लोकसभा चुनाव: तीसरे चरण में भी कम हुई वोटिंग, मात्र 64.58 फीसदी मतदान, यूपी में पड़े सबसे कम वोट
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लोकसभा चुनावों के तीसरे चरण में 11 राज्यों की 93 लोकसभा सीटों के लिए मंगलवार को वोटिंग हुई। चुनाव आयोग के मुताबिक तीसरे चरण में करीब 64.58% वोटिंग दर्ज की गई। इससे पहले वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 66% मतदान रिकॉर्ड किया गया था। यहां पहले दो चरणों की तरह, तीसरे दौर में भी 2019 की तुलना में कम मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया।
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चुनाव आयोग के वोटर टर्नआउट ऐप पर रात 11.45 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, इस चरण में असम में 81.7% के साथ सबसे अधिक मतदान हुआ। सबसे कम उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर मतदान हुआ, जहां 2019 में 60% के मुकाबले 57.3% मतदान हुआ। इसके बाद बिहार (58.2%) और गुजरात (59.2%) का स्थान रहा। गुजरात में सूरत को छोड़कर सभी सीटों पर मतदान हुआ। सूरत सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए। जबकि पश्चिम बंगाल की चार सीटों पर 75.8% मतदान हुआ, यह पांच साल पहले हुए 81.7% से बहुत कम था।
कहां कितने पड़े वोट?
• कुल मतदान- 64.58 प्रतिशत
• उत्तर प्रदेश- 57.34 प्रतिशत
• बिहार- 58.18 प्रतिशत
• गुजरात- 59.51 प्रतिशत
• महाराष्ट्र- 61.44 प्रतिशत
• मध्य प्रदेश- 66.05 प्रतिशत
• दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव- 69.87 प्रतिशत
• कर्नाटक- 70.41 प्रतिशत
• छत्तीसगढ़- 71.06 प्रतिशत
• गोवा- 75.20 प्रतिशत
• पश्चिम बंगाल- 76.52 प्रतिशत
• असम- 81.71 प्रतिशत
तीसरे चरण के समापन के साथ अब 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 283 संसदीय क्षेत्रों में मतदान समाप्त हो गया है। चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि तीनों चरणों में यूपी और बिहार में मतदान प्रतिशत सबसे कम रहा। हालांकि तीसरे चरण में छत्तीसगढ़, कर्नाटक और गोवा में मतदान प्रतिशत में वृद्धि देखी गई।जबकि अगले चार चरण 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को होंगे। मतगणना चार जून को होगी।






सुरक्षा को लेकर उपजे विवाद के बीच दिग्गज दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने अपनी कोरोना वैक्सीन को वापस लेनी शुरू की है।कंपनी ने कहा है कि वह दुनियाभर से अपनी वैक्सजेवरिया वैक्सीन को वापस मंगा रही है। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही फर्मास्यूटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने एक कोर्ट में वैक्सीन के खतरनाक साइड इफेक्ट की बात स्वीकार की थी। इसके बाद कंपनी की ओर से यह कदम उठाया गया है।हालांकि, इसके लिए एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन के साइड इफेक्ट का तर्क नहीं दिया है बल्कि मार्केट में आई अपडेटेड वैक्सीन का हवाला दिया। साथ ही साथ कंपनी का दावा है कि उसकी वैक्सीन की मांग कम हो गई है। दिग्गज दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कुछ दिनों पहले ही ब्रिटेन की एक अदालत में कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट की बात स्वीकार की थी। 50 से ज्यादा लोगों ने एस्ट्राजेनेका की ओर से विकसित कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन वैक्सजेव्रिया को लेकर सवाल उठाए गए थे। हालांकि, कंपनी का कहना है कि वैक्सजेव्रिया वैक्सीन का साइड इफेक्ट रेयर है। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दिनों में ब्रिटेन और दूसरे देशों में भी वैक्सीन को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दिनों में ब्रिटेन और दूसरे देशों में भी वैक्सीन को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। टेलीग्राफ के अनुसार, वैक्सीन वापस लेने के लिए कंपनी का आवेदन 5 मार्च को किया गया था और 7 मई को प्रभावी हुआ। कंपनी ने यह भी कहा कि वह यूरोप के भीतर वैक्सीन वैक्सजेवरिया के मार्केटिंग ऑथराइजेशन को वापस लेने के लिए आगे बढ़ेगी। एस्ट्राजेनेका ने कहा, ‘चूंकि कई प्रकार की कोविड वैक्सीन विकसित की गई हैं इसलिए उपलब्ध अपडेटेड टीकों की संख्या अधिक है। इससे वैक्सजेवरिया वैक्सीन की मांग में गिरावट आई है। इसकी वजह से अब इसकी मैन्युफैक्चरिंग या सप्लाई नहीं की जा रही है। ब्रिटिश-स्वीडिश फार्मास्यूटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका का यह कदम ऐसे वक्त सामने आया है, जब कंपनी ने बीते दिनों ही स्वीकार किया है कि कुछ मामलों में कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट सामने आए हैं और इसकी वजह से कुछ लोगों में थ्रंबोसिस थ्रंबोसाइटोपीनिया सिंड्रोम बीमारी के लक्षण देखे गए हैं, जिसमें लोगों में खून के थक्के जमने लग जाते हैं। एस्ट्राजेनेका कंपनी कोविड वैक्सीन को लेकर कई मुकदमों का सामना कर रही है। आरोप है कि कोविड वैक्सीन लगने के बाद कई लोगों की जान गई है। जैमी स्कॉट नामक एक व्यक्ति ने एस्ट्राजेनेका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। स्कॉट का आरोप है कि वैक्सीन लेने के बाद उसके शरीर में खून के थक्के जमने की समस्या हुई और दिमाग में भी ब्लीडिंग हुई। इससे उसके मस्तिष्क को नुकसान हुआ। ऐसे ही कंपनी के खिलाफ 50 से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। कंपनी ने भी कोर्ट में लिखित दस्तावेजों में स्वीकार किया कि कोरोना वैक्सीन के कुछ दुर्लभ मामलों में साइड इफेक्ट दिख सकते हैं। बता दें कि यूके स्थित फार्मा कंपनी ने भारत सरकार को वैक्सीन देने के लिए वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) से हाथ मिलाया। सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड नाम से वैक्सीन का निर्माण किया। भारत में 80 फीसदी लोगों को कोरोना की कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई है। वैक्सीन के साइड इफेक्ट की बात सामने आने के बाद देश में कई सवाल खड़े किए गए और केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की गई। इस बीच पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभावों की जांच के लिए एक मेडिकल एक्सपर्ट पैनल बनाने का निर्देश जारी करने की मांग की गई।
May 08 2024, 11:35
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