अब चांद पर प्रज्ञान ने क्लिक की लैंडर विक्रम की तस्वीर, इसरो ने की रिलीज़
#pragyan_rover_clicke_first_picture_of_vikram_lander
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग के बाद प्रज्ञान रोवर लैंडर विक्रम से नीचे उतरकर अपने काम में जुटा हुआ है। प्रज्ञान चांद की धरती पर चहलकदमी करते हुए डेटा जुटा रहा है। रोवर प्रज्ञान ने अब तक की महत्वपूर्ण जानकारियां भेजी हैं। चंद्रयान-3 मिशन के रोवर प्रज्ञान ने लैंडर विक्रम की तस्वीर ली है। हर बार की तरह इसरो ने इस तस्वीर को साझा किया है।अब तक जितनी भी तस्वीरें इसरो की तरफ से जारी की गई हैं वो विक्रम लैंडर के कैमरे से ली गई तस्वीरें हैं। पहली बार प्रज्ञान रोवर में लगे कैमरे से ली गई तस्वीर सामने आई है
इसरो ने लिखा ‘स्माइल प्लीज‘
इसरो ने एक ट्वीट में लिखा, ‘स्माइल प्लीज! प्रज्ञान रोवर ने आज सुबह विक्रम लैंडर की एक तस्वीर क्लिक की। फोटो रोवर प्रज्ञान (NavCam) पर लगे नेविगेशन कैमरे द्वारा ली गई। चंद्रयान-3 मिशन के लिए NavCams इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम लेबोरेटरी(LEOS) द्वारा विकसित किए गए हैं।’इसरो के मुताबिक, ये तस्वीरें 30 अगस्त को भारतीय समयानुसार सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर क्लिक की गई हैं।
विक्रम और प्रज्ञान खोज करने में जुटे
बता दें कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चांद पर लगातार कई खोज करने में जुटे हुए हैं। बीते दिन इसरो ने चांद पर ऑक्सीजन, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम, एल्युमिनियम, कैल्शियम, मैगनीज, सिलिकॉन, सल्फर होने की पुष्टि की थी और अब प्रज्ञान रोवर की कोशिश यहां पर हाइड्रोजन खोजने की है।इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी शेयर की। उसने कहा-' रोवर पर लगे लेजर संचालित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) उपकरण ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सतह में गंधक होने की स्पष्ट रूप से पुष्टि की है।उम्मीद के मुताबिक एल्युमीनियम, कैल्शियम, लौह, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का भी पता चला है। हाइड्रोजन की तलाश जारी है।' एलआईबीएस उपकरण को इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम्स (एलईओएस)/इसरो, बेंगलुरु की प्रयोगशाला में विकसित किया गया है। इसरो ने कहा, 'हाइड्रोजन की मौजूदगी के संबंध में गहन पड़ताल जारी है।'
चंद्रयान-3 मिशन के मुख्य उद्देश्य
चंद्रमा पर विभिन्न तत्वों की उपस्थिति और प्रचुरता के बारे में जानकारी इकट्ठा करना चंद्रयान-3 मिशन के प्रमुख विज्ञान उद्देश्यों में से एक है, इस दिशा में एक से अधिक उपकरण काम कर रहे हैं। रोवर प्रज्ञान पर एलआईबीएस उपकरण, जिसे इसरो की इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम लेबोरेटरी (LEOS) द्वारा विकसित किया गया है, चट्टानों या मिट्टी से प्लाज्मा उत्पन्न करने के लिए एक हाई-एनर्जी पल्सर का उपयोग करता है। इसरो ने कहा, ‘प्लाज्मा अवस्था में, एलिमेंट्स ऐडिएशन की विशिष्ट वेवलेंथ उत्सर्जित करते हैं, जिनका उपयोग इन तत्वों की पहचान करने के लिए किया जा सकता है। रोवर पर मौजूद अन्य उपकरण, जिसे अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर कहा जाता है, का उद्देश्य भी चंद्र सतह की मौलिक संरचना का अध्ययन करना है।
आपको बता दें कि भारत द्वारा 14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया गया था, 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चांद के साउथ पोल में सॉफ्ट लैंडिंग की। भारत इसी के साथ चांद के इस हिस्से पर लैंड करने वाला दुनिया का पहला देश बना था, साथ ही चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश था। भारत से पहले अमेरिका, चीन और सोवियत संघ सफलतापूर्वक चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं।
Aug 30 2023, 15:12