/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1634728678748426.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1634728678748426.png StreetBuzz प्रदेश के बीस जनपदों में सबसे ज्यादा होने वाले सड़क हादसों पर हुआ मंथन lucknow
प्रदेश के बीस जनपदों में सबसे ज्यादा होने वाले सड़क हादसों पर हुआ मंथन

लखनऊ । यूपी में बीस जनपद ऐसे में जहां पर सड़क दुर्घटना सबसे ज्यादा लोग जान गवां रहे है। इन जनपदों में सडक हादसों को कैसे रोका जाए। इस संबंध में डीजीपी के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय में तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। जिसमें बीस जिलों के संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को बुलाकर होने वाले सड़क हादसों को रोकने को लेकर मंथन किया गया। साथ ही अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने का भी काम किया गया।

इन जनपदों में सबसे अधिक हो रहे सड़क हादसे

बता दें कि प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं एवं उनमें मृतकों की संख्या में कमी लाये जाने एवं यातायात प्रबन्धन को और अधिक बेहतर करने के लिये यातायात पुलिस तथा सड़क सुरक्षा से जुड़े विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन सत्त प्रयासरत है।प्रशिक्षण कार्यशाला में विगत 5 वर्षां में घटित सड़क दुर्घटनाओं एवं उनमें मृतकों की संख्या के आधार पर चिन्हित किये गये शीर्ष 20 जनपदों (लखनऊ, कानपुर नगर, प्रयागराज, आगरा, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, गोरखपुर, बरेली, हरदोई, बुलन्दशहर, अलीगढ़, मथुरा, मेरठ, उन्नाव, सीतापुर, शाहजहॉंपुर, बाराबंकी, फिरोजाबाद, कुशीनगर एवं आजमगढ़) में से प्रत्येक जनपद से एक उपनिरीक्षक यातायात एवं एक उपनिरीक्षक नागरिक पुलिस, पीडब्लूडी से 2, यूपीडा से 1, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से 2 एवं परिवहन विभाग से 5 प्रशिक्षणार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

अन्तराष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया की दी गई जानकारी

प्रशिक्षण कार्यशाला में सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित एजेन्सियों यथा परिवहन विभाग, लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, शिक्षा विभाग, चिकित्सा विभाग, नगर विकास, यूपीडा, उपशा इत्यादि की सड़क दुर्घटना घटित होने पर भूमिकाएँ और ज़िम्मेदारी, सड़क दुर्घटनाओं से सम्बन्धित कानून यथा मोटर वाहन अधिनियम-2019, सेन्ट्रल मोटर व्हीकल रूल्स (सीएमवीआर) व भारतीय न्याय संहिता, दुर्घटनाओं के वैज्ञानिक साक्ष्य संग्रहित करना, दुर्घटना स्थल की नक्शा मौका, सड़क दुर्घटना घटित होने की की स्थिति में सड़क की स्थिति, दुर्घटनाग्रस्त वाहन व आसपास की फोटोग्राफी, राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया व उसकी उपयोगिता के बारे में बताया गया।

पहले दिन प्रशिक्षण शिविर में इन बिन्दुओं पर की गई चर्चा

प्रशिक्षण शिविर में विभिन्न देशों द्वारा प्रयोग किये जा रहे रोड साइनेजेज के सम्बन्ध मे विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी साथ ही रोड इन्जीनियरिंग से सम्बन्धित समस्याओं यथा सिग्नलिंग व साइनेजेज का सही ढंग से न लगे होना, वाहन चालकों द्वारा यातायात नियमों का पालन न करना (जेब्रा क्रासिंग का सिग्नल लाईट से आगे होना, ब्लैक स्पॉट, पशुओं का मार्गां पर आ जाना, पैदल यात्रियों का सिग्नल को अनदेखा कर सड़क को क्रास करना, रॉंग साइड ड्राइविंग, नशे की हालत में वाहन चलाना, वाहन चलाने समय मोबाईल का उपयोग करना, ओवरस्पीडिंग करना, अपनी लेन में न चलना, वाहन की निर्धारित क्षमता से अधिक सवारी बैठाना) के सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा की गयी।

तीसरे दिन यातायात नियन्त्रण के साधनों के प्रति दिया गया प्रशिक्षण

गुरुवार को यातायात नियन्त्रण के साधनों जैसे, रोड साइन, रोड मांर्कंग, ट्रैफिक सिग्नल व इण्डियन रोड काग्रेंस की गाइड लाइन्स, सड़क दुर्घटना की विवचेना करने वाले विवेचकों को यातायात प्रबन्धन के साथ-साथ कानून व्यवस्था व सड़क दुर्घटनाओं की विवेचनाओं में आने वाली समस्याओं के बारे में केस स्टडी के माध्यम से विस्तृत जानकारी, मोटर व्हीकल ड्राइविंग रेगुलेशन-2017 के सभी 42 नियमों का वर्णन एवं फोरेंसिंक साइंस के द्वारा साक्ष्य संकलन में प्रयोग होने वाले उपकरणों एवं संसाधनों एवं स्कूल के बच्चों को लाने व ले जाने वाले एवं अन्य वाहनों की फिटनेस की जॉंच निर्धारित मानकों के अन्तर्गत किये जाने इत्यादि के बारे जानकारी/प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

दूसरे दिन वाहनों लगने वाली बत्ती व हूटर पर हुई चर्चा

शुक्रवार को यातायात नियन्त्रण में (वाहनों में लाल बत्ती, नीली बत्ती, हूटर,सायरन पार्टी झण्डे, हेलमेट सीटबेल्ट न पहनने, मोटर यान अधिनियम-1989 के नियम-100 के अन्तर्गत मोटर वाहनों में ब्लैक फिल्म लगी होने के कारण, व्हील क्लैम्प ब्रेथ एनालाइजर स्पीड रडार विद् प्रिन्टर,स्पीड राडार विद् प्रिन्टर एवं वीडियो कैमरा खतरनाक अन्धे मोड़ एवं दुर्घटना बाहुल्य स्थलो पर लगाये गये संकेतक बोर्डो के सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा की गयी। पैदल यात्रियों का सिग्नल को अनदेखा कर सड़क को क्रास करना, रॉग साइड ड्राइविंग, नशे की हालत में वाहन चलाना, वाहन चलाने समय मोबाईल का उपयोग करना, ओवरस्पीडिंग करना, अपनी लेन मे न चलना, वाहन की निर्धारित क्षमता से अधिक सवारी बैठाना) के सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा की गयी।

सड़क चिन्हों , रोड मार्किंग और ट्रैफिक लाइट के बारे में छात्राओं को कराया अवगत

पुलिस उपायुक्त यातायात के निर्देशन में नव युग कन्या महाविद्यालय लखनऊ की छात्र छात्राओं के लिए, NSS कैंप हेतु रामलीला मैदान ऐशबाग़ मे राष्ट्रीय सेवा योजना के 7 दिवसीय शिविर के तीसरे दिन जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में टी एस आई निशातगंज रघुराज सिंह ,यातायात प्रशिक्षण पार्क से मुख्य प्रशिक्षक सुमित मिश्रा उपस्थित हुए।

कार्यक्रम में करीब सौ छात्राओं ने लिया भाग

रघुराज सिंह, का. उमेश यादव और सुमित मिश्रा ने यातायात नियमों की जानकारी देते हुए सड़क चिन्हों, रोड मार्किंग, ट्रैफिक लाइट, वाहन सम्बन्धी दस्तावेजों की जानकारी दी तथा प्राथमिक चिकित्सा, गुड समेरिटन कानून के प्रति जागरूक किया।कार्यक्रम का आयोजन कार्यक्रम अधिकारी डॉ मनीषा,डॉ श्वेता उपाध्याय, डॉ चन्दन मौर्या और डॉ ऐश्वर्या सिंह के निर्देशन में हुआ जिसमें लगभग 100 छात्राओं ने भाग लिया।

स्कूलों में यातायात को लेकर फैलाई जा रही जागरूकता

बता दें कि यातायात विभाग द्वारा लगातार स्कूलों में शिविर लगाकर छात्र-छात्राओं को जागरूक करने का काम किया जा रहा है। चूंकि यातायात नियमों के प्रति जागरूकता न होने के कारण ज्यादातर हादसे हो रहे है। शिविर के दौरान छात्राओं से अपील की गई कि उन्हें यातायात नियमों की जो जानकारी दी गई है। उसे बारे में अपने परिजनों को बताएं ताकि वह भी जागरूक हो सके।

*सिविल अस्पताल की लापरवाही: इमरजेंसी वार्ड के सामने बेहोश पड़ी रही महिला, नहीं मिला इलाज*

लखनऊ। मुख्यमंत्री आवास से मात्र 500 मीटर दूर स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल के स्वास्थ कर्मियों की संवेदनहीनता उस समय देखने को मिली जब हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड के सामने घंटों से बेहोश पड़ी महिला जिंदगी मौत से संघर्ष करती रही और गार्ड, वार्डबॉय से लेकर डॉक्टर तक को जानकारी दी गई लेकिन उसे देखने तक कोई नहीं आया।

राजधानी लखनऊ के हजरतगंज जैसे वीवीआईपी इलाके में स्थित सिविल अस्पताल जिसके एक तरफ मुख्यमंत्री का आवास है तो दूसरी तरफ लोकभवन, सचिवालय, विधानसभा आदि है। लेकिन इस हॉस्पिटल के स्वास्थ्य कर्मियों की ऐसी मनमानी है कि मरीजों का कोई पुरसाहाल नहीं है । यहां के सीएमएस की शिथिलता और लापरवाही के चलते सभी स्वास्थ्य कर्मी पूरी तरह से बेलगाम हो चुके हैं। शुक्रवार को दिन में लगभग तीन बजे एक महिला रैन बसेरा में बेहोश हो गई जिसे कुछ लोगों ने निकाल कर रेनबसेरा से बाहर कर दिया। बेहोशी की हालत में वह जमीन पर पड़ी रही। इसकी सूचना तत्काल मौके पर तैनात गार्ड को दिया गया, इसके बाद इमरजेंसी में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों और डॉक्टर को भी दिया गया लेकिन इन लोगों की जरा सी भी संवेदना नहीं जगी और वह घंटों बेहोशी की हालत में ही पड़ी रही। कई बार कहने के बाद भी उसे भर्ती नहीं किया गया। ऐसे में सवाल उठता है कि धरती के भगवान कहे जाने वाले स्वास्थ कर्मियों की संवेदना आखिर कहां मर गई।

सिविल अस्पताल की लापरवाही का यह कोई पहला मौका नहीं है बल्कि आए दिन ऐसी घटनाएं देखने को मिलती है और इसकी आवाज भी कुछ लोग उठाते हैं लेकिन उन लोगों की आवाज हमेशा नक्कारखाने में तूती की तरह दब कर दम तोड़ देती है जिससे अस्पताल कर्मियों का हौसला बुलंद बना हुआ है। सूत्रों की मानें तो यहां पर तैनात सीएमएस के साथ ही वर्षों से जमे कुछ और डॉक्टरों के संबंध कई बड़े राजनेताओं और अफसरों और दलालों से हैं जिसके चलते ही यहां इन लोगों के ऊपर कोई असर नहीं पड़ता है।

सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने जिस तरह से लापरवाही बरतने पर राजधानी स्थित आलमबाग कोतवाली के सात पुलिस कर्मियों जिस तरह से निलंबित किया है क्या सिविल अस्पताल के ऐसे लापरवाह कर्मियों पर भी कोई कार्रवाई की जाएगी।

मलिहाबाद में महिला की हत्या से खुली सुरक्षा की पोल, आटो में चीखती रही महिला और सोती रही पुलिस

लखनऊ । योगी सरकार बहन-बेटियों की सुरक्षा को लेकर भले ही गंभीर हो लेकिन यूपी पुलिस का रवैया में कोई खास बदलाव नहीं हैं। इसी का परिणाम है कि राजधानी लखनऊ में आज भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है। इसका जीता जागता प्रमाण मलिहाबाद की घटना है। वाराणसी से इन्टरव्यू देकर लखनऊ आलमबाग बस स्टेशन पर उतरी महिला को आटो चालक बैठाया और उसे चिनहट ले जाने के बजाय गुमराह करके मलिहाबाद पहुंचा, जहां पर उसकी हत्या करने के बाद गहने व मोबाइल लेकर फरार हो गया है। आटो चालक महिला को लेकर पांच थाना क्षेत्र को पार कर दिया, महिला अपनी जान व इज्जत बचाने के लिए चीखती और चिल्लाती रही और रात में सड़कों पर गश्त करने वाली पुलिस सोती रही। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजधानी की पुलिस महिला सुरक्षा को लेकर कितना गंभीर है।

वाराणसी इन्टरव्यूट देकर लखनऊ देर रात लौटीं थी महिला

जानकारी के लिए बता दें कि अयोध्या के रौनाई निवासी 34 वर्षीय महिला बीएड किया था। उसे नौकरी की तलाश थी। इसी के तहत रविवार को इंटरव्यू देने के लिए वाराणसी गई। सोमवार को अपनी सहेली के रूकने के बाद मंगलवार को इंटरव्यू दिया। इसके बाद वह अपने घर अयोध्या जाने के लिए बस अड्डे पर पहुंची। वहां से सीधी बस अयोध्या के लिए न मिलने के कारण अपनी भाई को फोन करके बताया कि वह लखनऊ आ रही है। रात करीब डेढ़ बजे महिला रोडवेज बस से अालमबाग बस अड्डे पर पहुंची। वहां से चिनहट जाने के लिए महिला ने आटो बुक करके अपनी भाभी को काल किया किया आधे घंटे में पहुंच जाएगी।

बात करते-करते बंद हो गई महिला की आवाज

आधा घंटा गुजरने के बाद जब वह घर नहीं पहुंचीं तो उन्होंने रात 2:35 बजे कॉल की। बहन ने बताया कि ऑटो चालक दूसरे रास्ते से जा रहा है। बता रहा है कि मेट्रो का काम चल रहा है। उन्होंने चालक से बहन के फोन से बात की। उसने बताया कि रास्ता खराब है। इसलिए दूसरे रास्ते से आ रहा है। कुछ देर बाद बहन का फोन ऑफ हो गया। उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम पर बहन के लापता होने की सूचना दी। इसी बीच पुलिस जब तक उसके पास पहुंची तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। महिला का शव मलिहाबाद के मोहम्मद नगर तालुकेदारी बंडा खेड़ा गांव के साधन सहकारी समिति के सामने सौ मीटर दूर आम के बाग में बुधवार की तड़के 3 बजकर 35 मिनट पर मिला।

अनहोनी की आशंका पर महिला ने भाभी को भेजी लोकेशन

अनहोनी का आभास होने पर महिला ने अपने भाई और भाभी को मंगलवार रात ऑटो से गूगल लोकेशन भेजी थी। भाई ने आलमबाग पुलिस को सूचना दी और गूगल लोकेशन भी शेयर की। पीआरवी को भी सूचना दी थी। गूगल लोकेशन मलिहाबाद की थी। आलमबाग कोतवाली के पुलिसकर्मियों ने महिला को तलाशने के बजाय, उसके भाई को मलिहाबाद कोतवाली जाने की सलाह दी थी। परिवारीजनों का आरोप है कि पुलिस तुरंत तलाश करती तो महिला की जान बच सकती थी।क्योंकि महिला ने अपने भाई को लोकेशन 2 बजकर 35 मिनट पर भेजी और महिला का शव पुलिस को बुधवार तड़के तीन बजेकर 35 मिनट पर मिला।

पुलिस नहीं दिखाई गंभीरता

ऐसे में सवाल उठता है कि अगर पुलिस तुरंत सक्रिय होकर चाराे तरफ से लोकेशन के आधार का कांबिंग शुरू कर देती तो आॅटो चालक घटना को अंजाम भी नहीं दे पाया और आसानी से पकड़ा जा सकता था। अब सवाल उठता है कि आटो में बैठने के बाद महिला अपने परिजनों से चालक की बात भी कराई और लोकेशन भी भेज दी। इसके बाद भी आटो चालक और उसके साथियों को तनिक भी खौफ नहीं रहा कि वह पकड़े जा सकते है। ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं महिला से किसी की कोई रंजिश तो नहीं थी। पुलिस की जांच इन बिन्दुओं भी चल रही है।

पांच कोतवाली व आठ चौकी चौकी की सीमाओं से होकर गुजरा आटो चालक

पांच कोतवाली और आठ चौकी की सीमाओं से गुजरा लेकिन कहीं पर भी पुलिस ने रात में उसे रोका और टोका तक नहीं। जबकि महिला अपनी जान व इज्जत बचाने की गुहार लगाते हुए रोती व चिल्लाती रही और पुलिस सोती रही। महिला के भाई के फोन करने पर डायल 112 हरकत में जरूर आयी लेकिन वह भी तब पहुंची जब बहुत देर हो चुकी थी। पुलिस पहुंची तो मलिहाबाद के एक बाग में महिला का शव पड़ा हुआ था। कपड़े अस्त- व्यस्त थे और शरीर पर चोट के निशान मिले। महिला के शरीर से गहने व मोबाइल गायब मिले।

दुष्कर्म की जताई जा रही आशंका

डुपट्टे से महिला की गला दबाकर हत्या कर दी गई थी। दुष्कर्म की आंशका जताई जा रही है।जिस ऑटो पर महिला सवार होकर वहां तक पहुंची उसका कोई नंबर नहीं था। सीसीटीवी फुटेज में जो आटो सामने आया है उसमें चालक के अलावा अन्य दो लोग भी बैठे दिखाई दिये। इस प्रकार से कहा जाए तो महिला का किडनैप एक सोची समझी साजिश के तहत किया गया। किडनैप करने वाले अपने मंसूबे में सफल भी रहे क्योंकि रात में गश्त करनी वाली पुलिस सोती रही।

सीसीटीवी में सफेद रंग की आटो कैद, पुलिस जांच में जुटीं

डीसीपी क्राइम व मीडिया सेल प्रभारी कमलेश दीक्षित ने बताया कि सीसीटीवी में एक सफेद रंग की आटो कैद हो गई है। आॅटो के जाने और आने वाले रूट पर लगे करीब तीन से चार सौ सीसीटीवी कैमरों को खंगाला जा रहा है। कई जगह पर आटो कैमरे में कैद हुआ है। आटो जाते समय और आते समय बहुत तेजी में दिखाई दिया। उसकी गिरफ्तारी के लिए तीन जोन की स्पेशल टीम को लगाया गया है। आटो चालक के बारे में अन्य आटो चालकों से पुलिस फुटेज सामने आने के बाद लगातार पूछताछ कर रही है।

सीसीटीवी में आते दिखाई दिया आटो चालक

आटो चालक ने जिस प्रकार से मलिहाबाद जाने के लिए सीधे ने जाकर लिंक रोड का इस्तेमाल किया है। उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि वह घटना स्थल के आसपास का ही होगा। डीसीपी ने बताया कि कसमंडी चौकी से महज पांच सौ मीटर दूरी पर एक अस्पताल है। अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे में आटो 2 बजकर सात मिनट पर महिला को ले जाते दिखा और उसके बाद तीन बजकर 24 मिनट पर आते हुए दिखाई दिया। आटो के पीछे के तरफ का परदा फटा हुआ था। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि महिला ने अपने अापको बचाने के लिए संघर्ष किया हो।

इन पुलिस कर्मियों पर गिरी गाज

इस पूरे मामले में प्रारंभिक जांच में सात पुलिसकर्मी दोषी पाये गये। जिसे देखते हुए पुलिस कमिश्नर अमरेंद्र सेगर ने आलमबाग कोतवाली प्रभारी इंस्पेक्टर कपित गौतम, आलमबाग बस स्टैंड चौकी प्रभारी एसआई राम बहादुर, आलमबाग कोतवाली के नाइट अफसर कमरुज्मा, नाइट ड्यूटी पर तैनात हेड कॉन्स्टेबल राजेश कुमार व विजय पाल और मलिहाबाद की पीआरवी-4821 के कमांडर एसआई शिवनंदन सिंह व हेड कॉन्स्टेबल पंकज यादव को सस्पेंड कर दिया है। मॉनिटरिंग सेल के प्रभारी इंस्पेक्टर सुभाष चंद्र को आलमबाग कोतवाली का नया प्रभारी बनाया गया है। साथ ही चालक होमगार्ड शुकर अली के खिलाफ कार्रवाई के लिए संबंधित विभाग को पत्र लिखा गया है।

घटना के 48 घंटे बाद पुलिस की पकड़ से आटो चालक दूर

ऑपरेशन त्रिनेत्र के तहत शहर में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गये है। इसके पीछे यहीं मंशा है कि कोई अपराधी अपराध करके भागकर निकल न पाये। इसके बाद भी अपराधी अपराध करके निकल जा रहे और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लग पा रही है। अब पुलिस की सक्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महिला की हत्या के मामले में आटो चालक सीसीटीवी में कैद हो गया है। इसके बाद भी पुलिस की पकड़ से आटो चालक दूर है। पुलिस इस बारे में कुछ बताने के बजाय सिर्फ दावा कर रही है कि जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। पुलिस की कई टीम अलग-अलग बिंदुओं पर काम कर रही है।

आटो व ई रिक्शा चालकों का सत्यापन भूली पुलिस

शहर में बढ़ते अपराध को देखते हुए जेसीपी लाॅ एंड आर्डर उपेद्र अग्रवाल ने आटो व ई रिक्शा चालकों के सत्यापन के लिए एक अभियान चलाया था। चूंकि राजधानी में रिक्शा और आटो की भरमार होने से जाम के साथ- साथ कानून व्यवस्था काे भी खतरा उत्पन्न होने लगा। चूंकि कई घटनाओं में देखा गया कि आटो चालक सवारी को बैठाने के बाद उन्हें ही लूट लिया। या फिर अपराध की घटना को कारित करने में इसका इस्तेमाल किया गया। इसी को देखते हुए जेसीपी लॉ ने निर्देश जारी किया कि थानावार आटो व ई रिक्शा चालकों का सत्यापन कराया जाए।

शांति व्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न हो गए आटो व ई रिक्शा चालक

ई रिक्शा व आटो चलाने वाले का नाम व उसके मालिक का नाम एक फार्मर पर भरवाकर थाने में जमा कराया जाए। इसका पालन ने करने वाले आटो व ई रिक्शा चालकों व उनके मालिकों पर कार्रवाई की जाए लेकिन यह अभियान जैसे ही कुछ दिन चला वैसे ही उपेंद्र अग्रवाल का तबादला हो गया। उनके जाने के बाद से इस अभियान की तरफ आने वाले अधिकारियों द्वारा ध्यान ही नहीं दिया गया। इसी का परिणाम है कि एक बार भी आटो व ई रिक्शा चालक शहर की कानून व्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न हो गए है।

कृत्रिम नेत्र: आशा की नई किरण केजीएमयू नेत्र रोग विभाग की पहल

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने कृत्रिम नेत्र के क्षेत्र में क्रांतिकारी प्रगति की है। जिन लोगों ने किसी दुर्घटना, बीमारी या जन्मजात विकार के कारण अपनी आंख गंवा दी हो, उनके लिए एक अच्छी तरह से निर्मित कृत्रिम नेत्र न सिर्फ उनकी खोई हुई सुंदरता को लौटाता है, बल्कि उनके जीवन में आत्मविश्वास और आशा की नई किरण भी जगाता है।

मनोवैज्ञानिक प्रभाव

एक अच्छी तरह से निर्मित कृत्रिम नेत्र चेहरे के सौंदर्य में सामंजस्य स्थापित करता है। साथ ही आंख के बाहरी ढांचे के सही विकास में भी सहायक होता है। यह व्यक्ति के आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज की वरिष्ठ ऑक्युलोप्लास्टिक सर्जन डॉ. अपजीत कौर कहती हैं, "कृत्रिम नेत्र केवल सौंदर्य सुधार का साधन नहीं है, यह व्यक्ति के आत्मविश्वास और सामाजिक समावेशन को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सही तकनीक और देखभाल से, यह न सिर्फ चेहरों की खूबसूरती बल्कि जिंदगियों में भी नया उत्साह भर देता है।" यह समाज में किसी प्रकार के भेदभाव या असहजता की भावना को कम करने में भी सहायक सिद्ध होता है।

यह पॉलिमेथिल मैथाक्रिलेट का बना है। इसकी माप ली जाती है। सटीक माप लेने में लगभग 1 घंटा लग जाता है। पूरी आंख के सटीक माप और तैयार करने में 3 से 4 दिन लगते हैं।

रोगी को 1 हफ्ते बाद बुलाया जाता है। उसके बाद हर तीन महीने में एक बार एक वर्ष तक रोगी को बुलाया जाता है। कृत्रिम आंख से देखा नहीं जा सकता है।

रोगियों के अनुभव: उम्मीद की नई किरण

कृत्रिम नेत्र प्राप्त करने वाले कई रोगियों ने अपने अनुभव साझा किए हैं, जो प्रेरणा देने वाले हैं।

रामकुमार वर्मा (परिवर्तित नाम), 45 वर्ष, कहते हैं, "दुर्घटना के बाद मेरा आत्मविश्वास बिल्कुल टूट चुका था। कृत्रिम नेत्र लगने के बाद मुझे ऐसा लगा मानो मैंने अपनी खोई हुई पहचान फिर से पा ली हो। अब मैं लोगों से खुलकर बात कर सकता हूं, बिना किसी झिझक के।"

नीता अग्रवाल (परिवर्तित नाम), 2 वर्ष बालिका की माता साझा करती हैं, "रेटिनोब्लास्टोमा नामक कैंसर के कारण बच्ची को ऑपरेशन द्वारा अपनी आंख हटवानी पड़ी। कृत्रिम नेत्र ने न केवल उसके चेहरे की सुंदरता को बहाल किया, बल्कि उसके भीतर के डर और संकोच को भी दूर कर दिया। अब वह जीवन को नई आशा के साथ देखेगी।"

केजीएमयू में उपलब्ध तकनीकें: उपचार मिलना हुआ आसान"

कृत्रिम नेत्र बनाने की नवीन तकनीकें और मशीनें अब नेत्र विभाग में उपलब्ध हैं। OPD में परामर्श के बाद इस सुविधा का उपयोग ऑक्युलोप्लास्टी क्लिनिक के माध्यम से किया जा सकता है। मात्र 1000 रुपये के व्यय से उच्च कोटि की कृत्रिम आंख बनवा सकते हैं।

चिकित्सा देखभाल और रखरखाव: निरंतर सतर्कता आवश्यक

कृत्रिम नेत्र के सफल उपयोग के लिए नियमित देखभाल अत्यंत आवश्यक है। इसमें उचित स्वच्छता बनाए रखना, आंख के बाहरी ढांचे में संक्रमण से बचाव और समय-समय पर नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेना शामिल है। सही देखभाल से कृत्रिम नेत्र लंबे समय तक सुरक्षित और प्रभावी बना रहता है।

विभिन्न विवि की फर्जी अंकतालिका बनाने वाले गैंग का पर्दाफाश, एक गिरफ्तार

लखनऊ । अन्तर्राज्यीय स्तर पर विभिन्न विश्विविद्यालयों व शिक्षा बोर्ड की फर्जी व कूटरचित अंकतालिका व प्रमाणपत्र बनाने वाले गिरोह के एक सक्रिय सदस्य धनेश मिश्रा पुत्र मुन्नालाल मिश्रा निवासी वेस्ट अर्जुन नगर शाहगंज आगरा को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है। इसके कब्जे से चार लैपटॉप मय चार्जर, 942 कूटरचित अंक पत्र व प्रमाण पत्र विभिन्न विश्वविद्यालयों के, 104 अंकपत्र व प्रमाण पत्र खाली, 182 हस्तलिखित उत्तर पुस्तिका विभिनन नाम की सभी एक हस्तलेख में लिखी हुई, 12 उत्तर पुस्तिका विभिन्न सीरियल नम्बर की सभी एक हस्तलेख मे लिखी हुई,चार डायरी, एक फीस रसीद प्राप्ति बुक, एक लेटर पैड, एक प्रिंटर, छह खाली लिफाफा, दो आईफोन मोबाइल, एक आधार कार्ड, एक विजिटिंग कार्ड बरामद किया है।

एसटीएफ उत्तर प्रदेश को विगत काफी समय से उत्तर प्रदेश व आस पास के राज्यों में विभिन्न विश्वविद्यालयों व शिक्षा बोर्ड की फर्जी व कूटरचित अंकतालिका व प्रमाणपत्र बनाकर आम जनता से लाखो रूपयों की ठगी करने वाले गिरोह के सक्रिय होकर कार्य करने की सूचनायें प्राप्त हो रहीं थीं। इस सम्बन्ध में एसटीएफ की विभिन्न टीमें काम कर रही थी। बुधवार को अभिसूचना संकलन के दौरान ज्ञात हुआ कि कुछ लोग हाईस्कूल, इण्टर, डिग्री कालेज व स्नातक, डी फार्मा/एमबीए की फर्जी मार्कशीट, बनाकर बेचते हैं, उनमे से एक आदमी अजीतनगर गेट के पास किराये पर दुकान लेकर काम करता है। इस सूचना पर एसटीएफ आगरा की टीम मुखबिर के बताये स्थान पर पहुंचकर एक व्यक्ति को पकड़ लिया। अभियुक्त ने पूछताछ पर बताया कि उसने चार विश्वविद्यालयों जिनमें सुभारती यूनिवसिर्टी, मंगलायतन यूनिवसिर्टी, सिक्किम ओपन बोर्ड व सुरेश ज्ञान विहार यूनिवसिर्टी से एडमीशन कोड (फ्रेन्चाईजी) ले रखी है।

इसके अलावा अन्य विश्वविद्यालयों से भी उसने आने वाले अभ्यर्थियों से पैसे लेकर शैक्षिक प्रमाण पत्र बनाकर व मंगवाकर दे देता है। इस काम में दिल्ली, यूपी झारखण्ड, बिहार, उत्तराखण्ड, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश के कई विश्वविद्यालयों से सेटिंग करके पैसे देकर उनसे शैक्षिक प्रमाण पत्र बनवा कर दे देता है। जिन अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र नहीं मिल पाते है, उन्हे वह स्वयं कूटरचित बनाकर दे देता है।इस काम को वह करीब दो साल से कर रहा है। उसके पास जिन विश्वविद्यालयों की फ्रेन्चाईजी है वे सभी ओपन बोर्ड वाली हैं, किन्तु वह संस्थागत छात्रों के भी शैक्षिक प्रमाण पत्र बनवा कर व बना कर दे देता है। एमबीए की फीस 1,80,000 हजार रुपये से 2,40,000 हजार रूपये बीए,बीकाम,बीएससी-की फीस 25,000 से 40,000/-रूपये हाईस्कूल व इण्टरमीडियेट के 15,000 से 25,000/-हजार रूपये लेता हॅू।अभियुक्त के खिलाफ थाना शाहगंज आगरा में मुकदमा दर्ज कराया गया है।

यूपी में सुबह-सुबह सात आईपीएस और 20 पीपीएस अफसरों का तबादला

लखनऊ । यूपी में इन दिनों आईपीएस व पीपीएस अधिकारियों के तबादलों का दौर जारी है। योगी सरकार ने गुरुवार की सुबह-सुबह 20 और पीपीएस अधिकारियों के कार्यक्षेत्र में बदलाव किया है। इसके पहले बुधवार को 16 आईपीएस अधिकारियों को नई तैनाती मिली थी। लखनऊ और कानपुर कमिश्नरेट में ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर और एडिशनल पुलिस कमिश्नर समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों के पद बदले गए हैं। बताया जा रहा है कि कानून व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए यह फेरबदल किया जा रहा है।

विकास चंद्र त्रिपाठी अपर पुलिस अधीक्षक उत्तरी बाराबंकी बने

इन पीपीएस अफसरों के तबादले में विकास चंद्र त्रिपाठी अपर पुलिस अधीक्षक उत्तरी जनपद बाराबंकी, डॉक्टर तेजवीर सिंह अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण जनपद बुलंदशहर, दिगंबर कुशवाहा अपर पुलिस अधीक्षक ऑपरेशन जनपद चंदौली, राजेंद्र कुमार गौतम अपर पुलिस उपयुक्त कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर, प्रकाश कुमार अपर पुलिस अधीक्षक पश्चिम जनपद खीरी, आलोक सिंह अपर पुलिस अधीक्षक उत्तरी जनपद सीतापुर श्रीराम अर्ज प्रतीक्षारत विनय कुमार सिंह अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण बिजनौर के पद पर नई तैनाती मिली है।

संजय कुमार को एएसपी एएनटीएफ मुख्यालय लखनऊ भेजा

इसी प्रकार से पीपीएस अनिल कुमार को एएसपी पीटीएस गोरखपुर, अरुण कुमार सिंह को उप सेनानायक 41वीं वाहिनी गाजियाबाद, कमल किशोर को एएसपी क्षेत्रीय अभिसूचना अयोध्या, पवित्र मोहन त्रिपाठी को एएसपी EOW मुख्यालय लखनऊ, अल्का धर्मराज को एएसपी यूपीपीसीएल आगरा, संजय कुमार को एएसपी एएनटीएफ मुख्यालय लखनऊ, नीता चंद्रा को एएसपी पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय,अंशुमान मिश्रा को एडीसीपी वाराणसी कमिश्नरेट, प्रवीण सिंह चौहान को उप सेनानायक 42वीं वाहिनी प्रयागराज, असीम चौधरी को उप सेनानायक 15वीं वाहिनी PAC आगरा तथा वंदना मिश्रा को एएसपी CBCID आगरा नवीन तैनाती की गई है।

देर रात इन सात आईपीएस का हुआ तबादला

बुधवार की देर रात सात आईपीएस अफसरों का स्थानान्तरण किया गया है।तबादलों के क्रम में उपेंद्र कुमार अग्रवाल को पुलिस महानिरीक्षक सुरक्षा लखनऊ बनाया गया है। इससे पहले वह पुलिस महानिरीक्षक आर्थिक अपराध में थे। विनोद कुमार सिंह को पुलिस महानिरीक्षक सुरक्षा लखनऊ के पद से मुक्त करते हुए अपर पुलिस आयुक्त अपराध कानपुर नगर बनाया गया है।अमित वर्मा को संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून एवं व्यवस्था पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ से संयुक्त पुलिस आयुक्त अपराध एवं मुख्यालय पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ, बनाया गया है।इसी तरह बबलू कुमार कोसंयुक्त पुलिस आयुक्त कानून एवं व्यवस्था पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ, प्रदीप कुमार को पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन वाराणसी।एसएम कासिम आबिदी को पुलिस उपायुक्त पुलिस कमिश्नरेट कानपुर नगर बनाया गया। वहीं,मनोज कुमार अवस्थी को पुलिस अधीक्षक, कानून एवं व्यवस्था पुलिस महानिदेशक लखनऊ की नई जिम्मेदारी मिली है।

सात IPS का तबादला, उपेद्र अग्रवाल को आईजी सुरक्षा की मिले जिम्मेदारी

लखनऊ । यूपी पुलिस में तबादले का दौर अभी जारी है। बुधवार देर रात 7 सीनियर आईपीएस अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया गया। इसमें दो आईजी, दो डीआईजी और तीन एसपी रैंक के अफसर शामिल हैं। पुलिस महानिरीक्षक, आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन का कार्य देख रहे आईपीएस उपेंद्र अग्रवाल को आईजी सुरक्षा यूपी लखनऊ की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

बबलू कुमार लखनऊ के बने ज्वाइंट सीपी लॉ एंड आर्डर

इसी प्रकार से पुलिस महानिरीक्षक, सुरक्षा यूपी लखनऊ के पद पर तैनात विनोद कुमार सिंह की नवीन तैनाती अपर पुलिस आयुक्त, अपराध एवं मुख्यालय पुलिस कमिश्नरेट कानपुर नगर तैनात किया गया है। लखनऊ कमिश्नरेट में संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून एवं व्यवस्था की जिम्मेदारी देख रहे आईपीएस अमित वर्मा का तबादला संयुक्त पुलिस आयुक्त अपराध एवं मुख्यालय पुलिस कमिश्ननरेट लखनऊ कर दिया गया है। लखनऊ कमिश्नरेट में संयुक्त पुलिस आयुक्त अपराध एवं मुख्यालय पद पर तैनात बबलू कुमार की नवीन तैनाती लखनऊ कमिश्नरेट में संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून एवं व्यवस्था के पद पर कर दिया गया है।

आईपीएस कासिम आब्दी पुलिस कमिश्नरेट कानुपर के डीसीपी बने

पुलिस अधीक्षक एएनटीएफ मुख्यालय लखनऊ में तैनात प्रदीप कुमार की नवीन तैनाती पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन वाराणसी कर दिया गया है। इसी प्रकार से पुलिस अधीक्षक सतर्कता अधिष्ठान उत्तर प्रदेश लखनऊ पद पर तैनात एसएम कासिम आबिदी की नवीन तैनाती पुलिस उपायुक्त पुलिस कमिश्नरेट कानपुर नगर किया गया गया। इसी प्रकार से पुलिस अधीक्षक व अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण शाहजहांपुर मनोज कुमार अवस्थी की नवीन तैनाती पुलिस अधीक्षक कानून एवं व्यवस्था मुख्यालय पुलिस महानिदेशक यूपी लखनऊ की गई है।

बधुवार को 16 आईपीएस का हुआ था तबादला

उत्तर प्रदेश में बुधवार को और 16 आईपीएस अधिकारियों के तबादले कर दिए गए। इससे पहले 32 आईपीएस का स्थानांतरण हुआ था।तबादले के क्रम में अंजली शर्मा को सहायक पुलिस उपायुक्‍त पुलिस कमिश्‍नरेट कानपुर नगर से अतिरिक्त पुलिस उपायुक्‍त पुलिस कमिश्‍नरेट कानपुर नगर में नवीन तैनाती दी गई है। शैव्या गोयल को सहायक पुलिस आयुक्त पुलिस कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर से अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त पुलिस कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर, आदित्य को सहायक पुलिस उपायुक्त पुलिस कमिश्नरेट आगरा से अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त पुलिस कमिश्नरेट आगरा तैनात किया गया है।

अंशिका वर्मा को अपर पुलिस अधीक्षक दक्षिणी बरेली की मिली जिम्मेदारी

कुंवर आकाश सिंह को प्रभारी अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण मुरादाबाद से अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण मुरादाबाद, अनंत चंद्रशेखर को सहायक पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ से अपर पुलिस अधीक्षक चंदौली बनाया गया है। किरन यादव द्वितीय को सहायक पुलिस उपायुक्त पुलिस कमिश्‍नरेट लखनऊ से अतिरिक्‍त पुलिस उपायुक्त पुलिस कमिश्‍नरेट लखनऊ, अमृत जैन को अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण अलीगढ़, अंशिका वर्मा को अपर पुलिस अधीक्षक दक्षिणी बरेली की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

भंवरे दीक्षा अरुण को एएसपी ग्रामीण शाहजहांपुर में नवीन तैनाती

इसके अलावा अमरेंद्र सिंह को एडीसीपी कानपुर पुलिस कमिश्नरेट, शुभम अग्रवाल को अपर पुलिस अधीक्षक भदोही, रल्लापल्ली वसंध कुमार को अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त लखनऊ, डा. अमोल मुरकुट को अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ, पुष्कर वर्मा को एडीसीपी पुलिस कमिश्नरेट प्रयागराज बनाया गया है।अरुण कुमार सिंह को अपर पुलिस अधीक्षक मैनपुरी बनाया गया। आईपीएस व्योम बिंदल को अपर पुलिस अधीक्षक सहारनपुर और भंवरे दीक्षा अरुण को एएसपी ग्रामीण शाहजहांपुर में नवीन तैनाती दी है।

छात्रा के साथ उत्पीड़न को लेकर छात्र-छात्राअों ने काटा हंगामा

लखनऊ । राजधानी के बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय की छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। एक बार फिर छात्र-छात्राएं बुधवार की रात विरोध करने पर उतर आये। ऑफिस असिस्टेंट के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर जमकर हंगामा काटा। सूचना पर विवि प्रशासन के अधिकारियों ने पहुंचकर छात्र-छात्राओं को कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले को शांत कराया। बताया जा रहा है कि प्रदर्शन करने वाले 15 छात्र-छात्राओं को विवि प्रशासन ने निलंबित कर दिया गया है।

कार्रवाई न होने पर फिर छात्र-छात्राओं ने शुरू किया विरोध प्रदर्शन

आंदोलन कर रहे छात्रों के मुताबिक पीड़िता ने इस घटना की शिकायत छात्रावास की वार्डन , प्रॉक्टर और डीएसडब्ल्यू से की थी, लेकिन दो दिनों तक किसी भी प्रकार की सुनवाई नहीं हुई। उल्टा उस पर अपनी शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया गया। हालांकि आरोपी की निलंबित किया गया। इस धरने के एक हफ्ते बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन छात्रों को निलंबित कर दिया जिन्होंने यौन हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई थी। अब आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई को लेकर विद्यार्थियों ने धरना शुरू किया है।

यह था पूरा मामला

महिला हॉस्टल के स्टाफ ने फाइल जमा करने के बहाने से एक छात्रा को अपने कमरे में बुलाया। छात्रा कमरे में पहुंची से उसके साथ किस करने की कोशिश की । इनता ही बैड टच भी किया गया, छात्रा ने जब विरोध किया तो महिला हॉस्टल स्टाफ ने उसे गालियां देते हुए खूब धमकाया। छात्रा के साथ छेड़छाड़ की घटना गुरुवार को हुई।छात्रा ने डरने के बजाय इसकी शिकायत प्राॅक्टर से लिखित रूप में की। शिकायत करने के एक दिन बाद जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो सात मार्च की रात हॉस्टल की छात्राओं ने हंगामा करना शुरू कर दिया था। अब जब कार्रवाई नहीं हुई तो फिर छात्र-छात्राएं विरोध करने पर उतर आयीं है।

पीजीआई थानाक्षेत्र में वाहन चोरी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, तीन गिरफ्तार

लखनऊ । राजधानी के पीजीआई थानाक्षेत्र में लगातार बाइक चोरी की घटनाएं हो रही थी। इनकी तालाश में पुलिस काफी दिन से लगी थी। बुधवार को जाकर पीजीआई पुलिस को सफलता हाथ लगी। पुलिस ने तीन शातिर चोर को गिरफ्तार करते हुए उनके कब्जे से कुल सात मोटरसाइकिल बरामद हुई है। पूछताछ में पता चला है कि अभियुक्तों द्वारा लखनऊ व अन्य क्षेत्रों में अपराध करने व पकड़े न जाने के लिए गाड़ी के नंबर प्लेट भी बदल देते थे।

पुलिस ने अभियुक्तों के कब्जे से चोरी की सात बाइक की बरामद

मीडिया सेल प्रभारी कमलेश दीक्षित ने बताया कि पीजीआई थाना में बुधवार को तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार कर उनसे सात मोटर साइकिल बरामद हुआ है। काफी दिनों से पता चल रहा कि वाहन चोरों का गिरोह सक्रिय है। इनके पीछे पीजीआई की टीम काफी दिनों से लगी थी। बुधवार को रोशन दीवान, मोनू यादव और नितिन गुप्ता गिरफ्तार हुए है। साथ ही इनसे चोरी किये गए वाहन भी बरामद हुआ है। पूर्व में भी ये वाहन चोरी और अन्य अपराधों में जेल जा चुके है। गिरफ्तार अभियुक्तों का लंबा अपराधिक इतिहास है। सभी से पूछताछ करने के बाद जेल भेज दिया गया।

चोरी की बाइक से लूट व स्नैचिंग जैसी वारदात को देते थे अंजाम

मीडिया प्रभारी ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि इनके द्वारा लखनऊ व आसपास के क्षेत्र में लूट व स्नैचिंग जैसी घटनाओं को कारित किया जा रहा था। अपराध की घटनाओं को कारित करने के बाद पुलिस उन्हें पकड़ न सके। इसके लिए ये अभियुक्त चोरी की बाइक का इस्तेमाल नंबर प्लेट बदलकर करते थे। इनके साथ चोरी व अन्य अपराध की घटनाओं को कारित करने में और लोग भी शामिल है। इसके बारे में पता लगाया जा रहा है। ताकि इस तरह के अपराध को आगे रोका जा सके। इन अभियुक्तों द्वारा अभी हाल में थानाक्षेत्र में एक महिला का मोबाइल व पर्स छीनने का प्रयास किया गया था, जो सफल नहीं हो पाये थे।