बेंगलुरु में इंजीनियर ने की खुदकुशी, छोड़ गया 90 मिनट का वीडियो और 24 पन्नों का नोट, न्यायिक व्यवस्था पर उठाया सवाल
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बेंगलुरु में एक एआई इंजीनियर ने आत्महत्या कर ली। पत्नी व उसके परिवार की प्रताड़ना और दो वर्ष में कोर्ट की 120 तारीखें इसके बावजूद न्याय न मिलने के कारण 34 वर्षीय आईटी पेशेवर अतुल सुभाष ने मौत को चुना। आत्महत्या को अंतिम विकल्प मानते हुए अतुल ने दुनिया से जाने से पहले करीब डेढ़ घंटे का वीडियो व 24 पन्ने का सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें शादीशुदा जिंदगी के सामाजिक तानेबाने की खामियां, साथी के लालच और षड्यंत्र की दास्तां, कानूनी महकमे में भ्रष्टाचार को उजागर किया।
उत्तर प्रदेश के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष मूल रूप से बिहार के रहने वाले थे। अतुल सुभाष का शव बेंगलुरु के मंजूनाथ लेआउट में उनके फ्लैट से बरामद हुआ। पड़ोसियों ने उनके घर का दरवाजा तोड़ा तो उनकी बॉडी फंदे पर लटकी मिली। कमरे में ‘जस्टिस इज ड्यू’ (न्याय बाकी है) लिखी एक तख्ती मिली। अतुल के परिवार की शिकायत पर पुलिस ने अतुल की पत्नी और पत्नी के परिवार पर आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया है।
खुदकुशी से पहले उन्होंने 24 पन्ने का एक सुसाइड नोट लिखा था। साथ ही एक वीडियो भी शेयर किया। जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ है। वीडियो के सामने आने के बाद से ही इस केस में कई सवाल उठ रहे हैं। आत्महत्या करने के समय अतुल ने जो टीर्शट पहनी हुई थी, उस पर लिखा था ‘जस्टिस इज ड्यू’...आत्महत्या करने से पहले अतुल ने डेढ घंटे के वीडियो और 24 पन्नों की चिट्ठी में पत्नी, ससुरालवालों और न्यायिक व्यवस्था को जिम्मेदार कहा है। वीडियो में उन्होंने अपनी आपबीती बताई। अतुल ने ये भी मांग की थी कि अगर उन्हें प्रताड़ित करने वाले बरी हो जाएं तो अस्थियां कोर्ट के बाहर गटर में बहा दी जाएं।
पत्नी समेत पांच लोगों को बताया अपनी मौत का जिम्मेदार
अतुल ने कहा- मेरी मौत के जिम्मेदार पांच लोग हैं। जौनपुर प्रिंसिपल फैमिली कोर्ट जज रीता कौशिक, पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, मेरा साला अनुराग सिंघिया उर्फ पीयूष सिंघानिया, चाचा ससुर सुशील सिंघानिया। आज मैं बताऊंगा कि मेरे बूढ़े-माता पिता और मेरे भाई पर कितने केस डाले गए हैं। हमें कैसे प्रताड़ित किया गया है। हमसे कितने पैसे ऐंठे गए हैं और कैसे मुझे सुसाइड के लिए मजबूर करने की इनडायरेक्ट कोशिश की गई है। ऐसे हालात बना दिए गए हैं कि मेरे पास सुसाइड के अलावा कोई ऑप्शन नहीं है।
2 साल में 120 बार पेशी के लिए बेंगलुरु से जौनपुर आए
अतुल ने बताया कि 2 साल में उन्हें 120 बार पेशी पर जाना पड़ा था। 40 बार मैं कोर्ट डेट्स को अटेंड करने के लिए मैं बेंगलुरु से जौनपुर जा चुका हूं। इसके अलावा मेरे माता-पिता और भाई को भी कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं। एक कोर्ट डेट अटेंड करने के लिए मुझे दो दिन का समय लगता है। मुझे साल में सिर्फ 23 छुट्टियां मिलती हैं। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मेरे लिए कितना मुश्किल होता होगा। ज्यादातर डेट्स पर कुछ नहीं होता है, या तो जज छुट्टी पर होते हैं, या वकीलों की हड़ताल होती है या फिर दूसरा वकील अगली डेट की डिमांड कर सकता है। यानि आप बस अपना समय बर्बाद करते हो कोर्ट जाकर।
जौनपुर की एक जज पर भी गंभीर आरोप
अतुल ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर की एक जज पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अपने लेटर में लिखा है कि जज ने मामले को रफा-दफा करने के नाम पर 5 लाख रुपए मांगे थे। अतुल ने यह भी लिखा कि उनकी पत्नी और सास ने उन्हें सुसाइड करने को कहा था और इस पर उक्त जज हंस पड़ी थी।
अतुल ने अपने लेटर में राष्ट्रपति के नाम भी नोट लिखा
अतुल सुभाष ने 24 पेज के लेटर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम भी एक लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की खामियों के बारे में लिखा और पुरुषों के खिलाफ झूठे केस दर्ज कराने के ट्रेंड के बारे में बताया। एक अन्य नोट में उन्होंने लिखा कि वे अपनी पत्नी की तरफ से दायर कराए गए सभी मामलों के लिए खुद को निर्दोष बता रहे हैं। इनमें दहेज प्रतिरोध कानून और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार का केस शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मैं कोर्ट से रिक्वेस्ट करता हूं कि इन झूठे केसों में मेरे माता-पिता और भाई को परेशान करना बंद करें।
अतुल की आखिरी इच्छा- मुझे न्याय न मिले तो अस्थियां गटर में बहा दें
अतुल ने अपनी आखिरी इच्छा में लिखा- मेरे केस की सुनवाई का लाइव टेलीकास्ट हो। पत्नी मेरा शव न छू सके। जब तक प्रताड़ित करने वालों को सजा न हो, मेरी अस्थियां विसर्जित न हों। यदि भ्रष्ट जज, मेरी पत्नी और उसके परिजन को कोर्ट बरी कर दे तो मेरी अस्थियां उसी अदालत के बाहर किसी गटर में बहा दी जाएं। मेरे बेटे की कस्टडी मेरे माता-पिता को दी जाए।
Dec 11 2024, 15:21