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योग दिवस पर कांग्रेस ने नेहरू को किया याद, थरूर ने अपनी ही पार्टी को दी नसीहत, बीजेपी वाले हुए गदगद

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आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। अमेरिका दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगे।इससे पहले पीएम ने अंतर राष्ट्रीय योग दिवस पर न्यू यॉर्क से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लोगों को संबोधित किया। कांग्रेस ने पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू की एक तस्वीर ट्वीट कर योग दिवस पर सियासत शुरू कर दी। कांग्रेस ने सुबह-सुबह पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की शीर्षासन करते हुए फोटो ट्वीट की। हालांकि, पार्टी के ही सीनियर नेता शशि थरूर ने उसपर मिट्टी पलीद कर दी।

कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की शीर्षासन करते हुए फोटो ट्वीट की। कैप्‍शन दिया कि 'पंडित नेहरू को धन्यवाद जिन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया और इसे राष्ट्रीय नीति का हिस्सा बनाया।'हालांकि, कुछ ही देर बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने इसे रिट्वीट करते हुए योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए मोदी सरकार की तारीफ कर दी

थरूर ने कांग्रेस के ट्वीट को कोट करते हुए लिखा, 'जरूर। हमें उनका भी धन्यवाद करना चाहिए जिन्होंने योग को पुनर्जीवित कर लोकप्रिय बनाया, इसमें हमारी सरकार, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्रालय शामिल हैं। इन्‍होंने संयुक्त राष्ट्र के जरिए योग दिवस का अंतर्राष्ट्रीयकरण किया। मैं दशकों से कहता आ रहा है, योग हमारी सॉफ्ट पावर का अहम हिस्सा है। इसे मान्यता मिलने देखना अच्छा लगता है।

बता दें कि पीएम मोदी अमेरिका के न्‍यूयॉर्क में योग दिवस मनाएंगे। वह अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं।आज योग दिवस के मौके पर पीएम ने एक वीडियो संदेश में कहा कि '2014 में जब संयुक्त राष्ट्र आम सभा में योग दिवस का प्रस्ताव आया, तो रिकॉर्ड देशों ने इसे समर्थन दिया था। तब से लेकर आज तक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के जरिए योग एक वैश्विक आंदोलन बन गया है, वैश्विक भावना बन गया है। भारत के आह्वान पर दुनिया के 180 से ज्यादा देशों का एक साथ आना, ऐतिहासिक है, अभूतपूर्व है।

आतंकी साजिद मीर को चीन ने यूएन में बचाया, भारत ने मुंबई अटैक का ऑडियो सुनाकर यूं खोली ड्रैगन की पोल

#unitednationsindiaattackschinaoverblockingofsajidmirglobal_terrorist

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में चीन को करारा जवाब दिया है। दरअसल, चीन की तरफ से पाकिस्‍तान के आतंकी साजिद मीर को ग्‍लोबल टेररिस्‍ट घोषित करने वाले प्रस्‍ताव को रोक दिया गया। लश्‍कर-ए-तैयबा के आतंकी साजिद को 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति की तरफ से आतंकी घोषित किया जाना था।लेकिन, चीन ने साजिद मीर को ग्लोबल टेटरिस्ट की लिस्ट में डालने पर अडंगा डाल दिया दिया। चीन की इस हरकतों पर भला भारत का कहां शांत रहने वाला। भारत ने चीन के दावे की पोल खोलते हुए संयुक्त राष्ट्र की बैठक में आतंकी साजिद मीर का एक ऑडियो चलाया जिसमें वो मुंबई के 26/11 हमले को लेकर आंतकियों को दिशा-निर्देश दे रहा है।

चीन ने लगाया वीटो

आतंकियों के खिलाफ भारत की तरफ से यूएन में प्रस्ताव पेश किए जाते हैं, जिन पर हर बार चीन की तरफ से अडंगा लगाया जाता है। इस बार भी जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी और मुंबई हमले के आरोपी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा तो चीन ने इस पर अडंगा लगा दिया। भारत और अमेरिका की तरफ से यूएन में आतंकी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा गया था, जिससे उसकी संपत्ति को फ्रीज करना, ट्रैवल बैन और हथियारों पर रोक लगाई जा सके। जिस पर चीन ने वीटो लगा दिया।

भारत ने इसे 'तुच्छ भू-राजनीतिक हित' करार दिया

यूएन असेंबली में भारत की तरफ से ज्वाइंट सेक्रेट्री प्रकाश गुप्ता ने चीन के इस कदम पर जवाब दिया। संयुक्त राष्ट्र की काउंटर टेरर मीटिंग में बोलते हुए विदेश मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी प्रकाश गुप्ता ने कहा कि चीन ने तुच्छ भू-राजनीतिक हितों को देखते हुए साजिद मीर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है। चीन की लताड़ लगते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में आतंकवाद की इस चुनौती से ईमानदारी से लड़ने के लिए जरूरी राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है।

भारत ने कहा- आतंकवाद से निपटने की पूरी संरचना में कुछ गलत

गुप्ता ने चीन का नाम लिए बिना कहा कि जब आतंकी मीर के खिलाफ तमाम देशों के प्रस्ताव के बाद भी उसे वैश्विक आंतकी घोषित नहीं किया गया तो इससे ये कहा जा सकता है कि आतंकवाद से निपटने की पूरी संरचना में कुछ गलत है। इस दौरान गुप्ता ने एक इंटरसेप्ट की गई रिकॉर्डिंग भी चलाई, जिसमें आतंकी मीर को उर्दू में उन आतंकियों को निर्देश देते हुए सुना गया, जिन्होंने मुंबई हमले को अंजाम दिया था। गुप्ता ने कहा कि ये आतंकवादी साजिद मीर है, जो आतंकियों को फोन पर ताज होटल में विदेशी नागरिकों को खोजने और उन्हें गोली मारने के निर्देश दे रहा है।

पहले भी चीन कर चुका है ऐसी हरकत

चीन की ओर से ऐसा पहले बार नहीं है जब उसने साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव का विरोध किया है। पिछले साल सितंबर में भी चीन ने संयुक्त राष्ट्र में मीर को आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगा दिया था और बीजिंग ने अब प्रस्ताव को रोक दिया है। साजिद को भारत और अमेरिका दोनों ही उसे आतंकी घोषित कर चुके हैं। लेकिन हमेशा उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने वाले प्रस्‍ताव में चीन अड़ंगा डाल देता है। संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की तरफ से हर बार आए प्रस्‍ताव को चीन ने रोक दिया है।

भारत ने अक्टूबर 2022 में भी यूएनएससी में साजिद का ऑडियो सुनाया था

भारत की तरफ से अक्टूबर 2022 में भी यूएनएससी में साजिद का यही ऑडियो सुनाया गया था। अक्तूबर 2022 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मीटिंग में भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने मुंबई में साल 2008 में हुए आतंकी हमले के पाकिस्तानी कनेक्शन का खुलासा किया था। इसमें बताया गया कि आतंकियों के आका मुंबई हमले की साजिश रच रहे थे और कैसे उन्होंने आदेश देकर इस हमले को अंजाम दिलाया। यह आदेश देने वाला साजिद मीर था जो उस वक्त पाकिस्तान में बैठकर मुंबई में आए 10 आतंकियों को फोन पर निर्देश दे रहा था। लेकिन इसके बाद भी चीन को सबूत नाकाफी लगते हैं और वह उसे हर बार आतंकी मानने से इनकार कर देता है।

2016 में पाकिस्‍तान ने बताया मरा हुआ

पाकिस्तानी आतंकी साजिद मीर वही है, 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमले के दौरान आतंकी अजमल कसाब समेत अन्य सभी आतंकियों को फोन पर हमले के लिए लगातार उनके संपर्क में रहकर निर्देश दे रहा था। जिंदा पकड़े गए आतंकी कसाब ने साजिद मीर का नाम लिया था। लाहौर में जन्‍मे साजिद को पाकिस्‍तान की सरकार ने साल 2016 में मरा हुआ घोषित कर दिया था। जून 2022 में जब पाकिस्‍तान ने उसे 15 साल की सजा का ऐलान किया तो हर कोई हैरान रह गया। सुरक्षा विशेषज्ञों ने इसे सिर्फ पाकिस्‍तान की तरफ से एक नाटक करार दिया। उन्‍होंने कहा कि यह सिर्फ ग्रे लिस्‍ट का ही कमाल है जो साजिद फिर से जिंदा हो गया है।

आतंकी साजिद मीर को चीन ने यूएन में बचाया, भारत ने मुंबई अटैक का ऑडियो सुनाकर यूं खोली ड्रैगन की पोल

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भारत ने संयुक्त राष्ट्र में चीन को करारा जवाब दिया है। दरअसल, चीन की तरफ से पाकिस्‍तान के आतंकी साजिद मीर को ग्‍लोबल टेररिस्‍ट घोषित करने वाले प्रस्‍ताव को रोक दिया गया। लश्‍कर-ए-तैयबा के आतंकी साजिद को 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति की तरफ से आतंकी घोषित किया जाना था।लेकिन, चीन ने साजिद मीर को ग्लोबल टेटरिस्ट की लिस्ट में डालने पर अडंगा डाल दिया दिया। चीन की इस हरकतों पर भला भारत का कहां शांत रहने वाला। भारत ने चीन के दावे की पोल खोलते हुए संयुक्त राष्ट्र की बैठक में आतंकी साजिद मीर का एक ऑडियो चलाया जिसमें वो मुंबई के 26/11 हमले को लेकर आंतकियों को दिशा-निर्देश दे रहा है।

चीन ने लगाया वीटो

आतंकियों के खिलाफ भारत की तरफ से यूएन में प्रस्ताव पेश किए जाते हैं, जिन पर हर बार चीन की तरफ से अडंगा लगाया जाता है। इस बार भी जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी और मुंबई हमले के आरोपी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा तो चीन ने इस पर अडंगा लगा दिया। भारत और अमेरिका की तरफ से यूएन में आतंकी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा गया था, जिससे उसकी संपत्ति को फ्रीज करना, ट्रैवल बैन और हथियारों पर रोक लगाई जा सके। जिस पर चीन ने वीटो लगा दिया।

भारत ने इसे 'तुच्छ भू-राजनीतिक हित' करार दिया

यूएन असेंबली में भारत की तरफ से ज्वाइंट सेक्रेट्री प्रकाश गुप्ता ने चीन के इस कदम पर जवाब दिया। संयुक्त राष्ट्र की काउंटर टेरर मीटिंग में बोलते हुए विदेश मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी प्रकाश गुप्ता ने कहा कि चीन ने तुच्छ भू-राजनीतिक हितों को देखते हुए साजिद मीर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है। चीन की लताड़ लगते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में आतंकवाद की इस चुनौती से ईमानदारी से लड़ने के लिए जरूरी राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है।

भारत ने कहा- आतंकवाद से निपटने की पूरी संरचना में कुछ गलत

गुप्ता ने चीन का नाम लिए बिना कहा कि जब आतंकी मीर के खिलाफ तमाम देशों के प्रस्ताव के बाद भी उसे वैश्विक आंतकी घोषित नहीं किया गया तो इससे ये कहा जा सकता है कि आतंकवाद से निपटने की पूरी संरचना में कुछ गलत है। इस दौरान गुप्ता ने एक इंटरसेप्ट की गई रिकॉर्डिंग भी चलाई, जिसमें आतंकी मीर को उर्दू में उन आतंकियों को निर्देश देते हुए सुना गया, जिन्होंने मुंबई हमले को अंजाम दिया था। गुप्ता ने कहा कि ये आतंकवादी साजिद मीर है, जो आतंकियों को फोन पर ताज होटल में विदेशी नागरिकों को खोजने और उन्हें गोली मारने के निर्देश दे रहा है।

पहले भी चीन कर चुका है ऐसी हरकत

चीन की ओर से ऐसा पहले बार नहीं है जब उसने साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव का विरोध किया है। पिछले साल सितंबर में भी चीन ने संयुक्त राष्ट्र में मीर को आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगा दिया था और बीजिंग ने अब प्रस्ताव को रोक दिया है। साजिद को भारत और अमेरिका दोनों ही उसे आतंकी घोषित कर चुके हैं। लेकिन हमेशा उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने वाले प्रस्‍ताव में चीन अड़ंगा डाल देता है। संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की तरफ से हर बार आए प्रस्‍ताव को चीन ने रोक दिया है।

भारत ने अक्टूबर 2022 में भी यूएनएससी में साजिद का ऑडियो सुनाया था

भारत की तरफ से अक्टूबर 2022 में भी यूएनएससी में साजिद का यही ऑडियो सुनाया गया था। अक्तूबर 2022 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मीटिंग में भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने मुंबई में साल 2008 में हुए आतंकी हमले के पाकिस्तानी कनेक्शन का खुलासा किया था। इसमें बताया गया कि आतंकियों के आका मुंबई हमले की साजिश रच रहे थे और कैसे उन्होंने आदेश देकर इस हमले को अंजाम दिलाया। यह आदेश देने वाला साजिद मीर था जो उस वक्त पाकिस्तान में बैठकर मुंबई में आए 10 आतंकियों को फोन पर निर्देश दे रहा था। लेकिन इसके बाद भी चीन को सबूत नाकाफी लगते हैं और वह उसे हर बार आतंकी मानने से इनकार कर देता है।

2016 में पाकिस्‍तान ने बताया मरा हुआ

पाकिस्तानी आतंकी साजिद मीर वही है, 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमले के दौरान आतंकी अजमल कसाब समेत अन्य सभी आतंकियों को फोन पर हमले के लिए लगातार उनके संपर्क में रहकर निर्देश दे रहा था। जिंदा पकड़े गए आतंकी कसाब ने साजिद मीर का नाम लिया था। लाहौर में जन्‍मे साजिद को पाकिस्‍तान की सरकार ने साल 2016 में मरा हुआ घोषित कर दिया था। जून 2022 में जब पाकिस्‍तान ने उसे 15 साल की सजा का ऐलान किया तो हर कोई हैरान रह गया। सुरक्षा विशेषज्ञों ने इसे सिर्फ पाकिस्‍तान की तरफ से एक नाटक करार दिया। उन्‍होंने कहा कि यह सिर्फ ग्रे लिस्‍ट का ही कमाल है जो साजिद फिर से जिंदा हो गया है।

मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर बीजेपी के 9 विधायकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ लिखा पीएम को पत्र, कहा- राज्य सरकार से उठ गया लोगों का भरोसा

#manipurninebjpmlaswritetomodisayingpeoplelostfaithincm_biren

मणिपुर में डेढ़ महीने बाद भी हिंसा रूकने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में मणिपुर के मैतेई समुदाय के नौ विधायकों ने पीएमओ के नाम एक ज्ञापन भेजा है। इसमें लिखा गया है कि मणिपुर की मौजूदा सरकार से लोगों का विश्वास उठ गया है। गौर करने वाली बात ये है कि ये ज्ञापन विपक्षी विधायकों ने नहीं, बल्कि भाजपा के ही विधायकों ने प्रधानमंत्री को दिया है।

'सरकार और प्रशासन पर लोगों ने विश्वास खो दिया '

सोमवार को प्रधान मंत्री कार्यालय को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया कि मणिपुर हिंसा की वजह से अब तक करीब 100 से ज्यादा निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है। स्थिति कंट्रोल करने के लिए कई कदम उठाए जाने के बावजूद ग्राउंड पर कोई खास सुधार नजर नहीं आ रहा है। राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। मौजूदा वक्त में सरकार और प्रशासन पर लोगों ने विश्वास खो दिया है। कानून के शासन का पालन करते हुए सरकार के प्रशासन और कामकाज के लिए कुछ विशेष उपायों का सहारा लिया जा सकता है ताकि आम जनता का विश्वास बहाल हो सके।

ज्ञापन देने वाले सभी भाजपा विधायक

जिन नौ विधायकों ने दावा किया कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने जनता का समर्थन खो दिया है, वे सभी मणिपुर के भाजपा विधायक हैं। इनमें करम श्याम सिंह,राधेश्याम सिंह, निशिकांत सिंह सपम, रघुमणि सिंह, एस. ब्रोजेन सिंह, टी रोबिन्द्रो सिंह, एस राजेन सिंह, एस केबी देवी, और डॉ. वाई. राधेश्याम शामिल हैं। ये सभी मैतेई समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। 

क्या बढ़ने वाली है सीएम बीरेन सिंह की मुश्किलें

ये ज्ञापन उसी दिन सौंपा गया, जब 30 मेइती विधायकों का एक अलग प्रतिनिधिमंडल दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, निशिकांत सिंह से मिला। इसमें ज्यादातर विधायक बीजेपी से थे और एक एनपीपी और जेडीयू से थे।मणिपुर में हिंसा की शुरुआत तीन मई को हुई थी मगर इससे एक महीने पहले बीजेपी के चार विधायकों ने अपने पदों को छोड़ दिया था। हालांकि तब सीएम बीरेन सिंह ने कहा था कि सबकी अपनी परेशानियां हैं इसीलिए उन्होंने पद छोड़ा है। बाकी सरकार में कोई दिक्कत नहीं है। अब जिन नौ विधायकों ने ज्ञापन सौंपा है उनसें से चार विधायक वही है जिन्होंने पहले अपने प्रशासनिक और एडवाइडरी जैसे पदों से इस्तीफा दिया था।ऐसे में माना जा रहा है कि अब मणिपुर सीएम बीरेन सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

भारी विरोध के बाद केंद्र की सरकार ने वापस लिया पशुधन परिवहन बिल 2023 का मसौदा, सरकार ने ड्राफ्ट को पब्लिक डोमेन में रखा था

केंद्र की मोदी सरकार पशुधन उत्पाद एवं पशुधन परिवहन बिल 2023 को वापस ले लिया है। सरकार ने ड्राफ्ट को पब्लिक डोमेन में रखा था लेकिन इसके व्यापक विरोध के बाद अब इस ड्राफ्ट को वापस ले लिया गया।

जरूरत के हिसाब से एक लाइवस्टॉक इम्पोर्टेशन एक्ट 1898 में बदलाव करते हुए लाइवस्टॉक प्रोडक्ट एण्ड लाइवस्टॉक इम्पोर्टेशन एण्ड एक्सपेटेशन बिल 2023 का ड्राफ्ट पब्लिक डोमेन डाला गया था।

ड्राफ्ट के वापस लेने के आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि परामर्श के दौरान, यह देखा गया कि प्रस्तावित मसौदे को समझने और आगे की टिप्पणी या सुझाव देने के लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता है।

इसके अलावा, प्रस्तावित मसौदे पर पशु कल्याण और संबंधित पहलुओं के साथ संवेदनशीलता और भावनाओं को शामिल करते हुए चिंता व्यक्त करते हुए अभ्यावेदन किए गए हैं, और इसलिए, व्यापक परामर्श की आवश्यकता होगी।

आदेश में कहा गया है, “उपर्युक्त विचारों को ध्यान में रखते हुए और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के साथ प्रस्तावित मसौदा विधेयक वापस लिया जाता है।”

पशु अधिकार कार्यकर्ताओं, दक्षिणपंथी समूहों और जैन धर्मगुरुओं ने इस बिल पर कड़ी आपत्ति जताई थी, जिन्होंने अलग-अलग कारणों से इसे वापस लेने की मांग की थी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े भारतीय किसान संघ के सूत्रों ने कहा कि बिल आवारा पशुओं के खतरे के लिए रामबाण हो सकता है, लेकिन संगठन धार्मिक भावनाओं और सांस्कृतिक मान्यताओं को आहत नहीं होने देगा।

2022-23 में, भारत ने 5.11 मिलियन डॉलर के मूल्य के जीवित पशुओं का निर्यात किया, जिनमें से अधिकांश भेड़ और बकरियां थीं।

व्यापार सूत्रों ने कहा कि इनमें से ज्यादातर जानवर त्योहारों के दौरान पश्चिम एशियाई देशों को निर्यात किए जाते हैं।

“पशुधन आयात और निर्यात बिल जानवरों पर क्रूरता को स्पष्ट रूप से बढ़ाएगा। कुत्तों और बिल्लियों और पक्षियों को पशुधन की परिभाषा में शामिल करना हास्यास्पद है। यह बिल निश्चित रूप से अभिशाप है और इसका विरोध किया जाना चाहिए।”

न्यूजीलैंड जैसे देशों ने जीवित पशुओं को वस्तुओं के रूप में ले जाने की क्रूर प्रथा को बंद कर दिया है, एक पशु अधिकार कार्यकर्ता फैजान जलील ने यह बात मीडिया को बताई थी।

पटना बैठक से पहले अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी नेताओं को लिखी चिट्ठी, केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर चेताया

#arvind_kejriwal_writes_to_opposition_leaders

23 जून को पटना में होनेवाली विपक्षी नेताओं की बैठक से पहले दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में उन्होंने तमाम विपक्षी नेताओं से आग्रह किया कि वे सबसे पहले दिल्ली के अध्यादेश पर विचार करें। अपने इस पत्र के जरिए केजरीवाल ने विपक्ष को आगाह करने की कोशिश की है और कहा है कि दिल्ली अध्यादेश का प्रयोग सफल हुआ तो केंद्र सरकार गैर-बीजेपी शासन वाले राज्यों में भी ऐसे अध्यादेश लाकर राज्य सरकारों के अधिकार छीन लेगी।

पीएम 33 राज्यपालों और एलजी के माध्यम से सभी राज्य सरकारें चलाएंगे-केजरीवाल

 23 जून को बिहार के पटना में विपक्षी दलों की एक बैठक आयोजित की जानी है।ये बैठक 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की कवायद के रूप मे देखा जा रहा है। इस बैठक में देश की करीब 17 राजनीतिक पार्टियां शामिल हो रही है। जिसमें कांग्रेस और आप बी शामिल हैं। इस बैठक से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को विपक्षी नेताओं को चिट्ठी लिखी है।केजरीवाल ने चिट्ठी में लिखा है कि बिहार में विपक्षी नेताओं की बैठक में अध्यादेश को संसद में हराने पर सबसे पहले चर्चा हो। उन्होंने कहा कि दिल्ली का अध्यादेश एक प्रयोग है, यह सफल हुआ तो केंद्र सरकार गैर बीजेपी शासित राज्यों के लिए ऐसे ही अध्यादेश लाकर राज्य सरकार का अधिकार छीन लेगी। वह दिन दूर नहीं जब पीएम 33 राज्यपालों और एलजी के माध्यम से सभी राज्य सरकारें चलाएंगे।

केजरीवाल का दावा-ऐसे अध्यादेश लाकर किसी भी पूर्ण राज्य के अधिकार छीन सकती है

अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी नेताओं को लिखी चिट्ठी में दावा किया कि दिल्ली अध्यादेश पर उन्होंने बहुत ज्यादा अध्ययन किया है। केजरीवाल के मुताबिक, ऐसा अध्यादेश केवल दिल्ली के लिए लाया जा सकता है, ये सोचना गलत होगा। दिल्ली के सीएम का मानना है कि समवर्ती सूची में आने वाले विषयों को लेकर केंद्र सरकार ऐसा ही अध्यादेश लाकर किसी भी पूर्ण राज्य के अधिकार छीन सकती है।

अध्यादेश के लागू होने पर दिल्ली से जनतंत्र खत्म होगा

केजरीवाल ने चिट्ठी में आगे लिखा कि इस अध्यादेश के लागू होने पर दिल्ली से जनतंत्र खत्म होगा।इसके बाद दिल्ली की जनता जो भी सरकार चुनेगी, उसके पास कोई ताकत नहीं होगी। केंद्र एलजी के माध्यम से सरकार चलाएगी, दिल्ली के बाद अन्य राज्यों से जनतंत्र खत्म किया जाएगा।

पटना से रांची के बीच प्रस्तावित वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के किराया के लिए रेलवे ने भेजा शीर्ष अधिकारियों के पास, पीएम मोदी 27 जून को करेंगे उद्

पटना से रांची के बीच प्रस्तावित वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का किराया रेलवे ने लगभग तय कर लिया है। इसे अप्रूवल के लिए संबंधित शीर्ष अधिकारी को भेजा गया है। वहां से अनुमति मिलने ही तय किराया को रेलवे की आरक्षण प्रणाली में डाल दिया जाएगा। वंदे भारत का किराया पटना से रांची और रांची से पटना के लिए अलग-अलग है। वहीं अन्य स्टेशनों का किराया निर्धारित करने पर मंथन चल रहा है। पटना से रांची के बीच चलने वाली जनशताब्दी से वंदे भारत का किराया लगभग दो गुना हो सकता है।

यह है प्रस्तावित किराया 

वंदे भारत के लग्जरी कोच से पटना से रांची के लिए 2174 (इसमें कैटरिंग का 414 रुपये वैकल्पिक) रुपये और सामान्य कोच का 1245 (कैटरिंग का 359 रुपये वैकल्पिक) रुपये तय किया गया है। वहीं रांची से पटना के लिए लग्जरी कोच का किराया 2353 (इसमें कैटरिंग का 593 रुपये वैकल्पिक) रुपये और सामान्य कोच का 1396 (इसमें कैटरिंग का 510 रुपये वैकल्पिक) रुपये तय किया गया है।

 जन शताब्दी के चेयर कार का किराया पटना से रांची और रांची से पटना के लिए 650 रुपये निर्धारित है। इस संबंध में पूर्व मध्य रेल के सीपीआरओ वीरेंद्र कुमार ने बताया कि वंदे भारत का किराया अप्रूवल के लिए शीर्ष अधिकारी को भेजा गया है। इस पर मुहर लगने का इंतजार किया जा रहा है।

 उद्घाटन 27 जून को पीएम मोदी करेंगे 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 27 जून को इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। विधिवत शुरुआत होने के बाद यात्री इस सेमी हाईस्पीड ट्रेन में सफर कर सकेंगे। वंदे भारत ट्रेन पटना से सुबह खुलकर जहानाबाद, गया, कोडरमा, हजारीबाग, बरकाकाना होते हुए रांची-हटिया तक दोपहर में पहुंचेगी। वहीं रांची से दोपहर बाद निकलकर रात में पटना वापस पहुंचेगी। रेलवे इस रूट पर वंदे भारत का दो बार ट्रायल कर चुका है।

इधर, गठबंधन की संभावनाएं तलाशने दिल्ली गए हम पार्टी के सुप्रीमो जीतन राम मांझी उधर, पार्टी के कई नेताओं ने थामा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्ट

बिहार के पूर्व सीएम एवं हिंदुस्तान आवाम मोर्चा सुप्रीमो जीतनराम मांझी महागठबंधन छोड़ने के बाद नई राजनीतिक संभावनाएं तलाशने दिल्ली दौरे पर गए हैं। दूसरी तरफ, उनकी ही पार्टी के कई नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी का दामन थाम लिया है। पटना स्थित जेडीयू दफ्तर में आयोजित मिलन समारोह में मांझी की हम के कई वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार को सीएम नीतीश की पार्टी ज्वाइन की। जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने सभी को पार्टी की सदस्यता दिलाई।

जीतनराम मांझी की हम पार्टी के ध्रुव लाल मांझी, शफिर उल हक, रामेश्वर बैठा, विनय बैठा, सन्तोष बैठा, अशोक सिन्हा सहित बड़ी संख्या में नेताओं ने जेडीयू का दामन थाम लिया है। मिलन समारोह में मंत्री विजय चौधरी, लेशी सिंह, जमा खान और रत्नेश सदा भी मौजूद रहे। जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि मांझी के लिए परिवार हित सर्वोपरि है। समाज के लोगों को दिग्भ्रमित कर अब तक उन्होंने सिर्फ अपने परिवार का भला किया है। 

मांझी दिल्ली में, अमित शाह से हो सकती है मुलाकात

जीतनराम मांझी ने हाल ही में महागठबंधन से अलग होने का फैसला लिया था। पिछले हफ्ते उनके बेटे संतोष कुमार सुमन ने नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। बीते सोमवार को मांझी बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मिले और महागठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापसी का पत्र उन्हें सौंपा। इसके बाद वे दिल्ली चले गए।

मांझी दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने वाले हैं। इस दौरान आगामी लोकसभा चुनाव में उनके बीजेपी के साथ जाने पर चर्चा हो सकती है। मांझी का एनडीए में जाने के पूरे कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने अन्य पार्टियों के नेताओं से मुलाकात करने की भी संभावना जताई है।

भारत पर जैक डॉर्सी के लगाए आरोपों का एलन मस्क ने दिया जवाब, कहा- हमारे लिए हर देश का कानून मानना जरूरी

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टेस्ला के सीईओ और ट्विटर के मालिक एलन मस्क ने अमेरिका में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। पीएम मोदी मोदी से मुलाकात के बाद एलन मस्क से डोर्सी के आरोपों पर सवाल किया गया, जिसके जवाब में मस्क ने कहा कि ट्विटर के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं, उसे सरकार और कानूनों का पालन करना होता है।दरअसल, ट्विटर के को-फाउंडर और पूर्व सीईओ जैक डॉर्सी ने हाल ही में भारत सहित दुनिया की अन्य सरकारों द्वारा दबाव डालने का आरोप लगाया था। इसे लेकर आज कंपनी के मुखिया एलन मस्क ने खुलकर जवाब दिया।

अमेरिका के नियम पूरी धरती पर लागू नहीं कर सकते-मस्क

अमेरिका में पीएम मोदी से मुलाकात के बाद ट्विटर के मालिक मस्क ने मीडिया के कई सवालों का जवाब दिया। जैक डोर्सी की ओर से भारत सरकार के खिलाफ हालिया आरोप के बारे में पूछे जाने पर मस्क ने कहा, ट्विटर के पास स्थानीय सरकारों की बातों को मानने के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं है। मस्क ने साफ कहा कि वो अमेरिका के नियम पूरी धरती पर नहीं लागू कर सकते हैं। अगर हम स्थानीय सरकार के कानूनों का पालन नहीं करते हैं तो हम बंद हो जाएंगे। इसलिए अच्छा है कि हमें किसी भी देश के कानूनों का पालन करना है। इससे ज्यादा और कुछ करना हमारे लिए असंभव है।

 

क्या थे जैक डोर्सी के आरोप

बता दें कि ट्विटर के को-फाउंडर जैक डोर्सी ने भारत सरकार पर कई सनसनीखेज आरोप लगाए थे। जिनमें कहा गया था कि किसान आंदोलन के दौरान ट्विटर से कई पत्रकारों के हैंडल ब्लॉक करने को कहा गया था और ऐसा नहीं करने पर सरकार की तरफ से ट्विटर को बैन करने की धमकी दी गई थी।

और बिगड़े हालात, नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में अब सुजुकी मोटर कंपनी लिमिटेड ने 22 जून से 8 जुलाई तक अपने मोटरसाइकिल और चौपहिया संयंत्रों को

पड़ोसी देश पाकिस्तान की हालत दिनों दिन और खस्ता होती जा रही है। नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में अब सुजुकी मोटर कंपनी लिमिटेड ने 22 जून से 8 जुलाई तक अपने मोटरसाइकिल और चौपहिया संयंत्रों को बंद रखने की घोषणा की है। पाकिस्तान के मशहूर अखबार 'डॉन' ने इसकी सूचना दी है।

अखबार के मुताबिक, सोमवार को एक स्टॉक फाइलिंग में, कंपनी ने कहा कि मोटर पार्ट्स और एसेसरीज की कमी के करण अपना प्रोडक्शन यूनिट बंद कर रही है। कंपनी ने मई 2022 में स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के उस आदेश का भी जिक्र किया है, जिसमें बैंक ने कहा था कि नॉक-डाउन किट का आयात करने से पहले कंपनियों को बैंक से अप्रूवल लेना होगा। कंपनी ने कहा है कि इन वजहों से दोपहिया और चौपहिया वाहनों के उत्पादन पर बहुत बुरा असर पड़ा है। बतौर सुजुकी मोटर बैंक के आदेश ने इन्वेंट्री को प्रभावित किया है।

बता दें कि पाक सुजुकी ने अगस्त 2022 से 19 जून तक अपने चौपहिया संयंत्र को 75 दिनों से अधिक समय तक बंद रखा है। कंपनी ने अप्रैल 2023 में 1,474 इकाइयों की तुलना में मई 2023 में 2,958 वाहनों की बिक्री की। हालांकि, पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 134,270 इकाइयों की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 के 11 महीनों में बिक्री में 54 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की है। इस दौरान सिर्फ 62,354 इकाई की बिक्री दर्ज की गई है।

इस दौरान ऑटो ऋणों की राशि में लगातार 11वें महीने गिरावट जारी रही। अप्रैल में 309 अरब रुपये से 2.8 फीसदी गिरकर मई में 300 अरब रुपये पर पहुंच गया। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, जून के अंत ऑटो फाइनेंसिंग में कुल 68 अरब रुपये की गिरावट दर्ज करते हुए आंकड़ा 368 अरब रुपये पर जा पहुंचा है। इसके पीछे बढ़ता ब्याज भी बड़ी वजह है, जो मार्च में 7 फीसदी से बढ़कर 21 फीसदी पर पहुंच चुका है।

पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट के बीच अब शरीफ सरकार ने कराची बंदरगाह को संयुक्त अरब अमीरात को बेचने का फैसला किया है। सोमवार को इस बावत, पाकिस्तान ने कराची बंदरगाह टर्मिनल को सौंपने के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ एक सौदे को अंतिम रूप देने के लिए एक वार्ता समिति का गठन किया। यह कदम इमरजेंसी फंड जुटाने के लिए पिछले साल बनाए गए नए कानून के तहत पहला अंतर-सरकारी लेनदेन सुनिश्चित कर सकता है।

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वित्त मंत्री इशाक डार ने सोमवार को अंतर-सरकारी वाणिज्यिक लेनदेन पर कैबिनेट समिति की बैठक की अध्यक्षता की। उसमें लिए गए फैसले के अनुसार, कैबिनेट समिति ने कराची पोर्ट ट्रस्ट (केपीटी) और यूएई सरकार के बीच एक वाणिज्यिक समझौते पर बातचीत करने के लिए एक समिति गठित करने का निर्णय लिया है।

सूत्रों ने बताया है कि नई समिति एक सप्ताह के भीतर बैठक करेगी। इस बात की भी संभावना है कि हफ्तेभर के अंदर समझौते को अंतिम रूप देने के लिए ड्राफ्ट को जल्द से जल्द अंतिम रूप दिया जाएगा। इस समिति की अध्यक्षता समुद्री मामलों के सचिव करेंगे।