Jun 15 2024, 17:51
*श्रवण कुमार के अंधे माता पिता के विलाप का प्रसंग वर्नन्*
*रमन वर्मा*
महोली (सीतापुर) बराहमऊ खुर्द में चल रही श्रीमद भागवत कथा के दौरान कथा वाचक रामजी शास्त्री ने श्रवण कुमार का प्रसंग सुनाते हुये कहा कि सतयुग में श्रवण कुमार अपने माता पिता के इच्छा जताने पर उन्हें चारों धाम के दर्शन कराने हेतु कांवर में बिठाकर जा रहे थे। तभी रास्ते में माता पिता को मार्ग में प्यास लगती है जिसकी इच्छा पुत्र श्रवण से वह जताते है।
माता पिता के कहने पर श्रवण कुमार कमंडल लेकर जल लेने के लिये चल देते है। काफी दूर तय करने के बाद श्रवण कुमार को एक जलाशय दिखाई पड़ता है। श्रवण कुमार जलाशय के निकट पहुंच उसमें अपना कमंडल डुबोने लगते है जिससे एक प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है इसी ध्वनि की आवाज सुन शिकार खेलने आये अयोध्या नरेश दशरथ किसी भैंसे की आवाज समझ शब्द भेदी बाण छोड़ देते यह
। यह बाण श्रवण कुमार के लग जाता है। जिससे वह घायल हो जाते है। धीरे धीरे दशरथ अपना शिकार देखने वहां आते है किंतु शिकार की जगह श्रवण कुमार को देख वह स्तब्ध रह जाते है। तथा श्रवण कुमार से अपनी गलती का क्षमा मांगते है।
श्रवण कुमार अपने माता पिता की प्यास बुझाने के लिये दशरथ से कहते है इतना कहने के बाद श्रवण कुमार अपने प्राण त्याग देते है तत्पश्चात दशरथ कमंडल में जल लेकर माता पिता के पास पहुंचते है तथा अपने द्वारा किये गये कपि की क्षमा मांगते हुये श्रवण कुमार की मौत का समाचार बताते है यह सुन माता पिता के होश उड़ जाते है तथा दशरथ को श्राप देते हे कि जिस तरह इस आयु में पुत्र के वियोग में हम तड़प तड़प कर जान दे रहे उसी तरह भविष्य में तुम भी पुत्र के वियोग में तड़प तड़प कर जान दोगे।
इतना कहने के बाद श्रवण कुमार के अंधे माता पिता अपने शरीर को त्याग देते हे। इस दृश्य केा देखकर दर्शकों की आंखों से अश्रुधारा बहने लगती है।
इस मौके पर अयोध्या प्रसाद, गंगाराम, मनोहर पाल, मथुरा यादव, रामसागर, रामअवतार, रामानन्द, राकेश, हृदय नारायण, रामप्रसाद,योगेन्द्र पाल, सहित आफी संख्या में लोग मौजूद रहे।
Jun 15 2024, 17:51