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गोरखनाथ मंदिर में आईं पुंगनूर गाय, सीएम योगी ने खूब दुलारा,देश की अति दुर्लभ नस्ल की गाय है पुंगनूर, और समृद्ध हुआ गोरक्षपीठ का गोवंश संसार


गोरखपुर। गोसेवा के लिए देशभर में प्रसिद्ध गोरक्षपीठ में गोवंश का संसार अब और भी समृद्ध हो गया है। देश में अति दुर्लभ नस्ल में सम्मिलित आंध्र प्रदेश की पुंगनूर गाय को भी गोरखनाथ मंदिर की गोशाला में लाया गया है। बरबस ही सबका ध्यान आकर्षित करने वाली पुंगनूर नस्ल के गोवंश जोड़ी (बछिया और बछड़ा) के मंदिर की गोशाला में आने पर शुक्रवार सुबह मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने खूब दुलारा और उन्हें अपने हाथों से गुड खिलाया।

गुरुवार को दोपहर बाद गोरखपुर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शुक्रवार सुबह की दिनचर्या परंपरागत रही। उन्होंने प्रातःकाल गोरखनाथ मंदिर में गुरु गोरखनाथ का दर्शन-पूजन किया और अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की समाधि स्थल पर जाकर मत्था टेका। वह जब भी गोरखनाथ मंदिर में होते हैं तो गोसेवा उनकी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा रहती है। पर, शुक्रवार का दिन गोसेवा के दृष्टिकोण से विशेष था। कारण, मंदिर की गोशाला में आंध्र प्रदेश के पुंगनूर नस्ल की देसी गोवंश की एक नन्ही जोड़ी (बछिया-बछड़ा) का भी यहां आगमन हो चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुंगनूर नस्ल की इस जोड़ी को खूब दुलार किया। दोनों के माथे पर हाथ फेरते हुए, गर्दन सहलाते हुए उन्होंने यह कहकर स्नेह दिया, ‘अरे रे रे, तुम्हें माई की याद आ रही है ना!’ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुछ देर तक उन्हें भावुक होकर दुलारते रहे और फिर अपने हाथों से उन्हें खुद खिलाया।

इसके अतिरिक्त उन्होंने मंदिर की गोशाला में अन्य गोवंश के साथ भी समय व्यतीत किया। गोशाला में सीएम योगी ने चारों तरफ भ्रमण करते हुए श्यामा, गौरी, गंगा, भोला आदि नामों से गोवंश को पुकारा। उनकी आवाज इन गोवंश के लिए जानी पहचानी है। प्यार भरी पुकार सुनते ही कई गोवंश दौड़ते-मचलते हुए उनके पास आ गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी के माथे पर हाथ फेरा, उन्हें खूब दुलारा और अपने हाथों से उन्हें गुड़ खिलाया। मुख्यमंत्री ने गोशाला के कार्यकर्ताओं से सभी गोवंश के स्वास्थ्य व पोषण की जानकारी ली और देखभाल के लिए जरूरी निर्देश दिए।

उनवल राज घराने के कर्मचारी की साइकिल चोरी

खजनी गोरखपुर।कस्बा संग्रामपुर उनवल नगर पंचायत में स्थित नई बाजार में उनवल राज घराने में काम करने वाले कस्बे के वार्ड संख्या 7 के निवासी स्वर्गीय रामकृपाल साहनी के पुत्र बृजेश साहनी की साइकिल को अज्ञात चोरों ने उड़ा दिया।

पीड़ित ने उनवल चौकी पर प्रार्थनापत्र देकर नामजद शिकायत दर्ज कराते हुए बताया है कि नई बाजार में स्थित नीम के पेड़ के नीचे साइकिल खड़ी करके काम करने गया था, सीसीटीवी फुटेज में साइकिल ले कर जाते हुए आरोपित नजर आ रहा है।

बता दें कि पुर्व में भी नगर पंचायत के सफाईकर्मी हरेंद्र की साईकिल चोरी हुई थी तथा वॉर्ड संख्या-1 के निवासी वीरेंद्र भारती की साईकिल भी चोरी हो गई थी जिसमें कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस प्रकार की छोटी मोटी चोरियों की लंबी फेहरिस्त है जिससे स्थानीय नगरवासी लंबे समय से परेशान हैं।

जिनमें कई लोग अपनी शिकायतें भी दर्ज नहीं कराते स्थानीय लोगों ने बताया कि नशे की लत के शिकार नगर क्षेत्र के चोरों के द्वारा आए दिन लगातार इसी तरह से चोरियां की जा रही हैं।इन छुटभैया चोरों में स्थानीय पुलिस का रत्तीभर भी खौफ नहीं है। लोगों ने कहा कि इसी तरह से चलता रहा तो यही चोर आगे चलकर किसी बड़ी वारदात को भी अंजाम दे सकते हैं।

जीरो वेस्ट इवेंट के तहत नगर प्रशासन ने सफाई कर्मीयों को किया सम्मानित

गोला गोरखपुर। प्रधानमंत्री मोदी जी के जन्मदिन पर सेवा संकल्प पखवाड़ा अभियान के तहत नगर पंचायत गोला प्रशासन व सभासद सहित सभी कर्मचारीयों ने एक पेड़ मां के नाम पर किया पौधरोपण व साथ ही नगर प्रशासन ने नगर कर्मचारियों को किया सम्मानित।नगर पंचायत गोला की चेयरमैन लालती देवी व अधिशासी अधिकारी संजय तिवारी के नेतृत्व में नगर कर्मचारियों व सभासद गणों ने प्रधान मंत्री मोदी के जन्मदिन को सेवा संकल्प पखवारा अभियान के तहत मनाते हुए नगर में जीरो वेस्ट इवेंट कार्यक्रम में हर घर से कूड़ा कलेक्शन करने वाले सभी कर्मचारियों को सम्मानित किया।

साथ ही नगर स्थित वार्ड नंबर 17 स्थित राम लीला मैदान एक पेड़ मां के नाम पर पौध रोपण कर नगर सहीत क्षेत्र वासियों से अपने घरों के अगल बगल एक पेड़ लगाने का अपील किया । भाजपा जिलाकोषाध्यक्ष व सभासद प्रतिनिधि शत्रुघ्न कसौधन दिनेश सिंह रमाशंकर डॉ राजेश जायसवाल सीताराम मद्धेशिया सोनू जी सोनू वर्मा अजय गुप्ता महबूब अली लल्लन मद्धेशिया अमरनाथ जयसवाल अरुण त्रिपाठी रणजीत सिंह सहित नगर कर्मचारी मौजूद रहे।

जलस्तर घटाव पर मुश्किलें बरकरार

गोला गोरखपुर।सरयू व राप्ती नदी का जलस्तर लगातार तीन दिनों तक वृद्धि के बाद बुधवार शाम से घटने लगी हैं जिससे बाढ़ से घिरे 20 गांव के लोगों ने राहत की सांस ली ।

जलस्तर में घटाव जरूर हो रहा हैं मगर मुश्किलें जस का तस हैं.

बाढ़ की भीषण मार झेल रहे बड़हलगंज बगहा के गौरी साहनी नन्हे पाल गोविंद निरजंन इंदल पाल सौदागर सिंह का कहना है कि बाढ़ के समय सभी लोग आश्वासन देकर चले जाते हैं।उनके आश्वासन से जनता का विश्वास टूट चुका हैं ।

राहत सामग्री वितरण की हो रही मांग

बाढ़ व कटान प्रभावित गांव बगहा के अमरनाथ बेचनी देवी बरडीहा के प्रेमसागर आदि का कहना है कि पाचवी बार भीषण आने से घरों में रखा खाद्यसामग्री बर्बाद हो गया हैं हम लोगो की मांग हैं कि तहसील प्रसाशन राहत सामग्री वितरण करें जिससे कुछ राहत मिल सके ।

शो पीस बन कर खड़ी पानी की टंकियां, हर घर नल योजना में बड़ी धांधली

खजनी गोरखपुर। केंद्र और प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जिसके तहत गांवों में हर घर तक पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था की गई है। किंतु जल निगम की लापरवाही से गांवों में बने हजारों लीटर को ओवर हेड वाटर टैंक (पानी की टंकियां) शो पीस बन कर खड़े हैं, और इनसे नियमित पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है। कदाचित ऐसा किसी एक गांव में होता तो इसे तकनीकि खराबी मान लिया जाता। लेकिन दुर्भाग्यवश सभी गांवों में पानी की आपूर्ति की व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है।

अधिकारियों की अनदेखी और विभागीय लापरवाही का नतीजा यह है कि पानी की सप्लाई के लिए जमीन के भीतर डाले गए पाइप टूट फूट कर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। गांवों की जिन सड़कों और गलियों से हो कर पाइप लाइन बिछाने का काम किया गया है उनकी मरम्मत भी नहीं की गई है। पानी आने और जाने की कोई समय सीमा भी निर्धारित नहीं है। वाटर लीकेज की समस्या और सप्लाई का पानी नहीं पहुंचने की समस्या से हर घर नल योजना पूरी तरह से फ्लॉप साबित हो गई है। गांवों के निवासियों की मानें तो कभी पानी आता है नहीं, विभागीय लापरवाही और अधिकारियों की मिलीभगत से पेयजल आपूर्ति व्यवस्था में लगे ठेकेदारों के द्वारा बड़ी धांधली के संकेत मिलते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि शिकायतें सुनने वाला कोई जिम्मेदार भी नजर नहीं आता टंकियों में पानी भरने और घरों तक सप्लाई का पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी किसे सौंपी गई है, इसका भी पता नहीं है। इसमें बड़ा खेला हुआ है।

मिली जानकारी के अनुसार खुटभार गांव में स्थित पशु अस्पताल के समीप बने बड़े ओवर हेड वाटर टैंक से पूरे खजनी कस्बे, खुटभार, रूद्रपुर, खुटहना आदि गांवों में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था की गई है लेकिन महीने में 15 दिन भी पानी नहीं आता है रूद्रपुर गांव की दलित बस्ती गायघाट और गौरापार मौजे में आज तक पानी की आपूर्ति नहीं हुई है। इसी प्रकार गोपालपुर गांव में बनी पानी की टंकी से घईसरा, पिपरां, बेलूडीहां और औंजी गांव में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था नहीं की गई है। गोपालपुर गांव में भी दर्जनों स्थानों पर पाइप फूटने लीकेज और पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था बदहाली का शिकार है। उसी प्रकार सर्वसीं गांव में बनी पानी की टंकी और सहसीं गांव में बनी पानी की टंकी से भी पेयजल की आपूर्ति नहीं हो रही है।

गांवों में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था बदहाली का शिकार है। सप्लाई शुरू होते ही सड़कों के किनारे संपर्क मार्गों पर और खेतों में जलभराव हो जाता है। इन अंडरग्राउंड फूटे पाइपों की मरम्मत नहीं की जाती है। कागजों में आंकड़ों के हिसाब से गांवों में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था ठीक बता कर सरकारी खजाने और धन का बंदरबांट हुआ है, तथा पानी के आपूर्ति की व्यवस्था पूरी तरह से फेल और बदहाली का शिकार हो चुकी है।

इलाके के अनिल कुमार तिवारी, दिलीप सिंह, राजेश पांडेय, विदुरमणि सिंह, पिंटू, शेषमणि पांडेय, श्रवण शेखर तिवारी, अलाउद्दीन, अवधेश तिवारी, सुधीर, मंगेश साहनी, अमित यादव, रमेश सिंह, धर्मेंद्र चौरसिया सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि हर घर नल योजना पूरी तरह से फ्लॉप साबित हो गई है, इसमें बड़े पैमाने पर धांधली और सरकारी धन का बंदरबांट किया गया है। इस संदर्भ में जल निगम के एक्सईएन अखिलानंद ने बताया कि समस्या गंभीर है, कार्यदाई संस्थाओं को सिर्फ 2 वर्षों तक मरम्मत की जिम्मेदारी दी जाती है। उसके बाद इसकी जिम्मेदारी ग्रामसभाओं की होती है, उन्होंने कहा कि शिकायतें दूर कराने की व्यवस्था की जाएगी।

पूर्व जिला पंचायत सदस्य की अंत्येष्टि ,आवास पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे लोग

खजनी गोरखपुर। ब्लॉक के भेउसा उर्फ बनकटा गांव के मूल निवासी रहे पूर्व जिला पंचायत सदस्य धर्मेंद्र सिंह (55 वर्ष) का आकस्मिक निधन हो गया। वे पिछले कुछ महीनों से गंभीर रूप से बीमार चल रहे थे। बीते माह से वह बीमार चल रहे थे, और एसजीपीजीआई लखनऊ में उनका इलाज चल रहा था। निधन की सूचना मिलते ही गांव तथा आसपास के क्षेत्रों में माहौल गमगीन हो गया। आकस्मिक निधन की सूचना पर उनके पैतृक निवास पर पहुंचे दर्जनों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और शोक संतप्त परिजनों को धैर्य बंधाया। आज बनकटां घाट कुआंनों नदी के तट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।

श्रद्धांजलि देने पहुंचे क्षेत्रीय विधायक श्रीराम चौहान, पूर्व विधायक संत प्रसाद खजनी ब्लॉक प्रमुख अंशु सिंह, बेलघाट ब्लॉक प्रमुख पूजा सिंह कौशिक, उरूवां ब्लॉक प्रमुख कृपाशंकर उर्फ जुगनू दुबे, डॉ बुद्धसागर सिंह, अरविंद सिंह, अनिल सिंह, रविंद्र सिंह, डब्लू सिंह, प्रदीप सिंह ,जंगशेर सिंह गुड्डू सिंह, सत्येंद्र बहादुर उर्फ पप्पू सिंह, संजय सिंह कृष्णमोहन सिंह, राजेंद्र यादव, हरेंद्र यादव, गया सिंह, उदय प्रताप सिंह, जयराम शाही, बालकेश मिश्रा, सुरेंद्र सिंह, शैलेंद्र कुमार सिंह, अवध बिहारी मिश्रा, गुड्डू सिंह, अखिलेश सिंह आदि लोगों ने उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताया।

ड्रग इंस्पेक्टर ने मेडिकल स्टोर पर छापा मारकर कर दवाईयों के भरे सैम्पल

गोरखपुर, बांसगांव। जिला औषधि निरीक्षक राहुल कुमार द्वारा आज बांसगांव कस्बे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सामने संचालित शक्ति मेडिकल स्टोर और शुभम मेडिकल स्टोर पर छापा मारा गया। कस्बे के अन्य दुकानदार अपनी अपनी दुकानें बंद कर मौके से फरार हो गए।

निरीक्षक के दौरान शक्ति मेडिकल स्टोर पर से ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा दो दवाओं का सैम्पल लिया गया।अन्य दवाओं का बिल मांगा गया।

शक्ति मेडिकल स्टोर के लाइसेंस की जांच जब जांच अधिकारी ने किया तो लाइसेंस में कही भी लैण्ड मार्किंग का जिक्र नहीं किया गया था।

ड्रग इंस्पेक्टर राहुल कुमार ने बताया कि शक्ति मेडिकल स्टोर पर छापे मारे तो लाइसेंस मे मस्जिद के बगल का स्थान दिखाया गया था जो वर्तमान स्टोर से सौ मीटर की दुरी पर है। शुभम मेडिकल स्टोर पर न तो फार्मासिस्ट मिला और न ही दुकान का मालिक। जिससे मौजूद कर्मचारियों को निकाल कर मेडिकल स्टोर को बंद करा दिया गया और लाइंसेंस सत्यापन तक बंद रखने को कहा गया।

राष्ट्र, धर्म और लोक कल्याण को समर्पित रहा महंत दिग्विजयनाथ का जीवन

गोरखपुर, 19 सितंबर। 1935 से 1969 तक नाथपंथ के विश्व विख्यात गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 55वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में गोरखनाथ मंदिर में साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह जारी है। धर्म, अध्यात्म और राष्ट्र एवं समाज को लेकर महंत जी के आदर्शों और मूल्यों के अनुरूप एक पहर में जीवन का रहस्योद्घाटन करने वाली श्रीमद्भागवत कथा की अमृतवर्षा हो रही है तो एक पहर में समाज और राष्ट्र को प्रभावित करने वाले विषयों पर विषय के विशेषज्ञ विद्वतजन चिंतन-मंथन कर विषय को समयानुकूल बना रहे हैं। साप्ताहिक कार्यक्रम में 20 सितंबर (अश्विन कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि), शुक्रवार को गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में महंत दिग्विजयनाथ की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा होगी। पुण्य स्मरण का यह आयोजन गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति भवन सभागार में पूर्वाह्न साढ़े दस बजे प्रारम्भ होगा जिसमें देशभर के प्रमुख संत उपस्थित रहेंगे।

पुण्यतिथि समारोह में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की स्मृतियों के जीवंत होने के इस अवसर पर यह जानना भी प्रासंगिक है कि उन्हें युगपुरुष क्यों कहा जाता है। महंत जी न केवल गोरखनाथ मंदिर के वर्तमान स्वरूप के शिल्पी रहे बल्कि उनका पूरा जीवन राष्ट्र, धर्म, अध्यात्म, संस्कृति, शिक्षा व समाजसेवा के जरिये लोक कल्याण को समर्पित रहा। तरुणाई से ही वह देश की आजादी की लड़ाई में जोरदार भागीदारी निभाते रहे तो देश के स्वतंत्र होने के बाद सामाजिक एकता और उत्थान के लिए। इसके लिए शैक्षिक जागरण पर उनका सर्वाधिक जोर रहा।

महंत दिग्विजयनाथ का जन्म वर्ष 1894 में वैशाख पूर्णिमा के दिन चित्तौड़, मेवाड़ ठिकाना ककरहवां (राजस्थान) में हुआ था। उनके बचपन का नाम नान्हू सिंह था। पांच वर्ष की उम्र में 1899 में इनका आगमन गोरखपुर के नाथपीठ में हुआ। अपनी जन्मभूमि मेवाड़ की माटी की तासीर थी कि बचपन से ही उनमें दृढ़ इच्छाशक्ति और स्वाभिमान से समझौता न करने की प्रवृत्ति कूट कूटकर भरी हुई थी। उनकी शिक्षा गोरखपुर में ही हुई और उन्हें खेलों से भी गहरा लगाव था। 15 अगस्त 1933 को गोरखनाथ मंदिर में उनकी योग दीक्षा हुई और 15 अगस्त 1935 को वह इस पीठ के पीठाधीश्वर बने। वह अपने जीवन के तरुणकाल से ही आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेते रहे। देश को स्वतंत्र देखने का उनका जुनून था कि उन्होंने 1920 में महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन के समर्थन में स्कूल छोड़ दिया। उन पर लगातार आरोप लगते थे कि वह क्रांतिकारियों को संरक्षण और सहयोग देते हैं। 1922 के चौरीचौरा के घटनाक्रम में भी उनका नाम आया लेकिन उनकी बुद्धिमत्ता के सामने ब्रिटिश हुकूमत को झुकना पड़ा और उन्हें रिहा कर दिया गया।

श्रीराम मंदिर आंदोलन में नींव के पत्थर हैं ब्रह्मलीन महंतश्री

अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर के निर्माण को लेकर हुए आंदोलनों में गोरक्षपीठ की महती भूमिका से सभी वाकिफ हैं। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ इस आंदोलन में नींव के पत्थर हैं। 1934 से 1949 तक उन्होंने लगातार अभियान चलाकर आंदोलन को न केवल नई ऊंचाई दी बल्कि 1949 में वह श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के नेतृत्वकर्ता भी रहे। 22-23 दिसंबर 1949 को अयोध्या में भगवान रामलला की मूर्ति प्रकट होने के नौ दिन पहले महंत दिग्विजय नाथ के नेतृत्व में अखंड रामायण के पाठ का आयोजन शुरू हो गया था। रामलला के प्रकट होने के समय महंत जी स्वयं वहां उपस्थित थे। पांच सौ वर्षों के इंतजार के बाद अयोध्या में प्रभु श्रीराम अपनी जन्मभूमि स्थित मंदिर में विराजमान हो चुके हैं। प्रभु रामलला के मंदिर निर्माण के लिए चले आंदोलन को उनके बाद उनके शिष्य महंत अवेद्यनाथ ने निर्णायक बनाया तो कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर निर्माण की शुभ घड़ी तब आई जब राज्य की सत्ता का नेतृत्व भी गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं। ऐसे में जब भी अयोध्या के श्रीराम मंदिर का जिक्र होगा, तो वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर के दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ आप ही स्मरित होंगे।

शिक्षा की जलाई ज्योति से प्रकाशित हो रहा पूर्वांचल

महंत दिग्विजयनाथ ने गोरखपुर और आसपास के क्षेत्रों के लिए शिक्षा की जो ज्योति जलाई, उससे आज पूरा अंचल प्रकाशित हो रहा है। शिक्षा क्रांति के लिए उन्होंने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। एक किराए के मकान में परिषद के अंतर्गत महाराणा प्रताप क्षत्रिय स्कूल शुरू हुआ। 1935 में इसे जूनियर हाईस्कूल की मान्यता मिली और 1936 में हाईस्कूल की भी पढाई शुरू हुई। नाम 'महाराणा प्रताप हाई स्कूल' हो गया। इसी बीच महंत दिग्विजयनाथ के प्रयास से गोरखपुर के सिविल लाइन्स में पांच एकड भूमि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद को प्राप्त हो गयी और महाराणा प्रताप हाईस्कूल का केन्द्र सिविल लाइन्स हो गया तथा देश के आजाद होते समय यह विद्यालय महाराणा प्रताप इन्टरमीडिएट कालेज के रुप में प्रतिष्ठित हुआ। 1949-50 में इसी परिसर में महाराणा प्रताप डिग्री कालेज की स्थापना महंतजी की अगुवाई में हुई। शिक्षा को लेकर उनकी सोच दूरदर्शी और निजी हित से परे थी। यही वजह थी कि उन्होंने 1958 में अपनी संस्था महाराणा प्रताप डिग्री कालेज को गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु दान में दिया। बाद में परिषद की तरफ से उनकी स्मृति में दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय की स्थापना की। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद्‌ द्वारा वर्तमान में करीब चार दर्जन शिक्षण संस्थाएं गोरखपुर क्षेत्र में संचालित हो रही हैं। इनमें प्राथमिक शिक्षा से लेकर विश्वविद्यालय, चिकित्सा शिक्षा एवं प्रौद्योगिकी शिक्षा तक के प्रकल्प सम्मिलित हैं।

राजनीति को भी लोक कल्याण का ध्येय माना

महंत दिग्विजयनाथ ने राजनीति में भी गोरक्षपीठ की लोक कल्याण की परंपरा को ही ध्येय बनाया। 1937 में वह हिन्दू महासभा में शामिल होकर उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की विधिवत शुरुआत की। महंत जी ने 1944 में हिन्दू महासभा के प्रांतीय अधिवेशन का ऐतिहासिक आयोजन गोरखपुर में कराया। महासभा के राजनीतिज्ञ होने के कारण 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के मिथ्यारोप में उन्हें बंदी बना लिया गया लेकिन सरकार को 1949 में दस माह बाद ससम्मान बरी करना पड़ा। राष्ट्र के हित में उन्होंने 1956 में पृथक पंजाबी राज्य के लिए मास्टर तारा सिंह के आमरण अनशन को सूझबूझ से समाप्त कराया। वह 1961 में अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष (हिन्दू राष्ट्रपति के रूप में) निर्वाचित हुए। धर्म व सामाजिक एकता के क्षेत्र में भी उनका योगदान अतुलनीय है। 1939 में अखिल भारतीय अवधूत भेष बारहपंथ योगी महासभा की स्थापना कर पूरे देश के संत समाज को लोक कल्याण व राष्ट्रहित के लिए एकजुट करने के लिए भी उन्हें याद किया जाता है। 1960 में हरिद्वार में अखिल भारतीय षडदर्शन सभा सम्मेलन की अध्यक्षता, 1961 में दिल्ली में अखिल भारतीय हिन्दू सम्मेलन का आयोजन व 1965 में दिल्ली में अखिल विश्व हिन्दू सम्मेलन का आयोजन भी उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों में शामिल हैं। 1967 में गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए महंतश्री 1969 में ब्रह्मलीन हुए लेकिन उनके व्यक्तित्व व कृतित्व की अमरता अहर्निश बनी हुई है।

गोसेवा भारतीय संस्कृति की अक्षुण्ण पहचान : स्वामी विद्या चैतन्य

गोरखपुर। नैमिषारण्य से पधारे स्वामी विद्या चैतन्य ने कहा कि गोसेवा भारतीय संस्कृति की अक्षुण्ण पहचान है। हम सनातनी भारतीय भारत और गाय, दोनों को समान भाव से देते हुए माता के सम्मान से विभूषित करते हैं इसलिए भारतीय संस्कृति और गोसेवा एक दूसरे के बिना अधूरे प्रतीत होंगे।

स्वामी विद्या चैतन्य गुरुवार को युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं और राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में समसामयिक विषयों के सम्मेलनों की श्रृंखला के पांचवें दिन ‘भारतीय संस्कृति एवं गोसेवा’ विषयक सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति ने गोमाता की सेवा को देव सेवा के तुल्य माना है। हमारी सनातनी मान्यता है कि गोमाता के अंगों में 33 कोटि देवता विद्यमान हैं।

गोमाता का दर्शन, उनका स्पर्श और गोदुग्ध का पान करने से सारे पाप, ताप और संताप समाप्त हो जाते हैं। महर्षि देवरहा बाबा ने कहा था कि गोबर के लेपन से घर में भी 33 कोटि देवों का वास होता है। गो की इसी महत्ता के चलते भारतीय लोगों ने गोसेवा को अनादिकाल से अपनी संस्कृति में सम्मिलित कर लिया। उन्होंने कहा कि आज हम यदि गोसेवा और गो संरक्षण से विमुख होंगे तो सीधे तौर पर भारतीय संस्कृति से विमुख होंगे। भारतीय संस्कृति में तो गो को आर्थिक समृद्धि का भी प्रमुख आधार माना गया है। वैदिक काल में किसी व्यक्ति की समृद्धि का मानक उसके पास गायों की संख्या होती थी। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति को उसका उत्कर्ष काल वापस दिलाने के लिए गोसेवा और गो संरक्षण को प्राथमिकता देनी होगी।

भारतीय संस्कृति और गोसेवा की ध्वजवाहक है गोरक्षपीठ

स्वामी विद्या चैतन्य ने कहा कि गोरक्षपीठ भारतीय संस्कृति और गोसेवा की ध्वजवाहक है। इस पीठ ने सदैव भारतीय संस्कृति और गोमाता के संरक्षण का बीड़ा उठाया है। किसी को भी भारतीय संस्कृति और गोसेवा का संगम कहीं देखना हो तो उसे गोरक्षपीठ आना चाहिए। यह पीठ भारतीय संस्कृति और गोसेवा के लिए सभी का मार्गदर्शन करती है। गोहत्या बंद करने के लिए संत समाज हमेशा अग्रणी रहा है और इसमें भी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका गोरक्षपीठ के संतों ने निभाई है।

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जागृत हुआ उत्तर प्रदेश का गौरव

स्वामी विद्या चैतन्य ने कहा कि भारतीय संस्कृति के रक्षक और गोसेवा के प्रतिमान योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तर प्रदेश का गौरव जागृत हुआ है। हर सनातनी को इसका गर्व है कि उत्तर प्रदेश का नेतृत्व एक संस्कृति संवाहक के हाथों में है। गोरक्षपीठ के गुरुजनों ने भारतीय संस्कृति और गोसेवा को जिस तरीके से आगे बढ़ाया उसी तरीके से योगी आदित्यनाथ इसे नई ऊंचाई प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश गोहत्या बंद करने की राह पर आगे बढ़ चला है। स्वामी विद्या चैतन्य ने कहा कि योगी जी के नेतृत्व में भारतीय संस्कृति की संरक्षण के लिए ही ऋषियों-मुनियों की भूमि नैमिषारण्य का विकास भी अयोध्या, काशी, मथुरा-वृंदावन की तर्ज पर हो रहा है।

सम्मेलन में नीमच (मध्य प्रदेश) से आए महंत लालनाथ ने कहा कि हमारे देश में पहले गोसेवा घर-घर की थी। सभी लोग गायों को रखते थे, और पर्याप्त मात्रा में दूध, घी, दही आदि का सेवन कर स्वस्थ व सुखी रहते थे। गाय हमारी दैनिक संस्कृति में सम्मिलित थी। पर, आज हम पाश्चात्य सभ्यता के अनुकरण में गोसेवा से दूर हो गए हैं। इसके चलते अनेक व्याधियों से ग्रसित भी हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस समय सौभाग्य से गोप्रेमी सरकार है, जिसके प्रयासों से आज गोमाता का सम्मान बढ़ा है। महंत लालनाथ ने गो संरक्षण के लिए गोरक्षपीठ के योगदान की भी चर्चा की और कहा कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी आजीवन गोरक्षा के प्रति समर्पित रहे। गोरक्षपीठ गायों के सम्मान व सेवा का कार्य करती है।

विदेशी नहीं देशी गाय पालें, इनके दूध में होता है स्वर्णभस्म

सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर के पूर्व आचार्य प्रो. कमलचंद्र योगी ने कहा कि आज गोमाता पर व्याख्यान देने की आवश्यकता इसलिए हो रही है कि हम अपने देशी गायों को छोड़‌कर जर्सी गायों के पीछे लग गये। देसी गायों के महत्व को भुलाकर उनका अपमान करना दुर्भाग्य की बात की है। देसी गायों के दूध में स्वर्ण भस्म पाया जाता है, जो हमारे शरीर के दोषों का नाशक होता है। गोमाता के गोमय और गोमूत्र में भी विभिन्न रोगों की औषधियां विद्यमान है। गोमाता के घृत से शरीर में कोलेस्ट्राल नहीं बढ़ता।

गाय की इसी महत्ता के कारण हमारी संस्कृति में इसे पशु नहीं माता का दर्जा दिया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, आभार ज्ञापन महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष राजेश मोहन सरकार, संचालन डॉ. श्रीभगवान सिंह, वैदिक मंगलाचरण डॉ रंगनाथ त्रिपाठी, गोरक्षाष्टक पाठ आदित्य पाण्डेय व गौरव तिवारी ने किया। पूर्व पशुधन प्रसार अधिकारी वरुण कुमार वर्मा वैरागी ने स्वरचित गोमाता की वंदना की प्रस्तुति की। इस अवसर पर रावत मंदिर अयोध्या धाम से आए महंत राममिलन दास, देवीपाटन शक्तिपीठ तुलसीपुर के महंत मिथिलेशनाथ, कालीबाड़ी के महंत रविंद्रदास आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

राष्ट्रीय पोषण माह के तहत गोद भराई व मेहंदी कार्यक्रम ,उनवल एपीएचसी में हुआ आयोजन
खजनी गोरखपुर।तहसील क्षेत्र के नगर पंचायत कस्बा संग्रामपुर उनवल के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आज राष्ट्रीय पोषण माह के तहत गर्भवती व धात्री महिलाओं को स्वस्थ्य रहने के दर्जनों उपाय बताए गए। इस दौरान उन्हें गर्भावस्था के दौरान अपने खान-पान पर विशेष ध्यान रखने के सुझाव दिए गए। पीएचसी पर पहुंची सभी गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण वजन, खून की जांच एवं लंबाई का माप एएनएम अनीता रानी ने किया।

गर्भवती महिलाओं में दो एचआरपी महिलाओं को मेहंदी लगाकर पोषण संदेश दिया गया। पूर्व सभासद अभिमन्यु तिवारी एवं कंपाउंडर ए.के. पांडेय के हाथों को गोद भराई कराई गई। सभी महिलाओं को मेहंदी लगाकर पोषण का संदेश दिया गया।

बता दें कि हर वर्ष सितंबर के महीने में मनाया जाने वाला यह एक वार्षिक अभियान है। इस अभियान का मकसद पोषण के बारे में जागरूक करना, कुपोषण मिटाना तथा बेहतर पोषण और स्वास्थ्य प्रथाओं को बढ़ावा देना है।इस दौरान मुख्य सेविका सुनीता शुक्ला, बेबी पांडेय, आशा, माया मौर्या, संतोष वर्मा, मंजू, बिंदू, रंजना, संगीता, सरिता कुशवाहा, संजय, वीरमती के अलावा दर्जनों महिलाएं मौजूद रहीं।