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पीएम मोदी ने इमैनुएल मैक्रों को दिया चंदन का सितार, फर्स्ट लेडी को पोचमपल्ली सिल्क की साड़ी, जानें खासियत

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन का फ्रांस दौरा खत्म कर सयुंक्त अरब अमीरात (यूएई) के लिए निकल गए हैं।13 और 14 जुलाई को पीएम नरेंद्र मोदी दो दिन के फ्रांस दौरे पर रहे।भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस की यात्रा दोनों देशों की ओर से उपहारों का आदान प्रदान किया गया। भारतीय प्रधानमंत्री की ओर से फ्रांसीसी राष्ट्रपति, फ्रांस की प्रथम महिला और राष्ट्रपति मैक्रों की पत्नी ब्रिगिट मैक्रॉन, फ्रांस की पीएम एलिजाबेथ बर्न और फ्रांसीसी सीनेट के अध्यक्ष जेरार्ड लार्चर को भारत के पारंपरिक उपहार दिए गए।

पीएम मोदी ने मैक्रों को दिया चंदन का सितार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों को तोहफे में चंदन की लकड़ी से बना सितार गिफ्ट किया है। चंदन की लकड़ी पर नक्काशी की कला एक उत्कृष्ट और प्राचीन शिल्प है। दक्षिणी भारत में सदियों से यह कला विकसित है।इस सजावटी सितार में ज्ञान और शिक्षा की देवी मां सरस्वती की छवि उकेरी गई है। साथ ही बाधाओं को दूर करने वाले भगवान गणेश की छवि भी है।इसमें जटिल नक्काशी के जरिए मोर की छवि भी उकेरी गई है।

फर्स्ट लेडी को गिफ्ट की पोचमपल्ली की रेशम की साड़ी

मैक्रों के अलावा पीएम मोदी ने उनकी पत्नी और फ्रांस की प्रधानमंत्री को भी तोहफे दिए हैं। पीएम ने राष्ट्रपति मैक्रों की पत्नी ब्रिजेट मैक्रों को सैंडलवुड बॉक्स में पोचमपल्ली रेशम इकत की साड़ी उपहार में दिया। ये तेलंगाना की पारंपरिक साड़ी होती है, जिस पर डाई करके पागाडु बंधु शैली में जिओमेट्रिकल पैटर्न बना होता है।जटिल डिजाइनों और जीवंत रंगों के लिए प्रसिद्ध पोचमपल्ली रेशम इकत साड़ी भारत की सुंदरता, शिल्प कौशल और सांस्कृतिक विरासत को समाहित करती है।

फ्रांसीसी सीनेट के अध्यक्ष जेरार्ड लार्चर को उपहार में चंदन का हाथी

इसके अलावा पीएम मोदी ने पीएम मोदी ने फ्रांसीसी सीनेट के अध्यक्ष जेरार्ड लार्चर को हाथी उपहार में दिया। ये सजावटी हाथी की मूर्ति शुद्ध चंदन से बनी हुई है।ये चंदन की हाथी की आकृतियां भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखती हैं, जो ज्ञान, शक्ति और सौभाग्य का प्रतीक हैं। खूबसूरती से उकेरी गई ये मूर्तियां प्रकृति, संस्कृति और कला के बीच सामंजस्य की याद दिलाती हैं।

पीएम एलिजाबेथ बोर्न को उपहार में 'मार्बल इनले वर्क टेबल'

फ्रांस की पीएम एलिजाबेथ बोर्न को उपहार में दिया 'मार्बल इनले वर्क''मार्बल इनले वर्क' अर्ध-कीमती पत्थरों का उपयोग करके संगमरमर पर की गई सबसे आकर्षक कलाकृतियों में से एक है। इसका संगमरमर राजस्थान के मकराना शहर में पाया जाता है, जो उच्च गुणवत्ता वाले संगमरमर के लिए प्रसिद्ध है। इस पर उपयोग किए गए अर्ध-कीमती पत्थर राजस्थान के विभिन्न हिस्सों और भारत के अन्य शहरों से खरीदे जाते हैं। संगमरमर पर अर्ध-कीमती पत्थरों को मैन्युअल रूप से बारीकी काटना और उकेरना शामिल है। पहले इन बेशकीमती पत्थरों को निश्चित डिजाइन में बड़ी बारीकी से काटा जाता है। फिर छोटे टुकड़ों को एक खांचे में डाल दिया जाता है। इससे संगमरमर का फर्नीचर टुकड़ा कला का एक सुंदर और रंगीन उत्कृष्ट नमूना बन जाता है।

नेशनल असेंबली के अध्यक्ष को गिफ्ट की कश्मीर की कालीन

पीएम मोदी ने हाथ से बुना हुआ रेशमी कश्मीरी कालीन फ्रांस की नेशनल असेंबली के अध्यक्ष येल ब्रौन- पिवेट को भेंट किया। कश्मीर की हाथ से बुनी रेशम की कालीन अपनी कोमलता और शिल्प कौशल के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। सिल्क कश्मीरी कालीन के रंग और इसकी बुनावट इसे खास बनाती हैं।इस कालीन के रंग ऐसे हैं, जब इस पर नजर पड़ती है तो ऐसा भ्रम होता है कि ये एक नहीं, बल्कि 2 कालीन हो।

मैक्रों ने पीएम मोदी को क्या गिफ्ट दिया?

वहीं, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने पीएम मोदी को प्राउस्ट के उपन्यास, शारलेमेन शतरंज खिलाड़ियों की प्रतिकृति गिफ्ट में दी। अधिकारियों ने कहा कि मैक्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 1916 की एक फ्रेम की हुई तस्वीर गिफ्ट में दी, जिसमें एक पेरिसवासी एक सिख अधिकारी को फूल भेंट कर रहा है।

भारतीय नौसेना की ताकत में होगा और इजाफा, बेड़े में शामिल होंगे 26 नए राफेल, जानें भारत के लिए यह क्यों जरूरी?

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भारत पर चीन और पाकिस्तान नाम के दो खतरे लगातार मंडरा रहे हैं। चीन के साथ तो हालात युद्ध के से बने हुए है। ऐसे में भारत लगातार अपनी शक्तियों को बढ़ाने में लगा है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दो दिवसीय फ्रांस दौरे के दौरान भारत और फ्रांस के बीच बड़ी डिफेंस डील पर मुहर लगी। इसके तहत भारतीय नेवी को फ्रांस की दसॉ एविएशन से 26 नए एडवांस राफेल फाइटर जेट हासिल होंगे, जो खास तौर पर नेवी की जरूरतों के हिसाब से डिजाइन होंगे। भारतीय नौसेना के 26 राफेल अंततः पहले से ही सेवा में मौजूद 36 राफेल में शामिल हो जाएंगे। दसॉ एविएशन ने यह जानकारी दी।

क्या बोले दसॉ एविएशन के अध्यक्ष?

डसॉल्ट एविएशन के अध्यक्ष और सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा कि हम भारतीय सेनाओं के साथ अपनी साझेदारी की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, मैं डसॉल्ट एविएशन की ओर से इस नए विश्वास और प्रतिज्ञा के लिए भारतीय अधिकारियों को धन्यवाद देना चाहता हूं कि हम राफेल के साथ भारतीय नौसेना की उम्मीदों को पूरा करेंगे।

एक सफल परीक्षण अभियान के बाद लिया गया फैसला

दसौ एविएशन ने बताया कि यह निर्णय भारत में आयोजित एक सफल परीक्षण अभियान के बाद लिया गया है। परीक्षण अभियान के दौरान नौसेना राफेल ने प्रदर्शित किया कि यह भारतीय नौसेना की परिचालन आवश्यकताओं को पूरी तरह से पूरा करता है और इसके विमान वाहक की विशिष्टताओं के लिए पूरी तरह उपयुक्त है।

डीएसी ने इस प्रस्ताव को पहले ही अनुमोदित किया था

इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने इस प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया था। इस फैसले को मंजूरी उस दिन मिली जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस की दो दिवसीय हाई-प्रोफाइल यात्रा शुरू की थी। रक्षा अधिग्रहण परिषद ने भारतीय नौसेना के लिए तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के साथ 22 राफेल एम और चार दो सीटों वाले ट्रेनर संस्करणों सहित 26 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के प्रस्तावों को मंजूरी दी थी। बता दें कि डीएसी रक्षा खरीद पर निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च इकाई है। 

राफेल की जरूरत क्यों पड़ी?

देश पर दुश्मनों की नापाक नजरें लगी हो, तो चौकन्ना होना पड़ता है। खूद को ताकतवर और तैयार करना पड़ता है। सीमा पर मंडरा रहे खतरे के लिए लिहाज से मिग-29 फाइटर प्लेन तैयार किया गया था। हालांकि हमारे मिग-29 के हालत अच्छी नहीं है। इनमें लगातार हादसे होते रहते हैं। मिग रूस में बने फाइटर प्लेन हैं, जो हाल के सालों में अपने क्रैश को लेकर चर्चा में रहे हैं। इसलिए भारतीय नौसेना अगले कुछ सालों में अपने बेड़े से मिग विमानों को पूरी तरह से हटाने जा रही है।मिग में आ रही दिक्कतों से नौसेना को ये एहसास हो गया कि मिग की जगह उसे या तो राफेल या सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान लाने की जरूरत है।

चंद्रयान 3 के बाद इसरो स्पेस की एक और ऊंची छलांग लगाने की तैयारी में, जानें कब लॉन्च होगा दुनिया का सबसे दमदार राडार “निसार

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चंद्रयान 3 लॉन्च हो चुका है। अब जल्द ही भारत को स्पेस के क्षेत्र में एक और अहम कामयाबी मिलने वाली है। दरअसल नासा इसरो सेंथिटिक एपर्चर राडार यानी निसार क 2024 की शुरुआत में लॉन्च करने की तैयारी पूरी कर ली गई है। नासा ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि निसार 2024 की शुरुआत में लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है। नासा की विज्ञप्ति में कहा गया है कि लगभग 40 फीट (12 मीटर) व्यास वाला रिफ्लेक्टर अंतरिक्ष में लॉन्च जाएगा, जो अपनी तरह का सबसे बड़ा रडार एंटीना होगा।

बता दें कि नासा इसरो सेंथिटिक एपर्चर राडार यानी निसार, दुनिया की दो सबसे ताकतवर स्पेस एजेंसी का ज्वाइंट प्रोजेक्ट है। नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) इस प्रोजेक्ट पर एक साथ काम कर रहे है। ये डबल फ्रीक्वैंसी रडार है। जिसे दो हिस्से में तैयार किया जा रहा है। सेटेलाइट का प्रमुख पे-लोड एल-बैंड जो 24 सेंटीमीटर वेबलैंथ का होगा। उसे नासा तैयार कर रहा है। वहीं 12 सेंटीमीटर वेबलेंथ का एस-बैंड इसरो तैयार कर रहा है। वहीं इसरो रडार की इमेंजिंग प्रणाली का भी विकास कर रही है। इसके अलावा माइक्रोवब और ऑप्टिकल सेंसर भी इसरो ही तैयार कर रही है।

आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में बेहतर काम किए जा सकेंगे

ये दुनिया का सबसे महंगा अर्थ इमेजिंग सेटेलाइट होगा। इस प्रोजेक्ट के लिए भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो 120 मिलियन डॉलर खर्च कर रहा है। जबकि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा 1 बिलिय़न ड़ॉलर लगा रही है। स्पेस में ऑपरेशनल हो जाने के बाद ये उपग्रह अपने उन्नत राडार से इमेजिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए पूरी धरती की हाई क्वालिटी इमेंज लेगा। ये धरती पर होने वाली हर तरह की हलचल का पता लगा सकेगा। आर्कटिक और अंटार्कटिंक एरिया में जो बर्फ की चादरें पिघल रही है। अर्थात सिसनिक प्लेटों में हो रही गतिविधि का पता चल सकेगा। जिससे भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदा को रोका जा सकेगा। ज्वालामुखी विस्फोट, समुद्र और सागर की गहराई की हर जानकारी देगा। इसकी मदद से आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में बेहतर काम किए जा सकेंगे।

आकाश से पृथ्वी पर होगी पैनी नजर

इस खास खोज के लिए आकाश से धरती की निगरानी के लिए, दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका ने भारत को अपना साथी चुना। निसार के जरिए भारत और अमेरिका दुनिया को खास देने वाले हैं। शायद वो चीज जो मानवता के विकास में मददगार साबित हो सकती है, लेकिन सोचने वाली बात है कि आखिर अमेरिका ने भारत की ही मदद क्यों ली। वो खुद चलकर आया भारत से मदद मांगने। शायद इधर कुछ सालों में भारत ने अंतरिक्ष और उससे जुड़ी तकनीक के क्षेत्र में अच्छी खासी तरक्की कर ली है। जिसकी आशा अमेरिका ने कभी नहीं की होगी भारत ने वो कर दिखाया।

अपनी सालों की मेहनत के बल पर भारत ने दुनियाभर का भरोसा जीता

बात बिगाड़ने की कोशिश हुई थी, लेकिन भारत ने दुनियाभर का भरोसा जीता। बात 1992 की है, जब अमेरिका में जॉज बुश सीनियर की सरकार थी। तब रशिया भारत को क्रायोजेनिक इंजन की टेकनॉलोजी देने वाला था। लेकिन अमेरिका ने इसपर रोक लग दी। क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल रॉकट में होता है, और उस वक्त ये तकनीक सिर्फ अमेरिका और रशिया के पास थी। अमेरिका नहीं चाहता था इस दौड़ में कोई तीसरा खड़ा हो। भारत मिसाइल बनाने में कामयाब हो। लेकिन भारत अपने भरोसे के बल पर और 20 साल की मेहनत के बाद वो क्रायोजेनिक इंजन बनाने में सफल हुआ। ये वही क्रायोजेनिक इंजन है, जो जीएसएलवी में लगता है और इसी क्रायोजेनिक इंजन से निसार को भी लॉन्च किया जाना है 

नासा की इसरो में ऐसे बढ़ी दिलचस्पी

नासा दुनिया की सबसे विकसित स्पेस एजेंसी है, बावजूद नासा ने इसरो में दिलचस्पी दिखायी। इसकी शुरूआत 2012 में हुई, जब इसरो ने भारत का पहला स्वदेशी राडार इमेंजिंग सेटेलाइट लॉन्च किया। इस सेटेलाइट की मदद से रात हो या दिन, मौसम कैसा भी हो, धरती के सतह की तस्वीरें ली जा सकती है। इसके बाद ही नासा ने भारत के साथ हाथ मिलाकर ये प्रोजेक्ट शुरू करने की इच्छा जतायी। इस मामले में करीब 2 साल तक बातचीत के बाद निसार सेटेलाइट को लेकर सहमति बनी। अब दोनों देश मिलकर विज्ञान और प्राद्यौगिकी का इस्तेमाल मानव हित में करेंगे।

महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार, शिंदे गुट के विरोध के बावजूद अजित पवार को वित्त विभाग, जानें एनसीपी के खाते में आए कौन से विभाग

#ncpajitpawarwishwasfulfilledcabinetexpansionin_maharashtra

महाराष्ट्र में सियासी उलटफेर के बाद आखिरकार मंत्रालय का बंटवारा हो गया है। कई दिनों से अटके पड़े इस विस्तार को लेकर राज्य की सियासत में चर्चाओं का बाजार गर्म था।एनसीपी में हुई बगावत के बाद से मंत्रियों के विभागों के बंटवारे को लेकर गतिरोध जारी था। जो विभागों के बंटवारे के साथ शुक्रवार को खत्म हो गया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विभागों का बंटवारा कर दिया है।

अजीत गुट को मिले 7 मंत्रालय

पोर्टफोलियो बंटवारे में अजित पवार की मुराद पूरी हो गई है और उन्हें वित्त मंत्रालय सौंपा गया है। इसके अलावा योजना, को-ऑपरेटिव, कृषि व‍िभाग, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, महिला और बाल विकास विभाग, राहत और पुनर्वास और चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय एनसीपी के अजित पवार गुट को दिया गया है।

किसको मिला कौन सा विभाग

महाराष्ट्र में पिछले दो हफ़्तों से नए मंत्रियों के विभागों को लेकर कई बैठके हुईं। तमाम बैठकों के बाद भी मामला नहीं सुलझ सका। जिसके बाद मामला दिल्ली पहुंचा और अब जाकर गुत्थी सुलझ गई है। अजित पवार गुट के मंत्रियों को उनके विभाग दे दिए गए हैं। अजीत पवार को वित्त एंव नियोजन विभाग दिया जाएगा, जोकि अभी उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास था। वहीं छगन भुजबल को खाद्य एंव आपूर्ति विभाग सौंपा गया हिया, जोकि बीजेपी नेता रविंद्र चव्हाण के पास था। इसके साथ ही दिलिप वलसे पाटिल को सहकारिता मंत्री बनाया गया है। यह विभाग पहले बीजेपी नेता अतुल सावे के पास था। इसके साथ ही मेडिकल एजुकेशन हसन मुश्रिफको सौंपा गया है। यह विभाग पहले बीजेपी नेता गिरीश महाजन के पास था। 

बता दें कि शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी में दो जुलाई को विभाजित हो गई थी। उनके भतीजे अजित पवार और लगभग तीन दर्जन विधायक सत्तारूढ़ शिवसेना-बीजेपी गठबंधन में शामिल हो गए। इस दौरान अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री और आठ अन्य एनसीपी नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली।इस दौरान अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री और छगन भुजबल, दिलीप वलासे पाटिल, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडे, संजय बनसोडे, अदिति तटकरे और धर्मरावबाबा अत्राम ने मंत्री पद की शपथ ली थी।

मणिपुर पर यूरोपीय संसद में प्रस्ताव, हिंदू बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा देने का आरोप, भारत ने जताया ऐतराज

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एक तरफ़ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ़्रांस दौरे पर हैं, दूसरी तरफ़ यूरोपीय संसद ने मणिपुर हिंसा को लेकर भारत की तीखी आलोचना की है। यूरोपीय संसद में मणिपुर हिंसा से जुड़ा एक प्रस्ताव पास कर आरोप लगाया गया है कि मणिपुर में अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति असहिष्णुता के चलते ताज़ा हिंसा के हालात पैदा हुए हैं।भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि यह भारत के आंतरिक मामलों में दखल है और इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

भारत ने कहा-औपनिवेशिक मानसिकता

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यूरोपीय संसद में जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर के विकास पर चर्चा के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि हमने देखा है कि यूरोपीय संसद ने मणिपुर के घटनाक्रम पर चर्चा की। बागची ने कहा कि एक तथाकथित अत्यावश्यक प्रस्ताव अपनाया। भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप अस्वीकार्य है और यह औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है।न्यायपालिका सहित सभी स्तरों पर भारतीय अधिकारी मणिपुर की स्थिति से अवगत हैं और शांति और सद्भाव व कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठा रहे हैं।

यूरोपीय संघ ने पारित किया प्रस्ताव

यूरोपीय संघ की संसद ने मणिपुर में हाल में हुई हिंसा को लेकर भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित किया। यूरोपीय संघ के प्रस्ताव में भारत पर यह भी आरोप लगाया गया कि अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति असहिष्णुता के कारण मौजूदा स्थिति बनी है। इस प्रस्ताव में चिंता ज़ाहिर की गई है कि राजनीति से प्रेरित विभाजनकारी नीतियों से इस इलाक़े में हिंदू बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रस्ताव में कहा गया है कि अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति असहिष्णुता के चलते मणिपुर में हिंसा के हालात पैदा हुए हैं।

प्रस्ताव में धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए तुरंत जरूरी उपाय करने की सलाह

प्रस्ताव में कहा गया है कि मणिपुर राज्य सरकार ने इंटरनेट कनेक्शन बंद कर दिए हैं और मीडिया द्वारा रिपोर्टिंग में गंभीर रूप से बाधा पैदा की गई है। हालिया हत्याओं में सुरक्षा बलों के शामिल होने को लेकर प्रस्ताव में कहा गया है कि इससे प्रशासन के प्रति भरोसा और कम हुआ है। प्रस्ताव के अनुसार, मणिपुर में बीते मई से हिंसा शुरू हुई और अब तक 120 लोगों की मौत हुई है. 50,000 लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ा है और 17,000 घरों और 250 चर्च नष्ट कर दिए गए हैं। यूरोपीय संसद ने कड़े शब्दों में भारतीय प्रशासन से हिंसा पर काबू करने की अपील की है और जातीय और धार्मिक हिंसा रोकने और सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए तुरंत सारे ज़रूरी उपाय करने को कहा है।

हिंसा की स्वतंत्र जांच की अनुमति देने का आग्रह

यूरोपीय संघ की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने भारतीय अधिकारियों से स्वतंत्र जांच की अनुमति देने का भी आग्रह किया। उन्होंने सभी परस्पर विरोधी पक्षों से भड़काऊ बयान बंद करने, आपसी विश्वास बहाल करने और तनाव कम करने के लिए निष्पक्ष भूमिका निभाने का भी आग्रह किया। इसमें कहा गया है कि यूरोपीय संसद ने व्यापार सहित यूरोपीय संघ-भारत साझेदारी के सभी क्षेत्रों में मानवाधिकारों को एकीकृत करने के अपने आह्वान को दोहराया।

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भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में एक और बड़ा कदम बढ़ाया है। इसरो ने शुक्रवार को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च कर दिया है, दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर यह इतिहास रचा गया है।चंद्रयान-3 के कक्षा में सफल प्रक्षेपण के बाद

मिशन मूनःचंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग, जानिए चांद पर कब पहुंचेगा?
भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में एक और बड़ा कदम बढ़ाया है। इसरो ने शुक्रवार को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च कर दिया है, दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर यह इतिहास रचा गया है।चंद्रयान-3 के कक्षा में सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो में जश्न मनाया गया। चंद्रयान-3 परियोजना के निदेशक पी वीरमुथुवेल और इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने एलवीएम3-एम 4 वाहन के सफलतापूर्वक कक्षा में लॉन्च करने के बाद अपनी खुशी साझा की। इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा, ''चंद्रयान-3 ने चांद की अपनी यात्रा शुरू कर दी है। चंद्रयान-3 को शुभकामनाएं दें कि आने वाले दिनों में वो चांद पर पहुंचे। सोमनाथ ने कहा, एएलवीएम3-एम4 रॉकेट ने चंद्रयान 3 को सटीक कक्षा में पहुंचा दिया है। इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-3 की गतिविधि पूरी तरह से सामान्य है और वो उसे चांद की सतह पर देखने की प्रतीक्षा में हैं। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 ने अपनी सटीक कक्षा में चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है। अंतरिक्ष यान का स्वास्थ्य सामान्य है।लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-3 के चार चरण सफलतापूर्वक पूरे हो गए हैं। चंद्रयान-3 पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा। चंद्रयान-3 तीन में एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रॉपल्सन मॉड्यूल लगा हुआ है। इसका कुल भार 3,900 किलोग्राम है। इस मिशन में चंद्रयान का एक रोवर निकलेगा (एक छोटा सा रोबोट) जो कि चांद की सतह पर उतरेगा और लुनर साउथ पोल में इसकी पोजिशनिंग होगी। यहीं पर रोवर इस बात की खोज करेगा कि चांद के इस हिस्से में उसे क्या-क्या ख़निज,पानी आदि मिल सकता है। इस खोज से ख़ास बात ये होगी कि अगर कभी भविष्य में हम चांद में कॉलोनियां बसाना चाहें, तो इसमें बहुत मदद मिलेगी।
बैस्टिल डे परेड में विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल हुए पीएम मोदी, राष्ट्रपति मैक्रों और फर्स्ट लेडी रहीं मौजूद

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस में बैस्टिल डे परेड में शिरकत की। परेड में फ्रेंच राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी मौजूद हैं। फ्रांस की फर्स्ट लेडी लेडी ब्रिगिट मैक्रों भी परेड के लिए पहुंची हैं। बता दें कि पीएम मोदी को चीफ गेस्ट के तौर पर परेड में आमंत्रित किया गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पेरिस के चैंप्स-एलिसीस में बैस्टिल डे परेड के लिए पहुंचने पर गर्मजोशी से गले मिले। बैस्टिल डे परेड के बारे में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताते हुए नजर आए।

भारतीय वायु सेना के राफेल भी फ्रांस के इस बैस्टिले डे परेड में शामिल हुए। यहां पेरिस के चैंप्स-एलिसीस में वायु सेना के राफेल ने फ्लाई पास्ट भी किया। पेरिस में बैस्टिल डे परेड के दौरान फ्रांसीसी राष्ट्रीय ध्वज का प्रदर्शन करते हुए भारतीय त्रि-सेवा दल ने भी फ्लाई पास्ट किया। पंजाब रेजिमेंट की अगुवाई में भारतीय सेना के त्रि-सेवा दल फ्रांस में है। पंजाब रेजिमेंट के लोंगेवाला 23वीं बटालियन के कैप्टन अमन जगताप परेड में भारतीय सेना की अगुवाई कर रहे हैं।

बैस्टिल डे परेड में विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल हुए पीएम मोदी, राष्ट्रपति मैक्रों और फर्स्ट लेडी रहीं मौजूद

#pm_modi_in_france_bastille_day_parade_paris

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस में बैस्टिल डे परेड में शिरकत की। परेड में फ्रेंच राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी मौजूद हैं। फ्रांस की फर्स्ट लेडी लेडी ब्रिगिट मैक्रों भी परेड के लिए पहुंची हैं। बता दें कि पीएम मोदी को चीफ गेस्ट के तौर पर परेड में आमंत्रित किया गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पेरिस के चैंप्स-एलिसीस में बैस्टिल डे परेड के लिए पहुंचने पर गर्मजोशी से गले मिले। बैस्टिल डे परेड के बारे में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताते हुए नजर आए।

भारतीय वायु सेना के राफेल भी फ्रांस के इस बैस्टिले डे परेड में शामिल हुए। यहां पेरिस के चैंप्स-एलिसीस में वायु सेना के राफेल ने फ्लाई पास्ट भी किया। पेरिस में बैस्टिल डे परेड के दौरान फ्रांसीसी राष्ट्रीय ध्वज का प्रदर्शन करते हुए भारतीय त्रि-सेवा दल ने भी फ्लाई पास्ट किया। पंजाब रेजिमेंट की अगुवाई में भारतीय सेना के त्रि-सेवा दल फ्रांस में है। पंजाब रेजिमेंट के लोंगेवाला 23वीं बटालियन के कैप्टन अमन जगताप परेड में भारतीय सेना की अगुवाई कर रहे हैं।

चंद्रयान-3 किया गया लॉन्च, इसरो पर टिकी दुनिया की निगाहें

#Big_Breaking

चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया गया है।इसरो ने शुक्रवार दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 को लॉन्च किया।इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया है। चंद्रयान-3 एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैस है। इसका वजन करीब 3,900 किलोग्राम है।

”हम पर क्यों थोपा जा रहा है..”समान नागरिक संहिता को लेकर फिर बोले एआईएमआईएम चीफ ओवैसी

#asaduddin_owaisi_remark_on_ucc

यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर छिड़ी सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। एआईएमआईएम चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी लगातार इसे लेकर बयान दे रहे हैं। यूसीसी पर जारी बहस के बीच एआईएमआईएम चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर अपनी चिंता जाहिर की है।ओवैसी ने बयान जारी करते हुए कहा है कि हमने लॉ कमीशन को अफना रेस्पॉन्स और उसके साथ रिटायर्ड जस्टिस गोपाल गौड़ा का लीगल ओपिनियन भी भेजा है। सुप्रीम कोर्ट के वकील निजाम पाशा द्वारा इस रेस्पॉन्स को तैयार करने में मदद की गई है। 

शुक्रवार, 14 जुलाई को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ओवैसी ने विधि आयोग द्वारा जारी अधिसूचना को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि अधिसूचना में लोगों की राय मांगी गई थी, लेकिन इसमें कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया था। मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने टिप्पणी की कि विधि आयोग पांच साल की अवधि के बाद एक बार फिर समान नागरिक संहिता पर अभ्यास कर रहा है। 

ओवैसी ने बताया राजनीतिक एक्सरसाइज

ओवैसी ने कहा कि हमारा मानना है कि ये राजनीतिक एक्सरसाइज है, ताकि लोगों का ध्यान महंगाई, बेरोजगारी इत्यादि से हटा दिया जाए। उत्तराखंड में यूसीसी को लागू करने को लेकर जो कमेटी बनाई गई है वो आर्टिकल 44 का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा हर चुनाव से पहले होता है ताकि बीजेपी को आगामी चुनाव में फायदा मिल सके।

मुस्लिम पर्सनल लॉ में महिलाओं ज्यादा अधिकार हासिल-ओवैसी

एआईएमआईएम चीफ ने आगे कहा कि इस्लाम में कबूल है बोलते हैं, जबकि हिंदुओं में ऐसा नहीं है। जब रिचुअल पूरा हो जाता है तो शादी पूरी मानी जाती है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में महिलाओं को शादी टूटने पर ज्यादा अधिकार हासिल हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने दावा करते हुए कहा, इस्लाम में सबसे पहले महिलाओं को प्रॉपर्टी में हिस्सा दिया गया। इस्लाम में महिला को पति और पिता दोनों से प्रॉपर्टी मिलती है। इस्लाम में बीवी की कमाई में पति का कोई हिस्सा नहीं होता है। हिंदू महिलाओं की ये सब हासिल नहीं है। ओवैसी ने कहा कि बहुसंख्यकों के विचारों को मुसलमानों पर थोपा जा रहा है।