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India

Apr 30 2024, 14:28

भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव को पेशी से दी छूट, माफीनामा की ई-फाइलिंग करने पर फटकारा

#patanjaliayurvedmisleadingadscase 

पतंजलि आयुर्वेद भ्रामक विज्ञापन मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई हुई।पतंजलि विज्ञापन केस में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में करीब डेढ़ घंटे सुनवाई हुई। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच में रामदेव और बालकृष्ण पांचवीं बार पेश हुए।सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने पतंजलि के वकील को ओरिजिनल माफीनामा (न्यूज पेपर्स की कॉपी) की जगह ई-फाइलिंग करने पर फटकार लगाई। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को अगली सुनवाई के लिए व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे दी।

पतंजलि की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमने माफी संबंधी विज्ञापन दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये हमारे आदेश का अनुपालन नहीं है। आपने विज्ञापन की वास्तविक प्रति नहीं दाखिल की, आखिर ऐसा क्यों किया गया। रोहतगी ने कहा कि मैं आपके सामने अखबार की प्रति लेकर सामने हूं। यह मैं आपको यहीं दे रहा हूं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपकी ओर से ई-फाइलिंग प्रति दी गई, वास्तविक नहीं, मसला ये है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने हलफनामा दाखिल किया। उसमें वास्तविक प्रति नहीं लगाई। कैसे पता चलेगा कि विज्ञापन का आकार क्या है? हमने पिछली सुनवाई में विज्ञापन को लेकर स्पष्ट आदेश दिया था। तब भी आप अखबार की प्रति हमें कोर्ट रूम में दे रहे हैं। फाइल क्यों नहीं की।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस माफीनामे को देखने के बाद बाबा रामदेव के प्रति नरमी दिखाई।बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई में पेश नहीं होना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने छूट दी है। हालांकि स्पष्ट किया कि अभी सिर्फ अगली सुनवाई के लिए छूट दे रहे हैं। अगली सुनवाई 14 मई को होगी।

आईएमए को दी चेतावनी

सुनवाई के दौरान ही मुकुल रोहतगी ने आईएमए यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रमुख के बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने पतंजलि के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की थी। मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि आखिर आईएमए चीफ ने क्या कहा था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि आईएमए के अध्यक्ष का बयान रिकॉर्ड पर लाया जाए। ये बेहद गंभीर मामला है, इसका परिणाम भुगतने के लिए वे तैयार हो जाएं।

सुप्रीम कोर्ट से उत्तराखंड सरकार को फटकार

वहीं, उत्तराखंड सरकार ने दवाओं के भ्रामक विज्ञापन को लेकर उठाए गए कदमों पर हलफनामा कोर्ट के सामने पढ़ा। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने पूछा कि पिछले नौ माह से क्या कर रहे थे? राज्य सरकार की हम मौखिक कोई बात नहीं मानेंगे। सिर्फ हलफनामे में सबकुछ बताइए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य प्राधिकार का रवैया बहुत ही शर्मनाक है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को नया और सही हलफनामा दाखिल करने के लिए 10 दिनों का समय दिया।

पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पाद निलंबित

इससे पहले सोमवार (29 अप्रैल) को, उत्तराखंड सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि उसने पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस को 'तत्काल प्रभाव' से निलंबित कर दिया है। भ्रामक विज्ञापनों के लिए पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए राज्य प्राधिकरण की पहले आलोचना की गई थी, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।

WestBengalBangla

Apr 23 2024, 16:55

পতঞ্জলিকে আবারও তিরস্কার করল সুপ্রিম কোর্ট
#Patanjali_Confounding_Ad_Case



এসবি নিউজ ব্যুরো: মঙ্গলবার সুপ্রিম কোর্টে অ্যালোপ্যাথি ওষুধের বিরুদ্ধে বিজ্ঞাপন এবং পতঞ্জলি আয়ুর্বেদের ওষুধের জন্য 'বিভ্রান্তিকর দাবি' নিয়ে আদালত অবমাননার বিষয়ে একটি শুনানি ছিল। বিচারপতি হিমা কোহলি ও বিচারপতি আহসানউদ্দিন আমানুল্লাহর বেঞ্চে এই মামলার শুনানিতে যোগগুরু রামদেব এবং পতঞ্জলি আয়ুর্বেদের এমডি আচার্য বালকৃষ্ণ উপস্থিত ছিলেন। আজকের শুনানিতেও স্বস্তি পেলেন বাবা রামদেব। আগামী ৩০ এপ্রিল তাকে আবার হাজির হতে বলেছে আদালত।

*আদালত ক্ষমা চাওয়ার আকার নিয়ে প্রশ্ন তুলেছে*
যোগগুরু রামদেবের উপস্থিতিতে, পতঞ্জলির পক্ষে উপস্থিত আইনজীবী সুপ্রিম কোর্টকে জানিয়েছেন, পতঞ্জলি 67 টি সংবাদপত্রে ক্ষমা চেয়েছে সোমবার সংবাদপত্রে বিজ্ঞাপন দেওয়া হয়েছিল।এর পরিপ্রেক্ষিতে সুপ্রিম কোর্ট জানতে চায়, কোন সাইজে আপনি বিজ্ঞাপন দিয়েছেন। বিচারপতি কোহলি বলেন, আপনি কিছুই করেননি। বিচারপতি কোহলি জানতে চাইলেন এক সপ্তাহ পর গতকাল কেন এটা করা হল। আপনার সমস্ত বিজ্ঞাপন জুড়ে ক্ষমা চাওয়ার আকার কি একই? প্রবীণ আইনজীবী মুকুল রোহাতগি জানিয়েছেন, এর দাম ১০ লাখ টাকা। সুপ্রিম কোর্ট বাবা রামদেব এবং আচার্য বালকৃষ্ণকে বলেন, পত্রিকায় প্রকাশিত বিজ্ঞাপন আপনার ক্ষমা অযোগ্য। আদালত আবার বিজ্ঞাপন করতে নির্দেশ দিয়েছে।
*ক্ষমা চাওয়ার বিজ্ঞাপনটি রেকর্ডে আনুন'**
সুপ্রিম কোর্ট আরও বলেছে, পতঞ্জলি জানিয়েছে যে তাদের তরফে ক্ষমাপ্রার্থনা প্রকাশিত হয়েছে। যদিও এটি রেকর্ডে নেই। এর পরে মুকুল রোহাতগি বলেন , তিনি আজই এটি রেকর্ডে রাখবেন। এই বিষয়ে বেঞ্চ বলেছে যে বিষয়টি শুধুমাত্র পতঞ্জলির মধ্যে সীমাবদ্ধ নয়, অন্যান্য সংস্থাগুলির বিভ্রান্তিকর বিজ্ঞাপন নিয়েও উদ্বেগ রয়েছে। পতঞ্জলির কাছে সুপ্রিম কোর্টএটি স্পষ্টভাবে বলা হয়েছিল যে পতঞ্জলিকে একটি নতুন ক্ষমার বিজ্ঞাপন প্রকাশ করতে হবে এবং সেটিও রেকর্ডে আনতে হবে। এর আগে শুনানি ছিল ১৯ এপ্রিল।  আদালত তখন যোগগুরু রামদেব, তার সহযোগী বালকৃষ্ণ এবং পতঞ্জলি আয়ুর্বেদকে বিভ্রান্তিকর বিজ্ঞাপনের মামলায় প্রকাশ্যে ক্ষমা চাওয়ার জন্য এক সপ্তাহের সময় দেয়। শুনানির সময় রামদেব এবং বালকৃষ্ণ উভয়ই উপস্থিত ছিলেন এবং ব্যক্তিগতভাবে সুপ্রিম কোর্টকে সম্বোধন করেছিলেন।বিচারপতি হিমা কোহলি এবং বিচারপতি আহসানউদ্দিন আমানুল্লাহর বেঞ্চ তার ক্ষমা চাওয়ার বিষয়টি গুরুত্ব দিয়ে বিবেচনা করেছে। তবে স্পষ্ট করে দিয়েছে যে এই পর্যায়ে কোন ছাড় দেওয়ার সিদ্ধান্ত নেই।

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Apr 23 2024, 13:54

पतंजली के फिर “सुप्रीम” फटकार, अखबार में छपे बाबा रामदेव के माफीनामे पर कोर्ट ने कही ये बात*
#patanjali_misleading_ad_case एलोपैथी दवाओं के खिलाफ विज्ञापन और पतंजलि आयुर्वेद द्वारा अपनी दवाओं के लिए ‘भ्रामक दावों’ पर अदालत की अवमानना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने जब इस मामले की सुनवाई की।कोर्ट रूम में योगगुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण मौजूद थे। आज की सुनवाई में भी बाबा रामदेव को राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने उन्हें 30 अप्रैल को फिर मौजूद रहने को कहा है। *कोर्ट ने माफी के आकार पर उठाए सवाल* योगगुरु रामदेव की मौजूदगी में पतंजलि की ओर से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पतंजलि ने 67 अखबारों में माफीनामा दिया है।अखबार में सोमवार को माफीनामा का विज्ञापन दिया गया था। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आपने किस साइज में विज्ञापन दिया है। जस्टिस कोहली ने कहा कि आपने कुछ नहीं किया। जस्टिस कोहली ने कहा कि एक सप्ताह बाद कल क्यों किया गया। क्या माफी का आकार आपके सभी विज्ञापनों में समान है। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इसकी कीमत दस लाख है। सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से कहा कि अखबार में छपी आपकी माफी अयोग्य है। कोर्ट ने अतिरिक्त विज्ञापन जारी करने का आदेश दिया। * ‘माफीनामा वाले एड को रिकॉर्ड पर लाइए’* सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि पतंजलि की तरफ से बताया कि उनकी तरफ से माफीनामा प्रकाशित किया गया है। हालांकि ये बात रिकॉर्ड पर नहीं है। इसके बाद मुकुल रोहतगी ने कहा कि आज ही वो इसे रिकॉर्ड पर डालेंगे। इस पर बेंच ने कहा कि मामला केवल पतंजलि तक ही नहीं है, बल्कि दूसरे कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर भी चिंता है। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को साफ तौर पर कहा कि माफीनामे का नया विज्ञापन भी पतंजलि को प्रकाशित करना होगा और उसे भी रिकॉर्ड पर लाना होगा। इससे पहले 19 अप्रैल को सुनवाई हुई थी। तब अदालत ने योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद को भ्रामक विज्ञापन मामले में सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था। सुनवाई के दौरान रामदेव और बालकृष्ण दोनों मौजूद थे और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से शीर्ष अदालत से बिना शर्त माफी मांगी थी।न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने उनकी माफी का संज्ञान लिया, लेकिन यह स्पष्ट किया था कि इस स्तर पर रियायत देने का फैसला नहीं किया है।

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Apr 16 2024, 14:13

सुप्रीम कोर्ट से फिर बाबा रामदेव को नहीं मिली राहत, फटकार लगाते हुए 1 हफ्ते में गलती सुधारने का दिया समय*
#supreme_court_patanjali_misleading_advertisements_case भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण ने मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक बार फिर माफी मांगी, लेकिन जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए. अमानतुल्लाह की बेंच ने कहा कि आपसे सार्वजनिक माफी की मांग की गई थी। कोर्ट ने योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद को भ्रामक विज्ञापन मामले में सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच सुनवाई कर रही है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई हुई। कार्यवाही शुरू होने के बाद बाबा रामदेव की ओर से सीनियर वकील विपिन सांघी और बलबीर सिंह भी अदालत में उपस्थित हुए। जस्टिस हिमा कोहली ने कहा, हमने आपके बयान पढ़ा हैं। आप क्या कहना चाहेंगे? इसके जवाब में आरोपी ने बिना शर्त माफी मांगने की बात दोहराई। जस्टिस कोहली ने कहा कि जब आपके वकील ने यहां साफ कह दिया कि आगे से ऐसा नहीं होगा। इसके बावजूद आपने दूसरी दवा के बारे में सार्वजनिक बयान दिया। रामदेव ने कहा कि हमें ऐसा नहीं कहना चाहिए था। हम आगे से ध्यान रखेंगे। ऐसा नहीं कहना चाहिए था। जस्टिस कोहली ने कहा कि लाइलाज बीमारी के इलाज का प्रचार नहीं कर सकते हैं। कोई भी पद्धति में नहीं किया जा सकता। यह ख्याल रखा जाना चाहिए था। गैर जिम्मेदाराना हरकत थी। इस देश के लोगों को और कोर्ट को आपसे इसकी अपेक्षा नहीं है। जस्टिस कोहली ने आगे कहा, आपने क्या सोचा कि आप प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और विज्ञापन करेंगे? जिस चीज का आप प्रसार कर रहे हैं... हमारी संस्कृति में ऐसी चीजें हैं। लोग सिर्फ एलोपैथी नहीं बल्कि घरेलु पद्धतियां भी इस्तेमाल कर रहे हैं। घर पर बीमारियों से बचने के लिए नानी के नुस्खे अपना रहे हैं। आप अपनी रिसर्च के लिए दूसरे को खतरे में क्यों डाल रहे हैं? बाबा रामदेव ने कहा, किसी को भी खतरे में डालने का करने का इरादा नहीं था। हमने 5000 से ज्यादा रिसर्च प्रोटोकॉल किया। आयुर्वेद को रिसर्च आधारित साक्ष्य के साथ लाने के लिए पतंजलि ने प्रयास किया है।जस्टिस कोहली बोलीं, आपको ये हक नहीं दिया कि आप दूसरे सिस्टम को शूट डाउन करके जाएं। रामदेव ने कहा, उसके लिए मैं विनम्र भाव से कह रहा हूं कि वो बातें नहीं कहना चाहिए था। हम साक्ष्य आधारित मूल भाव का ध्यान रखेंगे। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान रामदेव ने दोबारा कहा कि हम माफी मांग रहे हैं और भविष्य में सौ फीसदी इसका ख्याल रखेंगे और इसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी। इस पर अदालत ने कहा, अभी हमने मन नहीं बनाया कि आपको माफ करें कि नहीं। एक नहीं तीन बार आपने उल्लंघन किया है। आप इस तरह की बात मत करिए। आपके रविये से यह नहीं लगता। हम आदेश जारी करेंगे। हम 23 अप्रैल को मामले की सुनवाई करेंगे और फिर से दोनों को पेश होना होगा।

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Apr 10 2024, 13:56

बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- हम अंधे नहीं, अगली कार्यवाही के लिए रहें तैयार

#patanjalimisleadingadssupremecourthearingslamsbabaramdevacharyabalkrishna 

पंतजलि के खिलाफ दर्ज भ्रामक विज्ञापन से जुड़े मामले बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मौजूद रहे। दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें दी और उन्हें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाया। शीर्ष अदालत ने दोनों को फटकारते हुए कहा कि हम अंधे नहीं हैं। हम माफीनामा स्वीकार करने से इनकार करते हैं। वहीं, यह भी कहा कि वह केंद्र के जवाब से संतुष्ट नहीं है। 

पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष योग गुरु बाबा रामदेव का हलफनामा पढ़ा, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह विज्ञापन के मुद्दे पर बिना शर्त माफी मांगते हैं। योग गुरु रामदेव और उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण की ओर से माफी गई माफी से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं हैं और उसने फिर से जमकर फटकार लगाई है। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बाबा रामदेव की तरफ से दलीलें रखीं। वकील मुकुल ने कहा कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण सार्वजनिक माफी मांगेंगे। 

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'माफी सिर्फ कागजों के लिए हैं। हम इसे जानबूझकर आदेश की अवहेलना मानते हैं। समाज को यह संदेश जाना चाहिए कि न्यायालय के आदेश का उल्लंघन न हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप कानून जानते हैं। पिछले हलफनामे में हेरफेर किया गया। यह बहुत ही गंभीर है। एक तरफ छूट मांग रहे हैं और वो भी उल्लंघन करके।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा समाज में एक संदेश जाना चाहिए

मामले पर जस्टिस हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि हमें माफी को उसी तिरस्कार के साथ क्यों नहीं लेना चाहिए जैसा कि अदालती उपक्रम को दिखाया गया है? हम आश्वस्त नहीं हैं। अब इस माफी को ठुकराने जा रहे हैं। रोहतगी ने कहा कि कृपया 10 दिनों के बाद सूचीबद्ध करें, अगर कुछ और है तो मैं कर सकता हूं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम अंधे नहीं हैं। हम इस मामले में इतना उदार नहीं होना चाहते। अब समाज में एक संदेश जाना चाहिए।

सरकार की ओर से दर्ज हलफनामे में यह कहा गया?

वहीं मामले को लेकर सरकार के आयुष मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। आयुष मंत्रालय ने एलोपैथिक दवाओं को लेकर पतंजलि के बयानों की आलोचना की है। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान, पतंजलि को कोरोनिल को वायरस के इलाज के रूप में प्रचारित करने के प्रति आगाह किया गया था। पतंजलि को मंत्रालय द्वारा कोरोना वैक्सीन या किसी भी दवाई के लिए अनिवार्य टेस्ट की जरूरतों की याद दिलाई गई थी। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से भी कहा गया था कि जब तक मंत्रालय द्वारा मामले की पूरी तरह से जांच नहीं कर ली जाती, तब तक वह कोविड-19 के खिलाफ कोरोनिल की प्रभावकारिता के बारे में दावों का विज्ञापन न करें।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी लपेटे में लिया था। कोर्ट ने पूछा था कि जब पतंजलि ने कोविड के दौरान आधुनिक चिकित्सा को खारिज कर दिया था, तब केंद्र सरकार ने इसपर कार्रवाई क्यों नहीं की थी।

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Nov 22 2023, 16:36

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी पर बाबा रामदेव की सफाई, बोले-कुछ लोग पतंजलि के खिलाफ कर रहे दुष्प्रचार, अपनी सारी रिसर्च दिखाने को तैयार

#ramdevsaidpatanjaliisnotdoingfalse_propaganda

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को कड़ी चेतावनी दी है। मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम यानी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ विज्ञापन में भ्रामक दावे पब्लिश करने को लेकर ये फटकार लगाई है। कोर्ट ने सख्ती से कहा था कि वे भ्रामक विज्ञापन बंद करें। कोर्ट की चेतावनी के बाद बाबा रामदेव ने सफाई दी है।स्वामी रामदेव ने कहा कि पंतजलि के खिलाफ 5 साल से प्रोपेगेंडा चल रहा है। हमें लगातार टारगेट किया जा रहा है। 

पतंजलि के खिलाफ किया जा रहा दुष्प्रचार-स्वामी रामदेव

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद आज बाबा रामदेव की ओर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। उन्होंने कहा कि अलग-अलग मीडिया साइट्स पर एक खबर वायरल हो रही है कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप गलत प्रचार करेंगे तो आप पर जुर्माना लगाया जाएगा। हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं। लेकिन हम कोई गलत प्रचार नहीं कर रहे हैं। कुछ स्वार्थी किस्म के लोग पतंजलि के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। 

कोर्ट में अपनी सारी रिसर्च दिखाने के लिए तैयार-स्वामी रामदेव

स्वामी रामदेव ने कहा कि एलोपैथी और मार्डन मेडिकल साइंस की ओर से झूठ फैलाया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने एक समूह बनाया है जो लगातार योग, आयुर्वेद आदि के खिलाफ प्रचार करता है। अगर हम झूठे हैं, तो हम पर 1000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाएं और हम मृत्युदंड के लिए भी तैयार हैं, लेकिन अगर हम झूठे नहीं हैं, तो उन लोगों को दंडित करें जो वास्तव में झूठा प्रचार कर रहे हैं। पिछले 5 वर्षों से रामदेव और पतंजलि को निशाना बनाकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। वह कोर्ट के सामने सैकड़ों मरीजों की परेड कराने के लिए तैयार हैं। वह कोर्ट में अपनी सारी रिसर्च दिखाने के लिए तैयार हैं।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव द्वारा सह-स्थापित और हर्बल उत्पादों का कारोबार करने वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को कई रोगों के संबंध में अपनी दवाओं के बारे में विज्ञापनों में झूठे और भ्रामक दावे करने के प्रति मंगलवार को आगाह किया था। दरअसल, मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम यानी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ विज्ञापन में भ्रामक दावे पब्लिश करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कल यानी मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद को कड़ी चेतावनी दी थी।

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Apr 30 2024, 14:28

भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव को पेशी से दी छूट, माफीनामा की ई-फाइलिंग करने पर फटकारा

#patanjaliayurvedmisleadingadscase 

पतंजलि आयुर्वेद भ्रामक विज्ञापन मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई हुई।पतंजलि विज्ञापन केस में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में करीब डेढ़ घंटे सुनवाई हुई। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच में रामदेव और बालकृष्ण पांचवीं बार पेश हुए।सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने पतंजलि के वकील को ओरिजिनल माफीनामा (न्यूज पेपर्स की कॉपी) की जगह ई-फाइलिंग करने पर फटकार लगाई। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को अगली सुनवाई के लिए व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे दी।

पतंजलि की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमने माफी संबंधी विज्ञापन दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये हमारे आदेश का अनुपालन नहीं है। आपने विज्ञापन की वास्तविक प्रति नहीं दाखिल की, आखिर ऐसा क्यों किया गया। रोहतगी ने कहा कि मैं आपके सामने अखबार की प्रति लेकर सामने हूं। यह मैं आपको यहीं दे रहा हूं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपकी ओर से ई-फाइलिंग प्रति दी गई, वास्तविक नहीं, मसला ये है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने हलफनामा दाखिल किया। उसमें वास्तविक प्रति नहीं लगाई। कैसे पता चलेगा कि विज्ञापन का आकार क्या है? हमने पिछली सुनवाई में विज्ञापन को लेकर स्पष्ट आदेश दिया था। तब भी आप अखबार की प्रति हमें कोर्ट रूम में दे रहे हैं। फाइल क्यों नहीं की।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस माफीनामे को देखने के बाद बाबा रामदेव के प्रति नरमी दिखाई।बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई में पेश नहीं होना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने छूट दी है। हालांकि स्पष्ट किया कि अभी सिर्फ अगली सुनवाई के लिए छूट दे रहे हैं। अगली सुनवाई 14 मई को होगी।

आईएमए को दी चेतावनी

सुनवाई के दौरान ही मुकुल रोहतगी ने आईएमए यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रमुख के बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने पतंजलि के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की थी। मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि आखिर आईएमए चीफ ने क्या कहा था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि आईएमए के अध्यक्ष का बयान रिकॉर्ड पर लाया जाए। ये बेहद गंभीर मामला है, इसका परिणाम भुगतने के लिए वे तैयार हो जाएं।

सुप्रीम कोर्ट से उत्तराखंड सरकार को फटकार

वहीं, उत्तराखंड सरकार ने दवाओं के भ्रामक विज्ञापन को लेकर उठाए गए कदमों पर हलफनामा कोर्ट के सामने पढ़ा। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने पूछा कि पिछले नौ माह से क्या कर रहे थे? राज्य सरकार की हम मौखिक कोई बात नहीं मानेंगे। सिर्फ हलफनामे में सबकुछ बताइए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य प्राधिकार का रवैया बहुत ही शर्मनाक है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को नया और सही हलफनामा दाखिल करने के लिए 10 दिनों का समय दिया।

पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पाद निलंबित

इससे पहले सोमवार (29 अप्रैल) को, उत्तराखंड सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि उसने पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस को 'तत्काल प्रभाव' से निलंबित कर दिया है। भ्रामक विज्ञापनों के लिए पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए राज्य प्राधिकरण की पहले आलोचना की गई थी, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।

WestBengalBangla

Apr 23 2024, 16:55

পতঞ্জলিকে আবারও তিরস্কার করল সুপ্রিম কোর্ট
#Patanjali_Confounding_Ad_Case



এসবি নিউজ ব্যুরো: মঙ্গলবার সুপ্রিম কোর্টে অ্যালোপ্যাথি ওষুধের বিরুদ্ধে বিজ্ঞাপন এবং পতঞ্জলি আয়ুর্বেদের ওষুধের জন্য 'বিভ্রান্তিকর দাবি' নিয়ে আদালত অবমাননার বিষয়ে একটি শুনানি ছিল। বিচারপতি হিমা কোহলি ও বিচারপতি আহসানউদ্দিন আমানুল্লাহর বেঞ্চে এই মামলার শুনানিতে যোগগুরু রামদেব এবং পতঞ্জলি আয়ুর্বেদের এমডি আচার্য বালকৃষ্ণ উপস্থিত ছিলেন। আজকের শুনানিতেও স্বস্তি পেলেন বাবা রামদেব। আগামী ৩০ এপ্রিল তাকে আবার হাজির হতে বলেছে আদালত।

*আদালত ক্ষমা চাওয়ার আকার নিয়ে প্রশ্ন তুলেছে*
যোগগুরু রামদেবের উপস্থিতিতে, পতঞ্জলির পক্ষে উপস্থিত আইনজীবী সুপ্রিম কোর্টকে জানিয়েছেন, পতঞ্জলি 67 টি সংবাদপত্রে ক্ষমা চেয়েছে সোমবার সংবাদপত্রে বিজ্ঞাপন দেওয়া হয়েছিল।এর পরিপ্রেক্ষিতে সুপ্রিম কোর্ট জানতে চায়, কোন সাইজে আপনি বিজ্ঞাপন দিয়েছেন। বিচারপতি কোহলি বলেন, আপনি কিছুই করেননি। বিচারপতি কোহলি জানতে চাইলেন এক সপ্তাহ পর গতকাল কেন এটা করা হল। আপনার সমস্ত বিজ্ঞাপন জুড়ে ক্ষমা চাওয়ার আকার কি একই? প্রবীণ আইনজীবী মুকুল রোহাতগি জানিয়েছেন, এর দাম ১০ লাখ টাকা। সুপ্রিম কোর্ট বাবা রামদেব এবং আচার্য বালকৃষ্ণকে বলেন, পত্রিকায় প্রকাশিত বিজ্ঞাপন আপনার ক্ষমা অযোগ্য। আদালত আবার বিজ্ঞাপন করতে নির্দেশ দিয়েছে।
*ক্ষমা চাওয়ার বিজ্ঞাপনটি রেকর্ডে আনুন'**
সুপ্রিম কোর্ট আরও বলেছে, পতঞ্জলি জানিয়েছে যে তাদের তরফে ক্ষমাপ্রার্থনা প্রকাশিত হয়েছে। যদিও এটি রেকর্ডে নেই। এর পরে মুকুল রোহাতগি বলেন , তিনি আজই এটি রেকর্ডে রাখবেন। এই বিষয়ে বেঞ্চ বলেছে যে বিষয়টি শুধুমাত্র পতঞ্জলির মধ্যে সীমাবদ্ধ নয়, অন্যান্য সংস্থাগুলির বিভ্রান্তিকর বিজ্ঞাপন নিয়েও উদ্বেগ রয়েছে। পতঞ্জলির কাছে সুপ্রিম কোর্টএটি স্পষ্টভাবে বলা হয়েছিল যে পতঞ্জলিকে একটি নতুন ক্ষমার বিজ্ঞাপন প্রকাশ করতে হবে এবং সেটিও রেকর্ডে আনতে হবে। এর আগে শুনানি ছিল ১৯ এপ্রিল।  আদালত তখন যোগগুরু রামদেব, তার সহযোগী বালকৃষ্ণ এবং পতঞ্জলি আয়ুর্বেদকে বিভ্রান্তিকর বিজ্ঞাপনের মামলায় প্রকাশ্যে ক্ষমা চাওয়ার জন্য এক সপ্তাহের সময় দেয়। শুনানির সময় রামদেব এবং বালকৃষ্ণ উভয়ই উপস্থিত ছিলেন এবং ব্যক্তিগতভাবে সুপ্রিম কোর্টকে সম্বোধন করেছিলেন।বিচারপতি হিমা কোহলি এবং বিচারপতি আহসানউদ্দিন আমানুল্লাহর বেঞ্চ তার ক্ষমা চাওয়ার বিষয়টি গুরুত্ব দিয়ে বিবেচনা করেছে। তবে স্পষ্ট করে দিয়েছে যে এই পর্যায়ে কোন ছাড় দেওয়ার সিদ্ধান্ত নেই।

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Apr 23 2024, 13:54

पतंजली के फिर “सुप्रीम” फटकार, अखबार में छपे बाबा रामदेव के माफीनामे पर कोर्ट ने कही ये बात*
#patanjali_misleading_ad_case एलोपैथी दवाओं के खिलाफ विज्ञापन और पतंजलि आयुर्वेद द्वारा अपनी दवाओं के लिए ‘भ्रामक दावों’ पर अदालत की अवमानना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने जब इस मामले की सुनवाई की।कोर्ट रूम में योगगुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण मौजूद थे। आज की सुनवाई में भी बाबा रामदेव को राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने उन्हें 30 अप्रैल को फिर मौजूद रहने को कहा है। *कोर्ट ने माफी के आकार पर उठाए सवाल* योगगुरु रामदेव की मौजूदगी में पतंजलि की ओर से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पतंजलि ने 67 अखबारों में माफीनामा दिया है।अखबार में सोमवार को माफीनामा का विज्ञापन दिया गया था। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आपने किस साइज में विज्ञापन दिया है। जस्टिस कोहली ने कहा कि आपने कुछ नहीं किया। जस्टिस कोहली ने कहा कि एक सप्ताह बाद कल क्यों किया गया। क्या माफी का आकार आपके सभी विज्ञापनों में समान है। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इसकी कीमत दस लाख है। सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से कहा कि अखबार में छपी आपकी माफी अयोग्य है। कोर्ट ने अतिरिक्त विज्ञापन जारी करने का आदेश दिया। * ‘माफीनामा वाले एड को रिकॉर्ड पर लाइए’* सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि पतंजलि की तरफ से बताया कि उनकी तरफ से माफीनामा प्रकाशित किया गया है। हालांकि ये बात रिकॉर्ड पर नहीं है। इसके बाद मुकुल रोहतगी ने कहा कि आज ही वो इसे रिकॉर्ड पर डालेंगे। इस पर बेंच ने कहा कि मामला केवल पतंजलि तक ही नहीं है, बल्कि दूसरे कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर भी चिंता है। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को साफ तौर पर कहा कि माफीनामे का नया विज्ञापन भी पतंजलि को प्रकाशित करना होगा और उसे भी रिकॉर्ड पर लाना होगा। इससे पहले 19 अप्रैल को सुनवाई हुई थी। तब अदालत ने योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद को भ्रामक विज्ञापन मामले में सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था। सुनवाई के दौरान रामदेव और बालकृष्ण दोनों मौजूद थे और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से शीर्ष अदालत से बिना शर्त माफी मांगी थी।न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने उनकी माफी का संज्ञान लिया, लेकिन यह स्पष्ट किया था कि इस स्तर पर रियायत देने का फैसला नहीं किया है।

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Apr 16 2024, 14:13

सुप्रीम कोर्ट से फिर बाबा रामदेव को नहीं मिली राहत, फटकार लगाते हुए 1 हफ्ते में गलती सुधारने का दिया समय*
#supreme_court_patanjali_misleading_advertisements_case भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण ने मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक बार फिर माफी मांगी, लेकिन जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए. अमानतुल्लाह की बेंच ने कहा कि आपसे सार्वजनिक माफी की मांग की गई थी। कोर्ट ने योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद को भ्रामक विज्ञापन मामले में सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच सुनवाई कर रही है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई हुई। कार्यवाही शुरू होने के बाद बाबा रामदेव की ओर से सीनियर वकील विपिन सांघी और बलबीर सिंह भी अदालत में उपस्थित हुए। जस्टिस हिमा कोहली ने कहा, हमने आपके बयान पढ़ा हैं। आप क्या कहना चाहेंगे? इसके जवाब में आरोपी ने बिना शर्त माफी मांगने की बात दोहराई। जस्टिस कोहली ने कहा कि जब आपके वकील ने यहां साफ कह दिया कि आगे से ऐसा नहीं होगा। इसके बावजूद आपने दूसरी दवा के बारे में सार्वजनिक बयान दिया। रामदेव ने कहा कि हमें ऐसा नहीं कहना चाहिए था। हम आगे से ध्यान रखेंगे। ऐसा नहीं कहना चाहिए था। जस्टिस कोहली ने कहा कि लाइलाज बीमारी के इलाज का प्रचार नहीं कर सकते हैं। कोई भी पद्धति में नहीं किया जा सकता। यह ख्याल रखा जाना चाहिए था। गैर जिम्मेदाराना हरकत थी। इस देश के लोगों को और कोर्ट को आपसे इसकी अपेक्षा नहीं है। जस्टिस कोहली ने आगे कहा, आपने क्या सोचा कि आप प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और विज्ञापन करेंगे? जिस चीज का आप प्रसार कर रहे हैं... हमारी संस्कृति में ऐसी चीजें हैं। लोग सिर्फ एलोपैथी नहीं बल्कि घरेलु पद्धतियां भी इस्तेमाल कर रहे हैं। घर पर बीमारियों से बचने के लिए नानी के नुस्खे अपना रहे हैं। आप अपनी रिसर्च के लिए दूसरे को खतरे में क्यों डाल रहे हैं? बाबा रामदेव ने कहा, किसी को भी खतरे में डालने का करने का इरादा नहीं था। हमने 5000 से ज्यादा रिसर्च प्रोटोकॉल किया। आयुर्वेद को रिसर्च आधारित साक्ष्य के साथ लाने के लिए पतंजलि ने प्रयास किया है।जस्टिस कोहली बोलीं, आपको ये हक नहीं दिया कि आप दूसरे सिस्टम को शूट डाउन करके जाएं। रामदेव ने कहा, उसके लिए मैं विनम्र भाव से कह रहा हूं कि वो बातें नहीं कहना चाहिए था। हम साक्ष्य आधारित मूल भाव का ध्यान रखेंगे। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान रामदेव ने दोबारा कहा कि हम माफी मांग रहे हैं और भविष्य में सौ फीसदी इसका ख्याल रखेंगे और इसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी। इस पर अदालत ने कहा, अभी हमने मन नहीं बनाया कि आपको माफ करें कि नहीं। एक नहीं तीन बार आपने उल्लंघन किया है। आप इस तरह की बात मत करिए। आपके रविये से यह नहीं लगता। हम आदेश जारी करेंगे। हम 23 अप्रैल को मामले की सुनवाई करेंगे और फिर से दोनों को पेश होना होगा।

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Apr 10 2024, 13:56

बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- हम अंधे नहीं, अगली कार्यवाही के लिए रहें तैयार

#patanjalimisleadingadssupremecourthearingslamsbabaramdevacharyabalkrishna 

पंतजलि के खिलाफ दर्ज भ्रामक विज्ञापन से जुड़े मामले बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मौजूद रहे। दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें दी और उन्हें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाया। शीर्ष अदालत ने दोनों को फटकारते हुए कहा कि हम अंधे नहीं हैं। हम माफीनामा स्वीकार करने से इनकार करते हैं। वहीं, यह भी कहा कि वह केंद्र के जवाब से संतुष्ट नहीं है। 

पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष योग गुरु बाबा रामदेव का हलफनामा पढ़ा, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह विज्ञापन के मुद्दे पर बिना शर्त माफी मांगते हैं। योग गुरु रामदेव और उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण की ओर से माफी गई माफी से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं हैं और उसने फिर से जमकर फटकार लगाई है। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बाबा रामदेव की तरफ से दलीलें रखीं। वकील मुकुल ने कहा कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण सार्वजनिक माफी मांगेंगे। 

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'माफी सिर्फ कागजों के लिए हैं। हम इसे जानबूझकर आदेश की अवहेलना मानते हैं। समाज को यह संदेश जाना चाहिए कि न्यायालय के आदेश का उल्लंघन न हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप कानून जानते हैं। पिछले हलफनामे में हेरफेर किया गया। यह बहुत ही गंभीर है। एक तरफ छूट मांग रहे हैं और वो भी उल्लंघन करके।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा समाज में एक संदेश जाना चाहिए

मामले पर जस्टिस हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि हमें माफी को उसी तिरस्कार के साथ क्यों नहीं लेना चाहिए जैसा कि अदालती उपक्रम को दिखाया गया है? हम आश्वस्त नहीं हैं। अब इस माफी को ठुकराने जा रहे हैं। रोहतगी ने कहा कि कृपया 10 दिनों के बाद सूचीबद्ध करें, अगर कुछ और है तो मैं कर सकता हूं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम अंधे नहीं हैं। हम इस मामले में इतना उदार नहीं होना चाहते। अब समाज में एक संदेश जाना चाहिए।

सरकार की ओर से दर्ज हलफनामे में यह कहा गया?

वहीं मामले को लेकर सरकार के आयुष मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। आयुष मंत्रालय ने एलोपैथिक दवाओं को लेकर पतंजलि के बयानों की आलोचना की है। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान, पतंजलि को कोरोनिल को वायरस के इलाज के रूप में प्रचारित करने के प्रति आगाह किया गया था। पतंजलि को मंत्रालय द्वारा कोरोना वैक्सीन या किसी भी दवाई के लिए अनिवार्य टेस्ट की जरूरतों की याद दिलाई गई थी। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से भी कहा गया था कि जब तक मंत्रालय द्वारा मामले की पूरी तरह से जांच नहीं कर ली जाती, तब तक वह कोविड-19 के खिलाफ कोरोनिल की प्रभावकारिता के बारे में दावों का विज्ञापन न करें।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी लपेटे में लिया था। कोर्ट ने पूछा था कि जब पतंजलि ने कोविड के दौरान आधुनिक चिकित्सा को खारिज कर दिया था, तब केंद्र सरकार ने इसपर कार्रवाई क्यों नहीं की थी।

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Nov 22 2023, 16:36

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी पर बाबा रामदेव की सफाई, बोले-कुछ लोग पतंजलि के खिलाफ कर रहे दुष्प्रचार, अपनी सारी रिसर्च दिखाने को तैयार

#ramdevsaidpatanjaliisnotdoingfalse_propaganda

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को कड़ी चेतावनी दी है। मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम यानी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ विज्ञापन में भ्रामक दावे पब्लिश करने को लेकर ये फटकार लगाई है। कोर्ट ने सख्ती से कहा था कि वे भ्रामक विज्ञापन बंद करें। कोर्ट की चेतावनी के बाद बाबा रामदेव ने सफाई दी है।स्वामी रामदेव ने कहा कि पंतजलि के खिलाफ 5 साल से प्रोपेगेंडा चल रहा है। हमें लगातार टारगेट किया जा रहा है। 

पतंजलि के खिलाफ किया जा रहा दुष्प्रचार-स्वामी रामदेव

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद आज बाबा रामदेव की ओर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। उन्होंने कहा कि अलग-अलग मीडिया साइट्स पर एक खबर वायरल हो रही है कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप गलत प्रचार करेंगे तो आप पर जुर्माना लगाया जाएगा। हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं। लेकिन हम कोई गलत प्रचार नहीं कर रहे हैं। कुछ स्वार्थी किस्म के लोग पतंजलि के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। 

कोर्ट में अपनी सारी रिसर्च दिखाने के लिए तैयार-स्वामी रामदेव

स्वामी रामदेव ने कहा कि एलोपैथी और मार्डन मेडिकल साइंस की ओर से झूठ फैलाया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने एक समूह बनाया है जो लगातार योग, आयुर्वेद आदि के खिलाफ प्रचार करता है। अगर हम झूठे हैं, तो हम पर 1000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाएं और हम मृत्युदंड के लिए भी तैयार हैं, लेकिन अगर हम झूठे नहीं हैं, तो उन लोगों को दंडित करें जो वास्तव में झूठा प्रचार कर रहे हैं। पिछले 5 वर्षों से रामदेव और पतंजलि को निशाना बनाकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। वह कोर्ट के सामने सैकड़ों मरीजों की परेड कराने के लिए तैयार हैं। वह कोर्ट में अपनी सारी रिसर्च दिखाने के लिए तैयार हैं।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव द्वारा सह-स्थापित और हर्बल उत्पादों का कारोबार करने वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को कई रोगों के संबंध में अपनी दवाओं के बारे में विज्ञापनों में झूठे और भ्रामक दावे करने के प्रति मंगलवार को आगाह किया था। दरअसल, मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम यानी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ विज्ञापन में भ्रामक दावे पब्लिश करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कल यानी मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद को कड़ी चेतावनी दी थी।