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एलन मस्क का बड़ा ऐलान, आज से हटा दिए जाएंगे ब्लू टिक

#elon_musk_big_announcement_over_blue_tick 

एलन मस्क ने जब से ट्विटर को खरीदा है, तब से ये लगातार किसी न किसी वजह से चर्चा में है। ट्विटर को लेकर मस्क ने शुरुआत से ही कई बड़े बदलाव कर चुके हैं।जिसमें से सबसे प्रमुख इसका ब्लू टिक सब्सक्रिप्शन है।एलन मस्क ने हाल ही में एक ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी थी कि कब से आपका ट्विटर ब्लू टिक हट जाएगा।ट्विटर आज से यानी 20 अप्रैल से पुराने वेरिफिकेशन सिस्टम से मिले ब्लू टिक को हटाने की प्रोसेस शुरू कर रहा है।

इससे पहले कंपनी ने 1 अप्रैल से लीगेसी ब्लू टिक हटाने का ऐलान किया था। हालांकि, माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने चुनिंदा अकाउंट से ही वेरिफाइड चेकमार्क हटाया। लेकिन ट्विटर के मालिक एलन मस्क अपने फैसले पर कायम नजर आते हैं, क्योंकि कंपनी ने ट्वीट करते हुए 20 अप्रैल से नीला निशान हटाने की जानकारी दी है।

एलॉन मस्क ने ब्लू टिक को लेकर 12 अप्रैल को ट्वीट किया था। मस्क ने बताया था कि 20 अप्रैल से ट्विटर से लेगेसी ब्लू टिक मार्क यानी वेरिफाई अकाउंट से हट जाएगा। उन्होंने अपने ट्विट में कहा कि "लेगेसी ब्लू चेकमार्क 20 अप्रैल से हटा दिए जाएंगे।" साथ ही अगर ब्लू टिक चाहिए तो मंथली चार्ज देना पड़ेगा, जिसके बाद ही अकाउंट पर ब्लू टिक मार्क एक्टिव किया जाएगा।

बता दें कि ट्विटर पर ब्लू टिक देने का सिलसिला 2009 में शुरू किया गया। हालांकि ये टिक मार्क सभी यूजर्स को नहीं दिया जाता था। इससे पहले कंपनी सेलिब्रिटीज, जर्नलिस्ट, राजनेताओं आदि का वेरिफिकेशन फ्री में करती थी। वेरिफिकेशन कंप्लीट होने के बात ब्लू टिक मिलता था। ये बैज बताता है कि यूजर ट्विटर द्वारा वेरिफाइड है और फेक अकाउंट नहीं है। अक्सर देखा जाता है कि मशहूर हस्तियों के नकली अकाउंट्स बने होते हैं। ऐसे में ब्लू चेकमार्क से असली अकाउंट की पहचान होती है।हालांकि एलन मस्क के आने के बाद कई बदलाव किए गए हैं। इसमें ब्लू टिक के लिए चार्ज लेना भी शामिल है।

आज सुलझेगा असम-अरुणाचल सीमा विवाद, अमित शाह की मौजूदगी में होगा एमओयू पर हस्ताक्षर

#assam_and_arunachal_pradesh_to_sign_mou_on_border_dispute 

असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच दशकों से चला आ रहा सीमा विवाद आज खत्म हो जाएगा। दरअसल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में असम और अरुणाचल प्रदेश सरकार के बीच नई दिल्ली में दोनों राज्यों के बीच लंबे समय से लंबित सीमा विवाद को हल करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर गुरुवार को हस्ताक्षर किए जाएंगे।

असम सरकार की गठित 12 क्षेत्रीय समितियों द्वारा दी गई सिफारिशों को बुधवार को मंजूरी दी गई है। कैबिनेट के फैसलों की घोषणा करते हुए असम के मंत्री अशोक सिंघल ने कहा कि असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच लंबे समय से लंबित सीमा विवाद का मुद्दा सुलझने जा रहा है। इससे पहले मार्च 2022 में, असम और मेघालय सरकारों ने अपने 50 साल पुराने लंबित सीमा विवाद को हल करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

क्या है असम अरुणाचल प्रदेश सीमा विवाद?

अरुणाचल प्रदेश की सरकार का दावा है कि असम से अलग होने के बाद असम को पारंपरिक रूप से अरुणाचल प्रदेश के निवासियों की कुछ भूमि असम को दे दी गई थी। दोनों राज्यों के बीच 804 किलोमीटर लंबी साझा सीमा है। दोनों ही यह दावा करते हैं कि एक राज्य के नागरिक दूसरे के क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहे थे जिसके चलते यहां हिंसा भी हुई थी और 1989 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में जा पहुंचा था।

मानहानि केस : मोदी सरनेम पर टिप्पणी मामले में राहुल गांधी की अर्जी खारिज, सूरत सेशंस कोर्ट से नहीं मिली राहत

मानहानि मामले में राहुल गांधी को सूरत सेशंस कोर्ट से राहत नहीं मिली है। अदालत ने राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी है। राहुल गांधी ने उनकी सजा पर रोक लगाने की मांग की थी। बता दें कि सूरत की एक सत्र अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ‘मोदी सरनेम’ वाली टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। इसके चलते राहुल गांधी की संसद सदस्यता चली गई थी। अब सेशंस कोर्ट से भी राहुल गांधी को निराशा हाथ लगी है। राहुल गांधी अब राहत के लिए उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं। 

ये है पूरा मामला

दरअसल, 2019 में मोदी उपनाम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में 23 मार्च को सूरत की सीजेएम कोर्ट ने धारा 504 के तहत राहुल को दो साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, कोर्ट ने फैसले पर अमल के लिए 30 दिन की मोहलत भी दी थी। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, 'कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?' इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था।

इस मामले में सुनवाई के दौरान पूर्णेश मोदी की ओर से कहा गया कि राहुल गांधी के खिलाफ 10 से अधिक आपराधिक मानहानि के मामले चल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें फटकार लगाई है। पीएम मोदी के वकील हर्ष टोलिया ने कहा कि राहुल गांधी कोर्ट से दोषी करार दिए जाने के बाद भी कह रहे हैं कि कोई गलती नहीं की। कोर्ट से मिली सजा के कारण राहुल गांधी को अयोग्य करार दिया गया है, लेकिन वे चुनाव और उसकी जीत का तर्क दे रहे हैं। वकील ने कहा कि राहुल गांधी को सही सजा मिली है, जब वे रैली को संबोधित कर रहे थे, तब वे पूरी तरह होश में थे। वहीं यदि कोर्ट आज अपील मंजूर करती है तो इससे राहुल गांधी को राहत मिल सकती है।

मानहानि केस : मोदी सरनेम पर टिप्पणी मामले में राहुल गांधी की अर्जी खारिज, सूरत सेशंस कोर्ट से नहीं मिली राहत

मानहानि मामले में राहुल गांधी को सूरत सेशंस कोर्ट से राहत नहीं मिली है। अदालत ने राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी है। राहुल गांधी ने उनकी सजा पर रोक लगाने की मांग की थी। बता दें कि सूरत की एक सत्र अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ‘मोदी सरनेम’ वाली टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। इसके चलते राहुल गांधी की संसद सदस्यता चली गई थी। अब सेशंस कोर्ट से भी राहुल गांधी को निराशा हाथ लगी है। राहुल गांधी अब राहत के लिए उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं। 

ये है पूरा मामला

दरअसल, 2019 में मोदी उपनाम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में 23 मार्च को सूरत की सीजेएम कोर्ट ने धारा 504 के तहत राहुल को दो साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, कोर्ट ने फैसले पर अमल के लिए 30 दिन की मोहलत भी दी थी। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, 'कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?' इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था।

इस मामले में सुनवाई के दौरान पूर्णेश मोदी की ओर से कहा गया कि राहुल गांधी के खिलाफ 10 से अधिक आपराधिक मानहानि के मामले चल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें फटकार लगाई है। पीएम मोदी के वकील हर्ष टोलिया ने कहा कि राहुल गांधी कोर्ट से दोषी करार दिए जाने के बाद भी कह रहे हैं कि कोई गलती नहीं की। कोर्ट से मिली सजा के कारण राहुल गांधी को अयोग्य करार दिया गया है, लेकिन वे चुनाव और उसकी जीत का तर्क दे रहे हैं। वकील ने कहा कि राहुल गांधी को सही सजा मिली है, जब वे रैली को संबोधित कर रहे थे, तब वे पूरी तरह होश में थे। वहीं यदि कोर्ट आज अपील मंजूर करती है तो इससे राहुल गांधी को राहत मिल सकती है।

'मैं खुद एक डॉन हूं', पूछताछ में बोला अतीक-अशरफ को मारने वाला हत्यारा, पानीपत के एक साथी ने दिए थे असलहे

पुलिस गिरफ्त में अतीक अहमद एवं अशरफ का कत्ल करने वाले अपराधियों से पुलिस ने पूछताछ आरम्भ कर दी है। तीनों हत्यारोपियों से राज उगलवाने के लिए पुलिस ने मनोवैज्ञानिक ढंग से आरभिंक 8 घंटों में पूछताछ की। तीनों हत्यारोपियों (लवलेश, सनी एवं अरुण) से अलग-अलग उनकी जिंदगी, परिवार, आदत शौक के बारे में जानकारी ली गई। पूछताछ में लवलेश तिवारी ने स्वयं को कट्टर हिंदूवादी एवं परशुराम का वंशज बताया। लवलेश सोशल मीडिया के माध्यम से स्वयं को फेमस करने के प्रयास में भी था। तीनों हत्यारोंपियो में सनी सिंह अधिक अपराधिक प्रवृत्ति और महत्वकांक्षी दिखाई दिया। तीनों अपराधी पहली रात अपनी ही थ्योरी पर टिके रहे।  

लवलेश तिवारी, सनी सिंह एवं अरुण, माफिया अतीक अहमद को मारकर पैसा और नाम कमाने की बात दोहराते रहे। शूटर सनी सिंह ने दोहराया कि मेरा कोई आका नहीं, मैं स्वयं एक डॉन हूं। अरुण ने कबूला कि पानीपत के एक दोस्त ने असलहा दिया था। पुलिस ने अरुण मौर्य से पूछा जीगाना जैसे खतरनाक एवं कीमती पिस्टल किस दोस्त ने दी? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए अरुण ने कहा कि मैं नहीं जानता था कि यह इतनी कीमती पिस्टल है, मैं तो इसे अच्छा असलहा भर समझ रहा था, जिससे कोई बचेगा नहीं। वहीं, सनी सिंह ने पूछताछ के चलते सुंदर भाटी से संपर्क को कुबूला है। वह हमीरपुर जेल में बंद रहने के चलते सुंदर भाटी के संपर्क में आया था, मगर जेल बदलने के बाद फिर कभी संपर्क नहीं हुआ। अतीक एवं उसके भाई अशरफ का शनिवार रात प्रयागराज में गोलियों से भूनकर क़त्ल कर दिया गया। वारदात को पुलिस कस्टडी में अरुण मौर्या, सनी एवं लवलेश तिवारी ने अंजाम दिया था। तीनों पत्रकार बनकर पुलिस के काफिले के समीप पहुंचे एवं जैसे ही अतीक और उसके भाई अशरफ ने मीडिया से चर्चा करना आरम्भ की, तीनों ने ताबड़तोड़ गोलीबारी कर दी। 

वही लगभग 18 राउंड गोलियां चलीं, जिनमें से 8 गोली अतीक अहमद को लगीं। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। हत्या के पश्चात् तीनों अपराधियों ने तुरंत ही आत्मसमर्पण कर दिया था। अतीक हत्याकांड में सम्मिलित सनी हमीरपुर, अरुण उर्फ कालिया कासगंज एवं लवलेश तिवारी बांदा जिले का रहने वाला है। लवलेश तिवारी बांदा के क्योतरा का रहने वाला है। लवलेश के खिलाफ चार पुलिस केस हैं। वह लड़की को थप्पड़ मारने के इल्जाम में जेल जा चुका है। सनी सिंह हमीरपुर जिले के कुरारा कस्बे का रहने वाला है। वो कुरारा पुलिस थाने का हिस्ट्रीशीटर है, जिसकी हिस्ट्रीशीट नंबर 281A है। उसके खिलाफ लगभग 15 मामले दर्ज हैं।

मुंबई के बाद दिल्ली में खुला एपल का दूसरा ऑफिशियल स्टोर, कंपनी के सीईओ टिम कुक ने की ग्रैंड ओपनिंग

#apple_saket_store_grand_opening_by_ceo_tim_cook 

भारत में एपल का दूसरा ऑफिशियल स्टोर साउथ दिल्ली के साकेत में ओपन हो गया है।एपल के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर टिम कुक ने दिल्ली के साकेत में एपल स्टोर की ओपनिंग की। इससे पहले भारत में पहला एप्पल स्टोर मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्पलैक्स में ओपेन किया गया था।जिसकी ओपनिंग 18 अप्रैल को हुई है।

दिल्ली के सलेक्ट सिटी वाक मॉल साकेत में एप्पल के दूसरे स्टोर की सीईओ टिम कुक ने ग्रैंड ओपनिंग की।एप्पल का साकेत स्टोर की ओपनिंग सिटी वॉक मॉल में की गई है। ओपनिंग के बाद एप्पल के सीईओ टिम कुक ने लोगों से मुलाकात की।

बता दें कि साकेत में खुला एप्पल स्टोर का साइज मुंबई के स्टोर से काफी कम है। ये 8,417.83 स्क्वायर फीट है, जबकि मुंबई का 20 हजार स्क्वायर फीट है। हालांकि दोनो स्टोर का किराया लगभग सेम है। दिल्ली के एप्पल स्टोर का किराया 40 लाख हर महीने और मुंबई वाले स्टोर का किराया 42 लाख रुपये है।

दिल्ली का एपल स्टोर खासतौर पर डिजाइन किए गए घुमावदार स्टोरफ्रंट के जरिए कस्टमर्स का वेलकम करता है। एपल के प्रोडक्ट्स और एसेसरीज डिस्प्ले को डिस्प्ले करने के लिए सफेद ओक टेबल का इस्तेमाल किया गया है। वहीं, स्टोर फीचर वॉल इंडिया में तैयार हुई है। एपल के सभी फैसिलिटी की तरह एपल साकेत भी 100 फीसदी रीन्यूएबल एनर्जी पर चलता है और कार्बन न्यूट्रल है।एप्पल के दिल्ली वाले स्टोर पर 70 कर्मचारी हैं, जिसमें आधे से ज्यादा संख्या में महिलाएं भी हैं।

साकेत में एपल स्टोर को देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। कुछ ऐसा ही नजारा मुंबई के एपल स्टोर की ओपनिंग के दौरान देखने को मिला था। एक साथ दो स्टोर खोलकर एपल इंडियन कस्टमर्स के साथ बेहतर तरीके से कनेक्ट हो सकेगी। वहीं, कस्टमर्स को भी एक ही छत के नीचे एपल के अलग-अलग प्रोडक्ट्स खरीदने का मौका मिलेगा।

क्या कोरोना के एक और लहर की है दस्तक? बीते 24 घंटे में 12,591 केस, नए मामलें 20% बढ़े

#covid_19_cases_in_india

देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में देश में कुल 12,591 मामले सामने आए हैं जो बुधवार के मुकाबले 20 फीसदी अधिक हैं। इसी के साथ सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 65,286 पहुंच गई है।इस दौरान कुल 29 लोगों की मौत हुई है, जिसमें 11 पुरानी मौतें जोड़ी गई हैं।

सक्रिय मामले 65 हजार के पार

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इस समय डेली पॉजिटिविटी रेट 5.46 फीसदी है, जबकि साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट 5.32 फीसदी है। देश में इस समय सक्रिय मामले 65,286 है और सक्रिय दर 0.15 फीसदी है। वहीं, ठीक होने की दर मौजूदा समय में 98.67 फीसदी है और पिछले 24 घंटों में 10,827 लोग ठीक हुए हैं। कुल ठीक होने वालों की संख्या बढ़कर 4,42,61,476 हो गई है।

धीमी पढ़ी वैक्सीनेशन की रफ्तार

कोरोना के केस बढ़ने के साथ टेस्टिंग की गति भी बढ़ गई है। पिछले 24 घंटों में 2,30,419 लोगों ने टेस्ट करवाया है। अब तक कुल 92.48 करोड़ कोरोना सैंपल टेस्ट किए गए हैं। इसके अलावा वैक्सीनेशन अभियान के तहत पिछले 24 घंटों में सिर्फ 574 लोगों को वैक्सीन लगाई गई है। अबतक वैक्सीन की कुल 220.66 करोड़ डोज लगाई जा चुकी हैं।

भीषण गर्मी में तप रहा पूरा भारत, देश का 90% हिस्सा डेंजर जोन में, अप्रैल में ही पारा 45 के पार

#90_percent_of_india_and_entire_delhi_in_danger_zone_of_heatwave

पूरे भारत में प्रचंड गर्मी का कहर जारी है। अप्रैल महीने में ही गर्मी का रौद्र रूप लोगों के पसीने छुड़ा रहा है। तापमान का आलम देखकर लोग घबरा गए हैं कि अभी यह हालत है तो मई और जून में क्या होगा। कई शहरों में पारा बढ़कर 44 के पार चला गया है।भारत में लगातार लू खतरनाक होती जा रही है। देश का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा इस वक्त हीटवेव की चपेट में है।

एक नए रिसर्च में कहा गया है कि देश का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा और पूरी दिल्ली लू के प्रभावों के ‘खतरे के क्षेत्र’ में है। रिसर्च कैंब्रिज विश्वविद्यालय में रमित देबनाथ और उनके सहयोगियों द्वारा किया गया है। रिसर्च में कहा गया है कि ‘लू’ ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रगति को पहले की तुलना में ज्यादा बाधित किया।

हीटवेव से भारत में बीते 50 सालों में 17,000 लोगों की मौत

मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के पूर्व सचिव एम राजीवन के अनुसार हीटवेव भारत में बीते 50 सालों में 17,000 लोगों की मौत का कारण बनी है। 2021 में पब्लिश एक पेपर में कहा गया था कि 1971 से लेकर 2019 तक देश में हीटवेव से 706 लोगों की जान गई। 

13 लोगों की मौत

बता दें कि रविवार को नवी मुंबई में महाराष्ट्र सरकार के एक पुरस्कार समारोह में लू की वजह से 13 लोगों की मौत हो गई थी। लू की यह घटना अबतक की सबसे बड़ी दर्दनाक घटनाओं में से एक है। वहीं, भारत मौसम विज्ञान विभाग ने हाल ही में उत्तर-पश्चिम और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों को छोड़कर अप्रैल से जून तक देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान रहने की बात कही है।

यमन की राजधानी सना में रमजान महीने में वित्तीय सहायता वितरित करने के कार्यक्रम में मची भगदड़, 85 लोगों की मौत और दर्जनों अन्य घायल

यमन की राजधानी सना में बुधवार देर रात पवित्र रमजान महीने में वित्तीय सहायता वितरित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में भगदड़ मच गई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यक्रम में भगदड़ मचने से 85 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों अन्य घायल हो गए। विद्रोही संगठन हूती के एक अधिकारी ने घटना की जानकारी देते हुए कहा कि इस घटना में 73 लोग घायल हुए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

यह त्रासदी ईद-उल-फितर से ठीक पहले हुई है। हूती द्वारा संचालित यमन के आंतरिक मंत्रालय के अनुसार, घटना के समय सैकड़ों गरीब लोग कार्यक्रम में जमा हुए थे। हूती ने मृतकों के परिवारों को 2,000 डॉलर और घायलों को लगभग 400 डॉलर मुआवजा देने की घोषणा की है।

आंतरिक मंत्रालय के प्रवक्ता ब्रिगेडियर अब्देल-खलीक अल-अघरी ने कहा कि स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय के बिना गलत तरीके से वित्तीय सहायता वितरित करने के कारण यह घटना हुई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सहायता वितरण कार्यक्रम एक स्कूल में आयोजित किया गया था। घटना के बाद विद्रोहियों ने स्कूल को सील कर दिया। साथ ही पत्रकारों सहित लोगों को यहां आने से रोक दिया गया है।

चश्मदीदों ने बताया कि भीड़ नियंत्रित करने के लिए हथियारबंद हूती विद्रोहियों ने हवा में गोली चलाई और बिजली के तार से टकराकर उसमें विस्फोट हो गया। इससे कार्यक्रम में मौजूद लोगों में दहशत फैल गई और लोगों ने भागना शुरू कर दिया। आंतरिक मंत्रालय ने कहा कि उसने दो आयोजकों को हिरासत में लिया है और मामले की जांच चल रही है।

ईरानी समर्थित हूती विद्रोहियों ने साल 2014 में यमन की राजधानी सना पर नियंत्रण कर लिया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था।

क्या राहुल गांधी को मिलेगी राहत?मोदी सरनेम मामले में सजा के खिलाफ अर्जी पर आएगा फैसला

#important_day_for_rahul_gandhi

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए आज अहम दिन है।राहुल गांधी पर मोदी सरनेम को लेकर दिए गए फैसले पर आज सूरत की ही अन्य अदालत अपना फैसला सुना सकती है।बता दें कि उस मामले में निचली अदालत ने राहुल गांधी को दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। सजा सुनाए जाने के बाद राहुल गांधी को लोकसभा सचिवालय ने सांसदी के लिए अयोग्य माना और उनकी सांसदी खत्म कर दी।

राहुल को 15 हजार रुपए के मुचलके पर मिली थी अंतरिम जमानत

मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी की 2 साल की सजा बरकरार रहेगी या रोक लगेगी, इस पर अब आज फैसला आएगा। सूरत के सेशन कोर्ट में बीते गुरुवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। एडिशनल सेशन कोर्ट जज आरपी मोगेरा ने कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राहुल गांधी को उपस्थित न रहने की छूट दी थी। राहुल के वकील आरएस चीमा ने कोर्ट में तर्क दिया कि टिप्पणी को लेकर मानहानि का केस उचित नहीं था। साथ ही केस में अधिकतम सजा की भी जरूरत नहीं थी। 

सजा के ऐलान के कुछ देर बाद ही मिलल गई थी 30 दिन की जमानत

बता दें कि बीते महीने सूरत की एक अदालत ने मोदी सरनेम से जुड़े एक मामले में कांग्रेस नेता को दोषी पाते हुए 2 साल केस की अधिकतम सजा सुना दी थी। 23 मार्च को मानहानि केस में राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई थी। सजा का ऐलान होने के कुछ देर बाद ही उन्हें 30 दिन की जमानत दे दी गई थी। सजा सुनाए जाने के अगले ही दिन लोकसभा से उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी। राहुल केरल के वायनाड से सांसद थे।

क्या है मामला

आम चुनाव 2019 के दौरान कर्नाटक के कोलार में राहुल गांधी ने कहा था कि आखिर सभी मोदी सरनेम वाले चोर क्यों होते हैं। उनके बयान के खिलाफ सूरत से विधायक रहे पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई और करीब चार साल बाद इस मामले में फैसला आया। सूरत की निचली अदालत ने राहुल गांधी के बयान को आपत्तिजनक माना और दो साल की सजा सुना दी, हालांकि फैसले को एक महीने के लिए सस्पेंड रखने का भी फैसला किया। विवाद तब शुरू हुआ जब लोकसभा सचिवालय ने दो साल की सजा को आधार बनाकर राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म कर दी।