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विवाद के बाद बैकफुट पर पीसीबी, निकल गई सारी हेकड़ी, कराची में लहराया भारत का तिरंगा

#after_controversy_indian_flag_in_karachi_stadium

पाकिस्तान की सारी हेकड़ी हवा हो गई और आखिरकार एक बार फिर भारत के आगे घुटनों पर आना पड़ा। पाकिस्तान में चैंपियंस ट्रॉफी शुरू होने से ठीक पहले कराची के नेशनल स्टेडियम में भारतीय तिरंगा लहराता दिखा। दरअसल, आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के आगाज से पहले पीसीबी ने कराची के स्‍टेडियम में टूर्नामेंट में हिस्‍सा लेने वाले सभी देशों के राष्‍ट्रीय ध्‍वज तो लगाए, लेकिन भारत का राष्‍ट्रीय ध्‍वज नहीं लगाकर विवाद खड़ा कर दिया। इसे भूल कहें या पीसीबी ने जानबूझकर ऐसा किया, ये अलग बात है। सोशल मीडिया पर किरकिरी होने के बाद पीसीबी ने गलती सुधारते हुए अब कराची में भारत का राष्‍ट्रीय ध्‍वज लगा दिया है।

पहले गद्दाफी स्टेडियम का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें भारत को छोड़कर सभी भाग लेने वाले देशों के झंडे स्टेडियम की छत पर दिख रहे थे। पीसीबी ने कराची स्टेडियम में भारत का झंडा नहीं लगाया था। इसको लेकर सोशल मीडिया पर फैंस का आक्रोश फूट पड़ा था और लोगों का मानना था कि भले ही भारत वहां खेलने न गया हो, लेकिन नियम के तहत मेजबान देश को अपने स्टेडियम में आठों टीमों के झंडे लगाने थे। हालांकि, अब मामला ठीक दिख रहा है। सोशल मीडिया पर कुछ नई तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें बताया गया है कि कराची के स्टेडियम में भारतीय तिरंगे को लगाया गया है।

पीसीबी ने विवाद को खारिज करते हुए कहा था कि आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए सिर्फ पाकिस्तान में खेलने वाले देशों के झंडे स्टेडियमों में लगाए गए हैं। पीसीबी के एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस को बताया, 'जैसा कि आप जानते हैं, भारत आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के दौरान अपने मैच खेलने के लिए पाकिस्तान नहीं आ रहा है। कराची के नेशनल स्टेडियम, रावलपिंडी क्रिकेट स्टेडियम और लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में उन देशों के झंडे फहराए गए हैं जो इन स्थलों पर खेलने जा रहे हैं।'

बता दें कि पूरा मामला चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के आयोजन से जुड़ा है। दरअसल, टूर्नामेंट पाकिस्तान में हो रहा है। भारतीय टीम सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान नहीं गई। इसलिए भारत के मैच दुबई में हो रहे हैं। यह हाइब्रिड मॉडल आईसीसी ने अपनाया है। इस पूरे मामले में पीसीबी और बीसीसीआई के बीच पहले से ही तनाव चल रहा था।

भारत बहुत अमीर है, हम 21 मिलियन डॉलर क्यों देंगे...जानें ट्रंप ने ऐसा क्यों कहा?

#donald_trump_responded_on_21_million_usd_fund_for_india

हाल के सालों में भारत-अमेरिका संबंध ने एक नई ऊंचाई देखने को मिली है। हालांकि राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप की दोबारा वापसी के बाद भारत और अमेरिका का रिश्ता कैसा रहेगा ये सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर गए थे, जहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनका जोरदार स्वागत किया था। ट्रंप के दूसरी बार अमेरिका की कमान संभालने के बाद दोनों नेताओं की ये पहली मुलाकात थी। इसके तुरंत बाद अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) ने भारत में खर्च करने के लिए दिए गये 21 मिलियन डॉलर के एक फंड को खारिज कर दिया है। इस पर टंप का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने भारत को दी जाने वाली अमेरिकी फंडिंग रोकने के फैसले का बचाव किया है। ट्रंप ने सवाल उठाया कि भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों दिए गए, जबकि भारत के पास पहले से ही बहुत पैसा है।

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने फंड का जिक्र करते हुए कहा कि हम भारत को 108 अरब क्यों दे रहे हैं? उनके पास पहले से ही बहुत पैसा है। वे अमीर हैं वे दुनिया के सबसे अधिक कर लगाने वाले देशों में से एक हैं। हम वहां मुश्किल से प्रवेश कर पाते हैं क्योंकि उनके टैरिफ काफी अधिक हैं। मुझे भारत और उनके प्रधानमंत्री का बहुत सम्मान है लेकिन वहां के चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए 1.8 अरब क्यों देना? ट्रंप ने इस फंडिंग को गैर-जरूरी बताते हुए कहा कि भारत जैसे देश को अमेरिका से इस तरह की वित्तीय सहायता की आवश्यकता नहीं है।

दरअसल हाल ही में एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई विभाग ने विभिन्न देशों के लिए फंडिंग रोकने की घोषणा की थी, जिसमें भारत में मतदान को बढ़ावा देने के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि भी शामिल थी। डीओजीई कहा था कि अमेरिका ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए बनाए गए 21 मिलियन डॉलर के कार्यक्रम में कटौती करने का फैसला किया है। डीओजीई अमेरिकी सरकार के खर्चे में कटौती कर रहा है।

पहले प्रोटोकॉल तोड़कर किया स्‍वागत, फिर पांच साल में व्यापार को दोगुना करने का करार

#agreements_between_india_and_qatar

भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी ने 17-18 फरवरी को भारत की यात्रा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर आए अमीर का यह दूसरा राजकीय दौरा था। 18 फरवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमीर का राष्ट्रपति भवन में भव्य स्वागत किया। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी और अमीर के बीच हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता हुई। दोनों नेताओं ने ऐतिहासिक व्यापारिक संबंधों, लोगों के आपसी जुड़ाव और मजबूत द्विपक्षीय रिश्तों को और गहराने की प्रतिबद्धता जताई।

रणनीतिक साझेदारी के लिए भारत और कतर ने ‘बाइलैटरल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट’ पर हस्ताक्षर किए। भारत और कतर ने 2030 तक अपना आपसी व्यापार दोगुना कर 28 अरब डॉलर तक पहुंचाने का फैसला किया है। फिलहाल दोनों देशों का व्यापार 14 अरब डॉलर है। इस दौरान दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर भी चर्चा हुई। मध्य-पूर्व की स्थिति पर भी चर्चा हुई और दोनों पक्षों ने अपनी स्थित एक-दूसरे से साझा की।

भारत और कतर के बीच वर्तमान में लगभग 14 अरब डॉलर का सालाना व्यापार होता है। दोनों पक्षों ने अगले 5 सालों में इसे दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। कतर भारत में निवेश के लिए भी एक महत्वपूर्ण पार्टनर है। दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी स्थापित करने पर एक समझौते का आदान-प्रदान हुआ। यह समझौता प्रधानमंत्री मोदी और कतर के अमीर की उपस्थिति में कतर के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन जसीम अल थानी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच हुआ।

दोनों देशों के बीच क्या-क्या हुए समझौते

• दोनों वर्ल्ड लीडर्स ने ट्रेड, एनर्जी, इनोवेशन, टेक्नोलॉजी, खाद्य सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने का भी फैसला किया।

• कतर भारत में 10 बिलियन अमरीकी डॉलर यानी करीब 87 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगा। इस निवेश के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी और मैन्युफेक्चरिंग जैसे सेक्टर्स पर होगा। दोनों देशों ने संभावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के साथ 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का महत्वाकांक्षी टारगेट भी रखा है।

• विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत और कतर ने एक रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। कतर भारत में इंफ्रास्ट्रक्टर, टेक्नोलॉजी, मैन्युफेक्चरिंग, फूड सिक्योरिटी, लॉजिस्टिक्स, हॉस्पिटैलिटी और मिच्युअल इंटेरेस्ट के सेक्टर में निवेश बढ़ाने के अवसर खोज रहा है। इस संबंध में कतर ने भारत में 10 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई। कतर निवेश प्राधिकरण भारत में एक ऑफिस खोलेगा।

• कतर में कतर नेशनल बैंक (क्यूएनबी) के सेल पॉइंट पर भारत के यूपीआई का संचालन भी किया जाएगा और गिफ्ट सिटी में ऑफिस खोलकर भारत में कतर नेशनल बैंक की उपस्थिति का विस्तार किया जाएगा। दोनों देश व्यापार और आपसी निवेश के माध्यम से भारत-कतर एनर्जी साझेदारी को और मजबूत करेंगे। कतर के नागरिकों के लिए भारतीय e-Visa सुविधा का विस्तार किया जाएगा. दोनों देशों ने निकट भविष्य में संस्कृति, मैत्री और खेल वर्ष मनाने पर भी सहमति जताई है।

• भारत और कतर ने द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी की स्थापना के लिए एक समझौते के साथ-साथ आयकर के संबंध में दोहरे कराधान से बचने और राजकोषीय चोरी की रोकथाम के लिए एक संशोधित समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

ममता बनर्जी ने क्यों की इस्तीफे की पेशकश, भाजपा से किस बात के लिए मांगा सबूत?

#mamata_banerjee_said_will_resign_as_west_bengal_cm

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी की ओर से लगाए जा रहे आरोपों के बाद आक्रोश जाहिर किया। ममता बनर्जी ने बीजेपी नेताओं पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए अचानक अपने इस्तीफे की बात कह दी।बीजेपी के नेता ने उन पर बांग्‍लादेशी आतंक‍ियों के साथ रिश्ते होने, कट्टरपंथ‍ियों के साथ संबंध होने के आरोप लगाए थे। इस पर ममता बनर्जी ब‍िफर गईं।ममता ने कहा कि अगर भाजपा विधायक इन आरोपों को साबित कर दें, तो वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगी।

पश्चिम बंगाल विधानसभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने अपने खिलाफ बेबुनियाद टिप्पणियां करने के लिए भाजपा विधायकों की आलोचना की। बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने विधानसभा से निलंबित होने के बाद ममता बजर्नी पर सनसनीखेज आरोप लगाए थे। ममता बनर्जी इसी का जवाब दे रही थीं। ममता ने कहा, वे कह रहे हैं कि मेरे आतंकवादियों से संबंध हैं। इससे तो मर जाना ही अच्छा है। मैंने कुछ नहीं कहा फिर भी आप सबने मेरा संबंध आतंकवादियों से जोड़ दिया? यह देश सबका है। क्या मैं हिंदू धर्म का अपमान करती हूं या मुस्लिम लीग का समर्थन करती हूं? मैं कश्मीर या बांग्लादेश से आये आतंकवादियों के साथ रहती हूं? अगर आप इस आरोप को साबित कर सकें तो मैं एक दिन में सीएम पद छोड़ दूंगी। मैं प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखूंगी और पूछूंगी कि क्या विपक्षी नेता मेरे खिलाफ इस तरह के आरोप लगा सकते हैं।

ममता ने कहा, अभिव्यक्ति की आजादी उन्हें (भाजपा विधायकों को) नफरत फैलाने वाले भाषण देने और लोगों को बांटने की अनुमति नहीं देती है। अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब नफरत फैलाने वाली बातें नहीं है। आप (भाजपा विधायक) राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का सहारा लेते हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं करते।

एक बार फिर टूटेगा पाकिस्तान! पाक सांसद ने शहबाज शरीफ को दी चेतावनी

#balochistan_to_announce_independence_tells_fazal_ur_rehman

क्या एक बार फिर पाकिस्न के टूकड़े होने जा रहे हैं? दरअसल, पाकिस्तानी सांसद और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के अध्यक्ष फजल उर-रहमान ने सरकार को ऐसा आगाह किया है। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान प्रांत के एक हिस्से में पाकिस्तान से लोग खुश नहीं है। मौलाना फजलुर रहमान ने दावा किया है कि बलूचिस्तान के पांच से सात जिले टूटकर स्वतंत्रता की घोषणा कर सकते हैं। उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध का जिक्र करते हुए चेतावनी दी है कि ऐसी ही स्थिति एक बार फिर बन सकती है।

रहमान ने पाकिस्तान सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर कुछ जिलों ने खुद को आजाद घोषित किया तो संयुक्त राष्ट्र भी इनकी आजादी को मान लेगा। शहबाज शरीफ को चेताते हुए रहमान ने कहा कि बलूचिस्तान के कुछ जिलों में आजादी का ऐलान और यूएन की स्वीकार्यता का मतलब पाकिस्तान का टूटना होगा। बलूचिस्तान के पांच से सात जिले आजादी का ऐलान कर सकते हैं और ये देश की हुकूमत के रवैये की वजह से होगा। 

फजल उर-रहमान ने कहा कि बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा के सूरत-ए-हाल किसी से छिपे नहीं हैं। हम सब पाकिस्तानी हैं, हमारा अमन एक है और हमारी इज्जत-ओ-आबरू एक हैं। उस हवाले से हमें पता होना चाहिए कि इस वक्त 2 सूबों में हुकूमत का कोई रिट नहीं है। उन्होंने कहा, आज प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ यहां होते और उनसे पूछा जाता कि कबाइली इलाकों में क्या हो रहा है, बलूचिस्तान में क्या हो रहा है तो वो शायद यही कहते कि मुझे इसका इल्म नहीं है। अगर मेरा हुक्मरान मुल्क के मामलात के बारे में इतना बेखबर हैं और मुझे याद है एक जमाने में हमने मिलकर काम किया है। अफगानिस्तान हमारे जरिए जाते थे और मैंने जब उनसे पूछा तो उन्हें कोई इल्म नहीं था।

रहमान का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब बलूचिस्तान के बड़े हिस्से में हिंसा बढ़ रही है। इस क्षेत्र में सुन्नी-शिया संघर्ष भी चल रहा है। बीते साल नवंबर से यहां लगातार मौते हो रही हैं। कबीलाई लोग मशीनगनों और भारी हथियारों से लड़ रहे हैं, जिससे अफगानिस्तान बॉर्डर के पास का पहाड़ी इलाका पाकिस्तान सुरक्षाबलों की पकड़ निकल रहा है।

जरूरत पड़ी तो जेलेंस्की से बात करेंगे पुतिन', सऊदी में अमेरिका के साथ बैठक के बीच रूस का ऐलान

#vladimir_putin_says_he_is_ready_to_talk_with_zelenskyy

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को खत्म करने की चर्चा जोरों पर है। इस बीच यूक्रेन में जंग खत्म करने को लेकर अमेरिका ने रूस के साथ सऊदी अरब में बैठक की है।बैठक में इन दोनों मुल्कों के प्रतिनिधियों के अलावा सऊदी के प्रतिनिधि भी शामिल रहे, लेकिन यूक्रेन की तरफ से किसी को भई मीटिंग में नहीं बुलाया गया। इन सबके बीच रूस की सरकार ने एक बड़ा बयान जारी करते हुए कहा है कि अगर जरूरी है तो राष्ट्रपति पुतिन, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ बात करने के लिए तैयार हैं।

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने यह जानकारी देते हुए कहा कि रूस और अमेरिका के बीच वार्ता अब खत्म हो गई है। इसके साथ ही, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक के लिए अभी तक कोई तारीख तय नहीं की गई है। वहीं, कहा कि किसी भी समझौते का कानूनी आधार तय होना चाहिए, खासकर इस संदर्भ में कि जेलेंस्की की वैधता पर सवाल हो सकता है।

राष्ट्रपति पुतिन का ये बयान ऐसे समय पर आया है जब आज मंगलवारको सऊदी अरब में रूस और अमेरिका के राजनयिकों की बैठक हुई। इस मीटिंग का उद्देश्य रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए एक समझौता करना है। बैठक के दौरान खास बात ये देखने को मिली कि रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने को लेकर चर्चा की गई लेकिन यूक्रेन के राजनयिक को जगह नहीं दी गई।

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा है कि उनका देश युद्ध समाप्त करने के लिए इस सप्ताह अमेरिका-रूस वार्ता में भाग नहीं लेगा। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि यूक्रेन इस वार्ता में भाग नहीं लेगा इसलिए वह वार्ता के नतीजों को भी स्वीकार नहीं करेगा।

क्रैश, आग का गोला, पलटाव: डेल्टा एयरलाइंस की घटनापूर्ण लैंडिंग

डेल्टा एयरलाइंस का एक जेट विमान, जिसमें 76 यात्री और चार चालक दल के सदस्य सहित 80 लोग सवार थे, सोमवार दोपहर टोरंटो के पियर्सन हवाई अड्डे पर एक नाटकीय क्रैश लैंडिंग में शामिल था। विमान, एक मित्सुबिशी CRJ-900LR, दोपहर लगभग 2.15 बजे उतरने का प्रयास करते समय अपनी छत पर पलट गया। हवाई अड्डे के अधिकारियों के अनुसार, सभी यात्री बच गए, हालांकि 18 को मामूली चोटों के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया।

मिनियापोलिस से रवाना हुई इस उड़ान को खराब मौसम की स्थिति का सामना करना पड़ा, क्योंकि 40 मील प्रति घंटे (65 किलोमीटर प्रति घंटे) की रफ्तार से चलने वाली हवाओं के कारण बर्फ़बारी हुई, जो रनवे पर घूम रही थी। विमान के दृष्टिकोण के दौरान पायलट और हवाई यातायात नियंत्रण के बीच सामान्य संचार के बावजूद, विमान के उतरते समय कुछ गड़बड़ हो गई, जिससे यह अपने रास्ते से भटक गया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में विमान के उतरने और उसके बाद होने वाले प्रभाव और पलटाव को दिखाया गया है।

यात्रियों ने भयावहता का वर्णन किया

पैरामेडिक्स सम्मेलन के लिए टोरंटो जा रहे यात्री पीटर कार्लसन ने लैंडिंग को "बहुत जोरदार" बताया। उन्होंने उस पल को याद करते हुए कहा: "अचानक, सब कुछ एक तरफ़ हो गया, और फिर अगली बात जो मुझे पता चली, वह यह कि मैं एक झटके में उल्टा हो गया, फिर भी मैं विमान में बंधा हुआ था।"

कार्लसन और अन्य यात्रियों ने एक माँ और उसके छोटे बेटे सहित आस-पास के लोगों को विमान से बाहर निकालने में मदद की। उन्होंने बर्फ़ से ढके टरमैक को "टुंड्रा जैसा महसूस" बताया, लेकिन कहा कि वह और उनके साथी यात्री ठंड की स्थिति से ज़्यादा सुरक्षित जगह पर पहुँचने के बारे में चिंतित थे।

ग्रेटर टोरंटो एयरपोर्ट अथॉरिटी की सीईओ डेबोरा फ्लिंट ने आभार व्यक्त किया कि कोई मौत नहीं हुई, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि लगी चोटें अपेक्षाकृत मामूली थीं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "हम बहुत आभारी हैं कि कोई जान नहीं गई।"

विमानन दुर्घटनाओं में वृद्धि

यह दुर्घटना उत्तरी अमेरिका में महत्वपूर्ण विमानन दुर्घटनाओं की श्रृंखला में नवीनतम है। कुछ ही सप्ताह पहले, वाशिंगटन डी.सी. में एक घातक हेलीकॉप्टर दुर्घटना, फिलाडेल्फिया में एक विमान दुर्घटना और अलास्का में एक दुर्घटना में दर्जनों लोग मारे गए थे। पियरसन में आखिरी बड़ी दुर्घटना 2005 में हुई थी, जब पेरिस से आ रहा एक एयरबस A340 रनवे से फिसल गया था और उसमें आग लग गई थी, हालांकि उस समय कोई हताहत नहीं हुआ था।

रूस-अमेरिका की बातचीत से यूरोप में क्यों बढ़ी टेंशन?

#us_russia_talks_european_countries_in_dilemma

अमेरिका और रूस में यूक्रेन युद्ध को लेकर हो रही बातचीत से यूरोप टेंशन में हैं। अधिकतर यूरोपीय देश के नेता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सीधे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत को लेकर नाराज हैं। नाटो देशों ने आशंका जताई है कि इस वार्ता से रूस को फायदा होगा, जबकि बाकी सभी नुकसान उठाएंगे।

सऊदी अरब में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्क रूबियो के स्तर पर हो रही है। अगर यह वार्ता सफल रही, तो यूक्रेन संकट के हल की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकती है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि यूरोपीय देश इस पहल को लेकर उत्साहित नहीं दिख रहा। वो इसलिए भी कि वो इस बैठक का हिस्सा है। सभी युद्ध खत्म करना चाहते हैं, लेकिन इसका रास्ता क्या हो—यही असली मतभेद है। सवाल यह है कि जब ट्रंप खुद शांति वार्ता को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो यूरोप इस पर संशय में क्यों है?

यूरोपीय देशों के लिए रूस केवल एक आक्रामक शक्ति नहीं है, बल्कि एक भविष्य की चिंता का नाम भी है। पोलैंड, बाल्टिक देश और जर्मनी जैसे देशों को यह डर सता रहा है कि अगर युद्ध बिना किसी ठोस शर्तों के खत्म हो गया, तो रूस अपनी विस्तारवादी नीतियों के साथ फिर से सक्रिय हो सकता है। यही कारण है कि यूरोप चाहता है कि युद्ध का अंत रूस की हार के साथ हो, ताकि रूस की सैन्य ताकत कमजोर हो सके और भविष्य में उसे फिर से चुनौती देने की स्थिति न बने।

इधर, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से फोन पर बातचीत की। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने ट्वीट किया, कई यूरोपीय नेताओं को एक साथ लाने के बाद, मैंने अभी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और फिर राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के साथ बात की है। हम यूक्रेन में एक मजबूत और स्थायी शांति चाहते हैं। इसे हासिल करने के लिए, रूस को अपनी आक्रामकता खत्म करनी होगी और इसके साथ यूक्रेनियन के लिए मजबूत और विश्वसनीय सुरक्षा गारंटी होनी चाहिए। अन्यथा, जोखिम है कि यह युद्धविराम मिन्स्क समझौते की तरह खत्म हो जाएगा। हम सभी यूरोपीय, अमेरिकियों और यूक्रेनियन के साथ मिलकर इस पर काम करेंगे।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह संकेत दिया था कि वह सऊदी अरब में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे। अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि रियाद में होने वाली वार्ता में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के भी भाग लेने की उम्मीद है. रुबियो की यह यात्रा पिछले हफ्ते राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत के बाद हो रही है. पुतिन के साथ बातचीत में ट्रंप ने कहा था कि वे ‘अपनी-अपनी टीम द्वारा तुरंत बातचीत शुरू करने पर सहमत हुए हैं’.

लालू यादव के बाद ममता बनर्जी का विवादित बयान, महाकुंभ को बताया 'मृत्युकुंभ'

#mamata_banerjee_called_mahakumbh_a_mrityukumbh

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महाकुंभ पर बेहद विवादित बयान दिया है। मंगलवार को अपने एक कार्यक्रम में ममता बनर्जी ने कहा, महाकुंभ अब महा कुंभ नहीं बल्कि 'मृत्यु कुंभ' में बदल गया है। मुख्यमंत्री ने अपने लंबे चौड़े संबोधन के बीच यूपी की सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा। वहीं, ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि महाकुंभ में वीआईपी को विशेष सुविधा मिल रही है, जबकि आम लोग परेशान हैं।

ममता बनर्जी ने कहा, यह 'मृत्यु कुंभ' है...मैं महाकुंभ का सम्मान करती हूं, मैं पवित्र गंगा मां का सम्मान करती हूं। लेकिन कोई योजना नहीं है। उन्होंने आगे कहा, कितने लोगों को बरामद किया गया है? अमीर, वीआईपी के लिए 1 लाख रुपए तक के शिविर प्राप्त करने की व्यवस्था उपलब्ध है। गरीबों के लिए, कुंभ में कोई व्यवस्था नहीं है।

ममता बनर्जी ने कहा, वीआईपी-वीवीआईपी को कोई दिक्कत नहीं हो रही है। लेकिन आम आदमी भीड़ में मर रहा है। इतना बड़ा आयोजन, इतने लोगों की जान चली गई. फिर भी लोग प्रचार में लगे हैं।

बता दें, ममता बनर्जी से पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने महाकुंभ को लेकर विवादित बयान दिया था। लालू यादव से जब कुंभ को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा था, कुंभ का क्या मतलब है, फालतू है कुंभ। उनके इस बयान के बाद सियासी गलियारें में हलचल मच गई थी।

यूक्रेन जंग खत्म करने के लिए सऊदी अरब में अमेरिका-रूस के बीच बातचीत शुरू, जेलेंस्की को न्योता नहीं

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यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के मकसद से अमेरिका और रूस के बीच सऊदी अरब में वार्ता शुरू हो गई है।यह वार्ता अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हो रही है। हालांकि, इस वार्ता में यूक्रेन की तरफ से कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं है। दरअसल, यूक्रेन को वार्ता के लिए नहीं बुलाया गया है। खुद यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि उन्हें वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है।

अमेरिका की ओर से विदेश मंत्री मार्को रुबियो, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और पश्चिम एशिया के लिए डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विट्कॉफ बैठक में मौजूद रहे। जबकि रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लावरोव करेंगे और उसमें पुतिन के सलाहकार यूरी यूशाकोव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। वहीं, यूक्रेन को इस बैठक में नहीं बुलाया गया है। जबकि यह बातचीत यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करने के उद्देश्य से हो रही है। रूस और अमेरिका इस बैठक के दो पक्ष हैं और सऊदी मध्यस्थ की भूमिका मे है।

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा है कि उनका देश युद्ध समाप्त करने के लिए इस सप्ताह अमेरिका-रूस वार्ता में भाग नहीं लेगा। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि यूक्रेन इस वार्ता में भाग नहीं लेगा इसलिए वह वार्ता के नतीजों को भी स्वीकार नहीं करेगा। यूएई में एक कांफ्रेंस कॉल के दौरान जेलेंस्की ने पत्रकारों से कहा, उनकी सरकार को सऊदी अरब में मंगलवार की नियोजित वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था।

यूरोपीय संघ को भी चर्चा में शामिल नहीं किया गया है। यूरोपीय नेताओं ने इस पर एतराज जताते हुए किसी भी शांति वार्ता में अपनी भागीदारी की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि एक निष्पक्ष और स्थायी शांति के लिए उनकी मौजूदगी जरूरी है।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब में यह बैठक यूक्रेन पर रूसी हमले के तीन साल बाद हो रही है। अमेरिका की शांति समझौते में भूमिका की वजह से इसे अहम माना जा रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग और रूस के अधिकारियों में बातचीत राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में फोन पर चर्चा के बाद हो रही है। 12 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डेढ़ घंटे तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर वार्ता कर संबंधों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। फोन पर दोनों नेताओं ने यूक्रेन पर तुरंत शांति वार्ता शुरू करने पर सहमति जताई थी।

यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद रूस को अलग-थलग करने की अमेरिकी नीति में बदलाव किया है। इससे पहले अमेरिका यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उसे अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा था। अब दोनों देश को शीर्ष अधिकारी मिले हैं। यह बातचीत डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक का रास्ता भी खोल सकती है।