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यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को मिली मृत्युदंड, मदद के लिए सामने आया यह मुस्लिम देश, जानें क्या है वजह

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यमन में एक युवक की हत्या के मामले में भारतीय मूल की नर्स निमिषा प्रिया को मौत की सजा सुनाई गई है। उन्हें एक महीने में फांसी दी जानी है। निमिषा की सजा माफ कराने के लिए भारत सरकार ने कोशिशें तेज कर दी हैं। इस बीच भारत की मदद के लिए एक मुस्लिम देश आगे आया है। निमिषा प्रिया के केस में ईरान ने भारत की मदद करने की पेश की है।ईरान ने कहा है कि वह हरसंभव मदद करेगा।

ईरान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पत्रकारों से कहा, ‘हम इस मुद्दे को उठाएंगे। ऐसा लगता है कि उस पर गैर-इरादतन हत्या का आरोप लगाया गया है। मानवीय आधार पर हम इस मामले में जो भी कर सकते हैं, करेंगे। बता दें कि निमिषा प्रिया को जुलाई 2017 में दोषी ठहराया गया था। यमन के राष्ट्रपति ने गत माह निमिशा को मौत की सजा को बरकरार रखा है। भारत ने कहा है कि वह इस मामले में नर्स की मदद करने के लिए उसके परिवार और संबंधितों के संपर्क में है और सभी तरह के कानूनी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। प्रिया (37) अभी यमन की राजधानी सना की जेल में बंद है। यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की मौत कथित तौर पर बेहोशी की दवा की ‘ओवरडोज’ से हुई थी, जो प्रिया ने उससे अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए दी थी।

ईरान क्यों करना चाहता है मदद

ईरान ने यह पेशकश ऐसे वक्त में की है, जब अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कच्चे तेल के निर्यात पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगा रखा है। अमेरिकी प्रतिबंधों से प्रताड़ित ईरान ने भारत से मदद की गुहार लगाई है। ईरान ने भारत से फिर से तेल खरीदने की अपील की है। इसके अलावा उसने ईरानी नागरिकों को भारतीय वीजा पाने में ढील देने को भी कहा है। ईरान का कहना है कि इससे भारत और भारतीय नागरिकों के साथ उसकी दोस्ती गहरी होगी। हालांकि, भारत की तरफ से ईरान के इन दो प्रस्तावों पर अभी तक स्पष्ट रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। भारत के लिए मध्य पूर्व में ईरान का महत्व काफी ज्यादा है।

भारत ने क्यों बंद किया ईरान से तेल खरीदना

ईरान 2018 से कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। पिछले डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के तहत, अमेरिका ने ईरान पर 1500 से ज्यादा प्रतिबंध लगाए हैं। नतीजतन, 2019 में, अमेरिका के दबाव में, भारत ने ईरान से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया था, जिसका दोतरफा व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। रिपोर्ट के अनुसार, एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "2018 में प्रतिबंध लगाए जाने से पहले हमारे भारत के साथ अच्छे आर्थिक संबंध थे। हम समझते हैं कि भारत को प्रतिबंधों का पालन क्यों करना पड़ रहा है, लेकिन व्यापार में साल-दर-साल गिरावट आ रही है, जो अच्छी बात नहीं है।"

पीएम मोदी ने बाइडेन की पत्नी को दिया इतना महंगा गिफ्ट, कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश

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राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके परिवार को 2023 में विदेशी नेताओं से हजारों डॉलर के गिफ्ट मिले। इसमें जो बाइडेन को सबसे महंगा गिफ्ट भारत की ओर से दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति जो बाइडेन की पत्नी और यूएस की प्रथम महिला जिल बाइडेन को 20 हजार अमेरिकी डॉलर (लगभग 17,15,440 रुपये) का उपहार भेंट किया था। पीएम मोदी ने बाइडन की पत्नी को 7.5 कैरेट का हीरा गिफ्ट किया था। 2023 में जो बाइडेन परिवार को दिया गया ये सबसे महंगा तोहफा है।

विदेश मंत्रालय की तरफ से प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई। विदेश मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी किए गए वार्षिक लेखा-जोखा के अनुसार, पीएम मोदी की ओर से दिया गया 7.5 कैरेट का हीरा 2023 में राष्ट्रपति के परिवार के किसी भी सदस्य को मिला सबसे महंगा उपहार है। मंत्रालय के दस्तावेज के अनुसार, पीएम मोदी द्वारा भेंट किया गया 20 हजार अमेरिकी डॉलर का हीरा ‘व्हाइट हाउस’ के ईस्ट विंग में रखा गया है जबकि राष्ट्रपति तथा प्रथम महिला को मिले अन्य उपहार अभिलेखागार में भेज दिए गए हैं।

राष्ट्रपति के परिवार को मिले अन्य गिफ्ट

पीएम मोदी के अलावा बाइडेन और उनके परिवार को यूक्रेन के राजदूत से 14,063 अमेरिकी डॉलर का एक ‘ब्रोच’, मिस्र के राष्ट्रपति तथा प्रथम महिला से 4,510 अमेरिकी डॉलर का एक ‘ब्रेसलेट’, ब्रोच और फोटो एल्बम भी मिली।

राष्ट्रपति बाइडन को भी मिले कई महंगे गिफ्ट

अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन को स्वयं कई महंगे उपहार मिले। इनमें दक्षिण कोरिया के वर्तमान में महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून सुक येओल से 7,100 अमेरिकी डॉलर का एक फोटो एल्बम, मंगोलियाई प्रधानमंत्री से 3,495 अमेरिकी डॉलर की मंगोल योद्धाओं की मूर्ति, ब्रुनेई के सुल्तान से 3,300 अमेरिकी डॉलर का चांदी का कटोरा, इज़राइल के राष्ट्रपति से 3,160 अमेरिकी डॉलर की चांदी की ट्रे और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से 2,400 अमेरिकी डॉलर का कोलाज शामिल हैं।

संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार, मुआवजे से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
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* सुप्रीमकोर्ट ने कहा है कि संपत्ति का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है और कानून के अनुसार पर्याप्त मुआवजे का भुगतान किए बिना किसी व्यक्ति से उसकी संपत्ति नहीं ली जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलुरु-मैसूरु इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण में मुआवजे के मामले में सुनवाई के दौरान कही। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन ने कहा कि संविधान (44वां संशोधन) अधिनियम, 1978 के कारण संपत्ति का मौलिक अधिकार समाप्त कर दिया गया, हालांकि यह एक कल्याणकारी राज्य में एक मानवाधिकार और संविधान के अनुच्छेद 300-ए के तहत एक संवैधानिक अधिकार बना हुआ है।अनुच्छेद 300-ए के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से केवल कानून के अधिकार के तहत ही वंचित किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला कर्नाटक हाई कोर्ट के नवंबर 2022 के एक फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर दिया गया, जो बेंगलुरु-मैसूर इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर प्रोजेक्ट (बीएमआईसीपी) के तहत भूमि अधिग्रहण से संबंधित था।सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि 2003 में कर्नाटक इंडस्ट्रियल एरियाज डेवलपमेंट बोर्ड (केआईएडीबी) द्वारा परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रारंभिक अधिसूचना जारी की गई थी। नवंबर 2005 में अपीलकर्ताओं की भूमि का कब्जा ले लिया गया। बेंच ने कहा कि पिछले 22 वर्षों से भूमि मालिकों को उनकी संपत्ति के बदले कोई मुआवजा नहीं मिला। यह देरी राज्य और केआईएडीबी के अधिकारियों के सुस्तीपूर्ण रवैये के कारण हुई। *जानें क्या है मामला* जनवरी 2003 में, प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) ने एक अधिसूचना जारी की थी और नवंबर 2005 में अपीलकर्ताओं की जमीन पर कब्जा कर लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में पाया कि प्रोजेक्ट के लिए लोगों की जमीन पर कब्जा किया गया और उन्हें इस के लिए मुआवजा भी नहीं दिया गया। बिना मुआवजे के लोगों को उनकी जमीन से वंचित कर दिया गया। कोर्ट ने कहा पिछले 22 साल से इन जमीन मलिकों ने कई बार अदालत के दरवाजे खटखटाए। बेंच ने कहा कि अवमानना कार्यवाही में नोटिस जारी होने के बाद ही, विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी (एसएलएओ) ने 22 अप्रैल, 2019 को अधिग्रहित भूमि के बाजार मूल्य का निर्धारण करने के लिए 2011 में प्रचलित दिशानिर्देश मूल्यों को ध्यान में रखते हुए मुआवजा निर्धारित किया गया था। *मुआवजे में देरी पर कड़ी टिप्पणी* साथ ही कोर्ट ने कहा, अगर साल 2003 के बाजार मूल्य के तहत लोगों को मुआवजा देने की इजाजत दी गई तो यह न्याय का मजाक उड़ाने और अनुच्छेद 300-ए के तहत संवैधानिक प्रावधानों का मजाक बनाने जैसा होगा। सुप्रीम कोर्ट ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अदालत की शक्ति का इस्तेमाल करते हुए, विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी (SLAO) को निर्देश दिया कि वो 22 अप्रैल 2019 के बाजार मूल्य के हिसाब से लोगों को उनकी जमीन का मुआवजा दें।
दिल्ली में आपदा सरकार, शीशमहल, पीएम मोदी ने आप सरकार पर यूं बोला हमला

#pmmodiattacks_aap

दिल्ली में फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी की कई विकास योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इसी क्रम में प्रधानमंत्री ने अशोक विहार स्थित स्वाभिमान अपार्टमेंट में झुग्गी-झोपड़ी पुनर्वास परियोजना के तहत लाभार्थियों को फ्लैटों की चाबियां सौंपी और इससे पहले उन्होंने लाभार्थियों से बातचीत की। इस दौरान पीएम मोदी ने बिना नाम लिए दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आप सरकार पर बड़ा हमला बोला।

10 सालों से दिल्ली एक बड़ी आपदा से घिरी-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली की आप सरकार पर हमला करते हुए कहा कि बीते 10 सालों से दिल्ली एक बड़ी आपदा से घिरी है। अन्ना हजारे जी को सामने करके कुछ कट्टर बेईमान लोगों ने दिल्ली को आपदा में धकेल दिया। दिल्ली देश की राजधानी है लेकिन यहां शराब के ठेकों में घोटाला, बच्चों के स्कूल में घोटाला, गरीबों के इलाज में घोटाला, भर्तियों के नाम पर घोटाला किए गए। उन्होंने कहा कि जो लोग दिल्ली के विकास की बात करते थे, वे तो आपदा बनकर दिल्ली पर टूट पड़े।

दिल्ली में 'आप-दा' सरकार- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि मैं तो दिल्ली वालों को मुफ्त इलाज की सुविधा देने वाली 'आयुष्मान भारत' योजना का लाभ देना चाहता हूं। आप-दा सरकार को दिल्ली वालों से बड़ी दुश्मनी है। पूरे देश में आयुष्मान योजना लागू है, लेकिन इस योजना को आप-दा वाले यहां (दिल्ली) लागू नहीं होने दे रहे। इसका नुकसान दिल्ली वालों को उठाना पड़ रहा है।

दिल्ली सरकार के पास कोई विजन नहीं- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि बड़े काम जो दिल्ली में होते हैं वो केंद्र सरकार के जिम्मे है। ज्यादातर सड़के, मेट्रो, बड़े अस्पताल, बड़े कॉलेज कैंपस ये सब केंद्र सरकार ही बना रही है। लेकिन यहां की आपदा सरकार के पास जिस भी काम का दायित्व है, उसपर भी यहां ब्रेक लगी हुई है। दिल्ली को जिस आपदा ने घेर रखा है, उसके पास कोई विजन नहीं है। ये कैसी आपदा है। इसका एक और उदाहरण हमारी यमुना जी हैं। जब मैंने लाभार्थियों से पूछा की छठ पूजा कैसी रही तो वो सिर पर हाथ मारकर कह रहे थे कि छठ पूजा का हाल क्या कहें। हम घर के पास ही छोटा-मोटा पूजा करके मां से माफी मांग लेते हैं। इनकी बेशर्मी देखो ये कहते हैं कि यमुना की सफाई से वोट नहीं मिलेगा। मतलब वोट नहीं मिलेगा तो यमुना की सफाई नहीं करेंगे। इस आपदा ने दिल्ली वालों के जीवन को टैंकर माफिया के हवाले कर दिया है।

शीश महल का जिक्र कर केजरीवाल पर निशाना

पीएम मोदी ने कहा कि देश भाली-भांति जानता है कि मोदी ने कभी अपने लिए घर नहीं बनाया है। लेकिन बीते 10 वर्षों में चार करोड़ से अधिक गरीबों को घर देकर उनका सपना पूरा किया है। मैं भी कोई शीश महल बना सकता था, लेकिन मेरे लिए तो मेरे देशवासियों को पक्का घर मिले यही एक सपना था। मैं आप सबको भी कहता हूं कि आप जब भी लोगों के बीच जाएं लोगों से मिले और अभी भी जो लोग झुग्गी झोपड़ी में रहते हैं, मेरे तरफ से उनको वादा करके आना, मेरे लिए आप ही मोदी हैं, आप वादा करके आना आज नहीं तो कल उनके लिए पक्का मिलेगा।

कोरोना के बाद चीन में नए वायरस ने डराया, तेजी से फैल रहा, कई इलाकों में इमरजेंसी घोषित

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कोरोना महामारी का प्रकोप लोग अभी भूले नहीं है। उस वक्त एक जानलेवा वायरस ने पूरी दुनिया की रफ्तार को रोक दिया था। करोड़ो लोग इसका शिकार हुए और लाखों को अपनी जान से हाथ तक धोना पड़ा। कोरोना वायरस चीन के वुहान से निकला था। अब करीब पांच साल के बाद एक बार फिर चीन में एक और खतरनाक वायरस ने दस्तक दे दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन दिनों चीन में ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस का प्रकोप देखने को मिल रहा है। बताया जा रहा है कि इस खतरनाक वायरस के कारण चीन के अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इतना ही नहीं,ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस के कारण मरीज बड़ी संख्या में मर भी रहे हैं।

ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों में खांसी-जुकाम और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण नजर आ रहे है। जिन लोगों को पहले से सांस की कोई बीमारी है उनको ज्यादा खतरा बताया जा रहा है। चूंकि ये वायरस संक्रामक है और एक से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है ऐसे में चीन का स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है और वायरस की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर टेस्टिंग भी चल रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीन में इस वायरस से इमरजेंसी जैसे हालात है।

चीन का यह सच सोशल मीडिया पर अब आग की तरफ फैल रहा है। कई रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा है कि यह नया वायरस तेजी से फैल रहा है। चीन पर नजर रखने वाले कुछ लोगों का तो यह भी दावा है कि अस्पताल और श्मशान घाट भी अब भर चुके हैं। लोग इस वायरस की चपेट में तेजी से आ रहे हैं। ऐसे कई वीडियो को ऑनलाइन शेयर किया गया है। इनमें अस्पतालों में भीड़ दिखाई दे रही है।

ऑनलाइन शेयर किए गए वीडियो में अस्पतालों में भीड़ दिखाई दे रही है। कुछ यूजर्स का कहना है कि चीन में एचएमपीवी, इन्फ्लूएंजा ए, माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया और कोविड-19 समेत कई वायरस एक साथ फैल रहे हैं। चीन पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है। हालांकि, अब भी इस वायरस को लेकर बहुत कुछ सही से बता नहीं रहा।

वहीं, रॉयटर्स की एक रिपोर्ट की मानें तो चीन के रोग नियंत्रण प्राधिकरण ने शुक्रवार को कहा कि वह अज्ञात तरीके के निमोनिया के लिए एक निगरानी प्रणाली चला रहा है। सर्दियों में सांस संबंधी रोगों के मामले बढ़ने की आशंका है। एक खास सिस्टम स्थापित करने का मकसद अधिकारियों को अज्ञात रोगजनकों से निपटने के लिए प्रोटोकॉल स्थापित करने में मदद करना है।

क्या है यह एचएमपीवी वायरस

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) भी कोरोना की ही तरह से श्वसन पथ को संक्रमित करता है, हालांकि कोरोना के इतर इस वायरस के कारण ऊपरी और निचले दोनों श्वसन पथ में संक्रमण का खतरा हो सकता है। यह न्युमोवायरिडे परिवार के मेटापन्यूमोवायरस क्लास से जुड़ा है। इसे सबसे पहले 2001 में डच शोधकर्ताओं ने खोजा था। यह वायरस तब सामने आया था रिसर्चर जब श्वसन संक्रमण यानी सांस संबंधी बीमारी से पीड़ित बच्चों के नमूनों का अध्ययन कर रहे थे। अध्ययनों से पता चला है कि यह वायरस कम से कम छह दशकों से मौजूद है। यह एक सामान्य श्वसन रोगजनक़ के रूप में पूरी दुनिया में फैल गया है। यह मुख्य रूप से खांसने और छींकने से निकलने वाली बूंदों से फैलता है। संक्रमित लोगों के साथ निकट संपर्क और दूषित वातावरण के संपर्क में आने से भी संचरण हो सकता है। चीनी सीडीसी की वेबसाइट के अनुसार, इस वायरस का संक्रमण काल तीन से पांच दिनों का होता है। एचएमपीवी द्वारा प्रेरित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बार-बार होने वाले संक्रमणों को रोकने के लिए बहुत कमजोर होती है। हालांकि यह पूरे साल पाया जा सकता है, लेकिन यह सर्दी और वसंत में सबसे अधिक पाया जाता है।

2023 में अमेरिका में भी बढ़े थे मामले

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका के कई हिस्सों में साल 2023 की शुरुआत में फिर उसी साल के मई-जून के महीनों में एचएमपीवी के कारण संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े थे। जानकारी के अनुसार अमेरिका में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के लिए लगभग 11 प्रतिशत पीसीआर और 20 प्रतिशत एंटीजन टेस्ट रिपोर्ट सकारात्मक आए थे।

महामारी से पहले के स्तर की तुलना में इसकी पॉजिटीविटी दर में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को इस वायरल संक्रमण के जोखिमों को देखते हुए बचाव के लिए उपाय करते रहने की आवश्यकता है।

भोपाल गैस कांड का जहरीला कचरा नष्ट करने पर बवाल, इंदौर के पास पीथमपुर में प्रदर्शन, पुलिस ने किया लाठीचार्ज

#indorewewillnotallowbhopalgastragedywaste_burnt

भोपाल गैस कांड के कचरे को पीथमपुर में जलाने का विरोध तेज हो गया है। यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा लाने के विरोध में पीथमपुर में जमकर हंगामा मच गया है। हजारों की तादाद में लोग सड़क पर उतर आए हैं। बेकाबू पब्लिक को संभालने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा है।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 40 साल पहले हुई गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को अब जलाने की प्रक्रिया शुरू हो रही है। धार के पीथमपुरा में इस कचरे को ले जाकर खत्म किया जाना है। हालांकि, इसको लेकर मध्य प्रदेश में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन चल रहा है। जनता यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकले इस जहरीले कचरे को धार के पीथमपुरा में ट्रांसफर किए जाने का विरोध कर रही है। आज सुबह से पूरा पीथमपुर बंद है। कहीं पर भी दुकानें नहीं खुली हैं। लोगों ने स्वेच्छा से दुकानों को बंद रखा है। लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुका है। शुक्रवार की सुबह गुस्साए लोगों को हटाने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।

बंद को आम लोगों का पूरा समर्थन

सभी संगठन, संस्थाएं एक मंच पर आकर इसका विरोध कर रही हैं। इंदौर से कई संस्थाओं और सामाजिक संगठनों के लोग पीथमपुर गए हैं। बंद को रहवासियों का पूरा साथ मिला है। हर जगह बंद का असर नजर आ रहा है। कोई भी सड़कों पर कारोबार करता नजर नहीं आ रहा। लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि कचरा जलाना शुरू किया तो आंदोलन और भी भड़क जाएगा।

सीएम की अपील का नहीं दिखा असर

कल सीएम मोहन यादव ने विरोध कर रहे लोगों को संतुष्ट करने का प्रयास किया लेकिन उसका कोई असर नहीं दिखा। भोपाल से इंदौर आए 337 टन विषैले कचरे को लेकर जारी विरोध के बीच इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में एक बैठक आयोजित की गई। उन्होंने कहा कि हमें भी शहर की चिंता है। रातभर हमने सरकार को सोने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जहरीले कचरे से जनता भयग्रस्त न हो, शंका का समाधान जरूरी है। उन्होंने सभी से बात की लेकिन उनकी बात से भी आंदोलन पर खासा असर नहीं पड़ा। सुबह होते ही लाखों लोग सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए निकल गए।

आरएसएस की शाखा में आए थे आंबेडकर और गांधी', संघ का बड़ा दावा

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देश के संविधान के निर्माता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। पिछले दिनों शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में केन्द्रीय गृहमंत्री के दॉक्टर बीआर अंबेडकर पर दिए गए बयान के बाद पक्ष और विरक्ष में जमकर घमासान मचा। अंबेडकर को लेकर जारी सियासी विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने बड़ा दावा किया है। आरएसएस ने एक बयान जारी कर दावा किया है कि महात्मा गांधी और बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर संघ की शाखाओं में शामिल हो चुके हैं। संघ के मुताबिक, गांधी 1934 में संघ के एक शिविर में पहुंचे थे जबकि आंबेडकर ने 1940 में संघ की एक शाखा में भेंट दी थी। बता दें कि आरएसएस ने अपने दावे के समर्थन में पेपर की एक कटिंग भी दिखाई है।

देश के संविधान के निर्माता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने 85 साल पहले महाराष्ट्र में आरएसएस की एक शाखा का दौरा किया था। संघ की संचार शाखा विश्व संवाद केंद्र (वीएसके) ने बृहस्पतिवार को इसका खुलासा करते हुए दावा किया कि इस दौरान आंबेडकर ने स्वयंसेवकों से संबोधित करते हुए कहा था कि कुछ मुद्दों पर मतभेदों के बावजूद वह आरएसएस को आत्मीयता की भावना से देखते हैं।

विश्व संवाद केंद्र के विदर्भ प्रांत ने एक बयान में कहा, डॉ. आंबेडकर ने 2 जनवरी, 1940 को सतारा जिले के कराड में आरएसएस की शाखा का दौरा किया था। यहां उन्होंने स्वयंसेवकों को संबोधित भी किया था। वीएसके ने संबंधित समाचार की एक क्लिपिंग के साथ कहा कि 9 जनवरी, 1940 को पुणे के मराठी दैनिक केसरी में डॉ. आंबेडकर के आरएसएस शाखा में आने के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी।

“आंबेडकर और आरएसएस के बारे में गलत सूचना फैलाई गई”

बयान के मुताबिक, आरएसएस ने अपनी अब तक की यात्रा में कई चुनौतियों का सामना किया है और संगठन पर कई आरोप लगाए गए हैं, लेकिन उसने इन सभी आरोपों को गलत साबित किया है तथा एक सामाजिक संगठन के रूप में अपनी पहचान को फिर से पुष्ट किया है। इसमें कहा गया है कि आरएसएस पर विभिन्न कारणों से तीन बार प्रतिबंध लगाया गया, लेकिन हर बार यह बेदाग निकला। बयान के अनुसार, आरएसएस पर दलित विरोधी होने के आरोप लगे और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर तथा आरएसएस के बारे में गलत सूचना फैलाई गई। लेकिन अब डॉ. आंबेडकर और आरएसएस के बारे में एक नया दस्तावेज सामने आया है, जो दोनों के बीच संबंधों को उजागर करता है।

“स्वयंसेवक नियमित रूप से आंबेडकर के संपर्क में थे”

वीएसके ने अपने बयान में कहा कि नौ जनवरी, 1940 को पुणे के मराठी दैनिक ‘केसरी’ में डॉ. आंबेडकर के आरएसएस शाखा का दौरा करने के बारे में एक खबर प्रकाशित हुई थी। बयान में उस समाचार की एक प्रति भी संलग्न की गई है। खबर में आरएसएस विचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी की लिखी किताब ‘डॉ. आंबेडकर और सामाजिक क्रांति की यात्रा’ का संदर्भ दिया गया है, जिसमें आरएसएस और डॉ. आंबेडकर के बीच संबंधों के बारे में बताया गया है। खबर के अनुसार, किताब के आठवें अध्याय की शुरुआत में ठेंगड़ी कहते हैं कि डॉ. आंबेडकर को आरएसएस के बारे में पूरी जानकारी थी। अध्याय के मुताबिक, संघ के स्वयंसेवक नियमित रूप से आंबेडकर के संपर्क में रहते थे और उनसे चर्चा करते थे।

वीएसके ने किताब के हवाले से कहा, डॉ. आंबेडकर यह भी जानते थे कि आरएसएस हिंदुओं को एकजुट करने वाला एक अखिल भारतीय संगठन है। वह इस बात से भी वाकिफ थे कि हिंदुत्व के प्रति वफादार संगठनों, हिंदुओं को एकजुट करने वाले संगठनों और आरएसएस के बीच अंतर है। आरएसएस के विकास की गति को लेकर उनके मन में संदेह था। इस दृष्टि से डॉ. आंबेडकर और आरएसएस के बीच संबंधों का विश्लेषण करने की आवश्यकता है।

दिल्ली चुनाव में पीएम मोदी की एंट्री! जाने जहां रैली करेंगे वहां की सीट का सियासी समीकरण

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दिल्ली में फरवरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को दिल्ली में चुनावी शंखनाद करेंगे। पीएम मोदी इस दौरान राष्ट्रीय राजधानी को कई विकास योजनाओं की सौगात देंगे। पीएम मोदी झुग्गीवासियों के लिए विशेष तोहफा लेकर आएंगे। वे उन्हें फ्लैट की चाबियां सौंपेंगे, जिससे झुग्गी में रहने वाले लोगों को बेहतर और सुरक्षित आवास मिल सकेगा। ये कदम दिल्ली में प्रधानमंत्री के आवासीय योजनाओं के तहत किया जा रहा है और इससे लाखों गरीब परिवारों को राहत मिल सकती है।

पीएम दोपहर करीब 12 बजकर 10 मिनट पर दिल्ली के अशोक विहार स्थित स्वाभिमान अपार्टमेंट में इन-सीटू स्लम पुनर्वास परियोजना के अंतर्गत झुग्गियों के निवासियों के लिए नवनिर्मित फ्लैटों का दौरा करेंगे। इसके बाद करीब 12 बजकर 45 मिनट पर प्रधानमंत्री दिल्ली में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। पीएम मोदी दिल्ली के अशोक विहार में झुग्गी बस्तियों के निवासियों के लिए 1,675 नवनिर्मित फ्लैटों का उद्घाटन करेंगे और पात्र लाभार्थियों को स्वाभिमान अपार्टमेंट की चाबियां भी सौंपेंगे।

नजफगढ़ के रोशनपुरा में आज पीएम मोदी वीर सावरकर कॉलेज की आधारशिला रखेंगे। इस कॉलेज का नाम वीर सावरकर के सम्मान में रखा गया है जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और भारतीय इतिहास के महान नेताओं में से एक थे। पीएम मोदी द्वारका में सीबीएसई के एकीकृत कार्यालय परिसर का भी उद्घाटन करेंगे, जिस पर करीब 300 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इसमें कार्यालय, ऑडिटोरियम, उन्नत डाटा सेंटर और व्यापक जल प्रबंधन प्रणाली के अलावा अन्य सुविधाएं शामिल हैं। पर्यावरण के अनुकूल इस इमारत का निर्माण उच्च पर्यावरणीय मानकों के अनुसार किया गया है और इसे भारतीय हरित भवन परिषद के प्लेटिनम रेटिंग मानकों के अनुसार डिजाइन किया गया है।

पीएम का आज का दौरा दिल्ली में आगामी चुनावों के ध्यान में रखते हुए अहम माना जा रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी की रैली शुक्रवार को अशोक विहार में होगी। वहां जाने के लिए प्रधानमंत्री का काफिला 30 फुट की रोड से गुजरेगा। इस रोड पर दोनों तरफ आवासीय कॉलोनी हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री के लिए लगने वाला रूट दिल्ली पुलिस के एक बड़ी चुनौती है। दिल्ली पुलिस ने रैली के दौरान लोगों को घरों की छतों पर आने और खिड़की खोलने पर रोक लगा दी है। दिल्ली पुलिस मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले मेट्रो से जाएंगे। इसके बाद वह मॉडल डाउन से सड़क मार्ग से जाएंगे। इस दौरान पीएम का काफिला एक गांव से गुजरेगा। इस गांव में करीब 3 से 4 किलोमीटर का संकरा रोड है। ये घनी आबादी वाला जगह है। पीएम के रूट को देखते हुए पुलिस ने यहां रहने वाले दो से ढाई हजार परिवारों का पुलिस वेरीफिकेशन किया है। सभी का पता किया है कि कहां के रहने वाले हैं और कब से रह रहे हैं।

पीएम मोदी की रैली के क्या हैं मायने?

पीएम मोदी की अपनी पहली रैली के जरिए दिल्ली में बीजेपी की जीत की मजबूत आधारशिला रखने की स्ट्रेटैजी है। झुग्गी के बदले मकान देने के प्रोजेक्ट का शुभारंभ कर के सीधे पीएम मोदी की दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मजबूत बन चुके झुग्गी वोट बैंक को साधने की रणनीति है। केंद्र सरकार ने इससे पहले एमसीडी चुनाव के दौरान राजेंद्र नगर के कठपुतली कॉलोनी और कालकाजी के गोविंदपुरी में भी ‘जहां झुग्गी वहीं मकान’ योजना के तहत झुग्गी वालों को मकान उपलब्ध किए थे।

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर बीजेपी की झुग्गी में रह रहे लोगों के विश्वास को जीतने की रणनीति है। उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली में अशोक विहार के आसपास में कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर झुग्गियों में रहने वालों की आबादी काफी ज्यादा है। अशोक विहार का इलाका वजीरपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत और चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र में आता है। चांदनी चौक बीजेपी का गढ़ रहा है, लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने इस लोकसभा में बीजेपी को धूल चटाई है। ऐसे में बीजेपी ने पीएम मोदी की पहली रैली इसी इलाके में रखी है, ताकि आम आदमी पार्टी को इस बार चुनौती दी जा सके।

जहां पीएम मोदी की रैली, वहां के समीकरण

पीएम मोदी की पहली रैली अशोक विहार में रखी गई है, जो वजीरपुर विधानसभा सीट के तहत आता है। दिल्ली का यह इलाका आजादी के बाद बसा है। वजीरपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत अशोक विहार, भारत नगर, केशवपुरम गांव आदि आते हैं। वजीरपुर विधानसभा सीट पर पहली बार 1993 में चुनाव हुए थे तब यहां कांग्रेस के दीपचंद बंधु विधायक चुने गए थे। इसके बाद से वजीरपुर सीट पर सात बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और अब आठवीं बार होने जा रहा है। इस सीट पर अभी तक का ट्रैक देखें तो 1993 और 1998 में कांग्रेस जीती थी। इसके बाद 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के मांगेराम गर्ग विधायक चुने गए थे। इसके बाद 2008 में कांग्रेस के हरी शंकर गुप्ता विधायक बने, लेकिन पांच साल बाद फिर यह सीट कांग्रेस के हाथों से निकल गई और बीजेपी ने अपना कब्जा जमाया।

2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के महेंद्र नागपाल विधायक बने, लेकिन 2015 में आम आदमी पार्टी अपना कब्जा जमाने में कामयाब रही। इसके बाद 2020 में आम आदमी पार्टी के राजेश गुप्ता जीतकर दिल्ली की विधानसभा पहुंचे। वजीरपुर विधानसभा सीट पर अभी तक सबसे ज्यादा कब्जा कांग्रेस का रहा है। कांग्रेस यह सीट तीन बार जीतने में कामयाब रही है तो बीजेपी और आम आदमी पार्टी दो-दो बार ही जीत सकी हैं।

इनके बीच होगा मुकाबला

वजीरपुर विधानसभा सीट के लिए इस बार मुकाबला काफी रोचक होने जा रहा है। कांग्रेस ने अपनी तेज तर्रार प्रवक्ता रागिनी नायक को वजीरपुर सीट से प्रत्याशी बनाया है तो आम आदमी पार्टी ने अपने दो बार के विधायक राजेश गुप्ता पर ही भरोसा जताया है। बीजेपी ने अभी तक वजीरपुर विधानसभा सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, लेकिन जिस तरह से पीएम मोदी ने अपनी पहली रैली के लिए वजीरपुर के अशोक विहार को चुना है, उसके सियासी मायने को समझा जा सकता है। वजीरपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी हर हाल में कमल खिलाने की कवायद करेगी।

कड़ाके की ठंड और घने कोहरे की चपेट में उत्तर भारत, विजिबिलिटी हुई जीरो, विमान और ट्रेनें प्रभावित

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देशभर में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। देश की राजदानी दिल्ली और एनसीआर समेत पूरा उत्तर भारत कोहरे की चपटे में है। उत्तर भारत के कई हिस्सों में घना कोहरा छाया रहा। इससे दृश्यता और तापमान में गिरावट आई। इस वजह से ट्रेन और विमान परिचालन प्रभावित हुआ। आईएमडी के पिछले 24 घंटों के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में अधिकतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से तीन डिग्री कम रहा। ऐसे ही न्यूनतम तापमान 7.6 डिग्री सेल्सियस रहा।

इस बीच मौसम विभाग ने बताया कि दिल्ली में 8 जनवरी तक कोहरा छाया रहने की संभावना है, जबकि 6 जनवरी को हल्की बारिश भी हो सकती है। राजधानी में पहाड़ों से आ रही बर्फीली हवाओं ने कंपकंपी बढ़ा दी है और शीतलहर का दौर जारी है। ऐसे में अधिकतम तापमान के साथ न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई। कई इलाकों में पारा छह डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। इससे लोगों को ठिठुरन महसूस हुई।

दिल्ली में घने कोहरे की स्थिति के बीच दिल्ली हवाई अड्डे के अधिकारियों की तरफ से एक एडवाइजरी जारी की गई। घने कोहरे के कारण दिल्ली एयरपोर्ट पर विजिबिलिटी जीरो है। इसी वजह से पायलटो को दिल्ली एयरपोर्ट के रनवे पर टेक ऑफ और लैंडिंग में मुश्किल आ रही है। कुछ फ्लाइट्स को दिल्ली एयरपोर्ट पर कैंसिल कर दिया गया है। घने कोहरे के कारण दिल्ली एयरपोर्ट पर डोमेस्टिक और इंटरनेशनल फ्लाइट दोनों ही प्रभावित हैं।

फ्लाइटरडार24 के मुताबिक, स्पाइसजेट, इंडिगो और एयर इंडिया सहित कई एयरलाइंस की उड़ानें प्रभावित हुईं। दिल्ली हवाई अड्डे पर आगमन उड़ानों के लिए औसतन पांच मिनट और प्रस्थान उड़ानों के लिए 11 मिनट की देरी रिकॉर्ड की गई। इस बीच स्पाइसजेट ने कहा कि खराब मौसम के कारण अमृतसर और गुवाहाटी आने और जाने वाली सभी उड़ानें प्रभावित हैं। इंडिगो ने दिल्ली, अमृतसर, लखनऊ, बंगलूरू और गुवाहाटी के मार्गों पर विशेष ध्यान देते हुए एक यात्रा सलाह जारी की। एयरलाइंस ने यात्रियों से अपनी यात्रा की योजना बनाते समय ताजा अपडेट लेने का कहा। यह चेतावनी भी दी गई कि यदि दृश्यता खराब रही तो उड़ानें रद्द हो सकती हैं।

इस बीच दिल्ली से रवाना होने वाली और दिल्ली आने वाली ट्रेनें भी देरी से चल रही हैं, जबकि कुछ मार्गों पर समय में बदलाव किया जा रहा है। आज घने कोहरे के कारण सड़कों पर गाड़ियों की स्पीड भी धीमी दिखाई दी। मौसम विभाग की तरफ से कोहरे को लेकर ऑरेंज अलर्ट भी जारी किया गया था।

पीएम मोदी ने अजमेर शरीफ दरगाह पर भेजी चादर, हाजी सलमान चिश्ती ने किया स्वागत

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अजमेर की गरीब नवाज हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में 813वां उर्स शुरू हो गया है। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर साल की तरह इस साल भी अजमेर शरीफ स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चादर भेजी है।4 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी की चादर अजमेर शरीफ दरगाह में मजार पर चढ़ाई जाएगी। बता दें कि पीएम मोदी ने 11वीं बार अजमेर शरीफ की दरगाह पर चादर भेजी है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री तथा संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू 4 जनवरी को अजमेर आएंगे जहां वे ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स के मौके पर पीएम मोदी की चादर पेश करेंगे।

पीएम मोदी ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को चादर सौंप दी है। अब अल्पसंख्यक मंत्री पहले (3 जनवरी) निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर जाएंगे। भेंट की गई चादर को निजामुद्दीन औलिया में ले जाने के बाद अजमेर शरीफ दरगाह पर ले जाया जाएगा।

'देश की सभ्यता निभा रहे पीएम मोदी'- नसरुद्दीन चिश्ती

इसको लेकर अजमेर दरगाह प्रमुख नसरुद्दीन चिश्ती की भी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री की चादर का हम खैर-मकदम करते हैं। ये देश की परंपरा रही है कि साल 1947 के बाद से जो भी पीएम हुए हैं, उन्होंने ख्वाजा गरीब नवाज के दरबार में अकीदत के तौर पर चादरें भेजी हैं। साल 2014 से पीएम मोदी भी इस परंपरा को निभा रहे हैं। इसी के साथ नरेंद्र मोदी हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता को भी निभा रहे हैं। नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा, हमारी सभ्यता यह कहती है कि हर मजहब, धर्म और संप्रदाय और हर मजहब के संतों का सम्मान होना चाहिए। इस परंपरा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निभा रहे हैं और बहुत ही अदब के साथ वह इस दरबार में 10 साल से चादर भेज रहे हैं।

आप ने कसा तंज

वहीं, पीएम मोदी की तरफ चादर चढ़ाए जाने पर तमाम विपक्षी दल तंज कसते नजर आ रहे हैं।दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पीएम मोदी की तरफ से चढ़ाई जाने वाली चादर चढ़ाने पर तंज कसा है, उन्होंने कहा कि अब बीजेपी बदल रही है क्या? पहले दिल्ली में इमामों की तनख्वाह की मांग कर रहे थे , अब दरगाह में चादर चढ़ा रहे हैं।

अजमेर की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा

बता दें कि पीएम मोदी की दी गई चादर को अजमेर शरीफ दरगाह की मजार पर ऐसे समय में चढ़ाई जाएगी, जब पिछले दिनों हिंदू राष्ट्र सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका पर अगली सुनवाई 24 जनवरी को होगी।