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भदोही में केएनपीजी कॉलेज में आयोजित हुआ रोजगार

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। शुक्रवार को केएनपीजी कॉलेज ज्ञानपुर भदोही में जिला सेवायोजन कार्यालय भदोही एवं राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान ज्ञानपुर तथा कौशल विकास मिशन ज्ञानपुर के संयुक्त तत्वावधान रोजगार मेला का आयोजन किया गया।

जिसमें चार कंपनियां प्रतिभा किया। रोजगार मेले में 300 से अधिक अभ्यर्थियों ने प्रतिभा किया साक्षात्कार के दौरान 140 अभ्यर्थियों का चयन कंपनियों द्वारा किया गया। इसके पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अनिरुद्ध त्रिपाठी ने रोजगार मेले का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित करके किया। इस कार्यक्रम में आए हुए मुख्य अतिथि, अभ्यर्थियों तथा निजी कंपनियों औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान ज्ञानपुर के प्रधानाचार्य विनोद कुमार यादव एवं जिला सेवायोजन अधिकारी शिवानी मिश्रा ने आभार प्रकट किया।जिला सेवायोजन कार्यालय भदोही एवं राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान ज्ञानपुर तथा कौशल विकास मिशन ज्ञानपुर के संयुक्त तत्वावधान में नगर स्थित केएनपीजी कॉलेज ज्ञानपुर भदोही में रोजगार मेला का आयोजन किया गया।

जिसमें मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष अनिरुद्ध त्रिपाठी मौजूद रहे। रोजगार मेले में कुल चार कंपनियों ने प्रतिभा किया। इस दौरान 300 अभ्यर्थी रोजगार मेले में शामिल हुए। जिसमें कंपनियों द्वारा साक्षात्कार के दौरान 140 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। चयनित अभ्यर्थियों को मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष अनिरुद्ध त्रिपाठी, भाजपा पूर्व जिला अध्यक्ष हौसला प्रसाद पाठक केएनपीजी प्राचार्य रमेश चंद्र यादव के हाथों नियुक्ति प्रमाण पत्र दिया गया। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा रोजगार मेले में जिले के युवाओं को रोजगार मिल रहा है। ऐसे में सभी युवा सेवायोजन विभाग में अपना रजिस्ट्रेशन रोजगार के लिए करा ले । जिससे निकट भविष्य में उन्हें रोजगार मिल सके। इस कार्यक्रम में डॉ रश्मि सिंह, डॉ शिव प्रकाश मिश्र,लव कुमार मिश्र,लायक हुसैन,अनिल कुमार, विरेन्द्र,प्रभाकर शैलेन्द्र, योगेन्द्र,आदर्श, संजय रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ ऋचा यादव ने किया।
चार बार जिला अस्पताल आए इंजीनियरिंग पर अल्ट्रासाउंड मशीन ठीक नहीं कर पाए



नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। जिला अस्पताल में तीन महीने से खराब अल्ट्रासाउंड मशीन की जगह नई मशीन लगाई जाएगी। इससे मरीजों को सहूलियत होगी।

इसके लिए डीएम विशाल सिंह ने शासन को पत्र लिखा है।अप्रैल से जिला चिकित्सालय की अल्ट्रासाउंड मशीन में खराब है। जिसके बाद से ही अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की प्रक्रिया ठप है। इससे गर्भवती महिलाओं को काफी समस्या होती है। जांच के लिए उन्हें निजी सेंटर पर जाना पड़ता है। अस्पताल की अल्ट्रासाउंड मशीन को ठीक कराने को लेकर विभाग की ओर के प्रयास किए गए। लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद सौ शय्या अस्पताल में रखी अल्ट्रासाउंड मशीन को जिला अस्पताल लाया गया।

इसके बाद मशीन सप्लाई करने वाली कंपनी के इंजीनियर जब इसे इंस्टाल करने पहुंचे तो पता चला कि मशीन में रिपोर्ट देने वाला प्रिंटर ठीक नहीं है। जिससे इसके लगाए जाने का औचित्य नहीं रहा। इन सभी प्रयासों के बाद विभाग ने जिलाधिकारी विशाल सिंह को इस समस्या से अवगत कराया। जिसके बाद जिलाधिकारी शासन को पत्र लिखकर नई अल्ट्रासाउंड मशीन की डिमांड की है।


चार माह से चार बार आए इंजीनियर

अल्ट्रासाउंड मशीन के संचालन को लेकर विभाग काफी गंभीर रहा। विभाग ने चार माह में चार बार कंपनी को पत्र लिखा। जिसके बाद इंजीनियर भी आए, लेकिन मशीन के तकनीकी खामी को ठीक नहीं कर पाए। जिसके बाद विभाग डीएम को इस समस्या से अवगत कराया।


हर दिन 15 से 20 मरीजों को पड़ती है जरूरत



जिला अस्पताल में हर दिन 15 से 20 मरीजों को अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ती है। अल्ट्रासाउंड मशीन न होने से मरीजों को मजबूरी में निजी सेंटरों पर जाना पड़ता है। निजी लैब वाले उनसे मनमाना शुल्क वसूलते हैं। मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए 400 से 1600 रुपये तक का भुगतान करना पड़ता है।




वर्जन

तमाम प्रयासों के बाद भी अल्ट्रासाउंड की तकनीकी दिक्कत दूर नहीं हुई। इससे जिलाधिकारी को अवगत कराया गया। जिलाधिकारी ने नई अल्ट्रासाउंड मशीन के लिए शासन को पत्र लिखा है। जल्द ही नई मशीन अस्पताल पहुंच जाएंगी। - डॉ. राजेंद्र कुमार, सीएमएस, जिला अस्पताल।
शिव के त्रिशूल व सुदर्शन चक्र के टक्कर से प्रकट हुए थे बाबा सेमराध, पुराणों में मिलता है वर्णन

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। काशी प्रयाग और विंध्य के मध्य गंगा तट पर स्थित प्राचीन बाबा सेमराध धाम धाम में जमीन से पंद्रह फिट नीचे स्थित स्वयंभू शिवलिंग अपने आप में अद्भुत है। जिले का यह पहला स्थल है। जहां न सिर्फ देश का पांचवा कुम्भ मेला लगता है, बल्कि यह पवित्र स्थल अपने आप में इतिहास को भी समेटे हुए है।

इसका उल्लेख श्रीमद भागवत सहित अन्य कई पुराणों में मिलता है। यहां प्रतिवर्ष माघ माह में कल्पवास मेला भी लगता है। सावन माह में यहां दूर-दूर से कांवड़ियां बाबा का जलाभिषेक करने पहुंचते हैं।

भदोही जनपद के जंगीगंज कस्बे से 13 किलोमीटर दक्षिण और सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी से 15 किमी पूरब उत्तर वाहिनी गंगा के तट पर स्थित सेमराध नाथ महादेव मंदिर काशी, प्रयाग और विंध्य का अनूठा संगम है। पुराणों और ग्रंथों में इसे उप ज्योतिर्लिंग की संज्ञा दी गई है।

गुरु पद उत्तराधिकारी स्वामी करुणा शंकर दास ने बताया कि इस का उल्लेख पद्म पुराण, शिव पुराण, लिंग पुराण सहित श्रीमदभागवत के दशम स्तम्भ में भी मिलता है।

पद्म पुराण में उल्लिखित श्लोक में सेमराधनाथ,(समृद्धिनाथ) की पौराणिकता और ऐतिहासिकता का काफी हद तक पता चलता है।पुराण में वर्णित कथा के तहत काशी के शूलटंकेश्वर स्थल से भगवान शिव ने अपना त्रिशूल व तीर्थ राज प्रयाग के सोमेश्वर स्थल से द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र एक दूसरे की ओर छोड़ा। दोनों अस्त्र काशी और प्रयाग के मध्य का पता लगाने के लिए छोडे गऐ थे। काशी-प्रयाग के मध्य शिव के त्रिशूल और श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र के टकराने से एक दिव्य अलौकिक दीप प्रज्जलित हुई।

जिसमें से एक ज्योतिर्मय शिवलिंग का रूप बनकर धरती में समा गया। बताया कि एक बार एक व्यापारी नाव पर सवार होकर व्यापार के लिए जा रहा था। इधर से गुजरने के दौरान उसकी नाव यहां आकर रूक गई। जिसके बाद भगवान शिव की प्रेरणा से वह यहां पहुंचा और उसे यहां बाबा सेमराधनाथ का चमत्कारीक शिवलिंग मिला। वह बाबा को अपने साथ ले जाने के लिए खुदाई करने लगा। वह जैसे-जैसे खुदाई करता बाबा नीचे खिसकते जाते। हार मारकर उसने यही पर बाबा की प्राण प्रतिष्ठा की और पूजन अर्चन कर चला गया। तब से लेकर आज तक बाबा जमीन की 15 फीट नीचे विराजमान हैं।

शिवलिंग का आकर एक मीटर लंबा तथा आधा मीटर मोटे ब्यास में है, जो बायें ओर थोड़ा झुका है।गुरु पद उत्तराधिकारी स्वामी करुणा शंकर दास ने बताया कि अन्य कई पुराणों में सेमराध स्थल का वर्णन मिलता है। इस स्थान की पहचान नई काशी के रूप में है। मां गंगा के बाये सेमराधनाथ है और उस पार विंध्य क्षेत्र है। कहते है विंध्य क्षेत्र में स्थित गौरा गांव में दक्ष प्रजापति ने विशाल यज्ञ किया था। यज्ञ में भगवान शंकर के भाग न लेने और उनका तिरस्कार करने पर सती ने हवन कुंड में अपना शरीर त्याग दिया था। यह क्षेत्र छानबे के नाम से भी जाना जाता है। हवनकुंड के भगन्नावशेष आज भी गौरा गांव में मौजूद है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष श्रावण मास में बड़ी संख्या में कांवड़िया और श्रद्धालु बाबा सेमराधनाथ धाम में जलाभिषेक करते है। मान्यता है कि सच्चे मन से पूजन अर्चन करने पर देवाधिदेव सबकी मुरादें पूरी करते है।
साधकों की साधनास्थली रही है बाबा बड़ेशिव धाम

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। जिले में शिवभक्तों की आस्था का प्रमुख केन्द्र बाबा बड़े शिव मंदिर का इतिहास 16वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। मंदिर परिसर का सुरम्य वातावरण हर किसी को आकर्षित करता है।


शायद यहीं कारण है कि यह मंदिर परिसर निर्माण काल से ही साधकों की साधना स्थली रही है। यहां मोरंग के राजा के साथ ही मौनी स्वामी ने साधना की थी। वहीं आज भी जनवरी-फरवरी माह के दौरान नागा साधु एक महीने तक यहां रूक कर भोलेनाथ की साधना करते हैं।बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण कार्य लगभग 16वीं शताब्दी में हुआ था।

तब मंदिर के चारों ओर घनघोर जंगल हुआ करता था। जिसमें पलाश के वृक्ष अधिक थे। बताया जाता है कि एक बार अयोध्या के राजा शिकार करने जंगल में आये थे। वे भूख प्यास से व्याकुल थे, तो एक साधु ने उनको दर्शन दिया और उनकी प्यास बुझाई । मान्यता है कि जहां साधु ने उन्हें दर्शन दिया था। उसी स्थान पर राजा ने एक शिवलिंग की स्थापना की। कालांतर में शिवलिंग जमीन के अंदर चला गया। एक दिन नगर के एक धार्मिक व्यक्ति के घर सर्प आया। सर्प को देख आसपास के लोग उसे मारने को दौड़ पड़े, लेकिन उस व्यक्ति ने उन्हें रोकते हुए जिस ओर नाग देवता चले। अनायास ही उसी ओर चल पड़े।

जंगल में पहुंचने के बाद सर्प एक जगह पर अपना फन पटकने लगा। जहां खुदाई की गई तो भोलेनाथ के शिवलिंग का दर्शन हुआ। उसके बाद से ही यह लोगों की आस्था का प्रमुख केन्द्र हो गया।
भदोही बीएसए ने प्राथमिक विद्यालय जगन्नाथपुर का किया निरीक्षण,अनुपस्थित मिले दो शिक्षामित्र से मांगा स्पष्टीकरण

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। भदोही में बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेंद्र नारायण सिंह ने औराई विकासखंड क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय जगन्नाथपुर का निरीक्षण किया। निरीक्षक के दौरान बीएसए ने विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति एवं अन्य सुविधा का अवलोकन किया।

निरीक्षक के दौरान अनुपस्थित मिले दो शिक्षामित्र को नोटिस भेज कर स्पष्टीकरण मांगा है। बीएसए के निरीक्षण से विद्यालय परिषद में हड़कंप मचा रहा। बृहस्पतिवार को बीएसए ने निरीक्षण के दौरान विद्यालय में साफ - सफाई, एमडीएम औराई बच्चों की उपस्थिति का बिंदुवार अवलोकन किया। प्राथमिक विद्यालय के निरीक्षण में दो शिक्षामित्र अनुपस्थिति पाए गए।

जिनको नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण की मांग किया गया। इसके पश्चात बीएसए ने नवनिर्माण विद्यालय कक्षा भी निरीक्षण किया। कार्यदायी संस्था से को तेजी से कम कर हैंड‌ओवर करने का निर्देश दिया। इस अवसर पर बीएसए ने कहा कि सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षा को ऊंचाई पर ले जाने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की गई है। जिसको जमीन पर लाने के साथ शिक्षक पठन-पाठन में अपनी अहम भूमिका निभाएं। जिससे आने वाले समय में परिषदीय विद्यालय के बच्चे देश व समाज के लिए प्ररेणा साबित हो। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह का लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बाहर से आने पर तत्काल न पीएं पानी



नितेश श्रीवास्तव ]भदोही। सीजन में मौसम का यह रुख देखकर हर कोई चिंतित हैं। अस्पताल में आने वाले मरीज, तीमारदारों को चिकित्सक सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ प्रदीप कुमार ने बताया कि अचानक से गर्मी बढ़ी है। इससे अस्पताल में, उल्टी-दस्त, खांसी, जुकाम, बुखार के मरीज पहुंच रहे हैं। जिन्हें जांच पड़ताल कर दवाई उपलब्ध कराई गई। जिला चिकित्सालय में 495 मरीजों की ओपीडी रही। इमरजेंसी में 35 मरीजों का उपचार किया गया। उन्होंने बताया कि बारिश से आने पर तत्काल पानी न पीएं थोड़ी देर बाद पानी पीना चाहिए।
भदोही के ज्ञान सरोवर का है पौराणिक इतिहास, सरोवर में स्नान करने से कोढ़ रोग हो जाता था खत्म

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। जिले के ज्ञान सरोवर का इतिहास काफी पुराना और पौराणिक है। प्राचीन काशी राज्य का एक हिस्सा आज का भदोही जनपद भी था, जो बनारस स्टेट के जमाने में भी जिला था. कोढ़ जिसे आजकल लोग ज्ञानपुर कहते हैं, यह भदोही का मुख्यालय था।

कालांतर में जब राज्यों का विलीनीकरण हुआ और भदोही को क्रमश मिर्जापुर और बाद में वाराणसी में मिला दिया गया, तब भी ज्ञानपुर तहसील मुख्यालय था. जो बाद में 2 तहसीलों में विभाजित हुआ और भदोही को एक अलग तहसील बना दिया गया. इसी ज्ञानपुर कोढ़ के मध्य में एक शंकर जी का प्राचीन मंदिर स्थित है, जिसका इतिहास लगभग 250 वर्ष पुराना है. यह मंदिर ज्ञानपुर नगर के मध्य में स्थित ज्ञान सरोवर के पश्चिमी किनारे पर पूर्वा विमुख स्थित हैं। सावन के दिनों में यहां पर भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है।

बताया जाता है कि इतिहास के पन्नों में यहां विशाल जंगल था. आज भी उन जंगलों का अवशेष देखा जा सकता है. जिसे सुंदरवन कहा जाता है. इन्हीं जंगलों के बीच बावड़ी के रूप में आज का ज्ञान सरोवर स्थित था. इसमें स्नान करने से उस समय कोढ़ जो एक बीमारी है वो दूर हो जाती थी. उस समय गांव गिराव में जिसे कोड़ हो जाता था, उसे कोढ़ी कहा जाता था और गांव से बाहर कर दिया जाता था. कोढ़ रोग के कारण गांव से बाहर किए गए लोग इस जंगल में आकर रहने लगे. भोजन के रूप में जंगली वनस्पति खाते थे और इसी बावड़ी में स्नान करते थे. इस बात का स्पष्ट प्रमाण तत्कालीन अभिलेखों में मिलता है. कि इस बावड़ी में स्नान करने वाले कोढ़ रोग से मुक्त हो जाते थे.इस बात का प्रचार धीरे-धीरे समूचे उत्तर प्रदेश, बिहार तथा मध्यप्रदेश तक हो गया. जो लोग कोढ़ से पीड़ित थे, वो इस रोग से मुक्ति के लिए इस स्थान पर आते थे।

इसी कारण इसका नाम कोढ़ रखा गया. इसके बाद में गोपीगंज रेलवे स्टेशन का नाम भी कोढ़ रखा गया. कोढ़ अब ज्ञानपुर के नाम से विख्यात है. गोपीगंज स्टेशन का नाम भी बदलकर ज्ञानपुर रोड कर दिया गया. भयानक कोढ़ रोग से मुक्ति का प्रचार-प्रसार इतना बढ़ा कि तमाम राजे रजवाड़ों और जमींदारों का भी ध्यान उधर गया।गंगापुर वाराणसी के जमींदार ठाकुर हरिहर सिंह ने इस बावड़ी का सुंदरीकरण कराया और एक कुएं का निर्माण कराया. उसी बावड़ी के किनारे एक विशाल शंकर जी के मंदिर का भी निर्माण कराया गया. कालांतर में वही बावड़ी ज्ञान सरोवर के नाम से विख्यात हुई और ठाकुर हरिहर सिंह के परिवार वालों ने उनकी स्मृति में मंदिर का नाम भी हरिहरनाथ मंदिर रख दिया. हरिहर शंकर जी को भी कहा जाता है।

अतः यह नाम काफी प्रचलित हुआ. धीरे-धीरे यहां स्थापित शिवलिंग की महिमा सिद्धपीठ के रूप में जानी जाने लगी. आज भी दावे के साथ यह कहा जाता है कि जिसने यहां आकर भगवान भोलेनाथ के मंदिर में निरीक्षल भाव से मनोकामना कि वह अवश्य पूरी होती है।

भदोही में बीएसए ने कंपोजिट विद्यालय का किया निरीक्षण,शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने का दिया निर्देश

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। भदोही में कंपोजिट विद्यालय परिसर में विकासखंड भ्रमण के दौरान जिला बेसिक शिक्षाअधिकारी द्वारा टैबलेट को चेक किया गया। साथ ही पुराने वर्जन को हटवा कर नए वर्जन का ऐप डाउनलोड कराते हुए एमडीएम रजिस्टर छात्र नामांकन एवं अन्य समस्त रजिस्टर का डाटा फीडिंग कराया गया। साथ ही निर्देशित किया गया कि प्रत्येक दिन इसी प्रकार विद्यालय के समस्त रिकार्ड को आनलाइन फीड किया जाए।

महानिदेशक स्कूल शिक्षा द्वारा दिए गए निर्देश के क्रम में तथा टाइम एंड मोशन के अनुसार विद्यालय में टाइम टेबल बनाने हेतु भी निर्देशित किया गया। साथ ही छात्र उपस्थित बढ़ाने के लिए निर्देश दिया गया। क्योंकि भ्रमण के दौरान यह पाया गया कि छात्र उपस्थित बहुत कम 50 % से भी कम पाया गया। जिसके लिए विद्यालय में कार्य समस्त स्टाफ का वेतन भुगतान छात्र उपस्थित में सुधार होने तक रोकने के निर्देश दिए गए बच्चों को बैठने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं पाई।?जिसके लिए संबंधित इंचार्ज प्रधानाध्यापक को निर्देशित किया गया कि एक सप्ताह के अंदर बच्चों को बैठने की सीमित व्यवस्था क लिया जाए एवं पठन - पाठन समुचित ढंग से कराया जाए। 4 वर्षों से प्रेषित कंपोजिट ग्रांट का विवरण भी उपलब्ध कराने की निर्देश दिए गए हैं। उक्त व्यवस्था सुधार नहीं होता है तो संबंधित अध्यापकों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।

भदोही में लगाएं जाएंगे 13,15373 पौधे

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। पेड़ लगाओ- पेड़ बचाओ" जन अभियान- 2024 "एक पेड़ मां के नाम" के उपलक्ष्य में प्रदेश के सभी जनपदों में एक ही दिन 20 जुलाई को प्रदेश में 36.50 करोड़ वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम के सापेक्ष जनपद भदोही में जनपद प्रभारी मंत्री दानिश आजाद अंसारी की उपस्थिति में 13,15373 लाख वृक्षारोपण कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन हेतु जिलाधिकारी विशाल सिंह ने कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक कर समीक्षा किया।

प्रभागीय वनाधिकारी नीरज आर्य ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्षा काल 2024 में आयोजित "पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ" के अंतर्गत जनपद में 25 विभागों को आवंटित लक्ष्य 1315373 के सापेक्ष शत प्रतिशत प्राप्ति सुनिश्चित किए जाने हेतु 20 जुलाई को बृहद स्तर पर आयोजित किये जा रहे वृक्षारोपण कार्यक्रम में वृक्षारोपण की मॉनिटरिंग व सूचना के आदान हेतु जिलाधिकारी द्वारा 25 विभाग के विभागाध्यक्षों को सेक्टर मजिस्ट्रेट व उन पर मॉनिटरिंग करने हेतु विभिन्न जोनल मजिस्ट्रेट की ड्यूटी लगाई गई है।

डीएफओ ने बताया कि जनपद स्तर पर जनपद प्रभारी मंत्री, सांसद, विधायकगण,जिला पंचायत अध्यक्ष,नगर निकाय अध्यक्ष, एवं अन्य जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में विकासखंड भदोही के ग्राम पंचायत मल्लूपुर में मात्र "मातृ वन" "एक पेड़ मां के नाम" पर कुल 04 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 6400 पौधा रोपित किया जाएगा। जिसमें जामुन, अर्जुन, सेमल, आम ,बरगद ,पीपल, पाकड़, बरगद,आंवला, नीम, शीशम, कंजी आदि प्रजाति के पौधे लगाए जाएंगे।

जिलाधिकारी द्वारा वृक्षारोपण की तैयारियों के सम्बन्ध में सम्बन्धित विभागों की समीक्षा करते हुये विभागाध्यक्षों को निर्देशित किया गया कि अपने विभागीय लक्ष्य के सापेक्ष वृक्षारोपण कराने हेतु गढ्ढों की खुदाई का कार्य पूर्ण करना सुनिश्चित किया जाये।जिलाधिकारी ने बीड़ा को निर्देशित किया कि जौनपुर बॉर्डर तक बृहद स्तर पर पौधरोपण करना सुनिश्चित करें।

उन्होंने 20 जुलाई को जनपदवासियों ,स्वयंसेवी संस्थाओं, लायंस क्लब, नेहरू युवा केंद्र ,रेड क्रॉस सोसाइटी एनएसएस, एनसीसी व अन्य संस्थाओं/संगठनों से अपील किया कि वृक्षारोपण कार्यक्रम को एक मिशन के रूप में लेकर सामाजिक व पर्यावरण को उत्कृष्ट बनाने के क्रम में सभी जनपदवासी भदोही को हरा भरा बनाने में कम से कम एक वृक्ष लगाकर अपना सहयोग करें। इसे एक सोशल मूवमेंट के रूप में देखें। वाराणसी भदोही मार्ग पर ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण किया जाए। उपायुक्त मनरेगा की देखरेख में मोरवा नदी तट पर भी आधिकाधिक वृक्षारोपण लगाया जाए।उन्होने डीएफओ को निर्देशित करते हुये कहा कि कल शाम तक जिन विभागों द्वारा पौध उठान प्रगति का कार्य न पूर्ण किया जाये तो उनकी सूचना जिलाधिकारी कार्यालय में उपलब्ध कराई जाये।

उन्होंने कहा कि जो विभाग इस कार्य में लापरवाही बरतेगा उनके विरूद्व आवश्यक कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने डीएफओ को निर्देशित करते हुये कहा कि समस्त विभागों से समन्वय स्थापित करते हुये निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप वृक्षारोपण का कार्य सम्पन्न कराया जाये। डीएफओ को निर्देशित किया गया कि वृक्षारोपण से पूर्व समस्त पौधशाला में पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये तथा नर्सरियों की संख्या,स्थल व उपलब्ध पौधों की संख्या का विवरण उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि वृक्षारोपण 2024 को लेकर समाज के सभी लोगों का सक्रिय सहयोग एवं सहभागिता प्राप्त करते हुए इसे वृहद जन आंदोलन के रूप में किया जाए।

जनपद में ऐसा वातावरण सृजित किया जाए कि आम जनमानस भी स्वयंमेव से जुड़ जाए।जनपद भदोही में वृक्षारोपण 2024 के तहत उत्तर प्रदेश शासन द्वारा वृक्षारोपण करने का आवंटित लक्ष्य दिया गया है, जिसके अंतर्गत वन विभाग नोडल विभाग के रूप में 300086, पर्यावरण 45000, ग्राम विकास विभाग 543290, पंचायती राज विभाग 59000, आवास विकास विभाग बीड़ा 5500,लोक निर्माण विभाग 7000, नगर विकास विभाग 17225, जल निगम 8000, रेशम विभाग 19000,कृषि विभाग 126590,पशुपालन विभाग 4000,सहकारिता विभाग 2760,उद्योग विभाग 9500, माध्यमिक शिक्षा विभाग 7232, बेसिक शिक्षा 6210,श्रम विभाग 1900,परिवहन 1800,उद्यान विभाग 66000,पुलिस विभाग 6300, स्वास्थ्य विभाग 5000,उच्च शिक्षा 10000, प्राविधिक शिक्षा 3000, परिवहन विभाग 1800, जल निगम 8000, ऊर्जा विभाग 3080, रेलवे विभाग 500, राजकीय पॉलिटेक्निक 2200, क्रीडा विभाग200, राजस्व विभाग 45000, सहित सत्र 2024 मे कल 13,15373 पौधरोपण किया जाएगा। वर्षा काल 2024 में कराए जाने वाले वृक्षारोपण के सुचारू संचालन हेतु क्रियान्वयन के विभिन्न बिंदुओं पर बल दिया ।बैठक में जिला विकास अधिकारी ज्ञान प्रकाश, उपयुक्त मनरेगा राजाराम, डीपीआरओ, एआरटीओ राम सिंह,बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेंद्र नारायण सिंह,समस्त अधिशासी अधिकारी एवं समस्त संबंधित अधिकारी गण उपस्थित रहे।

लव-कुश जन्मोत्सव: सीतामढ़ी में उमड़ा आस्था का सैलाब, गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने किए माता सीता के दर्शन

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। काशी और प्रयाग के मध्य पतित-पावनी भागीरथी के तट पर स्थित सीतामढ़ी (सीता समाहित स्थल) में सोमवार को लव-कुश जन्मोत्सव पर आयोजित भव्य मेले में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। माता सीता के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रही। भारी संख्या में लोगों ने गंगा स्नान कर दर्शन पूजन किया।

जिले में लवकुश जन्मोत्सव का एक अलग महत्त्व है। जिसे उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। इसे लेकर जिले में सार्वजनिक अवकाश भी रहता है। भगवान श्रीराम के कुमारों लव-कुश के जन्मोत्सव समारोह में सुबह से ही सीतामढ़ी धाम की तरफ भारी संख्या में श्रद्धालु पहुँचने लगे। इस दौरान भारी संख्या में लोगों ने गंगा स्नान किया। गंगा घाट पर श्रद्धालुओं की ऐसी भीड़ उमड़ी की वहां लोगों के खड़े होने का भी स्थान नहीं रहा।

मेले को देखते हुए सीता समाहित स्थल को भी आकर्षक रूप से सजाया गया है। माता सीता के दर्शन करने के लिए मंदिरों में दर्शनार्थियों का तांता लगा रहा। मंदिर में प्रवेश करने के बाद निकास की अलग व्यवस्था की गई थी। महिलाएं सीता की भी विधि- विधान से पूजन कर रही थीं। उड़िया बाबा आश्रम, सीता समाहित स्थल, हनुमान मंदिर, सीताधाम मंदिर, वाल्मीकि आश्रम स्थित लवकुश सीता मंदिर आदि स्थानों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।

इस दौङ मेले में तरह तरह के लजीज व्यंजनों के साथ खिलौने और श्रृंगार की दुकान लगी रही।भदोही जनपद का रामायाण काल से गहरा नाता है। शहर से 45 किलोमीटर दूर काशी और प्रयाग के मध्य गंगा तट पर स्थित सीता समाहित स्थल आस्था और भक्ति का केन्द्र सालों से बना हुआ है। मान्यता है कि जब भगवान राम ने माता सीता का परित्याग किया तब माता सीता यहीं आकर महर्षि वाल्मिकी के आश्रम में रहीं और यहीं पर ही अषाढ़ अष्ठमी के दिन लव व कुश का जन्म हुआ। जिसके अगले दिन यानी आज यहां लवकुश जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। इस दौरान यहां नौ दिवसीय राष्ट्रीय रामायण मेले का आयोजन भी किया जाता है जिसका आज अंतिम दिन है।

यहां दूर-दूर से श्रद्वालु आकर माता सीता के दर्शन करने के साथ भजन किर्तन करते हैं। मान्यता है कि माता सीता यही धरती मे समाहित हुई थी।