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गर्मी और लू से होने वाली मौतों को लेकर एक्शन में केंद्र, प्रभावित राज्यो में भेजी जाएगी टीम

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देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी और लू से होने वाली मौतों को लेकर केंद्र सरकार एक्शन में आ गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने इसको लेकर मंगलवार को उच्च स्तरीय बैठक की। इस बैठक में हीटवेव प्रभावित राज्यों में केंद्रीय टीमें भेजने का फैसला लिया गया।मीटिंग के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जिन राज्यों में लू का असर देखने को मिला है वहां भारत सरकार की और से डिजास्टर मैनेजमेंट की टीम जाएगी और राज्य सरकार का सहयोग करेगी।

बैठक के बारे में बताते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, इस बार देश में लू की संभावना थी। पीएम मोदी ने फरवरी में इस संबंध में एक मीटिंग की थी जिसमें उन्होंने राज्य सरकार को एक्शन प्लान तैयार करने के लिए कहा था। इसके लिए एक एडवाइजरी भी जारी की गई थी। इस संबंध में आगे भी राज्यों के मंत्रियों और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी और उचित दिशा-निर्देश दिया जाएगा।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने कहा कि जिन राज्यों में लू चल रही है, वहां एक टीम भेजी जाएगी, जिसमें आपदा प्रबंधन, मौसम विभाग और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी शामिल होंगे, ये टीम राज्य सरकारों के साथ सहयोग करेगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह कल देश के पूर्वी राज्यों जैसे ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, झारखंड और बिहार में आपदा प्रबंधन के अधिकारियों से वीडियो कॉन्फेंसिंग के जरिए बात करेंगे और हालात का जायजा लेंगे। आईसीएमआर को भी निर्देश दिए गए हैं कि वह हीटस्ट्रोक से होने वाली मौतों की रोकथाम के लिए पहले से तैयारी रखें। 

हीटवेव की सबसे ज्यादा खबरें ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों से आ रही हैं। अकेले बिहार और यूपी में लू की वजह से अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। यूपी में लू का सबसे ज्यादा असर बलिया में देखने को मिला है। वहीं, बिहार की बात करें तो यहां भोजपुर, सासाराम जिले में हीट वेव से कई लोगों की जान चली गई है। कई ऐसे मरीज भी जिनका अभी अस्पताल में इलाज चल रहा है। हालांकि, मौतों को लेकर सरकार की ओर से कोई आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं। वहीं, ओडिशा की करे तो यहां 20 लोगों की मौत लू की चपेट में आने से हुई है। खुद सरकार भी इस बात को स्वीकार कर चुकी है।

गीता प्रेस गोरखपुर को मिलेगा साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार, पीएम नरेन्द्र मोदी ने दी बधाई

साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस गोरखपुर को मिलेगा। आधिकारिक स्तर पर इसका ऐलान कर दिया गया है। गीता प्रेस को यह पुरस्कार ‘‘अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान ’’ के लिए दिया जायेगा।

 गीता प्रेस के कर्ता - धर्ता ने कहा कि गांधी शांति पुरस्कार के लिए इस प्रेस को नामित किए जाने पर इसके परिवार को हर्ष है। लेकिन इसके लिए निर्धारित राशि वे ग्रहण नहीं करेंगे क्योंकि यह प्रेस के आदर्श के अनुरूप नहीं है।

  

इधर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गीता प्रेस को पुरस्कार के लिए चुने जाने पर बधाई दी और क्षेत्र में उसके योगदान की सराहना की है। उन्होंने अपने बधाई संदेश में कहा कि मैं गीता प्रेस , गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किये जाने पर बधाई देता हूं। प्रेस ने लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में पिछले 100 वर्षों में सराहनीय कार्य किया है।  

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से गीता प्रेस , गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार के लिए चुनने का फैसला किया है। चयन के बाद संस्कृति मंत्रालय ने बयान में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने शांति एवं सामाजिक सद्भाव के गांधीवादी आदर्शों को बढ़ावा देने में गीता प्रेस के योगदान को स्वीकार किया है।

बयान के अनुसार मोदी ने कहा कि गीता प्रेस को उसकी स्थापना के सौ साल पूरे होने पर गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना संस्थान द्वारा सामुदायिक सेवा में किये गये कार्यों की पहचान है।

गीता प्रेस की शुरुआत वर्ष 1923 में हुई थी और यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है। इसने 14 भाषाओं में 41.07 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं , जिसमें श्रीमद्‍भगवद्‍गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां शामिल हैं।

बयान में कहा गया है, ‘‘गांधी शांति पुरस्कार 2021 मानवता के सामूहिक उत्थान में योगदान देने के लिए गीता प्रेस के महत्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान को मान्यता देता है , जो गांधीवादी जीवन को सही अर्थों में व्यक्त करता है।’’ गांधी शांति पुरस्कार एक वार्षिक पुरस्कार है। इसकी शुरुआत सरकार ने 1995 में महात्मा गांधी की 125 वीं जयंती के अवसर पर गांधी द्वारा प्रतिपादित आदर्शों को सम्मान देने के लिए की थी।

मंत्रालय ने कहा कि पुरस्कार किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है चाहे उसकी राष्ट्रीयता , नस्ल , भाषा , जाति , पंथ या लिंग कोई भी हो। मंत्रालय ने कहा कि पुरस्कार में एक करोड़ रुपये , एक प्रशस्ति पत्र , एक पट्टिका दिया जाता है।

इंफोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने आईआईटी बंबई को दान किए 315 करोड़ रुपये, जानें कहां होगा खर्च

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आईआईटी बॉम्बे को इंफोसिस के सह संस्थापक और चेयरमैन नंदन निलेकणी ने 315 करोड़ रुपए की राशि दान में दी है। नीलेकणी से मिली यह राशि आईआईटी के इंफ्रास्ट्रक्चर, रिसर्च, तकनीक और डीप टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम को विकसित करने पर खर्च की जाएगी।नीलेकणि इससे पहले संस्थान को 85 करोड़ रुपये दान कर चुके हैं।बता दें कि वह आईआईटी बंबई के पूर्व छात्र हैं।

आईआईटी की ओर से जारी बयान के अनुसार निलेकणी की ओर से पूर्व में दिए गए 85 करोड़ रुपए की राशि को जोड़ दिया जाए तो संस्थान में निलेकणी की ओर से दी गई मदद 400 करोड़ रुपए हो जाएगी। संस्थान और निलेकणि ने एक संयुक्त बयान में कहा कि यह देश में किसी पूर्व छात्र द्वारा दिए गए सबसे बड़े दान में से एक है। इससे आईआईटी-बंबई को इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थानों के बीच अग्रणी बनने में मदद मिलेगी।

इस राशि से संस्थान में विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के उभरते क्षेत्रों में शोध और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलेगा।इससे आईआईटी-बंबई को इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थानों के बीच अग्रणी बनने में मदद मिलेगी।

बता दें कि नीलेकणि ने 1973 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री के लिए आईआईटी बंबई में प्रवेश लिया था। उन्होंने कहा, आईआईटी-बंबई मेरे जीवन की आधारशिला रहा है।इसने मेरे प्रारंभिक वर्षों को आकार दिया है और मेरी यात्रा की नींव रखी है। मैं इस प्रतिष्ठित संस्थान के साथ अपने जुड़ाव के 50 साल पूरे कर रहा हूं और मैं इस जुड़ाव के आगे बढ़ने तथा इसके भविष्य में योगदान करने के लिए आभारी हूं।नीलेकणि ने आगे कहा, यह दान एक वित्तीय योगदान से अधिक है। यह उस जगह के लिए एक समर्पण है, जिसने मुझे बहुत कुछ दिया है और उन छात्रों के प्रति प्रतिबद्धता है जो कल हमारी दुनिया को आकार देंगे।

विवादित फिल्म आदिपुरुष को लेकर हरिद्वार के संत उग्र, बैठक के बाद दी चेतावनी, कहा- ‘फिल्म पर रोक नहीं लगी तो हरकी पैड़ी पर देंगे धरना’


हरिद्वार के संत समाज ने फिल्म आदिपुरुष के प्रसारण पर रोक नहीं लगने पर हरकी पैड़ी पर धरना देकर आंदोलन की चेतावनी दी है। श्री गरीबदासीय आश्रम में संत समाज की बैठक के दौरान महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा कि आदिपुरुष में सनातन हिंदू संस्कृति पर जिस प्रकार कुठाराघात किया गया है। वह सहन करने योग्य नहीं है।

स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जीवन पर आधारित फिल्म आदिपुरुष में निर्माता निर्देशक ने तमाम मर्यादाओं का उल्लंघन करते हुए भावनाओं को आहत करने का काम किया है। फिल्म में सी ग्रेड के संवाद रखकर हिंदू धर्म का उपहास उड़ाया गया है।

स्वामी अमृतानंद ने कहा कि श्रीराम व माता सीता करोड़ों हिंदुओं के आराध्य हैं। बैठक में महंत गंगादास, महंत सूरजदास, महंत श्याम प्रकाश, स्वामी ज्ञानानंद, स्वामी अमृतानंद, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी लाल बाबा, स्वामी अनंतानंद, महंत परमेश्वर मुनि, स्वामी कृष्णानंद, महंत विष्णुदास, महंत रघुवीर दास आदि मौजूद रहे।

हरिद्वार जिले में आदिपुरुष के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग

वहीं अखिल भारतीय सनातन परिषद ने हरिद्वार जिले में फिल्म आदिपुरुष के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की है। एक प्रतिनिधिमंडल ने सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजा है। इससे पूर्व निरंजनी अखाड़ा स्थित परिषद के केंद्रीय कार्यालय में साधु-संतों की बैठक में भी फिल्म की निंदा करते हुए रोक लगाने की मांग की गई। उग्र विरोध की चेतावनी भी दी गई।

बैठक के बाद अखिल भारतीय सनातन परिषद युवा के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह के नेतृत्व में सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन देने कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय पहुंचे। परिषद के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता महामंडलेश्वर स्वामी महेशानंद गिरि ने कहा कि आदिपुरुष तीर्थनगरी हरिद्वार की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली फिल्म है। इसलिए पूरे हरिद्वार जनपद में इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाया जाए।

उग्र विरोध करेंगे

परिषद के संरक्षक महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि ने कहा कि फिल्म में भगवान श्रीराम, श्री हनुमान, श्री लक्ष्मण और माता सीता के किरदारों को गलत ढंग से दर्शाया गया है। रामानंद सागर के महाभारत सीरियल में हमारे आराध्यों को बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया था, लेकिन आदिपुरुष फिल्म में ऐसे दृश्य फिल्माए गए तो भारतीय संस्कृति के साथ ही करोड़ों हिंदुओं को आस्था पर कुठाराघात है। राष्ट्रीय प्रचार सचिव स्वामी सतीश वन ने कहा कि सेंसर बोर्ड को भी ऐसी फिल्मों की अनुमति नहीं देनी चाहिए।

चेतावनी देते हुए कहा कि अविलम्ब हरिद्वार जनपद के सभी मॉल और सिनेमाघरों से आदिपुरुष फिल्म हटवाई जाए, नहीं तो अखिल भारतीय सनातन परिषद से जुड़े कार्यकर्ता इसका उग्र विरोध करेंगे। युवा इकाई के प्रदेश अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह ने कहा कि सेंसर बोर्ड को तत्काल प्रभाव से आदिपुरुष पर बैन लगाना चाहिए।

बैठक में महामंत्री पुरुषोत्तम शर्मा, उत्तराखंड प्रांत के महामंत्री सुधांशु वत्स, भोला शर्मा, मनोज मंत्री, सोनू गुर्जर, लोकेश चौधरी, अरुण चौहान, अभिजीत सिंह चौहान, सुमित कश्यप, अंकुश चौधरी, आदि उपस्थित रहे।

पशुधन विधेयक लाने की तैयारी में मोदी सरकार, जिंदा पशुओं के आयात और निर्यात के मसौदे का विरोध शुरू

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केंद्र सरकार के पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने पशु आयात और निर्यात विधेयक का मसौदा तैयार किया है। इसे जल्द कैबिनेट में लाने की तैयारी है।मसौदा विधेयक के अनुसार, नए प्रस्तावित कानून का उद्देश्य पशुधन और पशुधन उत्पादों के आयात के नियमन के साथ-साथ पशुधन और पशुधन उत्पादों के निर्यात के प्रचार और विकास के लिए उपाय तैयार करना है।

पशुपालन और डेयरी विभाग ने पशुधन और पशुधन उत्पाद (आयात और निर्यात) विधेयक, 2023 को 7 जून को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया। इसमें 10 दिनों के भीतर सुझाव और टिप्पणियां मांगी गईं थी।

पशुधन विधेयक 2023 का समाज के विभिन्न वर्गों से लोग विरोध कर रहे। पशु अधिकार कार्यकर्ता, दक्षिणपंथी समूह और जैन धार्मिक नेता केंद्र के पशुधन विधेयक के मसौदे को लेकर विरोध में हैं। लोग पशुपालन विभाग द्वारा जिंदा पशुओं को भारत से निर्यात करने के लिए विधेयक पर विरोध जता रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकार इसे वापस ले।

बॉलीबुड अभिनेत्री ज़ीनत अमान से लेकर सुनील गावस्कर तक, कई हस्तियां, राजनेता, पशु अधिकार कार्यकर्ता और धार्मिक नेता बिल का खुलकर विरोध कर रहे हैं।ट्वीट्स की बाढ़ के अलावा, कई मशहूर हस्तियों के वीडियो माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर व्यापक रूप से साझा किए गए थे, जिसमें वे ड्राफ्ट बिल पर टिप्पणी कर रहे थे और अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे थे।

एक वीडियो में, पूर्व भारतीय टीम के क्रिकेटर कपिल देव को लोगों से बिल का विरोध करने की अपील करते हुए देखा जा सकता है। उन्होंने कहा है कि वह बिल की बारीकियों से अनजान हैं, लेकिन उनका मानना है कि इस तरह का बिल पास नहीं होना चाहिए।

पटना में विपक्ष की बैठक से पहले केजरीवाल का बड़ा दावा, कहा-पहला एजेंडा अध्यादेश होगा

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बिहार की राजनधानी पटना में 23 जून को विपक्षी दोलों की बड़ी बैठक होने वाली है। यह बैठक 2024 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की एक कवायद है। इस बैठक के मुद्दों को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही है। इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ा बयान दिया है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि 23 जून को पटना में जो विपक्ष की मीटिंग होने वाली है उसमें पहला एजेंडा दिल्ली के लिए लाया गया अध्यादेश होगा।

केजरीवाल ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कहा कि वह 23 जून को जब बैठक में जाएंगे तो सबसे पहले किस मुद्दे को उठाएंगे।केजरीवाल ने पत्रकारों से कहा कि मुझे उम्मीद है कि 23 जून को जो बैठक होने वाली है उसमें सभी पार्टियां कांग्रेस से कहेंगी कि वे दिल्ली को लेकर केंद्र द्वारा जो अध्यादेश लाया गया है उस पर अपना रुख स्पष्ट करे।मुख्यमंत्री आगे बोले मुझे लगता है कि इस बैठक का सबसे पहला एजेंडा केंद्र का अध्यादेश होगा जिसने दिल्ली में लोकतंत्र खत्म कर दिया है।उन्होंने कहा कि वह मीटिंग में संविधान की एक कॉपी लेकर जाएंगे, और सभी को समझाएंगे कि दिल्ली आधा राज्य है, इसलिए ये ना समझें कि अन्य राज्यों के लिए अध्यादेश नहीं आएगा। ये अध्यादेश तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पंजाब में कहीं भी आ सकता है।

बता दें कि दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग मामले पर केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। अध्यादेश के जरिए सेवा विभाग से संबंधित मसलों पर अहम फैसला लेने के लिए केंद्र ने एनसीसीएसए का गठन किया था। अध्यादेश के जरिए गठित एनसीसीएसए की आज मुख्यमंत्री केजरीवाल की अध्यक्षता में पहली बैठक हुई। इसके बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा 23 जून को पटना में जो विपक्ष की मीटिंग होने वाली है उसमें पहला एजेंडा दिल्ली के लिए लाया गया अध्यादेश होगा।

एनसीसीएसए की पहली मीटिंग के बाद केजरीवाल ने कहा कि इस अध्यदेश को समझना होगा। तीन बार दिल्ली में चुनाव हारने के बाद भी इन्होंने ऐसे-ऐसे नियम बना दिए कि चुनी हुई सरकार की नहीं चलेगी, अधिकरियों के चलेगी और अधिकरी केंद्र सरकार के अधीन हैं। इस कमेटी में भी मुख्यमंत्री के ऊपर दो अधिकरी को बिठा दिया। ये पूरी दुनिया में पहली बार हो रहा है। सरकार ऐसे कैसे चलेगी। मंत्री कोई फैसला लेगा और अधिकरी उसे मना कर देगा। कैबिनेट जो भी निर्णय लेगी उसे चीफ सेक्रेटरी तय करेगा कि वो सही नहीं है।

*'आदिपुरुष' को लेकर नेपाल में भी बवाल, काठमांडू में सभी हिंदी फिल्मों के प्रदर्शन पर प्रतिबंध, नेपाल सरकार ने मेयर को लगाई फटकार*

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फिल्म ‘आदिपुरुष’ का सिर्फ भारत में ही बल्कि नेपाल में भी रिलीज के बाद से विरोध हो रहा है। नेपाल में प्रभास और कृति सैनन स्टारर फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।वहीं काठमांडू के मेयर ने विवादित फिल्म 'आदिपुरुष' के बहाने सभी हिन्दी फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक लगाने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया। फिल्म 'आदिपुरुष' में 'आपत्तिजनक' शब्दों और सीता के चित्रण को लेकर सोमवार से नेपाल की राजधानी काठमांडू में सभी हिंदी फिल्मों के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। 

काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने काठमांडू महानगरीय क्षेत्र (केएमसी) में सभी हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंध लगाए जाने संबंधी फैसले को लेकर फेसबुक पोस्ट में कहा, 'सोमवार, 19 जून से काठमांडू महानगरीय क्षेत्र में सभी हिंदी फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक लगा दी जाएगी, क्योंकि फिल्म 'आदिपुरुष' के संवाद में आपत्तिजनक शब्द अभी तक नहीं हटाए गए हैं।' उन्होंने कहा, 'हमने तीन दिन पहले फिल्म से 'सीता माता भारत की बेटी हैं' वाले संवाद के आपत्तिजनक हिस्से को तीन दिन के भीतर हटाने के लिए पहले ही नोटिस जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि यदि फिल्म के प्रदर्शन की अनुमति दी जाती है तो 'हमारी राष्ट्रीयता, सांस्कृतिक एकता को अपूरणीय क्षति' होगी। शाह राजधानी शहर के सभी 17 सिनेमाघरों में वर्तमान में दिखाई जा रही सभी हिंदी फिल्मों के प्रदर्शन को रोकने के लिए प्रतिबद्ध दिखे। 

मेयर बालेंद्र के इस फरमान पर नेपाल सरकार की तरफ से सूचना तथा संचार मंत्रालय ने अपनी गम्भीर आपत्ति दर्ज की है। मंत्रालय के तरफ से बयान जारी कर आदिपुरुष सहित सभी फिल्मों के प्रदर्शन पर किसी प्रकार का रोक लगाए जाने को गैर कानूनी बताया गया है। बयान में कहा गया है कि आदिपुरुष के जिस डायलॉग पर लोगों को आपत्ति थी उसे म्यूट कर सिनेमाघरों म़ें चलाने की अनुमति दी गई थी। बावजूद इसके कुछ लोगों द्वारा इसका विरोध किया जाना ठीक नहीं है। नेपाल के सेंसर बोर्ड की तरफ से भारत शब्द को हटा कर प्रसारण का प्रमाण पत्र देने के बाद इसका विरोध करना उचित नहीं है।

इधर, नेपाल में फिल्म पर प्रतिबंध लगने के बाद ‘आदिपुरुष’ के मेकर्स ने काठमांडू के मेयर से माफी मांगी है। माफी मांगते हुए, मेकर्स ने नेपाल की राजधानी में हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया और कहा कि सीता ‘भारत की बेटी’ थीं, इस गलती को सुधार लिया गया है। नेपाल में हिंदी ‘आदिपुरुष’ और अन्य हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंध को देखते हुए मेकर्स ने एक माफीनामा लिखा है। इसमें लिखा है, अगर हमने किसी भी तरह से नेपाल के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है तो हम सबसे पहले माफी मांगते हैं।ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया था।

दरअसल, ‘आदिपुरुष’ में देवी सीता को भारत की बेटी बताया गया था, जिससे नेपाल के लोग नाराज थे। सीता के जन्म को सदियों से विवाद है। भारतीयों का कहना है कि सीता का जन्म बिहार के सीतामढ़ी में हुआ था, जबकि नेपाल दावा करता है कि नेपाल के जनकपुर में सीता का जन्म हुआ था। इसलिए नेपाल ने सीता को भारत की बेटी बताना पर आपत्ति जताई थी और ‘आदिपुरुष’ समेत हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंध लगाया था।

पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, पंचायत चुनाव में सेंट्रल फोर्स की तैनाती का हाईकोर्ट का आदेश बरकरार

#west_bengal_panchayat_election_central_forces_deployment_supreme_court_decision 

पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। शीर्ष अदालत ने राज्य चुनाव आयोग की याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। इसे ममता बनर्जी सरकार के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।दरअसल पश्चिम बंगाल में आगामी पंचायत चुनावों के मद्देनजर कलकत्ता हाईकोर्ट ने 48 घंटे के भीतर हर जिले में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। इस पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव में केंद्रीय बल की तैनाती के खिलाफ राज्य सरकार और बंगाल चुनाव आयोग की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा है कि चुनाव प्रबंधन हिंसा का लाइसेंस नहीं देता है। न्यायमूर्ति नागरत्न ने कहा कि चुनाव कराने से हिंसा में लिप्त होने का लाइसेंस नहीं मिल जाता है। निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव और लोकतंत्र की विशेषताएं है। हिंसा के माहौल में चुनाव नहीं हो सकते हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी और इसके साथ ही केंद्रीय वाहिनी तैनाती की हाईकोर्ट के फैसले को बहाल रखा है।

नागरत्ना ने कहा कि हाईकोर्ट ने ये आदेश इसलिए दिया क्योंकि 2013, 2018 मे हुई हिंसा का पुराना इतिहास रहा है। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि हिंसा के माहौल मे चुनाव नहीं कराया जा सकता। चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र होना चाहिए। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि अगर लोगों को इस बात की भी आजादी नहीं है कि वो नामंकन पत्र दाखिल कर पाए, उनकी हत्या हो रही है तो फिर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की बात का सवाल ही नहीं उठता। हाईकोर्ट ने हिंसा की ऐसी तमाम घटनाओं के मद्देनजर ही ऐसा आदेश दिया होगा।

जस्टिस नागरत्न ने कहा, आपने पांच राज्यों से पुलिस मांगी है और हाईकोर्ट ने केंद्रीय बलों को तैनात करने को कहा है। खर्चा केंद्र वहन करेगा। आपकी कठिनाइयां कहां हैं? इसके अलावा अगर केंद्रीय बल चुनाव में कानून-व्यवस्था के सवाल पर उलझे हैं तो इसमें दिक्कत कहां है?

इस पर पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने कहा कि ऐसा नहीं है, हमने पुलिस फोर्स का इंतजाम कर लिया है।राज्य सरकार के वकील ने कहा कि 8 जुलाई को चुनाव होना है। आज (20 जून) नाम वापस लेने की आखिरी तारीख है, 189 सेंसिटिव बूथ हैं। हम सुरक्षा को लेकर पूरी तैयार हैं।इसके साथ जस्टिस ने राज्य चुनाव आयोग की याचिका को खारिज कर दिया। इससे हाईकोर्ट का सभी केंद्रों पर केंद्रीय वाहिनी की तैनाती का फैसला बहाल रहा।

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#eye_scan_to_predict_heart_disease_sundar_pichai_explained * दुनिया तेजी से बदल रही है। खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भी इंसान ने काफी तरक्की कर ली है। इस बीच गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई क

जब आंखों का स्कैन कर के बीमारियों का पता लगाएंगे डॉक्टर, सुंदर पिचाई का दावा-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से हेल्थकेयर में होने जा रही है क्रांति*
#eye_scan_to_predict_heart_disease_sundar_pichai_explained * दुनिया तेजी से बदल रही है। खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भी इंसान ने काफी तरक्की कर ली है। इस बीच गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई का एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में उन्होंने बताया कि आने वाले समय में ऐसी डिवाइसेस डेवलप की जाएंगी जो केवल आंख का स्कैन करके शरीर की हर बीमारी का पता लगा लिया करेंगी। इसका मतलब यह है कि आने वाले वक्त में सीटी स्कैन्स, एमआरआई और एक्स-रे को छोड़कर डॉक्टर्स आंखों का स्कैन कर के बीमारियों का पता लगा पाएंगे। दरअसल, ट्विटर पर सुंदर पिचाई का एक पुराना वीडियो वायरल है। वीडियो 2018 के गूगल आईओ इवेंट का है। यह वीडियो पूर्व नेवी ऑफिसर और राइटर हरिंदर एस सिक्का ने ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, “एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई को गुड बाय। दिल की बीमारियों का पता आंख को स्कैन करके लगाया जा सकेगा। डॉक्टरों को अब शरीर के अंदर का क्लियर व्यू मिल सकेगा : सुंदर पिचाई। इस वीडियो में सुंदर पिचाई बता रहे हैं एआई दुनिया के कई क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन ला सकता है। उन्होंने विशेष रूप से हेल्थकेयर को उदाहरण दिया है, जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पूरी तरह से परिवर्तन का कारक बन सकती है। वीडियो में सुंदर पिचाई कह रहे हैं, बीते साल हमने डायबेटिक रेटिनॉपैथी पर अपना काम अनाउंस किया। इसकी वजह से लोगों में ब्लाइंडनेस होती है। हमने डीप लर्निंग का इस्तेमाल करके ऐसा सिस्टम डेवलप किया जिससे डॉक्टर सही समय पर इसका पता लगा सकते हैं। तब से ही हम भारत के अस्पतालों में इसका फील्ड ट्रायल कर रहे हैं। फील्ड ट्रायल सही जा रहे हैं। जिन इलाकों में ट्रेन्ड डॉक्टर्स की कमी है, वहां पर हमारी टेक्नोलॉजी काम आ रही है। वीडियो में पिचाई बता रहे हैं कि फील्ड स्टडी में ये भी सामने आया कि हमारा एआई सिस्टम डायबेटिक रेटिनॉपैथी के अलावा दूसरी चीज़ों पर भी इनसाइट दे रहा था। उसी आंख के स्कैन से ये भी पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति की उम्र कितनी है, बायोलॉजिकल सेक्स क्या है, वो स्मोकिंग तो नहीं करता, उसका बीएमआई आदि पता लगाया जा सकता है। इसके साथ ही स्कैन ये भी बता सकता है कि अगले पांच साल में हार्ट अटैक की आशंका कितनी है। हेल्थ टेक में गूगल के AI की शुरुआत तब हुई जब गूगल और अरविंद आई हॉस्पिटल की टीम ने साथ मिलकर एक ऑटोमेटेड टूल तैयार किया। इस टूल पर डायबिटिक रेटिनोपैथी को डिटेक्ट करने के लिए काम किया जा रहा था। उन्होंने ऐसी अल्गोरिद्म का इस्तेमाल किया जिससे मरीज की रेटिनल फोटोज से कुछ सेकेंड्स में ही यह पता लगाया जा सकता था कि उन्हें बीमारी है या नहीं
ओडिशा रेल हादसे की जांच में नया मोड़, सिग्नल जेई आमिर खान परिवार समेत फरार, सीबीआई ने सील किया मकान

#balasore_train_accident_cbi_seals_house_of_railway_signal_je

ओडिशा के बालासोर जिले में हुए भीषण रेल हादसे की जांच जारी है। इस बीच सीबीआई ने बड़ा ऐक्शन लिया है। सीबीआ ने बालासोर सिग्नल जेई का घर सील कर दिया है। जांच टीम ने कुछ दिन पहले ही हादसे को लेकर सिग्नल जेई से पूछताछ की थी। जिसके बाद से ही सिग्नल जेई अपने परिवार के साथ लापता है। 

मीडिया रिपोर्टों में इस सेक्शन सिग्नल जेई का नाम आमिर खान बताया गया है। उससे सीबीआई ने किसी अज्ञात जगह पर पूछताछ की थी। लेकिन अब वह अपने घर से गायब है। इसके बाद सोमवार को जाँच एजेंसी ने किराए का उसका घर सील कर दिया। जानकारी के मुताबिक सीबीआई आमिर के घर की निगरानी कर रही है।

बता दें कि बालासोर हादसे में अब तक 292 लोगों की मौत हो चुकी है। 2 जून को हुए हादसे के बाद रेलवे की ओर से सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी। हादसे के बाद इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के साथ छेड़खानी करने का अंदेशा जताया गया था। इसके बाद जांच एजेंसी मामले में शामिल हुई थी। सीबीआई को ओर से ट्रेन हादसे की जांच की शुरुआत 6 जून को गई। सीबीआई ने अपनी जांच के दौरान सिग्नल जेई से एक अज्ञात स्थान पर पूछताछ की थी। 

यह हादसा उस वक्त हुआ जब तेज रफ्तार से जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस बालासोर में डिरेल होकर लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी। वहीं, उसके कुछ डिब्बे बगल की पटरी से गुजर रही दूसरी पैसेंजर ट्रेन से भी टकरा गए थे। हादसा इतना भीषण था डिब्बों के परखच्चे उड़ गए हैं। हादसे का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि कोरोमंडल ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के वैगन पर चढ़ गया था। हादसे में अब तक 292 यात्रियों की मौत हो चुकी है। जिस वक्त हादसा हुआ था उस समयें करीब 1200 लोग घायल हुए थे। इसमें 100 से अधिक बुरी तरह से चोटिल हुए थे। घटना के बाद रेल मंत्री के अलावा खुद प्रधानमंत्री मोदी भी घटनास्थनल का दौरा करने के लिए बालासोर गए थे। रेल मंत्री तीन दिन तक घटनास्थल पर मौजूद रहे और 51 घंटे के भीतर रेलवे लाइन को फिर से शुरू कराया था।