरियाणा के लोगों की सेवा करती रहेगी। कांग्रेस सत्ता के लिए काम करती है, बीजेपी सेवा के लिए काम करती है।

हुड्डा परिवार जीत पर बांटेगा लड्डू और जलेबी, दिया बड़ा ऑर्डर

हरियाणा चुनाव के रिजल्ट को लेकर कांग्रेस उत्साहित नजर आ रही है। उसने इसके लिए खास तैयारी की है। हुड्डा परिवार ने लड्डुओं के साथ ही जलेबी का भी ऑर्डर दिया। गोहाना के प्रसिद्ध मातूराम हलवाई जलेबी का ऑर्डर दिया गया। जीत की तरफ बढ़ने पर लड्डू के साथ रोहतक और दिल्ली में गोहाना के मातूराम हलवाई की प्रसिद्ध जलेबी बंटेगी। रिजल्ट आने के बाद एक डिब्बा जलेबी हुड्डा परिवार मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को भी भेजेगा।

जम्मू-कश्मीर में वोटो की गिनती जारी, रुझानों में भाजपा और कांग्रेस-एनसी में कांटे की टक्कर

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जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों के लिए वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है। केंद्र शासित प्रदेश में 10 साल बाद चुनाव हुए हैं।साल 2019 में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला विधानसभा चुनाव है।

सुबह 8 बजते ही वोटों की गिनती शुरू हो गई और शुरुआती रुझान आने लगे। अभी कांग्रेस-एनसी गठबंधन और भाजपा में कड़ा मुकाबला दिख रहा है।

अभी तक जम्मू-कश्मीर में 40 सीटों के रुझान सामने आ गए हैं। कांग्रेस-एनसी गठबंधन जहां 18 तो भाजपा 15 सीटों पर आगे है। अन्य 5 सीटों पर लीड कर रहा है। वहीं, महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी का भी खाता खुल गया है। रुझानों में पीडीपी दो सीटों पर लीड कर रही है।

रुझान में हरियाणा में कांग्रेस को बहुमत, मुरझाया “कमल”

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हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है। शुरुआती रुझानों में हरियाणा में कांग्रेस ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। रूझानों के अनुसार, शुरुआती रुझानों में हरियाणा में कांग्रेस को बहुमत मिल गया है। कांग्रेस 49 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं भाजपा ने 21 और अन्य 9 सीटों पर आगे चल रही हैं।

रणदीप सुरजेवाला के घर कैथल में कार्यकर्ता जोश में। स्क्रीन पर रिजल्ट देख रहे हैं और तालियां बजा कर जश्न मना रहे हैं। कैथल विधानसभा सीट से रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला आगे चल रहे हैं। वहीं कुरुक्षेत्र की तीन सीटों पर कांग्रेस आगे चल रही है।

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नततीजों पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “हमें पूरा भरोसा है कि आज पूरे दिन हमें लड्डू और जलेबी खाने को मिलेगी, हम प्रधानमंत्री मोदी को भी जलेबी भेजने वाले हैं। हमें पूरा भरोसा है कि हम जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं।”

कौन-कहां से आगे

• अंबाला कैंट से बीजेपी उम्मीदवार अनिल विज पिछड़ गए हैं.

• ऐलानाबाद से अजय चौटाला आगे चल रहे हैं.

• आदमपुर सीट भव्य विश्नोई आगे हैं.

• फरीदा बाद से लखन सिंगला आगे

• अटेली से बीजेपी की आरती सिंह आगे

• भूपेंद्र सिंह हुड्डा आगे चल रहे हैं.

• कुरुक्षेत्र की तीन सीट से कांग्रेस आगे

• सीएम नायब सैनी लाडवा से पीछे हो गए है.

• हिसार से निर्दलीय प्रत्याशी सावित्री जिंदल आगे चल रही हैं.

• उचाना से दुष्यंत चौटाला पीछे चल रहे हैं.

हरियाणा में हैट्रिक से चूकी बीजेपी! क्या किसानों-जवानों-पहलवानों की नारजगी का असर*
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हरियाणा के चुनाव नतीजे आने में बस 24 घंटे रह गए हैं। राज्य में 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे। इससे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को सभी 90 सीटों पर वोटिंग हुई।वोटिंग के बाद एग्जिट पोल के नतीजे भी सामने आ गए हैं। एग्जिट पोल्स ने हरियाणा में कांग्रेस की बड़ी जीत का अनुमान लगाया है। किसी भी सर्वे में बीजेपी बढ़त बनाते हुए नहीं दिखी। एग्जिट पोल के अनुसार हरियाणा में बीजेपी सत्ता से बाहर जाती दिख रही है। एग्जिट पोल के अनुसार प्रदेश में 10 साल बाद कांग्रेस दमदार वापसी करती दिख रही है। सी-वोटर, मैट्रीज, जीस्ट, ध्रुव, दैनिक भास्कर और पी-मार्कयू एग्जिट पोल में कांग्रेस आसानी से बहुमत हासिल करती नजर आ रही है। पोल ऑफ पोल में कांग्रेस को 54 सीट, बीजेपी को 26, जेजेपी और आईएनएलडी को एक-एक सीट मिलती दिख रही है। ऐसे में सवाल है आखिर बीजेपी प्रदेश में सत्ता की हैट्रिक लगाने से कहां चूक गई। राजनीति के जानकारों की मानें तो भाजपा को इस चुनाव में किसान, जवान, पहलवान जैसे मुद्दों की वजह से नुकसान हुआ। किसान आंदोलन की वजह से किसान भाजपा से नाराज थे। पहलवाल के साथ हुए विवाद का भी खासा असर पड़ा और अग्निवीर योजना भी भाजपा के गले की फांस बन गई। *किसानों- जाटों की नाराजगी पड़ी भारी* किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी का रुख और केंद्र सरकार का रवैया बीजेपी की हार की अहम वजह में से एक है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार किसानों के मुद्दे पर सरकार बुरी तरह से असफल रही। जानकारों के अनुसार बीजेपी ने किसानों के आंदोलन को बिल्कुल असंवेदनशील तरीके से दबाने की कोशिश की। तीन कृषि कानूनों को लेकर राज्य के किसानों ने उसी तरह की नाराजगी दिखाई थी, जैसी पंजाब के किसानों ने। ध्यान देने लायक है कि किसान आंदोलन के दौरान राज्य के मंत्रियों को कई जगहों पर किसानों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था। पंजाब की ही तरह यहां किसान परिवारों की संख्या अच्छी भली है। किसान भी ऐसे हैं जिनके लिए खेती आमदनी का अहम जरिया है। इसके अलावा पार्टी को जाटों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव में इसकी झलक दिख गई थी। इसके बावजूद पार्टी की तरफ से इससे निपटने के प्रयास नाकाफी साबित हुए। किसानों में जाट वोटरों की संख्या भी ठीक ठाक है। हरियाणा में जाट बीजेपी के स्वाभाविक वोटर भी नहीं रहे हैं। *अग्निवीर पर आक्रोश* किसानों की इस नाराजगी को सेना में नियमित भर्ती की जगह अग्निवीर योजना से और हवा मिली। हरियाणा वो राज्य है जिसकी देश की आबादी में हिस्सेदारी महज 2 फीसदी के आस-पास है। जबकि सेना में इसकी हिस्सेदारी 5 फीसदी से कुछ ज्यादा होती है। राज्य की आबादी के हिसाब से ये बहुत बड़ी और प्रभावी संख्या है। अग्निवीर की व्यवस्था लागू होने किए जाने के केंद्र के फैसले से जो राज्य सबसे ज्यादा नाराज हुए हैं उनमें हरियाणा प्रमुख है। हरियाणा के युवाओं को ये बात गले से नहीं उतरती कि पांच साल की सेवा के बाद रिटायर अग्निवीर को सरकार ने पैरामिलिट्री और दूसरी जगहों पर नौकरियां देने का वायदा कर रखा है। *पहलवानों का दाव* राज्य के पहलवानों के साथ जिस तरह से जंतर-मंतर पर सलूक हुआ उसका असर भी चुनाव में देखने को मिला। राज्य में पहलवानों के अनदेखी बीजेपी को भारी पड़ी। साक्षी मलिक के साथ विनेश फोगाट ने उस समय के कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के विरोध में आवाज उठाई। ये मामला किसी न किसी रूप से हरियाणा के लिए बड़ा सवाल था। यही वो राज्य है जहां के पहलवान मेडल जीत कर दुनिया भर में भारत का नाम उंचा करते हैं। पेरिस ओलंपिक की घटना के बाद विनेश जब लौट कर भारत में आईं तब भी बीजेपी ने पार्टी के स्तर पर उनके आंसू पोछने का कोई ऐसा काम नहीं किया, जिससे हरियाणा के वोटरों के जख्मों पर मरहम लगाने जैसा काम किया गया हो। उल्टे विनेश और उनके साथ बजरंग पूनिया पहलवान कांग्रेस के पाले में चले गए। दोनों रेलवे की सरकारी नौकरी छोड़ कर सीधी लड़ाई में आ गए थे। कांग्रेस ने उन्हें टिकट दे कर चुनाव लड़ाया। *बागियों ने बिगाड़ा खेल* इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी का खेल बिगाड़ने में बागी भी एक फैक्टर रहे। राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के मिशन में जुटी भाजपा की टेंशन बढ़ाए रखी। बीजेपी सांसद नवीन जिंदल की मां ने पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर हिसार से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। पार्टी के दिग्गज नेता, प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और राज्य सरकार में मंत्री रह चुके रामबिलास शर्मा ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी राजीव जैन ने भी पत्नी कविता जैन का टिकट काटे जाने से नाराज होकर सोनीपत से निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया। फरीदाबाद से भाजपा के पूर्व विधायक नागेंद्र भड़ाना ने आईएनएलडी-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार के तौर चुनाव लड़ा।
सहवाग बने कांग्रेस के “खेवनहार”, हरियाणा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी अनिरुद्ध चौधरी के लिए मांगा वोट

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हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। शाम को 6 बजे चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। इस बीच कोई भी उम्मीदवार अपने प्रचार-प्रसार में कमी नहीं छोड़ना चाहता। इसी कड़ी में बुधवार को पूर्व किक्रेटर वीरेंद्र सहवाग हरियाणा के तोशाम पहुंचे। यहां उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अनिरुद्ध चौधरी के लिए वोट मांगे।

सहवाग को क्रिकेट की दुनिया में अपनी धमाकेदार बल्लेबाजी के लिए जाना जाता था। साथ ही उनकी हाजिरजवाबी का भी हर कोई कायल है। ऐसे में जब सहवाग कांग्रेस कैंडिडेट के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे तो ठेठ हरियाणी में लोगों को ध्यान खींचा।सहवाग ने कहा कि लठ गाड़ रखा, इतनी आवाज तो स्टेडियम में ना आई जितनी अड़े आण लाग री है। अब ये आवाजा अनिरुद्ध चौधरी तक भी पहुंचेगी। अर अनिरुद्ध चौधरी ने आप लेके जाओंगे विधानसभा। चंडीगढ़ बैठाओंगे। मैं तो बस अपने बुजुर्गों से, ताऊ और ताइयां ने भाई-बहणा ते और सब ते कि 5 तारीख ने जब वोट डालन जाओ तब 1 नंबर पर अनिरुद्ध चौधरी का नाम आवेगा। बटन दबा के...मान लोंगे मेरी बात। अगर तम मान गए तो बाकी सब मान गए...राम-राम भाइयों।

वीरेंद्र सहवाग का ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। जिसमें वह जनता से अनिरुद्ध चौधरी के लिए वोट मांगने की अपील करते हुए दिख रहे हैं। इस दौरान वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि वे अपना फर्ज निभाने आएं हैं। जब कोई बड़ा भाई कोई काम करता है तो सभी को मिलकर उसकी मदद करनी होती है। सहवाग ने कहा कि अनिरुद्ध चौधरी ने जनता से जो वादे किए हैं, वो उन्हें जरूर पूरा करेंगे, क्योंकि उनके पास एडमिनिस्ट्रेशन चलाने का एक्सपीरियंस है।

तोशाम सीट पर भाई-बहन के बीच मुकाबला

बता दें कि तोशाम सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी और पोते अनिरुद्ध चौधरी के बीच मुकाबला है। श्रुति चौधरी, अनिरुद्ध चौधरी की चचेरी बहन हैं। श्रुति, किरण चौधरी की बेटी हैं तो वहीं अनिरुद्ध चौधरी बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष रणवीर सिंह महेंद्रा के बेटे हैं। इससे पहले श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद रह चुकी हैं।

*हरियाणा चुनाव के लिए बीजेपी ने जारी की उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट, जानें विनेश फोगाट के खिलाफ किसे उतारा

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हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है। दूसरी लिस्ट में 21 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। दूसरी लिस्ट के साथ ही बीजेपी ने हरियाणा की 90 में से 88 सीटों पर उम्मीवार घोषित कर दिए। पहली लिस्ट में 67 सीटों पर कैंडिडेट्स के ऐलान किए गए थे। हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं। सूबे में 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। 8 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी।

फोगाट के खिलाफ “खेलेंगे” योगेश बैरागी

बीजेपी ने दूसरी लिस्ट में दो मुस्लिम उम्मीदवार को भी टिकट दिया है। फिरोजपुर झिरका सीट से नसीम अहमद और पुन्हाना सीट से ऐज़ाज़ खान को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। जुलाना सीट पर कैप्टन योगेश बैरागी को बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है। यहां से कांग्रेस के टिकट पर पहलवान विनेश फोगाट मैदान में हैं। वहीं, पार्टी ने नारायणगढ़ से पवन सैनी, पेहोवा से जय भगवान, पुंडरी से सतपाल जाम्बा, असंध से योगेंद्र राणा, गनौर से देवेंद्र कौशिक, राई से कृष्णा गहलावत, बरोदा से प्रदीप सांगवान, नरवाना से कुष्ण कुमार बेदी को टिकट दिया है।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का टिकट कटा

बीजेपी ने दूसरी सूची में मौजूद प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बाडौली का टिकट काट दिया है। बडौली 2019 में सोनीपत जिले की राई सीट से जीते थे। पार्टी ने यहां से कृष्णा गहलावत को उतारा है। इसके साथ बीजेपी ने पहलवान विनेश फोगाट के उतरने से चर्चा में आई जुलाना सीट से कैप्टन योगेश बैरागी को उतारा है। पार्टी ने बड़ा उलटफेर करते हुए राज्य मंत्री संजय सिंह को सोहना की बजाए नूंह से उतार दिया है। नूंह से कांग्रेस के दिग्गज नेता आफताब अहमद विधायक है।

कांग्रेस ने जारी की 31 उम्मीदवारों की सूची, लिस्ट में 3 मुस्लिम चेहरे, नूंह दंगे के आरोपी मामन खान को भी टिकट

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हरियाणा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने लिस्ट जारी कर दी है। कांग्रेस की लिस्ट में कुल 31 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। लिस्ट में विनेश फोगाट को भी मौका मिला है। जुलाना से विनेश फोगाट भी चुनाव लड़ेंगी। तो वहीं लिस्ट में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का भी नाम शामिल है। कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में लगभग सभी सिटिंग विधायकों को मैदान में उतार दिया है। मुसलमानों के हिस्सेदारी की बात करें तो पहली लिस्ट में सिर्फ तीन मुस्लिम चेहरों को जगह मिली है।

पहली सूची पर मुहर कांग्रेस संसदीय दल की चेयरपर्सन सोनिया गांधी की मौजूदगी में सीईसी की बैठक में लगी। इसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा को एक बार फिर से पार्टी ने गढ़ी सांपला किलोई सीट से टिकट दिया है। इसके अलावा पार्टी ने पूर्व मंत्री गीता भुक्कल को झज्जर (सुरक्षित) सीट से उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने पूर्व वित्त मंत्री और लालू प्रसाद यादव के दामान चिरंजीव राव को रेवाड़ी से फिर उतारा है। इसके पार्टी ने नूंह सीट पर आफताब अहमद को टिकट दिया है।

नारायणगढ़ से कांग्रेस ने शैली चौधरी

अन्य बड़े चेहरों में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान होडल (सुरक्षित) सीट से लड़ेंगे। कांग्रेस पार्टी ने एनआईटी फरीदाबाद सीट से नीरज शर्मा को टिकट दिया है। पार्टी ने डबवाली सीट से अमित सिहाग को उतारा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी की सीट रह चुकी नारायणगढ़ से कांग्रेस ने शैली चौधरी को टिकट दिया है।

सीएम सैनी के सामने मेवा सिंह

कांग्रेस ने अपनी सूची में घोषित 32 (31+1)कैंडिडेट में लाडवा सीट मौजूदा विधायक मेवा सिंह की टिकट बरकरार रखी है। 2019 में मेवा सिंह ने बीजेपी के सिटिंग विधायक डॉ. पवन सैनी को शिकस्त दी थी। इस बार लाडवा से हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी खुद चुनाव लड़ रहे हैं। उप चुनाव में सीएम सैनी करनाल से जीते थे, लेकिन वह अब लाडवा से बीजेपी कैंडिडेट हैं।

विनेश और बजरंग पुनिया कांग्रेस के लिए इतने जरूरी क्यों हुए, क्या हरियाणा विधानसभा तुनाव में मिलेगा लाभ?

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पहलवान विनेश फोगाट कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। विनेश के साथ पहलवान बजरंग पूनिया ने भी “सियासी दंगल” में प्रवेश कर लिया। ओलंपिक में पदक से चूकने के बाद ही विनेश ने खेल से संन्यास की घोषणा कर दी थी। इसके बाद ही उनके और ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया के राजनीतिक दंगल में उतरने की अटकलें शुरू हो गई थीं। आज कांग्रेस में शामिल होने के साथ ही इस पर विराम लग गया।

दोनों खिलाड़ियों के कांग्रेस का हाथ थामने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल है कि भारत से कई खिलाड़ी ओलंपिक में गए हैं लेकिन कांग्रेस ने उनमें से केवल विनेश फोगाट और बजरंग पांजा को ही अधिक महत्व क्यों दिया? इन दोनों पहलवानों के आने से कांग्रेस को इस चुनाव में कितना फायदा मिलेगा? दूसरे शब्दों में कहें तो कांग्रेस में इन दोनों खिलाड़ियों के शामिल होने से बीजेपी को कितना झटका लगेगा?

कांग्रेस में शामिल होने के बाद विनेश ने कहा कि सड़क से संसद तक महिलाओं के लिए लड़ने वाली पार्टी में शामिल होकर वह खुश हैं। बता दें कि विनेश महिला रेसलरों के यौन उत्पीड़न के खिलाफ तत्कालीन डब्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के विरोध में लड़ाई लड़कर बीजेपी के विरोध की आवाज बन चुकी है। हरियाणा के चुनावों में वैसे तो कई मुद्दे होंगे पर विनेश फौगाट के बजरंग पूनिया ने जिस मुद्दे को लेकर सक्रिय हैं वो सभी मुद्दों पर भारी पड़ सकता है।

विनेश को ओलंपिक में सफलता मिलने के बाद जिस तरह हाथ से पदक फिसल गए उससे आम लोगों में उनको लेकर जबरदस्त संवेदना है। दिल्ली में कई बार विरोध प्रदर्शनों के दौरान और ओलंपिक में फाइनल नहीं खेलने दिए जाने के बाद से विनेश फोगाट को लेकर हरियाणा समेत देशभर में सहानुभूति की जबरदस्त लहर दिखाई दी थी. पेरिस से खाली हाथ मायूस होकर दिल्ली लौटीं विनेश फोगाट को देखकर कई खेलप्रेमियों के आंसू छलक पड़े थे. इसके बाद टीवी, रेडियो, अखबारों और सोशल मीडिया में विनेश फोगाट की तस्वीरों की लहर चल पड़ी. ज्यादातर तस्वीरों में उनके साथ बजरंग पूनिया भी दिखे थे। विनेश के राजनीतिक अखाड़े में उतरने से जाहिर है कि ब्रजभूषण शरण सिंह विवाद की फिर से हर गली चौक चौबारे पर चर्चा होगी। जो चुनाव परिणाम के लिए गेमचेंजर भी साबित हो सकता है।जो मौजूदा सरकार के खिलाफ किसानों की नाराजगी, जाटों की नाराजगी आदि को और बल प्रदान करेगा।

महिला, खिलाड़ियों, युवाओं को संदेश

राजनीति के जानकारों का मानना है कि विनेश के कांग्रेस में आने से महिला वोटरों खासकर युवा लड़कियों को भी कांग्रेस की तरफ से एक संदेश जाएगा। पार्टी विनेश और बजरंग के जरिये जाट वोटरों में मजबूती के साथ ही महिलाओं के अलावा युवाओं और खिलाड़ियों को भी अपने पाले में लाने में कामयाब होती दिख रही है। इसका असर चुनाव पर दिखना स्वाभाविक है।

राजनीति में असरदार जाट बिरादरी का मिलेगा साथ!

पिछले साल पहलवानों के विरोध प्रदर्शन का असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला था। बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था। एनडीए और कांग्रेस दोनों को 5-5 सीटों पर जीत मिली थी। हरियाणा की राजनीति में जाटों की अहम भूमिका है। जाटों की आबादी 22 फीसदी से अधिका है। विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया दोनों हरियाणा की राजनीति में असरदार जाट बिरादरी से संबंध रखते हैं। हरियाणा में रोहतक, सोनीपत, हिसार, भिवानी, जींद, कैथल, चरखी दादरी और सिरसा तक जाट समुदाय ही कई विधानसभा सीटों पर जीत-हार का फैसला करता है। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से इन इलाकों की 36 विधानसभा सीटों पर जाट वोटर्स निर्णायक साबित होते हैं। इसलिए कांग्रेस ने हुड्डा परिवार की पैरवी, सहानुभूति लहर और जाट समुदाय के वोटों की उम्मीद में विनेश फोगाट के पक्ष में दांव लगाया है।

रुझानों में पलटी बाजी, हरियाणा में बड़ा उलटफेर, बीजेपी ने बनाई बढ़त, कांग्रेस पीछे

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हरियाणा में वोटों की गिनती की जा रही है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के रुझान आने शुरू हो गए हैं। हालांकि आगे-पीछे होने का सिलसिला जारी। शुरूआती रूझानों में कांग्रेस बहुमत की सरकार बनाती दिख रही थी। हालांकि कुछ ही मिनटों बाजी पलटती दिख रही है।

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने वापसी कर ली है। बीजेपी 45 सीटों पर आगे चल रही है। जबकि कांग्रेस 38 सीटों पर आगे चल रही है। जबकि अन्य 5 सीटों पर आगे चल रहा है।

वोटों की गिनती शुरू होने के बाद पहली बार बीजेपी ने रुझानों में बढ़त बना ली है।चुनाव आयोग के डेटा के अनुसार बीजेपी अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस से आगे चल रही है।

हरियाणा में लौट रही कांग्रेस सरकार! अब बढ़ेगा सिरदर्द, कौन बनेगा सीएम- हुड्डा, सैलजा या सुरजेवाला

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हरियाणा में लोगों ने हाथ का साथ दिया है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर अब धीरे-धीरे साफ होती हुई दिख रही है। शुरुआती रुझानों से ही कांग्रेस पार्टी ने बढ़त बना रखी है। हरियाणा में शुरुआती रुझानों में कांग्रेस की आंधी दिखाई दे रही है। रूझानों की मानें तो कांग्रेस की प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बन रही है। कांग्रेस 10 साल के बाद हरियाणा में वापसी कर रही है। ये कांग्रेस खेमे में बहुत बड़ी जश्न की बात है, हालांकि इसके साथ भी बड़ा सिरदर्द शुरू होने वाला है। सिरदर्द होगा सीएम के सवाल पर। जी हां, सवाल है कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री कौन होगा?

हरियामा में सीएम के कई दावेदार हैं, जो पार्टी आलाकमान की सिरदर्दी बड़ा सकते हैं। इस पद के दोनों प्रमुख दावेदारों भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा ने सोमवार को स्पष्ट किया कि अंतिम फैसला आलाकमान को करना है। हुड्डा और सैलजा ने यह भी कहा कि कांग्रेस आलाकमान का फैसला उन्हें मंजूर होगा।

ये हैं प्रमुख दावेदार

भूपेंद्र सिंह हुड्डा: हरियाणा में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री की रेस में कई नेताओं का नाम चल रहा है। सबसे पहला नाम है भूपेंद्र सिंह हुड्डा का है, जो 10 साल तक हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के लिए जमकर प्रचार किया था। इस दौरान 10 में से पांच सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।

कुमारी सैलजा: दूसरा नाम इस लिस्ट में कुमारी सैलजा का है, जो एक दलित चेहरा हैं। वह वर्तमान में सिरसा लोकसभा सीट से सांसद हैं और उनका नाम भी सीएम की रेस में शामिल है। उनकी गांधी परिवार से नजदीकी भी जगजाहिर है। वह हरियाणा की प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।

रणदीप सिंह सुरेजवाला: चौथा नाम रणदीप सिंह सुरजेवाला का है। राज्यसभा सांसद और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी नाम सीएम पद की रेस में शामिल है। इसके अलावा हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदय भान के नाम की भी अटकलें लगाई जा रही हैं। बताया जा रहा है कि अगर पार्टी किसी दलित चेहरे के नाम पर आगे बढ़ती है, तो वह भी इस रेस में शामिल हो सकते हैं। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर शनिवार (5 अक्टूबर) को मतदान हुआ था, जबकि नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।

हरियाणा में वोटों की गिनती शुरू, शुरुआती रुझान में कांग्रेस की धमाकेदार एंट्री

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हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना जारी है। हरियाणा के सभी 22 जिलों की 90 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला आज हो रहा है। 1031 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद है, जिसपर फैसला आज हो जाएगा। रुझानों में भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर चल रही है। 5 अक्टूबर को वोटिंग खत्म होने के बाद सामने आए एग्जिट पोल के सर्वे में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार मिलने का अनुमान जताया गया है। शुरुआती रुझानों में भाजपा ने नौ सीटों पर बढ़त बना रखी है। कांग्रेस पांच पर आगे चल रही है।

हम तीसरी बार सरकार बनाएंगे- सीएम नायब सिंह सैनी

हरियाणा के सीएम और लाडवा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार नायब सिंह सैनी ने कहा, “आज मतगणना का दिन है और मुझे पूरा विश्वास है कि पिछले दस वर्षों में बीजेपी सरकार द्वारा किए गए कार्यों के परिणामस्वरूप हम तीसरी बार हरियाणा में सरकार बनाएंगे। हमारी सरकार हरियाणा के लोगों की सेवा करती रहेगी। कांग्रेस सत्ता के लिए काम करती है, बीजेपी सेवा के लिए काम करती है।

हुड्डा परिवार जीत पर बांटेगा लड्डू और जलेबी, दिया बड़ा ऑर्डर

हरियाणा चुनाव के रिजल्ट को लेकर कांग्रेस उत्साहित नजर आ रही है। उसने इसके लिए खास तैयारी की है। हुड्डा परिवार ने लड्डुओं के साथ ही जलेबी का भी ऑर्डर दिया। गोहाना के प्रसिद्ध मातूराम हलवाई जलेबी का ऑर्डर दिया गया। जीत की तरफ बढ़ने पर लड्डू के साथ रोहतक और दिल्ली में गोहाना के मातूराम हलवाई की प्रसिद्ध जलेबी बंटेगी। रिजल्ट आने के बाद एक डिब्बा जलेबी हुड्डा परिवार मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को भी भेजेगा।

जम्मू-कश्मीर में वोटो की गिनती जारी, रुझानों में भाजपा और कांग्रेस-एनसी में कांटे की टक्कर

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जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों के लिए वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है। केंद्र शासित प्रदेश में 10 साल बाद चुनाव हुए हैं।साल 2019 में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला विधानसभा चुनाव है।

सुबह 8 बजते ही वोटों की गिनती शुरू हो गई और शुरुआती रुझान आने लगे। अभी कांग्रेस-एनसी गठबंधन और भाजपा में कड़ा मुकाबला दिख रहा है।

अभी तक जम्मू-कश्मीर में 40 सीटों के रुझान सामने आ गए हैं। कांग्रेस-एनसी गठबंधन जहां 18 तो भाजपा 15 सीटों पर आगे है। अन्य 5 सीटों पर लीड कर रहा है। वहीं, महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी का भी खाता खुल गया है। रुझानों में पीडीपी दो सीटों पर लीड कर रही है।

रुझान में हरियाणा में कांग्रेस को बहुमत, मुरझाया “कमल”

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हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है। शुरुआती रुझानों में हरियाणा में कांग्रेस ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। रूझानों के अनुसार, शुरुआती रुझानों में हरियाणा में कांग्रेस को बहुमत मिल गया है। कांग्रेस 49 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं भाजपा ने 21 और अन्य 9 सीटों पर आगे चल रही हैं।

रणदीप सुरजेवाला के घर कैथल में कार्यकर्ता जोश में। स्क्रीन पर रिजल्ट देख रहे हैं और तालियां बजा कर जश्न मना रहे हैं। कैथल विधानसभा सीट से रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला आगे चल रहे हैं। वहीं कुरुक्षेत्र की तीन सीटों पर कांग्रेस आगे चल रही है।

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नततीजों पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “हमें पूरा भरोसा है कि आज पूरे दिन हमें लड्डू और जलेबी खाने को मिलेगी, हम प्रधानमंत्री मोदी को भी जलेबी भेजने वाले हैं। हमें पूरा भरोसा है कि हम जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं।”

कौन-कहां से आगे

• अंबाला कैंट से बीजेपी उम्मीदवार अनिल विज पिछड़ गए हैं.

• ऐलानाबाद से अजय चौटाला आगे चल रहे हैं.

• आदमपुर सीट भव्य विश्नोई आगे हैं.

• फरीदा बाद से लखन सिंगला आगे

• अटेली से बीजेपी की आरती सिंह आगे

• भूपेंद्र सिंह हुड्डा आगे चल रहे हैं.

• कुरुक्षेत्र की तीन सीट से कांग्रेस आगे

• सीएम नायब सैनी लाडवा से पीछे हो गए है.

• हिसार से निर्दलीय प्रत्याशी सावित्री जिंदल आगे चल रही हैं.

• उचाना से दुष्यंत चौटाला पीछे चल रहे हैं.

हरियाणा में हैट्रिक से चूकी बीजेपी! क्या किसानों-जवानों-पहलवानों की नारजगी का असर*
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हरियाणा के चुनाव नतीजे आने में बस 24 घंटे रह गए हैं। राज्य में 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे। इससे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को सभी 90 सीटों पर वोटिंग हुई।वोटिंग के बाद एग्जिट पोल के नतीजे भी सामने आ गए हैं। एग्जिट पोल्स ने हरियाणा में कांग्रेस की बड़ी जीत का अनुमान लगाया है। किसी भी सर्वे में बीजेपी बढ़त बनाते हुए नहीं दिखी। एग्जिट पोल के अनुसार हरियाणा में बीजेपी सत्ता से बाहर जाती दिख रही है। एग्जिट पोल के अनुसार प्रदेश में 10 साल बाद कांग्रेस दमदार वापसी करती दिख रही है। सी-वोटर, मैट्रीज, जीस्ट, ध्रुव, दैनिक भास्कर और पी-मार्कयू एग्जिट पोल में कांग्रेस आसानी से बहुमत हासिल करती नजर आ रही है। पोल ऑफ पोल में कांग्रेस को 54 सीट, बीजेपी को 26, जेजेपी और आईएनएलडी को एक-एक सीट मिलती दिख रही है। ऐसे में सवाल है आखिर बीजेपी प्रदेश में सत्ता की हैट्रिक लगाने से कहां चूक गई। राजनीति के जानकारों की मानें तो भाजपा को इस चुनाव में किसान, जवान, पहलवान जैसे मुद्दों की वजह से नुकसान हुआ। किसान आंदोलन की वजह से किसान भाजपा से नाराज थे। पहलवाल के साथ हुए विवाद का भी खासा असर पड़ा और अग्निवीर योजना भी भाजपा के गले की फांस बन गई। *किसानों- जाटों की नाराजगी पड़ी भारी* किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी का रुख और केंद्र सरकार का रवैया बीजेपी की हार की अहम वजह में से एक है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार किसानों के मुद्दे पर सरकार बुरी तरह से असफल रही। जानकारों के अनुसार बीजेपी ने किसानों के आंदोलन को बिल्कुल असंवेदनशील तरीके से दबाने की कोशिश की। तीन कृषि कानूनों को लेकर राज्य के किसानों ने उसी तरह की नाराजगी दिखाई थी, जैसी पंजाब के किसानों ने। ध्यान देने लायक है कि किसान आंदोलन के दौरान राज्य के मंत्रियों को कई जगहों पर किसानों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था। पंजाब की ही तरह यहां किसान परिवारों की संख्या अच्छी भली है। किसान भी ऐसे हैं जिनके लिए खेती आमदनी का अहम जरिया है। इसके अलावा पार्टी को जाटों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव में इसकी झलक दिख गई थी। इसके बावजूद पार्टी की तरफ से इससे निपटने के प्रयास नाकाफी साबित हुए। किसानों में जाट वोटरों की संख्या भी ठीक ठाक है। हरियाणा में जाट बीजेपी के स्वाभाविक वोटर भी नहीं रहे हैं। *अग्निवीर पर आक्रोश* किसानों की इस नाराजगी को सेना में नियमित भर्ती की जगह अग्निवीर योजना से और हवा मिली। हरियाणा वो राज्य है जिसकी देश की आबादी में हिस्सेदारी महज 2 फीसदी के आस-पास है। जबकि सेना में इसकी हिस्सेदारी 5 फीसदी से कुछ ज्यादा होती है। राज्य की आबादी के हिसाब से ये बहुत बड़ी और प्रभावी संख्या है। अग्निवीर की व्यवस्था लागू होने किए जाने के केंद्र के फैसले से जो राज्य सबसे ज्यादा नाराज हुए हैं उनमें हरियाणा प्रमुख है। हरियाणा के युवाओं को ये बात गले से नहीं उतरती कि पांच साल की सेवा के बाद रिटायर अग्निवीर को सरकार ने पैरामिलिट्री और दूसरी जगहों पर नौकरियां देने का वायदा कर रखा है। *पहलवानों का दाव* राज्य के पहलवानों के साथ जिस तरह से जंतर-मंतर पर सलूक हुआ उसका असर भी चुनाव में देखने को मिला। राज्य में पहलवानों के अनदेखी बीजेपी को भारी पड़ी। साक्षी मलिक के साथ विनेश फोगाट ने उस समय के कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के विरोध में आवाज उठाई। ये मामला किसी न किसी रूप से हरियाणा के लिए बड़ा सवाल था। यही वो राज्य है जहां के पहलवान मेडल जीत कर दुनिया भर में भारत का नाम उंचा करते हैं। पेरिस ओलंपिक की घटना के बाद विनेश जब लौट कर भारत में आईं तब भी बीजेपी ने पार्टी के स्तर पर उनके आंसू पोछने का कोई ऐसा काम नहीं किया, जिससे हरियाणा के वोटरों के जख्मों पर मरहम लगाने जैसा काम किया गया हो। उल्टे विनेश और उनके साथ बजरंग पूनिया पहलवान कांग्रेस के पाले में चले गए। दोनों रेलवे की सरकारी नौकरी छोड़ कर सीधी लड़ाई में आ गए थे। कांग्रेस ने उन्हें टिकट दे कर चुनाव लड़ाया। *बागियों ने बिगाड़ा खेल* इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी का खेल बिगाड़ने में बागी भी एक फैक्टर रहे। राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के मिशन में जुटी भाजपा की टेंशन बढ़ाए रखी। बीजेपी सांसद नवीन जिंदल की मां ने पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर हिसार से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। पार्टी के दिग्गज नेता, प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और राज्य सरकार में मंत्री रह चुके रामबिलास शर्मा ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी राजीव जैन ने भी पत्नी कविता जैन का टिकट काटे जाने से नाराज होकर सोनीपत से निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया। फरीदाबाद से भाजपा के पूर्व विधायक नागेंद्र भड़ाना ने आईएनएलडी-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार के तौर चुनाव लड़ा।
सहवाग बने कांग्रेस के “खेवनहार”, हरियाणा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी अनिरुद्ध चौधरी के लिए मांगा वोट

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हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। शाम को 6 बजे चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। इस बीच कोई भी उम्मीदवार अपने प्रचार-प्रसार में कमी नहीं छोड़ना चाहता। इसी कड़ी में बुधवार को पूर्व किक्रेटर वीरेंद्र सहवाग हरियाणा के तोशाम पहुंचे। यहां उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अनिरुद्ध चौधरी के लिए वोट मांगे।

सहवाग को क्रिकेट की दुनिया में अपनी धमाकेदार बल्लेबाजी के लिए जाना जाता था। साथ ही उनकी हाजिरजवाबी का भी हर कोई कायल है। ऐसे में जब सहवाग कांग्रेस कैंडिडेट के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे तो ठेठ हरियाणी में लोगों को ध्यान खींचा।सहवाग ने कहा कि लठ गाड़ रखा, इतनी आवाज तो स्टेडियम में ना आई जितनी अड़े आण लाग री है। अब ये आवाजा अनिरुद्ध चौधरी तक भी पहुंचेगी। अर अनिरुद्ध चौधरी ने आप लेके जाओंगे विधानसभा। चंडीगढ़ बैठाओंगे। मैं तो बस अपने बुजुर्गों से, ताऊ और ताइयां ने भाई-बहणा ते और सब ते कि 5 तारीख ने जब वोट डालन जाओ तब 1 नंबर पर अनिरुद्ध चौधरी का नाम आवेगा। बटन दबा के...मान लोंगे मेरी बात। अगर तम मान गए तो बाकी सब मान गए...राम-राम भाइयों।

वीरेंद्र सहवाग का ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। जिसमें वह जनता से अनिरुद्ध चौधरी के लिए वोट मांगने की अपील करते हुए दिख रहे हैं। इस दौरान वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि वे अपना फर्ज निभाने आएं हैं। जब कोई बड़ा भाई कोई काम करता है तो सभी को मिलकर उसकी मदद करनी होती है। सहवाग ने कहा कि अनिरुद्ध चौधरी ने जनता से जो वादे किए हैं, वो उन्हें जरूर पूरा करेंगे, क्योंकि उनके पास एडमिनिस्ट्रेशन चलाने का एक्सपीरियंस है।

तोशाम सीट पर भाई-बहन के बीच मुकाबला

बता दें कि तोशाम सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी और पोते अनिरुद्ध चौधरी के बीच मुकाबला है। श्रुति चौधरी, अनिरुद्ध चौधरी की चचेरी बहन हैं। श्रुति, किरण चौधरी की बेटी हैं तो वहीं अनिरुद्ध चौधरी बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष रणवीर सिंह महेंद्रा के बेटे हैं। इससे पहले श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद रह चुकी हैं।

*हरियाणा चुनाव के लिए बीजेपी ने जारी की उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट, जानें विनेश फोगाट के खिलाफ किसे उतारा

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हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है। दूसरी लिस्ट में 21 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। दूसरी लिस्ट के साथ ही बीजेपी ने हरियाणा की 90 में से 88 सीटों पर उम्मीवार घोषित कर दिए। पहली लिस्ट में 67 सीटों पर कैंडिडेट्स के ऐलान किए गए थे। हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं। सूबे में 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। 8 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी।

फोगाट के खिलाफ “खेलेंगे” योगेश बैरागी

बीजेपी ने दूसरी लिस्ट में दो मुस्लिम उम्मीदवार को भी टिकट दिया है। फिरोजपुर झिरका सीट से नसीम अहमद और पुन्हाना सीट से ऐज़ाज़ खान को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। जुलाना सीट पर कैप्टन योगेश बैरागी को बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है। यहां से कांग्रेस के टिकट पर पहलवान विनेश फोगाट मैदान में हैं। वहीं, पार्टी ने नारायणगढ़ से पवन सैनी, पेहोवा से जय भगवान, पुंडरी से सतपाल जाम्बा, असंध से योगेंद्र राणा, गनौर से देवेंद्र कौशिक, राई से कृष्णा गहलावत, बरोदा से प्रदीप सांगवान, नरवाना से कुष्ण कुमार बेदी को टिकट दिया है।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का टिकट कटा

बीजेपी ने दूसरी सूची में मौजूद प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बाडौली का टिकट काट दिया है। बडौली 2019 में सोनीपत जिले की राई सीट से जीते थे। पार्टी ने यहां से कृष्णा गहलावत को उतारा है। इसके साथ बीजेपी ने पहलवान विनेश फोगाट के उतरने से चर्चा में आई जुलाना सीट से कैप्टन योगेश बैरागी को उतारा है। पार्टी ने बड़ा उलटफेर करते हुए राज्य मंत्री संजय सिंह को सोहना की बजाए नूंह से उतार दिया है। नूंह से कांग्रेस के दिग्गज नेता आफताब अहमद विधायक है।

कांग्रेस ने जारी की 31 उम्मीदवारों की सूची, लिस्ट में 3 मुस्लिम चेहरे, नूंह दंगे के आरोपी मामन खान को भी टिकट

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हरियाणा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने लिस्ट जारी कर दी है। कांग्रेस की लिस्ट में कुल 31 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। लिस्ट में विनेश फोगाट को भी मौका मिला है। जुलाना से विनेश फोगाट भी चुनाव लड़ेंगी। तो वहीं लिस्ट में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का भी नाम शामिल है। कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में लगभग सभी सिटिंग विधायकों को मैदान में उतार दिया है। मुसलमानों के हिस्सेदारी की बात करें तो पहली लिस्ट में सिर्फ तीन मुस्लिम चेहरों को जगह मिली है।

पहली सूची पर मुहर कांग्रेस संसदीय दल की चेयरपर्सन सोनिया गांधी की मौजूदगी में सीईसी की बैठक में लगी। इसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा को एक बार फिर से पार्टी ने गढ़ी सांपला किलोई सीट से टिकट दिया है। इसके अलावा पार्टी ने पूर्व मंत्री गीता भुक्कल को झज्जर (सुरक्षित) सीट से उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने पूर्व वित्त मंत्री और लालू प्रसाद यादव के दामान चिरंजीव राव को रेवाड़ी से फिर उतारा है। इसके पार्टी ने नूंह सीट पर आफताब अहमद को टिकट दिया है।

नारायणगढ़ से कांग्रेस ने शैली चौधरी

अन्य बड़े चेहरों में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान होडल (सुरक्षित) सीट से लड़ेंगे। कांग्रेस पार्टी ने एनआईटी फरीदाबाद सीट से नीरज शर्मा को टिकट दिया है। पार्टी ने डबवाली सीट से अमित सिहाग को उतारा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी की सीट रह चुकी नारायणगढ़ से कांग्रेस ने शैली चौधरी को टिकट दिया है।

सीएम सैनी के सामने मेवा सिंह

कांग्रेस ने अपनी सूची में घोषित 32 (31+1)कैंडिडेट में लाडवा सीट मौजूदा विधायक मेवा सिंह की टिकट बरकरार रखी है। 2019 में मेवा सिंह ने बीजेपी के सिटिंग विधायक डॉ. पवन सैनी को शिकस्त दी थी। इस बार लाडवा से हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी खुद चुनाव लड़ रहे हैं। उप चुनाव में सीएम सैनी करनाल से जीते थे, लेकिन वह अब लाडवा से बीजेपी कैंडिडेट हैं।

विनेश और बजरंग पुनिया कांग्रेस के लिए इतने जरूरी क्यों हुए, क्या हरियाणा विधानसभा तुनाव में मिलेगा लाभ?

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पहलवान विनेश फोगाट कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। विनेश के साथ पहलवान बजरंग पूनिया ने भी “सियासी दंगल” में प्रवेश कर लिया। ओलंपिक में पदक से चूकने के बाद ही विनेश ने खेल से संन्यास की घोषणा कर दी थी। इसके बाद ही उनके और ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया के राजनीतिक दंगल में उतरने की अटकलें शुरू हो गई थीं। आज कांग्रेस में शामिल होने के साथ ही इस पर विराम लग गया।

दोनों खिलाड़ियों के कांग्रेस का हाथ थामने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल है कि भारत से कई खिलाड़ी ओलंपिक में गए हैं लेकिन कांग्रेस ने उनमें से केवल विनेश फोगाट और बजरंग पांजा को ही अधिक महत्व क्यों दिया? इन दोनों पहलवानों के आने से कांग्रेस को इस चुनाव में कितना फायदा मिलेगा? दूसरे शब्दों में कहें तो कांग्रेस में इन दोनों खिलाड़ियों के शामिल होने से बीजेपी को कितना झटका लगेगा?

कांग्रेस में शामिल होने के बाद विनेश ने कहा कि सड़क से संसद तक महिलाओं के लिए लड़ने वाली पार्टी में शामिल होकर वह खुश हैं। बता दें कि विनेश महिला रेसलरों के यौन उत्पीड़न के खिलाफ तत्कालीन डब्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के विरोध में लड़ाई लड़कर बीजेपी के विरोध की आवाज बन चुकी है। हरियाणा के चुनावों में वैसे तो कई मुद्दे होंगे पर विनेश फौगाट के बजरंग पूनिया ने जिस मुद्दे को लेकर सक्रिय हैं वो सभी मुद्दों पर भारी पड़ सकता है।

विनेश को ओलंपिक में सफलता मिलने के बाद जिस तरह हाथ से पदक फिसल गए उससे आम लोगों में उनको लेकर जबरदस्त संवेदना है। दिल्ली में कई बार विरोध प्रदर्शनों के दौरान और ओलंपिक में फाइनल नहीं खेलने दिए जाने के बाद से विनेश फोगाट को लेकर हरियाणा समेत देशभर में सहानुभूति की जबरदस्त लहर दिखाई दी थी. पेरिस से खाली हाथ मायूस होकर दिल्ली लौटीं विनेश फोगाट को देखकर कई खेलप्रेमियों के आंसू छलक पड़े थे. इसके बाद टीवी, रेडियो, अखबारों और सोशल मीडिया में विनेश फोगाट की तस्वीरों की लहर चल पड़ी. ज्यादातर तस्वीरों में उनके साथ बजरंग पूनिया भी दिखे थे। विनेश के राजनीतिक अखाड़े में उतरने से जाहिर है कि ब्रजभूषण शरण सिंह विवाद की फिर से हर गली चौक चौबारे पर चर्चा होगी। जो चुनाव परिणाम के लिए गेमचेंजर भी साबित हो सकता है।जो मौजूदा सरकार के खिलाफ किसानों की नाराजगी, जाटों की नाराजगी आदि को और बल प्रदान करेगा।

महिला, खिलाड़ियों, युवाओं को संदेश

राजनीति के जानकारों का मानना है कि विनेश के कांग्रेस में आने से महिला वोटरों खासकर युवा लड़कियों को भी कांग्रेस की तरफ से एक संदेश जाएगा। पार्टी विनेश और बजरंग के जरिये जाट वोटरों में मजबूती के साथ ही महिलाओं के अलावा युवाओं और खिलाड़ियों को भी अपने पाले में लाने में कामयाब होती दिख रही है। इसका असर चुनाव पर दिखना स्वाभाविक है।

राजनीति में असरदार जाट बिरादरी का मिलेगा साथ!

पिछले साल पहलवानों के विरोध प्रदर्शन का असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला था। बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था। एनडीए और कांग्रेस दोनों को 5-5 सीटों पर जीत मिली थी। हरियाणा की राजनीति में जाटों की अहम भूमिका है। जाटों की आबादी 22 फीसदी से अधिका है। विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया दोनों हरियाणा की राजनीति में असरदार जाट बिरादरी से संबंध रखते हैं। हरियाणा में रोहतक, सोनीपत, हिसार, भिवानी, जींद, कैथल, चरखी दादरी और सिरसा तक जाट समुदाय ही कई विधानसभा सीटों पर जीत-हार का फैसला करता है। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से इन इलाकों की 36 विधानसभा सीटों पर जाट वोटर्स निर्णायक साबित होते हैं। इसलिए कांग्रेस ने हुड्डा परिवार की पैरवी, सहानुभूति लहर और जाट समुदाय के वोटों की उम्मीद में विनेश फोगाट के पक्ष में दांव लगाया है।