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2028 में सिंहस्थ कुंभ मेले से पहले इंदौर-उज्जैन के बीच दौड़ेगी वंदे मेट्रो ट्रेन ! सीएम मोहन यादव ने दी बड़ी अपडेट






2028 में उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले की तैयारियों के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक बैठक की अध्यक्षता की। जिसमें शहरी परिवहन के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। राज्य सरकार ने इंदौर और उज्जैन को जोड़ने वाली वंदे मेट्रो ट्रेन शुरू करने का फैसला किया है, जिसका उद्देश्य निवासियों, पर्यटकों और श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ाना है। इस पहल में इंदौर हवाई अड्डे को उज्जैन के महाकाल मंदिर से जोड़ना शामिल है, जिससे धार्मिक आयोजन के दौरान निर्बाध यात्रा की सुविधा मिलेगी।


यादव ने बताया कि इंदौर-उज्जैन मेट्रो मार्ग के लिए व्यवहार्यता सर्वेक्षण पूरा हो चुका है, जो इसके कार्यान्वयन की दिशा में प्रगति का संकेत है। इसके अतिरिक्त, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ चर्चा के परिणामस्वरूप मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों में वंदे मेट्रो सर्किल ट्रेनें शुरू करने की योजना बनाई गई है। इन आधुनिक मेट्रो प्रणालियों से यातायात की भीड़ कम होने और शहरी परिवहन में उल्लेखनीय सुधार होने की उम्मीद है।

मेट्रो के बुनियादी ढांचे में प्रगति पर सीएम यादव ने पिछले अक्टूबर में भोपाल मेट्रो के पहले चरण के सफल ट्रायल रन का उल्लेख किया, जिसके बाद के चरणों को 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इंदौर में 31 किलोमीटर की मेट्रो लाइन के लिए भी निर्माण कार्य चल रहा है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में सार्वजनिक परिवहन को और बढ़ाना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नई वंदे मेट्रो ट्रेनों में उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा और पारंपरिक मेट्रो सिस्टम की तुलना में ये अधिक गति से चलेंगी। इस विकास से पीथमपुर और देवास जैसे औद्योगिक क्षेत्रों को लाभ मिलने की उम्मीद है, जिससे क्षेत्रीय आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा। कुल मिलाकर, बैठक के दौरान लिए गए निर्णय सिंहस्थ कुंभ मेले से पहले परिवहन बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं, जिसका उद्देश्य सभी हितधारकों के लिए कुशल मेट्रो सेवाएं और सुगम आवागमन उपलब्ध कराना है।
उज्जैन के महाकाल मंदिर में टूटी परंपरा, बाबा महाकाल के जागने के पहले ही नंदी हॉल में...






मध्यप्रदेश के उज्जैन के श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में होने वाली भस्म आरती के दौरान प्रतिदिन भगवान वीरभद्र जी से आज्ञा लेने के बाद सभा मंडप स्थित चांदी द्वार खोला जाता है और उसके बाद मंदिर के पुजारी गर्भगृह तक पहुंचते हैं। जहां बने चांदी द्वार को भी पूजन के बाद खोला जाता है। तब मंदिर में भगवान का पूजन अर्चन अभिषेक होता है और फिर कपूर आरती के बाद नंदी हॉल मे श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाता है। जिसके बाद भस्म आरती की शुरुआत होती है, लेकिन रविवार की सुबह मंदिर में यह परंपरा टूट गई पुजारी और पुरोहितगण प्रतिदिन की तरह भगवान महाकाल की भस्मारती करने के लिए भगवान वीरभद्र से आज्ञा लेकर गर्भगृह की और पहुंचे तो उन्होंने देखा कि गर्भगृह के पट खुलने के पहले ही नंदी हॉल में श्रद्धालु बैठे हुए थे। जिस पर उन्होंने आपत्ति जताई और इस परंपरा को तोड़ने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर डाली।


इस बारे में महाकालेश्वर मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल का कहना था कि कर्मचारियों द्वारा प्रतिदिन की तरह ही भक्तों को पट खोलने के बाद ही नंदी हॉल में प्रवेश दिया जाना था, लेकिन अचानक हुई बारिश के कारण भक्तों को यहां पर पहले बिठा दिया गया था। हमने संज्ञान में लिया है, जिसके बाद कर्मचारियों ने पुजारी से माफी भी मांग ली है।
'आप संविधान के प्रति प्रेम दिखा रहे..', आपातकाल की 50 वीं बरसी पर पीएम मोदी ने कांग्रेस को दिखाया आइना






आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मंगलवार को कांग्रेस पर आइना दिखाते हुए कहा कि पार्टी लोकतांत्रिक सिद्धांतों की अवहेलना कर रही है और "देश को जेल में बदल रही है।" उन्होंने पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उसे संविधान के प्रति "अपने प्रेम का दावा" करने का कोई अधिकार नहीं है। दरअसल, 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था, जिसके दौरान नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया गया था, विपक्षी नेताओं और असंतुष्टों को जेल में डाल दिया गया था और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई थी। यह आपातकाल 1977 तक 21 महीने तक लागू रहा।


एक ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल के दौरान अत्याचार सहने वालों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि ये काले दिन लोगों को याद दिलाते हैं कि कैसे कांग्रेस ने बुनियादी स्वतंत्रता को नष्ट किया और संविधान को कुचला। उन्होंने कहा कि, "आज का दिन उन सभी महान पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया था। आपातकाल के काले दिन हमें याद दिलाते हैं कि किस तरह कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी स्वतंत्रताओं को नष्ट किया और भारत के संविधान को रौंद दिया, जिसका हर भारतीय बहुत सम्मान करता है।"

उन्होंने ट्वीट किया कि, "सत्ता पर काबिज रहने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हर लोकतांत्रिक सिद्धांत की अवहेलना की और देश को जेल बना दिया। कांग्रेस से असहमत होने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रताड़ित और परेशान किया गया। सबसे कमजोर वर्गों को निशाना बनाने के लिए सामाजिक रूप से प्रतिगामी नीतियां लागू की गईं।" संविधान पर "हमला" किए जाने के आरोपों को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने आरोप लगाया कि पार्टी ने संघवाद को नष्ट कर दिया है और उसे संविधान के प्रति "अपना प्रेम जताने" का कोई अधिकार नहीं है।

उन्होंने कहा कि, "जिन लोगों ने आपातकाल लगाया, उन्हें हमारे संविधान के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने का कोई अधिकार नहीं है। ये वही लोग हैं जिन्होंने असंख्य अवसरों पर अनुच्छेद 356 (राज्य सरकारों को बर्खास्त करना- 90 बार) लगाया, प्रेस की स्वतंत्रता को नष्ट करने के लिए विधेयक पारित किया, संघवाद को नष्ट किया और संविधान के हर पहलू का उल्लंघन किया।"उन्होंने आगे कहा, "जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया, वह उसी पार्टी में जीवित है जिसने इसे लगाया था। वे अपने दिखावे के माध्यम से संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को छिपाते हैं, लेकिन भारत के लोगों ने उनकी हरकतों को देख लिया है और इसीलिए उन्होंने उन्हें बार-बार खारिज किया है।"


भाजपा नेताओं ने आपातकाल की बरसी पर डाली पोस्ट

आपातकाल को आधार बनाकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर लोकतंत्र की हत्या करने और उस पर बार-बार हमला करने का आरोप लगाया। उन्होंने ट्वीट किया, "लोकतंत्र की हत्या और उस पर बार-बार प्रहार करने का कांग्रेस का लंबा इतिहास रहा है। 1975 में आज ही के दिन कांग्रेस द्वारा लगाया गया आपातकाल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अहंकारी और निरंकुश कांग्रेस सरकार ने एक परिवार की सत्ता के लिए 21 महीने तक देश में सभी प्रकार के नागरिक अधिकारों को निलंबित कर दिया था।"उन्होंने कहा, "इस दौरान उन्होंने मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी थी, संविधान में बदलाव किए थे और अदालत के हाथ भी बांध दिए थे। मैं उन अनगिनत सत्याग्रहियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, मजदूरों, किसानों, युवाओं और महिलाओं के संघर्ष को सलाम करता हूं जिन्होंने आपातकाल के खिलाफ संसद से लेकर सड़क तक विरोध प्रदर्शन किया।"

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक "काला अध्याय" कहा। उन्होंने ट्वीट किया, "आज से ठीक 49 वर्ष पहले भारत में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल लगाया गया था। आपातकाल हमारे देश के लोकतंत्र के इतिहास का एक काला अध्याय है जिसे चाहकर भी भुलाया नहीं जा सकता। उस दौरान जिस तरह से सत्ता का दुरुपयोग व तानाशाही का खुला खेल खेला गया, वह लोकतंत्र के प्रति कई राजनीतिक दलों की प्रतिबद्धता पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।"उन्होंने कहा, "अगर आज इस देश में लोकतंत्र जीवित है, तो इसका श्रेय उन लोगों को जाता है, जिन्होंने लोकतंत्र को बहाल करने के लिए संघर्ष किया, जेल गए और इतनी शारीरिक और मानसिक यातनाएं झेलीं। भारत की आने वाली पीढ़ियां उनके संघर्ष और लोकतंत्र की रक्षा में उनके योगदान को याद रखेंगी।"


इसी तरह की भावनाएं व्यक्त करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि लोकतंत्र के संरक्षक होने का दावा करने वाली पार्टी ने संविधान की रक्षा करते हुए लोगों की आवाज दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा, "25 जून 1975 - यह वह दिन है जब कांग्रेस पार्टी के राजनीतिक रूप से प्रेरित होकर आपातकाल लगाने के फैसले ने हमारे लोकतंत्र के स्तंभों को हिला दिया और डॉ. (बाबासाहेब) अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान को कुचलने का प्रयास किया।"

उन्होंने कहा, ‘‘इस दौरान, जो लोग आज भारतीय लोकतंत्र के संरक्षक होने का दावा करते हैं, उन्होंने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए उठने वाली आवाजों को दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।’’ नड्डा ने आगे कहा, "आज हम अपने महान नायकों द्वारा दिए गए बलिदानों को याद करते हैं, जिन्होंने आपातकाल के काले दिनों में बहादुरी से लोकतंत्र की रक्षा की। मुझे गर्व है कि हमारी पार्टी उस परंपरा से जुड़ी है, जिसने आपातकाल का डटकर विरोध किया और लोकतंत्र की रक्षा के लिए काम किया।" 18वीं लोकसभा के पहले दिन सोमवार को आपातकाल लगाए जाने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच वाकयुद्ध देखने को मिला।
टी20 वर्ल्ड कपःबांग्लादेश को हराकर अफगानिस्तान सेमीफाइनल में पहुंचा, ऑस्ट्रेलिया वर्ल्ड कप से बाहर*
#afghanistan_beat_bangladesh_in_t20_world_cup_2024
टी20 वर्ल्ड कप2024 में बांग्लादेश के खिलाफ मैच में अफगानिस्तान की टीम ने इतिहास रच दिया। वेस्टइंडीज के सेंट विसेंट स्टेडियम में राशिद खान की कप्तानी में अफगानिस्तान ने बांग्लादेश को हराकर वर्ल्ड कप इतिहास में पहली बार सेमीफाइनल में जगह बना ली है। राशिद खान की इस टीम ने वो करिश्मा कर दिखाया जिसकी कल्पना टूर्नामेंट से पहले करना दिन में ख्वाब देखना जैसा कहा जाता। अफगानिस्तान ने ये कोई चमत्कार नहीं किया है, जिसपर किसी को हैरानी हो। उसने जीत की आदत बना ली है। उसका लोहा उसके विरोधी भी मानने लगे हैं। बांग्लादेश को हराने से पहले इस टीम ने ऑस्ट्रेलिया को रौंदा था। न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी ताकतवर टीम को मात देकर अफगानिस्तान सेमीफाइनल में पहुंचने वाली टीम बनी है। राशिद खान की कप्तानी वाली टीम ने इस बार के आईसीसी टी20 विश्व कप में कमाल कर दिया है। भारत, इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका के साथ यह टीम सेमीफाइनल में जगह बनाने में कामयाब हुई। लीग स्टेज में एक मात्र वेस्टइंडीज से हारने वाली टीम को सुपर 8 के पहले ही मुकाबले में भारत से हार मिली थी। इसके बाद करो या मरो के मुकाबले में उतरी अफगान टीम ने ऑस्ट्रेलिया को पीटकर सनसनी फैला दी। सबकी नजर बांग्लादेश के खिलाफ होने वाले आखिरी मैच पर थी और यहां टीम ने 115 रन का बचाव करते हुए सेमीफाइनल में जगह बना ली। इस मैच में अफगानिस्तान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। अफगानिस्तान के बल्लेबाज अच्छी शुरुआत का फायदा नहीं उठा पाए और 5 विकेट पर महज 115 रन ही बना पाए। अफगानिस्तान के ओपनर रहमानुल्लाह गुरबाज और इब्राहिम जादरान ओपनिंग करने उतरे। दोनों अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे। लेकिन एक धमाकेदार शुरुआत देने में नाकाम रहे। गुरबाज ने 55 गेंदों में 43 रन बनाए। तो वहीं, जादरान 18 रन बनाकर आउट हुए। तीसरे नंबर पर आए अजमतउल्लाह जजई ने 10 रन बनाए। इसेक अलावा राशिद खान ने अंत में 10 गेंदों में 19 रन की पारी खेली। बारिश के कारण 1 ओवर घटाकर बांग्लादेश की टीम को संशोधित 114 रन का लक्ष्य दिया गया। जिसे वह चेज नहीं कर सकी और 105 पर ऑल आउट हो गई। बांग्लादेश के लिए रिशाद हौसेन ने शानदार गेंदबाजी करते हुए कुल 3 विकेट अपने नाम किए। अफगानिस्तान की जीत के साथ ही ऑस्ट्रेलिया वर्ल्ड कप से बाहर हो गई। सुपर-8 के 3 मैचों में ऑस्ट्रेलिया सिर्फ एक जीती और उसके 2 पॉइंट हैं। अफगानिस्तान ने 2 मैच जीते और 4 पॉइंट के साथ सेमीफाइनल में एंट्री की। अब 27 जून को त्रिनिदाद में भारतीय समय अनुसार सुबह 6 बजे सेमीफाइनल में अफगानिस्तान का मुकाबला साउथ अफ्रीका से होगा। टीम इंडिया इसी दिन रात 8 बजे गयाना में इंग्लैंड से सेमीफाइनल खेलेगी।
India

मंगोल पूरी में अवैध मस्जिद को तोड़ने गए MCD और दिल्ली पुलिस पर “विशेष समुदाय” की तरफ़ से पथराव करने की कोशिश।

मंगोल पूरी में अवैध मस्जिद को तोड़ने गए MCD और दिल्ली पुलिस पर “विशेष समुदाय” की तरफ़ से पथराव करने की कोशिश।
मंगोल पूरी में अवैध मस्जिद को तोड़ने गए MCD और दिल्ली पुलिस पर “विशेष समुदाय” की तरफ़ से पथराव करने की कोशिश।
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स्पीकर पर तकरार के बीच राहुल गांधी का पीएम मोदी पर हमला, बोले- एक तरफ विपक्ष से सहयोग की अपील, दूसरी तरफ...
#rahul_gandhi_attacked_on_pm_modi_after_no_consensus_on_speaker_post 
इस बार भारत के संसदीय इतिहास में पहली बार लोकसभा स्पीकर पद के लिए मतदान होगा। सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी इंडिया गठबंधन के बीच स्पीकर पद को लेकर सहमति नहीं बनने की वजह से मतदान की नौबत आई है। एनडीए की तरफ से ओम बिड़ला ने स्पीकर पद के लिए अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया है।ओम बिड़ला के नाम पर सर्वसहमति बनाने के लिए एनडीए की ओर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने इंडिया गठबंधन के नेताओं से बात की। लेकिन, इंडिया गठबंधन ने स्पष्ट कर दिया कि वह ओम बिड़ला का समर्थन तभी करेंगे जब विपक्ष को लोकसभा के डिप्टी स्पीकर का पद मिले। लोकसभा स्पीकर पर जारी तकरार के बीच राहुल गांधी ने मीडिया से बात करते हुए सीधे पीएम मोदी पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने भी मीडिया से बातचीत में यह स्पष्ट तौर पर कहा कि एक तरफ पीएम मोदी विपक्ष से सकारात्मक सहयोग की अपील करते हैं और दूसरी तरफ परंपरा के मुताबिक डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को नहीं देना चाहते। डिप्टी स्पीकर पद नहीं मिलने के बाद इंडिया गठबंधन ने कांग्रेस नेता जी. सुरेश को स्पीकर पद के चुनाव में उतारने का फैसला किया है। राहुल गांधी ने आगे कहा कि खरगे जी को राजनाथ सिंह का फोन आया था। राजनाथ सिंह ने खरगे से कहा कि आप हमारे स्पीकर को सपोर्ट कीजिए, सभी विपक्ष ने कहा था कि वो स्पीकर को सपोर्ट करेंगे, लेकिन डेप्युटी स्पीकर विपक्ष को मिलना चाहिए। राजनाथ सिंह ने अभी तक खरगे को कॉल नहीं किया है। मोदी जी कह रहे थे कि कंस्ट्रक्टीव विपक्ष चाहते हैं लेकिन वो हमारे नेता का अपमान कर रहे हैं। राहुल ने आगे कहा कि बीजेपी ने हमसे समर्थन मांगा, मोदी जी कहते कुछ हैं और करते कुछ और हैं यही इनकी रणनीति है। पूरा देश जानता है कि पीएम के शब्दों का कोई मतलब नहीं है, सहयोग होने की बात करते हैं। बता दें कि लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव 26 जून यानी कल होगा। 27 जून को राष्ट्रपति मुर्मू संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे। जानकारी के लिए बता दें कि विपक्षी दल ने इस पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। यह पहली बार है जब निचले सदन के अध्यक्ष के लिए चुनाव होंगे। आजादी के बाद से, अबतक लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति से होता आ रहा है। 543 सदस्यीय लोकसभा में एनडीए के पास 293 सांसद हैं और उसे स्पष्ट बहुमत प्राप्त है, जबकि विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक के पास 234 सांसद हैं।
लोकसभा के इतिहास में पहली बार अध्यक्ष पद पर होगा चुनाव, एनडीए के ओम बिरला का 'इंडिया' के सुरेश के बीच होगा मुकाबला*
#opposition_to_contest_lok_sabha_speaker_s_post
भारत को सियासी इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है।18वीं लोकसभा के नए अध्यक्ष को लेकर घमासान जारी है।लोकसभा अध्यक्ष पद को सत्तापक्ष और विपक्ष में सहमति नहीं बन सकी है। ऐसे में ऐसा पहली बार होगा जब स्पीकर पद के लिए चुनाव होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ही ओर से लोकसभा अध्यक्ष पद को लेकर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया गया है। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की ओर से ओम बिरला का नाम फाइनल हुआ है। वो पिछले सत्र में भी लोकसभा अध्यक्ष पद का जिम्मा संभाल चुके हैं। इस बार भी उन्होंने स्पीकर पद के लिए नामांकन कर दिया है। उधर इंडिया अलायंस की ओर से के सुरेश का नाम सामने आया। के सुरेश ने भी स्पीकर पोस्ट के लिए विपक्ष की ओर से नामांकन कर दिया। विपक्ष ने स्पीकर पद के लिए उम्मीदवार क्यों उतारा? विपक्ष की यही मांग थी कि स्पीकर सत्ता पक्ष का हो और विपक्षी पार्टी को लोकसभा उपाध्यक्ष का पद मिले। हालांकि, बीजेपी के नेतृत्व वाले सत्ताधारी खेमे ने इस पर स्वीकृति नहीं दी। इसी के बाद चुनाव के लिए विपक्ष ने फैसला लिया।इसी क्रम में कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने राजनाथ सिंह से मुलाकात की। हालांकि, कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल और द्रमुक नेता टीआर बालू लोकसभा अध्यक्ष के पद के लिए राजग उम्मीदवार का समर्थन करने से इनकार करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय से बाहर आ गए। वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि सरकार ने उपाध्यक्ष पद विपक्ष को देने की प्रतिबद्धता नहीं जताई। इससे पहले, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि लोकसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिए जाने की परंपरा रही है और यदि नरेन्द्र मोदी सरकार इस परंपरा का पालन करती है तो पूरा विपक्ष सदन के अध्यक्ष के चुनाव में सरकार का समर्थन करेगा। पहले उपाध्यक्ष कौन होगा ये तय करें- पीयूष गोयल उधर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पहले उपाध्यक्ष कौन होगा ये तय करें फिर अध्यक्ष के लिए समर्थन मिलेगा, इस प्रकार की राजनीति की हम निंदा करते हैं। स्पीकर किसी सत्तारूढ़ पार्टी या विपक्ष का नहीं होता है वो पूरे सदन का होता है, वैसे ही उपाध्यक्ष भी किसी पार्टी या दल का नहीं होता है पूरे सदन का होता है। किसी विशिष्ट पक्ष का ही उपाध्यक्ष हो ये लोकसभा की किसी परंपरा में नहीं है।
इमरजेंसी का “काला सच”, जब इंदिरा गांधी ने देश में लगा दिया था आपातकाल*
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25 जून 1975 की आधी रात जब देश पर आपातकाल थोप दिया गया था। लोकतंत्र के इतिहास में इस दिन को काला दिन माना जाता है। यही वो दिन था जब तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत, इंदिरा गांधी की सरकार की सिफारिश पर आपातकाल की घोषणा की। देश में आपातकाल लग चुका है इसका ऐलान खुद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो पर किया। 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की। 26 जून, 1975 की सुबह इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो पर कहा, 'राष्ट्रपति ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी है। इसमें घबराने की कोई बात नहीं है...'। इसके बाद से ही विपक्षी नेताओं में हलचल मच गई और गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू हो गया था। पौ फटने के पहले ही विपक्ष के कई बड़े नेता हिरासत में ले लिए गए। यहां तक कि कांग्रेस में अलग सुर अलापने वाले चंद्रशेखर भी हिरासत में लिए गए नेताओं की जमात में शामिल थे। ये इमरजेंसी 21 मार्च, 1977 तक देशभर में लागू रही। स्वतंत्र भारत के इतिहास में ये 21 महीने काफी विवादास्पद रहे। लोकतांत्रिक देश में भी ऐसा कुछ हो सकता है, यह किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। यह भी कि लोकतांत्रिक देश की संसद में किसी दल की मजबूती का बेजा इस्तेमाल की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इन 21 महीनों में जो कुछ भी हुआ। सत्ता दल अभी भी कांग्रेस को समय-समय पर कोसते रहते हैं। गांधी परिवार के दिग्गज नेता राहुल गांधी ने इस इमरजेंसी को गलत बताया और खुले तौर पर माफी भी मांगी थी। इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने 1971 के लोकसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल की थी। तत्कालीन 521 सदस्यीय संसद में कांग्रेस ने 352 सीटें जीती थीं। उन दिनों इंदिरा गांधी की सरकार पर भारत अस्थिरता के दौर से गुजर रहा था। गुजरात में सरकार के खिलाफ छात्रों का नवनिर्माण आंदोलन चल रहा था। बिहार में जयप्रकाश नारायण (JP) का आंदोलन चल रहा था। 1974 में जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में रेलवे हड़ताल चल रही थी। आपातकाल लागू करने के पीछे कई वजहें बताई जाती हैं। इसमें से मुख्य कारण था राजनीतिक अस्थिरता। इस राजनीतिक अस्थिरता की शुरुआत उस वक्त हुई, जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी को चुनावी धांधली का दोषी पाया और उन्हें छह साल के लिए किसी भी चुने हुए पद पर आसीन होने से वंचित कर दिया। इस फैसले के बाद, देश भर में विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक तनाव बढ़ गया। इन्ही सब को देखते हुए इंदिरा गांधी को देश में इमरजेंसी लगानी पड़ी। इंदिरा गांधी और उनकी सरकार ने दावा किया कि देश में गहरी अशांति और आंतरिक अस्थिरता है, जिसके चलते राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इसी कारण से उन्होंने आपातकाल की घोषणा की, जिससे वे बिना किसी विधायी और न्यायिक हस्तक्षेप के सरकार चला सकें। आपातकाल के जरीए इंदिराजी ने विपक्ष को कुचलने का रास्ता अपनाया। असहमति के हर स्वर का मुंह बंद किया। प्रेस पर सेंसरशिप थोपी। इमरजेंसी लागू होने के तुरंत बाद विपक्षी नेताओं को जेल में डालने का सिलसिला शुरु हो गया। इनमें जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी और मोरारजी देसाई समेत कई बड़े नेताओं का नाम था, जो कई महीनों और सालों तक जेल में पड़े रहे थे। आरएसएस समेत 24 संगठनों पर बैन लगा दिया गया। इसके अलावा, इंदिरा गांधी की सरकार ने देश में व्यापक सामाजिक और आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिसमें जबरन नसबंदी और स्लम क्लीयरेंस जैसे कठोर उपाय शामिल थे। कई इतिहासकारों का मानना है कि आपातकाल का उपयोग इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को मजबूत करने और विरोधी आवाजों को दबाने के लिए किया। यह घटना भारतीय लोकतंत्र पर एक गहरा आघात थी और इसने देश के राजनीतिक इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ी।
*लोकसभा अध्यक्ष के लिए एनडीए आज करेगा उम्मीदवार का एलान, अमित शाह के घर पर देर रात तक हुआ मंथन
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18वीं लोकसभा के संसद सत्र का आज दूसरा दिन है।लोकसभा का विशेष सत्र शुरू होने के साथ ही अब स्पीकर को लेकर सियासत तेज हो गई है। सत्ताधारी एनडीए की ओर से अभी तक स्पीकर के नाम का ऐलान नहीं किया गया है। हालांकि, माना जा रहा है कि दोपहर तक लोकसभा स्पीकर के नाम का फैसला हो जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि लोकसभा स्पीकर पद पर आवेदन दाखिल करने के लिए मंगलवार दोपहर तक का समय है। इससे पहले सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर बैठकों का दौर भी चलता रहा। पहली बैठक शाम करीब 6 बजे हुई, जब जेपी नड्डा गृहमंत्री के आवास पर पहुंचे थे। यह बैठक करीब एक घंटे तक चली।इसके बाद रात करीब 9 बजे जेपी नड्डा फिर से अमित शाह के घर पहुंचे। यह दिन की दूसरी मीटिंग थी जो कि करीब ढाई घंटे तक चली। माना जा रहा है कि यह बैठक लोकसभा स्पीकर को लेकर हुई है। अब देखना है कि एनडीए की ओर से स्पीकर के लिए किस नेता के नाम का ऐलान किया जाता है। माना जा रहा है कि स्पीकर भारतीय जनता पार्टी से ही होगा, क्योंकि एनडीए के सहयोगी दल साफ कर चुके हैं कि बीजेपी जिसे भी नॉमिनेट करेगी। एनडीए के सहयोगी दल उसका समर्थन करेंगे। लोकसभा स्पीकर पद के लिए जेडीयू और टीडीपी भी अपना रुख साफ कर चुके हैं। इस समय लोकसभा स्पीकर की रेस में ओम बिरला का नाम सबसे आगे चल रहा है। राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला 17वीं लोकसभा में भी स्पीकर थे। सूत्रों के मुताबकि बीजेपी जिन नामों पर माथा-पच्ची कर रही है उनमें ओम बिरला के साथ-साथ आंध्र प्रदेश भाजपा की अध्यक्ष डी पुरंदेश्वरी, बीजेपी के सीनियर नेता राधामोहन सिंह और भर्तृहरि महताब के नाम की भी चर्चा है। भर्तृहरि महताब अभी प्रोटेम स्पीकर हैं। इस समय लोकसभा स्पीकर की रेस में ओम बिरला का नाम सबसे आगे चल रहा है। राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला 17वीं लोकसभा में भी स्पीकर थे। सूत्रों के मुताबकि बीजेपी जिन नामों पर माथा-पच्ची कर रही है उनमें ओम बिरला के साथ-साथ आंध्र प्रदेश भाजपा की अध्यक्ष डी पुरंदेश्वरी, बीजेपी के सीनियर नेता राधामोहन सिंह और भर्तृहरि महताब के नाम की भी चर्चा है। भर्तृहरि महताब अभी प्रोटेम स्पीकर हैं।