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Sep 03 2024, 10:58

हरियाणा विस चुनावः कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक, आप संग गठबंधन का है प्लान?

#haryanaelectionrahulgandhikeenoncongaapalliance

हरियाणा विधानसभा चुनावों को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के पक्ष में हैं। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेता राहुल गांधी का मानना है कि विधानसभा चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी से गठबंधन फायदे का सौदा हो सकता है। उन्होंने कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में हरियाणा के नेताओं से इस पर राय मांगी है। राहुल गांधी ने इस मामले पर फीडबैक देने को कहा है।

क्या कहा राहुल गांधी ने?

हरियाणा चुनाव को लेकर सीईसी की बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विधानसभा चुनावों के लेकर अहम बात कही है। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने अपनी राय रखते हुए कहा कि सूबे में आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से कांग्रेस को फायदा होगा और अगर दोनों पार्टियां अलग-अलग लड़ती हैं तो नुकसान उठाना पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि इस मसले पर पार्टी के सभी नेता एकमत दिखे।

पहले कर चुके हैं गठबंधन से इनकार

बता दें कि इससे पहले कांग्रेस नेता लगातार कहते आए थे कि हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर उनकी पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी के सीनियर लीडर पहले कई बार गठबंधन से इनकार कर चुके हैं। कुछ समय पहले हरियाणा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और सांसद कुमारी शैलजा ने एक इंटरव्यू में आप के साथ गठबंधन की संभावनाओं को साफ खारिज कर दिया था। वहीं, दिल्ली के सीएम और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल भी कई बार हरियाणा में कांग्रेस के साथ गठबंधन से इनकार कर चुके हैं।

हरियाणा, गुजरात, गोवा, दिल्ली और चंडीगढ़ में लोकसभा चुनाव में थे साथ

बता दें कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने हरियाणा, गुजरात, गोवा, दिल्ली और चंडीगढ़ में लोकसभा चुनाव संयुक्त रूप से लड़ा था। हालांकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन करके आम आदमी पार्टी को नुकसान हुआ था। आने वाला समय ही बताएगा की दोनों पार्टियां गठबंधन करती हैं या नहीं।

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Sep 03 2024, 10:07

आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष गिरफ्तार, जानें सीबीआई ने क्यों किया अरेस्ट?*
#cbi_arrested_sandip_ghosh_rg_kar_hospital
केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने सोमवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष को गिरफ्तार कर लिया। संदीप घोष की गिरफ्तारी के एक घंटे के भीतर, सीबीआई अधिकारियों ने उनके सुरक्षा गार्ड और दो विक्रेताओं को भी गिरफ्तार किया, जो उस अस्पताल में सामग्री की आपूर्ति करते थे। सीबीआई ने ये कार्रवाई आरजी कर हॉस्पिटल में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर की है। सीबीआई ने इस मामले में पिछले दिनों एफआईआर भी दर्ज की थी। बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ रेप के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी, जिस मामले की जांच सीबीआई कर रही है। 16 अगस्त से लगातार 15 दिनों तक संदीप को सीबीआई द्वारा पूछताछ का सामना करना पड़ा। पिछले शनिवार और रविवार को उनकी पूछताछ नहीं की गई थी, लेकिन सोमवार को उन्हें फिर से सीजीओ कॉम्प्लेक्स में तलब किया गया। शाम को सीबीआई के अधिकारी संदीप को वहां से निकालकर निजाम पैलेस ले गए। इसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसी ने सूचित किया कि संदीप को गिरफ्तार कर लिया गया है।रिपोर्ट के अनुसार गिरफ्तार किए गए तीन लोगों में संदीप घोष का सुरक्षा गार्ड अफसर अली खान और अस्पताल के दो विक्रेता बिप्लव सिंहा और सुमन हाजरा शामिल हैं। नौ अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर के साथ कथित दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद से तत्कालीन प्राचार्य संदीप की भूमिका पर सवाल उठने लगे थे। जांच का जिम्मा मिलने के बाद 15 अगस्त को सीबीआई ने उन्हें पहली बार तलब किया। उस दिन संदीप ने हाजिरी नहीं हुए। लेकिन अगले दिन सीबीआई ने उ्न्हें साल्ट लेक की सड़क से पकड़ लिया। संदीप को सीजीओ कॉम्प्लेक्स के सीबीआई दफ्तर ले गए। इसके बाद से 24 अगस्त तक लगातार 9 दिनों तक उन्हें सीजीओ में तलब किया गया। उन्हें रोजाना 10 से 14 घंटे तक सीबीआई दफ्तर में रहना पड़ा। सीबीआई ने आरजी कर हॉस्पिटल में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर जो एफआईआर दर्ज की थी, उसमें संदीप घोष, और तीन व्यापारिक संस्थाओं के नाम शामिल हैं। तीनों संस्थाओं को कथित वित्तीय घोटाले का लाभार्थी माना जा रहा है। इस मामले में ईडी भी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करेगी। इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों द्वारा दायर पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के आधार पर ईडी ईसीआईआर दर्ज करेगी। सीबीआई ने पिछले हफ्ते कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद मामले की जांच शुरू की है। 23 अगस्त को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच राज्य द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसाईटी) से सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था।यह निर्देश संस्थान के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली की याचिका के जवाब में आया, जिन्होंने संदीप घोष के कार्यकाल के दौरान राज्य संचालित संस्थान में कथित वित्तीय भ्रष्टाचार के कई मामलों की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराने की मांग की थी। अख्तर अली ने आरोप लगाया कि संदीप घोष के खिलाफ राज्य सतर्कता आयोग और एंटी करप्शन ब्यूरो के समक्ष एक साल पहले दायर की गई उनकी शिकायतों का कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बजाय, संस्थान से उनका ट्रांसफर कर दिया गया। याचिका में अख्तर अली ने संदीप घोष पर लावारिस लाशों की अवैध बिक्री, बायोमेडिकल कचरे की तस्करी और दवा और चिकित्सा उपकरण आपूर्तिकर्ताओं द्वारा भुगतान किए गए कमीशन के बदले निविदाएं पारित करने का आरोप लगाया। अली ने यह भी आरोप लगाया कि छात्रों पर परीक्षा पास करने के लिए 5 से 8 लाख रुपये के बीच राशि का भुगतान करने का दबाव डाला गया।

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Sep 02 2024, 20:01

पीएम मोदी ने किया बीजेपी के सदस्यता अभियान का आगाज, बोले- आंतरिक लोकतंत्र ना अपनाने का खामियाजा भुगत रहे कई दल*
#pm_narendra_modi_address_bjp_membership_drive_launch बीजेपी का सदस्‍यता अभ‍ियान सोमवार को से शुरू हो गया। पार्टी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदस्‍यता दिलाई। पीएम नरेंद्र मोदी ने मिस्ड कॉल के जरिए बीजेपी की सदस्यता ली। इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह समेत पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने सदस्‍यता ली।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के राष्ट्रीय सदस्यता अभियान के शुभारंभ के अवसर पर कहा कि बीजेपी अपने संविधान के आधार पर चलती है। पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज सदस्यता अभियान का एक और दौर शुरू हो रहा है। भारतीय जनसंघ से लेकर अब तक हमने देश में एक नई राजनीतिक संस्कृति लाने का भरसक प्रयास किया है। जब तक जिस संगठन के माध्यम से या जिस राजनीतिक दल के माध्यम से देश की जनता सत्ता सुपुर्द करती है, वो ईकाई, वो संगठन और वो दल अगर लोकतांत्रिक मूल्यों को नहीं जीता है, आंतरिक लोकतंत्र निरंतर उसमें पनपता नहीं है तो वैसी स्थिति बनती है जो आज देश कई दलों को हम देख रहे हैं। *भाजपा एकमात्र पार्टी,जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन करती है-पीएम मोदी* प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी है, जो अपनी पार्टी के संविधान अनुसार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए अपने कार्यों का विस्तार कर रही है और जन-सामान्य की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए अपने आप को निरंतर योग्य बनाती रहती है। मोदी ने कहा, मैं जब राजनीति में नहीं था, तो जनसंघ के जमाने में बड़े उत्साह के साथ कार्यकर्ता दीवारों पर पेंट करते थे, तो कई राजनीतिक दल के नेता अपने भाषण में मजाक उड़ाते थे कि दीवारों पर पेंट करने से सत्ता के गलियारों तक नहीं पहुंचा जा सकता है। हम वो लोग हैं, जिन्होंने दीवारों पर कमल पेंट किया, क्योंकि भरोसा था कि दीवारों पर पेंट किया गया कमल...कभी न कभी तो दिलों पर भी पेंट हो जाएगा। *नई राजनीतिक संस्कृति लाने का प्रयास किया-पीएम मोदी* पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, 'जनसंघ से लेकर अब तक हमने देश में एक नई राजनीतिक संस्कृति लाने का भरसक प्रयास किया है। जिस संघठन के माध्यम से देश की जनता सत्ता सुपुर्द करती है, वो ईकाई, वो संगठन, वो दल अगर लोकतांत्रिक मूल्यों को नहीं जीता है या उसके अंदर आंतरिक लोकतंत्र निरंतर नहीं पनपता है तो ऐसी स्थिति आती है जो आज हम देश कई दलों में देख रहे हैं। अमित भाई ने कहा कि देश में एकमात्र यही एक दल है जो पार्टी के संविधान का अक्षरश: पालन कर रहा है।' *जहां चुनौती है, वहां दिलों में कमल खिलाना है-पीएम मोदी* पीएम मोदी ने कहा कि यह दल ऐसे ही यहां तक नहीं पहुंचा। अनेक पीढ़ियां खप गई है। तब जाकर यह दल लोगों के दिलों में जगह बना पाया है। मैं जब राजनीति में नहीं था, जनसंघ के जमाने में बड़े उत्साह के साथ कार्यकर्ता दीवारों पर दीपक (जनसंघ) पेंट करते थे। तब कई राजनीतिक दल के नेता मजाक उड़ाते थे कि दीवारों पर दीपक जलाने से सत्ता के गलियारे तक नहीं पहुंचा जा सकता है। हम वो लोग हैं जिन्होंने दीवारों पर इतनी श्रद्धा से पेंट किया कि दीवारों पर पेंट किया हुआ कमल कभी न कभी तो दिलों पर पेंट हो जाएगा। कुछ लोग हमेशा हमारा मजाक उड़ाते रहे। जब संसद में हमारे दो सदस्य थे तब भी इतना भद्दा मजाक उड़ाया गया था। कुछ लोगों का चरित्र ही ऐसा होता है। ऐसी सभी आलोचनाओं को झेलते हुए हम जनसामान्य के कल्याण के लिए समर्पित होकर नेशन फर्स्ट की भावना को जीते हुए चलते ही रहे। पीएम मोदी ने कहा कि चुनौती को चुनौती देना बीजेपी की रगों में है। जहां चुनौती है, वहां दिलों में कमल खिलाना है।

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Sep 02 2024, 19:41

कांग्रेस ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर लगाए गंभीर आरोप, “एक साथ तीन जगह से ले रही थीं सैलरी”*
#congress_leader_pawan_khera_on_sebi_chief_madhabi_puri_buch_salary

कांग्रेस ने शेयर बाजार रेग्युलेटर सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाएं है। कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर माधवी पर सेबी से जुड़े होने के दौरान ICICI बैंक समेत 3 जगहों से सैलरी लेने का आरोप लगाया। आपको बता दें कि बीते महीने अमेरिकी शॉर्ट सेलर फंड हिंडनबर्ग ने व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा था कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की उन ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी रही है, जो अदाणी समूह की फाइनेंशियर अनियमितताओं से जुड़ी हुई थीं। *देश में शतरंज का खेल चल रहा-खेड़ा* कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि देश में शतरंज का खेल चल रहा है। आखिर इस शतरंज के खिलाड़ी कौन हैं। उन्होंने कहा साल 2017 से 2024 तक 16 करोड़ से अधिक रुपये लिए। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, 'सेबी की भूमिका शेयर बाजार को विनियमित करना है, जहां हम सभी अपना पैसा लगाते हैं। इसकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। सेबी के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है? यह कैबिनेट, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नियुक्ति समिति है। सेबी के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए इस समिति में दो सदस्य हैं। जब वह (सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच) 2017 से 2024 के बीच ICICI बैंक से 16 करोड़ 80 लाख रुपये की नियमित आय ले रही थीं। आप सेबी की पूर्णकालिक सदस्य भी हैं। आप ICICI से वेतन क्यों ले रही थीं?' *हिंडनबर्ग ने सेबी को लेकर किया था दावा* अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अगस्त में एक रिपोर्ट जारी की। इसमें दावा किया गया है कि सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है। व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों के आधार पर हिंडनबर्ग ने दावा किया कि बुच और उनके पति की मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में हिस्सेदारी है। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में कथित तौर पर अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने अरबों डॉलर निवेश किए हैं। इस पैसे का इस्तेमाल अडाणी ग्रुप के शेयरों के दामों में तेजी लाने के लिए किया गया था। *माधबी बुच ने आरोपों से इनकार किया था* माधवी बुच ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार और चरित्र हनन का प्रयास बताया। सेबी चेयरपर्सन ने सभी फाइनेंशियल रिकॉर्ड डिक्लेयर करने की इच्छा व्यक्त की है। अपने पति धवल बुच के साथ एक जॉइंट स्टेटमेंट में उन्होंने कहा, 'हमारा जीवन और फाइनेंसेस एक खुली किताब है।

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Sep 02 2024, 18:46

अभिषेक सिंघवी ने कहा- खत्म कर देना चाहिए राज्यपाल का पद, जानें क्यों की ऐसी मांग?*
#abhishek_manu_singhvi_said_governor_post_should_be_abolished *
कांग्रेस नेता और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यपाल के पद को लेकर बड़ा बयान दिया है। राज्यपालों और विपक्षी नेतृत्व वाली राज्य सरकारों के बीच बढ़ते संघर्षों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंहवी ने कहा कि या तो राज्यपाल का पद खत्म कर देना चाहिए या फिर सबकी सहमति से ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति करनी चाहिए जो तुच्छ राजनीति में शामिल न हो। इस दौरान कांग्रेस नेता ने केंद्र सरकार पर राज्यपालों की भूमिका को दयनीय बनाने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि संसद के दोनों सदनों में अध्यक्ष की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सुधार किए जाएं। अभिषेक सिंघवी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को एक साक्षात्कार दिया। पीटीआई को दिए इंटरव्यू में सिंघवी ने संसद में आसन और विपक्ष के बीच टकराव को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘यह बहुत दुखद है.. इस कार्यकाल के पूरा होने तक मैं राज्यसभा में 20 साल की अवधि पूरी कर लूंगा। मैं संसदीय भावना को महत्व देता हूं। मैं वास्तव में इसमें विश्वास करता हूं। मेरा मानना है कि सेंट्रल हॉल मात्र एक जगह नहीं है, यह एक ‘अवधारणा’ (कॉन्सेप्ट) है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं दलगत भावना से अलग विशाल हृदय वाली उदारता में विश्वास करता हूं।‘ *सांसदों के निलंबन पर ये कहा* पिछली एनडीए सरकार के दौरान संसद के शीतकालीन सत्र में बड़े पैमाने पर सांसदों के निलंबन के संदर्भ में उन्होंने कहा, 'आप यह कहकर लोकतंत्र को नकार नहीं सकते कि असहमति के कारण मैं 142 लोगों को निलंबित कर दूंगा। विपक्ष को अपनी बात रखनी होगी और अंततः सरकार का अपना रास्ता होगा। लेकिन मुझे अपनी बात कहने की जरूरत है और आपको अपनी बात कहने की, उस प्रक्रिया को अपने आप चलने दीजिए। सिर्फ दिखावे के लिए संसद (आर्टिफिशियल पार्लियामेंट) नहीं हो सकती।' उन्होंने कहा कि अब यह राज्यों में भी हो रहा है और किसी एमएलसी को सिर्फ इस वजह से सदन से निष्कासित कर दिया जाता है कि उसने सरकार की आलोचना की। *स्पीकर के चुनाव पर खड़े किए सवाल* आगे उन्होंने बिना किसी राज्य का नाम लिए कहा कि अब तो राज्यों में भी यही हो रहा है। वहां किसी एमएलसी को मात्र इस कारण सदन से बाहर कर दिया जाता है कि उसने सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र का सार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विचार की स्वतंत्रता है। इस दौरान उन्होंने इंग्लैंड की संसदीय व्यवस्था का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि यह पहले भारतीय संसदीय व्यवस्था में था, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। आज हमारे यहां ऐसा है कि सत्ता धारी दल पहले से तय कर लेते हैं कि अगली संसद में फलाना व्यक्ति स्पीकर होगा, ऐसे में चुनाव से पहले उनकी सीट से कोई दूसरा चुनाव नहीं लड़ेगा और वह व्यक्ति निर्विरोध निर्वाचित हो जाएगा। *राज्यपालों की भूमिका बहुत दयनीय- अभिषेक मनु सिंघवी* सिंघवी ने राज्यपालों की भूमिका को लेकर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने केंद्र पर हमला करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार ने राज्यपालों की भूमिका बहुत दयनीय कर दी है। इस सरकार ने हर संस्था को नीचा दिखाया है। उन्होंने कहा कि आज राज्यपाल शासन को अवरुद्ध करते हैं। आज उनके स्तर पर विधेयकों को मंजूरी देने में विलंब होता है। तमिलनाडु में 10 विधेयकों को रोककर रखा गया था। तब जैसे ही मैंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया तो उससे एक दिन पहले ही दो तीन विधेयकों को मंजूरी दे दी गई और बाकी को राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया।

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Sep 02 2024, 18:45

अभिषेक सिंघवी ने कहा- खत्म कर देना चाहिए राज्यपाल का पद, जानें क्यों की ऐसी मांग?*
#abhishek_manu_singhvi_said_governor_post_should_be_abolished *
कांग्रेस नेता और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यपाल के पद को लेकर बड़ा बयान दिया है। राज्यपालों और विपक्षी नेतृत्व वाली राज्य सरकारों के बीच बढ़ते संघर्षों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंहवी ने कहा कि या तो राज्यपाल का पद खत्म कर देना चाहिए या फिर सबकी सहमति से ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति करनी चाहिए जो तुच्छ राजनीति में शामिल न हो। इस दौरान कांग्रेस नेता ने केंद्र सरकार पर राज्यपालों की भूमिका को दयनीय बनाने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि संसद के दोनों सदनों में अध्यक्ष की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सुधार किए जाएं। अभिषेक सिंघवी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को एक साक्षात्कार दिया। पीटीआई को दिए इंटरव्यू में सिंघवी ने संसद में आसन और विपक्ष के बीच टकराव को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘यह बहुत दुखद है.. इस कार्यकाल के पूरा होने तक मैं राज्यसभा में 20 साल की अवधि पूरी कर लूंगा। मैं संसदीय भावना को महत्व देता हूं। मैं वास्तव में इसमें विश्वास करता हूं। मेरा मानना है कि सेंट्रल हॉल मात्र एक जगह नहीं है, यह एक ‘अवधारणा’ (कॉन्सेप्ट) है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं दलगत भावना से अलग विशाल हृदय वाली उदारता में विश्वास करता हूं।‘ *सांसदों के निलंबन पर ये कहा* पिछली एनडीए सरकार के दौरान संसद के शीतकालीन सत्र में बड़े पैमाने पर सांसदों के निलंबन के संदर्भ में उन्होंने कहा, 'आप यह कहकर लोकतंत्र को नकार नहीं सकते कि असहमति के कारण मैं 142 लोगों को निलंबित कर दूंगा। विपक्ष को अपनी बात रखनी होगी और अंततः सरकार का अपना रास्ता होगा। लेकिन मुझे अपनी बात कहने की जरूरत है और आपको अपनी बात कहने की, उस प्रक्रिया को अपने आप चलने दीजिए। सिर्फ दिखावे के लिए संसद (आर्टिफिशियल पार्लियामेंट) नहीं हो सकती।' उन्होंने कहा कि अब यह राज्यों में भी हो रहा है और किसी एमएलसी को सिर्फ इस वजह से सदन से निष्कासित कर दिया जाता है कि उसने सरकार की आलोचना की। *स्पीकर के चुनाव पर खड़े किए सवाल* आगे उन्होंने बिना किसी राज्य का नाम लिए कहा कि अब तो राज्यों में भी यही हो रहा है। वहां किसी एमएलसी को मात्र इस कारण सदन से बाहर कर दिया जाता है कि उसने सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र का सार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विचार की स्वतंत्रता है। इस दौरान उन्होंने इंग्लैंड की संसदीय व्यवस्था का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि यह पहले भारतीय संसदीय व्यवस्था में था, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। आज हमारे यहां ऐसा है कि सत्ता धारी दल पहले से तय कर लेते हैं कि अगली संसद में फलाना व्यक्ति स्पीकर होगा, ऐसे में चुनाव से पहले उनकी सीट से कोई दूसरा चुनाव नहीं लड़ेगा और वह व्यक्ति निर्विरोध निर्वाचित हो जाएगा। *राज्यपालों की भूमिका बहुत दयनीय- अभिषेक मनु सिंघवी* सिंघवी ने राज्यपालों की भूमिका को लेकर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने केंद्र पर हमला करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार ने राज्यपालों की भूमिका बहुत दयनीय कर दी है। इस सरकार ने हर संस्था को नीचा दिखाया है। उन्होंने कहा कि आज राज्यपाल शासन को अवरुद्ध करते हैं। आज उनके स्तर पर विधेयकों को मंजूरी देने में विलंब होता है। तमिलनाडु में 10 विधेयकों को रोककर रखा गया था। तब जैसे ही मैंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया तो उससे एक दिन पहले ही दो तीन विधेयकों को मंजूरी दे दी गई और बाकी को राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया।

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Sep 02 2024, 17:53

पैरालंपिक 2024 में भारत को मिला दूसरा गोल्ड, नितेश कुमार ने बैडमिंटन में जीता स्वर्ण

#paralympics_2024_nitesh_kumar_won_gold

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत का दूसरा गोल्ड है।नीतेश कुमार ने पैरालंपिक गेम्स 2024 में अपने सपने को साकार करते हुए गोल्ड मेडल जीत लिया है।नितेश कुमार ने मेंस सिंग्लस बैडमिंटन एसएल3 में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। इसी के साथ भारत की झोली में अब कुल 9 मेडल हो गए हैं। जिनमें दो स्वर्ण हैं।

नीतेश ने ब्रिटिश पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी डैनियल बेथेल को पुरुष एकल एसएल3 वर्ग के पदक मुकाबले में 21-14, 18-21, 23-21 के स्कोर से हरा दिया। इस मुकाबले का पहला गेम नितेश ने 21-14 से जीता। हालांकि, वह दूसरे गेम में पिछड़ गए और बेथेल ने यह गेम 18-21 से अपने नाम किया। तीसरे गेम में दोनों खिलाड़ियों के बीच काफी कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने मिली और एक समय स्कोर 20-20 पर पहुंच गया था। हालांकि, नितेश ने 23-21 से यह गेम जीतकर स्वर्ण पदक हासिल किया।

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत के लिए पहला गोल्ड मेडल शूटर अवनि लेखरा ने जीता था। उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल SH1 में गोल्ड अपने नाम किया था। अब नितेश कुमार ने इस कारनामे को दोहराया है। बता दें, 2 गोल्ड के अलावा भारत की झोली में अभी तक 3 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज मेडल भी आ चुके हैं। बता दें, भारत को आज दो और गोल्ड मेडल मैच खेलने हैं। ऐसे में मेडल के साथ-साथ गोल्ड मेडल की संख्या भी बढ़ने की उम्मीद है।

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Sep 02 2024, 16:38

विपक्ष की टीम में आरएसएस! जातीय जनगणना का संघ ने किया समर्थन, जानें क्या है इसके पीछे की वजह?*
#rss_big_statement_on_caste_census लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने मोदी सरकार पर जातीय जनगणना नहीं कराने का आरोप लगाया। इसके साथ ही कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष समेत कई पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र में दावा किया था कि जैसे बिहार में नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना कराई और उसके नतीजों को सबके सामने रखा। ठीक उसी तरह सरकार में आने के बाद वह पूरे देश में जातीय जनगणना कराएंगे। हालांकि, विपक्ष की ये कामना पूरी नहीं हो सकी। हालांकि, अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने जातीय जनगणना को लेकर बड़ा बयान दिया है।केरल के पलक्कड़ में तीन दिन तक चली समन्वय बैठक के समापन के बाद आरएसएस ने विपक्ष के जाति जनगणना के लिए अपना समर्थन जताया है, मगर कुछ शर्तें भी रखी हैं। संघ की समन्वय बैठक में जातीय जनगणना के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। संघ ने जातीय जनगणना को संवेदनशील मुद्दा बताते हुए कहा कि जातीय जनगणना संवेदनशील विषय है। इससे समाज की एकता और अखंडता को खतरा हो सकता है। पंच परिवर्तन के तहत की गई इस चर्चा में संगठन ने फैसला किया है कि व्यापक पैमाने पर समरसता को बढ़ावा देने के लिए काम किया जाएगा। यह राष्ट्रीय एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण है। संघ ने कहा कि जातीय जनगणना का इस्तेमाल चुनाव प्रचार और चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए बल्कि कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए और खासतौर पर दलित समुदाय की संख्या जानने के लिए सरकार उनकी गणना कर सकती है। आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि जातिगत जनगणना देश की एकता-अखंडता के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसलिये इसको बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है। इस पर राजनीति नहीं की जा सकती है। जातिगत आंकड़ों का इस्तेमाल अलग-अलग जातियों और समुदाय की भलाई के लिए करना चाहिए।सुनील आंबेकर ने कहा कि संघ की राय स्पष्ट है, कौन सी जाति किस मामले में पिछड़ गई है, किन समुदाय पर विशेष ध्यान की जरूरत है, इन चीजों के लिए कई बार सरकार को उनकी संख्या की जरूरत पड़ती है। ऐसा पहले भी हो चुका है। हां, जातिगत नंबर का इस्तेमाल उनकी भलाई के लिए किया जा सकता है। न कि इसे चुनावी मुद्दा बनाना चाहिए और राजनीति के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। अब तक संघ ने जाति-विहीन समाज की वकालत की है। वहीं, संघ ने जातिगत जनगणना न तो इसका समर्थन किया और न ही विरोध। हालांकि, आरएसएस पर हमेशा से जाति जनगणना के खिलाफ रहने का आरोप लगता रहा है। पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि “भाजपा को चलाने वाला आरएसएस हमेशा से जाति जनगणना के खिलाफ रहा है। उनका रुख बिल्कुल स्पष्ट है। दलितों और पिछड़ों को उनका हक किसी भी कीमत पर नहीं मिलना चाहिए। इसी घृणित सोच के कारण 100 वर्षों में एक भी आरएसएस अध्यक्ष दलित या पिछड़े वर्ग से नहीं हुआ। देश में सामाजिक और आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए जाति जनगणना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे शोषित, वंचित, दलित और पिछड़े वर्ग के लिए नीतियां बनाई जा सकेंगी, ताकि उन्हें समाज में समान अधिकार मिल सकें। आरएसएस और बीजेपी इसी बात से डरते हैं।” हालांकि, आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने इस साल की शुरुआत में आरक्षण की वकालत की थी और कहा था कि कोटा तब तक जारी रहना चाहिए जब तक समाज में भेदभाव है। यह बयान भागवत के पहले के रुख से हटकर था। 2015 में, उन्होंने गैर-पक्षपातपूर्ण पर्यवेक्षकों के एक पैनल द्वारा आरक्षण की समीक्षा का आह्वान किया था। बता दें कि हाल के दिनों में कांग्रेस ने इस मुद्दे को बहुत एग्रेसिव तरीके से उठाया। राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना की मांग के साथ-साथ यह नारा दिया कि ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी भागीदारी’। उन्होंने मांग की कि जातीय जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक हर जाति को आरक्षण भी मिलना चाहिए। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने जातीय जनगणना के मुद्दे को ज्यादा भाव नहीं दिया। उल्टा बिहार के जातिगत जनगणना पर तमाम सवाल भी उठाए। पर 2024 के चुनाव में जिस तरीके से उसे नुकसान हुआ और नीतीश-नायडू जैसे नेताओं से सहयोग लेकर सरकार बनानी पड़ी, उससे दबाव बढ़ा है। 2024 के चुनाव नतीजों ने संघ और बीजेपी को झकझोर दिया। भले ही वो ये कहें कि सबकुछ ठीक-ठाक है लेकिन अंदरखाने राजनीतिक रूप से बहुत प्रभाव पड़ा है। संघ और बीजेपी सोचने पर मजबूर हुई कि जिस तरीके से दलितों-पिछड़ों ने वोट की ताकत दिखाई, वो भाजपा के लिए बड़ा खतरा है। 90 के दशक की गैर भाजपाई-गठबंधन सरकारों का दौर लौट सकता है। उसको रोकने के लिए एक तरीके से संघ को मजबूरन यह स्टैंड लेना पड़ा। हालांकि, भले ही आरएसएस ने अपना रूख साफ कर दिया हो, लेकिन बीजेपी के लिए ये फैसला लेना अभी भी मुश्किल होगा। दरअसल, बीजेपी के सामने असल दुविधा ये है कि पार्टी को लगता है कि जातिगत जनगणना के बाद नंबर के मुताबिक आरक्षण की मांग भी उठेगी। ऐसे में बीजेपी के परंपरागत अगड़ी जातियों के वोटर नाराज हो सकते हैं।

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Sep 02 2024, 15:43

भारत ने पैरालंपिक में जीता एक और मेडल, योगेश कथुनिया को डिस्कस थ्रो में मिला सिल्वर

#yogesh_kathuniya_wins_silver_medal_in_men_discus_throw_paris_paralympics

भारत के योगेश कथुनिया ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पेरिस पैरालंपिक में पुरुषों के एफ56 चक्का फेंक स्पर्धा में 42.22 मीटर के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ रजत पदक जीता।योगेश ने लगातार दूसरे पैरालंपिक गेम्स में सिल्वर मेडल अपने नाम किया है। उन्होंने इससे पहले टोक्यो गेम्स में भी यही मेडल जीता था। इस तरह भारत अब तक इन खेलों में आठ पदक जीत चुका है जिसमें एक स्वर्ण भी शामिल है।

पेरिस के स्टैड डि फ्रांस में हो रहे पैरालंपिक के एथलेटिक्स इवेंट में भारत की झोली में ये मेडल आया। योगेश कथुनिया ने मेन्स डिस्कस थ्रो एफ 56 इवेंट में सिल्वर मेडल अपने नाम किया। खास बात ये है कि योगेश ने अपने पहले ही प्रयास में ये थ्रो किया था, जो उन्हें मेडल जिताने के लिए काफी था। ये इस सीजन में योगेश का बेस्ट थ्रो भी था। योगेश कथुनिया का पहला थ्रो 42.22 मीटर का फेंका। इसके बाद दूसरा, तीसरा, चौथा और पांचवां क्रमश 41.50 मीटर, 41.55 मीटर, 40.33 मीटर और 40.89 मीटर का रहा।

योगेश कथुनिया ने इससे पहले टोक्यो ओलंपिक 2020 में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। इस तरह उन्होंने लगातार दूसरे पैरालंपिक गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है।पैरालंपिक 2024 में भारत को एथलेटिक्स में ये चौथा मेडल मिला है। उनसे पहले प्रीति पाल ने 100 मीटर और 200 मीटर की अपनी कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीते थे। वहीं निषाद कुमार ने मेंस हाई जंप में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। निषाद ने भी लगातार दूसरे पैरालंपिक में सिल्वर जीता था। अब योगेश ने भी अपनी सफलता को दोहराया है। कथूनिया की ये सफलता इसलिए भी खास है क्योंकि सिर्फ 9 साल की उम्र से ही वो अपनी शारीरिक समस्या से जूझ रहे हैं।

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Sep 02 2024, 15:27

अगर भारत ने शेख हसीना को बांग्लादेश नहीं भेजा तो...',खालिदा जिया की पार्टी के नेता को है संबंधों की चिंता या दे रहे धमकी?

#bangladesh_crisis_bnp_mirza_alamgir_if_india_not_send_hasina_bilateral_relations_will_deteriorate

पांच अगस्त को प्रधानमंत्री पद और देश छोड़ने वालीं शेख हसीना इन दिनों भारत में हैं। मगर शेख हसीना का भारत में होना बांग्लादेश को रास नहीं आ रहा है।बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि शेख हसीना के प्रत्यार्पण को लेकर भारत-बांग्लादेश संबंधों पर बयान दिया है। हालांकि उनके बयान से उस तरह के सवाल उठ रहे है कि उन्हें दोनों देशों के संबंधों की चिंता सता रही है या वो शेख हसीने के प्रत्यारण के बहाने भारत को धमकाने का कोशिश कर रहे हैं?

दरअसल, खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करना महत्वपूर्ण है, जो पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण के साथ शुरू होना चाहिए, क्योंकि भारत में उनकी निरंतर उपस्थिति द्विपक्षीय संबंधों को और नुकसान पहुंचा सकती है। बीएनपी में दूसरे नंबर के नेता आलमगीर ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी पार्टी भारत के साथ मजबूत संबंधों की इच्छुक है। उन्होंने कहा कि वह ‘‘पिछले मतभेदों को दूर करने और सहयोग करने के लिए’’ तैयार हैं।

आलमगीर ने कहा कि अगर भारत हसीना की बांग्लादेश वापसी सुनिश्चित नहीं करता है, तो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध खराब होंगे। उन्होंने कहा, ‘यहां पहले ही भारत के खिलाफ गुस्सा है, क्योंकि उसे शेख हसीना की निरंकुश सरकार के समर्थक के रूप में देखा जाता है। अगर आप बांग्लादेश में किसी से भी पूछेंगे, तो वह यही कहेगा कि भारत ने शेख हसीना को शरण देकर ठीक नहीं किया।‘

बीएनपी नेता ने कहा कि हिंदुओं को निशाना बनाए जाने की खबरें सही नहीं हैं, क्योंकि ज्यादातर घटनाएं सांप्रदायिक होने के बजाय राजनीति से प्रेरित थीं। उन्होंने कहा, ‘शेख हसीना को खुद और अपनी सरकार की ओर से किए गए सभी अपराधों और भ्रष्टाचार के लिए बांग्लादेश के कानून का सामना करना पड़ेगा। इसे संभव बनाने और बांग्लादेश के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए भारत को उनकी बांग्लादेश वापसी सुनिश्चित करनी चाहिए।‘

एक साक्षात्कार में आलमगीर ने कहा कि अगर बीएनपी सत्ता में आती है, तो वह आवामी लीग सरकार के दौरान हुए ‘विवादित’ अडाणी बिजली समझौते की समीक्षा और पुन: मूल्यांकन करेगी, क्योंकि इससे बांग्लादेश के लोगों पर ‘भारी दबाव’ पड़ रहा है। उन्होंने दावा किया कि यह भारत की कूटनीतिक विफलता है कि वह बांग्लादेश के लोगों की मानसिकता को समझने में नाकाम रहा। आलमगीर ने कहा कि जन आक्रोश के बीच हसीना सरकार के पतन के बाद भी ‘भारत सरकार ने अभी तक बीएनपी से बातचीत नहीं की है, जबकि चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और पाकिस्तान पहले ही बात कर चुके हैं।’

बता दें कि पिछले महीने अगस्त में आरक्षण के खिलाफ बांग्लादेश में हिंसका छात्र आंदोलन में 400 से अधिक लोगों की जान गई थी। छात्र आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण व्यवस्था में सुधार किया लेकिन बाद में छात्रों ने शेख हसीना से इस्तीफे की मांग की। उग्र भीड़ ढाका में पीएम आवास की तरफ बढ़ने लगी थी। बांग्लादेश सेना के दबाव में शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और अपना देश भी छोड़ना पड़ा था।