स्वर्ण रेखा से आज जल उठाकर भक्त दलमा से लेकर उड़मा बेड़ादा तक के विभिन्न शिवालयों में सोमबार को करेंगे जलाभिषेक
सरायकेला :जिला के चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के टाटा रांची एन एच 33 स्थित होटल रिवर व्यू के पास दलमा सेंचुरी से सटे जंगल और सुवर्णरेखा नदी के तट पर विराजमान है प्राचीन कालीन जयदा बूढ़ा बाबा का प्रसिद्ध शिव मंदिर !
इस मंदिर की स्थापना विक्रमादित्य देव के कार्यकाल में माना जाता है। इस मंदिर में उस समय से पूजा अर्चना होते आ रही है।यहां सैकड़ों की तादात में छोटे बड़े शिवलिंग स्थापित है।
इस मंदिर में जो भी भक्त श्रद्धा पूर्वक मन्नत मांगते हैं उनका मोनोकामना पूरा होता है। जिसे देखते हुए झारखंड राज्य के साथ पश्चिम बंगाल ,उड़ीसा ,बिहार ओर देश विदेश से श्रद्धालु माथा टेकने और पूजा अर्चना करने यहाँ पहुंचते हैं ।
सावन की माह में दूरदराज से सैकड़ो श्रद्धालु और काबंड यात्री यहाँ पानी उठा कर विभिन्न मंदिर में जलाविषेक करते हैं*
सावन की पावन माह में पश्चिम बंगाल ,उड़ीसा व झारखंड राज्य के विभिन्न कोने कोने से काबड़िया द्वारा स्वर्णरेखा नदी से नहा कर पानी उठाकर जयदा बूढ़ा बाबा की पूजा अर्चना करने की प्रश्चात इस मंदिर की परिक्रमा करते हैं।
इसके अलावे कंबड़िया आपने साथियों के साथ बोलबम की नारे लगते हुए यहां से 55 किलोमीटर दूर स्थित पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला के उरमा बेड़ादा मंदिर जाते हैं।
यह मंदिर एन एच 32 स्थित मुख्य राजमार्ग पर विराजमान है यह मंदिर भी प्राचीन कालीन शिव मंदिर है।यह भी बेड़ादा धाम बूढ़ा बाबा के नाम से जाना जाता है ।साथ ही 50 किलोमीटर दूरी बाघमुंडी थाना क्षेत्र के जंगल की तराई में बसे प्राचीन कालीन लोहरिया बूढ़ा बाबा के नाम पर प्रसिद्ध शिव मंदिर ओर सरायकेला खरसावां जिला के चांडिल थाना क्षेत्र के एन एच 33 मुख्य राज्य मार्ग शहर बेड़ा से 30 किलो मीटर दूरी दलमा सेंचुरी जंगल की चोटी के गुफा में विराजमान है ।
प्राचीन कालीन दलमा बूढ़ा बाबा के नाम पर प्रसिद्ध है। इन मंदिर में भी श्रद्धालु पैदल चलकर काबड़िया आज सुबह से हीं पानी लेकर रातभर सैकडो की तादात विभिन्न मंदिर पहुंचकर सोमबार को पानी चढ़ाएंग।
आज से प्रशासन की ओर से इन काबंड यात्रियों की सुरक्षा देखते हुए चांडिल थाना और चौका थाना पुलिस वल के महिलाए पुलिस भी तैनात किये गए हैं।
जयदा बूढ़ा परिसर में बाबा के नगरी में भक्तो का चौथा सोमबारी लगेगा ।काफी भीड़ का जुटान होगा।बताया जाता है पांडव द्वारा महायग करने के समय सुवर्णरेखा नदी का नाम उल्लेख हुआ है जिसका महाभारत में भी नाम है उस नदी का जल को प्रवित्र मानकर भक्तो द्वारा शंकर भगवान को जलाभिषेक किया जाता है।
Aug 06 2023, 17:28