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हैरतंअगेज! भोपाल में करोड़पति निकला जिला अस्पताल राजगढ़ का स्टोर कीपर, देखकर दंग रह गई लोकायुक्त की टीम

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लोकायुक्त की टीम ने एक बार फिर काली कमाई के धनकुबेर को बेनकाब किया है। लोकायुक्त भोपाल की टीम ने मंगलवार तड़के आय से ज्यादा संपत्ति के मामले में कार्रवाई करते हुए एक सेवानिवृत स्टोर कीपर के ठिकानों पर छापा मारा है। चौंकाने वाली बात ये रही कि रिटायर्ड स्टोर कीपर 10 करोड़ से ज्यादा संपत्ति का मालिक निकला।

जानकारी के अनुसार, रिटायर्ड स्टोर कीपर के खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति की शिकायत मिली थी। इसी शिकायत के चलते उसके भोपाल एवं विदिशा जिले के लटेरी स्थित घर और अलग-अलग सम्पत्तियों पर छापामार कार्रवाई की गई। पता चला कि रिटायर्ड स्टोर कीपर तो 10 करोड़ से ज्यादा संपत्ति का मालिक है। लोकायुक्त एसपी मनु व्यास ने बताया कि 'अशफाक अली निवासी लटेरी जो जिला अस्पताल राजगढ़ में पूर्व में स्टोर कीपर के रूप पर पदस्थ था। उसके खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति अर्जित करने की शिकायत प्राप्त होने पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया। परिवार के सदस्यों के नाम पर 16 से ज्यादा अचल संपत्तियों की जानकारी प्राप्त हो चुकी है तथा तकरीबन 50 से ज्यादा अचल संपत्तियों को लेकर भोपाल-विदिशा और लटेरी में तहकीकात की जा रही है। 

वही अभी तक की तहकीकात में अपराधी और उसके परिजनों के नाम पर कई चल-अचल संपत्तियों की क्रय संबंधी अभिलेख प्राप्त हो चुके हैं। जिनकी कीमत तकरीबन सवा करोड़ रुपए है। अन्य 50 से भी अधिक अचल संपत्तियों के संबंध में लटेरी विदिशा एवं भोपाल में जानकारी एकत्र की जा रही।'' लोकायुक्त एसपी के अनुसार, जब अशफाक अली स्टोर कीपर के पद से सेवानिवृत हुआ था तब उसका वेतन लगभग 45 हजार रुपए था मगर छापे के चलते जो सम्पत्तियां, कैश और गहने मिले हैं वो उसकी आय के मुकाबले कई सौ गुना अधिक हैं। लटेरी में आरोपी का 14000 स्क्वायर फीट का एक निर्माणाधीन शॉपिंग कॉम्प्लेक्स मिला है।

राहुल गांधी ने आखिरी समय में अविश्वास प्रस्ताव पर बोलने की रणनीति क्यों बदली

#WhyRahulGandhichangethestrategyspeakingonnoconfidencemotion

2024 के लोकसभा चुनाव में अभी वक्त बचा है। हालांकि इससे पहले मंच तैयार किए जाने लगे हैं। इस मानसून सत्र को भी सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक बड़ा मंच मान लिया है। अभी एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा कि विपक्ष का सेमीफाइनल का मन था और दिल्ली सेवा बिल पर राज्यसभा में हुई वोटिंग एक तरह से सेमीफाइनल था। जिसके नतीजा सबके सामने है। इसी क्रम में मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर लोकसभा चुनाव 2024 की लड़ाई को और आक्रामक रूप दे दिया है। जिसके एक खास रणनीति के तरह खेला जा रहा है। मंगलवार को राहुल गांधी का मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष की ओर से चर्चा शुरू नहीं करना कांग्रेस की इसी रणनीति का हिस्सा है।

नॉर्थ ईस्ट के लिए बड़ा संदेश दे गई कांग्रेस

दरअसल, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा की सदस्यता बहाली के बाद मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष की ओर से चर्चा शुरू करने वाले थे। हालांकि आखिरी समय में इसे बदल दिया गया। लोकसभा की कार्रवाई शुरू होने से ऐन पहले कांग्रेस में इसके लिए तैयारी भी पूरी थी। लोकसभा स्पीकर को नोटिस भी जारी कर दिया गया था। ट्विटर हैंडल से बाकायदा बताया गया था कि राहुल गांधी आज सदन में बोलेंगे। यू-ट्यूब पर भाषण का लिंक शेयर किया गया, लेकिन राहुल गांधी नहीं बोले। जैसे ही चर्चा शुरू होने वाली थी तभी कांग्रेस ने गौरव गोगोई को आगे कर दिया। कांग्रेस ने इसे अपनी रणनीति पर बताया। राहुल गांधी के एक फैसले ने सरकार की पूरी रणनीति फेल कर दी और नॉर्थ ईस्ट के लिए भी एक बड़ा संदेश दे दिया।

कांग्रेस की ओर से गोगोई ने यूं संभाला मोर्चा

मणिपुर के मसले पर होने वाली चर्चा की शुरुआत कांग्रेस की ओर से नॉर्थ ईस्ट से आने वाले एक सांसद ने की। कांग्रेस के युवा सांसद गौरव गोगोई असम से आते हैं। कांग्रेस यह संदेश देने में सफल होती दिखी कि उन्होंने पूर्वोत्तर की आवाज़ को उठाया है। गौरव गोगोई ने भी अपने भाषण में गृह मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक पर निशाना साधा, यहां तक कि उनके निशाने पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी आए। गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मौन पर सवाल उठाए और तीन मुख्य बिंदुओं के जरिए मणिपुर मसले पर सरकार की विफलता गिनाई।

राहुल बनाम मोदी की सीधी लड़ाई दिखाने की कोशिश

राहुल गांधी अगर शुरुआत में बोलते तब उसके बाद विपक्ष और सरकार के अन्य सांसदों का भाषण होता, लेकिन सरकार के बड़े मंत्रियों और खुद प्रधानमंत्री का भाषण आखिर में ही होता. ऐसे में इस बड़े गैप को भरने के लिए और राहुल बनाम मोदी की सीधी लड़ाई दिखाने के लिए कांग्रेस ने इसी रणनीति को आगे बढ़ाया।

राहुल गांधी के भाषण ना देने पर बीजेपी की आपत्ति

मोदी सरकार के खिलाफ़ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर जब राहुल गांधी ने मंगलवार को भाषण नहीं दिया तो उस पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कांग्रेस ने सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर एक पत्र दिया, जिसमें कहा गया कि राहुल गांधी बोलेंगे, बहस दोपहर में शुरू हुई, मुझे आश्चर्य है कि पाँच मिनट में ऐसी क्या समस्या आ गई कि उन्होंने भाषण ना देने का फ़ैसला ले लिया।इसके जवाब में कांग्रेस सांसद रंजन गोगोई ने कहा कि “सत्ता पार्टी के मंत्रियों को लोकसभा स्पीकर के चेंबर में हुई बातों को सार्वजनिक रूप से सामने नहीं लाना चाहिए।” चेतावनी वाले लहजे में उन्होंने कहा कि “अगर इस तरह स्पीकर से हुई हमारी बात को सामने लाया जा रहा है तो फिर चेंबर में प्रधानमंत्री और स्पीकर के बीच क्या बात हुई है ये भी आपको बताना होगा।”

गोगोई के इस बयान पर गृहमंत्री अमित शाह ग़ुस्से मे अपनी सीट से उठ गए और कहा, “ ये गंभीर आरोप है, आपको बताना चाहिए कि पीएम ने क्या कहा है।” प्रह्लाद जोशी ने स्पीकर से कहा, “आप स्पीकर और प्रधानमंत्री को लेकर ऐसे बेबुनियाद आरोप नहीं लगा सकते। यह एक गंभीर मामला है।”इस पर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने गौरव गोगोई से कहा मेरा चेंबर भी लोकसभा का हिस्सा है इसलिए ऐसे कोई बयान मत दीजिए जिसके पीछे सच्चाई ना हो।”

*केजरीवाल का राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को खत, 'दिल्ली सेवा बिल' पर समर्थन के लिए जताया आभार*

#arvind_kejriwal_writes_to_mallikarjun_kharge_and_rahul_gandhi

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सांसद राहुल गांधी को पत्र लिखा है। अपने इस खत के जरिए केजरीवाल ने दिल्ली सेवा बिल खिलाफ मतदान करने और उनकी पार्टी के समर्थन के लिए दिल्ली के 2 करोड़ लोगों की ओर से आभार व्यक्त किया है।बता दें कि संसद में दिल्ली सर्विस बिल पेश किए जाने के दौरान कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी का साथ दिया था और इस बिल का विरोध किया था। हालांकि इस विरोध के बावजूद पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में ये बिल पास हो गया।

केजरीवाल ने अपने ख़त में लिखा- ''दिल्ली सर्विस बिल पेश किए जाने के दौरान आपकी पार्टी ने जो हमारा साथ दिया है, दिल्ली के दो करोड़ लोगों की तरफ से मैं आपका धन्यवाद करता हूं। मुझे यकीन है कि संविधान के प्रति आपकी इस वफादारी को दशकों तक याद रखा जाएगा।'' केजरीवाल ने कहा कि संसद के अंदर और बाहर आपने दिल्लीवालों के हक के लिए जो लड़ाई लड़ी, उसके लिए हम आपके आभारी हैं।

इससे पहले भी जब सदन में दिल्ली सेवा बिल पास हो गया था, तब केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जहां उन्होंने इस बिला को काला कानून बताया था, वहीं उन सभी पार्टियों को धन्यवाद दिया था जिसने विधेयक के विपक्ष में वोटिंग की।

*पीएम मोदी का विपक्ष पर हमला, बोले- देश कह रहा है, भ्रष्टाचार-वंशवाद और तुष्टिकरण भारत छोड़ो*

#quitindiamovementday2023pmnarendramoditargets_opposition

नौ अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ 'भारत छोड़ो आंदोलन' की शुरुआत की थी। इस आंदोलन की सालगिरह पर पीएम मोदी ने बुधवार को इस आंदोलन में शामिल होने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी। साथ ही पीएमन मोदी ने 'भारत छोड़ो आंदोलन' को याद करते हुए कहा कि भारत अब भ्रष्टाचार, वंशवाद और तुष्टिकरण के खिलाफ आवाज उठा रहा है।

पीएम मोदी ने एक वीडियो भी ट्विटर पर शेयर किया। पीएम मोदी ने ट्वीट किया- ''महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन ने आज़ादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. आज भारत एक स्वर में कह रहा है- भ्रष्टाचार क्विट इंडिया, वंशवाद क्विट इंडिया, तुष्टीकरण क्विट इंडिया।

इस शेयर किए वीडियो में पीएम मोदी का हाल ही में दिया भाषण भी सुनाई देता है। पीएम मोदी इस वीडियो में कहते हुए सुनाई देते हैं, ''नौ अगस्त की तारीख़ भारत के सबसे बड़े आंदोलनों की तारीख़ रही है। नौ अगस्त को ही गांधी जी के नेृतत्व में क्विट इंडिया मूवमेंट यानी इंडिया छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई थी। पूज्य बापू ने अंग्रेज़ों को साफ-साफ कह दिया था- क्विट इंडिया।'' पीएम मोदी कहते हैं, ''एक चेतना बनी। आख़िर में अंग्रेज़ों को इंडिया छोड़ना पड़ा। आज गांधी जी की उस इच्छा शक्ति को आगे बढ़ाना ही है। विकसित भारत के संकल्प में कुछ बुराइयां रोड़ा बनी हुई हैं। आज भारत कह रह रहा है- परिवारवाद इंडिया छोड़ो, तुष्टीकरण इंडिया छोड़ो।''

आज से शुरू हो रहा बीजेपी का महाअभियान

पीएम मोदी ने विपक्ष पर परोक्ष रूप से ऐसे समय में निशाना साधा है जब सत्तारूढ़ भाजपा बुधवार को इसी तर्ज पर देशभर में कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है।भारत छोड़ो आंदोलन के 81 साल पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी एक महाअभियान शुरू करने जा रही है। 21 दिनों तक चलने वाले इस अभियान की शुरुआत संसद में लगी गांधी प्रतिमा से बुधवार को किया जाएगा।इस अभियान को विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ पर एक तरह का तीखा हमला माना जा रहा है, जिसमें बीजेपी के दोनों सदनों के सांसद शामिल होंगे।

विपक्ष पर भ्रष्टाचार, वंशवाद और तुष्टिकरण के आरोप लगते रहे हैं

पीएम मोदी ने विपक्षी दलों पर भ्रष्टाचार, वंशवाद और तुष्टिकरण की राजनीति करने का बार-बार आरोप लगाया है। पिछले दिनों एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत के दिन को ऐतिहासिक करार दिया था और कहा था कि इसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नई ऊर्जा पैदा की। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं से ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की तर्ज पर ‘भ्रष्टाचार-भारत छोड़ो, वंशवाद-भारत छोड़ो, तुष्टिकरण-भारत छोड़ो’ अभियान चलाने का आह्वान किया था।

भारत छोड़ो आंदोलन' की बरसी पर हिरासत में लिए गए महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी, पुलिस स्टेशन से ट्वीट कर कही ये बात

#mahatma_gandhis_great_grandson_tushar_gandhi_detained_by_police 

महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी को मुंबई में हिरासत में ले लिया गया है। उन्होंने खुद ट्वीट कर ये दावा किया है। उन्होंने बताया है कि है कि वे भारत छोड़ो आंदोलन को बरसी मनाने के लिए निकले थे। लेकिन सांता क्रूज पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

तुषार गांधी ने ट्वीट कर कहा, आजाद भारत के इतिहास में पहली बार मुझे हिरासत में लिया गया। मैं 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की बरसी मनाने के लिए घर से निकला था, मुझे सांता क्रूज स्टेशन में हिरासत में ले लिया गया. मुझे गर्व है कि मेरे परदादा बापू और बा को भी इस ऐतिहासिक तारीख पर ब्रिटिश पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

तुषार गांधी ने पुलिस स्टेशन से ही ट्वीट किया कि जैसे ही उन्हें छोड़ा जाता है वह अगस्त क्रांति मैदान में मार्च करेंगे। उन्होंने कहा, यह शहीदों की याद दिलाने वाला दिन है और अगस्त क्रांति दिवस जरूर मनाया जाएगा। इस ट्वीट को किए जाने को दो घंटे बाद तुषार गांधी ने ट्विटर पर लिखा- ''अब मुझे जाने की अनुमति मिल गई है। मैं अगस्त क्रांति मैदान जा रहा हूं। इंकलाब ज़िंदाबाद।

बता दें कि नौ अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी। 1857 के बाद देश की आजादी के लिए चलाए जाने वाले सभी आंदोलनों में 1942 का ये आंदोलन सबसे विशाल और सबसे तीव्र आंदोलन साबित हुआ था। भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत बापू ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन से की थी। उस समय बापू ने मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान या अगस्त क्रांति मैदान में अपना ऐतिहासिक भाषण दिया था और इस भाषण में 'करो या मरो' का नारा दिया था। आंदोलन छेड़ने के बाद ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस पर कहर ढाना शुरू कर दिया। नेताओं की गिरफ्तारी की जाने लगी। देशभर में कांग्रेस के ऑफिसों पर छापे पड़े। उनके फंड सीज़ कर दिए गए। शुरुआत में तो ये आंदोलन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन ब्रिटिश सरकार के छापेमारी से प्रदर्शनकारी अचानक हिंसक हो गए और उन्होंने पोस्ट ऑफिस, सरकारी बिल्डिंग और रेलवे स्टेशनों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। इसमें तोड़ फोड़ की ढेर सारी घटनाएं हुईं और सरकार ने हिंसा की इन गतिविधियों के लिए गांधी जी को उत्तरदायी ठहराया।इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत ने गांधी जी और आंदोलन के सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। इस आंदोलन ने देश की आजादी में बहुत बड़ी भूमिका निभाई

भारत छोड़ो आंदोलन' की बरसी पर हिरासत में लिए गए महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी, पुलिस स्टेशन से ट्वीट कर कही ये बात

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महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी को मुंबई में हिरासत में ले लिया गया है। उन्होंने खुद ट्वीट कर ये दावा किया है। उन्होंने बताया है कि है कि वे भारत छोड़ो आंदोलन को बरसी मनाने के लिए निकले थे। लेकिन सांता क्रूज पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

तुषार गांधी ने ट्वीट कर कहा, आजाद भारत के इतिहास में पहली बार मुझे हिरासत में लिया गया। मैं 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की बरसी मनाने के लिए घर से निकला था, मुझे सांता क्रूज स्टेशन में हिरासत में ले लिया गया. मुझे गर्व है कि मेरे परदादा बापू और बा को भी इस ऐतिहासिक तारीख पर ब्रिटिश पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

तुषार गांधी ने पुलिस स्टेशन से ही ट्वीट किया कि जैसे ही उन्हें छोड़ा जाता है वह अगस्त क्रांति मैदान में मार्च करेंगे। उन्होंने कहा, यह शहीदों की याद दिलाने वाला दिन है और अगस्त क्रांति दिवस जरूर मनाया जाएगा। इस ट्वीट को किए जाने को दो घंटे बाद तुषार गांधी ने ट्विटर पर लिखा- ''अब मुझे जाने की अनुमति मिल गई है। मैं अगस्त क्रांति मैदान जा रहा हूं। इंकलाब ज़िंदाबाद।

बता दें कि नौ अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी। 1857 के बाद देश की आजादी के लिए चलाए जाने वाले सभी आंदोलनों में 1942 का ये आंदोलन सबसे विशाल और सबसे तीव्र आंदोलन साबित हुआ था। भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत बापू ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन से की थी। उस समय बापू ने मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान या अगस्त क्रांति मैदान में अपना ऐतिहासिक भाषण दिया था और इस भाषण में 'करो या मरो' का नारा दिया था। आंदोलन छेड़ने के बाद ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस पर कहर ढाना शुरू कर दिया। नेताओं की गिरफ्तारी की जाने लगी। देशभर में कांग्रेस के ऑफिसों पर छापे पड़े। उनके फंड सीज़ कर दिए गए। शुरुआत में तो ये आंदोलन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन ब्रिटिश सरकार के छापेमारी से प्रदर्शनकारी अचानक हिंसक हो गए और उन्होंने पोस्ट ऑफिस, सरकारी बिल्डिंग और रेलवे स्टेशनों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। इसमें तोड़ फोड़ की ढेर सारी घटनाएं हुईं और सरकार ने हिंसा की इन गतिविधियों के लिए गांधी जी को उत्तरदायी ठहराया।इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत ने गांधी जी और आंदोलन के सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। इस आंदोलन ने देश की आजादी में बहुत बड़ी भूमिका निभाई

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने खारिज की 370 पर सिब्बल की जनमत संग्रह वाली दलील, कहा-सवाल ही नहीं

#no_question_-of_brexit_like_referendum_on_abrogation_of_article_370_says_sc

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है।मंगलवार को कोर्ट में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ता की तरफ से ब्रेक्जिट जैसे जनमत संग्रह की दलीलें दीं।सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल की ये दलील सिरे से खारिज कर दी।

सीजेआई की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान बेंच उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही हैं जिनमें अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने को चुनौती दी गई है। नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन ने अदालत में रेफरेंडम का शिगूफा छोड़ा। उनकी तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलील दी कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले जम्‍मू और कश्‍मीर के लोगों की भावना नहीं जानी गई। सिब्बल की दलील है कि 1957 में जम्मू और कश्मीर संविधान सभा के खत्म होने के बाद अनुच्छेद 370 ने स्थायी रूप ले लिया। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र में, ब्रेक्जिट जैसी स्थिति नहीं हो सकती। कोर्ट ने कहा कि भारत एक संवैधानिक लोकतंत्र है, जहां इसके निवासियों की इच्छा केवल स्थापित संस्थानों के माध्यम से ही सुनिश्चित की जा सकती है।

अदालत को तय करना है, क्या भारत सरकार ऐसा कर सकती है-सिब्बल

सिब्बल ने दलील दी कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना ब्रेक्जिट की तरह ही एक राजनीतिक फैसला था। तब ब्रिटिश नागरिकों की राय जनमत संग्रह के माध्यम से प्राप्त की गई थी। सिब्बल ने कहा कि जब पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था तब ऐसा नहीं था।सिब्बल ने पूछा, संसद ने जम्मू-कश्मीर पर लागू संविधान के प्रावधान को एकतरफा बदलने के लिए अधिनियम को अपनी मंजूरी दे दी। यह मुख्य प्रश्न है कि इस अदालत को यह तय करना होगा कि क्या भारत सरकार ऐसा कर सकती है। 

सिब्बल ने संसद की शक्ति पर उठाया सवाल

सिब्बल ने जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की अनुपस्थिति में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की संसद की शक्ति पर बार-बार सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि केवल संविधान सभा को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने या संशोधित करने की सिफारिश करने की शक्ति निहित थी। चूंकि संविधान समिति का कार्यकाल 1957 में समाप्त हो गया था, इसलिए जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संवैधानिक प्रावधान को स्थायी मान लिया गया। 

सीजेआ ने दिया ये जवाब

इस पर सीजेआई ने कहा, संवैधानिक लोकतंत्र में लोगों की राय जानने का काम स्थापित संस्थाओं के जरिए किया जाना चाहिए। इसलिए आप ब्रेक्जिट जैसे जनमत संग्रह जैसी स्थिति की कल्पना नहीं कर सकते। उन्होंने सिब्बल के इस विचार से सहमति जताई कि ब्रेक्जिट एक राजनीतिक फैसला था, लेकिन हमारे जैसे संविधान के अंदर जनमत संग्रह का कोई सवाल ही नहीं है।

क्या है 'ब्रेक्जिट'?

ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने को 'ब्रेक्जिट' नाम दिया गया था।ब्रेक्जिट को लेकर ब्रिटेन में 2016 में जनमत संग्रह हुआ था।जिसमें लोगों का बहुमत ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने के पक्ष में था।जनमत संग्रह के रुझान के बाद कैमरन सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था।तब कंजरवेटिव पार्टी की थेरेसा मे की अगुवाई में सरकार बनी थी।

भरी संसद में अमित शाह ने कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई को दिया चैलेंज, डिटेल में जानिए क्या है पूरा मामला


कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई आज मंगलवार को उस समय विवादों में घिर गए, जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के बीच 'गुप्त बातचीत' की जानकारी होने का दावा किया। सभापति बिड़ला को संबोधित करते हुए, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ओम बिड़ला ने किसी तरह कांग्रेस सांसदों द्वारा की गई निजी बातचीत/अनुरोधों को संसद के बाकी हिस्सों में लीक कर दिया। गोगोई ने पीएम मोदी और ओम बिरला के बीच गुप्त बातचीत को उजागर करने की धमकी देते हुए कहा कि, “आप लोकसभा के संरक्षक हैं।”

कांग्रेस सांसद ने दावा किया कि, 'क्या मुझे हर किसी को बताना चाहिए कि पीएम मोदी ने आपके कार्यालय के अंदर क्या कहा है? लेकिन मैं ऐसा नहीं करना चाहता।'' गोगोई के ऐसा कहने पर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनकी टिप्पणी पर आपत्ति जताई और उन्हें पीएम मोदी और लोकसभा अध्यक्ष के बीच कथित 'गुप्त बातचीत' को उजागर करने की चुनौती दी। शाह ने कहा कि, 'हां, हमें बताएं, ये गंभीर आरोप हैं, अध्यक्ष महोदय।' एक अन्य भाजपा सांसद प्रह्लाद जोशी ने कहा कि गौरव गोगोई, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के बारे में निरर्थक टिप्पणी नहीं कर सकते। गौरव गोगोई ने ओम बिरला से कहा कि, ''हम आपके साथ अपनी निजी बातचीत को निजी रखने की कोशिश करते हैं।'' कांग्रेस नेता ने सुझाव दिया कि लोकसभा अध्यक्ष ने किसी तरह उनकी निजी चैट भाजपा सांसदों को लीक कर दी है। ओम बिड़ला ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि, "हमें कभी भी ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, जो तथ्यों और सच्चाई पर आधारित न हो।" गोगोई ने यह विवादास्पद टिप्पणी तब की जब भाजपा नेता प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाने का विकल्प चुनने के लिए राहुल गांधी का मजाक उड़ाया।

दरअसल, भाजपा सांसद प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि, 'हमें जानकारी मिली कि गौरव गोगोई की जगह राहुल गांधी बात करेंगे। क्या हुआ सर!? हम उन्हें सुनने के लिए उत्साहित थे। वे यहाँ क्यों नहीं है।' जिसके बाद कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने यह मान लिया कि ओम बिड़ला ने उन्हें जानकारी दी है। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि मामला पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में था और यह कोई विशेषाधिकार प्राप्त बातचीत नहीं थी। कांग्रेस सांसद ने बड़ी चतुराई से अमित शाह की चुनौती का जवाब देने से परहेज किया और अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू कर दी।

यूपी-बंगाल-झारखंड समेत 6 राज्यों में विधानसभा उपचुनाव का ऐलान, पांच सितंबर को मतदान, आठ को आएंगे परिणाम

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सोमवार को चुनाव आयोग ने एक साथ 6 राज्यों की सात विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव की घोषणा कर दी। चुनाव आयोग की घोषणा के साथ ही इन सभी 7 विधानसभा सीटों पर आज से आदर्श आचार संहिता लग गया है। जिन-जिन सीटों पर चुनाव होना है वहां का सियासी पारा गरमा गया है। चुनाव आयोग की घोषणा के अनुसार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, केरल, झारखंड, त्रिपुरा सहित देश के छह राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर 5 सितंबर को उपचुनाव का मतदान होगा। वोटों की गिनती 8 सितंबर को होगी।

चुनाव आयोग के अनुसार यूपी की घोषी, झारखंड की डुमरी और केरल की पुथुपल्ली विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है। वहीं त्रिपुरा की बॉक्सानगर और धनपुर विधानसभा सीट पर भी 5 सितंबर को वोट डाले जाएंगे। पश्चिम बंगाल की धुपगुड़ी एससी और उत्तराखंड की बागेश्वर एससी विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने जा रहे है।

यूपी की घोषी और त्रिपुरा की धानपुर विधानसभा सीट पर मौजूदा विधायक के इस्तीफा देने के कारण उपचुनाव होने जा रहा है।त्रिपुरा की धानपुर विधानसभा सीट प्रतिमा भैमिक के इस्तीफे के बाद खाली हुई तो इसी तरह उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद खाली हुई है। जबकि बाकी सभी 5 विधानसभा सीट के मौजूदा विधायकों के निधन हो जाने के कारण उनकी सीट पर उपचुनाव हो रहा है।झारखंड के डुमरी सीट जगरनाथ महतो के निधन के बाद खाली हुई, केरल की पुथुपल्ली विधानसभा सीट ओमान चांडी के निधन, त्रिपुरा की बोक्सानगर सीट समसुल हक के निधन, पश्चिम बंगाल की धुपगुरी (एससी) विधानसभा सीट बिष्णु पांडे और उत्तराखंड की बागेश्वर (एससी) सीट चंदन राम दास के निधन के बाद खाली हुई है।

चुनाव की अधिसूचना 10 अगस्त को जारी होगी। 17 तारीख तक नामांकन पत्र जमा किये जा सकेंगे। नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है। इस सभी 7 विधानसभा सीट पर 5 सितंबर को वोटिंग होगी। जबकि 8 सितंबर को वोटों की गिनती होगी।

इमरान खान को मक्खियों, खटमल से भरी कोठरी में रखा गया, जेल के अंदर खुले में जाना पड़ रहा शौचालय, पीटीआई का दावा

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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान एक बार फिर गिरफ्तार कर लिए गए हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशाखाना मामले में दोषी पाए जाने और अदालत द्वारा 3 साल की सजा सुनाए जाने के बाद उनको गिरफ्तार कर लिया गया।इस बीच हैरान करने वाली खबर सामने आई है। कहा जा रहा है कि इमरान खान को अदालत ने रावलपिंडी की जेल ले जाने का आदेश दिया था, लेकिन उन्हें अटक शहर की जेल भेज दिया गया।दावा किया जा रहा है कि अटक जेल की जिस कोठरी में इमरान खान को रखा गया है वह मक्खियों और खटमल से भरी हुई है तथा उसमें शौचालय भी खुले में बनाया हुआ है। 

इमरान खान के अटॉर्नी जनरल नईम हैदर पंजोठा ने कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) अध्यक्ष को पंजाब प्रांत में स्थित जेल में सी-श्रेणी की सुविधाएं दी जा रही हैं।उन्होंने बताया कि देश की विश्व कप विजेता क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान को जेल की जिस कोठरी में रखा गया है वहां मक्खियां तथा खटमल भरे पड़े हैं।पंजोठा ने सोमवार को खान से जेल में मुलाकात करने के बाद कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री छोटे-से कमरे में बंद हैं ‘जिसमें खुले में शौचालय बना हुआ है।’ 

पंजोठा ने कहा कि खान ने उन्हें बताया है कि पुलिस ने उन्हें गिरफ्तारी वारंट नहीं दिखाया और पुलिस ने लाहौर में उनके घर में उनकी पत्नी के कमरे का दरवाजा तोड़ने की कोशिश भी की थी।उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री की दोषसिद्धि के खिलाफ अपील दायर करने के लिए कानूनी दस्तावेज पर उनके दस्तखत कराने के लिए जेल के एक अधिकारी की मौजूदगी में खान से करीब एक घंटे 45 मिनट तक मुलाकात की। वकील ने मीडिया से कहा कि खान ने बताया है कि उन्हें एक अंधेरे कमरे में रखा गया है जहां खुले में शौचालय बना है और वहां दिन में मक्खियां मंडराती रहती हैं और रात में चीटियां आती हैं।

पंजोठा ने खान के हवाले से कहा, मुझे अंधेरे कमरे में रखा गया है जिसमें कोई टेलीविजन या अखबार नहीं है। किसी को मुझसे मिलने नहीं दिया जाता है, जैसे कि मैं कोई आतंकवादी हूं।

इस्लामाबाद की एक निचली अदालत द्वारा जारी आदेश के अनुसार, उन्हें रावलपिंडी की अडियाला जेल में होना चाहिए था। खान को तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद उन्हें शनिवार को लाहौर में उनके घर से गिरफ्तार कर लिया गया था। अदालत के आदेश के अनुसार, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश हुमायूं दिलावर ने इस्लामाबाद पुलिस प्रमुख को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था, जबकि पंजाब पुलिस ने खान को गिरफ्तार किया।