दूषित पानी व सिल्ट से पट गई लवनी नदी,बंजर हो रहे खेत, बढ़ रही बीमारियां
विश्वनाथ प्रताप सिंह,प्रयागराज। शंकरगढ़ क्षेत्र के गाढ़ा कटरा के जंगलों से निकलकर कई गांवों से होती हुई टोंस नदी में मिलने वाली लवनी नदी का अस्तित्व संकट में है, यहां खरपतवार और अनावश्यक वनस्पतियां उग आई हैं और पानी का रंग पूरी तरह से काला पड़ गया है जिसे पशु पक्षी भी पीने से कतराते हैं। कोई जन प्रतिनिधि या सिंचाई विभाग भी इसकी सुध नहीं ले रहा है।
लोगों की माने कंपनी से निकलने वाले प्रदूषित पानी से उक्त नदी में प्रदूषण बढ़ गया है और वह पूरी तरह से सिल्ट से भट गई है। क्षेत्र के लोगों के लिए कभी जीवन दायिनी रही नदी के अस्तित्व के संकट की वजह से खेत, पशु, पक्षी आदि खतरे में हैं।
पहले इसी छोटी नदी से किसान खेतों की सिंचाई करते थे लेकिन अब संभव नहीं है। बताया गया कि प्लांट में उपयोग हो रहे कोयले से निकलने वाली राखड को इकट्ठा करने के लिए कपारी और जोरबट गांव के बगल में तालाब बनाए गए हैं। इसी के बगल से कई गांवों को जोड़ते हुए एक नदी बहती है जिसे लावनी नदी के नाम से जाना जाता है।
यह नदी गाढ़ा कटरा के जंगलों से निकलकर कैथा, शिवराजपुर, लकहर, कपारी, कपसो, जोरबट, पगुआर, मतवार, कल्याणपुर, गोबरा, देव खरिया आदि गांवों से होते हुए देवरा के पास टोंस नदी में मिलती है। कुछ वर्ष पहले इसी नदी से सिंचाई होती थी और पशु पक्षी भी इसी नदी का पानी पीते थे।
ग्रामीण नहाने के लिए भी इसी नदी का प्रयोग करते थे।लेकिन हाल के कुछ वर्षों से लगातार इस नदी की हालत खराब होती जा रही है। बताया गया कि कपारी , जोरवट तथा कुछ अन्य गांव के पास तो इस नदी की हालत बेहद खराब है । यहां यह भट गई है। नदी में पानी की जगह बलीना ,झाड़ियां तथा अन्य अनावश्यक वनस्पतियां उग गई हैं।
ग्राम प्रधान ने बताया कि पहले यह नदी साफ रहती थी। इसमें वर्ष भर पानी रहता था ।इस नदी से सिंचाई होती थी। ग्रामीण इसी में नहाने धोने का काम करते थे। इसी पानी से पशु पक्षी भी आबाद थे लेकिन अब यह नदी का पानी प्रदूषित और काला हो गया तथा वह भठ गई। एक अन्य ग्राम प्रधान ने बताया कि कंपनी कि इस नदी का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि नदी के बगल में स्थित पेड़ पौधे सूख गए हैं।
पानी में रहने वाले जलचर समाप्त हो गए हैं। नदी के पानी में प्रदूषण की वजह से क्षेत्र की समस्याएं बढ़ गई हैं। विभाग द्वारा यदि जल्द इस छोटी नदी के उत्थान और सफाई के लिए उचित कदम नहीं उठाया जाता तो इसका अस्तित्व समाप्त हो सकता है।
Mar 11 2024, 13:01