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यूपी बोर्ड की परीक्षाएं 24 फरवरी से 12 मार्च तक
लखनऊ/प्रयागराज। उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद् ने सोमवार को यूपी बोर्ड परीक्षा 2025 का कार्यक्रम घोषित कर दिया है। हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट की परीक्षाएं एक साथ 24 फरवरी से प्रारम्भ होकर 12 मार्च का समाप्त होगी। यह जानकारी सोमवार को यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने देते हुए बताया कि उक्त परीक्षाएं दो पालियों में होगी। प्रथम पाली में प्रातः 8.30 से 11.45 बजे तक तथा द्वितीय पाली सायं 2 से 5.15 बजे तक होगी।

24 फरवरी को पहली पाली में हाई स्कूल के हिंदी और इंटरमीडिएट के सैन्य विज्ञान की परीक्षा होगी। दूसरी पाली में हाईस्कूल के हेल्थ केयर और इंटरमीडिएट हिंदी की परीक्षा होगी। 28 फरवरी को हाईस्कूल के अरबी, फारसी, पाली और संगीत गायन की और इंटरमीडिएट के गृह विज्ञान विषय की परीक्षा होगी। इसके बाद एक मार्च को हाईस्कूल गणित, ऑटोमोबाइल और वाणिज्य की परीक्षा होगी। जबकि इंटरमीडिएट में फल एवं खाद्य संरक्षण समेत कई व्यावसायिक विषयों की परीक्षाएं होंगी। तीन मार्च से छह दिन लगातार यानी आठ मार्च तक परीक्षा होगी। इस दौरान हाईस्कूल के संस्कृत, विज्ञान व कृषि, मानव विज्ञान व एनसीसी, खुदरा व्यापार व मोबाइल रिपेयरिंग, अंग्रेजी व सुरक्षा और गृह विज्ञान विषय की परीक्षा होगी।

नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए किए गए हैं पुख्ता प्रबंध

वहीं, इंटरमीडिएट के जीव विज्ञान, गणित व चित्रकला, पाली, अरबी, फारसी, लेखाशास्त्र व अर्थशास्त्र, उर्दू, गुजराती, पंजाबी व इतिहास, संगीत गायन, वादन, नृत्य कला व भौतिक विज्ञान, कंप्यूटर व मानव विज्ञान और रसायन विज्ञान की परीक्षा होगी। 10, 11 और 12 मार्च को हाईस्कूल के क्रमशः चित्रकला, सामाजिक विज्ञान और क्षेत्रीय भाषाओं की परीक्षा होगी। इस दौरान इंटरमीडिएट के भूगोल, संस्कृत और आखिरी दिन अंग्रेजी की परीक्षा होगी। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए पुख्ता प्रबंध किए गए हैं।

पिछले वर्ष जैसा फिर रिकॉर्ड बनाने की तैयारी

पिछले वर्ष भी बोर्ड की परीक्षा 12 दिन में पूरी कर ली गई थी। यूपी बोर्ड की परीक्षा 22 फरवरी से 9 मार्च तक हुई थी उसके बाद 16 मार्च से मूल्यांकन का काम शुरू होकर 30 मार्च तक पूरा हो गया था। 20 अप्रैल को परिणाम जारी कर दिया गया था। इस बार परीक्षाएं 12 मार्च को खत्म हो जाएगी। उसके बाद मूल्यांकन और अन्य प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। अन्य बोर्ड के सापेक्ष सबसे पहले परीक्षा पूरी करने का प्रयास किया गया है।

कुंभ के बाद कराने का भेजा गया था प्रस्ताव

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं इस बार महाकुंभ की वजह से महाशिवरात्रि के आखिरी स्नान पर्व के बाद कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था।यूपी बोर्ड प्रशासन के एक बड़े अफसर ने नाम न छापने के आग्रह पर इसकी पुष्टि थी।बोर्ड का मानना है कि विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक समागम के रूप में होने वाले महाकुंभ में इस बार देश ही नहीं, दुनिया के कोने-कोने से श्रद्धालुओं की भीड़ संगम नगरी में उमड़ेगी। ऐसे में बोर्ड की परीक्षाएं आखिरी स्नान पर्व के बाद ही कराना उचित होगा। वर्ष 2024 में परीक्षाएं 22 फरवरी से शुरू हो गई थीं। पिछले पांच साल के दौरान सिर्फ वर्ष 2022 में बोर्ड परीक्षा मार्च में कराई गई थी।
विस उपचुनाव : प्रचार खत्म, अंतिम दिन बसपा को छोड़ सभी दलों ने झोंकी ताकत, आज पोलिंग पार्टियां होगी रवाना
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए प्रचार का प्रचार थम गया। सोमवार को अंतिम दिन जहां भाजपा व सपा ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी। वहीं असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपने उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया। नौ सीटों पर 90 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला मतदाता 20 नवम्बर को करेंगे। मंगलवार को पोलिंग पार्टियां रवाना होंगी।

उत्तर प्रदेश में उपचुनाव जीतने के लिए सपा और भाजपा दोनों पार्टियों ने ताकत लगायी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की सभी नौ विधानसभा सीटों पर भाजपा गठबंधन के प्रत्याशियों के पक्ष में जनसभाएं की हैं। वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा उपचुनाव में प्रचार करने निकले हैं। उपचुनाव में सपा व भाजपा के बीच सीधी लड़ाई देखी जा रही है। वहीं छोटे दल बड़े दलों का खेल बिगाड़ने और बनाने में लगे हुए हैं।

जिन सीटों पर चुनाव हो रहा है, उनमें पिछले चुनाव में कुंदरकी,करहल,कटेहरी और सीसामऊ सीट सपा के पास रही है। वहीं गाजियाबाद,खैर व फूलपुर की सीट भाजपा के पास रही है। वहीं रालोद की सीट मीरापुर व मंझवा निषाद पार्टी की सीट रही है। सीसामऊ को छोड़कर सभी सीटों के निर्वाचित विधायक सासंद बन जाने के कारण विधानसभा से इस्तिफा दिये हैं, जिसके कारण वहां उपचुनाव हो रहे हैं। कानपुर की सीसामऊ सीट से सपा के विधायक रहे इरफान सोलंकी को गैंगस्टर मामले में सजा हो गई है। इसके चलते उनकी विधायकी चली गई और ये सीट खाली हो गई।

बसपा प्रमुख मायावती पूरे चुनाव के दौरान सिर्फ एक बार प्रेसवार्ता कर बसपा के साथ चलेंगे तो विकास करेंगे, का नारा दिया। इसके बाद विधानसभाओं में बसपा के प्रमुख नेता जाने से बचते दिखे। पूरा प्रचार का जिम्मा सेक्टर प्रमुख के जिम्मे रहा। वहीं भाजपा और सपा के दिग्गज नेताओं ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया।

भाजपा को हिन्दुत्व के साथ—साथ विकासपरक योजनाओं पर भरोसा है। वहीं सपा पीडीए की बदौलत उपचुनाव में जीत की आस लगाये है। भाजपा ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संगठन के बड़े नेताओं को मैदान में उतारा। सीएम योगी ने सभी सीटों पर जनसभाएं कीं और "विकास, गरीब कल्याण योजनाओं और एकता" का संदेश दिया। उन्होंने अपने मशहूर नारे "बंटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे" से मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की।

वहीं सपा ने इस बार उपचुनाव को लेकर विशेष रणनीति बनाई। अखिलेश यादव ने खुद सभी 9 सीटों पर प्रचार किया, जो उनके पहले के रुख से अलग है। मीरापुर में आज रोड शो करते हुए अखिलेश ने भाजपा पर निशाना साधा और पीडीए फार्मूले को फिर से दोहराया।

मतदान की तैयारी और सुरक्षा व्यवस्था: चुनाव आयोग ने शांतिपूर्ण मतदान के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। सभी मतदान केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे और सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। अब नजरें 20 नवंबर की वोटिंग पर हैं, जो सत्ता और विपक्ष के बीच नई राजनीति की जमीन तैयार करेगी।

उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए कुल 149 नामांकन हुए थे, जिनकी जांच के बाद 95 उम्मीदवार योग्य पाए गए थे। 30 अक्टूबर, नाम वापसी की अंतिम तारीख थी, जिसमें पांच प्रत्याशियों ने अपना नाम वापस ले लिया था। अब इन सीटों पर 90 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा।


प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को जब मतदान हो रहा होगा तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या में मौजूद रहेंगे। वे यहां विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगे। जिला प्रशासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मुख्यमंत्री के आगमन की तैयारियों में जुट गए हैं। हालांकि मुख्यमंत्री के आगमन का अभी आधिकारिक कार्यक्रम नहीं आया है। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक सीएम योगी रामजन्मभूमि में रामलला के दर्शन करने के साथ हनुमानगढ़ी में हनुमंत लला के दरबार में भी माथा टेकेंगे। सीएम अयोध्या के विकास कार्यों और कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक भी करेंगे।
पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति ने भूमि स्वामी को बंधक बनाकर पीटा


लखनऊ । समाजवादी पार्टी सरकार में खनन मंत्री रहने के दौरान गायत्री प्रजापति ने पार्टी के एक बड़े नेता के इशारे पर बेशकीमती भूमि को हथियाने के लिए भूमि स्वामी धनप्रकाश बुद्धराजा को बंधक बनाकर पीटा था। बाद में उन्हें फॉच्यूनर गाड़ी में बैठाकर सपा नेता के आवास पर पेश किया गया। इस दौरान एमआई बिल्डर्स का मालिक मोहम्मद कादिर अली भी मौजूद था। गायत्री और सपा नेता के बीच कुछ कानाफूसी हुई। इसके बाद धनप्रकाश को चुपचाप जमीन देने की धमकी देकर जाने दिया गया। यह सनसनीखेज खुलासा एमआई बिल्डर्स के खिलाफ धनप्रकाश की शिकायत पर शुरू हुई ईडी की जांच में हुआ है।

धनप्रकाश ने ईडी के समक्ष दर्ज कराए बयान में घटनाक्रम बताया है। उन्होंने इस संबंध में अदालत में याचिका भी दायर की है, जिसमें गायत्री प्रजापति द्वारा उसे तीन बार बंधक बनाकर मंत्री आवास पर बुलाने का भी जिक्र है। मंत्री आवास आने पर उससे कहा गया कि तुम्हारी जमीन बड़े नेता को पसंद आ गई है। इसका सौदा एमआई बिल्डर्स के कादिर अली और लवी अग्रवाल उर्फ लवी कबीर के नाम पर कर देना। दो बार धनप्रकाश के टालने पर तीसरी बार उसे बंधक बनाकर पीटा गया और सपा नेता के सामने पेश किया गया।

अब ईडी के अधिकारी बुद्धराजा के दावों की सत्यता का पता लगा रहे हैं।जब धनप्रकाश से एफआईआर के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि उस वक्त सपा की सरकार थी। शिकायत करने पर जान से हाथ धोना पड़ सकता था। इसकी वजह से एफआईआर नहीं करा सका। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद जब उन्होंने एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की तो जिस भी पुलिस अधिकारी से मिले, उसने राजनेताओं का नाम हटाने को कहा। मजबूरी में उन्हें नाम हटाना पड़ा, जिसके बाद मुकदमा दर्ज हो सका। हालांकि अदालत में दायर याचिका में उन्होंने गायत्री और सपा के एक बड़े नेता का भी नाम दिया है।
गुंडई करे वाले आरोपियों को पुलिस ने ऐसा सिखाया सबक कि माफी मांगते पहुंच हवालात, वीडियो वायरल

लखनऊ। यूपी के बरेली के डीडीपुरम के रेस्टोरेंट में तोड़फोड़ और मालिक को पीटने के चार आरोपी सोमवार को जेल भेज दिए गए। हवालात से माफी मांगते निकल रहे आरोपियों का वीडियो भी वायरल हो रहा है। सपा पार्षद को थाने में बैठाने के बाद दबाव बना तो ये कार्रवाई हो सकी। हालांकि, पार्षद का भाई नाबालिग निकला तो उसे जेल नहीं भेजा गया।

रविवार रात डीडीपुरम स्थित क्षितिज सक्सेना के रेस्टोरेंट में खाने के 200 रुपये के लेनदेन को लेकर कहासुनी हुई थी। थोड़ी देर में सपा पार्षद का छोटा भाई 25 हथियारबंद लोगों को साथ लेकर वहां आया। आरोपियों ने रेस्टोरेंट में तोड़फोड़ की। क्षितिज व उनके कर्मचारियों को बाहर निकालकर पीटा। इस घटना का वीडियो वायरल हो गया। सपा पार्षद के भाई व 25 अज्ञात लोगों पर रिपोर्ट हुई है। प्रेमनगर पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी के लिए रातभर दबिश दी, पर सभी फरार हो गए।

पुलिस ने जमकर ली खबर, लंगड़ाते हुए निकले

सोमवार को सीओ प्रथम पंकज श्रीवास्तव ने गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमों को दौड़ाया। साथ ही, आरोपी के भाई सपा पार्षद को बुला लिया। पार्षद को पुलिस ने थाने में बैठा लिया। इसके कुछ ही घंटों बाद पार्षद का भाई व चार अन्य आरोपी थाने पहुंच गए। जब आरोपी पकड़ लिए गए तो उनकी पुलिस ने जमकर खबर ली। चारों आरोपी जब शाम को कोर्ट भेजने के लिए हवालात से निकाले गए तो वह लंगड़ाते हुए हाथ जोड़कर चल रहे थे। अब गुंडागर्दी नहीं करने की बात कहते हुए वे माफी भी मांग रहे थे। पार्षद का भाई नाबालिग निकला। बाकी चारों का चालान किया गया।

हुक्का पीता है आरोपी, गाड़ियों पर करता है स्टंट

प्रेमनगर थाना क्षेत्र में ही पिछले दिनों पुलिस पर हमला किया गया था। तब भी पुलिस ने इसी अंदाज में उनकी खबर ली थी। उनमें से कुछ के सिर पर उस्तरा भी फेरा गया था। माफी मांगते हुए उन आरोपियों का वीडियो भी काफी वायरल हुआ था। घटना का मुख्य आरोपी भले ही नाबालिग है, लेकिन भाई के दम पर वह राजनीतिक रसूख दिखाता घूमता है। सोशल मीडिया पर वह काफी सक्रिय है। हुक्का बार में धुआं उड़ाते हुए, दोस्तों के साथ बाइक व कार पर स्टंट करते हुए उसके वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं।रेस्टोरेंट में तोड़फोड़ के आरोपी का भाई सपा पार्षद भी माहौल भड़काने में पीछे नहीं रहता है।

बीते दिनों नरसिंहानंद के बयान पर इसी पार्षद ने सपा मुखिया अखिलेश यादव से अपना दर्द साझा करने के लिए लखनऊ कूच की बात कही थी। तब पुलिस ने पार्षद को घर में ही नजरबंद किया था। तब उसके इसी भाई ने पुलिस की कार्रवाई का वीडियो बनाकर वायरल किया और माहौल गर्म करने की कोशिश की थी। इस वीडियो में उसने पार्षद भाई को बड़े नेता के तौर पर दर्शाने की कोशिश की।प्रभारी एसएसपी मानुष पारीक ने बताया कि रेस्टोरेंट में तोड़फोड़ और संचालक से मारपीट के मामले में पांच आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। पार्षद के नाबालिग भाई के खिलाफ अलग से कार्रवाई की जा रही है। बाकी चारों को जेल भेजा गया है। वीडियो से चेहरे पहचानकर बाकी आरोपी भी गिरफ्तार किए जाएंगे।
विस उपचुनाव : सपा का सिरदर्द बने एआईएमआईएम और आसपा, सभी दल अपने-अपने तरीके से कर रहे जोर आजमाईश
लखनऊ। उप्र विधानसभा के उपचुनाव में सभी दल अपने-अपने तरीके से जोर-आजमाईश कर रहे हैं। भाजपा, सपा और बसपा के अलावा छोटे दलों की भी सक्रियता बढ़ गयी है। वहीं कौशांबी जिले की चायल सीट से सपा की विधायक पूजा पाल फूलपुर सीट से भाजपा उम्मीदवार दीपक पटेल का प्रचार कर रही हैं। वहां कांग्रेस के बागी नेता ने पहले ही निर्दलीय के रूप में पर्चा दाखिल कर दिया है।

उपचुनाव में असदुद्दीन ओबैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं। चंद्रशेखर आजाद भी मुस्लिम और दलित वोट में सेंधमारी कर सपा का सिरदर्द बढ़ा रहे हैं। उधर ओबैसी की पश्चिम उप्र के मुस्लिम समाज में अच्छी पकड़ मानी जाती है। मुरादाबाद के कुंदरकी से 2022 में एआईएमआईएम से चुनाव लड़ने वाले मो. वारिस को 14,251 मत मिले थे। वहीं कांग्रेस के दरक्शा बेगम सिर्फ 1716 मत ही पायी थीं। इस बार भी मो. वारिस चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं सपा से हाजी रिजवान चुनाव मैदान में हैं, जबकि भाजपा से रामवीर सिंह ताल ठोक रहे हैं।

मैनपुर की करहल सीट से सपा ने तेज प्रताप यादव, भाजपा ने अनुजेश यादव, बसपा ने अविनाश कुमार शाक्य को टिकट दिया है। वहीं चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आसपा से विश्व प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जो सपा के लिए सिरदर्द साबित हो रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा के अनुजेश यादव तेज प्रताप के फूफा हैं। वहां मुख्य मुकाबला फूफा और भतीजे के बीच है।

गाजियाबाद में आसपा ने सत्यपाल चौधरी को टिकट दिया है, जबकि बसपा ने पीएन गर्ग को टिकट देकर भाजपा के लिए परेशानी खड़ी करने की कोशिश की है। अलीगढ़ की खैर सीट से भाजपा ने सुरेंद्र दिलेर, सपा ने डॉ. चारू कैन, बसपा ने डॉ. पहल सिंह और आसपा ने नितिन कुमार चौटेल को प्रत्याशी बनाया है। प्रयागराज की फूलपुर सीट से भाजपा ने दीपक पटेल, सपा ने मुस्तफा सिद्दीकी, बसपा ने जितेंद्र ठाकुर और आसपा ने शाहिद अख्तर खान को उम्मीदवार बनाया हैं। फूलपुर में कांग्रेस के बागी नेता के साथ ही सपा विधायक पूजा पाल ने भी सपा के लिए सिरदर्द बढ़ा दिया है। पूजा पाल भाजपा उम्मीदवार का प्रचार कर रही हैं।

मिर्जापुर की मंझवा सीट से भाजपा ने सुचिस्मिता मौर्या, सपा ने ज्योति बिंदु को उतारा है। बसपा ने वहां दीपू तिवारी को टिकट देकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। आसपा ने धीरज मौर्या को मैदान में उतारा है। बसपा जहां भाजपा का सिरदर्द बढ़ा रही है, वहीं धीरज मौर्या सपा के लिए सिरदर्द बन गये हैं।

कानपुर की सीसामऊ सीट से भाजपा ने सुरेश अवस्थी, सपा ने नसीम सोलंकी और बसपा ने वीरेंद्र शुक्ला को मैदान में उतारा है। इस सीट से आसपा ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। मीरापुर और कुंदरकी दो ऐसी सीटें हैं जहां पर असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी पार्टी एआईएमआईएम से कैंडिडेट्स उतारे हैं। मीरापुर से भाजपा की जगह आरएलडी के उम्मीदवार मिथलेश पाल, सपा से सुम्बुल राणा, बसपा से शाह नजर, आसपा से जाहिद हुसैन और एआईएमआईएम से अरशद राणा को मैदान में उतारा गया है।

कुंदरकी सीट से एआईएमआईएम से मोहम्मद वारिस, भाजपा से रामवीर सिंह ठाकुर, सपा से हाजी रिजवान, बसपा से रफतउल्ला और आसपा से हाजी चांद बाबू को उम्मीदवार बनाया गया है। इसके अलावा, मैनपुरी की करहल सीट पर भाजपा ने सरप्राइज दिया है। भाजपा ने अनुजेश यादव को टिकट देकर लोगों को सरप्राइज कर दिया, क्योंकि वो अखिलेश यादव के बहनोई हैं। करहल सीट सपा के प्रभत्व वाली सीट रही है और यादव वोटरों का दबदबा माना जाता रहा है। ऐसे में भाजपा ने यादव उम्मीदवार और अखिलेश यादव के परिवार के सदस्य को टिकट देकर चौंका दिया है।
वि.स. उपचुनाव : कांग्रेस नेताओं ने नहीं किया सपा का प्रचार,सिर्फ नाम के लिए एक-दो जगहों पर प्रभारियों ने अपना चेहरा दिखा दिया
लखनऊ। विधानसभा उपचुनाव में इंडिया गठबंधन का सिर्फ नाम भर है। चुनाव प्रचार सोमवार शाम खत्म हो जाएगा, लेकिन कांग्रेस के किसी बड़े स्तर के नेता ने प्रचार नहीं किया। प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। वहीं अविनाश पांडेय भी एक दिन भी कहीं प्रचार के लिए नहीं गये। सिर्फ नाम के लिए एक-दो जगहों पर प्रभारियों ने अपना चेहरा दिखा दिया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस समाजवादी पार्टी के कम सीटें आने का इंतजार कर रही है, जिससे आने वाले चुनाव में अपनी अच्छी सीटों के लिए दावा किया जा सके। ऐसे में उसके नेता चुनाव प्रचार कैसे कर सकते हैं। वे सिर्फ दिखावे के लिए मीडिया में अपना समर्थन दिखा रहे हैं। उनको समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के जीतने-हारने से कुछ भी मतलब नहीं है। वहीं सपा भी कांग्रेस के दिग्गजों से चुनाव प्रचार के लिए पूरे प्रचार के दौरान इच्छुक नहीं दिखी। इसका कारण है कि वह जानती है कि कांग्रेस के प्रचार का बहुत असर दिखने वाला नहीं है।

इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि यह दिखावे का गठबंधन है। यहां सभी लोग अपनी-अपनी गोटी सेट कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के यहां कोई उम्मीदवार नहीं हो तो वह किस आधार पर चुनाव प्रचार करेगी। उसके नेता भी मायूस हैं। इस कारण वे सिर्फ चुनाव परिणाम का इंतजार कर रहे हैं।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का कहा कि वायनाड से लौटने के बाद उन्हें महाराष्ट्र बुला लिया गया। महाराष्ट्र की कई सीटों पर पूर्वांचल के लोग हैं। ऐसे में वे महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार में लगे हैं। उपचुनाव में पार्टी के स्थानीय नेता लगाये गये हैं।
विद्या वह है, जो हमें बंधनों से मुक्त करे : आनंदीबेन पटेल
लखनऊ। ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को 149 पदक दिये गये। इसमें 61 स्वर्ण पदक दिये गये। इसमें छात्राओं ने जहां कुल 95 पदक प्राप्त किये वहीं छात्रों की संख्या 54 रही। स्वर्ण पदक भी छात्राओं को 39 मिले, जबकि छात्रों को 22 मिले। दीक्षा कार्यक्रम के पश्चात माननीया राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सभी की डिग्रियां को डिजी लॉकर पर अपलोड करने का उद्घाटन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने लड़कियों द्वारा सर्वाधिक मेडल प्राप्त करने पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि विद्या वह है जो हमें बंधनों से मुक्त करे। उन्होंने कहा कि परिश्रम करना हमारा कर्तव्य एवं अवॉर्ड से अधिक महत्वपूर्ण ज्ञान होता है, जो सदैव उपयोगी होता है। इसी वजह से आप पढ़ते रहिए। साथ ही लाइब्रेरी में उपलब्ध पुस्तकों का भी लाभ उठाना चाहिए।

उन्होंने इतिहास पर प्रकाश डालते हुए इस कहा कि विदेश से लोग आए और हमारी तकनीक को अध्ययन कर कई अविष्कार कर अपने नाम कर लिया ।

उन्होंने विश्वविद्यालय से कहा कि अलग अलग भाषाओं में लिखी गई पुस्तकों का अनुवाद होना चाहिए, जिससे हमारे युवा वर्ग को हमारे समृद्ध ज्ञान एवं कौशल से अवगत कराया जा सके। साथ ही पाठ्यक्रमों में भी इस बारे में उल्लेख होना चाहिए कि विद्वानों ने किस तरह ये सब लिखा है। उन्होंने अपने वक्तव्य में ये भी कहा कि उपाधि प्राप्तकर्ताओं के साथ साथ ये प्रदेश एवं देश की भी उपलब्धि हैं, क्योंकि किसी भी देश के विकास कि परिभाषा वहाँ के नागरिकों के शिक्षा के स्तर से आंकी जाती है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दीक्षांत समारोह का अवसर आपके लिए अपनी उपलब्धियों पर गौरवान्वित होने के साथ साथ आप द्वारा भविष्य के लिए निर्धारित किए गए लक्ष्यों पर अग्रसर होने का भी अवसर है। वहीं उन्होंने कहा कि सभी विद्यार्थियों को अपने ज्ञान का अर्जन समाज के हित में लगाना चाहिए।

मुख्य अतिथि सीपेट के महानिदेशक शिशिर सिन्हा (CPET) को डी. लिट की मानद उपाधि एवं मान पत्र राज्यपाल एवं कुलाधिपति द्वारा प्रदान किया गया। शिशिर सिन्हा ने कहा कि विश्वविद्यालय के नवम् दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग करना उनके लिए अत्यंत गौरव का विषय है। उन्होंने अपने अभिभाषण में विश्वविद्यालय, शिक्षकों एवं अभिभावक गणों की सराहना करते हुए उन्हें विद्यार्थियों के साथ साथ शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने सभी उपाधि प्राप्तकर्ताओं से अपेक्षा की कि वे विज्ञान और नैतिक मूल्यों को मिश्रित कर अपने जीवन में आत्म सात करेंगें। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सबसे अधिक युवा जनसंख्या है जिसके कारण हमारा देश एक तेज़ी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था की श्रेणी में शुमार हो चुका है। उन्होंने विज्ञान और तकनीक पर ज़ोर देते हुए भविष्य के भारत की कल्पना करने का आह्वान किया। उन्होंने सभी को लर्निंग के साथ साथ अनलर्न के स्किल्स को सीखने की सलाह दी। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में योगेंद्र उपाध्याय, उच्च शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार एवं रजनी तिवारी, राज्य मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई ।

समारोह में स्वागत भाषण देते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेन्द्र बहादुर सिंह ने कहा कि राज्यपाल के मार्गदर्शन से विद्यार्थी चरित्र निर्माण कर रहें हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय उत्तरोत्तर प्रगति कर रहा है। भाषा विश्वविद्यालय के विद्यार्थी समाज के विभिन्न क्षेत्रों में विश्वविद्यालय का नाम रौशन कर रहें हैं। वहीं उनके द्वारा विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या भी प्रस्तुत की गई ।
झांसी अग्निकांड:  जुड़वा बेटियों को खोने वाले याकूब ने सात मासूमों की बचाई जान

लखनऊ/हमीरपुर। झांसी मेडिकल कॉलेज में हाल ही में लगी आग के दौरान हमीरपुर के राठ तहसील के रहने वाले याकूब ने अपनी जान जोखिम में डालकर 7 नवजातों की जान बचाई। लेकिन इस बहादुरी के बावजूद वह अपनी जुड़वां बेटियों को नहीं बचा सका। इस घटना ने हर किसी का दिल झकझोर दिया।

याकूब ने बताया, उस वक्त सिर्फ मासूमों को बचाने की सोच थी

याकूब, जो राठ कस्बे के सिकंदरपुरा इलाके में ठेला लगाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करता है, अपनी बेटियों के इलाज के लिए झांसी मेडिकल कॉलेज में था। बीते 9 नवंबर को उसकी पत्नी नजमा ने जुड़वां बेटियों को जन्म दिया था। सांस लेने में दिक्कत के कारण दोनों बच्चियों को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था। आग लगने की खबर सुनकर याकूब ने बिना समय गंवाए अपनी मां बिल्किस और साले सोनू के साथ वार्ड की खिड़की तोड़ी और अंदर घुस गया। मुंह पर कपड़ा बांधकर उसने एक-एक कर सात नवजातों को सुरक्षित बाहर निकाला। याकूब ने बताया, उस वक्त सिर्फ मासूमों को बचाने की सोच थी। यह नहीं देखा कि उनमें मेरी बेटियां हैं या नहीं। जब अपनी बच्चियों का ख्याल आया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

पूरी रात अपनी बेटियों को ढूंढने की कोशिश की

आग बुझने के बाद भी याकूब और उसकी पत्नी नजमा ने पूरी रात अपनी बेटियों को ढूंढने की कोशिश की। लेकिन अगले दिन शवों की शिनाख्त हुई, तब पता चला कि जुड़वां बेटियां अब इस दुनिया में नहीं रहीं। याकूब के साहसिक कार्य से जहां लोग गर्व महसूस कर रहे हैं, वहीं उसकी बेटियों की मौत से सभी गमगीन हैं। याकूब की बहादुरी की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है। लेकिन एक पिता का दर्द और बेटियों को खोने का गम उसकी आंखों में साफ झलक रहा है। स्थानीय लोग इस घटना को लेकर अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं। आग लगने के समय सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम न होने और वार्ड में अलर्ट सिस्टम के काम न करने को लेकर आक्रोश है।
झांसी अग्निकांड के चार दिन बीतने के बाद भी अब तक जवाबदेही तय नहीं, आखिर कौन है 12 नवजातों की मौत का जिम्मेदार ?
लखनऊ/झांसी । यूपी के झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में अग्निकांड की घटना के चार दिन बीत जाने के बाद भी कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई। इसके अलावा घटना को लेकर अस्पताल के किसी कर्मचारी की जवाबदेही भी तय नहीं की गई। जबकि घटना की एक जांच पूरी हो चुकी है। अन्य जांचें जारी हैं। मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में शुक्रवार की रात भीषण आग लग गई थी। घटना में 10 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि एक नवजात ने रविवार को दम तोड़ दिया। जबकि एक और नवजात ने सोमवार को दम तोड़ दिया। 12 नवजात की मौत हो चुकी है। इस घटना की मंडलायुक्त द्वारा जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।

स्वास्थ्य चिकित्सा महानिदेशक की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय टीम सोमवार को यहां आकर जांच शुरू कर दी है लेकिन, इन सब के बीच अब तक घटना का मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया है। इसके अलावा घटना को लेकर मेडिकल के किसी कर्मचारी, अधिकारी व अन्य किसी की अब तक जवाबदेही तय नहीं की गई है। यह स्थिति तब है, जब यह मामला लखनऊ से लेकर दिल्ली तक में गूंज रहा है और विपक्षी दल इसे मुद्दा बनाए हुए हैं। नवजातों की मौत को लेकर विपक्षी दल लगातार सरकार को घेर रहे हैं। इसके बाद भी अब तक इस मामले में किसी के खिलाफ कार्रवाई न होना एक चर्चा का विषय बन गया है।


फायर ऑडिट में मिली थीं खामियां, फरवरी में हुई फायर ऑडिट रिपोर्ट में इसकी हुई पुष्टि

मेडिकल कॉलेज में आग से बचाव के समुचित इंतजाम नहीं थे, इसकी पुष्टि फरवरी में हुई फायर ऑडिट रिपोर्ट में हुई है। इन कमियों को दूर करने के लिए कॉलेज प्रशासन ने शासन को एक करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर भेजा था। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शनिवार को मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने के बाद बताया था कि फरवरी में मेडिकल कॉलेज की फायर ऑडिट हुई और जून में मॉक ड्रिल कराया गया था।
वहीं, कॉलेज के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि फरवरी में हुई ऑडिट रिपोर्ट में काफी खामियां मिली थीं जिसमें एसएनसीयू भी शामिल था। खामियों को जल्द से जल्द दूर करने के लिए भी कहा गया। प्राचार्य डॉ. एनएस सेंगर का कहना है कि फायर ऑडिट में मिली खामियों को दूर करने के लिए शासन को एक करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर भेज दिया था। मिले 46 लाख रुपये से बिजली की खामियों को दूर कराया। जून में 126 फायर इस्टिंग्युशर रीफिल कराए हैं।


आखिर कौन है 12 नवजातों की मौत का जिम्मेदार

18 बेड के एसएनसीयू वार्ड में 49 बच्चे भर्ती थे। इसकी वजह से लगातार जीवनरक्षक उपकरण चल रहे थे। ओवरलोडिंग से स्पार्किंग हुई और आग लगी। इसका जिम्मेदार कौन है।
नवजात बच्चों की संख्या ज्यादा थी, उनके लिए रखे ऑक्सीजन सिलिंडर भी अधिक रखे थे। इससे भी आग बढ़ी।लगातार चल रहे उपकरणों को 3 से 4 घंटे बाद बंद करना था। यह प्रक्रिया भी नहीं की गई, जिससे प्लग पॉइंट गर्म हुए। इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन है।शाम 5 बजे पहली बार शॉर्ट सर्किट हुआ था, तब ही संज्ञान क्यों नहीं लिया गया। उसी समय इसे ठीक कर दिया जाता तो हादसा नहीं होता। पिछला गेट बंद क्यों था। अगर ये खुला होता तो बच्चों को बचाया जा सकता था। कई अग्निशामक यंत्र भी एक्सपायर्ड हो चुके थे। मौके पर यह भी काम नहीं आ सके। फरवरी में हुई फायर ऑडिट में तमाम खामियां मिली थीं। इसको दूर करने के लिए प्रस्ताव भी बना था। अग्नि सुरक्षा को प्राथमिकता से क्यों नहीं लिया गया।

आग की भेंट चढ़ गए दो करोड़ के जीवन रक्षक उपकरण

झांसी मेडिकल कॉलेज की एसएनसीयू में लगी आग से करीब दो करोड़ रुपये के जीवनरक्षक उपकरण जल गए हैं। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के अनुसार एसएनसीयू में नवजात शिशुओं की हालत ज्यादा खराब होने पर ही भर्ती किया जाता है। प्राचार्य डॉ. एनएस सेंगर ने बताया कि वार्ड में बच्चों के उपचार के लिए उच्च गुणवत्ता के आठ वेंटिलेटर, बबल, सी-पैप, एचएफएनसी (हाईफ्लो नैच्युरल कैंडुला) मशीन, एचएफओ, 18 क्रेडल आदि मशीनें थीं जिनकी कीमत दो करोड़ रुपये से ज्यादा है। सभी मशीनें जल गई हैं। वहीं आग लगने के बाद एसएनसीयू से बच्चों को निकाल लिया गया मगर समुचित उपचार की दिक्कत खड़ी हो गई। इस पर कॉलेज प्रशासन ने वार्ड नं. पांच में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड बिछाकर निक्कू वार्ड बना दिया। इसके बाद 16 शिशुओं को तत्काल भर्ती किया गया।

पीआईसीयू में ही तैयार किया गया 10 बेड का एसएनसीयू

झांसी अग्निकांड में राख हो गए उपकरणों के बाद अब मेडिकल कॉलेज के पीआईसीयू में ही 10 बेड का नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र स्थापित कर दिया गया है। यहां पर जन्म के बाद गंभीर स्थिति वाले नवजातों को भर्ती किया जा सकेगा। साथ ही अग्निकांड के बाद यहीं पर शिशु शिफ्ट कर दिए गए हैं। आग लगने की घटना के बाद बचाए गए नवजातों को पहले इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। फिर वहां से पीआईसीयू में एसएनसीयू तैयार होने के बाद शिफ्ट किया गया।

टीम ने परिजन समेत बीस डॉक्टर, नर्सिंग स्टॉफ के दर्ज किये बयान

झांसी महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के विशेष नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (एसएनसीयू) में शुक्रवार को आग लगने के कारणों का पता लगाने लखनऊ की चार सदस्यीय टीम सोमवार को पहुंची। टीम ने करीब 35 मिनट तक जले हुए एसएनसीयू की जांच की। 40 मिनट वार्ड पांच में भर्ती नवजातों के परिजन से बात की। करीब साढ़े पांच घंटे तक छह मृत शिशुओं के परिजन समेत 20 डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ के बयान दर्ज किए गए। टीम मंगलवार को भी रहेगी। टीम को सात दिनों में रिपोर्ट देनी है।

हादसे की वजह शॉर्ट सर्किट बताई

वहीं, अग्निकांड में बचाए गए जालौन के ग्राम पीपरी अटकइयां निवासी मुस्कान पत्नी विशाल के बच्चे की मौत हो गई। अब मरने वाले बच्चों की संख्या 12 हो गई है। मेडिकल कॉलेज में भर्ती तीन बच्चे अब भी गंभीर हैं। टीम की अध्यक्षता कर रहीं चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक डॉ. किंजल सिंह ने हादसे की वजह शॉर्ट सर्किट को बताया है। उन्होंने कहा कि पहले एक्सटेंशन कॉर्ड में आग लगी। इसके बाद नजदीक के वेंटिलेटर में भी आग लगने से यह हादसा हुआ।

बिजली के उपकरणों की गुणवत्ता की जांच होगी

चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक ने बताया कि शॉर्ट सर्किट की वजह पता करने के लिए बिजली विभाग की टीम भी जांच करेगी। टीम के साथ बिजली विभाग के एक्सपर्ट भी होंगे, पता किया जाएगा कि कहीं क्षमता से ज्यादा लोड तो नहीं था। जिन बिजली के उपकरणों को लगाया गया, उनकी क्षमता और गुणवत्ता सही थी या नहीं। यह भी पता लगाया जाएगा कि कहीं अचानक वोल्टेज तो नहीं बढ़ा, जिससे शॉर्ट सर्किट हुआ।

डिप्टी सीएम ने अफसरों के साथ की बैठक, सभी जिलों के लिए अलर्ट जारी

झांसी के मेडिकल कॉलेज में हुए अग्निकांड के बाद यूपी के डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने सोमवार को लखनऊ में अफसरों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने अफसरों से चर्चा की। बैठक के बारे में जानकारी देते हुए डिप्टी सीएम ने कहा कि प्रदेश के सभी अस्पतालों को सुरक्षित मानकों के अनुरूप रखने के लिए बैठक हुई है। तय किया गया कि किसी भी स्थिति में लापरवाही नहीं होनी चाहिए। सभी अस्पतालों की फिर से फायर सेफ्टी आॅडिट कराई जाएगी। इसे लेकर सभी जिलों को अलर्ट किया गया है।24 घंटे हर वार्ड में एक प्रशिक्षित व्यक्ति रहेगा जो निगरानी करेगा।

तय किया गया है कि जहां विद्युत लोड जितना सुकृत है उसी हिसाब से तार व अन्य सामग्री लगाई जाएगी। अतिरिक्त उपकरण प्रयोग करने से पहले इंजीनियर की स्वीकृति ली जाएगी। अस्पताल में जहां मरीज रहते हैं वहां परमानेंट वायरिंग ही रहेगी। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रिक सेफ्टी का हर हाल में पालन किया जाएगा। डीजे हेल्थ को निर्देश दिया गया है कि वे जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों के साथ भी हम बैठक करेंगे और उन्हें सेफ्टी के नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करेंगे। मैं खुद सभी अस्पताल संचालकों से बात करूंगा।
झांसी अग्निकांड : विस्तृत जांच के लिए झांसी पहुंची शासन की टीम

लखनऊ /झांसी। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू में लगी आग के मामले में घटना की विशेष जांच के लिए शासन ने चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया था। कमेटी जांच के लिए सोमवार को मेडिकल कॉलेज पहुंची। टीम ने पूरे दिन विभिन्न बिंदुओं पर जांच की। यही नहीं मृतकों के परिजनों, चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ के तक बयान दर्ज किए गए। इससे पूर्व जिलाधिकारी व मंडलायुक्त के द्वारा 12 घंटे में जांच की प्राथमिक रिपोर्ट पहले ही शासन को भेज दी है।

मेडिकल कॉलेज अग्निकांड की जांच करने के लिए लखनऊ से झांसी पहुंची स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित टीम की अध्यक्ष चिकित्साशिक्षा महानिदेशक किंजल सिंह और अग्नि शमन विभाग के अधिकारी,बिजली विभाग के अधिकारी व डीजी हेल्थ ने घटनास्थल की जांच शुरू की।घटना स्थल का भ्रमण करने के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी व मंडलायुक्त द्वारा घटना की प्राथमिक जांच रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है। उनकी टीम घटना की विशेष जांच करने पहुंची है।

घटना स्थल का भ्रमण करने के बाद वह अब घटना घटित होने के कारणों,घटना में क्या किसी की कोई गलती है,यदि है तो वह व्यक्ति कौन है। साथ ही तीसरा यह कि प्रदेश में संचालित मेडिकल कॉलेज में क्या कमियां हैं जिनके चलते इस प्रकार की घटनाएं घटित हो रहीं हैं। इन सभी बिंदुओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट शासन को भेजी जानी है। पूरे दिन करीब 4 से 5 घंटे तक जांच टीम ने हर बिंदु पर जांच करते हुए मृत नवजातों के परिजनों,जूनियर डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ से वार्ता कर उनके बयान दर्ज किए।