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सहवाग बने कांग्रेस के “खेवनहार”, हरियाणा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी अनिरुद्ध चौधरी के लिए मांगा वोट

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हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। शाम को 6 बजे चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। इस बीच कोई भी उम्मीदवार अपने प्रचार-प्रसार में कमी नहीं छोड़ना चाहता। इसी कड़ी में बुधवार को पूर्व किक्रेटर वीरेंद्र सहवाग हरियाणा के तोशाम पहुंचे। यहां उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अनिरुद्ध चौधरी के लिए वोट मांगे।

सहवाग को क्रिकेट की दुनिया में अपनी धमाकेदार बल्लेबाजी के लिए जाना जाता था। साथ ही उनकी हाजिरजवाबी का भी हर कोई कायल है। ऐसे में जब सहवाग कांग्रेस कैंडिडेट के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे तो ठेठ हरियाणी में लोगों को ध्यान खींचा।सहवाग ने कहा कि लठ गाड़ रखा, इतनी आवाज तो स्टेडियम में ना आई जितनी अड़े आण लाग री है। अब ये आवाजा अनिरुद्ध चौधरी तक भी पहुंचेगी। अर अनिरुद्ध चौधरी ने आप लेके जाओंगे विधानसभा। चंडीगढ़ बैठाओंगे। मैं तो बस अपने बुजुर्गों से, ताऊ और ताइयां ने भाई-बहणा ते और सब ते कि 5 तारीख ने जब वोट डालन जाओ तब 1 नंबर पर अनिरुद्ध चौधरी का नाम आवेगा। बटन दबा के...मान लोंगे मेरी बात। अगर तम मान गए तो बाकी सब मान गए...राम-राम भाइयों।

वीरेंद्र सहवाग का ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। जिसमें वह जनता से अनिरुद्ध चौधरी के लिए वोट मांगने की अपील करते हुए दिख रहे हैं। इस दौरान वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि वे अपना फर्ज निभाने आएं हैं। जब कोई बड़ा भाई कोई काम करता है तो सभी को मिलकर उसकी मदद करनी होती है। सहवाग ने कहा कि अनिरुद्ध चौधरी ने जनता से जो वादे किए हैं, वो उन्हें जरूर पूरा करेंगे, क्योंकि उनके पास एडमिनिस्ट्रेशन चलाने का एक्सपीरियंस है।

तोशाम सीट पर भाई-बहन के बीच मुकाबला

बता दें कि तोशाम सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी और पोते अनिरुद्ध चौधरी के बीच मुकाबला है। श्रुति चौधरी, अनिरुद्ध चौधरी की चचेरी बहन हैं। श्रुति, किरण चौधरी की बेटी हैं तो वहीं अनिरुद्ध चौधरी बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष रणवीर सिंह महेंद्रा के बेटे हैं। इससे पहले श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद रह चुकी हैं।

कांग्रेस में अनदेखी से कुमारी शैलजा खफा! प्रचार में नहीं दिख रहीं, कहीं बिगड़ न जाए खेल?*
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हरियाणा विधानसभा चुनाव की वोटिंग के लिए मुश्किल से 15 दिन का वक्त बचा है। इस बार कांग्रेस हरियाणा में अपने सत्ता के वनवास को खत्म करने की हरसंभव कोशिश कर रही है। हालांकी, विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में खेमेबाजी खुलकर सामने आ गई है। सांसद और कांग्रेस वर्किग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की सदस्य कुमारी शैलजा फिलहाल कांग्रेस नेतृत्व से खफा बताई जा रहीं हैं। पहले तो कांग्रेस ने दलित नेता कुमारी शैलजा को पूरी तरह से विधानसभा चुनाव में दरकिनार कर दिया है। आलम यह है कि अब शैलजा ने भी खुद चुनाव से दूरी बना ली है और एक सप्ताह से वह चुनाव प्रचार से दूर हैं और दिल्ली में आराम फरमा रही हैं। टिकटों के आवंटन में अपेक्षित सम्मान नहीं मिलने से नाराज शैलजा ने जहां फील्ड से दूरी बना रखी है। वहीं, बुधवार को नई दिल्ली में शैलजा कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र जारी करने के दौरान मंच पर कहीं नजर नहीं आई। शैलजा के विधानसभा चुनाव से दूरी बनाए जाने के चलते मामला गड़बड़ता नजर आ रहा है। *पोस्टरों से भी गायब हुईं शैलजा* बता दें कि शैलजा विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। अहम बात कि शैलजा सीएम पद पर भी दावा ठोक रही थी। अब हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के पोस्टरों से भी शैलजा गायब हो गईं हैं। पार्टी के नेताओं और प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार के दौरान पोस्टरों में सैलजा को जगह नहीं दी है। जानकारी के अनुसार, हिसार जिले के 6 विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशियों के पोस्टरों से कुमारी शैलजा की फोटो नदारद है। हालांकि, हिसार विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी रामनिवास राडा के पोस्टर में सैलजा जरूर दिख रही हैं। लेकिन हांसी, नारनौंद, बरवाला, उकलाना, आदमपुर, नलवा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशियों ने अपने पोस्टरों में सैलजा को जगह नहीं दी है। इन पोस्टरों में हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को भी जगह दी गई। *टिकटों के आवंटन में भी अनदेखी* हरियाणा में टिकटों के आवंटन से लेकर चुनाव घोषणापत्र जारी होने के दौरान कांग्रेस महासचिव शैलजा की अनदेखी से पार्टी में मतभेद ज्यादा गहरा गए हैं। विधानसभा चुनाव के टिकट बंटवारे में हुड्डा खेमे को ही तवज्जे मिली है और कुमारी सैलजा अपने 8 से 10 करीबी नेताओं को ही टिकट दिला सकी हैं। कांग्रेस में 72 टिकट पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों को मिले हैं, जबकि चार मौजूदा विधायकों समेत करीब 10 टिकटों पर कुमारी शैलजा को संतोष करना पड़ा है। *प्रदेश की 21 सीटों पर सैलजा का प्रभाव* कांग्रेस में अनदेखी के चलते शैलजा ने चुप्पी साधी हुई है। विधानसभा चुनाव में सैलजा की चुप्पी का कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा हरियाणा में कांग्रेस की सबसे बड़ी दलित चेहरा हैं। हरियाणा में करीब 20 फीसदी दलित मतदाता हैं। कुल 90 में से दलित समुदाय के लिए 17 विधानसभा सीटें सुरक्षित हैं, लेकिन सियासी प्रभाव उससे कहीं ज्यादा है। हरियाणा में करीब 21 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां वह प्रभाव रखती हैं। न नहीं है। *दलित समुदाय में बढ़ सकती है नाराजगी* कुमारी शैलजा के चुनावी कैंपेन से दूरी बनाए रखने के चलते दलित समुदाय में भी नाराजगी बढ़ सकती है। दलित वोटर किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत राज्य में रखते हैं। 17 विधानसभा सीटें दलित समाज के लिए आरक्षित हैं, जहां पर दलित बहुल हैं। जबकि दलित समुदाय 35 विधानसभा सीटों पर महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं। शैलजा कांग्रेस की सबसे बड़ी दलित चेहरा हैं और उनके खामोशी से दलित वोटों में मैसेज सही नहीं जाएगा।
हरियाणा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 3 ऑब्जर्वर किए नियुक्त, क्या गहलोत-माकन और बाजवा दिला पाएंगें फायदा?

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हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव को लेकर वोटिंग होनी हैं। इससे पहले सभी पार्टियों ने पूरा जोर लगा रखा है। एक तरफ बीजेपी तीसरी बार सत्ता में बने रहने के लिए पूरी जोर आजमाइश में लगी है, वहीं कांग्रेस 10 साल बाद सत्ता वापसी के लिए लड़ रही है। कांग्रेस इस चुनाव में बढ़त के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। यही वजह है कि पार्टी के तीन बड़े नेताओं को हरियाणा भेजकर अहम जिम्मेदारी दी जा रही है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। कांग्रेस राजस्थान, दिल्ली और पंजाब से अपने तीन बड़े नेताओं को इसकी जिम्मेदारी दी है। कांग्रेस ने राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन और पंजाब कांग्रेस के सीनियर नेता प्रताप सिंह बाजवा को वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया है।

10 साल बाद सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस का पूरा जोर

कांग्रेस 10 साल से सत्ता में दूर है इसलिए पार्टी चुनाव की तैयारियों में किसी तरह की कमी नहीं छोड़ना चाहती इसलिए अशोक गहलोत, मकान और बाजवा जैसे वरिष्ठ नेताओं को हरियाणा भेजा जा रहा है। राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन और पंजाब असेंबली में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा, तीनों ही नेता न सिर्फ बेहद सीनियर व अनुभवी हैं, बल्कि संगठन में इनकी अपनी एक साख है। तीनों नेता हरियाणा की सीमा से सटे तीन राज्यों दिल्ली, पंजाब व राजस्थान से आते हैं। ऐसे में इन तीनों के सहारे उन इलाकों में इनके प्रभाव का इस्तेमाल करने की भी योजना है।

तीनों पर्यवेक्षकों के लिए बागियों को साधना सबसे बड़ी जिम्मेदारी

सूत्रों के मुताबिक, इन पर्यवेक्षकों का फिलहाल प्रमुख काम वहां नाराज पार्टी नेताओं, बागियों, नाराज कार्यकर्ताओं से संपर्क कर उनकी नाराजगी दूर करना, नाराज घर बैठ चुके लोगों को घर से बाहर निकालना है। उल्लेखनीय है कि नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 16 सितंबर सोमवार है। इसलिए कांग्रेस पूरा जोर लगाकर अपने बागियों को मनाने की कोशिश में लगी है। फिलहाल कांग्रेस में 31 बागी निर्दलीय खड़े हुए हैं। इन्हें साधना कांग्रेस की सबसे बड़ी प्राथमिकता व चिंता है। पार्टी के भीतर फिलहाल इस बात पर मंथन हो रहा है कि किस तरह के बागी को कैसे मनाया जाए या उस पर कहां व किससे कहलवाकर जोर डलवा कर नाम वापस लेने के लिए तैयार किया जा सकता है।

5 अक्टूबर को होगा मतदान

90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा के लिए 5 अक्टूबर को मतदान होना है और मतों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी। सूबे में कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच मुकाबला है। तीनों ही पार्टियों ने चुन चुनकर अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतार दिए हैं। सूबे में 10 सालों से बीजेपी की सरकार है। ऐसे में पार्टी तीसरी बार राज्य में सरकार बनाने की कोशिश में है तो वहीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था जिसको लेकर पार्टी के हौसले बुलंद हैं। पार्टी किसी भी तरह से राज्य में वापसी करने की कोशिश में लगी हुई है।

अरविंद केजरीवाल ने चला इस्तीफे का दांव, हरियाणा विधानसभा चुनाव मे कितना होगा असर?*
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हरियाणा विधानसभा चुनाव को 1 महीने से भी कम समय बचा है। इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सियासत में भूचाल खड़ा कर दिया है। तिहाड़ जेल से रिहाई के बाद सीएम केजरीवाल ने इस्तीफा देने की घोषणा करके सभी को हैरान कर दिया है। अब सवाल यह है कि केजरीवाल के ये इस्तीफे वाला दांव हरियाणा चुनाव पर कितना असर डालेगा? *हरियाणा चुनाव पर होगा पूरा फोकस* राजनीति के जानकारों की मानें तो सीएम केजरीवाल के इस्तीफे से हरियाणा चुनाव में आम आदमी पार्टी का बड़ा फायदा मिल सकता है। कहा जा रहा है कि इस्तीफे के बाद केजरीवाल हरियाणा चुनाव को लेकर पूरी तरह सक्रिय हो सकते हैं। चूंकी, हरियाणा आप के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल खुद जाकर हरियाणा के अलग-अलग विधानसभाओं में पार्टी के कैंडिडेट्स के साथ प्रचार करेंगे। आम आदमी पार्टी दिल्ली में तीन बार और पंजाब में एक बार सरकार बना चुकी है। ऐसे में अब हरियाणा में भी बड़ा “खेल” कर सकती है। *केजरीवाल खेल रहे इमोशनल कार्ड!* माना ये भी जा रहा है कि केजरीवाल इस्तीफा देकर हरियाणा की जनता के बीच में बड़ा इमोशनल कार्ड खेलेंगे। इसके पीछे एक वजह ये भी है कि हरियाणा केजरीवाल का गृह राज्य है जबकि हिसार जिले में वो पले बड़े हैं। वो अक्सर खुद को हरियाणा के लाल भी कहते रहते हैं।इसलिए माना जा रहा है कि केजरीवाल अब हरियाणा की जनता के बीच में अपना इमोशनल कार्ड खेलने के लिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने जा रहे हैं। बता दें कि हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी एक प्रमुख पार्टी है। केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी के हौसले बुलंद हैं। केजरीवाल की रिहाई के बाद लग रहा है कि हरियाणा का चुनाव दंगल जोरदार होगा। 2019 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की 46 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। हालांकि, उस समय वोट शेयर महज 1 फीसदी के आसपास का रहा था और किसी भी सीट पर खाता नहीं खोल पाई थी। इस चुनाव के बाद आप ने हरियाणा में खुद को मजबूत भी किया और जनता के बीच में अपनी पैठ भी मजबूत की है। इस बार के लोकसभा चुनाव में इसका असर भी देखने को मिला। लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का हरियाणा में वोट शेयर 3.94 फीसदी के आसपास पहुंच गया।
हरियाणा की सबसे हॉट सीट बनी जुलाना, जोरदार होगी “जंग”

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हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है। राज्य के चुनावी माहौल में इन दिनों जुलाना सीट की खासी चर्चा है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में रेसलर विनेश फोगाट की उम्मीदवारी के बाद सुर्खियों में आई जुलाना हॉट सीट हो गई है। जींद की जुलाना सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प हो चला है। अब यहां पर कुश्ती लड़ने वाली पहलवानों में चुनावी दंगल देखने को मिलेगा। पहले कांग्रेस ने रेसलर विनेश फोगाट को जुलाना से टिकट दिया। 

इस सीट में दिलचस्प बात ये है कि विनेश के मुकाबले बीजेपी और आईएनएलडी ने जो उम्मीदवार उतारे हैं अधिकारियों से राजनेता बने हैं। बीजेपी ने कैप्टन योगेश बैरागी को मैदान में उतारा है। बैरागी ने डेढ़ साल पहले वायुसेना में सीनियर पायलट की नौकरी छोड़ी है। बीजेपी द्वारा यहां से पूर्व पायलट योगेश बैरागी को अपना उम्मीदवार बनाने के बाद अब आम आदमी पार्टी ने डब्लूडब्लूई महिला रेसलर कविता दलाल पर दांव खेला है। कांग्रेस के साथ सीटों पर सहमति ना बनने से अकेले चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी ने रेसलर कविता दलाल को मैदान में उतारा है।

आप पार्टी ने भारत की पहली महिला WWE रेसलर कविता दलाल को सियासी पिच पर उतार कर यहां का मुकाबला दिलचस्प और माहौल 'टाइट' बना दिया है। अब यहां पहलवान बनाम पहलवान की फाइट भी होगी। हालांकि बीजेपी के योगेश बैरागी भी सियासी अखाड़े में दोनों को चित करने के लिए प्रचार में जमकर पसीना बहा रहे हैं। जजपा ने यहां से अमरजीत ढांडा को टिकट दिया है। वे 2019 में भी जजपा की टिकट से चुनाव जीते और विधायक बने थे। ढांडा दुष्यंत चौटाला के करीबियों में से एक हैं।

*हरियाणा चुनाव के लिए बीजेपी ने जारी की उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट, जानें विनेश फोगाट के खिलाफ किसे उतारा

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हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है। दूसरी लिस्ट में 21 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। दूसरी लिस्ट के साथ ही बीजेपी ने हरियाणा की 90 में से 88 सीटों पर उम्मीवार घोषित कर दिए। पहली लिस्ट में 67 सीटों पर कैंडिडेट्स के ऐलान किए गए थे। हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं। सूबे में 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। 8 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी।

फोगाट के खिलाफ “खेलेंगे” योगेश बैरागी

बीजेपी ने दूसरी लिस्ट में दो मुस्लिम उम्मीदवार को भी टिकट दिया है। फिरोजपुर झिरका सीट से नसीम अहमद और पुन्हाना सीट से ऐज़ाज़ खान को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। जुलाना सीट पर कैप्टन योगेश बैरागी को बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है। यहां से कांग्रेस के टिकट पर पहलवान विनेश फोगाट मैदान में हैं। वहीं, पार्टी ने नारायणगढ़ से पवन सैनी, पेहोवा से जय भगवान, पुंडरी से सतपाल जाम्बा, असंध से योगेंद्र राणा, गनौर से देवेंद्र कौशिक, राई से कृष्णा गहलावत, बरोदा से प्रदीप सांगवान, नरवाना से कुष्ण कुमार बेदी को टिकट दिया है।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का टिकट कटा

बीजेपी ने दूसरी सूची में मौजूद प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बाडौली का टिकट काट दिया है। बडौली 2019 में सोनीपत जिले की राई सीट से जीते थे। पार्टी ने यहां से कृष्णा गहलावत को उतारा है। इसके साथ बीजेपी ने पहलवान विनेश फोगाट के उतरने से चर्चा में आई जुलाना सीट से कैप्टन योगेश बैरागी को उतारा है। पार्टी ने बड़ा उलटफेर करते हुए राज्य मंत्री संजय सिंह को सोहना की बजाए नूंह से उतार दिया है। नूंह से कांग्रेस के दिग्गज नेता आफताब अहमद विधायक है।

हरियाणा विस चुनावः गठबंधन की चर्चाओं के बीच आप की पहली सूची जारी, क्या कांग्रेस से नहीं बनी बात?
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कांग्रेस के साथ गठबंधन की चर्चा के बीच हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी ने आज उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है। जारी की गई पहली लिस्ट में कुल  20 उम्मीदवारों के नाम हैं। बता दें कि हरियाणा में आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बात चल रही हैं। हालांकि उससे पहले आप ने पहली लिस्ट जारी कर दी है। इसके साथ ही पार्टी ने कांग्रेस के 11 उम्मीदवारों के सामने अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए हैं।

आप ने रोहतक से बिजेंद्र हुड्डा को प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं नारायणगढ़ से गुरपाल सिंह प्रत्याशी होंगे। पार्टी ने कलायत से अनुराग ढांडा को उम्मीदवार बनाया है। घरौंडा से जयपाल शर्मा, असंध से अमनदीप जुंडला को टिकट दी गई है। समालखा से बिट्टू पहलवान, उचाना कलां से पवन फौजी और डबवाली से कुलदीप गदराना को टिकट दिया गया है। रानिया से हैप्पी रानिया, भिवानी से इंदू शर्मा, महम से विकास नेहरा, बहादुरगढ़ से कुलदीप चिकारा, बादली से रणबीर गुलिया और बेरी से सोनू अहलावत शेरिया को उम्मीदवार घोषित किया गया है। इसके अलावा महेंद्रगढ़ से मनीष यादव, नारनौल से रविंद्र मटरू, बादशाहपुर से बीर सिंह सरपंच, सोहना से धर्मेंद्र खटाना और बल्लभगढ़ से रविंदर फौजदार को टिकट दी गई है।

बता दें कि सोमवार की सुबह आप ने कांग्रेस से कहा था कि अगर कांग्रेस गठबंधन पर शाम तक फैसला नहीं करेगी तो हम अपनी लिस्ट जारी करेंगे। ऐसे में साफ जाहिर है कि कांग्रेस की तरफ से गठबंधन को लेकर जब कोई संकेत नहीं मिला तो आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नाम जारी कर दिए हैं। ऐसे में कयास लग रहे हैं कि आप व कांग्रेस अब राज्य में अलग-अलग चुनाव लड़ेगी।

सूत्रों की मानें तो आप और कांग्रेस के बीच बातचीत इसलिए फेल हो गई क्योंकि आम आदमी पार्टी 10 से अधिक सीटें मांग रही थी और कांग्रेस 3 सीट से अधिक देने के पक्ष में नहीं थी। इधर कांग्रेस के कुछ जमीनी नेता भी इस गठबंधन को न करने की सलाह दे रहे थे।
कांग्रेस ने जारी की 31 उम्मीदवारों की सूची, लिस्ट में 3 मुस्लिम चेहरे, नूंह दंगे के आरोपी मामन खान को भी टिकट

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हरियाणा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने लिस्ट जारी कर दी है। कांग्रेस की लिस्ट में कुल 31 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। लिस्ट में विनेश फोगाट को भी मौका मिला है। जुलाना से विनेश फोगाट भी चुनाव लड़ेंगी। तो वहीं लिस्ट में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का भी नाम शामिल है। कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में लगभग सभी सिटिंग विधायकों को मैदान में उतार दिया है। मुसलमानों के हिस्सेदारी की बात करें तो पहली लिस्ट में सिर्फ तीन मुस्लिम चेहरों को जगह मिली है।

पहली सूची पर मुहर कांग्रेस संसदीय दल की चेयरपर्सन सोनिया गांधी की मौजूदगी में सीईसी की बैठक में लगी। इसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा को एक बार फिर से पार्टी ने गढ़ी सांपला किलोई सीट से टिकट दिया है। इसके अलावा पार्टी ने पूर्व मंत्री गीता भुक्कल को झज्जर (सुरक्षित) सीट से उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने पूर्व वित्त मंत्री और लालू प्रसाद यादव के दामान चिरंजीव राव को रेवाड़ी से फिर उतारा है। इसके पार्टी ने नूंह सीट पर आफताब अहमद को टिकट दिया है।

नारायणगढ़ से कांग्रेस ने शैली चौधरी

अन्य बड़े चेहरों में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान होडल (सुरक्षित) सीट से लड़ेंगे। कांग्रेस पार्टी ने एनआईटी फरीदाबाद सीट से नीरज शर्मा को टिकट दिया है। पार्टी ने डबवाली सीट से अमित सिहाग को उतारा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी की सीट रह चुकी नारायणगढ़ से कांग्रेस ने शैली चौधरी को टिकट दिया है।

सीएम सैनी के सामने मेवा सिंह

कांग्रेस ने अपनी सूची में घोषित 32 (31+1)कैंडिडेट में लाडवा सीट मौजूदा विधायक मेवा सिंह की टिकट बरकरार रखी है। 2019 में मेवा सिंह ने बीजेपी के सिटिंग विधायक डॉ. पवन सैनी को शिकस्त दी थी। इस बार लाडवा से हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी खुद चुनाव लड़ रहे हैं। उप चुनाव में सीएम सैनी करनाल से जीते थे, लेकिन वह अब लाडवा से बीजेपी कैंडिडेट हैं।

विनेश और बजरंग पुनिया कांग्रेस के लिए इतने जरूरी क्यों हुए, क्या हरियाणा विधानसभा तुनाव में मिलेगा लाभ?

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पहलवान विनेश फोगाट कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। विनेश के साथ पहलवान बजरंग पूनिया ने भी “सियासी दंगल” में प्रवेश कर लिया। ओलंपिक में पदक से चूकने के बाद ही विनेश ने खेल से संन्यास की घोषणा कर दी थी। इसके बाद ही उनके और ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया के राजनीतिक दंगल में उतरने की अटकलें शुरू हो गई थीं। आज कांग्रेस में शामिल होने के साथ ही इस पर विराम लग गया।

दोनों खिलाड़ियों के कांग्रेस का हाथ थामने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल है कि भारत से कई खिलाड़ी ओलंपिक में गए हैं लेकिन कांग्रेस ने उनमें से केवल विनेश फोगाट और बजरंग पांजा को ही अधिक महत्व क्यों दिया? इन दोनों पहलवानों के आने से कांग्रेस को इस चुनाव में कितना फायदा मिलेगा? दूसरे शब्दों में कहें तो कांग्रेस में इन दोनों खिलाड़ियों के शामिल होने से बीजेपी को कितना झटका लगेगा?

कांग्रेस में शामिल होने के बाद विनेश ने कहा कि सड़क से संसद तक महिलाओं के लिए लड़ने वाली पार्टी में शामिल होकर वह खुश हैं। बता दें कि विनेश महिला रेसलरों के यौन उत्पीड़न के खिलाफ तत्कालीन डब्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के विरोध में लड़ाई लड़कर बीजेपी के विरोध की आवाज बन चुकी है। हरियाणा के चुनावों में वैसे तो कई मुद्दे होंगे पर विनेश फौगाट के बजरंग पूनिया ने जिस मुद्दे को लेकर सक्रिय हैं वो सभी मुद्दों पर भारी पड़ सकता है।

विनेश को ओलंपिक में सफलता मिलने के बाद जिस तरह हाथ से पदक फिसल गए उससे आम लोगों में उनको लेकर जबरदस्त संवेदना है। दिल्ली में कई बार विरोध प्रदर्शनों के दौरान और ओलंपिक में फाइनल नहीं खेलने दिए जाने के बाद से विनेश फोगाट को लेकर हरियाणा समेत देशभर में सहानुभूति की जबरदस्त लहर दिखाई दी थी. पेरिस से खाली हाथ मायूस होकर दिल्ली लौटीं विनेश फोगाट को देखकर कई खेलप्रेमियों के आंसू छलक पड़े थे. इसके बाद टीवी, रेडियो, अखबारों और सोशल मीडिया में विनेश फोगाट की तस्वीरों की लहर चल पड़ी. ज्यादातर तस्वीरों में उनके साथ बजरंग पूनिया भी दिखे थे। विनेश के राजनीतिक अखाड़े में उतरने से जाहिर है कि ब्रजभूषण शरण सिंह विवाद की फिर से हर गली चौक चौबारे पर चर्चा होगी। जो चुनाव परिणाम के लिए गेमचेंजर भी साबित हो सकता है।जो मौजूदा सरकार के खिलाफ किसानों की नाराजगी, जाटों की नाराजगी आदि को और बल प्रदान करेगा।

महिला, खिलाड़ियों, युवाओं को संदेश

राजनीति के जानकारों का मानना है कि विनेश के कांग्रेस में आने से महिला वोटरों खासकर युवा लड़कियों को भी कांग्रेस की तरफ से एक संदेश जाएगा। पार्टी विनेश और बजरंग के जरिये जाट वोटरों में मजबूती के साथ ही महिलाओं के अलावा युवाओं और खिलाड़ियों को भी अपने पाले में लाने में कामयाब होती दिख रही है। इसका असर चुनाव पर दिखना स्वाभाविक है।

राजनीति में असरदार जाट बिरादरी का मिलेगा साथ!

पिछले साल पहलवानों के विरोध प्रदर्शन का असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला था। बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था। एनडीए और कांग्रेस दोनों को 5-5 सीटों पर जीत मिली थी। हरियाणा की राजनीति में जाटों की अहम भूमिका है। जाटों की आबादी 22 फीसदी से अधिका है। विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया दोनों हरियाणा की राजनीति में असरदार जाट बिरादरी से संबंध रखते हैं। हरियाणा में रोहतक, सोनीपत, हिसार, भिवानी, जींद, कैथल, चरखी दादरी और सिरसा तक जाट समुदाय ही कई विधानसभा सीटों पर जीत-हार का फैसला करता है। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से इन इलाकों की 36 विधानसभा सीटों पर जाट वोटर्स निर्णायक साबित होते हैं। इसलिए कांग्रेस ने हुड्डा परिवार की पैरवी, सहानुभूति लहर और जाट समुदाय के वोटों की उम्मीद में विनेश फोगाट के पक्ष में दांव लगाया है।

हरियाणा विस चुनावः क्या है विधायक-मंत्रियों के टिकट काटने की वजह*
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हरियाणा में 5 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने पहली लिस्ट जारी कर दी है। बीजेपी की पहली लिस्ट में 67 उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। टिकट देने से पहले पार्टी ने काफी मंथन किया, तब जाकर नामों पर मुहर लग सकी। बीजेपी ने कई मौजूदा विधायकों और मंत्रियों के टिकट काटे। बीजेपी की इस लिस्ट में कई संदेश छिपे हुए हैं।बताया जा रहा है कि बीजेपी को इन सीटों पर फील्ड से जो फीडबैक मिला था उस आधार पर उम्मीदवारों का बदलाव किया गया है। *सर्वे में जीतने वाले उम्मीदवारों पर ही दांव खेला* बताया जा रहा है कि बीजेपी को इन सीटों पर फील्ड से जो फीडबैक मिला था उस आधार पर उम्मीदवारों का बदलाव किया गया है। बीजेपी ने मौजूदा 9 विधायकों का टिकट काट दिया है। इनमें पलवल से दीपक मंगला, फरीदाबाद से नरेंद्र गुप्ता, गुरुग्राम से सुधीर सिंगला, बवानी खेड़ा से विशंभर वाल्मीकि, रनिया से कैबिनेट मंत्री रणजीत चौटाला, अटेली से सीताराम यादव, पेहवा से पूर्व मंत्री संदीप सिंह शामिल हैं। सोनहा से राज्यमंत्री संजय सिंह, रतिया से लक्ष्मण नापा को भी टिकट नहीं दिया गया है। पार्टी ने सर्वे में जीतने वाले उम्मीदवारों पर ही दाव खेला है। भाजपा ने जिन पांच पूर्व मंत्रियों को टिकट दिए हैं, वह पार्टी के सर्वे में बाकी दावेदारों से काफी आगे थे। *लिस्ट के बाद पार्टी का साथ छोड़ने वाले नेताओं की लाइन लगी* लिस्ट जारी होने के बाद टिकट से वंचित नेताओं और उनके समर्थकों ने बगावती तेवर अपना लिए हैं। पहली लिस्ट के बाद हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़ने वाले नेताओं की लाइन लग गई है। पार्टी छोड़ने वालों में कैबिनेट मंत्री से लेकर कई पूर्व विधायक भी शामिल हैं। बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इसमें हरियाणा के कैबिनेट मंत्री चौधरी रणजीत सिंह चौटाला का नाम भी शामिल है। उन्होंने रानिया विधानसभा से टिकट नहीं देने पर नाराजगी जताई। यही नहीं रणजीत चौटाला ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है। *टिकट बंटवारे के पीछे खास प्लानिंग* बीजेपी नेतृत्व ने जिस तरह से टिकट बंटवारा किया है उसके पीछे खास प्लानिंग मानी जा रही है। पार्टी ने इसी साल जून में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को देखते हुए टिकट बंटवारा किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार लोकसभा चुनाव में राज्य की 10 में से 5 सीट पर ही बीजेपी कब्जा जमाने में सफल रही। बाकी बची 5 सीटें कांग्रेस के खाते में गईं। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां सभी 10 सीटों पर कब्जा जमाया था। 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन को देखते हुए पार्टी कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती। इसके पीछे एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर भी अहम है।
सहवाग बने कांग्रेस के “खेवनहार”, हरियाणा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी अनिरुद्ध चौधरी के लिए मांगा वोट

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हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। शाम को 6 बजे चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। इस बीच कोई भी उम्मीदवार अपने प्रचार-प्रसार में कमी नहीं छोड़ना चाहता। इसी कड़ी में बुधवार को पूर्व किक्रेटर वीरेंद्र सहवाग हरियाणा के तोशाम पहुंचे। यहां उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अनिरुद्ध चौधरी के लिए वोट मांगे।

सहवाग को क्रिकेट की दुनिया में अपनी धमाकेदार बल्लेबाजी के लिए जाना जाता था। साथ ही उनकी हाजिरजवाबी का भी हर कोई कायल है। ऐसे में जब सहवाग कांग्रेस कैंडिडेट के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे तो ठेठ हरियाणी में लोगों को ध्यान खींचा।सहवाग ने कहा कि लठ गाड़ रखा, इतनी आवाज तो स्टेडियम में ना आई जितनी अड़े आण लाग री है। अब ये आवाजा अनिरुद्ध चौधरी तक भी पहुंचेगी। अर अनिरुद्ध चौधरी ने आप लेके जाओंगे विधानसभा। चंडीगढ़ बैठाओंगे। मैं तो बस अपने बुजुर्गों से, ताऊ और ताइयां ने भाई-बहणा ते और सब ते कि 5 तारीख ने जब वोट डालन जाओ तब 1 नंबर पर अनिरुद्ध चौधरी का नाम आवेगा। बटन दबा के...मान लोंगे मेरी बात। अगर तम मान गए तो बाकी सब मान गए...राम-राम भाइयों।

वीरेंद्र सहवाग का ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। जिसमें वह जनता से अनिरुद्ध चौधरी के लिए वोट मांगने की अपील करते हुए दिख रहे हैं। इस दौरान वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि वे अपना फर्ज निभाने आएं हैं। जब कोई बड़ा भाई कोई काम करता है तो सभी को मिलकर उसकी मदद करनी होती है। सहवाग ने कहा कि अनिरुद्ध चौधरी ने जनता से जो वादे किए हैं, वो उन्हें जरूर पूरा करेंगे, क्योंकि उनके पास एडमिनिस्ट्रेशन चलाने का एक्सपीरियंस है।

तोशाम सीट पर भाई-बहन के बीच मुकाबला

बता दें कि तोशाम सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी और पोते अनिरुद्ध चौधरी के बीच मुकाबला है। श्रुति चौधरी, अनिरुद्ध चौधरी की चचेरी बहन हैं। श्रुति, किरण चौधरी की बेटी हैं तो वहीं अनिरुद्ध चौधरी बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष रणवीर सिंह महेंद्रा के बेटे हैं। इससे पहले श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद रह चुकी हैं।

कांग्रेस में अनदेखी से कुमारी शैलजा खफा! प्रचार में नहीं दिख रहीं, कहीं बिगड़ न जाए खेल?*
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हरियाणा विधानसभा चुनाव की वोटिंग के लिए मुश्किल से 15 दिन का वक्त बचा है। इस बार कांग्रेस हरियाणा में अपने सत्ता के वनवास को खत्म करने की हरसंभव कोशिश कर रही है। हालांकी, विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में खेमेबाजी खुलकर सामने आ गई है। सांसद और कांग्रेस वर्किग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की सदस्य कुमारी शैलजा फिलहाल कांग्रेस नेतृत्व से खफा बताई जा रहीं हैं। पहले तो कांग्रेस ने दलित नेता कुमारी शैलजा को पूरी तरह से विधानसभा चुनाव में दरकिनार कर दिया है। आलम यह है कि अब शैलजा ने भी खुद चुनाव से दूरी बना ली है और एक सप्ताह से वह चुनाव प्रचार से दूर हैं और दिल्ली में आराम फरमा रही हैं। टिकटों के आवंटन में अपेक्षित सम्मान नहीं मिलने से नाराज शैलजा ने जहां फील्ड से दूरी बना रखी है। वहीं, बुधवार को नई दिल्ली में शैलजा कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र जारी करने के दौरान मंच पर कहीं नजर नहीं आई। शैलजा के विधानसभा चुनाव से दूरी बनाए जाने के चलते मामला गड़बड़ता नजर आ रहा है। *पोस्टरों से भी गायब हुईं शैलजा* बता दें कि शैलजा विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। अहम बात कि शैलजा सीएम पद पर भी दावा ठोक रही थी। अब हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के पोस्टरों से भी शैलजा गायब हो गईं हैं। पार्टी के नेताओं और प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार के दौरान पोस्टरों में सैलजा को जगह नहीं दी है। जानकारी के अनुसार, हिसार जिले के 6 विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशियों के पोस्टरों से कुमारी शैलजा की फोटो नदारद है। हालांकि, हिसार विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी रामनिवास राडा के पोस्टर में सैलजा जरूर दिख रही हैं। लेकिन हांसी, नारनौंद, बरवाला, उकलाना, आदमपुर, नलवा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशियों ने अपने पोस्टरों में सैलजा को जगह नहीं दी है। इन पोस्टरों में हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को भी जगह दी गई। *टिकटों के आवंटन में भी अनदेखी* हरियाणा में टिकटों के आवंटन से लेकर चुनाव घोषणापत्र जारी होने के दौरान कांग्रेस महासचिव शैलजा की अनदेखी से पार्टी में मतभेद ज्यादा गहरा गए हैं। विधानसभा चुनाव के टिकट बंटवारे में हुड्डा खेमे को ही तवज्जे मिली है और कुमारी सैलजा अपने 8 से 10 करीबी नेताओं को ही टिकट दिला सकी हैं। कांग्रेस में 72 टिकट पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों को मिले हैं, जबकि चार मौजूदा विधायकों समेत करीब 10 टिकटों पर कुमारी शैलजा को संतोष करना पड़ा है। *प्रदेश की 21 सीटों पर सैलजा का प्रभाव* कांग्रेस में अनदेखी के चलते शैलजा ने चुप्पी साधी हुई है। विधानसभा चुनाव में सैलजा की चुप्पी का कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा हरियाणा में कांग्रेस की सबसे बड़ी दलित चेहरा हैं। हरियाणा में करीब 20 फीसदी दलित मतदाता हैं। कुल 90 में से दलित समुदाय के लिए 17 विधानसभा सीटें सुरक्षित हैं, लेकिन सियासी प्रभाव उससे कहीं ज्यादा है। हरियाणा में करीब 21 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां वह प्रभाव रखती हैं। न नहीं है। *दलित समुदाय में बढ़ सकती है नाराजगी* कुमारी शैलजा के चुनावी कैंपेन से दूरी बनाए रखने के चलते दलित समुदाय में भी नाराजगी बढ़ सकती है। दलित वोटर किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत राज्य में रखते हैं। 17 विधानसभा सीटें दलित समाज के लिए आरक्षित हैं, जहां पर दलित बहुल हैं। जबकि दलित समुदाय 35 विधानसभा सीटों पर महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं। शैलजा कांग्रेस की सबसे बड़ी दलित चेहरा हैं और उनके खामोशी से दलित वोटों में मैसेज सही नहीं जाएगा।
हरियाणा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 3 ऑब्जर्वर किए नियुक्त, क्या गहलोत-माकन और बाजवा दिला पाएंगें फायदा?

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हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव को लेकर वोटिंग होनी हैं। इससे पहले सभी पार्टियों ने पूरा जोर लगा रखा है। एक तरफ बीजेपी तीसरी बार सत्ता में बने रहने के लिए पूरी जोर आजमाइश में लगी है, वहीं कांग्रेस 10 साल बाद सत्ता वापसी के लिए लड़ रही है। कांग्रेस इस चुनाव में बढ़त के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। यही वजह है कि पार्टी के तीन बड़े नेताओं को हरियाणा भेजकर अहम जिम्मेदारी दी जा रही है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। कांग्रेस राजस्थान, दिल्ली और पंजाब से अपने तीन बड़े नेताओं को इसकी जिम्मेदारी दी है। कांग्रेस ने राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन और पंजाब कांग्रेस के सीनियर नेता प्रताप सिंह बाजवा को वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया है।

10 साल बाद सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस का पूरा जोर

कांग्रेस 10 साल से सत्ता में दूर है इसलिए पार्टी चुनाव की तैयारियों में किसी तरह की कमी नहीं छोड़ना चाहती इसलिए अशोक गहलोत, मकान और बाजवा जैसे वरिष्ठ नेताओं को हरियाणा भेजा जा रहा है। राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन और पंजाब असेंबली में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा, तीनों ही नेता न सिर्फ बेहद सीनियर व अनुभवी हैं, बल्कि संगठन में इनकी अपनी एक साख है। तीनों नेता हरियाणा की सीमा से सटे तीन राज्यों दिल्ली, पंजाब व राजस्थान से आते हैं। ऐसे में इन तीनों के सहारे उन इलाकों में इनके प्रभाव का इस्तेमाल करने की भी योजना है।

तीनों पर्यवेक्षकों के लिए बागियों को साधना सबसे बड़ी जिम्मेदारी

सूत्रों के मुताबिक, इन पर्यवेक्षकों का फिलहाल प्रमुख काम वहां नाराज पार्टी नेताओं, बागियों, नाराज कार्यकर्ताओं से संपर्क कर उनकी नाराजगी दूर करना, नाराज घर बैठ चुके लोगों को घर से बाहर निकालना है। उल्लेखनीय है कि नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 16 सितंबर सोमवार है। इसलिए कांग्रेस पूरा जोर लगाकर अपने बागियों को मनाने की कोशिश में लगी है। फिलहाल कांग्रेस में 31 बागी निर्दलीय खड़े हुए हैं। इन्हें साधना कांग्रेस की सबसे बड़ी प्राथमिकता व चिंता है। पार्टी के भीतर फिलहाल इस बात पर मंथन हो रहा है कि किस तरह के बागी को कैसे मनाया जाए या उस पर कहां व किससे कहलवाकर जोर डलवा कर नाम वापस लेने के लिए तैयार किया जा सकता है।

5 अक्टूबर को होगा मतदान

90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा के लिए 5 अक्टूबर को मतदान होना है और मतों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी। सूबे में कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच मुकाबला है। तीनों ही पार्टियों ने चुन चुनकर अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतार दिए हैं। सूबे में 10 सालों से बीजेपी की सरकार है। ऐसे में पार्टी तीसरी बार राज्य में सरकार बनाने की कोशिश में है तो वहीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था जिसको लेकर पार्टी के हौसले बुलंद हैं। पार्टी किसी भी तरह से राज्य में वापसी करने की कोशिश में लगी हुई है।

अरविंद केजरीवाल ने चला इस्तीफे का दांव, हरियाणा विधानसभा चुनाव मे कितना होगा असर?*
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हरियाणा विधानसभा चुनाव को 1 महीने से भी कम समय बचा है। इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सियासत में भूचाल खड़ा कर दिया है। तिहाड़ जेल से रिहाई के बाद सीएम केजरीवाल ने इस्तीफा देने की घोषणा करके सभी को हैरान कर दिया है। अब सवाल यह है कि केजरीवाल के ये इस्तीफे वाला दांव हरियाणा चुनाव पर कितना असर डालेगा? *हरियाणा चुनाव पर होगा पूरा फोकस* राजनीति के जानकारों की मानें तो सीएम केजरीवाल के इस्तीफे से हरियाणा चुनाव में आम आदमी पार्टी का बड़ा फायदा मिल सकता है। कहा जा रहा है कि इस्तीफे के बाद केजरीवाल हरियाणा चुनाव को लेकर पूरी तरह सक्रिय हो सकते हैं। चूंकी, हरियाणा आप के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल खुद जाकर हरियाणा के अलग-अलग विधानसभाओं में पार्टी के कैंडिडेट्स के साथ प्रचार करेंगे। आम आदमी पार्टी दिल्ली में तीन बार और पंजाब में एक बार सरकार बना चुकी है। ऐसे में अब हरियाणा में भी बड़ा “खेल” कर सकती है। *केजरीवाल खेल रहे इमोशनल कार्ड!* माना ये भी जा रहा है कि केजरीवाल इस्तीफा देकर हरियाणा की जनता के बीच में बड़ा इमोशनल कार्ड खेलेंगे। इसके पीछे एक वजह ये भी है कि हरियाणा केजरीवाल का गृह राज्य है जबकि हिसार जिले में वो पले बड़े हैं। वो अक्सर खुद को हरियाणा के लाल भी कहते रहते हैं।इसलिए माना जा रहा है कि केजरीवाल अब हरियाणा की जनता के बीच में अपना इमोशनल कार्ड खेलने के लिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने जा रहे हैं। बता दें कि हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी एक प्रमुख पार्टी है। केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी के हौसले बुलंद हैं। केजरीवाल की रिहाई के बाद लग रहा है कि हरियाणा का चुनाव दंगल जोरदार होगा। 2019 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की 46 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। हालांकि, उस समय वोट शेयर महज 1 फीसदी के आसपास का रहा था और किसी भी सीट पर खाता नहीं खोल पाई थी। इस चुनाव के बाद आप ने हरियाणा में खुद को मजबूत भी किया और जनता के बीच में अपनी पैठ भी मजबूत की है। इस बार के लोकसभा चुनाव में इसका असर भी देखने को मिला। लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का हरियाणा में वोट शेयर 3.94 फीसदी के आसपास पहुंच गया।
हरियाणा की सबसे हॉट सीट बनी जुलाना, जोरदार होगी “जंग”

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हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है। राज्य के चुनावी माहौल में इन दिनों जुलाना सीट की खासी चर्चा है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में रेसलर विनेश फोगाट की उम्मीदवारी के बाद सुर्खियों में आई जुलाना हॉट सीट हो गई है। जींद की जुलाना सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प हो चला है। अब यहां पर कुश्ती लड़ने वाली पहलवानों में चुनावी दंगल देखने को मिलेगा। पहले कांग्रेस ने रेसलर विनेश फोगाट को जुलाना से टिकट दिया। 

इस सीट में दिलचस्प बात ये है कि विनेश के मुकाबले बीजेपी और आईएनएलडी ने जो उम्मीदवार उतारे हैं अधिकारियों से राजनेता बने हैं। बीजेपी ने कैप्टन योगेश बैरागी को मैदान में उतारा है। बैरागी ने डेढ़ साल पहले वायुसेना में सीनियर पायलट की नौकरी छोड़ी है। बीजेपी द्वारा यहां से पूर्व पायलट योगेश बैरागी को अपना उम्मीदवार बनाने के बाद अब आम आदमी पार्टी ने डब्लूडब्लूई महिला रेसलर कविता दलाल पर दांव खेला है। कांग्रेस के साथ सीटों पर सहमति ना बनने से अकेले चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी ने रेसलर कविता दलाल को मैदान में उतारा है।

आप पार्टी ने भारत की पहली महिला WWE रेसलर कविता दलाल को सियासी पिच पर उतार कर यहां का मुकाबला दिलचस्प और माहौल 'टाइट' बना दिया है। अब यहां पहलवान बनाम पहलवान की फाइट भी होगी। हालांकि बीजेपी के योगेश बैरागी भी सियासी अखाड़े में दोनों को चित करने के लिए प्रचार में जमकर पसीना बहा रहे हैं। जजपा ने यहां से अमरजीत ढांडा को टिकट दिया है। वे 2019 में भी जजपा की टिकट से चुनाव जीते और विधायक बने थे। ढांडा दुष्यंत चौटाला के करीबियों में से एक हैं।

*हरियाणा चुनाव के लिए बीजेपी ने जारी की उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट, जानें विनेश फोगाट के खिलाफ किसे उतारा

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हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है। दूसरी लिस्ट में 21 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। दूसरी लिस्ट के साथ ही बीजेपी ने हरियाणा की 90 में से 88 सीटों पर उम्मीवार घोषित कर दिए। पहली लिस्ट में 67 सीटों पर कैंडिडेट्स के ऐलान किए गए थे। हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं। सूबे में 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। 8 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी।

फोगाट के खिलाफ “खेलेंगे” योगेश बैरागी

बीजेपी ने दूसरी लिस्ट में दो मुस्लिम उम्मीदवार को भी टिकट दिया है। फिरोजपुर झिरका सीट से नसीम अहमद और पुन्हाना सीट से ऐज़ाज़ खान को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। जुलाना सीट पर कैप्टन योगेश बैरागी को बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है। यहां से कांग्रेस के टिकट पर पहलवान विनेश फोगाट मैदान में हैं। वहीं, पार्टी ने नारायणगढ़ से पवन सैनी, पेहोवा से जय भगवान, पुंडरी से सतपाल जाम्बा, असंध से योगेंद्र राणा, गनौर से देवेंद्र कौशिक, राई से कृष्णा गहलावत, बरोदा से प्रदीप सांगवान, नरवाना से कुष्ण कुमार बेदी को टिकट दिया है।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का टिकट कटा

बीजेपी ने दूसरी सूची में मौजूद प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बाडौली का टिकट काट दिया है। बडौली 2019 में सोनीपत जिले की राई सीट से जीते थे। पार्टी ने यहां से कृष्णा गहलावत को उतारा है। इसके साथ बीजेपी ने पहलवान विनेश फोगाट के उतरने से चर्चा में आई जुलाना सीट से कैप्टन योगेश बैरागी को उतारा है। पार्टी ने बड़ा उलटफेर करते हुए राज्य मंत्री संजय सिंह को सोहना की बजाए नूंह से उतार दिया है। नूंह से कांग्रेस के दिग्गज नेता आफताब अहमद विधायक है।

हरियाणा विस चुनावः गठबंधन की चर्चाओं के बीच आप की पहली सूची जारी, क्या कांग्रेस से नहीं बनी बात?
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कांग्रेस के साथ गठबंधन की चर्चा के बीच हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी ने आज उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है। जारी की गई पहली लिस्ट में कुल  20 उम्मीदवारों के नाम हैं। बता दें कि हरियाणा में आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बात चल रही हैं। हालांकि उससे पहले आप ने पहली लिस्ट जारी कर दी है। इसके साथ ही पार्टी ने कांग्रेस के 11 उम्मीदवारों के सामने अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए हैं।

आप ने रोहतक से बिजेंद्र हुड्डा को प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं नारायणगढ़ से गुरपाल सिंह प्रत्याशी होंगे। पार्टी ने कलायत से अनुराग ढांडा को उम्मीदवार बनाया है। घरौंडा से जयपाल शर्मा, असंध से अमनदीप जुंडला को टिकट दी गई है। समालखा से बिट्टू पहलवान, उचाना कलां से पवन फौजी और डबवाली से कुलदीप गदराना को टिकट दिया गया है। रानिया से हैप्पी रानिया, भिवानी से इंदू शर्मा, महम से विकास नेहरा, बहादुरगढ़ से कुलदीप चिकारा, बादली से रणबीर गुलिया और बेरी से सोनू अहलावत शेरिया को उम्मीदवार घोषित किया गया है। इसके अलावा महेंद्रगढ़ से मनीष यादव, नारनौल से रविंद्र मटरू, बादशाहपुर से बीर सिंह सरपंच, सोहना से धर्मेंद्र खटाना और बल्लभगढ़ से रविंदर फौजदार को टिकट दी गई है।

बता दें कि सोमवार की सुबह आप ने कांग्रेस से कहा था कि अगर कांग्रेस गठबंधन पर शाम तक फैसला नहीं करेगी तो हम अपनी लिस्ट जारी करेंगे। ऐसे में साफ जाहिर है कि कांग्रेस की तरफ से गठबंधन को लेकर जब कोई संकेत नहीं मिला तो आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नाम जारी कर दिए हैं। ऐसे में कयास लग रहे हैं कि आप व कांग्रेस अब राज्य में अलग-अलग चुनाव लड़ेगी।

सूत्रों की मानें तो आप और कांग्रेस के बीच बातचीत इसलिए फेल हो गई क्योंकि आम आदमी पार्टी 10 से अधिक सीटें मांग रही थी और कांग्रेस 3 सीट से अधिक देने के पक्ष में नहीं थी। इधर कांग्रेस के कुछ जमीनी नेता भी इस गठबंधन को न करने की सलाह दे रहे थे।
कांग्रेस ने जारी की 31 उम्मीदवारों की सूची, लिस्ट में 3 मुस्लिम चेहरे, नूंह दंगे के आरोपी मामन खान को भी टिकट

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हरियाणा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने लिस्ट जारी कर दी है। कांग्रेस की लिस्ट में कुल 31 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। लिस्ट में विनेश फोगाट को भी मौका मिला है। जुलाना से विनेश फोगाट भी चुनाव लड़ेंगी। तो वहीं लिस्ट में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का भी नाम शामिल है। कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में लगभग सभी सिटिंग विधायकों को मैदान में उतार दिया है। मुसलमानों के हिस्सेदारी की बात करें तो पहली लिस्ट में सिर्फ तीन मुस्लिम चेहरों को जगह मिली है।

पहली सूची पर मुहर कांग्रेस संसदीय दल की चेयरपर्सन सोनिया गांधी की मौजूदगी में सीईसी की बैठक में लगी। इसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा को एक बार फिर से पार्टी ने गढ़ी सांपला किलोई सीट से टिकट दिया है। इसके अलावा पार्टी ने पूर्व मंत्री गीता भुक्कल को झज्जर (सुरक्षित) सीट से उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने पूर्व वित्त मंत्री और लालू प्रसाद यादव के दामान चिरंजीव राव को रेवाड़ी से फिर उतारा है। इसके पार्टी ने नूंह सीट पर आफताब अहमद को टिकट दिया है।

नारायणगढ़ से कांग्रेस ने शैली चौधरी

अन्य बड़े चेहरों में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान होडल (सुरक्षित) सीट से लड़ेंगे। कांग्रेस पार्टी ने एनआईटी फरीदाबाद सीट से नीरज शर्मा को टिकट दिया है। पार्टी ने डबवाली सीट से अमित सिहाग को उतारा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी की सीट रह चुकी नारायणगढ़ से कांग्रेस ने शैली चौधरी को टिकट दिया है।

सीएम सैनी के सामने मेवा सिंह

कांग्रेस ने अपनी सूची में घोषित 32 (31+1)कैंडिडेट में लाडवा सीट मौजूदा विधायक मेवा सिंह की टिकट बरकरार रखी है। 2019 में मेवा सिंह ने बीजेपी के सिटिंग विधायक डॉ. पवन सैनी को शिकस्त दी थी। इस बार लाडवा से हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी खुद चुनाव लड़ रहे हैं। उप चुनाव में सीएम सैनी करनाल से जीते थे, लेकिन वह अब लाडवा से बीजेपी कैंडिडेट हैं।

विनेश और बजरंग पुनिया कांग्रेस के लिए इतने जरूरी क्यों हुए, क्या हरियाणा विधानसभा तुनाव में मिलेगा लाभ?

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पहलवान विनेश फोगाट कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। विनेश के साथ पहलवान बजरंग पूनिया ने भी “सियासी दंगल” में प्रवेश कर लिया। ओलंपिक में पदक से चूकने के बाद ही विनेश ने खेल से संन्यास की घोषणा कर दी थी। इसके बाद ही उनके और ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया के राजनीतिक दंगल में उतरने की अटकलें शुरू हो गई थीं। आज कांग्रेस में शामिल होने के साथ ही इस पर विराम लग गया।

दोनों खिलाड़ियों के कांग्रेस का हाथ थामने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल है कि भारत से कई खिलाड़ी ओलंपिक में गए हैं लेकिन कांग्रेस ने उनमें से केवल विनेश फोगाट और बजरंग पांजा को ही अधिक महत्व क्यों दिया? इन दोनों पहलवानों के आने से कांग्रेस को इस चुनाव में कितना फायदा मिलेगा? दूसरे शब्दों में कहें तो कांग्रेस में इन दोनों खिलाड़ियों के शामिल होने से बीजेपी को कितना झटका लगेगा?

कांग्रेस में शामिल होने के बाद विनेश ने कहा कि सड़क से संसद तक महिलाओं के लिए लड़ने वाली पार्टी में शामिल होकर वह खुश हैं। बता दें कि विनेश महिला रेसलरों के यौन उत्पीड़न के खिलाफ तत्कालीन डब्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के विरोध में लड़ाई लड़कर बीजेपी के विरोध की आवाज बन चुकी है। हरियाणा के चुनावों में वैसे तो कई मुद्दे होंगे पर विनेश फौगाट के बजरंग पूनिया ने जिस मुद्दे को लेकर सक्रिय हैं वो सभी मुद्दों पर भारी पड़ सकता है।

विनेश को ओलंपिक में सफलता मिलने के बाद जिस तरह हाथ से पदक फिसल गए उससे आम लोगों में उनको लेकर जबरदस्त संवेदना है। दिल्ली में कई बार विरोध प्रदर्शनों के दौरान और ओलंपिक में फाइनल नहीं खेलने दिए जाने के बाद से विनेश फोगाट को लेकर हरियाणा समेत देशभर में सहानुभूति की जबरदस्त लहर दिखाई दी थी. पेरिस से खाली हाथ मायूस होकर दिल्ली लौटीं विनेश फोगाट को देखकर कई खेलप्रेमियों के आंसू छलक पड़े थे. इसके बाद टीवी, रेडियो, अखबारों और सोशल मीडिया में विनेश फोगाट की तस्वीरों की लहर चल पड़ी. ज्यादातर तस्वीरों में उनके साथ बजरंग पूनिया भी दिखे थे। विनेश के राजनीतिक अखाड़े में उतरने से जाहिर है कि ब्रजभूषण शरण सिंह विवाद की फिर से हर गली चौक चौबारे पर चर्चा होगी। जो चुनाव परिणाम के लिए गेमचेंजर भी साबित हो सकता है।जो मौजूदा सरकार के खिलाफ किसानों की नाराजगी, जाटों की नाराजगी आदि को और बल प्रदान करेगा।

महिला, खिलाड़ियों, युवाओं को संदेश

राजनीति के जानकारों का मानना है कि विनेश के कांग्रेस में आने से महिला वोटरों खासकर युवा लड़कियों को भी कांग्रेस की तरफ से एक संदेश जाएगा। पार्टी विनेश और बजरंग के जरिये जाट वोटरों में मजबूती के साथ ही महिलाओं के अलावा युवाओं और खिलाड़ियों को भी अपने पाले में लाने में कामयाब होती दिख रही है। इसका असर चुनाव पर दिखना स्वाभाविक है।

राजनीति में असरदार जाट बिरादरी का मिलेगा साथ!

पिछले साल पहलवानों के विरोध प्रदर्शन का असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला था। बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था। एनडीए और कांग्रेस दोनों को 5-5 सीटों पर जीत मिली थी। हरियाणा की राजनीति में जाटों की अहम भूमिका है। जाटों की आबादी 22 फीसदी से अधिका है। विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया दोनों हरियाणा की राजनीति में असरदार जाट बिरादरी से संबंध रखते हैं। हरियाणा में रोहतक, सोनीपत, हिसार, भिवानी, जींद, कैथल, चरखी दादरी और सिरसा तक जाट समुदाय ही कई विधानसभा सीटों पर जीत-हार का फैसला करता है। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से इन इलाकों की 36 विधानसभा सीटों पर जाट वोटर्स निर्णायक साबित होते हैं। इसलिए कांग्रेस ने हुड्डा परिवार की पैरवी, सहानुभूति लहर और जाट समुदाय के वोटों की उम्मीद में विनेश फोगाट के पक्ष में दांव लगाया है।

हरियाणा विस चुनावः क्या है विधायक-मंत्रियों के टिकट काटने की वजह*
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हरियाणा में 5 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने पहली लिस्ट जारी कर दी है। बीजेपी की पहली लिस्ट में 67 उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। टिकट देने से पहले पार्टी ने काफी मंथन किया, तब जाकर नामों पर मुहर लग सकी। बीजेपी ने कई मौजूदा विधायकों और मंत्रियों के टिकट काटे। बीजेपी की इस लिस्ट में कई संदेश छिपे हुए हैं।बताया जा रहा है कि बीजेपी को इन सीटों पर फील्ड से जो फीडबैक मिला था उस आधार पर उम्मीदवारों का बदलाव किया गया है। *सर्वे में जीतने वाले उम्मीदवारों पर ही दांव खेला* बताया जा रहा है कि बीजेपी को इन सीटों पर फील्ड से जो फीडबैक मिला था उस आधार पर उम्मीदवारों का बदलाव किया गया है। बीजेपी ने मौजूदा 9 विधायकों का टिकट काट दिया है। इनमें पलवल से दीपक मंगला, फरीदाबाद से नरेंद्र गुप्ता, गुरुग्राम से सुधीर सिंगला, बवानी खेड़ा से विशंभर वाल्मीकि, रनिया से कैबिनेट मंत्री रणजीत चौटाला, अटेली से सीताराम यादव, पेहवा से पूर्व मंत्री संदीप सिंह शामिल हैं। सोनहा से राज्यमंत्री संजय सिंह, रतिया से लक्ष्मण नापा को भी टिकट नहीं दिया गया है। पार्टी ने सर्वे में जीतने वाले उम्मीदवारों पर ही दाव खेला है। भाजपा ने जिन पांच पूर्व मंत्रियों को टिकट दिए हैं, वह पार्टी के सर्वे में बाकी दावेदारों से काफी आगे थे। *लिस्ट के बाद पार्टी का साथ छोड़ने वाले नेताओं की लाइन लगी* लिस्ट जारी होने के बाद टिकट से वंचित नेताओं और उनके समर्थकों ने बगावती तेवर अपना लिए हैं। पहली लिस्ट के बाद हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़ने वाले नेताओं की लाइन लग गई है। पार्टी छोड़ने वालों में कैबिनेट मंत्री से लेकर कई पूर्व विधायक भी शामिल हैं। बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इसमें हरियाणा के कैबिनेट मंत्री चौधरी रणजीत सिंह चौटाला का नाम भी शामिल है। उन्होंने रानिया विधानसभा से टिकट नहीं देने पर नाराजगी जताई। यही नहीं रणजीत चौटाला ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है। *टिकट बंटवारे के पीछे खास प्लानिंग* बीजेपी नेतृत्व ने जिस तरह से टिकट बंटवारा किया है उसके पीछे खास प्लानिंग मानी जा रही है। पार्टी ने इसी साल जून में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को देखते हुए टिकट बंटवारा किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार लोकसभा चुनाव में राज्य की 10 में से 5 सीट पर ही बीजेपी कब्जा जमाने में सफल रही। बाकी बची 5 सीटें कांग्रेस के खाते में गईं। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां सभी 10 सीटों पर कब्जा जमाया था। 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन को देखते हुए पार्टी कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती। इसके पीछे एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर भी अहम है।