झांसी अग्निकांड के चार दिन बीतने के बाद भी अब तक जवाबदेही तय नहीं, आखिर कौन है 12 नवजातों की मौत का जिम्मेदार ?
लखनऊ/झांसी । यूपी के झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में अग्निकांड की घटना के चार दिन बीत जाने के बाद भी कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई। इसके अलावा घटना को लेकर अस्पताल के किसी कर्मचारी की जवाबदेही भी तय नहीं की गई। जबकि घटना की एक जांच पूरी हो चुकी है। अन्य जांचें जारी हैं। मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में शुक्रवार की रात भीषण आग लग गई थी। घटना में 10 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि एक नवजात ने रविवार को दम तोड़ दिया। जबकि एक और नवजात ने सोमवार को दम तोड़ दिया। 12 नवजात की मौत हो चुकी है। इस घटना की मंडलायुक्त द्वारा जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।
स्वास्थ्य चिकित्सा महानिदेशक की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय टीम सोमवार को यहां आकर जांच शुरू कर दी है लेकिन, इन सब के बीच अब तक घटना का मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया है। इसके अलावा घटना को लेकर मेडिकल के किसी कर्मचारी, अधिकारी व अन्य किसी की अब तक जवाबदेही तय नहीं की गई है। यह स्थिति तब है, जब यह मामला लखनऊ से लेकर दिल्ली तक में गूंज रहा है और विपक्षी दल इसे मुद्दा बनाए हुए हैं। नवजातों की मौत को लेकर विपक्षी दल लगातार सरकार को घेर रहे हैं। इसके बाद भी अब तक इस मामले में किसी के खिलाफ कार्रवाई न होना एक चर्चा का विषय बन गया है।
फायर ऑडिट में मिली थीं खामियां, फरवरी में हुई फायर ऑडिट रिपोर्ट में इसकी हुई पुष्टि
मेडिकल कॉलेज में आग से बचाव के समुचित इंतजाम नहीं थे, इसकी पुष्टि फरवरी में हुई फायर ऑडिट रिपोर्ट में हुई है। इन कमियों को दूर करने के लिए कॉलेज प्रशासन ने शासन को एक करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर भेजा था। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शनिवार को मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने के बाद बताया था कि फरवरी में मेडिकल कॉलेज की फायर ऑडिट हुई और जून में मॉक ड्रिल कराया गया था।
वहीं, कॉलेज के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि फरवरी में हुई ऑडिट रिपोर्ट में काफी खामियां मिली थीं जिसमें एसएनसीयू भी शामिल था। खामियों को जल्द से जल्द दूर करने के लिए भी कहा गया। प्राचार्य डॉ. एनएस सेंगर का कहना है कि फायर ऑडिट में मिली खामियों को दूर करने के लिए शासन को एक करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर भेज दिया था। मिले 46 लाख रुपये से बिजली की खामियों को दूर कराया। जून में 126 फायर इस्टिंग्युशर रीफिल कराए हैं।
आखिर कौन है 12 नवजातों की मौत का जिम्मेदार
18 बेड के एसएनसीयू वार्ड में 49 बच्चे भर्ती थे। इसकी वजह से लगातार जीवनरक्षक उपकरण चल रहे थे। ओवरलोडिंग से स्पार्किंग हुई और आग लगी। इसका जिम्मेदार कौन है।
नवजात बच्चों की संख्या ज्यादा थी, उनके लिए रखे ऑक्सीजन सिलिंडर भी अधिक रखे थे। इससे भी आग बढ़ी।लगातार चल रहे उपकरणों को 3 से 4 घंटे बाद बंद करना था। यह प्रक्रिया भी नहीं की गई, जिससे प्लग पॉइंट गर्म हुए। इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन है।शाम 5 बजे पहली बार शॉर्ट सर्किट हुआ था, तब ही संज्ञान क्यों नहीं लिया गया। उसी समय इसे ठीक कर दिया जाता तो हादसा नहीं होता। पिछला गेट बंद क्यों था। अगर ये खुला होता तो बच्चों को बचाया जा सकता था। कई अग्निशामक यंत्र भी एक्सपायर्ड हो चुके थे। मौके पर यह भी काम नहीं आ सके। फरवरी में हुई फायर ऑडिट में तमाम खामियां मिली थीं। इसको दूर करने के लिए प्रस्ताव भी बना था। अग्नि सुरक्षा को प्राथमिकता से क्यों नहीं लिया गया।
आग की भेंट चढ़ गए दो करोड़ के जीवन रक्षक उपकरण
झांसी मेडिकल कॉलेज की एसएनसीयू में लगी आग से करीब दो करोड़ रुपये के जीवनरक्षक उपकरण जल गए हैं। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के अनुसार एसएनसीयू में नवजात शिशुओं की हालत ज्यादा खराब होने पर ही भर्ती किया जाता है। प्राचार्य डॉ. एनएस सेंगर ने बताया कि वार्ड में बच्चों के उपचार के लिए उच्च गुणवत्ता के आठ वेंटिलेटर, बबल, सी-पैप, एचएफएनसी (हाईफ्लो नैच्युरल कैंडुला) मशीन, एचएफओ, 18 क्रेडल आदि मशीनें थीं जिनकी कीमत दो करोड़ रुपये से ज्यादा है। सभी मशीनें जल गई हैं। वहीं आग लगने के बाद एसएनसीयू से बच्चों को निकाल लिया गया मगर समुचित उपचार की दिक्कत खड़ी हो गई। इस पर कॉलेज प्रशासन ने वार्ड नं. पांच में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड बिछाकर निक्कू वार्ड बना दिया। इसके बाद 16 शिशुओं को तत्काल भर्ती किया गया।
पीआईसीयू में ही तैयार किया गया 10 बेड का एसएनसीयू
झांसी अग्निकांड में राख हो गए उपकरणों के बाद अब मेडिकल कॉलेज के पीआईसीयू में ही 10 बेड का नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र स्थापित कर दिया गया है। यहां पर जन्म के बाद गंभीर स्थिति वाले नवजातों को भर्ती किया जा सकेगा। साथ ही अग्निकांड के बाद यहीं पर शिशु शिफ्ट कर दिए गए हैं। आग लगने की घटना के बाद बचाए गए नवजातों को पहले इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। फिर वहां से पीआईसीयू में एसएनसीयू तैयार होने के बाद शिफ्ट किया गया।
टीम ने परिजन समेत बीस डॉक्टर, नर्सिंग स्टॉफ के दर्ज किये बयान
झांसी महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के विशेष नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (एसएनसीयू) में शुक्रवार को आग लगने के कारणों का पता लगाने लखनऊ की चार सदस्यीय टीम सोमवार को पहुंची। टीम ने करीब 35 मिनट तक जले हुए एसएनसीयू की जांच की। 40 मिनट वार्ड पांच में भर्ती नवजातों के परिजन से बात की। करीब साढ़े पांच घंटे तक छह मृत शिशुओं के परिजन समेत 20 डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ के बयान दर्ज किए गए। टीम मंगलवार को भी रहेगी। टीम को सात दिनों में रिपोर्ट देनी है।
हादसे की वजह शॉर्ट सर्किट बताई
वहीं, अग्निकांड में बचाए गए जालौन के ग्राम पीपरी अटकइयां निवासी मुस्कान पत्नी विशाल के बच्चे की मौत हो गई। अब मरने वाले बच्चों की संख्या 12 हो गई है। मेडिकल कॉलेज में भर्ती तीन बच्चे अब भी गंभीर हैं। टीम की अध्यक्षता कर रहीं चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक डॉ. किंजल सिंह ने हादसे की वजह शॉर्ट सर्किट को बताया है। उन्होंने कहा कि पहले एक्सटेंशन कॉर्ड में आग लगी। इसके बाद नजदीक के वेंटिलेटर में भी आग लगने से यह हादसा हुआ।
बिजली के उपकरणों की गुणवत्ता की जांच होगी
चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक ने बताया कि शॉर्ट सर्किट की वजह पता करने के लिए बिजली विभाग की टीम भी जांच करेगी। टीम के साथ बिजली विभाग के एक्सपर्ट भी होंगे, पता किया जाएगा कि कहीं क्षमता से ज्यादा लोड तो नहीं था। जिन बिजली के उपकरणों को लगाया गया, उनकी क्षमता और गुणवत्ता सही थी या नहीं। यह भी पता लगाया जाएगा कि कहीं अचानक वोल्टेज तो नहीं बढ़ा, जिससे शॉर्ट सर्किट हुआ।
डिप्टी सीएम ने अफसरों के साथ की बैठक, सभी जिलों के लिए अलर्ट जारी
झांसी के मेडिकल कॉलेज में हुए अग्निकांड के बाद यूपी के डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने सोमवार को लखनऊ में अफसरों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने अफसरों से चर्चा की। बैठक के बारे में जानकारी देते हुए डिप्टी सीएम ने कहा कि प्रदेश के सभी अस्पतालों को सुरक्षित मानकों के अनुरूप रखने के लिए बैठक हुई है। तय किया गया कि किसी भी स्थिति में लापरवाही नहीं होनी चाहिए। सभी अस्पतालों की फिर से फायर सेफ्टी आॅडिट कराई जाएगी। इसे लेकर सभी जिलों को अलर्ट किया गया है।24 घंटे हर वार्ड में एक प्रशिक्षित व्यक्ति रहेगा जो निगरानी करेगा।
तय किया गया है कि जहां विद्युत लोड जितना सुकृत है उसी हिसाब से तार व अन्य सामग्री लगाई जाएगी। अतिरिक्त उपकरण प्रयोग करने से पहले इंजीनियर की स्वीकृति ली जाएगी। अस्पताल में जहां मरीज रहते हैं वहां परमानेंट वायरिंग ही रहेगी। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रिक सेफ्टी का हर हाल में पालन किया जाएगा। डीजे हेल्थ को निर्देश दिया गया है कि वे जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों के साथ भी हम बैठक करेंगे और उन्हें सेफ्टी के नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करेंगे। मैं खुद सभी अस्पताल संचालकों से बात करूंगा।
Nov 19 2024, 10:05