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पाकिस्तान की एयरस्ट्राइक में अफगानिस्तान के तीन क्रिकेटरों समेत 8 की मौत, एसीबी ने उठाया बड़ा कदम

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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच पिछले कुछ दिनों से सैन्य झड़प हो रही है। यह संघर्ष पिछले हफ्ते शुरू हुआ जब इस्लामाबाद ने काबुल में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के ठिकानों पर हमला किया। हालांकि, 8 अक्टूबर से जारी संघर्ष के बाद बुधवार शाम को सीजफायर पर सहमति बनी थी। लेकिन शुक्रवार रात पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हवाई हमले कर दिए। पाकिस्तानी सेना ने पक्तिका प्रांत में एयर स्ट्राइक की और रिहायशी घरों को निशाना बनाया गया, जिसमें कई युवा क्रिकेटर्स ने भी अपनी जान गंवा दी। 

अफगानिस्तान ने ट्राई सीरीज से नाम वापस लिया

इस बात की पुष्टि खुद अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने की है। अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने बताया कि कबीर आगा, सिबघातुल्लाह और हारून नाम के 3 अफगानी क्रिकेटर्स की इस हमले में जान गई। पाकिस्तान की इस घटिया हरकत के बाद अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ होने वाली ट्राई सीरीज से अपना नाम वापस ले लिया है। यह सीरीज 5 से 29 नवंबर के बीच लाहौर और रावलपिंडी में खेली जानी थी। लेकिन, पाकिस्तान के एयरस्ट्राइक के बाद यह फैसला लिया गया। 

8 डोमेस्टिक और क्लब स्तर के खिलाड़ियों की मौत

अफगानिस्तान की मीडिया के मुताबिक, पाकिस्तानी हमले में कुल 8 अफगानिस्तान के डोमेस्टिक और क्लब स्तर के खिलाड़ियों की मौत हुई है। जानकारी के मुताबिक ये आठों खिलाड़ी शराना इलाके में मैच खेल कर जीत का जश्न मनाने अर्गुन इलाके में आए थे, जब पाकिस्तानी सेना ने रिहाइशी इलाके में हवाई हमला कर दिया। इसके बाद पूरी इमारत मलबे में बदल गई।

हमले के खिलाफ राशिद खान का पोस्ट

अफगानिस्तान टीम के कप्तान राशिद खान ने भी घटना पर दुख जताया और सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि 'अफगानिस्तान पर पाकिस्तान के हालिया हवाई हमले में मारे गए नागरिकों की मौत से मैं बेहद दुखी हूं। राशिद खान ने कहा कि 'नागरिक ठिकानों पर हमला पूरी तरह से अनैतिक और निर्मम है। यह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और इसके खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए।

तालिबानी विदेश मंत्री की नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों हटाया गया, प्रियंका ने पीएम मोदी पर बोला हमला

#womenjournalistsnotallowafghanforeignministeramirkhanmuttaqipress_conference

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी 7 दिनों के भारत पर आए हैं। अफगानी मंत्री ने शुक्रवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई, जिसमें महिला पत्रकारों को एंट्री नहीं दी गई। महिला पत्रकारों की ग़ैरमौजूदगी को लेकर भारत की विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर हमला बोला है। विपक्षी नेता सरकार से इसपर सवाल पूछ रहे हैं।

मुत्ताकी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के कब्जे के बाद यह पहली उच्चस्तरीय बैठक भारत में हुई है। शुक्रवार की शाम मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ़्रेंस नई दिल्ली स्थित अफगानिस्तान के दूतावास में थी। जिसमें महिला पत्रकारों को आमंत्रित नहीं किया गया था। यह घटना विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ उनकी बातचीत के कुछ घंटों बाद हुई। कई महिला पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि उन्हें इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस से बाहर रखा गया। अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के पब्लिक कम्युनिकेशन के निदेशक हाफ़िज ज़िया अहमद ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की जो तस्वीर एक्स पर पोस्ट की है, उसमें साफ दिख रहा है कि कोई महिला पत्रकार नहीं है।

प्रियंका ने पूछा- महिलाओं का अपमान हमारे देश में कैसे होने दिया गया?

ऐसे में अफगानी मंत्री मुत्तकी की प्रेस वार्ता में महिला पत्रकारों की एंट्री बैन पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरना शुरू कर दिया। प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, कृपया यह साफ करें कि भारत आए तालिबान प्रतिनिधि की प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों को क्यों हटाया गया। अगर महिलाओं के अधिकारों को लेकर आपकी बातें सिर्फ चुनाव के समय की दिखावा नहीं हैं, तो देश की कुछ काबिल महिलाओं का यह अपमान हमारे देश में कैसे होने दिया गया? यह वही देश है जहां की महिलाएं रीढ़ और शान हैं।

एस जयशंकर पर महुआ मोइत्रा का तीखा हमला

मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर भारत सरकार और विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी तीखा हमला बोला है। महुआ मोइत्रा ने एक्स पर एक पोस्ट में सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि कैसे सरकार ने तालिबान प्रतिनिधि को भारतीय धरती पर पूरी प्रोटोकॉल के साथ महिलाओं पत्रकारों को बाहर रखकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की इजाजत दी।

क्या कह रहा विदेश मंत्रालय?

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी की दिल्ली यात्रा के दौरान हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर उठे विवाद पर भारत सरकार ने अपनी स्थिति साफ कर दी है। विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में उसकी कोई भूमिका नहीं थी और यह कार्यक्रम पूरी तरह अफगानिस्तान के दूतावास की तरफ से आयोजित किया गया था। इस बयान के साथ सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत सरकार या उसके किसी विभाग का इस प्रेस इंटरैक्शन से कोई संबंध नहीं था।

क्या तालिबान को औपचारिक रूप से मान्यता देगा भारत? अफगानी विदेश मंत्री की बड़ी मांग

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अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी गुरुवार को एक हफ्ते की यात्रा पर दिल्ली पहुंचे। अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद काबुल से दिल्ली तक यह पहली मंत्री स्तर की यात्रा है। आज अमीर खान मुत्तकी विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से भी मिलेंगे। इससे ठीक पहले तालिबान ने खुलकर अपनी बड़ी डिमांड रख दी है। वह चाहते है कि भारत तालिबानी सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता दे।

इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान को मान्यता देने की मांग

तालिबान के कतर स्थित राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख और अफगानिस्तान के राजदूत सुहैल शाहीन ने कहा, यह समय है कि भारत और अफगानिस्तान दोनों देश अपने संबंधों को एक नया राजनयिक स्तर दें और इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान को मान्यता देकर विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग का रास्ता खोलें। उन्होंने कहा, यह पहली बार है जब हमारे विदेश मंत्री भारत की यात्रा कर रहे हैं, और यह दौरा बहुत महत्वपूर्ण है। हमें उम्मीद है कि यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों के नए अध्याय की शुरुआत करेगी।

भारत का क्या है कहना?

वहीं, भारत ने अभी तक तालिबान को मान्यता देने में जल्दी नहीं दिखा रही हैं। दरअसल, दिल्ली ने पहले ही कहा है कि उसकी रणनीति अंतरराष्ट्रीय समुदाय के रुख के अनुकूल रहेगी। कई देशों ने तालिबान की ओर से नियुक्त अधिकारियों को राजनयिक तौर पर स्वीकार किया है, पर रूस ही एक ऐसा देश रहा है जिसने सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता दी है। भारत ने बार-बार कहा है कि वह एक संप्रभु, लोकतांत्रिक और शांतिप्रिय अफगानिस्तान चाहता है, जहाँ सभी समुदायों-महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों-के हक सुरक्षित हों। इसके अलावा भारत अफगानिस्तान से यह भी गारंटी चाहता है कि उसकी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा।

झंडे का प्रोटोकॉल बना चुनौती

हालांकि, अब मुत्तकी की यात्रा के दौरान भारतीय विदेश मंत्रालय के सामने एक कूटनीतिक समस्या पैदा हो गई है। दरअसल, मुत्तकी की शुक्रवार को विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात हो सकती है। कूटनीतिक प्रोटोकॉल के अनुसार मेजबान देश (भारत) का झंडा और मेहमान मंत्री के देश का झंडा दोनों उनके पीछे या मेज पर रखे जाने चाहिए।

हालांकि, भारत ने अभी तक तालिबान-शासित अफगानिस्तान को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। इसी वजह से भारत ने तालिबान को अफगान दूतावास में अपना झंडा फहराने की अनुमति नहीं दी है। दूतावास में अभी भी इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान का झंडा फहराया जाता है (यह वह शासन था जिसका नेतृत्व अपदस्थ राष्ट्रपति अशरफ गनी कर रहे थे)। अब तक यही नियम चला आ रहा है। अब सवाल है कि जब मुत्तकी, जयशंकर से मिलेंगे तो उनके पीछे कौन सा झंडा लगेगा?

दोनों देशों के बीच विश्वास बढ़ा

हालांकि, मुत्ताकी का स्वागत करने का भारत का फैसला इस बात का संकेत है कि दोनों देशों के बीच विश्वास का स्तर बढ़ रहा है। तालिबान भारत से चाहता है कि वह अफगानिस्तान में अपना आर्थिक निवेश और उपस्थिति बढ़ाए।

कलाकार रवीन्द्र कुशवाहा गोरखपुर के इण्टरनेशनल फ्रेंडशिप आर्ट वर्कशॉप और सेमिनार में आमंत्रित कलाकार।

संजय द्विवेदी प्रयागराज।अंतर्राष्ट्रीय कला जगत में प्रयागराज एवं भारत का नाम रोशन करने वाले प्रयागराज के मशहूर चित्रकार रवीन्द्र कुशवाहा को गोरखपुर में आयोजित वसुधैव कुटुंबकम् चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मित्रता कला शिविर एवं सगोष्ठी में सादर आमंत्रित किया गया है।अभी-अभी रवीन्द्र कुशवाहा की अंतरराष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी अमेरिका के जर्मनटाउन में धूम मचाकर आई है तथा अगली अंतरराष्ट्रीय कला प्रदर्शनी इनकी नार्वे स्वीडन में आयोजित है।

ललितकला संस्थान ललिता ए ट्रस्ट ऑफ फाइन आर्ट, फोक आर्ट, परफॉर्मिंग आर्ट एंड कल्चर तथा राज्य ललित कला अकादमी संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित 6 देशों के 64 प्रख्यात कलाकार जो चार दिवसीय इंटरनेशनल फ्रेंडशिप आर्ट कैम्प एण्ड सेमिनार में अपनी रचनात्मक कला व भावपूर्ण चित्रण का जलवा बिखेरेंगे ।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और PM नरेंद्र मोदी ने शिबू सोरेन को दी श्रद्धांजलि, परिजनों से की मुलाकात

नई दिल्ली, 4 अगस्त 2025: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर आज देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल पहुंचकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों ने दिवंगत शिबू सोरेन के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण किया। इस दुखद घड़ी में उन्होंने मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन, विधायक श्रीमती कल्पना सोरेन और अन्य परिजनों से भी मुलाकात कर अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि वे दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और शोकाकुल परिवार को इस कठिन समय में संबल दें।

शिबू सोरेन का निधन झारखंड समेत पूरे देश के लिए एक बड़ी क्षति है, और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए कई गणमान्य व्यक्ति पहुंच रहे हैं।

भारत ने अफगानिस्तान पर UN के प्रस्ताव से बनाई दूरी, जानें क्यों किया परहेज

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भारत ने अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक प्रस्ताव पर वोट नहीं दिया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अफगानिस्तान पर पेश प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग से दूरी बनाते हुए साफ कहा कि बिना नए और ठोस कदमों के अफगान जनता के लिए सकारात्मक बदलाव संभव नहीं है।अफगानिस्तान की स्थिति पर जर्मनी की तरफ से पेश किए गए एक मसौदा प्रस्ताव को 193-सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंजूरी दे दी। यह प्रस्ताव 116 मतों से पास हुआ, जबकि दों देशों ने विरोध किया और 12 देशों ने मतदान से दूरी बनाई, जिनमें भारत भी शामिल था।

भारत ने बताई वोट नहीं देने की वजह

यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वाथानेनी हरीश ने कहा कि भारत को चिंता है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवादी संगठन कर रहे हैं। इसलिए भारत ने वोट नहीं दिया। हरीश ने यूएन में कहा कि अफगानिस्तान ने 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है, जिसका भारत स्वागत करता है।

अफगानी धरती का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए न हो

पर्वाथानेनी हरीश ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यूएन सुरक्षा परिषद द्वारा तय किए गए आतंकवादी संगठन, जैसे अल कायदा, आईएसआईएल, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद, अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए न करें। साथ ही, जो देश इन संगठनों की मदद करते हैं, उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र में और क्या बोले पी हरीश?

भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि किसी भी जंग के बाद की स्थिति को संभालने के लिए सजा देने वाले कदमों के साथ-साथ प्रोत्साहन भी जरूरी होता है। केवल सजा देने वाली नीतियां कामयाब नहीं होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगस्त 2021 में तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद से अफगानिस्तान में बढ़ती मानवीय समस्या को हल करने के लिए कोई नई रणनीति नहीं बनाई गई है। इसलिए बिना नए कदमों के अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उम्मीदें पूरी नहीं होंगी।

जर्मनी ने पेश किया प्रस्ताव

‘अफगानिस्तान की स्थिति' पर जर्मनी द्वारा पेश किए गए एक मसौदा प्रस्ताव को 193-सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंजूरी दे दी। यूएन महासभा के इस प्रस्ताव में तालिबान के कंट्रोल के बाद अफगानिस्तान में गंभीर आर्थिक, मानवीय और सामाजिक स्थितियों, लगातार हिंसा और आतंकवादी समूहों की उपस्थिति, राजनीतिक समावेशिता और प्रतिनिधि निर्णय लेने की कमी के साथ-साथ महिलाओं, लड़कियों और अल्पसंख्यकों से संबंधित मानव अधिकारों के उल्लंघन और दुरुपयोग पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है।

पुतिन ने तालिबान को दी मान्यता, ऐसा करने वाला पहला देश बना, क्या भारत ले सकेगा ये फैसला?

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रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता दे दी है। ऐसा करने वाला वह पहला देश है।वर्ष 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में उसकी सरकार को औपचारिक रूप से अभी तक अन्य किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। मगर अब रूस ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसके साथ ही मॉस्को ने तालिबान को अपने प्रतिबंधित संगठनों की सूची से भी हटा दिया।

रूसी विदेश मंत्रालय ने बताया कि उसने अफगानिस्तान के नए राजदूत गुल हसन हसन से प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। मंत्रालय ने कहा कि अफगान सरकार की आधिकारिक मान्यता द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगी। रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा हमारा मानना है कि अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने से हमारे देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादक द्विपक्षीय सहयोग के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

“साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा”

वहीं, अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया और तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे “अन्य देशों के लिए एक अच्छा उदाहरण” कहा। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव के साथ काबुल में बैठक की। एक्स पर बैठक का वीडियो पोस्ट करते हुए मुत्ताकी ने कहा, यह साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा। अब जब मान्यता की प्रक्रिया शुरू हो गई है तो रूस सभी से आगे है। मुत्ताकी ने कहा, 'यह हमारे संबंधों के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर है।

2021 में लागू हुआ था तालिबानी शासन

तालिबान का शासन 2021 में अफगानिस्तान में लागू हुआ था। तालिबान ने अगस्त 2021 में अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बाद अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद से वह देश पर शासन कर रहा है। हालांकि, उसे अभी तक किसी देश ने उसकी सरकार को मान्यता नहीं दी थी।

क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा?

पुतिन के इस फैसले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा? दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के समय पाकिस्तान के दावों पर तालिबान ने भारत का साथ दिया। बिक्रम मिस्री तालिबान विदेश मंत्री से मिल भी चुके हैं।

पाकिस्तान से तनाव के बीच एस जयशंकर ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री से की बात, नए कूटनीति संबंधों का आगाज

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पहले से ही खराब चल रहे भारत और पाकिस्तान के संबंध इन दिनों नीचले स्तर पर पहुंच गए हैं। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए अटैक और उसके बाद भारत की ओर से की गई एयर स्ट्राइक के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध के हालात पैदा हो गए थे। हालांकि, भारत की जवाबी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने घूटने टेक दिए। अब भारत-पाक का संघर्ष तो खत्म हो गया है, लेकिन तनाव बरकरार है। इस बीच भारत ने अफगानिस्तान के साथ ने कूटनीतिरक संबंधों की शुरूआत की है। 

दरअसल, एस जयशंकर ने पहली बार अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से फोन पर बात की है। एस जयशंकर ने ने गुरुवार को अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी के साथ फोन पर बात की। इस बातचीत में भारत और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास पैदा करने के कोशिशों का भी जिक्र हुआ।

भारत-पाक तनाव के बीच अफगानिस्तान का रुख किस तरफ

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 15 मई को सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर जानकारी दी कि उन्होंने तालिबानी सरकार के विदेश मंत्री से भारत-पाक तनाव के बाद बातचीत की। जयशंकर ने पोस्ट कर कहा, अफगान के एक्टिंग विदेश मंत्री मावलवी अमीर खान मुत्ताकी के साथ अच्छी बातचीत हुई। विदेश मंत्री ने यह बताते हुए कि भारत-पाक तनाव के बीच अफगानिस्तान का रुख किस तरफ है। उन्होंने कहा, पहलगाम आतंकवादी हमले की उनकी निंदा की मैं सराहना करता हूं। दरअसल, अफगानिस्तान ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले की निंदा की थी, इस अटैक में 26 टूरिस्ट मारे गए थे। 

तालिबान सरकार के स्टैंड की तारीफ

इसी के साथ जहां पाकिस्तान की तरफ से भारत और अफगानिस्तान के बीच रिश्तों में आग लगाने की कोशिश की गई, उसको लेकर भी जयशंकर ने तालिबान सरकार के स्टैंड की तारीफ की।

उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उसकी तरफ इशारा करते हुए कहा, झूठी और आधारहीन रिपोर्टों के जरिए से भारत और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास पैदा करने की हालिया कोशिशों को अफगानिस्तान ने जो अस्वीकार किया उसका भी स्वागत करता हूं। अफगान लोगों के साथ हमारी पारंपरिक दोस्ती और विकास-सहयोग के लिए लगातार दोनों देशों के एक दूसरे के सहयोग को भी सामने रखा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने फीता काटकर दस्तक अभियान का किया शुभारंभ

नजफगढ़ विधानसभा सीट के शुरुआती रुझान, बीजेपी की नीलम पहलवान आगे

दिल्ली में विधानसभा चुनाव में 8 फरवरी यानी आज का दिन बेहद अहम है, क्योंकि आज मतों की गिनती हो रही है. दिल्ली की सभी 70 सीटों पर शुरुआती रुझान आने लगे हैं. नजफगढ़ विधानसभा सीट (Najafgarh Assembly Seat) पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. आम आदमी पार्टी ने तरुण यादव (Tarun Yadav), बीजेपी ने नीलम पहलवान (Neelam Pahalwan) और कांग्रेस ने सुषमा यादव (Sushma Yadav) को चुनावी मैदान में खड़ा किया है.

8.30 AM: दिल्ली में एक बार फिर कांटे की टक्कर चल रही है.

8.17 AM: शुरुआती रुझान में बीजेपी की नीलम पहलवान आगे चल रही हैं.

8 AM: वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है.

राजधानी की हाई प्रोफाइल नजफगढ़ सीट पर AAP का कब्जा है, लेकिन पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले कैलाश गहलोत 2025 के चुनाव से कुछ महीने भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. ऐसे में यहां के मुकाबले पर सभी की नजर लगी हुई है. जनरल कैटेगरी के तहत आने वाली नजफगढ़ विधानसभा सीट साउथ वेस्ट दिल्ली जिले में स्थित है.

2020 में किसके बीच रहा मुकाबला

साल 2020 के चुनाव में नजफगढ़ सीट पर AAP के टिकट पर कैलाश गहलोत को जीत मिली थी. तब अरविंद केजरीवाल के बेहद खास रहे कैलाश ने बीजेपी के प्रत्याशी अजित सिंह खारखारी को 6,231 वोटों के अंतर से हराया था. कांग्रेस के साहब सिंह तीसरे नंबर पर रहे.

इससे पहले नजफगढ़ सीट पर पहली बार 1993 में विधानसभा चुनाव कराए गए. तब सूरज प्रसाद पालीवाल को जीत मिली थी. वह बतौर निर्दलीय चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे. फिर 1998 में कांग्रेस के कंवल सिंह यादव को जीत मिली. फिर 2003 के चुनाव में एक और निर्दलीय प्रत्याशी रणबीर सिंह खरब के खाते में जीत आई.

निर्दलीय प्रत्याशी को मिली जीत

साल 2008 के चुनाव में एक बार फिर निर्दलीय प्रत्याशी के खाते में जीत आई. इस बार भरत सिंह विधायक चुने गए. बीजेपी को यहां पर चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा. 2013 में नजफगढ़ सीट पर बीजेपी के अजित सिंह खारखारी ने इंडियन नेशलन लोक दल के टिकट पर लड़ने वाले भरत सिंह को शिकस्त दी थी.

फिर 2015 में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी कैलाश गहलोत ने इंडियन नेशलन लोक दल के भरत सिंह को 1,555 मतों से हराया. 2020 के चुनाव में कैलाश गहलोत ने फिर से यहां से जीत हासिल की.

पाकिस्तान की एयरस्ट्राइक में अफगानिस्तान के तीन क्रिकेटरों समेत 8 की मौत, एसीबी ने उठाया बड़ा कदम

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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच पिछले कुछ दिनों से सैन्य झड़प हो रही है। यह संघर्ष पिछले हफ्ते शुरू हुआ जब इस्लामाबाद ने काबुल में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के ठिकानों पर हमला किया। हालांकि, 8 अक्टूबर से जारी संघर्ष के बाद बुधवार शाम को सीजफायर पर सहमति बनी थी। लेकिन शुक्रवार रात पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हवाई हमले कर दिए। पाकिस्तानी सेना ने पक्तिका प्रांत में एयर स्ट्राइक की और रिहायशी घरों को निशाना बनाया गया, जिसमें कई युवा क्रिकेटर्स ने भी अपनी जान गंवा दी। 

अफगानिस्तान ने ट्राई सीरीज से नाम वापस लिया

इस बात की पुष्टि खुद अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने की है। अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने बताया कि कबीर आगा, सिबघातुल्लाह और हारून नाम के 3 अफगानी क्रिकेटर्स की इस हमले में जान गई। पाकिस्तान की इस घटिया हरकत के बाद अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ होने वाली ट्राई सीरीज से अपना नाम वापस ले लिया है। यह सीरीज 5 से 29 नवंबर के बीच लाहौर और रावलपिंडी में खेली जानी थी। लेकिन, पाकिस्तान के एयरस्ट्राइक के बाद यह फैसला लिया गया। 

8 डोमेस्टिक और क्लब स्तर के खिलाड़ियों की मौत

अफगानिस्तान की मीडिया के मुताबिक, पाकिस्तानी हमले में कुल 8 अफगानिस्तान के डोमेस्टिक और क्लब स्तर के खिलाड़ियों की मौत हुई है। जानकारी के मुताबिक ये आठों खिलाड़ी शराना इलाके में मैच खेल कर जीत का जश्न मनाने अर्गुन इलाके में आए थे, जब पाकिस्तानी सेना ने रिहाइशी इलाके में हवाई हमला कर दिया। इसके बाद पूरी इमारत मलबे में बदल गई।

हमले के खिलाफ राशिद खान का पोस्ट

अफगानिस्तान टीम के कप्तान राशिद खान ने भी घटना पर दुख जताया और सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि 'अफगानिस्तान पर पाकिस्तान के हालिया हवाई हमले में मारे गए नागरिकों की मौत से मैं बेहद दुखी हूं। राशिद खान ने कहा कि 'नागरिक ठिकानों पर हमला पूरी तरह से अनैतिक और निर्मम है। यह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और इसके खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए।

तालिबानी विदेश मंत्री की नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों हटाया गया, प्रियंका ने पीएम मोदी पर बोला हमला

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अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी 7 दिनों के भारत पर आए हैं। अफगानी मंत्री ने शुक्रवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई, जिसमें महिला पत्रकारों को एंट्री नहीं दी गई। महिला पत्रकारों की ग़ैरमौजूदगी को लेकर भारत की विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर हमला बोला है। विपक्षी नेता सरकार से इसपर सवाल पूछ रहे हैं।

मुत्ताकी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के कब्जे के बाद यह पहली उच्चस्तरीय बैठक भारत में हुई है। शुक्रवार की शाम मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ़्रेंस नई दिल्ली स्थित अफगानिस्तान के दूतावास में थी। जिसमें महिला पत्रकारों को आमंत्रित नहीं किया गया था। यह घटना विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ उनकी बातचीत के कुछ घंटों बाद हुई। कई महिला पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि उन्हें इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस से बाहर रखा गया। अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के पब्लिक कम्युनिकेशन के निदेशक हाफ़िज ज़िया अहमद ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की जो तस्वीर एक्स पर पोस्ट की है, उसमें साफ दिख रहा है कि कोई महिला पत्रकार नहीं है।

प्रियंका ने पूछा- महिलाओं का अपमान हमारे देश में कैसे होने दिया गया?

ऐसे में अफगानी मंत्री मुत्तकी की प्रेस वार्ता में महिला पत्रकारों की एंट्री बैन पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरना शुरू कर दिया। प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, कृपया यह साफ करें कि भारत आए तालिबान प्रतिनिधि की प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों को क्यों हटाया गया। अगर महिलाओं के अधिकारों को लेकर आपकी बातें सिर्फ चुनाव के समय की दिखावा नहीं हैं, तो देश की कुछ काबिल महिलाओं का यह अपमान हमारे देश में कैसे होने दिया गया? यह वही देश है जहां की महिलाएं रीढ़ और शान हैं।

एस जयशंकर पर महुआ मोइत्रा का तीखा हमला

मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर भारत सरकार और विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी तीखा हमला बोला है। महुआ मोइत्रा ने एक्स पर एक पोस्ट में सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि कैसे सरकार ने तालिबान प्रतिनिधि को भारतीय धरती पर पूरी प्रोटोकॉल के साथ महिलाओं पत्रकारों को बाहर रखकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की इजाजत दी।

क्या कह रहा विदेश मंत्रालय?

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी की दिल्ली यात्रा के दौरान हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर उठे विवाद पर भारत सरकार ने अपनी स्थिति साफ कर दी है। विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में उसकी कोई भूमिका नहीं थी और यह कार्यक्रम पूरी तरह अफगानिस्तान के दूतावास की तरफ से आयोजित किया गया था। इस बयान के साथ सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत सरकार या उसके किसी विभाग का इस प्रेस इंटरैक्शन से कोई संबंध नहीं था।

क्या तालिबान को औपचारिक रूप से मान्यता देगा भारत? अफगानी विदेश मंत्री की बड़ी मांग

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अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी गुरुवार को एक हफ्ते की यात्रा पर दिल्ली पहुंचे। अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद काबुल से दिल्ली तक यह पहली मंत्री स्तर की यात्रा है। आज अमीर खान मुत्तकी विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से भी मिलेंगे। इससे ठीक पहले तालिबान ने खुलकर अपनी बड़ी डिमांड रख दी है। वह चाहते है कि भारत तालिबानी सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता दे।

इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान को मान्यता देने की मांग

तालिबान के कतर स्थित राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख और अफगानिस्तान के राजदूत सुहैल शाहीन ने कहा, यह समय है कि भारत और अफगानिस्तान दोनों देश अपने संबंधों को एक नया राजनयिक स्तर दें और इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान को मान्यता देकर विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग का रास्ता खोलें। उन्होंने कहा, यह पहली बार है जब हमारे विदेश मंत्री भारत की यात्रा कर रहे हैं, और यह दौरा बहुत महत्वपूर्ण है। हमें उम्मीद है कि यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों के नए अध्याय की शुरुआत करेगी।

भारत का क्या है कहना?

वहीं, भारत ने अभी तक तालिबान को मान्यता देने में जल्दी नहीं दिखा रही हैं। दरअसल, दिल्ली ने पहले ही कहा है कि उसकी रणनीति अंतरराष्ट्रीय समुदाय के रुख के अनुकूल रहेगी। कई देशों ने तालिबान की ओर से नियुक्त अधिकारियों को राजनयिक तौर पर स्वीकार किया है, पर रूस ही एक ऐसा देश रहा है जिसने सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता दी है। भारत ने बार-बार कहा है कि वह एक संप्रभु, लोकतांत्रिक और शांतिप्रिय अफगानिस्तान चाहता है, जहाँ सभी समुदायों-महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों-के हक सुरक्षित हों। इसके अलावा भारत अफगानिस्तान से यह भी गारंटी चाहता है कि उसकी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा।

झंडे का प्रोटोकॉल बना चुनौती

हालांकि, अब मुत्तकी की यात्रा के दौरान भारतीय विदेश मंत्रालय के सामने एक कूटनीतिक समस्या पैदा हो गई है। दरअसल, मुत्तकी की शुक्रवार को विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात हो सकती है। कूटनीतिक प्रोटोकॉल के अनुसार मेजबान देश (भारत) का झंडा और मेहमान मंत्री के देश का झंडा दोनों उनके पीछे या मेज पर रखे जाने चाहिए।

हालांकि, भारत ने अभी तक तालिबान-शासित अफगानिस्तान को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। इसी वजह से भारत ने तालिबान को अफगान दूतावास में अपना झंडा फहराने की अनुमति नहीं दी है। दूतावास में अभी भी इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान का झंडा फहराया जाता है (यह वह शासन था जिसका नेतृत्व अपदस्थ राष्ट्रपति अशरफ गनी कर रहे थे)। अब तक यही नियम चला आ रहा है। अब सवाल है कि जब मुत्तकी, जयशंकर से मिलेंगे तो उनके पीछे कौन सा झंडा लगेगा?

दोनों देशों के बीच विश्वास बढ़ा

हालांकि, मुत्ताकी का स्वागत करने का भारत का फैसला इस बात का संकेत है कि दोनों देशों के बीच विश्वास का स्तर बढ़ रहा है। तालिबान भारत से चाहता है कि वह अफगानिस्तान में अपना आर्थिक निवेश और उपस्थिति बढ़ाए।

कलाकार रवीन्द्र कुशवाहा गोरखपुर के इण्टरनेशनल फ्रेंडशिप आर्ट वर्कशॉप और सेमिनार में आमंत्रित कलाकार।

संजय द्विवेदी प्रयागराज।अंतर्राष्ट्रीय कला जगत में प्रयागराज एवं भारत का नाम रोशन करने वाले प्रयागराज के मशहूर चित्रकार रवीन्द्र कुशवाहा को गोरखपुर में आयोजित वसुधैव कुटुंबकम् चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मित्रता कला शिविर एवं सगोष्ठी में सादर आमंत्रित किया गया है।अभी-अभी रवीन्द्र कुशवाहा की अंतरराष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी अमेरिका के जर्मनटाउन में धूम मचाकर आई है तथा अगली अंतरराष्ट्रीय कला प्रदर्शनी इनकी नार्वे स्वीडन में आयोजित है।

ललितकला संस्थान ललिता ए ट्रस्ट ऑफ फाइन आर्ट, फोक आर्ट, परफॉर्मिंग आर्ट एंड कल्चर तथा राज्य ललित कला अकादमी संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित 6 देशों के 64 प्रख्यात कलाकार जो चार दिवसीय इंटरनेशनल फ्रेंडशिप आर्ट कैम्प एण्ड सेमिनार में अपनी रचनात्मक कला व भावपूर्ण चित्रण का जलवा बिखेरेंगे ।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और PM नरेंद्र मोदी ने शिबू सोरेन को दी श्रद्धांजलि, परिजनों से की मुलाकात

नई दिल्ली, 4 अगस्त 2025: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर आज देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल पहुंचकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों ने दिवंगत शिबू सोरेन के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण किया। इस दुखद घड़ी में उन्होंने मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन, विधायक श्रीमती कल्पना सोरेन और अन्य परिजनों से भी मुलाकात कर अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि वे दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और शोकाकुल परिवार को इस कठिन समय में संबल दें।

शिबू सोरेन का निधन झारखंड समेत पूरे देश के लिए एक बड़ी क्षति है, और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए कई गणमान्य व्यक्ति पहुंच रहे हैं।

भारत ने अफगानिस्तान पर UN के प्रस्ताव से बनाई दूरी, जानें क्यों किया परहेज

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भारत ने अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक प्रस्ताव पर वोट नहीं दिया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अफगानिस्तान पर पेश प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग से दूरी बनाते हुए साफ कहा कि बिना नए और ठोस कदमों के अफगान जनता के लिए सकारात्मक बदलाव संभव नहीं है।अफगानिस्तान की स्थिति पर जर्मनी की तरफ से पेश किए गए एक मसौदा प्रस्ताव को 193-सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंजूरी दे दी। यह प्रस्ताव 116 मतों से पास हुआ, जबकि दों देशों ने विरोध किया और 12 देशों ने मतदान से दूरी बनाई, जिनमें भारत भी शामिल था।

भारत ने बताई वोट नहीं देने की वजह

यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वाथानेनी हरीश ने कहा कि भारत को चिंता है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवादी संगठन कर रहे हैं। इसलिए भारत ने वोट नहीं दिया। हरीश ने यूएन में कहा कि अफगानिस्तान ने 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है, जिसका भारत स्वागत करता है।

अफगानी धरती का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए न हो

पर्वाथानेनी हरीश ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यूएन सुरक्षा परिषद द्वारा तय किए गए आतंकवादी संगठन, जैसे अल कायदा, आईएसआईएल, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद, अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए न करें। साथ ही, जो देश इन संगठनों की मदद करते हैं, उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र में और क्या बोले पी हरीश?

भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि किसी भी जंग के बाद की स्थिति को संभालने के लिए सजा देने वाले कदमों के साथ-साथ प्रोत्साहन भी जरूरी होता है। केवल सजा देने वाली नीतियां कामयाब नहीं होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगस्त 2021 में तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद से अफगानिस्तान में बढ़ती मानवीय समस्या को हल करने के लिए कोई नई रणनीति नहीं बनाई गई है। इसलिए बिना नए कदमों के अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उम्मीदें पूरी नहीं होंगी।

जर्मनी ने पेश किया प्रस्ताव

‘अफगानिस्तान की स्थिति' पर जर्मनी द्वारा पेश किए गए एक मसौदा प्रस्ताव को 193-सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंजूरी दे दी। यूएन महासभा के इस प्रस्ताव में तालिबान के कंट्रोल के बाद अफगानिस्तान में गंभीर आर्थिक, मानवीय और सामाजिक स्थितियों, लगातार हिंसा और आतंकवादी समूहों की उपस्थिति, राजनीतिक समावेशिता और प्रतिनिधि निर्णय लेने की कमी के साथ-साथ महिलाओं, लड़कियों और अल्पसंख्यकों से संबंधित मानव अधिकारों के उल्लंघन और दुरुपयोग पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है।

पुतिन ने तालिबान को दी मान्यता, ऐसा करने वाला पहला देश बना, क्या भारत ले सकेगा ये फैसला?

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रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता दे दी है। ऐसा करने वाला वह पहला देश है।वर्ष 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में उसकी सरकार को औपचारिक रूप से अभी तक अन्य किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। मगर अब रूस ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसके साथ ही मॉस्को ने तालिबान को अपने प्रतिबंधित संगठनों की सूची से भी हटा दिया।

रूसी विदेश मंत्रालय ने बताया कि उसने अफगानिस्तान के नए राजदूत गुल हसन हसन से प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। मंत्रालय ने कहा कि अफगान सरकार की आधिकारिक मान्यता द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगी। रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा हमारा मानना है कि अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने से हमारे देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादक द्विपक्षीय सहयोग के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

“साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा”

वहीं, अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया और तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे “अन्य देशों के लिए एक अच्छा उदाहरण” कहा। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव के साथ काबुल में बैठक की। एक्स पर बैठक का वीडियो पोस्ट करते हुए मुत्ताकी ने कहा, यह साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा। अब जब मान्यता की प्रक्रिया शुरू हो गई है तो रूस सभी से आगे है। मुत्ताकी ने कहा, 'यह हमारे संबंधों के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर है।

2021 में लागू हुआ था तालिबानी शासन

तालिबान का शासन 2021 में अफगानिस्तान में लागू हुआ था। तालिबान ने अगस्त 2021 में अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बाद अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद से वह देश पर शासन कर रहा है। हालांकि, उसे अभी तक किसी देश ने उसकी सरकार को मान्यता नहीं दी थी।

क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा?

पुतिन के इस फैसले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा? दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के समय पाकिस्तान के दावों पर तालिबान ने भारत का साथ दिया। बिक्रम मिस्री तालिबान विदेश मंत्री से मिल भी चुके हैं।

पाकिस्तान से तनाव के बीच एस जयशंकर ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री से की बात, नए कूटनीति संबंधों का आगाज

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पहले से ही खराब चल रहे भारत और पाकिस्तान के संबंध इन दिनों नीचले स्तर पर पहुंच गए हैं। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए अटैक और उसके बाद भारत की ओर से की गई एयर स्ट्राइक के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध के हालात पैदा हो गए थे। हालांकि, भारत की जवाबी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने घूटने टेक दिए। अब भारत-पाक का संघर्ष तो खत्म हो गया है, लेकिन तनाव बरकरार है। इस बीच भारत ने अफगानिस्तान के साथ ने कूटनीतिरक संबंधों की शुरूआत की है। 

दरअसल, एस जयशंकर ने पहली बार अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से फोन पर बात की है। एस जयशंकर ने ने गुरुवार को अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी के साथ फोन पर बात की। इस बातचीत में भारत और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास पैदा करने के कोशिशों का भी जिक्र हुआ।

भारत-पाक तनाव के बीच अफगानिस्तान का रुख किस तरफ

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 15 मई को सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर जानकारी दी कि उन्होंने तालिबानी सरकार के विदेश मंत्री से भारत-पाक तनाव के बाद बातचीत की। जयशंकर ने पोस्ट कर कहा, अफगान के एक्टिंग विदेश मंत्री मावलवी अमीर खान मुत्ताकी के साथ अच्छी बातचीत हुई। विदेश मंत्री ने यह बताते हुए कि भारत-पाक तनाव के बीच अफगानिस्तान का रुख किस तरफ है। उन्होंने कहा, पहलगाम आतंकवादी हमले की उनकी निंदा की मैं सराहना करता हूं। दरअसल, अफगानिस्तान ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले की निंदा की थी, इस अटैक में 26 टूरिस्ट मारे गए थे। 

तालिबान सरकार के स्टैंड की तारीफ

इसी के साथ जहां पाकिस्तान की तरफ से भारत और अफगानिस्तान के बीच रिश्तों में आग लगाने की कोशिश की गई, उसको लेकर भी जयशंकर ने तालिबान सरकार के स्टैंड की तारीफ की।

उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उसकी तरफ इशारा करते हुए कहा, झूठी और आधारहीन रिपोर्टों के जरिए से भारत और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास पैदा करने की हालिया कोशिशों को अफगानिस्तान ने जो अस्वीकार किया उसका भी स्वागत करता हूं। अफगान लोगों के साथ हमारी पारंपरिक दोस्ती और विकास-सहयोग के लिए लगातार दोनों देशों के एक दूसरे के सहयोग को भी सामने रखा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने फीता काटकर दस्तक अभियान का किया शुभारंभ

नजफगढ़ विधानसभा सीट के शुरुआती रुझान, बीजेपी की नीलम पहलवान आगे

दिल्ली में विधानसभा चुनाव में 8 फरवरी यानी आज का दिन बेहद अहम है, क्योंकि आज मतों की गिनती हो रही है. दिल्ली की सभी 70 सीटों पर शुरुआती रुझान आने लगे हैं. नजफगढ़ विधानसभा सीट (Najafgarh Assembly Seat) पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. आम आदमी पार्टी ने तरुण यादव (Tarun Yadav), बीजेपी ने नीलम पहलवान (Neelam Pahalwan) और कांग्रेस ने सुषमा यादव (Sushma Yadav) को चुनावी मैदान में खड़ा किया है.

8.30 AM: दिल्ली में एक बार फिर कांटे की टक्कर चल रही है.

8.17 AM: शुरुआती रुझान में बीजेपी की नीलम पहलवान आगे चल रही हैं.

8 AM: वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है.

राजधानी की हाई प्रोफाइल नजफगढ़ सीट पर AAP का कब्जा है, लेकिन पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले कैलाश गहलोत 2025 के चुनाव से कुछ महीने भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. ऐसे में यहां के मुकाबले पर सभी की नजर लगी हुई है. जनरल कैटेगरी के तहत आने वाली नजफगढ़ विधानसभा सीट साउथ वेस्ट दिल्ली जिले में स्थित है.

2020 में किसके बीच रहा मुकाबला

साल 2020 के चुनाव में नजफगढ़ सीट पर AAP के टिकट पर कैलाश गहलोत को जीत मिली थी. तब अरविंद केजरीवाल के बेहद खास रहे कैलाश ने बीजेपी के प्रत्याशी अजित सिंह खारखारी को 6,231 वोटों के अंतर से हराया था. कांग्रेस के साहब सिंह तीसरे नंबर पर रहे.

इससे पहले नजफगढ़ सीट पर पहली बार 1993 में विधानसभा चुनाव कराए गए. तब सूरज प्रसाद पालीवाल को जीत मिली थी. वह बतौर निर्दलीय चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे. फिर 1998 में कांग्रेस के कंवल सिंह यादव को जीत मिली. फिर 2003 के चुनाव में एक और निर्दलीय प्रत्याशी रणबीर सिंह खरब के खाते में जीत आई.

निर्दलीय प्रत्याशी को मिली जीत

साल 2008 के चुनाव में एक बार फिर निर्दलीय प्रत्याशी के खाते में जीत आई. इस बार भरत सिंह विधायक चुने गए. बीजेपी को यहां पर चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा. 2013 में नजफगढ़ सीट पर बीजेपी के अजित सिंह खारखारी ने इंडियन नेशलन लोक दल के टिकट पर लड़ने वाले भरत सिंह को शिकस्त दी थी.

फिर 2015 में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी कैलाश गहलोत ने इंडियन नेशलन लोक दल के भरत सिंह को 1,555 मतों से हराया. 2020 के चुनाव में कैलाश गहलोत ने फिर से यहां से जीत हासिल की.