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विद्या वह है, जो हमें बंधनों से मुक्त करे : आनंदीबेन पटेल
लखनऊ। ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को 149 पदक दिये गये। इसमें 61 स्वर्ण पदक दिये गये। इसमें छात्राओं ने जहां कुल 95 पदक प्राप्त किये वहीं छात्रों की संख्या 54 रही। स्वर्ण पदक भी छात्राओं को 39 मिले, जबकि छात्रों को 22 मिले। दीक्षा कार्यक्रम के पश्चात माननीया राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सभी की डिग्रियां को डिजी लॉकर पर अपलोड करने का उद्घाटन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने लड़कियों द्वारा सर्वाधिक मेडल प्राप्त करने पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि विद्या वह है जो हमें बंधनों से मुक्त करे। उन्होंने कहा कि परिश्रम करना हमारा कर्तव्य एवं अवॉर्ड से अधिक महत्वपूर्ण ज्ञान होता है, जो सदैव उपयोगी होता है। इसी वजह से आप पढ़ते रहिए। साथ ही लाइब्रेरी में उपलब्ध पुस्तकों का भी लाभ उठाना चाहिए।

उन्होंने इतिहास पर प्रकाश डालते हुए इस कहा कि विदेश से लोग आए और हमारी तकनीक को अध्ययन कर कई अविष्कार कर अपने नाम कर लिया ।

उन्होंने विश्वविद्यालय से कहा कि अलग अलग भाषाओं में लिखी गई पुस्तकों का अनुवाद होना चाहिए, जिससे हमारे युवा वर्ग को हमारे समृद्ध ज्ञान एवं कौशल से अवगत कराया जा सके। साथ ही पाठ्यक्रमों में भी इस बारे में उल्लेख होना चाहिए कि विद्वानों ने किस तरह ये सब लिखा है। उन्होंने अपने वक्तव्य में ये भी कहा कि उपाधि प्राप्तकर्ताओं के साथ साथ ये प्रदेश एवं देश की भी उपलब्धि हैं, क्योंकि किसी भी देश के विकास कि परिभाषा वहाँ के नागरिकों के शिक्षा के स्तर से आंकी जाती है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दीक्षांत समारोह का अवसर आपके लिए अपनी उपलब्धियों पर गौरवान्वित होने के साथ साथ आप द्वारा भविष्य के लिए निर्धारित किए गए लक्ष्यों पर अग्रसर होने का भी अवसर है। वहीं उन्होंने कहा कि सभी विद्यार्थियों को अपने ज्ञान का अर्जन समाज के हित में लगाना चाहिए।

मुख्य अतिथि सीपेट के महानिदेशक शिशिर सिन्हा (CPET) को डी. लिट की मानद उपाधि एवं मान पत्र राज्यपाल एवं कुलाधिपति द्वारा प्रदान किया गया। शिशिर सिन्हा ने कहा कि विश्वविद्यालय के नवम् दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग करना उनके लिए अत्यंत गौरव का विषय है। उन्होंने अपने अभिभाषण में विश्वविद्यालय, शिक्षकों एवं अभिभावक गणों की सराहना करते हुए उन्हें विद्यार्थियों के साथ साथ शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने सभी उपाधि प्राप्तकर्ताओं से अपेक्षा की कि वे विज्ञान और नैतिक मूल्यों को मिश्रित कर अपने जीवन में आत्म सात करेंगें। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सबसे अधिक युवा जनसंख्या है जिसके कारण हमारा देश एक तेज़ी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था की श्रेणी में शुमार हो चुका है। उन्होंने विज्ञान और तकनीक पर ज़ोर देते हुए भविष्य के भारत की कल्पना करने का आह्वान किया। उन्होंने सभी को लर्निंग के साथ साथ अनलर्न के स्किल्स को सीखने की सलाह दी। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में योगेंद्र उपाध्याय, उच्च शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार एवं रजनी तिवारी, राज्य मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई ।

समारोह में स्वागत भाषण देते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेन्द्र बहादुर सिंह ने कहा कि राज्यपाल के मार्गदर्शन से विद्यार्थी चरित्र निर्माण कर रहें हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय उत्तरोत्तर प्रगति कर रहा है। भाषा विश्वविद्यालय के विद्यार्थी समाज के विभिन्न क्षेत्रों में विश्वविद्यालय का नाम रौशन कर रहें हैं। वहीं उनके द्वारा विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या भी प्रस्तुत की गई ।
झांसी अग्निकांड:  जुड़वा बेटियों को खोने वाले याकूब ने सात मासूमों की बचाई जान

लखनऊ/हमीरपुर। झांसी मेडिकल कॉलेज में हाल ही में लगी आग के दौरान हमीरपुर के राठ तहसील के रहने वाले याकूब ने अपनी जान जोखिम में डालकर 7 नवजातों की जान बचाई। लेकिन इस बहादुरी के बावजूद वह अपनी जुड़वां बेटियों को नहीं बचा सका। इस घटना ने हर किसी का दिल झकझोर दिया।

याकूब ने बताया, उस वक्त सिर्फ मासूमों को बचाने की सोच थी

याकूब, जो राठ कस्बे के सिकंदरपुरा इलाके में ठेला लगाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करता है, अपनी बेटियों के इलाज के लिए झांसी मेडिकल कॉलेज में था। बीते 9 नवंबर को उसकी पत्नी नजमा ने जुड़वां बेटियों को जन्म दिया था। सांस लेने में दिक्कत के कारण दोनों बच्चियों को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था। आग लगने की खबर सुनकर याकूब ने बिना समय गंवाए अपनी मां बिल्किस और साले सोनू के साथ वार्ड की खिड़की तोड़ी और अंदर घुस गया। मुंह पर कपड़ा बांधकर उसने एक-एक कर सात नवजातों को सुरक्षित बाहर निकाला। याकूब ने बताया, उस वक्त सिर्फ मासूमों को बचाने की सोच थी। यह नहीं देखा कि उनमें मेरी बेटियां हैं या नहीं। जब अपनी बच्चियों का ख्याल आया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

पूरी रात अपनी बेटियों को ढूंढने की कोशिश की

आग बुझने के बाद भी याकूब और उसकी पत्नी नजमा ने पूरी रात अपनी बेटियों को ढूंढने की कोशिश की। लेकिन अगले दिन शवों की शिनाख्त हुई, तब पता चला कि जुड़वां बेटियां अब इस दुनिया में नहीं रहीं। याकूब के साहसिक कार्य से जहां लोग गर्व महसूस कर रहे हैं, वहीं उसकी बेटियों की मौत से सभी गमगीन हैं। याकूब की बहादुरी की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है। लेकिन एक पिता का दर्द और बेटियों को खोने का गम उसकी आंखों में साफ झलक रहा है। स्थानीय लोग इस घटना को लेकर अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं। आग लगने के समय सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम न होने और वार्ड में अलर्ट सिस्टम के काम न करने को लेकर आक्रोश है।
झांसी अग्निकांड के चार दिन बीतने के बाद भी अब तक जवाबदेही तय नहीं, आखिर कौन है 12 नवजातों की मौत का जिम्मेदार ?
लखनऊ/झांसी । यूपी के झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में अग्निकांड की घटना के चार दिन बीत जाने के बाद भी कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई। इसके अलावा घटना को लेकर अस्पताल के किसी कर्मचारी की जवाबदेही भी तय नहीं की गई। जबकि घटना की एक जांच पूरी हो चुकी है। अन्य जांचें जारी हैं। मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में शुक्रवार की रात भीषण आग लग गई थी। घटना में 10 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि एक नवजात ने रविवार को दम तोड़ दिया। जबकि एक और नवजात ने सोमवार को दम तोड़ दिया। 12 नवजात की मौत हो चुकी है। इस घटना की मंडलायुक्त द्वारा जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।

स्वास्थ्य चिकित्सा महानिदेशक की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय टीम सोमवार को यहां आकर जांच शुरू कर दी है लेकिन, इन सब के बीच अब तक घटना का मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया है। इसके अलावा घटना को लेकर मेडिकल के किसी कर्मचारी, अधिकारी व अन्य किसी की अब तक जवाबदेही तय नहीं की गई है। यह स्थिति तब है, जब यह मामला लखनऊ से लेकर दिल्ली तक में गूंज रहा है और विपक्षी दल इसे मुद्दा बनाए हुए हैं। नवजातों की मौत को लेकर विपक्षी दल लगातार सरकार को घेर रहे हैं। इसके बाद भी अब तक इस मामले में किसी के खिलाफ कार्रवाई न होना एक चर्चा का विषय बन गया है।


फायर ऑडिट में मिली थीं खामियां, फरवरी में हुई फायर ऑडिट रिपोर्ट में इसकी हुई पुष्टि

मेडिकल कॉलेज में आग से बचाव के समुचित इंतजाम नहीं थे, इसकी पुष्टि फरवरी में हुई फायर ऑडिट रिपोर्ट में हुई है। इन कमियों को दूर करने के लिए कॉलेज प्रशासन ने शासन को एक करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर भेजा था। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शनिवार को मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने के बाद बताया था कि फरवरी में मेडिकल कॉलेज की फायर ऑडिट हुई और जून में मॉक ड्रिल कराया गया था।
वहीं, कॉलेज के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि फरवरी में हुई ऑडिट रिपोर्ट में काफी खामियां मिली थीं जिसमें एसएनसीयू भी शामिल था। खामियों को जल्द से जल्द दूर करने के लिए भी कहा गया। प्राचार्य डॉ. एनएस सेंगर का कहना है कि फायर ऑडिट में मिली खामियों को दूर करने के लिए शासन को एक करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर भेज दिया था। मिले 46 लाख रुपये से बिजली की खामियों को दूर कराया। जून में 126 फायर इस्टिंग्युशर रीफिल कराए हैं।


आखिर कौन है 12 नवजातों की मौत का जिम्मेदार

18 बेड के एसएनसीयू वार्ड में 49 बच्चे भर्ती थे। इसकी वजह से लगातार जीवनरक्षक उपकरण चल रहे थे। ओवरलोडिंग से स्पार्किंग हुई और आग लगी। इसका जिम्मेदार कौन है।
नवजात बच्चों की संख्या ज्यादा थी, उनके लिए रखे ऑक्सीजन सिलिंडर भी अधिक रखे थे। इससे भी आग बढ़ी।लगातार चल रहे उपकरणों को 3 से 4 घंटे बाद बंद करना था। यह प्रक्रिया भी नहीं की गई, जिससे प्लग पॉइंट गर्म हुए। इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन है।शाम 5 बजे पहली बार शॉर्ट सर्किट हुआ था, तब ही संज्ञान क्यों नहीं लिया गया। उसी समय इसे ठीक कर दिया जाता तो हादसा नहीं होता। पिछला गेट बंद क्यों था। अगर ये खुला होता तो बच्चों को बचाया जा सकता था। कई अग्निशामक यंत्र भी एक्सपायर्ड हो चुके थे। मौके पर यह भी काम नहीं आ सके। फरवरी में हुई फायर ऑडिट में तमाम खामियां मिली थीं। इसको दूर करने के लिए प्रस्ताव भी बना था। अग्नि सुरक्षा को प्राथमिकता से क्यों नहीं लिया गया।

आग की भेंट चढ़ गए दो करोड़ के जीवन रक्षक उपकरण

झांसी मेडिकल कॉलेज की एसएनसीयू में लगी आग से करीब दो करोड़ रुपये के जीवनरक्षक उपकरण जल गए हैं। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के अनुसार एसएनसीयू में नवजात शिशुओं की हालत ज्यादा खराब होने पर ही भर्ती किया जाता है। प्राचार्य डॉ. एनएस सेंगर ने बताया कि वार्ड में बच्चों के उपचार के लिए उच्च गुणवत्ता के आठ वेंटिलेटर, बबल, सी-पैप, एचएफएनसी (हाईफ्लो नैच्युरल कैंडुला) मशीन, एचएफओ, 18 क्रेडल आदि मशीनें थीं जिनकी कीमत दो करोड़ रुपये से ज्यादा है। सभी मशीनें जल गई हैं। वहीं आग लगने के बाद एसएनसीयू से बच्चों को निकाल लिया गया मगर समुचित उपचार की दिक्कत खड़ी हो गई। इस पर कॉलेज प्रशासन ने वार्ड नं. पांच में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड बिछाकर निक्कू वार्ड बना दिया। इसके बाद 16 शिशुओं को तत्काल भर्ती किया गया।

पीआईसीयू में ही तैयार किया गया 10 बेड का एसएनसीयू

झांसी अग्निकांड में राख हो गए उपकरणों के बाद अब मेडिकल कॉलेज के पीआईसीयू में ही 10 बेड का नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र स्थापित कर दिया गया है। यहां पर जन्म के बाद गंभीर स्थिति वाले नवजातों को भर्ती किया जा सकेगा। साथ ही अग्निकांड के बाद यहीं पर शिशु शिफ्ट कर दिए गए हैं। आग लगने की घटना के बाद बचाए गए नवजातों को पहले इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। फिर वहां से पीआईसीयू में एसएनसीयू तैयार होने के बाद शिफ्ट किया गया।

टीम ने परिजन समेत बीस डॉक्टर, नर्सिंग स्टॉफ के दर्ज किये बयान

झांसी महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के विशेष नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (एसएनसीयू) में शुक्रवार को आग लगने के कारणों का पता लगाने लखनऊ की चार सदस्यीय टीम सोमवार को पहुंची। टीम ने करीब 35 मिनट तक जले हुए एसएनसीयू की जांच की। 40 मिनट वार्ड पांच में भर्ती नवजातों के परिजन से बात की। करीब साढ़े पांच घंटे तक छह मृत शिशुओं के परिजन समेत 20 डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ के बयान दर्ज किए गए। टीम मंगलवार को भी रहेगी। टीम को सात दिनों में रिपोर्ट देनी है।

हादसे की वजह शॉर्ट सर्किट बताई

वहीं, अग्निकांड में बचाए गए जालौन के ग्राम पीपरी अटकइयां निवासी मुस्कान पत्नी विशाल के बच्चे की मौत हो गई। अब मरने वाले बच्चों की संख्या 12 हो गई है। मेडिकल कॉलेज में भर्ती तीन बच्चे अब भी गंभीर हैं। टीम की अध्यक्षता कर रहीं चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक डॉ. किंजल सिंह ने हादसे की वजह शॉर्ट सर्किट को बताया है। उन्होंने कहा कि पहले एक्सटेंशन कॉर्ड में आग लगी। इसके बाद नजदीक के वेंटिलेटर में भी आग लगने से यह हादसा हुआ।

बिजली के उपकरणों की गुणवत्ता की जांच होगी

चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक ने बताया कि शॉर्ट सर्किट की वजह पता करने के लिए बिजली विभाग की टीम भी जांच करेगी। टीम के साथ बिजली विभाग के एक्सपर्ट भी होंगे, पता किया जाएगा कि कहीं क्षमता से ज्यादा लोड तो नहीं था। जिन बिजली के उपकरणों को लगाया गया, उनकी क्षमता और गुणवत्ता सही थी या नहीं। यह भी पता लगाया जाएगा कि कहीं अचानक वोल्टेज तो नहीं बढ़ा, जिससे शॉर्ट सर्किट हुआ।

डिप्टी सीएम ने अफसरों के साथ की बैठक, सभी जिलों के लिए अलर्ट जारी

झांसी के मेडिकल कॉलेज में हुए अग्निकांड के बाद यूपी के डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने सोमवार को लखनऊ में अफसरों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने अफसरों से चर्चा की। बैठक के बारे में जानकारी देते हुए डिप्टी सीएम ने कहा कि प्रदेश के सभी अस्पतालों को सुरक्षित मानकों के अनुरूप रखने के लिए बैठक हुई है। तय किया गया कि किसी भी स्थिति में लापरवाही नहीं होनी चाहिए। सभी अस्पतालों की फिर से फायर सेफ्टी आॅडिट कराई जाएगी। इसे लेकर सभी जिलों को अलर्ट किया गया है।24 घंटे हर वार्ड में एक प्रशिक्षित व्यक्ति रहेगा जो निगरानी करेगा।

तय किया गया है कि जहां विद्युत लोड जितना सुकृत है उसी हिसाब से तार व अन्य सामग्री लगाई जाएगी। अतिरिक्त उपकरण प्रयोग करने से पहले इंजीनियर की स्वीकृति ली जाएगी। अस्पताल में जहां मरीज रहते हैं वहां परमानेंट वायरिंग ही रहेगी। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रिक सेफ्टी का हर हाल में पालन किया जाएगा। डीजे हेल्थ को निर्देश दिया गया है कि वे जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों के साथ भी हम बैठक करेंगे और उन्हें सेफ्टी के नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करेंगे। मैं खुद सभी अस्पताल संचालकों से बात करूंगा।
झांसी अग्निकांड : विस्तृत जांच के लिए झांसी पहुंची शासन की टीम

लखनऊ /झांसी। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू में लगी आग के मामले में घटना की विशेष जांच के लिए शासन ने चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया था। कमेटी जांच के लिए सोमवार को मेडिकल कॉलेज पहुंची। टीम ने पूरे दिन विभिन्न बिंदुओं पर जांच की। यही नहीं मृतकों के परिजनों, चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ के तक बयान दर्ज किए गए। इससे पूर्व जिलाधिकारी व मंडलायुक्त के द्वारा 12 घंटे में जांच की प्राथमिक रिपोर्ट पहले ही शासन को भेज दी है।

मेडिकल कॉलेज अग्निकांड की जांच करने के लिए लखनऊ से झांसी पहुंची स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित टीम की अध्यक्ष चिकित्साशिक्षा महानिदेशक किंजल सिंह और अग्नि शमन विभाग के अधिकारी,बिजली विभाग के अधिकारी व डीजी हेल्थ ने घटनास्थल की जांच शुरू की।घटना स्थल का भ्रमण करने के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी व मंडलायुक्त द्वारा घटना की प्राथमिक जांच रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है। उनकी टीम घटना की विशेष जांच करने पहुंची है।

घटना स्थल का भ्रमण करने के बाद वह अब घटना घटित होने के कारणों,घटना में क्या किसी की कोई गलती है,यदि है तो वह व्यक्ति कौन है। साथ ही तीसरा यह कि प्रदेश में संचालित मेडिकल कॉलेज में क्या कमियां हैं जिनके चलते इस प्रकार की घटनाएं घटित हो रहीं हैं। इन सभी बिंदुओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट शासन को भेजी जानी है। पूरे दिन करीब 4 से 5 घंटे तक जांच टीम ने हर बिंदु पर जांच करते हुए मृत नवजातों के परिजनों,जूनियर डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ से वार्ता कर उनके बयान दर्ज किए।
डीजीपी ने प्रशिक्षु आईपीएस के साथ की शिष्टाचार भेंट,कहा- आपको जनता को आसानी से सुलभ होना चाहिए
लखनऊ। पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार से सोमवार को पुलिस मुख्यालय में भारतीय पुलिस सेवा के 76वें आरआर बैच के 20 प्रशिक्षु अधिकारियों द्वारा शिष्टाचार भेंट की गयी एवं मुलाकात के दौरान मोमेन्टो भेंट किये गये। भेंट के दौरान प्रशिक्षु अधिकारियों द्वारा पुलिस मुख्यालय स्थित विभिन्न कार्यालयों एवं शाखाओं का भ्रमण कर कार्यों के बारे में जानकारी ली गयी।

प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारियों को पुलिस मुख्यालय स्थित सोशल मीडिया सेन्टर भ्रमण के दौरान सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर चौबीस घंटे मॉनीटरिंग किये जाने तथा सोशल मीडिया सेन्टर की कार्यप्रणाली के बारे में बताया गया। पुलिस महानिदेशक द्वारा मुलाकात के दौरान अपने उद्बोधन में यूपी पुलिस के गौरवशाली इतिहास के बारे में बताते हुए वर्तमान परिवेश में जनता की सुरक्षा एवं अपराधों की रोकथाम एवं महिला सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा चलाये जा रहे अभियानों यथा कम्युनिटी पुलिसिंग, आॅपरेशन कन्विक्शन, आॅपरेशन त्रिनेत्र आदि के बारे में विस्तार से बताया गया।  पुलिस महानिदेशक द्वारा कहा गया कि पुलिस सेवा जनता के विभिन्न वर्गों की सेवा के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम है। आपको जनता के लिए आसानी से सुलभ होना चाहिए।

आपको स्वच्छ इरादे के साथ काम करना चाहिए। विशेषतौर पर महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध होने वाले अपराधों की रोकथाम एवं उन पर त्वरित कार्रवाई कराते हुये  न्यायालय में प्रभावी पैरवी कराकर दोषियों को सजा दिलाना पुलिस की सर्वोच्च प्राथमिकता है तथा पुलिस की सेवा में नैतिकता, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा एवं भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेन्स की नीति रखना ही सफलता का मूल मन्त्र है।  पुलिस महानिदेशक द्वारा प्रशिक्षु अधिकारियों के जिज्ञासा भरे प्रश्नों का उत्तर देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की गयी।इस अवसर पर एडीजी फायर सर्विस, डीजी प्रशिक्षण, एडीजी कानून व्यवस्था, एडीजी स्थापना, एडीजी साइबर क्राइम, एडीजी रेलवे, एडीजी प्रशिक्षण, एडीजी लॉजिस्टिक, एडीजी अपराध सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
झांसी अग्निकांड : एक और नवजात ने तोड़ा दम, संख्या बढ़कर हुई 12
लखनऊ / झांसी । झांसी महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में लगी आग के मामले में एक और नवजात ने दम तोड़ दिया है। अब अग्निकांड में मृत नवजातों की संख्या 12 हो गई है। उधर, घटना की जांच के लिए शासन की टीम भी पहुंच गई है।  जानकारी के अनुसार, झांसी महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र (एसएनसीयू) में शुक्रवार की रात तकरीबन 11 बजे भीषण आग लग गई थी, जिसमें 10 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई थी। जबकि, एक बच्चे ने रविवार को दम तोड़ दिया था।

कमेटी जांच के लिए  मेडिकल कॉलेज पहुंची टीम

अब सोमवार को एक और बच्चे की मौत हो गई। यह बच्चा जालौन जिले के रहने वाले विशाल की पत्नी मुस्कान का है। जन्म से गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने पर उसे मेडिकल में भर्ती कराया गया था। बता दें कि घटना के समय वार्ड में 49 बच्चे भर्ती थे, जिनमें से 39 बच्चों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया था। घटना की जांच के लिए शासन ने चिकित्साशिक्षा महानिदेशक की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया था। कमेटी जांच के लिए सोमवार को मेडिकल कॉलेज पहुंच गई है। टीम ने जांच शुरू कर दी है।

पीआईसीयू में ही तैयार किया गया 10 बेड का एसएनसीयू

झांसी अग्निकांड में राख हो गए उपकरणों के बाद अब मेडिकल कॉलेज के पीआईसीयू में ही 10 बेड का नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र स्थापित कर दिया गया है। यहां पर जन्म के बाद गंभीर स्थिति वाले नवजातों को भर्ती किया जा सकेगा। साथ ही अग्निकांड के बाद यहीं पर शिशु शिफ्ट कर दिए गए हैं। आग लगने की घटना के बाद बचाए गए नवजातों को पहले इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। फिर वहां से पीआईसीयू में एसएनसीयू तैयार होने के बाद शिफ्ट किया गया।
चौबेपुर में तेज रफ्तार वाहन ने बाइक में मारी टक्कर,दो शिक्षकों की मौत, वैवाहिक समारोह में भाग लेकर घर लौट रहे थे,परिजनों में कोहराम

लखनऊ/वाराणसी। चौबेपुर थाना क्षेत्र के डुबकियां बाजार के समीप तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने बाइक सवार शिक्षकों को रौंद दिया। हादसे में सवार दोनों शिक्षकों की मौत हो गई। रविवार देर रात हुए हादसे की जानकारी पाते ही पुलिस के साथ मृतकों के परिजन भी मौके पर पहुंच गए। पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

देर रात मांगलिक समारोह से दोनों बाइक से घर लौट रहे थे

सारनाथ निवासी हरिओम सिंह (35) और रणधीर शर्मा (36) एक निजी इंटर कालेज में शिक्षक थे। कॉलेज में कार्यरत एक कर्मचारी के घर वैवाहिक समारोह में भाग लेने के लिए दोनों शिक्षक देर शाम पहुंचे थे। देर रात मांगलिक समारोह से दोनों बाइक से घर लौट रहे थे। जैसे ही दोनों डुबकियां बाजार के समीप पहुंचे सामने आगे जा रही वाहन को ओवरटेक कर ही रहे थे कि दूसरी दिशा से आ रहे वाहन ने टक्कर मार दी। हादसे में बाइक सड़क के बीचोबीच बने डिवाइडर से टकरा कर पलट गई। दो उछल कर सड़क पर गिर गए। इसी दौरान पीछे से आ रही तेज रफ्तार वाहन दोनों को रौंदते हुए निकल गई।

मृतकों की जेब से मिले कागजात के आधार उनकी पहचान हुई

चीख पुकार सुनकर आसपास के लोग जुटे तो दोनों की हालत देख इसकी जानकारी पुलिस को दी। सूचना पाते ही चौबेपुर पुलिस के साथ एसीपी सारनाथ भी मौके पर पहुंच गए। पुलिस अफसरों ने दोनों को अस्पताल भिजवाया। जहां चिकित्सकों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। मृतकों की जेब से मिले कागजात के आधार उनकी पहचान हुई तो पुलिस ने परिजनों को घटना की जानकारी दी। पुलिस ने दोनों शवों को पांडेयपुर स्थित पं. दीनदयाल अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया। सोमवार को पंचनामा के बाद शव को पोस्टमार्टम में भेजने की तैयारी में पुलिस जुटी हुई थी।

विधानसभा उपचुनाव: आज शाम थम जायेगा चुनाव प्रचार का शोर,प्रचार के अंतिम दिन प्रत्याशी झौंक रहे ताकत

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए प्रचार का आज अंतिम दिन है। आज शाम छ: बजे चुनाव प्रचार बंद हो जायेगा। प्रदेश की नौ सीटों पर 20 नवंबर को वोट डाले जायेंगे। प्रचार के अंतिम दिन प्रत्याशी पूरी ताकत झौंक रहे हैं।उत्तर प्रदेश में उपचुनाव जीतने के लिए सपा और भाजपा दोनों पार्टियों ने ताकत लगायी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की सभी नौ विधानसभा सीटों पर भाजपा गठबंधन के प्रत्याशियों के पक्ष में जनसभाएं की हैं। उपचुनाव में सपा व भाजपा के बीच सीधी लड़ाई देखी जा रही वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा उपचुनाव में प्रचार करने निकले हैं। उपचुनाव में सपा व भाजपा के बीच सीधी लड़ाई देखी जा रही है। लेकिन सपा व भाजपा दोनों दल उपचुनाव में अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।जिन नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उनमें कुंदरकी,करहल,कटेहरी और सीसामऊ सीट सपा के पास रही है। वहीं गाजियाबाद,खैर व फूलपुर की सीट भाजपा के पास रही है। वहीं रालोद की सीट मीरापुर व मंझवा निषाद पार्टी की सीट रही है। भाजपा को हिन्दुत्व के साथ-साथ विकासपरक योजनाओं पर भरोसा भाजपा को हिन्दुत्व के साथ-साथ विकासपरक योजनाओं पर भरोसा है। वहीं सपा को पीडीए की बदौलत उपचुनाव में जीत की आस लगाये है। अब देखना यह है कि 20 नवंबर को होने वाले चुनाव में जनता किस दल के प्रत्याशी को चुनती है।भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि जनता मोदी व योगी के साथ है।उपचुनाव में प्रदेश की सभी नौ सीटों पर भाजपा गठबंधन के प्रत्याशी जीतेंगे। समाजवादी पार्टी के कार्यकाल को जनता अभी भूली नहीं है। सपा जनता को बार—बार गुमराह नहीं कर सकती।
यूपी में लगातार ट्रेनों को पलटाने की हो रही साजिश, रोकने पर पुलिस व जीआरपी नाकाम

लखनऊ । यूपी में पिछले कई महीने से ट्रेनों को पलटाने की साजिश रजी जा रही है लेकिन हर बार किसी ने किसी वजह से हादसा होते-होते बच जा रहा है। ऐसा कुछ दो दिन पहले बरेली में हुआ ।यहां इज्जतनगर रेल मंडल के बरेली पीलीभीत ट्रैक के दिबनापुर स्टेशन के पास खुराफातियों ने रेलवे ट्रैक पर सीमेंट बेंच और रेल पटरी का कटा हुआ टुकड़ा रख दिया था। मालगाड़ी के लोको पायलट को कुछ टकराने का एहसास हुआ तो उसने ट्रेन को रोका, तो देखा कि ट्रैक पर रेलवे की ही टूटी हुई सीमेंटेड बेंच और रेल पटरी का एक टुकड़ा पड़ा था। रेल कंट्रोल को सूचना दी गई. आरपीएफ, इंजीनियरिंग और ऑपरेटिंग विभाग के अधिकारी पहुंचे. मामले की जांच पड़ताल के बाद दोनों वस्तुओं को हटाकर मालगाड़ी को रवाना कराया गया. हाफिजगंज थाने में अज्ञात मुकदमा दर्ज कराया गया।

आपको बता दें कि बरेली से पीलीभीत लाइन पर सेंथल-भोजीपुरा स्टेशन के बीच दिबनापुर रेलवे स्टेशन से कुछ दूरी पर किसी ने मालगाड़ी पलटने की साजिश की थी। शुक्रवार की रात करीब 12 बजे मालगाड़ी दिबनापुर से बरेली की ओर आ रही थी। ट्रेन गुजर रही थी, तभी लोको पायलट को इंजन से कुछ टकराने की आवाज सुनाई दी। लोको ने ट्रेन को रोका जिस जगह पर कुछ टकराया था, वहां जाकर देखा। ट्रैक के किनारे सीमेंटेड बेंच टूटी हुई पड़ी थी। इंजन का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त भी हो गया था। कुछ दूरी पर रेल पटरी का टुकड़ा (1.25 मीटर लंबा) पड़ा था। लोको पायलट ने स्टेशन मास्टर और रेलवे कंट्रोल को सूचना दी। इसके बाद आरपीएफ, सिविल पुलिस, रेलवे खुफिया टीम, इंजीनियर टीम मौके पर पहुंची।

जांच पड़ताल के बाद सीमेंटेड बेंच और रेल पटरी का टुकड़ा हटाया गया। इसके बाद ट्रेन रवाना हुई। शनिवार को सीनियर सेक्शन इंजीनियरिंग पीलीभीत की ओर से हाफिजगंज थाने में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। मामले की जांच पड़ताल की जा रही है. पूर्वोत्तर रेलवे इज्ज्तनगर रेल मंडल के जनसंपर्क अधिकारी राजेंद्र सिंह का कहना है, दिबनापुर हाल्ट के पास किसी अज्ञात व्यक्ति ने सीमेंटेड बेंच टूटी हुई और रेल पटरी का टुकड़ा ट्रैक पर रखा था, जो इंजन से टकराया. इस मामले में हाफिजगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है. मामले की जांच पड़ताल की जा रही है। घटना के दो दिन हो गए अभी तक पुलिस सच्चाई पता नहीं लगा सकी है। विभाग की इसी लापरवाही के चलते ट्रेनों पर लकड़ी, लोहा, पत्थर, सिलेंडर रखने से लोग बाज नहीं आ रहे है। ऐसे मामलाे का खुलासा करते हुए इस तरह का कृत्य करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो किसी दिन बड़ा रेल हादसा हो सकता है।
बेहतर इलाज का झांसा देकर केजीएमयू से बाहर मरीज को भेजने पर पांच जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर की सेवाएं समाप्त
लखनऊ । केजीएमयू में मरीजों का ज्यादा दबाव होने का फायदा उठाने में कई जूनियर रेजिडेंट (जूनियर डॉक्टर) भी पीछे नहीं हैं। मरीजों को अच्छे इलाज का झांसा देकर कई रेजिडेंट निजी अस्पताल भेज रहे हैं। केजीएमयू प्रशासन ने इसकी जानकारी होने पर गुपचुप तरीके से ट्रॉमा सेंटर में तैनात पांच जूनियर रेजिडेंट (नॉन पीजी) की सेवाएं समाप्त कर दी हैं।

केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में इस समय 450 बेड हैं। ज्यादातर बेड भरे रहते हैं। हालत यह होती है कि रोजाना यहां सौ से ज्यादा घायलों का इलाज स्ट्रेचर पर होता है। मरीजों का ज्यादा दबाव होने की वजह से शाम के बाद और विशेषकर रात में आने वाले घायलों को बेड मिलने में समस्या रहती है। इसका फायदा उठाते हुए यहां तैनात कई रेजिडेंट मरीजों को निर्धारित अस्पताल भेजते हैं।ट्रॉमा सेंटर के बाहर इन अस्पतालों की एंबुलेंस पहले से मौजूद रहती हैं। ये एंबुलेंस घायलों और मरीजों को सीधे वहां पहुंचा देती हैं। केजीएमयू के एक प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि कुछ जूनियर रेजिडेंट (नॉन पीजी) के खिलाफ मरीजों को शिफ्ट करने की शिकायत मिली थी। जांच कराने पर शिकायत सही पाई गई थी। इसके बाद इनको हटा दिया गया।

सिविल अस्पताल में दिल के मरीजों की 2 डी ईको जांच की राह आसान होगी। अस्पताल में लगी नई मशीन का ट्रायल चल रहा है। अफसरों का कहना है कि इसी हफ्ते मरीजों को जांच की सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी। जांच के लिए मरीजों को 300 रुपये खर्च करने होंगे। आयुष्मान व गरीब मरीजों को मुफ्त जांच की सुविधा मिलेगी।सिविल अस्पताल में कार्डियक आईसीयू यूनिट है। यहां ओपीडी में रोजाना 200 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनमें से 50 से अधिक मरीजों की 2डी ईको जांच कराने की जरूरत होती है। अस्पताल में सुविधा नहीं होने से मजबूरी में मरीजों को केजीएमयू, लोहिया या फिर निजी केंद्र जाना पड़ रहा था। उल्लेखनीय है कि 2डी ईको जांच की सुविधा किसी भी सरकारी अस्पताल में अभी नहीं है। सीएमएस डॉ. राजेश के मुताबिक, जांच की सुविधा इसी सप्ताह से मरीजों को मिलेगी।