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जस्टिस यशवंत वर्मा नकदी कांड की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, जांच पैनल रिपोर्ट में हुई जले नोटों की पुष्टि

#justiceyashwantvermanotescandal_report 

जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड में जांच पैनल की रिपोर्ट आ गई है। जांच में यह बात सामने आई है कि जस्टिस वर्मा के घर कैश मिलने का सबूत है। तीन जजों की कमेटी की रिपोर्ट में जले हुए नोटों की पुष्टि हुई है। तीन सीनियर जजों के पैनल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश की है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की पैनल रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की पुष्टि हुई है। खबरों के मुताबिक न्यायाधिश यशवंत वर्मा के स्टोर रुम में नोट रखी हुई थी जिसकी पहुंच केवल न्यायाधीश और परिवार तक ही थी। वहां किसी और की एंट्री नहीं थी।

जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए पर्याप्त सबूत का दावा

जजों के पैनल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की कार्यवाही शुरू करने की आवश्यकता है। तत्कालीन सीजेआई ने तीन जजों की कमेटी गठित की थी। गठित तीन जजों की समिति ने 10 दिन में 55 गवाहों के बयान दर्ज किए थे। 

10 गवाहों ने जले या अधजले नोट देखने की बात मानी

समिति की ओर से जांचे गए कम से कम 10 गवाहों ने जले हुए या आधे जले हुए नोट देखने की बात स्वीकार की है। वहीं, एक गवाह ने कहा, उन्होंने देखा था कि कमरे में फर्श पर नोट बिखरे पड़े थे। जले हुए या आधे जले हुए 500 के नोट फर्श पर पड़े हुए थे।

 

सबूतों को नष्ट करने और सफाई करने की जांच

समिति ने जस्टिस वर्मा के निजी सचिव राजिंदर सिंह कार्की और उनकी बेटी दीया वर्मा द्वारा कथित तौर पर सबूतों को नष्ट करने या आग लगने की जगह की सफाई करने में संदिग्ध भूमिका की भी जांच की। उदाहरण के लिए, कार्की ने कथित तौर पर आग बुझाने वाले फायरमैन को निर्देश दिया कि वे अपनी रिपोर्ट में नोटों के जलने और अगले दिन कमरे की सफाई करने का उल्लेख न करें, जिसका उन्होंने खंडन किया। हालांकि, अन्य गवाहों के बयानों और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों से इसके उलट साबित हुआ।

क्या है मामला?

दरअसल, जस्टिस वर्मा के घर 14 मार्च को आग लगी थी। यह आग 14 मार्च की रात लगभग 11:35 बजे 30 तुगलक क्रिसेंट, नई दिल्ली में लगी थी। जहां पर कथित तौर पर उनके घर से बड़ी मात्रा में कैश मिला था। यह उस समय जस्टिस वर्मा का आधिकारिक निवास था। उस वक्त वह दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे। कैश कांड सामने आने के बाद उच्च स्तरीय जांच शुरू की गई थी। वहीं, जस्टिस यशवंत वर्मा का दावा है कि स्टोर रूम में उन्होंने या उनके परिवार वालों ने कभी कैश नहीं रखा और उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है।

माओवाद के समूल नाश और बस्तर के समग्र विकास के लिए देश के बुद्धिजीवियों का आह्वान

रायपुर- बस्तर क्षेत्र में माओवादी हिंसा के उन्मूलन की मांग को लेकर आज रायपुर में एक महत्त्वपूर्ण प्रेस वार्ता आयोजित की गई। इस वार्ता को प्रो. एस.के. पांडे (पूर्व कुलपति), अनुराग पांडे (सेवानिवृत्त IAS), बी. गोपा कुमार (पूर्व उप-सॉलिसिटर जनरल) और शैलेन्द्र शुक्ला (पूर्व निदेशक, क्रेडा) ने संबोधित किया।

इन चार वक्ताओं द्वारा अपने वक्तव्य में बस्तर के नागरिकों की दशकों पुरानी पीड़ा, माओवादी हिंसा का वास्तविक स्वरूप, और तथाकथित 'बुद्धिजीवी' वर्ग द्वारा माओवाद के वैचारिक महिमामंडन पर गहरी चिंता व्यक्त की गई।

प्रो. एस.के. पांडे ने कहा कि बस्तर पिछले चार दशकों से माओवादी हिंसा की चपेट में है, जिसमें हजारों निर्दोष आदिवासी नागरिक, सुरक्षाकर्मी, शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और ग्राम प्रतिनिधि मारे जा चुके हैं। South Asia Terrorism Portal के आँकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि केवल छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा से 1000 से अधिक आम नागरिकों की जान जा चुकी है, जिनमें बहुसंख्यक बस्तर के आदिवासी हैं।

अनुराग पांडे ने कहा कि ‘शांति वार्ता’ की बात तभी स्वीकार्य हो सकती है जब माओवादी हिंसा और हथियारों का त्याग करें। इसके साथ ही जो संगठन और व्यक्ति माओवादियों के फ्रंटल समूहों के रूप में कार्य कर रहे हैं, उनकी पहचान कर उन पर भी वैधानिक कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि सलवा जुडूम को बार-बार निशाने पर लेना माओवादी आतंक को नैतिक छूट देने का प्रयास है, जबकि बस्तर की जनता स्वयं इस हिंसा का सबसे बड़ा शिकार है।

प्रेस को सम्बोधित करते हुए बी. गोपा कुमार ने कहा कि जो लोग ‘शांति’ की बात कर रहे हैं, उन्हें पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि माओवादी हिंसा पूरी तरह बंद हो। अन्यथा यह सब केवल रणनीतिक प्रचार (propaganda) का हिस्सा मात्र है। उन्होंने कहा कि 2004 की वार्ताओं के बाद जिस प्रकार 2010 में ताड़मेटला में नरसंहार हुआ, वह एक ऐतिहासिक चेतावनी है, जिसे नहीं भूलना चाहिए।

वार्ता के अंत में शैलेन्द्र शुक्ला ने यह स्पष्ट किया गया है कि शांति, विकास और न्याय – ये तीनों केवल तभी संभव हैं जब माओवाद को निर्णायक रूप से समाप्त किया जाए। सरकार से यह अपेक्षा की गई है कि वह माओवादी आतंकवाद के विरुद्ध अपनी कार्रवाई को सतत और सशक्त बनाए रखे, और माओवादी समर्थक संगठनों को वैधानिक रूप से चिन्हित कर उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

मुख्य मांगे-

  •  सरकार नक्सल आतंकवाद के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखे, और सुरक्षा बलों के प्रयासों को और भी मजबूत बनाए। कार्रवाइयाँ और अधिक सशक्त और सतत रहें।
  •  माओवादी और उनके समर्थक संगठनों को शांति वार्ता के लिए तभी शामिल किया जाए, जब वे हिंसा और हथियारों को छोड़ने के लिए तैयार हों।
  •  नक्सलवाद और उनके फ्रंटल संगठनों का समर्थन करने वाले व्यक्तियों और संगठनों पर उचित कार्रवाई की जाए।
  •  बस्तर की शांति और विकास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, ताकि इस क्षेत्र को नक्सल आतंकवाद से मुक्त किया जा सके।

पत्रकार वार्ता के दौरान एक सार्वजनिक पत्र भी जारी किया गया, जो निम्नलिखित संस्थाओं एवं प्रमुख व्यक्तित्वों द्वारा हस्ताक्षरित है:

Intellectual Forum of Chhattisgarh, Bharat Lawyers Forum, Society For Policy and Strategic Research, Center For Janjatiya Studies and Research, Forum For Awareness of National Security, Bastar Shanti Samiti, Shakti Vigyan Bharti, Call For Justice, The 4th Pillar, Writers For The Nation, Chhattisgarh Civil Society, Janjati Suraksha Manch, Avsar Foundation, बस्तर सांस्कृतिक सुरक्षा मंच सहित कुल 15+ मंच।

पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों में शामिल हैं:

Justice Rakesh Saksena, Major General Mrinal Suman, Brig. Rakesh Sharma, Dr. T.D. Dogra, Mr. Rakesh Chaturvedi (Rtd. IFS), Dr. Varnika Sharma, Prof. B.K. Sthapak, Shyam Singh Kumre (Retd. IAS), और अधिवक्ताओं, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा नीति विशेषज्ञों का एक विस्तृत समूह, जिनमें Adv. Sangharsh Pandey, Adv. Kaustubh Shukla, Smt. Kiran Sushma Khoya, Prof. Dinesh Parihar, Mr. Vikrant Kumre जैसे नाम उल्लेखनीय हैं।

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की तैयारी, मानसून सत्र में हो सकता है फैसला

#allahabadhighcourtjusticeyashwantvarmacash_row 

दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। खबर आ रही है कि उन्हें पद से हटाने की तैयारी चल रही है।केंद्र सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने के विकल्प पर विचार कर रही है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, दिल्ली से इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजे गए जस्टिस वर्मा यदि खुद इस्तीफा नहीं देते हैं, तो संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाना एक स्पष्ट विकल्प है।

जस्टिस वर्मा के इस्तीफे का इंतजार

न्यूज एजेंसी PTI ने सरकार से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया कि 15 जुलाई के बाद शुरू होने वाले मानसून सत्र में यह प्रस्ताव लाया जा सकता है। हालांकि सरकार अभी इस बात का इंतजार कर रही है कि जस्टिस वर्मा खुद इस्तीफा दे दें। वहीं, दूसरी तरफ सरकार महाभियोग लाने के अपने इरादे से विपक्षी नेताओं को अवगत करा रही है। 

विपक्षी दलों का साधने में जुटी सरकार

सूत्रों के मुताबिक, इस मुद्दे पर विपक्षी दलों का समर्थन मिलने की पूरी उम्मीद है। बीते शुक्रवार से केंद्र सरकार विपक्षी दलों को साधने में लगी है। केंद्र सरकार को भरोसा है कि संसद के दोनों सदनों में उसको दो तिहाई बहुमत प्राप्त हो जाएगा। जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। जस्टिस वर्मा के खिलाफ संसद के दोनों सदनों में महाभियोग चलाकर हटाने के लिए दो तिहाई बहुमत चाहिए होगा।

सरकारी आवास से मिले थे नोटों के बंडलों से भरे बोरे

दरअसल, जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी थी। उनके घर के स्टोर रूम से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे। जिसके बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था।

22 मार्च को इस मामले में तत्कालीन सीजेआई ने जांच समिति बनाई थी। कमेटी ने 3 मई को रिपोर्ट तैयार की और 4 मई को सीजेआई को सौंपी थी। कमेटी ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों को सही पाया और उन्हें दोषी ठहराया था।

पूर्व सीजेआई ने की थी महाभियोग चलाने की सिफारिश

देश के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी। खन्ना ने यह पत्र सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एक आंतरिक जांच पैनल द्वारा वर्मा को दोषी ठहराए जाने के बाद भेजा था, हालांकि इसके निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया गया था।

बीआर गवई बने भारत के 52वें चीफ जस्टिस, शपथ लेने के बाद लिया मां का आशीर्वाद

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जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ले ली है। राष्ट्रपति भवन में बुधवार को आयोजित एक संक्षिप्त समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस गवई को शपथ दिलाई। उन्होंने जस्टिस संजीव खन्ना की जगह ली है जो कल मंगलवार को रिटायर हो गए। उनके शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्पीकर ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के अलावा पूर्व सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट के न्यायाधीश भी शामिल हुए। पद की शपथ लेने के बाद जस्टिस गवई ने अपनी मां के पैर छुए।

2019 में बने थे सुप्रीम कोर्ट के जज

जस्टिस गवई को 24 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। इससे पहले वो बांबे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में जज के रूप में काम कर रहे थे। वह 6 महीने तक पद पर रहेंगे। उनका कार्यकाल इस साल 23 नवंबर तक होगा।

जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट के कई संविधान पीठ का हिस्सा रहे हैं। इस दौरान वह कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा बने। जानते है कुछ ऐसे ही फैसलों के बारः-

नोटबंदी पर फैसले

नरेंद्र मोदी सरकार ने आठ नवंबर 2016 में नोटबंदी करने का फैसला लिया था। सरकार ने पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला लिया था। सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सरकार के फैसले के खिलाफ देश के हाई कोर्टों में 50 से अधिक याचिकाएं दायर की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई का फैसला किया। 16 दिसंबर 2016 को यह मामला संविधान पीठ को सौंपा गया। इस पीठ में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल थे। सुनवाई के बाद इस पीठ ने चार-एक के बहुमत से फैसला सुनाते हुए नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया था। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने अल्पमत का फैसला दिया था। उन्होंने नोटबंदी के फैसले को गैरकानूनी बताया था।

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने पर फैसला

केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटा दिया था। सरकार ने पूर्ण राज्य जम्मू कश्मीर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख नाम के दो केंद्र शासित राज्यों में बांट दिया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाएं दायर की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के संवैधानिक पीठ ने इन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की थी। इस पीठ में तत्काली सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे। इस संविधान पीठ ने 11 दिसंबर 2023 को सर्वसम्मति से सुनाए अपने फैसले में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने को कानून सम्मत बताया था।

इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला

जस्टिस गवई पांच जजों की उस पीठ का भी हिस्सा रहे, जिसने राजनीतिक फंडिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। इस पीठ ने 15 फरवरी 2024 को सुनाए अपने फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड को अज्ञात रखना सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन बताया था।

इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला सुनाने वाले पीठ में तत्कालीन सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पादरवीला और जस्टिस मनोज मिश्र शामिल थे। इस पीठ ने बॉन्ड जारी करने वाले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया था कि वो अब तक जारी किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध कराए। अदालत ने चुनाव आयोग को इन जानकारियों को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था।

आरक्षण में आरक्षण पर फैसला

सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की पीठ ने दो अगस्त 2024 को सुनाए अपने फैसले में कहा था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में सब-कैटेगरी को भी आरक्षण दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस संवैधानिक पीठ ने छह बनाम एक के मत से यह फैसला सुनाया था। इस पीठ में जस्टिस बीआर गवई भी शामिल थे। इसके अलावा इस बेंच में तत्कालीन सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्र, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, जस्टिस बेला त्रिवेदी शामिल थे। जस्टिस बेला त्रिवेदी का फैसला बाकी के जजों से अलग था।

वक्फ संशोधन बिल : वित्तमंत्री ओपी चौधरी ने कांग्रेस गठबंधन पर किया प्रहार, कहा- वोट बैंक के लिए तुष्टिकरण करना इनकी मूल राजनीति

रायपुर-  भारत के दोनों सदन में वक्फ संशोधन बिल पारित हो गया है. इसे लेकर वित्तमंत्री ओपी चौधरी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होनें कांग्रेस और इंडी अलायंस पर तीखा प्रहार किया है. विपक्ष पर तुष्टिकरण की राजनीति करने और देश के हित को खतरे में डालने का आरोप लगाया है.

वित्तमंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि कांग्रेस और इंडी अलायंस के अन्य पार्टियों का एक ही सिद्धांत रहा है. वोट बैंक के लिए तुष्टिकरण की राजनीति करना. तुष्टिकरण के लिए पॉलिसी बनाना. देश के हित और भविष्य को खतरे में डालना. यही इनकी मूल राजनीती रही है. भारतीय जनता पार्टी स्पष्ट रूप से कहती आई है और करती भी है “Justice To All And Appeasement To None” यानी न्याय सभी के साथ, तुष्टीकरण किसी के साथ नहीं. इसी का उदाहरण वक्फ बोर्ड का क़ानून जो भारत सरकार पीएम मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में लेकर आए हैं.

उन्होने कहा कि वक्फ बोर्ड से सम्बन्धित जो प्रावधान थे, वो देश के सारे कानून और नियमों को धता बताते हुए कुछ लोगों के शोषण का केंद्र बने हुए थे. मुस्लिम समाज के गरीब लोग थे उनके ये खिलाफ था. जो कानूनों को धता बताते हुए चले उस पर रोक लगाना किसी भी जिम्मेदार सरकार के लिए जरूरी है. वही काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में हुआ है.

बता दें कि वक्फ संशोधन बिल राज्यसभा से भी पास हो गया है. राज्यसभा में बिल के पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 वोट पड़े. राज्यसभा में बिल पर 14 घंटे से ज्यादा चर्चा के बाद देर रात 2.32 बजे राज्यसभा से वक्फ विधेयक पारित हो गया. इसी तरह लोकसभा में भी 12 घंटे की चर्चा के बाद बुधवार देर रात बिल पास हुआ. देर रात 1.56 बजे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बिल के पास होने का ऐलान किया. बिल के पक्ष में 288 वोट पड़े, जबकि विरोध में 232 वोट पड़े.

दिल्ली हाईकोर्ट जज के बंगले पर मिला कैश, जानें कैसे सामने आया मामला

#whoisdelhihighcourtjudgejusticeyashwantverma

सरकार पर लोगों को भरोसा हो ना हो कानून पर पूरा भरोसा है। हालांकि, कुछ ऐसे मामले में जिनसे अदालतों पर भरोसे की दीवार भी कमजोर पड़ने लगी है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है दिल्ली हाई कोर्ट से। दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर भारी मात्रा में कैश बरामद किया गया है। देश के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई वाली कॉलेजियम ने इस पर तुरंत एक्शन लिया और फौरन जज यशवंत वर्मा, जिनके घर से नकदी मिली है, को इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। जज वर्मा के घर बड़ी मात्रा में नकदी तब रोशनी में आई जब उनके घर लगी आग को बुझाने फायर ब्रिगेड वाले पहुंचे थे।

होली की छुटि्टयों के दौरान जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी बंगले पर आग लग गई थी। वे घर पर नहीं थे। परिवार के लोगों ने पुलिस और इमरजेंसी सर्विस को कॉल किया और आग की जानकारी दी। पुलिस और फायरब्रिगेड की टीम जब घर पर आग बुझाने गई तो उन्हें भारी मात्रा में कैश मिला।

कॉलेजियम ने इमरजेंसी मीटिंग की

सूत्रों के मुताबिक जब सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना को मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने कॉलेजियम की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ एक रिपोर्ट आने के बाद उन्हें उनके मूल उच्च न्यायालय इलाहाबाद में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र सरकार को उनके स्थानांतरण की सिफारिशें कीं। न्यायमूर्ति वर्मा ने अक्तूबर 2021 में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।

कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम ऑनर्स की डिग्री हासिल की। यशवंत वर्मा ने 1992 में रीवा विश्वविद्यालय से लॉ में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद 08 अगस्त, 1992 को एडवोकेट के रूप में नामांकित हुए। एडवोकेट यशवंत वर्मा ने संवैधानिक, इंडस्ट्रियल विवाद, कॉर्पोरेट, टैक्सेशन, पर्यावरण और कानून की संबद्ध शाखाओं से संबंधित विभिन्न प्रकार के मामलों को संभालने वाले मुख्य रूप से दीवानी मुकदमों की पैरवी की। 2006 से प्रोमोट होने तक जस्टिस यशवंत वर्मा तक इलाहाबाद हाई कोर्ट के विशेष वकील भी रहे। 11 अक्टूबर, 2021 को उनका दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर हो गया था।

जज के घर पर बेहिसाब नकदी मिलना गंभीर मामला

बड़ी मात्रा में नकदी कोई भी व्यक्ति अपने घर में नहीं रख सकता। काले धन के प्रवाह को रोकने के लिए यह जरूरी है कि ज्यादा नकदी होने पर उसे बैंक में जमा करें। अगर किसी के घर में बड़ी मात्रा में नकदी मिलती है तो उस व्यक्ति को नकदी का स्रोत बताना पड़ेगा। खासतौर से जज जैसे जिम्मेदार ओहदे पर बैठे व्यक्ति को तो अपनी ट्रांसपेरेंसी रखनी ही होगी। किसी जज के घर पर बेहिसाब नकदी का पाया जाना एक दुर्लभ और गंभीर मामला है।

दुर्लभतम नहीं...': आरजी कर बलात्कार-हत्या मामले में संजय रॉय को मृत्युदंड क्यों नहीं मिला

#nojusticeinrgkarrapecase

पूर्व नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को पिछले साल कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के लिए सोमवार को मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इस सजा से निराशा की लहर दौड़ गई, क्योंकि कई लोग रॉय को उस अपराध के लिए मृत्युदंड की सजा की उम्मीद कर रहे थे, जिसने राष्ट्रीय आक्रोश पैदा किया था। एक वकील ने सियालदह के न्यायाधीश द्वारा उसे जीवन बख्शने के फैसले के पीछे के तर्क को समझाया।

एडवोकेट रहमान ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि सत्र न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश ने तर्क दिया कि अपराध को “दुर्लभतम में से दुर्लभतम” श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा, "सियालदह के सत्र न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश ने संजय रॉय को मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने राज्य सरकार को पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। सीबीआई ने मामले में दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग की थी। न्यायाधीश ने कहा कि यह दुर्लभतम मामला नहीं है, इसलिए मृत्युदंड नहीं दिया गया है।" सियालदह के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिरबन दास ने शनिवार को रॉय को पिछले साल 9 अगस्त को स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर के खिलाफ अपराध करने का दोषी पाया था। 

न्यायालय ने आज रॉय को 50,000 रुपये का जुर्माना भरने और राज्य सरकार को मृतक डॉक्टर के परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। न्यायाधीश दास ने कहा कि अपराध "दुर्लभतम" श्रेणी में नहीं आता है, जिसके कारण दोषी को मृत्युदंड न देने का निर्णय उचित है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार न्यायाधीश ने सीबीआई की मृत्युदंड की याचिका को खारिज कर दिया। "सीबीआई ने मृत्युदंड की मांग की। बचाव पक्ष के वकील ने प्रार्थना की कि मृत्युदंड के बजाय जेल की सजा दी जाए...यह अपराध विरलतम श्रेणी में नहीं आता है," उन्होंने कहा।

न्यायाधीश ने आगे कहा कि धारा 66 के तहत संजय रॉय अपनी मृत्यु तक जेल में रहेंगे। दास ने कहा, "चूंकि पीड़िता की मृत्यु अस्पताल में ड्यूटी के दौरान हुई, जो उसका कार्यस्थल था, इसलिए राज्य की जिम्मेदारी है कि वह डॉक्टर के परिवार को मुआवजा दे - मृत्यु के लिए 10 लाख रुपये और बलात्कार के लिए 7 लाख रुपये।"

संजय रॉय ने क्या कहा?

इससे पहले आज रॉय ने दावा किया कि उन्हें फंसाया जा रहा है। रॉय ने अदालत से कहा, "मुझे फंसाया जा रहा है और मैंने कोई अपराध नहीं किया है। मैंने कुछ भी नहीं किया है, और फिर भी मुझे दोषी ठहराया गया है।"

पीड़िता के माता-पिता हैरान

मृतक के माता-पिता ने कहा कि वे फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। "हम स्तब्ध हैं। यह दुर्लभतम मामला क्यों नहीं हो सकता? ड्यूटी पर तैनात एक डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। हम स्तब्ध हैं। इस अपराध के पीछे एक बड़ी साजिश थी," मां ने कहा।

मुसलमानों पर दिए अपने बयान पर कायम हैं जस्टिस यादव, बोले-मैंने किसी न्यायिक सीमा का उल्लंघन नहीं किया

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इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। पिछले दिनों प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में उन्होंने हिंदू और मुस्लिम धार्मिक कानूनों या मान्यताओं को लेकर बयान दिया था। इसके बाद वह विवादों के घेरे में आ गएय़ उनको सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के सामने पेश भी होना पड़ा था। हालांकि, अपने बयान पर कायम हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से तलब किए जाने के एक महीने बाद, जस्टिस यादव ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा है कि वह अपनी टिप्पणी पर कायम हैं, और उनके अनुसार यह न्यायिक आचरण के किसी भी सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करती है।

सीजेआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण भांसाली से लेटेस्ट अपडेट मांगी थी। इसके बाद जस्टिस भांसाली ने जस्टिस कुमार से कॉलेजियम के बाद उनके जवाब मांगी थी, जिसके बाद उन्होंने लेटर लिख कर जवाब दिया। जस्टिस शेखर कुमार यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर बताया कि वह अपनी टिप्पणी पर कायम हैं, जो उनके अनुसार न्यायिक आचरण के किसी भी सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करती है।

हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरुण भंसाली ने भी 17 दिसंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाले कॉलेजियम के साथ जस्टिस यादव की बैठक के बाद उनसे जवाब तलब किया था। इस महीने की शुरुआत में, अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की ओर से बताया गया कि सीजेआई ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भंसाली को पत्र लिखकर इस मसले पर नई रिपोर्ट मांगी थी।

रिपोर्ट के मुताबिक जवाब मांगने वाले उक्त पत्र में लॉ के एक छात्र और एक आईपीएस अधिकारी की ओर से उनके भाषण के खिलाफ दायर की गई शिकायत का जिक्र किया गया था, जिसे सरकार ने अनिवार्य रूप से रिटायर कर दिया था।

रिपोर्ट के अनुसार के अनुसार, जस्टिस यादव ने अपने जवाब में दावा किया कि उनके भाषण को निहित स्वार्थ वाले लोगों की ओर से तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है, और न्यायपालिका से जुड़े लोग जो सार्वजनिक रूप से खुद का बचाव करने में असमर्थ हैं, उन्हें न्यायिक बिरादरी के सीनियर लोगों द्वारा सुरक्षा दिए जाने की जरुरत है।

क्या बोले थे यादव

जस्टिस यादव ने कहा, आपको यह गलतफहमी है कि अगर कोई कानून (यूसीसी) लाया जाता है, तो यह आपके शरीयत, आपके इस्लाम और आपके कुरान के खिलाफ होगा, लेकिन मैं एक और बात कहना चाहता हूं। चाहे वह आपका पर्सनल लॉ हो, हमारा हिंदू कानून हो, आपका कुरान हो या फिर हमारी गीता हो, जैसा कि मैंने कहा कि हमने अपनी प्रथाओं में बुराइयों (बुराइयों) को संबोधित किया है, कमियां थीं, दुरुस्त कर लिए हैं, छुआछूत, सती, जौहर, कन्या भ्रूण हत्या, हमने उन सभी मुद्दों को संबोधित किया है, फिर आप इस कानून को खत्म क्यों नहीं कर रहे हैं, कि जब आपकी पहली पत्नी मौजूद है, तो आप तीन पत्नियां रख सकते हैं, उसकी सहमति के बिना, यह स्वीकार्य नहीं है।

*" আমি হাতজোড় করে, বাংলার মানুষের প্রতি কৃতজ্ঞতা জানাচ্ছি..." মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় বছর শেষের বার্তায় বাংলার মানুষের প্রতি কৃতজ্ঞতা প্রকাশ করলে

ডেস্ক : ২০২৪ সাল শেষ হতে চলেছে, পশ্চিমবঙ্গের মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় মঙ্গলবার সামাজিক মাধ্যমে "সংগ্রাম এবং সাফল্যের" একটি বছর পার করার জন্য মা-মাটি-মানুষের প্রতি কৃতজ্ঞতা প্রকাশ করেন। এই বছর শুরুতেই, মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের তৃণমূল কংগ্রেস লোকসভা নির্বাচনে একটি অভাবনীয় বিজয় অর্জন করে এবং এরপর একাধিক উপনির্বাচনে জয়লাভ করেন।

মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় তার এক্স এবং ইউটিউব অ্যাকাউন্টে একটি আন্তরিক ভিডিও শেয়ার করে জনগণের প্রতি কৃতজ্ঞতা প্রকাশ করেন, যাদের সহায়তায় সর্বভারতীয় তৃণমূল কংগ্রেস "দমন এবং শোষণের বিরুদ্ধে দৃঢ়ভাবে দাঁড়ানোর" যে সংকল্প তাতে অটল থাকতে পেরেছে।

এ বছরটির উল্লেখযোগ্য মাইলফলকগুলির উপর আলোকপাত করে, মুখ্যমন্ত্রী তাঁর দলের মানুষের সঙ্গে সম্পর্ক এবং চ্যালেঞ্জ মোকাবিলায় তার দলের সক্ষমতার প্রশংসা করেন, আবার প্রমাণিত হয় যে, তৃণমূল কংগ্রেসের পাশে বাংলার মানুষ একজোট হয়ে সামিল হয়েছেন।

ভিডিওটি, যা এক্স এবং ইউটিউব প্ল্যাটফর্মে প্রকাশ করা হয়েছে, তৃণমূল কংগ্রেস যে চ্যালেঞ্জগুলিকে অতিক্রম করে জনগণের জন্য কাজ করেছে, তা তুলে ধরা হয়েছে। কেন্দ্রের তরফে আটকে রাখা ১০০ দিনের কাজের টাকা ফেব্রুয়ারি থেকে প্রদান করা থেকে শুরু করে, লক্ষ্মীর ভাণ্ডার প্রকল্পের মাধ্যমে মহিলাদের জন্য আর্থিক সাহায্য বাড়ানো এবং ডিসেম্বর মাসে কেন্দ্রের পক্ষ থেকে আটকে রাখা আবাস যোজনার সহায়তা পূরণের জন্য রাজ্য কোষাগারের টাকা দিয়ে ১২ লক্ষ উপভোক্তাকে বাংলার বাড়ি প্রকল্পের আওতায় ক্ষতিপূরণ দেওয়া, এই সব বিষয়েই মুখ্যমন্ত্রী তার সংকল্প প্রকাশ করেছেন, যাতে জনগণের পাশে দাঁড়িয়ে সব প্রতিকূলতার বিরুদ্ধে লড়াই করা যায়।

মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় ভিডিওটির সাথে একটি আন্তরিক বার্তা লিখেছেন, ‘‘মা মাটি আর মানুষ নিয়ে বাংলা আছে ভালো, তৃণমূলের হাতেই থাকুক নতুন দিনের আলো। As we bid farewell to 2024, my heart swells with gratitude for the unflinching support of our Ma, Mati, Manush, the very cornerstone of our strength. It is your trust and faith that fuels our resolve to stand tall against the forces of oppression and exploitation. This year has been one of trials and triumphs. From the hurdles we faced together to the milestones we achieved, it is your love and solidarity that stood out. With folded hands, I thank the people of Bengal for making this year unforgettable. As we embark on a new year, I renew my pledge to serve you with utmost dedication, to protect you, and to uphold the ideals of JUSTICE, LIBERTY, EQUALITY, and FRATERNITY that define us as a people. Joy Bangla!"

Comic Street – An exciting new initiative by TVAGA and ICA at Indiajoy

The Comic Street Awards 2024 debuted at the prestigious India Joy Digital Entertainment Festival at the Hyderabad International Convention Center (HICC). A collaboration between the Telangana VFX, Animation, and Gaming Association (TVAGA) and the Indian Comics Association (ICA), the awards celebrated exceptional talent in the Indian comics industry, marking a new chapter in the legacy of India Joy. The awards were presented by former beauty queen and Bollywood actress Ruhi Singh, whose presence added a touch of glamour and star power to the event. In recognition of her contributions to the creative industry, Himanshu Singhal, PR & Industry Head of ICA, presented a memento to Ruhi Singh.

The Lifetime Achievement Award was presented to the legendary cartoonist Abid Surti for his immense contributions to the Indian comics landscape. A true pioneer, Abid Surti is the creative genius behind Bahadur, India’s first-ever superhero, and has significantly shaped the Indian comics industry.

The ICA proudly hosted a panel discussion at Comic Street featuring prominent figures such as Sanjay Gupta (Raj Comics by Sanjay Gupta), Preeti Vyas (Amar Chitra Katha), Ajay Krishna (Forbidden Verse), and Ajitesh Sharma (Cinemics). The panel delved into various aspects of storytelling, industry evolution, and comic industry opportunities, offering invaluable insights and fostering engaging discussions among industry pioneers and enthusiasts.

Ajitesh Sharma, president of ICA, interacted with Prashant Varma, the visionary director of the highly acclaimed movie Hanu-Man, on Comics IP & Cinema. Ajay Krishna, Executive Member of ICA, presented a special memento to Prashant Varma, acknowledging his remarkable contributions to storytelling, creativity, and the growing universe of Indian superheroes.

Adding to the event's excitement, two new comic titles were launched: Chandrakanta, an Indian epic adapted into Comics by Cinemics, and Soul Contract, an Indian manga by Cosmics. These latest releases generated a buzz and showcased the vibrant creativity and innovation within the Indian comics industry.

 

An ICA Pavilion exhibiting Indian Comics was set up at Comics Street, and Ravi Tanwer, Anadi Abhilash, Mohamad Shabaz, Himanshu Singhal, Vasu Gupta, Saahil Sharma, Varun Malhotra, and Neelesh Makwane from ICA led the initiative. Moreover, ICA promoted the upcoming Comics Creator Championship, set to take place during Waves 2025, further engaging the community and encouraging creators to showcase their talent in this Create in India Challenge.

The event underscores India Joy’s commitment to fostering a thriving ecosystem for the AVGC sector. Telangana IT Minister KT Rama Rao highlighted that the festival embodies the state’s vision to position Hyderabad as a global hub, attracting more than 25,000 attendees globally and showcasing India's potential as a global media and entertainment industry leader.

 

Comic Street Award 2024

 

1. Best Comics

· Platinum: Professor Ashwatthama 3 (Cheeseburger Comics)

· Diamond: Ad Infinitum - Sisyphus (Chitragaatha Comics)

· Gold: Celestial Beings (Amar Chitra Katha)

2. Best Comics Writer

· Platinum: Bijoy Raveendran, Codename Alpha '97 (Yali Dream Works)

· Diamond: Saahil S Sharma, Operation Ganga (Alpha Comics)

· Gold: Soumya Das, Violated Series (The Hierophant Entertainment)

3. Best Artist

· Platinum: Dildeep Singh, Rakt katha Series (RCSG)

· Diamond: Caio Pegado, Soormas (Curious Bit Publication)

· Gold: Harsho Mohan Chattoraj, Al-Zebra (Alpha Comics)                      

4. Best Colorist

· Platinum: Valeria Verdi, Soormas (Curious Bit Publication)

· Diamond: Shadab Siddiqui & Sunil Dasturia, Rakt katha Series (RCSG)

· Gold: Jyoti Singh, Dvij: Born from Fire (Radiant Comics)                            

5. Best Cover Design

· Platinum: Violated Issue 1 (The Hierophant Entertainment)

· Diamond: Guddu Bomb Issue 1 (Chitragaatha Comics)

· Gold: Whispers of Void: Midnight Mist (Cosmics)

6. Best Kids Comics

· Platinum: Chahal Pahal (Alpha Comics)

· Diamond: Weatherman (Cinemics)

· Gold: Tinkle Holiday Special 54 (Amar Chitra Katha)

7. Best Manga

· Platinum: Whispers of Void: Midnight Mist (Cosmics)

· Diamond: Trio (Vaibhavi Studios)

8. Best Rising Talent

· Platinum: Ajay Krishna (Forbidden Verse)

· Diamond: Vasu Gupta (Alpha Comics)

· Gold: Prathamesh Gandhi (Colorist: Yali Dream Works)

9. Fan Favourite Comics

· Platinum: Tinkle 800 (Amar Chitra Katha)

· Diamond: FORBIDDEN VERSE: LEO'S CIVIL WAR (Forbidden Verse)

· Gold: The Legend of Watakattu - Claws of Justice (Alpha Comics)

10. Best Comics (Student Category)

· Platinum: Beaver And The Boy (Abin Antony)

 

About ICA

The Indian Comics Association (ICA) promotes and nurtures the Indian comics industry. Through various initiatives, events, and collaborations, ICA aims to foster creativity, support comic creators, and elevate the art of storytelling through comics in India. The association plays a crucial role in bridging the gap between industry, government, creators, and audiences, ensuring that the rich tradition of Indian comics continues to thrive and inspire future generations.

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जस्टिस यशवंत वर्मा नकदी कांड की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, जांच पैनल रिपोर्ट में हुई जले नोटों की पुष्टि

#justiceyashwantvermanotescandal_report 

जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड में जांच पैनल की रिपोर्ट आ गई है। जांच में यह बात सामने आई है कि जस्टिस वर्मा के घर कैश मिलने का सबूत है। तीन जजों की कमेटी की रिपोर्ट में जले हुए नोटों की पुष्टि हुई है। तीन सीनियर जजों के पैनल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश की है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की पैनल रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की पुष्टि हुई है। खबरों के मुताबिक न्यायाधिश यशवंत वर्मा के स्टोर रुम में नोट रखी हुई थी जिसकी पहुंच केवल न्यायाधीश और परिवार तक ही थी। वहां किसी और की एंट्री नहीं थी।

जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए पर्याप्त सबूत का दावा

जजों के पैनल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की कार्यवाही शुरू करने की आवश्यकता है। तत्कालीन सीजेआई ने तीन जजों की कमेटी गठित की थी। गठित तीन जजों की समिति ने 10 दिन में 55 गवाहों के बयान दर्ज किए थे। 

10 गवाहों ने जले या अधजले नोट देखने की बात मानी

समिति की ओर से जांचे गए कम से कम 10 गवाहों ने जले हुए या आधे जले हुए नोट देखने की बात स्वीकार की है। वहीं, एक गवाह ने कहा, उन्होंने देखा था कि कमरे में फर्श पर नोट बिखरे पड़े थे। जले हुए या आधे जले हुए 500 के नोट फर्श पर पड़े हुए थे।

 

सबूतों को नष्ट करने और सफाई करने की जांच

समिति ने जस्टिस वर्मा के निजी सचिव राजिंदर सिंह कार्की और उनकी बेटी दीया वर्मा द्वारा कथित तौर पर सबूतों को नष्ट करने या आग लगने की जगह की सफाई करने में संदिग्ध भूमिका की भी जांच की। उदाहरण के लिए, कार्की ने कथित तौर पर आग बुझाने वाले फायरमैन को निर्देश दिया कि वे अपनी रिपोर्ट में नोटों के जलने और अगले दिन कमरे की सफाई करने का उल्लेख न करें, जिसका उन्होंने खंडन किया। हालांकि, अन्य गवाहों के बयानों और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों से इसके उलट साबित हुआ।

क्या है मामला?

दरअसल, जस्टिस वर्मा के घर 14 मार्च को आग लगी थी। यह आग 14 मार्च की रात लगभग 11:35 बजे 30 तुगलक क्रिसेंट, नई दिल्ली में लगी थी। जहां पर कथित तौर पर उनके घर से बड़ी मात्रा में कैश मिला था। यह उस समय जस्टिस वर्मा का आधिकारिक निवास था। उस वक्त वह दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे। कैश कांड सामने आने के बाद उच्च स्तरीय जांच शुरू की गई थी। वहीं, जस्टिस यशवंत वर्मा का दावा है कि स्टोर रूम में उन्होंने या उनके परिवार वालों ने कभी कैश नहीं रखा और उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है।

माओवाद के समूल नाश और बस्तर के समग्र विकास के लिए देश के बुद्धिजीवियों का आह्वान

रायपुर- बस्तर क्षेत्र में माओवादी हिंसा के उन्मूलन की मांग को लेकर आज रायपुर में एक महत्त्वपूर्ण प्रेस वार्ता आयोजित की गई। इस वार्ता को प्रो. एस.के. पांडे (पूर्व कुलपति), अनुराग पांडे (सेवानिवृत्त IAS), बी. गोपा कुमार (पूर्व उप-सॉलिसिटर जनरल) और शैलेन्द्र शुक्ला (पूर्व निदेशक, क्रेडा) ने संबोधित किया।

इन चार वक्ताओं द्वारा अपने वक्तव्य में बस्तर के नागरिकों की दशकों पुरानी पीड़ा, माओवादी हिंसा का वास्तविक स्वरूप, और तथाकथित 'बुद्धिजीवी' वर्ग द्वारा माओवाद के वैचारिक महिमामंडन पर गहरी चिंता व्यक्त की गई।

प्रो. एस.के. पांडे ने कहा कि बस्तर पिछले चार दशकों से माओवादी हिंसा की चपेट में है, जिसमें हजारों निर्दोष आदिवासी नागरिक, सुरक्षाकर्मी, शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और ग्राम प्रतिनिधि मारे जा चुके हैं। South Asia Terrorism Portal के आँकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि केवल छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा से 1000 से अधिक आम नागरिकों की जान जा चुकी है, जिनमें बहुसंख्यक बस्तर के आदिवासी हैं।

अनुराग पांडे ने कहा कि ‘शांति वार्ता’ की बात तभी स्वीकार्य हो सकती है जब माओवादी हिंसा और हथियारों का त्याग करें। इसके साथ ही जो संगठन और व्यक्ति माओवादियों के फ्रंटल समूहों के रूप में कार्य कर रहे हैं, उनकी पहचान कर उन पर भी वैधानिक कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि सलवा जुडूम को बार-बार निशाने पर लेना माओवादी आतंक को नैतिक छूट देने का प्रयास है, जबकि बस्तर की जनता स्वयं इस हिंसा का सबसे बड़ा शिकार है।

प्रेस को सम्बोधित करते हुए बी. गोपा कुमार ने कहा कि जो लोग ‘शांति’ की बात कर रहे हैं, उन्हें पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि माओवादी हिंसा पूरी तरह बंद हो। अन्यथा यह सब केवल रणनीतिक प्रचार (propaganda) का हिस्सा मात्र है। उन्होंने कहा कि 2004 की वार्ताओं के बाद जिस प्रकार 2010 में ताड़मेटला में नरसंहार हुआ, वह एक ऐतिहासिक चेतावनी है, जिसे नहीं भूलना चाहिए।

वार्ता के अंत में शैलेन्द्र शुक्ला ने यह स्पष्ट किया गया है कि शांति, विकास और न्याय – ये तीनों केवल तभी संभव हैं जब माओवाद को निर्णायक रूप से समाप्त किया जाए। सरकार से यह अपेक्षा की गई है कि वह माओवादी आतंकवाद के विरुद्ध अपनी कार्रवाई को सतत और सशक्त बनाए रखे, और माओवादी समर्थक संगठनों को वैधानिक रूप से चिन्हित कर उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

मुख्य मांगे-

  •  सरकार नक्सल आतंकवाद के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखे, और सुरक्षा बलों के प्रयासों को और भी मजबूत बनाए। कार्रवाइयाँ और अधिक सशक्त और सतत रहें।
  •  माओवादी और उनके समर्थक संगठनों को शांति वार्ता के लिए तभी शामिल किया जाए, जब वे हिंसा और हथियारों को छोड़ने के लिए तैयार हों।
  •  नक्सलवाद और उनके फ्रंटल संगठनों का समर्थन करने वाले व्यक्तियों और संगठनों पर उचित कार्रवाई की जाए।
  •  बस्तर की शांति और विकास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, ताकि इस क्षेत्र को नक्सल आतंकवाद से मुक्त किया जा सके।

पत्रकार वार्ता के दौरान एक सार्वजनिक पत्र भी जारी किया गया, जो निम्नलिखित संस्थाओं एवं प्रमुख व्यक्तित्वों द्वारा हस्ताक्षरित है:

Intellectual Forum of Chhattisgarh, Bharat Lawyers Forum, Society For Policy and Strategic Research, Center For Janjatiya Studies and Research, Forum For Awareness of National Security, Bastar Shanti Samiti, Shakti Vigyan Bharti, Call For Justice, The 4th Pillar, Writers For The Nation, Chhattisgarh Civil Society, Janjati Suraksha Manch, Avsar Foundation, बस्तर सांस्कृतिक सुरक्षा मंच सहित कुल 15+ मंच।

पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों में शामिल हैं:

Justice Rakesh Saksena, Major General Mrinal Suman, Brig. Rakesh Sharma, Dr. T.D. Dogra, Mr. Rakesh Chaturvedi (Rtd. IFS), Dr. Varnika Sharma, Prof. B.K. Sthapak, Shyam Singh Kumre (Retd. IAS), और अधिवक्ताओं, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा नीति विशेषज्ञों का एक विस्तृत समूह, जिनमें Adv. Sangharsh Pandey, Adv. Kaustubh Shukla, Smt. Kiran Sushma Khoya, Prof. Dinesh Parihar, Mr. Vikrant Kumre जैसे नाम उल्लेखनीय हैं।

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की तैयारी, मानसून सत्र में हो सकता है फैसला

#allahabadhighcourtjusticeyashwantvarmacash_row 

दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। खबर आ रही है कि उन्हें पद से हटाने की तैयारी चल रही है।केंद्र सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने के विकल्प पर विचार कर रही है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, दिल्ली से इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजे गए जस्टिस वर्मा यदि खुद इस्तीफा नहीं देते हैं, तो संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाना एक स्पष्ट विकल्प है।

जस्टिस वर्मा के इस्तीफे का इंतजार

न्यूज एजेंसी PTI ने सरकार से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया कि 15 जुलाई के बाद शुरू होने वाले मानसून सत्र में यह प्रस्ताव लाया जा सकता है। हालांकि सरकार अभी इस बात का इंतजार कर रही है कि जस्टिस वर्मा खुद इस्तीफा दे दें। वहीं, दूसरी तरफ सरकार महाभियोग लाने के अपने इरादे से विपक्षी नेताओं को अवगत करा रही है। 

विपक्षी दलों का साधने में जुटी सरकार

सूत्रों के मुताबिक, इस मुद्दे पर विपक्षी दलों का समर्थन मिलने की पूरी उम्मीद है। बीते शुक्रवार से केंद्र सरकार विपक्षी दलों को साधने में लगी है। केंद्र सरकार को भरोसा है कि संसद के दोनों सदनों में उसको दो तिहाई बहुमत प्राप्त हो जाएगा। जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। जस्टिस वर्मा के खिलाफ संसद के दोनों सदनों में महाभियोग चलाकर हटाने के लिए दो तिहाई बहुमत चाहिए होगा।

सरकारी आवास से मिले थे नोटों के बंडलों से भरे बोरे

दरअसल, जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी थी। उनके घर के स्टोर रूम से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे। जिसके बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था।

22 मार्च को इस मामले में तत्कालीन सीजेआई ने जांच समिति बनाई थी। कमेटी ने 3 मई को रिपोर्ट तैयार की और 4 मई को सीजेआई को सौंपी थी। कमेटी ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों को सही पाया और उन्हें दोषी ठहराया था।

पूर्व सीजेआई ने की थी महाभियोग चलाने की सिफारिश

देश के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी। खन्ना ने यह पत्र सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एक आंतरिक जांच पैनल द्वारा वर्मा को दोषी ठहराए जाने के बाद भेजा था, हालांकि इसके निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया गया था।

बीआर गवई बने भारत के 52वें चीफ जस्टिस, शपथ लेने के बाद लिया मां का आशीर्वाद

#justicebrgavainext52th_cji

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ले ली है। राष्ट्रपति भवन में बुधवार को आयोजित एक संक्षिप्त समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस गवई को शपथ दिलाई। उन्होंने जस्टिस संजीव खन्ना की जगह ली है जो कल मंगलवार को रिटायर हो गए। उनके शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्पीकर ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के अलावा पूर्व सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट के न्यायाधीश भी शामिल हुए। पद की शपथ लेने के बाद जस्टिस गवई ने अपनी मां के पैर छुए।

2019 में बने थे सुप्रीम कोर्ट के जज

जस्टिस गवई को 24 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। इससे पहले वो बांबे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में जज के रूप में काम कर रहे थे। वह 6 महीने तक पद पर रहेंगे। उनका कार्यकाल इस साल 23 नवंबर तक होगा।

जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट के कई संविधान पीठ का हिस्सा रहे हैं। इस दौरान वह कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा बने। जानते है कुछ ऐसे ही फैसलों के बारः-

नोटबंदी पर फैसले

नरेंद्र मोदी सरकार ने आठ नवंबर 2016 में नोटबंदी करने का फैसला लिया था। सरकार ने पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला लिया था। सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सरकार के फैसले के खिलाफ देश के हाई कोर्टों में 50 से अधिक याचिकाएं दायर की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई का फैसला किया। 16 दिसंबर 2016 को यह मामला संविधान पीठ को सौंपा गया। इस पीठ में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल थे। सुनवाई के बाद इस पीठ ने चार-एक के बहुमत से फैसला सुनाते हुए नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया था। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने अल्पमत का फैसला दिया था। उन्होंने नोटबंदी के फैसले को गैरकानूनी बताया था।

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने पर फैसला

केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटा दिया था। सरकार ने पूर्ण राज्य जम्मू कश्मीर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख नाम के दो केंद्र शासित राज्यों में बांट दिया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाएं दायर की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के संवैधानिक पीठ ने इन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की थी। इस पीठ में तत्काली सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे। इस संविधान पीठ ने 11 दिसंबर 2023 को सर्वसम्मति से सुनाए अपने फैसले में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने को कानून सम्मत बताया था।

इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला

जस्टिस गवई पांच जजों की उस पीठ का भी हिस्सा रहे, जिसने राजनीतिक फंडिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। इस पीठ ने 15 फरवरी 2024 को सुनाए अपने फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड को अज्ञात रखना सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन बताया था।

इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला सुनाने वाले पीठ में तत्कालीन सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पादरवीला और जस्टिस मनोज मिश्र शामिल थे। इस पीठ ने बॉन्ड जारी करने वाले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया था कि वो अब तक जारी किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध कराए। अदालत ने चुनाव आयोग को इन जानकारियों को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था।

आरक्षण में आरक्षण पर फैसला

सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की पीठ ने दो अगस्त 2024 को सुनाए अपने फैसले में कहा था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में सब-कैटेगरी को भी आरक्षण दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस संवैधानिक पीठ ने छह बनाम एक के मत से यह फैसला सुनाया था। इस पीठ में जस्टिस बीआर गवई भी शामिल थे। इसके अलावा इस बेंच में तत्कालीन सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्र, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, जस्टिस बेला त्रिवेदी शामिल थे। जस्टिस बेला त्रिवेदी का फैसला बाकी के जजों से अलग था।

वक्फ संशोधन बिल : वित्तमंत्री ओपी चौधरी ने कांग्रेस गठबंधन पर किया प्रहार, कहा- वोट बैंक के लिए तुष्टिकरण करना इनकी मूल राजनीति

रायपुर-  भारत के दोनों सदन में वक्फ संशोधन बिल पारित हो गया है. इसे लेकर वित्तमंत्री ओपी चौधरी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होनें कांग्रेस और इंडी अलायंस पर तीखा प्रहार किया है. विपक्ष पर तुष्टिकरण की राजनीति करने और देश के हित को खतरे में डालने का आरोप लगाया है.

वित्तमंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि कांग्रेस और इंडी अलायंस के अन्य पार्टियों का एक ही सिद्धांत रहा है. वोट बैंक के लिए तुष्टिकरण की राजनीति करना. तुष्टिकरण के लिए पॉलिसी बनाना. देश के हित और भविष्य को खतरे में डालना. यही इनकी मूल राजनीती रही है. भारतीय जनता पार्टी स्पष्ट रूप से कहती आई है और करती भी है “Justice To All And Appeasement To None” यानी न्याय सभी के साथ, तुष्टीकरण किसी के साथ नहीं. इसी का उदाहरण वक्फ बोर्ड का क़ानून जो भारत सरकार पीएम मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में लेकर आए हैं.

उन्होने कहा कि वक्फ बोर्ड से सम्बन्धित जो प्रावधान थे, वो देश के सारे कानून और नियमों को धता बताते हुए कुछ लोगों के शोषण का केंद्र बने हुए थे. मुस्लिम समाज के गरीब लोग थे उनके ये खिलाफ था. जो कानूनों को धता बताते हुए चले उस पर रोक लगाना किसी भी जिम्मेदार सरकार के लिए जरूरी है. वही काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में हुआ है.

बता दें कि वक्फ संशोधन बिल राज्यसभा से भी पास हो गया है. राज्यसभा में बिल के पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 वोट पड़े. राज्यसभा में बिल पर 14 घंटे से ज्यादा चर्चा के बाद देर रात 2.32 बजे राज्यसभा से वक्फ विधेयक पारित हो गया. इसी तरह लोकसभा में भी 12 घंटे की चर्चा के बाद बुधवार देर रात बिल पास हुआ. देर रात 1.56 बजे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बिल के पास होने का ऐलान किया. बिल के पक्ष में 288 वोट पड़े, जबकि विरोध में 232 वोट पड़े.

दिल्ली हाईकोर्ट जज के बंगले पर मिला कैश, जानें कैसे सामने आया मामला

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सरकार पर लोगों को भरोसा हो ना हो कानून पर पूरा भरोसा है। हालांकि, कुछ ऐसे मामले में जिनसे अदालतों पर भरोसे की दीवार भी कमजोर पड़ने लगी है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है दिल्ली हाई कोर्ट से। दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर भारी मात्रा में कैश बरामद किया गया है। देश के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई वाली कॉलेजियम ने इस पर तुरंत एक्शन लिया और फौरन जज यशवंत वर्मा, जिनके घर से नकदी मिली है, को इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। जज वर्मा के घर बड़ी मात्रा में नकदी तब रोशनी में आई जब उनके घर लगी आग को बुझाने फायर ब्रिगेड वाले पहुंचे थे।

होली की छुटि्टयों के दौरान जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी बंगले पर आग लग गई थी। वे घर पर नहीं थे। परिवार के लोगों ने पुलिस और इमरजेंसी सर्विस को कॉल किया और आग की जानकारी दी। पुलिस और फायरब्रिगेड की टीम जब घर पर आग बुझाने गई तो उन्हें भारी मात्रा में कैश मिला।

कॉलेजियम ने इमरजेंसी मीटिंग की

सूत्रों के मुताबिक जब सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना को मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने कॉलेजियम की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ एक रिपोर्ट आने के बाद उन्हें उनके मूल उच्च न्यायालय इलाहाबाद में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र सरकार को उनके स्थानांतरण की सिफारिशें कीं। न्यायमूर्ति वर्मा ने अक्तूबर 2021 में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।

कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम ऑनर्स की डिग्री हासिल की। यशवंत वर्मा ने 1992 में रीवा विश्वविद्यालय से लॉ में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद 08 अगस्त, 1992 को एडवोकेट के रूप में नामांकित हुए। एडवोकेट यशवंत वर्मा ने संवैधानिक, इंडस्ट्रियल विवाद, कॉर्पोरेट, टैक्सेशन, पर्यावरण और कानून की संबद्ध शाखाओं से संबंधित विभिन्न प्रकार के मामलों को संभालने वाले मुख्य रूप से दीवानी मुकदमों की पैरवी की। 2006 से प्रोमोट होने तक जस्टिस यशवंत वर्मा तक इलाहाबाद हाई कोर्ट के विशेष वकील भी रहे। 11 अक्टूबर, 2021 को उनका दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर हो गया था।

जज के घर पर बेहिसाब नकदी मिलना गंभीर मामला

बड़ी मात्रा में नकदी कोई भी व्यक्ति अपने घर में नहीं रख सकता। काले धन के प्रवाह को रोकने के लिए यह जरूरी है कि ज्यादा नकदी होने पर उसे बैंक में जमा करें। अगर किसी के घर में बड़ी मात्रा में नकदी मिलती है तो उस व्यक्ति को नकदी का स्रोत बताना पड़ेगा। खासतौर से जज जैसे जिम्मेदार ओहदे पर बैठे व्यक्ति को तो अपनी ट्रांसपेरेंसी रखनी ही होगी। किसी जज के घर पर बेहिसाब नकदी का पाया जाना एक दुर्लभ और गंभीर मामला है।

दुर्लभतम नहीं...': आरजी कर बलात्कार-हत्या मामले में संजय रॉय को मृत्युदंड क्यों नहीं मिला

#nojusticeinrgkarrapecase

पूर्व नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को पिछले साल कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के लिए सोमवार को मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इस सजा से निराशा की लहर दौड़ गई, क्योंकि कई लोग रॉय को उस अपराध के लिए मृत्युदंड की सजा की उम्मीद कर रहे थे, जिसने राष्ट्रीय आक्रोश पैदा किया था। एक वकील ने सियालदह के न्यायाधीश द्वारा उसे जीवन बख्शने के फैसले के पीछे के तर्क को समझाया।

एडवोकेट रहमान ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि सत्र न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश ने तर्क दिया कि अपराध को “दुर्लभतम में से दुर्लभतम” श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा, "सियालदह के सत्र न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश ने संजय रॉय को मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने राज्य सरकार को पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। सीबीआई ने मामले में दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग की थी। न्यायाधीश ने कहा कि यह दुर्लभतम मामला नहीं है, इसलिए मृत्युदंड नहीं दिया गया है।" सियालदह के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिरबन दास ने शनिवार को रॉय को पिछले साल 9 अगस्त को स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर के खिलाफ अपराध करने का दोषी पाया था। 

न्यायालय ने आज रॉय को 50,000 रुपये का जुर्माना भरने और राज्य सरकार को मृतक डॉक्टर के परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। न्यायाधीश दास ने कहा कि अपराध "दुर्लभतम" श्रेणी में नहीं आता है, जिसके कारण दोषी को मृत्युदंड न देने का निर्णय उचित है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार न्यायाधीश ने सीबीआई की मृत्युदंड की याचिका को खारिज कर दिया। "सीबीआई ने मृत्युदंड की मांग की। बचाव पक्ष के वकील ने प्रार्थना की कि मृत्युदंड के बजाय जेल की सजा दी जाए...यह अपराध विरलतम श्रेणी में नहीं आता है," उन्होंने कहा।

न्यायाधीश ने आगे कहा कि धारा 66 के तहत संजय रॉय अपनी मृत्यु तक जेल में रहेंगे। दास ने कहा, "चूंकि पीड़िता की मृत्यु अस्पताल में ड्यूटी के दौरान हुई, जो उसका कार्यस्थल था, इसलिए राज्य की जिम्मेदारी है कि वह डॉक्टर के परिवार को मुआवजा दे - मृत्यु के लिए 10 लाख रुपये और बलात्कार के लिए 7 लाख रुपये।"

संजय रॉय ने क्या कहा?

इससे पहले आज रॉय ने दावा किया कि उन्हें फंसाया जा रहा है। रॉय ने अदालत से कहा, "मुझे फंसाया जा रहा है और मैंने कोई अपराध नहीं किया है। मैंने कुछ भी नहीं किया है, और फिर भी मुझे दोषी ठहराया गया है।"

पीड़िता के माता-पिता हैरान

मृतक के माता-पिता ने कहा कि वे फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। "हम स्तब्ध हैं। यह दुर्लभतम मामला क्यों नहीं हो सकता? ड्यूटी पर तैनात एक डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। हम स्तब्ध हैं। इस अपराध के पीछे एक बड़ी साजिश थी," मां ने कहा।

मुसलमानों पर दिए अपने बयान पर कायम हैं जस्टिस यादव, बोले-मैंने किसी न्यायिक सीमा का उल्लंघन नहीं किया

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इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। पिछले दिनों प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में उन्होंने हिंदू और मुस्लिम धार्मिक कानूनों या मान्यताओं को लेकर बयान दिया था। इसके बाद वह विवादों के घेरे में आ गएय़ उनको सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के सामने पेश भी होना पड़ा था। हालांकि, अपने बयान पर कायम हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से तलब किए जाने के एक महीने बाद, जस्टिस यादव ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा है कि वह अपनी टिप्पणी पर कायम हैं, और उनके अनुसार यह न्यायिक आचरण के किसी भी सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करती है।

सीजेआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण भांसाली से लेटेस्ट अपडेट मांगी थी। इसके बाद जस्टिस भांसाली ने जस्टिस कुमार से कॉलेजियम के बाद उनके जवाब मांगी थी, जिसके बाद उन्होंने लेटर लिख कर जवाब दिया। जस्टिस शेखर कुमार यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर बताया कि वह अपनी टिप्पणी पर कायम हैं, जो उनके अनुसार न्यायिक आचरण के किसी भी सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करती है।

हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरुण भंसाली ने भी 17 दिसंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाले कॉलेजियम के साथ जस्टिस यादव की बैठक के बाद उनसे जवाब तलब किया था। इस महीने की शुरुआत में, अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की ओर से बताया गया कि सीजेआई ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भंसाली को पत्र लिखकर इस मसले पर नई रिपोर्ट मांगी थी।

रिपोर्ट के मुताबिक जवाब मांगने वाले उक्त पत्र में लॉ के एक छात्र और एक आईपीएस अधिकारी की ओर से उनके भाषण के खिलाफ दायर की गई शिकायत का जिक्र किया गया था, जिसे सरकार ने अनिवार्य रूप से रिटायर कर दिया था।

रिपोर्ट के अनुसार के अनुसार, जस्टिस यादव ने अपने जवाब में दावा किया कि उनके भाषण को निहित स्वार्थ वाले लोगों की ओर से तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है, और न्यायपालिका से जुड़े लोग जो सार्वजनिक रूप से खुद का बचाव करने में असमर्थ हैं, उन्हें न्यायिक बिरादरी के सीनियर लोगों द्वारा सुरक्षा दिए जाने की जरुरत है।

क्या बोले थे यादव

जस्टिस यादव ने कहा, आपको यह गलतफहमी है कि अगर कोई कानून (यूसीसी) लाया जाता है, तो यह आपके शरीयत, आपके इस्लाम और आपके कुरान के खिलाफ होगा, लेकिन मैं एक और बात कहना चाहता हूं। चाहे वह आपका पर्सनल लॉ हो, हमारा हिंदू कानून हो, आपका कुरान हो या फिर हमारी गीता हो, जैसा कि मैंने कहा कि हमने अपनी प्रथाओं में बुराइयों (बुराइयों) को संबोधित किया है, कमियां थीं, दुरुस्त कर लिए हैं, छुआछूत, सती, जौहर, कन्या भ्रूण हत्या, हमने उन सभी मुद्दों को संबोधित किया है, फिर आप इस कानून को खत्म क्यों नहीं कर रहे हैं, कि जब आपकी पहली पत्नी मौजूद है, तो आप तीन पत्नियां रख सकते हैं, उसकी सहमति के बिना, यह स्वीकार्य नहीं है।

*" আমি হাতজোড় করে, বাংলার মানুষের প্রতি কৃতজ্ঞতা জানাচ্ছি..." মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় বছর শেষের বার্তায় বাংলার মানুষের প্রতি কৃতজ্ঞতা প্রকাশ করলে

ডেস্ক : ২০২৪ সাল শেষ হতে চলেছে, পশ্চিমবঙ্গের মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় মঙ্গলবার সামাজিক মাধ্যমে "সংগ্রাম এবং সাফল্যের" একটি বছর পার করার জন্য মা-মাটি-মানুষের প্রতি কৃতজ্ঞতা প্রকাশ করেন। এই বছর শুরুতেই, মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের তৃণমূল কংগ্রেস লোকসভা নির্বাচনে একটি অভাবনীয় বিজয় অর্জন করে এবং এরপর একাধিক উপনির্বাচনে জয়লাভ করেন।

মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় তার এক্স এবং ইউটিউব অ্যাকাউন্টে একটি আন্তরিক ভিডিও শেয়ার করে জনগণের প্রতি কৃতজ্ঞতা প্রকাশ করেন, যাদের সহায়তায় সর্বভারতীয় তৃণমূল কংগ্রেস "দমন এবং শোষণের বিরুদ্ধে দৃঢ়ভাবে দাঁড়ানোর" যে সংকল্প তাতে অটল থাকতে পেরেছে।

এ বছরটির উল্লেখযোগ্য মাইলফলকগুলির উপর আলোকপাত করে, মুখ্যমন্ত্রী তাঁর দলের মানুষের সঙ্গে সম্পর্ক এবং চ্যালেঞ্জ মোকাবিলায় তার দলের সক্ষমতার প্রশংসা করেন, আবার প্রমাণিত হয় যে, তৃণমূল কংগ্রেসের পাশে বাংলার মানুষ একজোট হয়ে সামিল হয়েছেন।

ভিডিওটি, যা এক্স এবং ইউটিউব প্ল্যাটফর্মে প্রকাশ করা হয়েছে, তৃণমূল কংগ্রেস যে চ্যালেঞ্জগুলিকে অতিক্রম করে জনগণের জন্য কাজ করেছে, তা তুলে ধরা হয়েছে। কেন্দ্রের তরফে আটকে রাখা ১০০ দিনের কাজের টাকা ফেব্রুয়ারি থেকে প্রদান করা থেকে শুরু করে, লক্ষ্মীর ভাণ্ডার প্রকল্পের মাধ্যমে মহিলাদের জন্য আর্থিক সাহায্য বাড়ানো এবং ডিসেম্বর মাসে কেন্দ্রের পক্ষ থেকে আটকে রাখা আবাস যোজনার সহায়তা পূরণের জন্য রাজ্য কোষাগারের টাকা দিয়ে ১২ লক্ষ উপভোক্তাকে বাংলার বাড়ি প্রকল্পের আওতায় ক্ষতিপূরণ দেওয়া, এই সব বিষয়েই মুখ্যমন্ত্রী তার সংকল্প প্রকাশ করেছেন, যাতে জনগণের পাশে দাঁড়িয়ে সব প্রতিকূলতার বিরুদ্ধে লড়াই করা যায়।

মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় ভিডিওটির সাথে একটি আন্তরিক বার্তা লিখেছেন, ‘‘মা মাটি আর মানুষ নিয়ে বাংলা আছে ভালো, তৃণমূলের হাতেই থাকুক নতুন দিনের আলো। As we bid farewell to 2024, my heart swells with gratitude for the unflinching support of our Ma, Mati, Manush, the very cornerstone of our strength. It is your trust and faith that fuels our resolve to stand tall against the forces of oppression and exploitation. This year has been one of trials and triumphs. From the hurdles we faced together to the milestones we achieved, it is your love and solidarity that stood out. With folded hands, I thank the people of Bengal for making this year unforgettable. As we embark on a new year, I renew my pledge to serve you with utmost dedication, to protect you, and to uphold the ideals of JUSTICE, LIBERTY, EQUALITY, and FRATERNITY that define us as a people. Joy Bangla!"

Comic Street – An exciting new initiative by TVAGA and ICA at Indiajoy

The Comic Street Awards 2024 debuted at the prestigious India Joy Digital Entertainment Festival at the Hyderabad International Convention Center (HICC). A collaboration between the Telangana VFX, Animation, and Gaming Association (TVAGA) and the Indian Comics Association (ICA), the awards celebrated exceptional talent in the Indian comics industry, marking a new chapter in the legacy of India Joy. The awards were presented by former beauty queen and Bollywood actress Ruhi Singh, whose presence added a touch of glamour and star power to the event. In recognition of her contributions to the creative industry, Himanshu Singhal, PR & Industry Head of ICA, presented a memento to Ruhi Singh.

The Lifetime Achievement Award was presented to the legendary cartoonist Abid Surti for his immense contributions to the Indian comics landscape. A true pioneer, Abid Surti is the creative genius behind Bahadur, India’s first-ever superhero, and has significantly shaped the Indian comics industry.

The ICA proudly hosted a panel discussion at Comic Street featuring prominent figures such as Sanjay Gupta (Raj Comics by Sanjay Gupta), Preeti Vyas (Amar Chitra Katha), Ajay Krishna (Forbidden Verse), and Ajitesh Sharma (Cinemics). The panel delved into various aspects of storytelling, industry evolution, and comic industry opportunities, offering invaluable insights and fostering engaging discussions among industry pioneers and enthusiasts.

Ajitesh Sharma, president of ICA, interacted with Prashant Varma, the visionary director of the highly acclaimed movie Hanu-Man, on Comics IP & Cinema. Ajay Krishna, Executive Member of ICA, presented a special memento to Prashant Varma, acknowledging his remarkable contributions to storytelling, creativity, and the growing universe of Indian superheroes.

Adding to the event's excitement, two new comic titles were launched: Chandrakanta, an Indian epic adapted into Comics by Cinemics, and Soul Contract, an Indian manga by Cosmics. These latest releases generated a buzz and showcased the vibrant creativity and innovation within the Indian comics industry.

 

An ICA Pavilion exhibiting Indian Comics was set up at Comics Street, and Ravi Tanwer, Anadi Abhilash, Mohamad Shabaz, Himanshu Singhal, Vasu Gupta, Saahil Sharma, Varun Malhotra, and Neelesh Makwane from ICA led the initiative. Moreover, ICA promoted the upcoming Comics Creator Championship, set to take place during Waves 2025, further engaging the community and encouraging creators to showcase their talent in this Create in India Challenge.

The event underscores India Joy’s commitment to fostering a thriving ecosystem for the AVGC sector. Telangana IT Minister KT Rama Rao highlighted that the festival embodies the state’s vision to position Hyderabad as a global hub, attracting more than 25,000 attendees globally and showcasing India's potential as a global media and entertainment industry leader.

 

Comic Street Award 2024

 

1. Best Comics

· Platinum: Professor Ashwatthama 3 (Cheeseburger Comics)

· Diamond: Ad Infinitum - Sisyphus (Chitragaatha Comics)

· Gold: Celestial Beings (Amar Chitra Katha)

2. Best Comics Writer

· Platinum: Bijoy Raveendran, Codename Alpha '97 (Yali Dream Works)

· Diamond: Saahil S Sharma, Operation Ganga (Alpha Comics)

· Gold: Soumya Das, Violated Series (The Hierophant Entertainment)

3. Best Artist

· Platinum: Dildeep Singh, Rakt katha Series (RCSG)

· Diamond: Caio Pegado, Soormas (Curious Bit Publication)

· Gold: Harsho Mohan Chattoraj, Al-Zebra (Alpha Comics)                      

4. Best Colorist

· Platinum: Valeria Verdi, Soormas (Curious Bit Publication)

· Diamond: Shadab Siddiqui & Sunil Dasturia, Rakt katha Series (RCSG)

· Gold: Jyoti Singh, Dvij: Born from Fire (Radiant Comics)                            

5. Best Cover Design

· Platinum: Violated Issue 1 (The Hierophant Entertainment)

· Diamond: Guddu Bomb Issue 1 (Chitragaatha Comics)

· Gold: Whispers of Void: Midnight Mist (Cosmics)

6. Best Kids Comics

· Platinum: Chahal Pahal (Alpha Comics)

· Diamond: Weatherman (Cinemics)

· Gold: Tinkle Holiday Special 54 (Amar Chitra Katha)

7. Best Manga

· Platinum: Whispers of Void: Midnight Mist (Cosmics)

· Diamond: Trio (Vaibhavi Studios)

8. Best Rising Talent

· Platinum: Ajay Krishna (Forbidden Verse)

· Diamond: Vasu Gupta (Alpha Comics)

· Gold: Prathamesh Gandhi (Colorist: Yali Dream Works)

9. Fan Favourite Comics

· Platinum: Tinkle 800 (Amar Chitra Katha)

· Diamond: FORBIDDEN VERSE: LEO'S CIVIL WAR (Forbidden Verse)

· Gold: The Legend of Watakattu - Claws of Justice (Alpha Comics)

10. Best Comics (Student Category)

· Platinum: Beaver And The Boy (Abin Antony)

 

About ICA

The Indian Comics Association (ICA) promotes and nurtures the Indian comics industry. Through various initiatives, events, and collaborations, ICA aims to foster creativity, support comic creators, and elevate the art of storytelling through comics in India. The association plays a crucial role in bridging the gap between industry, government, creators, and audiences, ensuring that the rich tradition of Indian comics continues to thrive and inspire future generations.

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