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फराह खान और साजिद खान की मां मेनका ईरानी का हुआ निधन,कुछ दिन पहले ही मनाया 79वां जन्मदिन


दिल्ली:- कोरियोग्राफर-निर्देशक फराह खान और निर्देशक साजिद खान की मां मेनका ईरानी का आज, 26 जुलाई 2024 को निधन हो गया हैं, कोरियोग्राफर और डायरेक्टर फराह खान और उनके भाई साजिद खान के सर से मां का साया हट गया है।उनकी मां मेनका ईरानी का निधन हो गया है। 26 जुलाई को उन्होंने 79 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। रिपोर्ट्स की मानें तो मेनका पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं।

विरल भयानी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर उनके निधन की जानकारी दी है। जिसमें लिखा है, “फराह खान और उनके भाई साजिद खान और उनके आस-पास के सभी लोगों के लिए जीवन पहले जैसा नहीं रहेगा। आज, उनकी मां स्वर्गीय यात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं, और अपने पीछे एक ऐसा खालीपन छोड़ गई जिसे कोई भी नहीं भर सकता।”

“कुछ दिन पहले ही फराह ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया था, ‘हम सभी अपनी मां को हल्के में लेते हैं…खासकर मैं! पिछले महीने यह एहसास हुआ कि मैं अपनी मां मेनका से कितना प्यार करती हूं.. वह सबसे मजबूत, सबसे बहादुर व्यक्ति हैं जिन्हें मैंने कभी देखा है.. कई सर्जरी के बाद भी हास्य की भावना बरकरार है। जन्मदिन मुबारक हो मां! आज घर वापस आने के लिए अच्छा दिन है। मैं तुम्हारे जितना स्ट्रांग होने का इंतजार नहीं कर सकती कि तुम मुझसे फिर से लड़ना शुरू कर सको..मैं तुमसे प्यार करती हूं’।”

कुछ दिन पहले ही फराह ने अपनी मां का जन्मदिन मनाया था और मां के लिए अपने प्यार को खुलकर बयां किया था। अब उनके निधन से वह बेहद दुखी हैं। मेनका ईरानी के निधन की खबर से सभी को काफी दुख हुआ है। फराह और साजिद खान के करीबी उनके घर पर पहुंचने लगे हैं।

बता दें कि मेनका ईरानी अपने जमाने में एक्ट्रेस रह चुकी थीं। वह साल 1963 में आई फिल्म ‘बचपन’ में नजर आई थीं। इसके साथ ही वह डेजी ईरानी और हनी ईरानी की बहन थीं। उन्होंने फिल्म निर्माता कामरान से शादी की थी।

दुनिया की पांच सबसे बड़ी कोयला खानों में से दो खानें भारत में स्थित है


नई दिल्ली : वर्ल्ड एटलस डॉट कॉम की ओर से विश्‍व की 10 सबसे बड़ी कोयला खानों की सूची जारी की गई है। इसमें दो कोल इंडिया की है। छत्तीसगढ़ स्थित कोल इंडिया की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की गेवरा और कुसमुंडा कोयला खानों को क्रमश: दूसरा और चौथा स्थान प्राप्‍त हुआ है।

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित ये दोनों खानें प्रतिवर्ष 100 मिलियन टन से अधिक कोयला का उत्‍पादन करती हैं, जो भारत के कुल कोयला उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत है।

गेवरा ओपनकास्ट खान की वार्षिक उत्पादन क्षमता 70 मिलियन टन है। इसने वित्त वर्ष 2023-24 में 59 मिलियन टन कोयले का उत्‍पादन किया। इस खान ने वर्ष 1981 में कार्य शुरू था। आज इसमें देश की अगले 10 वर्षों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त कोयला भंडार मौजूद है।

कुसमुंडा ओपनकास्‍ट खान ने वित्त वर्ष 2023-24 में 50 मिलियन टन से अधिक कोयला उत्पादन किया, जो गेवरा के बाद ऐसी महत्‍वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने वाली भारत की दूसरी खान है।

इन खानों में विश्‍व की कुछ सबसे बड़ी और अधिक उन्नत खनन मशीनें तैनात गई हैं। ऐसी ही मशीन ‘सरफेस माइनर’ है, जो पर्यावरण अनुकूल खनन कार्यों के लिए विस्फोट किए बिना ही कोयला निकालती और काटती है।

ओवरबर्डन हटाने (कोयला परत को उजागर करने के लिए मिट्टी, पत्थर आदि की परतों को हटाने की प्रक्रिया) के लिए खानों में पर्यावरण अनुकूल और विस्फोट मुक्त ओबी हटाने के लिए दुनिया की कुछ सबसे बड़ी एचईएमएम (भारी पृथ्वी मूविंग मशीनरी) जैसे 240 टन डंपर, 42 घन मीटर शॉवल और वर्टिकल रिपर्स का उपयोग भी किया जाता है। 

एसईसीएल के अध्‍यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. प्रेम सागर मिश्रा ने न्यूज़ फास्ट से बताया कि छत्तीसगढ़ के लिए यह बहुत गर्व की बात है कि विश्‍व की पांच सबसे बड़ी कोयला खानों में से दो अब छत्तीसगढ़ में स्थित हैं। श्री मिश्रा ने कोयला मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राज्य सरकार, कोल इंडिया, रेलवे, विभिन्न हितधारकों और सबसे महत्वपूर्ण रूप से कोयला योद्धाओं के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस ऐतिहासिक उपलब्धि को हासिल करने के लिए अथक रूप से कार्य किया है।

दिल्ली:सावन में हरे कपड़े क्यों पहनने चाहिए आइए जानते है इसके पीछे के धार्मिक कारण


दिल्ली:- सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की भक्ति और धूमधाम से मनाए जाने वाले त्योहारों के लिए जाना जाता है। इस दौरान श्रद्धालु व्रत रखते हैं, पूजा-पाठ करते हैं और आशीर्वाद पाने के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि सावन में महिलाएं हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियां धारण करती हैं? यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे का कारण क्या है? आइए आज हम इस पहेली को सुलझाएं और जानें कि सावन में हरे रंग का इतना महत्व क्यों है। सावन में हरे कपड़े पहनने की परंपरा के पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक कारण हैं:

भगवान शिव का संबंध: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। हरा रंग शिव को प्रिय माना जाता है, इसलिए लोग इस महीने में हरे कपड़े पहनकर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

हरा रंग सुहाग का प्रतीक

सावन के महीने में सुहागिनों के पहनावे और श्रृंगार में भी एक खास रंग नजर आता है – हरा। हरा रंग सुहाग का प्रतीक माना जाता है, इसलिए सावन में सुहागिनें हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं। हाथों में रची मेहंदी का रंग भी हरा या गहरा होता है, जो सुहाग की खुशियों और मंगलकामनाओं का प्रतीक है। हरी या चूड़ेदार चूड़ियां कलाईयों को सजाती हैं, जो सुहाग की निशानी होती हैं। सावन के सोमवार व्रत, प्रदोष व्रत और हरियाली तीज जैसे व्रतों का पालन करना भी सुहागिनों के लिए परंपरा का हिस्सा है।सावन की मंदिरों में गूंजती भक्तिमय धुन और चारों ओर फैली हरियाली सिर्फ आंखों को ही सुहाती नहीं लगती, बल्कि महिलाओं के सौंदर्य में भी एक खास रंग भर देती है। हरे रंग की चूड़ियां कलाईयों को सजाती हैं, हरे रंग के वस्त्र तन को सुहाते हैं और हाथों में रची हरी मेहंदी मानो सावन की हरियाली का ही एक अंश है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सावन के श्रृंगार में छिपा एक गहरा अर्थ है? हरा रंग सिर्फ श्रृंगार का एक हिस्सा नहीं, बल्कि सुहाग का प्रतीक, देवी पार्वती के प्रति श्रद्धा और भगवान शिव को प्रसन्न करने का माध्यम भी है।

प्रकृति की हरियाली

सावन के महीने में प्रकृति अपने सर्वोत्तम रूप में होती है, चारों ओर हरियाली छाई रहती है। हरा रंग इस हरियाली का प्रतीक है और इसे पहनकर लोग प्रकृति के साथ एकरूपता का अनुभव करते हैं।

समृद्धि और शांति:

 हरा रंग समृद्धि, शांति और नई ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस रंग को पहनने से मन में शांति और सकारात्मकता बनी रहती है।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद में हरे रंग को स्वस्थ्य और ताजगी का प्रतीक माना गया है। इसे पहनने से मन और शरीर में संतुलन बना रहता है।

इस प्रकार, सावन में हरे कपड़े पहनने की परंपरा धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व को दर्शाती है।

दिल्ली:अब हाईटेक साइबर ठग करने वालो का ठिकाना जामताड़ा नहीं रहा अब साइबर क्राइम करने वालो ने इस राज्य को बना लिया अपना नया अड्डा


नयी दिल्ली : एक समय में जब किसी के साथ ऑनलाइन ठगी होती थी तो सबसे पहला शक जामताड़ा के ठगों पर जाता था अब ठगों को पता चल गया है कि लोग क्रेडिट कार्ड, एटीएम ब्लॉक और शॉपिंग वेबसाइट के नाम पर उनका शिकार नहीं बन रहे हैं. इसलिए उन्होंने इसके लिए एक नया तरीका खोज निकाला है. अब जामताड़ा नहीं रहा साइबर क्राइम करने वालों का ठिकाना, स्कैमर्स ने इस राज्य में बना लिया नया अड्डा

हरियाणा बन रहा साइबर ठगों का गढ़

एक समय में जब किसी के साथ ऑनलाइन ठगी होती थी तो सबसे पहला शक जामताड़ा के ठगों पर जाता था. लेकिन अब जामताड़ा से ज्यादा ठग नूंह में हो गए हैं. 

नूंह हरियाणा का एक जिला है. इस जिले के गांवों में ठगों के कई गिरोह एक्टिव हैं. यहां ठगों का कोचिंग सेंटर भी चलता है. इन कोचिंग सेंटरों में फीस लेकर लोगों को ठगी के गुण सिखाए जाते हैं. चलिए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.

ठगी की कोचिंग

एक खबर के अनुसार, नुंह के कई गांव ऐसे हैं जहां ठग ऐसे कोचिंग सेंटर्स चलाते हैं जहां ठगी के गुण सिखाए जाते हैं. ये कोचिंग सेंटर्स ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन भी चलाए जाते हैं. यहां एडमिशन के लिए छात्रों से 40 हजार से एक लाख रुपये तक की फीस वसूली जाती है. बीते दिनों हरियाणा पुलिस ने नूंह के ऐसे कई गांवों में छापा मारा और कई लोगों को गिरफ्तार किया. इसके अलावा अब पुलिस ठगी वाले इन कोचिंग संस्थानों को ध्वस्त करने में जुट गई है.

मेवात का इलाका भी ठगों का गढ़

नूंह के अलावा हरियाणा का ही एक इलाका और है मेवात. मेवात को भी ठगी का गढ़ माना जाता है. दरअसल, मेवात यूपी और राजस्थान के साथ बॉर्डर शेयर करता है, इसलिए ठग यहां सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं. जैसे ही पुलिस की छापेमारी होती है ये ठग राजस्थान और यूपी में भाग जाते हैं. यहां के ठग ज्यादातर ठगी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइटों के नाम से करते हैं. खासतौर से ओएलएक्स, फ्लिकार्ट और एमाज़ॉन का नाम लेकर ये ठग सबसे ज्यादा ठगी करते हैं.

ठगी का एक और नया तरीका निकला है

अब ठगों को पता चल गया है कि लोग क्रेडिट कार्ड, एटीएम ब्लॉक और शॉपिंग वेबसाइट के नाम पर उनका शिकार नहीं बन रहे हैं. इसलिए उन्होंने इसके लिए एक नया तरीका खोज निकाला है. अब ठग आपको फोन करते हैं और खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी या फिर कोई पुलिस अधिकारी बताते हैं. इसके बाद ये आप पर तरह-तरह के आरोप लगा कर आपको डराने की कोशिश करते हैं.

जैसे- आपने अपने फोन में गंदी तस्वीरें और वीडियो देखी है, आपके नाम से कोई कुरियर है जिसमें ड्रग्स हैं, आपके फोन से किसी को गाली दी गई है, आपने ट्रैफिक सिग्नल तोड़ा है या आपका कोई रिश्तेदार किसी मामले में पुलिस की गिरफ्त में है. 

ये सब बोल कर पहले वो आपसे आपकी नॉर्मल जानकारी लेंगे. इसके बाद ये ठग आपसे बैंक डिटेल्स जैसी पर्सनल डिटेल्स मांगते हैं और जैसे ही आप इन्हें अपनी पर्सनल डिटेल्स देते हैं आपके बैंक खाते को पलक झपकते ही खाली कर देते हैं।

दिल्ली:कारगिल युद्ध की उन जवानों की गाथाएँ हैं जिन्होंने इस युद्ध में अद्वितीय साहस दिखाया था


दिल्ली:- कारगिल युद्ध, 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ा गया, कई जवानों की वीरता और बलिदान की कहानी है। यहाँ कुछ मुख्य जवानों की गाथाएँ हैं जिन्होंने इस युद्ध में अद्वितीय साहस दिखाया:

कैप्टन विक्रम बत्रा: कैप्टन विक्रम बत्रा, जिन्हें 'शेरशाह' के नाम से भी जाना जाता है, ने पॉइंट 5140 को जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपनी टीम के साथ इस पॉइंट को दुश्मन से छीनकर भारतीय सेना के लिए बड़ी विजय प्राप्त की। उन्होंने अपने अदम्य साहस के लिए परमवीर चक्र प्राप्त किया।

कैप्टन मनोज कुमार पांडे : कैप्टन मनोज पांडे ने भी अपनी बटालियन के साथ पॉइंट 4875 को जीतने में अहम भूमिका निभाई। उनकी बहादुरी और नेतृत्व क्षमता के लिए उन्हें भी परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव: 18 ग्रेनेडियर्स के योगेंद्र सिंह यादव ने टाइगर हिल की चोटी पर कब्जा करने के दौरान अद्भुत साहस दिखाया। भले ही वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे, उन्होंने अपनी मिशन को पूरा किया। उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

राइफलमैन संजय कुमार: राइफलमैन संजय कुमार ने दुश्मन के बंकर को तबाह कर महत्वपूर्ण क्षेत्र को जीतने में भूमिका निभाई। उन्हें भी परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

ये सभी जवान कारगिल युद्ध के सच्चे नायक हैं, जिनकी वीरता और बलिदान हमेशा याद किए जाएंगे। इनके साहस और देशभक्ति ने भारत को विजय दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

आज का इतिहास:1999 में 60 दिन तक चला था युद्ध…आज ही के दिन मनाया जाता है कारगिल विजय दिवस,जाने 26 जुलाई की महत्वपूर्ण घटनाएं


नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 26 जुलाई का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई है।

26 जुलाई का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 26 जुलाई 1999 का दिन भारतीय इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। इसी दिन कारगिल में भारत और पाकिस्तान के बीच लगभग 60 दिनों तक चलने वाले युद्ध का अंत हुआ और भारत विजयी हुआ था। 

2008 में 26 जुलाई को ही यूरोपीय वैज्ञानिकों ने सौरमंडल के बाहर एक और नए ग्रह की खोज की थी।

वर्षवार 26 जुलाई का इतिहास इस प्रकार हैः

2012 आज ही के दिन उत्तर कोरिया में खानून तूफान से 88 लोगों की मौत 60 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे।

2012 सीरिया की हिंसा में 1 दिन में करीब 200 लोग मारे गए थे।

2008 आज ही के दिन गुजरात के अहमदाबाद शहर में 21 धमाकों में 56 लोगों की मौत और 200 से ज्यादा घायल हो गए थे।

2008 यूरोपीय वैज्ञानिकों ने सौरमंडल के बाहर एक और नए ग्रह की खोज की थी।

2007 आज ही के दिन पाकिस्तान ने परमाणु शक्ति सम्पन्न क्रूज मिसाइल बाबर हत्फ-7 का सफल परीक्षण किया था।

2005 आज ही के दिन नासा शटल डिस्कवरी का प्रक्षेपण हुआ था।

1999 26 जुलाई को ही कारगिल युद्ध जीतने के बाद भारतीय सेना ने तिरंगा लहराया था।

1998 आज ही के दिन महानतम महिला एथलीट जैकी जायनर कर्सी ने एथलेटिक्स से संन्यास लिया था।

1997 श्रीलंका ने क्रिकेट एशिया कप जीता था।

1974 आज ही के दिन फ्रांस ने मुरूओरा द्वीप में परमाणु परीक्षण किया था।

1965 मालदीव ब्रिटेन के कब्जे से स्वतंत्र हुआ था।

1956 आज ही के दिन मिस्र ने स्वेज नहर पर कब्जा जमा लिया था।

1951 नीदरलैंड ने जर्मनी के साथ चल रहे युद्ध को खत्म किया था।

1945 आज ही के दिन विंस्टन चर्चिल ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया था।

1876 कलकत्ता में इंडियन एसोसिएशन की स्थापना हुई थी।

1614 मेवाड़ के राणा का स्वागत किया था।

26 जुलाई को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1914 26 जुलाई के दिन ही भारत की प्रसिद्ध कवयित्रियों में से एक विद्यावती ‘कोकिल’ का जन्म हुआ था।

1874 26 आज ही के दिन महाराष्ट्र के प्रसिद्ध समाज सुधारक छत्रपति साहू महाराज का जन्म हुआ था।

1844 आज ही के दिन भारत के प्रमुख शिक्षाविद गुरुदास बनर्जी का जन्म हुआ था।

26 जुलाई को हुए निधन

1966 आज ही के दिन भारत के प्रसिद्ध विद्वान वासुदेव शरण अग्रवाल का निधन हुआ था।

26 जुलाई को प्रमुख उत्सव

कारगिल विजय दिवस।

कारगिल विजय दिवस की 25 वी बरसी आज,आइए जानते हैं कारगिल दिवस के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को


कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है, ताकि भारतीय सेना की 1999 में पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध में जीत का सम्मान किया जा सके। यह दिन भारतीय सैनिकों के अद्वितीय साहस, बलिदान और देशभक्ति की याद दिलाता है। आइए जानते हैं कारगिल विजय दिवस के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को:

कारगिल युद्ध का प्रारंभ: मई 1999 में पाकिस्तानी सैनिक और कश्मीरी उग्रवादियों ने कारगिल जिले के भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय सेना की आपूर्ति रेखाओं को काटना था।

ऑपरेशन विजय: भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए "ऑपरेशन विजय" शुरू किया। यह ऑपरेशन लगभग दो महीने तक चला और इसमें भारतीय सेना के कई जवानों ने अपना जीवन बलिदान किया।

महत्वपूर्ण स्थान: कारगिल युद्ध के दौरान टोलोलिंग, टाइगर हिल, और अन्य महत्वपूर्ण चोटियों को फिर से कब्जा करने के लिए कड़े संघर्ष हुए।

वीरता पुरस्कार: इस युद्ध में बहादुरी दिखाने वाले सैनिकों को परमवीर चक्र, महावीर चक्र, और वीर चक्र जैसे प्रतिष्ठित वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

शहीदों को श्रद्धांजलि: कारगिल विजय दिवस के अवसर पर देशभर में शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। दिल्ली में इंडिया गेट और जम्मू-कश्मीर के द्रास में कारगिल वार मेमोरियल पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

राष्ट्रीय गर्व: कारगिल विजय दिवस भारतीय सेना की अदम्य साहस और दृढ़ता का प्रतीक है और यह दिन भारतीय नागरिकों के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है।

कारगिल विजय दिवस न केवल हमारे सैनिकों के बलिदान को याद करने का दिन है, बल्कि यह हमारे देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

दिल्ली दंगा: पांच मुस्लिम युवकों की पिटाई मामले की होगी CBI जांच, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया आदेश, जानें पूरा मामला*l

नई दिल्ली:- दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के दौरान राष्ट्रगान गाने का दबाव बनाने के लिए पुलिस द्वारा पांच मुस्लिम युवकों की पिटाई मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया है. जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने ये आदेश दिया है. इस मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा था कि फोरेंसिक रिपोर्ट के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकते हैं.

दरअसल, दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी गुजरात से कुछ वीडियो फुटेज के फॉरेंसिक रिपोर्ट आने बाकी हैं. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कोर्ट गुजरात में चल रहे फॉरेंसिक जांच पर रोक लगा सकती है.

कोर्ट फोरेंसिक रिपोर्ट के लिए इंतजार नहीं कर सकती है. फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार काफी समय से किया जा रहा है, आखिर ये इंतजार कब खत्म होगा. इसके लिए कुछ समय तय होना चाहिए. पहले दिल्ली से फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा था और अब गुजरात से.

दिल्ली पुलिस को कोर्ट ने लगाई फटकारः

 कोर्ट ने मुस्लिम युवकों की पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों की पहचान कर जांच करने के मामले में भी लचर रवैया अपनाने पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि मृतक युवक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चोट की संख्या अधिक आई है. एमएलसी में दर्ज चोट की संख्या से कैसे बढ़ गए. कोर्ट ने कहा था कि पुलिस जांच रिपोर्ट में कई गड़बड़ियां है. पांच युवकों में एक की मौत हो गई, लेकिन चार तो जिंदा है. क्या जिंदा बचे युवकों से उन पुलिसकर्मियों की पहचान कराई गई. आप पूरी दुनिया की जांच करेंगे लेकिन चश्मदीद गवाह से कोई पूछताछ नहीं करेंगे. उन चार युवकों का बयान दर्ज करने की जहमत तक नहीं उठाई, ये किस किस्म की जांच है.

सोशल मीडिया में वायरल हुआ था वीडियोः

 दरअसल, सोशल मीडिया पर जन-गण-मन नामक एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें पांच मुस्लिम युवकों को पुलिसकर्मी घेरे हुए हैं. इस दौरान पुलिस उनसे राष्ट्रगान गाने के लिए दबाव बना रहे हैं. ये युवक जमीन पर असहाय रूप ये लेटे हुए हैं. पुलिस उनके साथ मारपीट कर रही है. फैजान नामक युवक को 24 फरवरी 2020 को पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उसे 25 फरवरी 2020 को काफी नाजुक स्थिति में छोड़ा था. उसे एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती किया गया था जहां उसकी 26 फरवरी 2020 को मौत हो गई.

जांच में पुलिसकर्मियों को बचाने का आरोपः 

याचिका फैजान की मां ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि 25-26 फरवरी 2020 की दरम्यानी रात को फैजान ने अपनी मां को बताया था कि उसे पुलिस ने प्रताड़ित किया था. याचिका में कहा गया था कि फैजान को ज्योति नगर पुलिस थाने में गैरकानूनी हिरासत में रखा गया और उसका इलाज उपलब्ध करने से इनकार कर दिया गया था. जब उसकी स्थिति खराब होने लगी थी. पुलिस को लगा कि वह नहीं बच पाएगा तो उसे छोड़ा दिया गया. 

याचिका में कहा गया कि इस मामले में हत्या का केस दर्ज किया गया, लेकिन जांच में पुलिसकर्मियों को बचाने की कोशिश की जा रही है.

आगरा में 2.39 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला, फुटवियर निर्माता विजय तोमर गिरफ्तार

दिल्ली: आगरा पुलिस कमिश्नरेट की सिकंदरा पुलिस ने फुटवियर निर्माता अवकाश प्राप्त लेफ्टिनेंट कर्नल विजय तोमर को मंगलवार को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. उनके खिलाफ धारा 409 के तहत गैरजमानती वारंट जारी हुआ था।

अवकाश प्राप्त लेफ्टिनेंट कर्नल विजय तोमर की कंपनी एबीएस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड पर राना ओवरसीज कम्पनी ने धोखाधड़ी और रकम न देने का आरोप लगाया था.

बता दें कि आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्ट चैंबर (एफमेक) के पूर्व अध्यक्ष कैप्टन एएस राना की सिकंदरा के औद्योगिक क्षेत्र ईपीआईपी में पत्नी सुनीता राना के नाम से राना ओवरसीज कम्पनी है. एबीएस इंटरनेशनल प्राइवेट के निदेशक अवकाश प्राप्त लेफ्टिनेंट कर्नल विजय तोमर भी एफमेक के चर्चित हैं.

कैप्टन एएस राना का आरोप है कि, एबीएस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक ने 2020 में उनकी फैक्ट्री में आए. कहा कि, मैं घरेलू जूते की सप्लाई करने के साथ ही अब दक्षिण अफ्रीका के घाना में भी जूतों की सप्लाई करता हूं.

इसके बाद व्यापारिक डील तय की. इसके आधार पर 11 सितंबर 2020 तक राना ओवरसीज ने एबीएस इंटरनेशल प्राइवेट लिमिटेड को 3.22 करोड़ रुपये के जूते तैयार करके दिए. लेकिन, भुगतान नहीं हुआ. इस पर एबीएस इंटरनेशनल ने 2.60 लाख रुपये का मैटेरियल दिया. 80 लाख रुपये का ही भुगतान किया गया. बाकी रकम देने में एबीएस इंटरनेशल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक ने आनाकानी शुरू कर दी. इस बीच एबीएस इंटरनेशनल ने पचास लाख रुपये का चेक भी बाउंस हो गया.

कोर्ट से जारी किया गया था गैरजमानती वारंट: कैप्टन एएस राना की राना ओवरसीज की मालिक सुनीता राना ने कोर्ट में एबीएस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक कमलेश तोमर, विजय तोमर, प्रशांत कुमार, मलिका तोमर, देविका तोमर, हार्दिक चौहान, जोजफ किरण के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. तब ये मामला चर्चा में आया. सिकंदरा थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके छानबीन की और पुलिस ने गैरजमानती वारंट जारी कराया था.

एक आरोपी भेजा जेल, अन्य की तलाश: सिकंदरा थाना के प्रभारी नीरज कुमार शर्मा ने बताया कि गैर जमानती वारंट जारी होने पर फुटवियर निर्माता अवकाश प्राप्त लेफ्टिनेंट कर्नल विजय तोमर को जेल भेज दिया है. इस मामले में अन्य आरोपियों के खिलाफ भी जांच जारी है.

बेंगलुरु को पांच जोन में बांटने की सिफारिश को मिली मंजूरी


बेंगलुरु : बेंगलुरु को पांच जोन में बांटने की सिफारिश को मिली मंजूरी । कर्नाटक कैबिनेट ने बेंगलुरु को पांच जोन में बांटने की सिफारिश करने वाले बिल को मंजूरी दे दी है. इस बिल को कल विधानसभा में पेश किया जाएगा. इसमें ग्रेटर बेंगलरु अथॉरिटी बनाने का प्रस्ताव दिया गया है. बीएस पाटिल की अगुवाई वाली एक्सपर्ट कमेटी ने राज्य की राजधानी को पांच जोन में बांटने की सिफारिश की थी.

कर्नाटक के पूर्व मुख्य सचिव बीएस पाटिल की अध्यक्षता वाली बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) पुनर्गठन समिति ने पिछले हफ्ते सोमवार को राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को शहर के प्रशासन पर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. अपनी रिपोर्ट में पैनल ने सरकार को ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी बनाने का सुझाव दिया था.

बेंगलुरु में वार्डों की संख्या भी बढ़ाने की सिफारिश

एक्सपर्ट कमेटी ने मौजूदा BBMP की जगह तीन नए निगम बनाने की सिफारिश की है, जो शहर की शासन व्यवस्था को देखेगी. इसके अतिरिक्त, समिति ने वार्डों की संख्या को मौजूदा 198 से बढ़ाकर 400 नए वार्ड करने का प्रस्ताव दिया है. इस पुनर्गठन से बेंगलुरु के भीतर स्थानीय शासन और सर्विस डिस्ट्रीब्यूशन में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है.

विधानसभा में पेश किया जाएगा बिल

कर्नाटक सरकार ने इन परिवर्तनों को लागू करने के लिए एक विधेयक का मसौदा भी तैयार किया है, जिसे कल विधानसभा में पेश किया जाना है. प्रस्तावित सुधार तेजी से बढ़ते शहर बेंगलुरु के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने और इसके प्रशासन और सर्विस डिस्ट्रीब्यूशन में सुधार करने के सरकार की कोशिशों का हिस्सा है.

संभावित अथॉरिटी का नेतृत्व करेंगे मुख्यमंत्री

सूत्रों की मानें तो बिल में एक से लेकर 10 तक कई निगमों का प्रावधान होने की संभावना है और इसमें 400 वार्ड तक का प्रावधान होगा. सूत्रों ने बताया कि बिल में प्रत्येक निगम में 12 सदस्यों वाली मेयर-इन-काउंसिल का प्रावधान भी होने की संभावना है, जिससे स्थायी समिति सिस्टम खत्म हो जाएगी. ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी का नेतृत्व मुख्यमंत्री करेंगे और सह-अध्यक्षता बेंगलुरु विकास मंत्री करेंगे, जिसमें चार मंत्री, शहर के सभी विधायक शामिल होंगे.