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दिल्ली विधानसभा में CAG रिपोर्ट पेश, आबकारी नीति के कारण 2,000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

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दिल्ली में नई सरकार का गठन होने के बाद पहला विधानसभा सत्र जारी है।दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कैग रिपोर्ट पेश की है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार तो आबकारी नीति पर आधारित CAG रिपोर्ट पेश की। विधानसभा में रिपोर्ट पेश करते हुए, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि यह रिपोर्ट पूर्व सरकार के कार्यकाल में हुए वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करती है। इस रिपोर्ट में शराब घोटाले से जुड़ी कई अहम जानकारियां दी गई हैं।

सीएजी रिपोर्ट को लेकर स्पीकर विजेंद्र गुप्ता का निशाना

दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि यह जानकर आश्चर्य होता है कि CAG की रिपोर्ट 2017-18 के बाद विधानसभा में पेश नहीं की गई है। इस संबंध में तत्कालीन विपक्ष के नेता यानी मैंने और विपक्ष के पांच अन्य नेताओं ने राष्ट्रपति जी, विधानसभा अध्यक्ष जी से अनुरोध किया था कि इस रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाए। आप की सरकार कैग की रिपोर्ट को दबाया। कैग की रिपोर्ट एलजी के पास नहीं भेजी गई।

सीएजी रिपोर्ट में दिल्ली की आबकारी नीति के तहत हुई कथित अनियमितताओं का विवरण दिया गया है और यह आरोप लगाया गया है कि शराब बिक्री से जुड़े कई मामलों में नियमों का उल्लंघन किया गया था। सीएम रेखा गुप्ता ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए इसे विधानसभा में पेश किया और सरकार की ओर से आगे की कार्रवाई करने का संकेत दिया।

लाइसेंस जारी करने में कई अनियमितताएं

कैग रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में शराब के लाइसेंस जारी करने में कई अनियमितताएं सामने आई हैं। रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया है कि शराब के लाइसेंस केवल कुछ चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए दिए गए थे। इसके साथ ही, नई शराब नीति को एकाधिकार बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया था, जिसमें नियमों की अनदेखी की गई। फैसले और नीतियां तय करते समय कई जगहों पर नियमों का पालन नहीं किया गया और इसका फायदा केवल कुछ विशेष समूहों को हुआ।

आबकारी नीति के कारण 2,000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

कैग रिपोर्ट के अनुसार, 2021-2022 की आबकारी नीति के कारण दिल्ली सरकार को कुल मिलाकर 2,000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है. इसकी वजह कमजोर नीति फ्रेमवर्क से लेकर अपर्याप्त क्रियान्वयन तक कई कारण हैं। इस रिपोर्ट में लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में उल्लंघनों को भी चिन्हित किया गया है. इसमें बताया गया है कि शराब नीति के गठन के लिए बदलाव सुझाने के लिए गठित एक विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने नजरअंदाज कर दिया था

एलजी के अभिभाषण के दौरान आप विधायकों का हंगामा, आतिशी समेत पूरा विपक्ष पूरे दिन के लिए निलंबित

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दिल्ली विधानसभा में दूसरे दिन की कार्यवाही जारी है। आज एलजी वीके सक्सेना का सदन में अभिभाषण जारी है। इस बीच विपक्ष के विधायक हंगामा कर रहे हैं। विपक्ष के हंगामे के बीच स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ऐक्शन मोड में नजर आए। उन्होंने एक-एक कर आम आदमी पार्टी के सभी विधायकों को दिन भर के लिए निष्काषित कर दिया। इसमें विपक्ष की नेता आतिशी भी शामिल हैं।

दिल्ली विधानसभा की मंगलवार को हुई कार्यवाही हंगामे के साथ शुरू हुई। उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायकों ने विरोध जताते हुए हंगामा किया। इससे विधानसभा की कार्यवाही में रुकावट आई। इस दौरान आप के विधायक उपराज्यपाल के अभिभाषण के विरोध में अपनी आवाज उठा रहे थे। स्पीकर ने सभी हंगामा करने वाले विधायकों को पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया और उन्हें विधानसभा से बाहर कर दिया है। हंगामा इतना बढ़ गया कि विधानसभा में शांति बहाल रखने के लिए स्पीकर को सख्त कार्रवाई करनी पड़ी।

दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल वीके सक्सेना अभिभाषण शुरू होते ही आम आदमी पार्टी के विधायकों ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कार्यालय से भीमराव आंबेडकर की फोटो हटाने का विरोध करना शुरू कर दिया। उपराज्यपाल ने अभिभाषण में भाजपा सरकार की भावी योजना का उल्लेख किया साथ ही आम आदमी पार्टी की पिछली सरकार की नाकामियों की भी चर्चा की।

उपराज्यपाल ने अपने अभिभाषण में पांच प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की बात की, जिनमें यमुना सफाई, प्रदूषण नियंत्रण, भ्रष्टाचार मुक्त शासन, अनधिकृत कॉलोनियों का नियमितकरण शामिल थे। इसके बाद बीजेपी विधायकों ने 'मोदी-मोदी' के नारे लगाए। वहीं, विधानसभा से बाहर आप के विधायकों ने विरोध प्रदर्शन किया। इन विधायकों ने हाथ में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की तस्वीर लेकर प्रदर्शन किया।

विधानसभा की कार्यवाही से निलंबित किए जाने पर नेता विपक्ष आतिशी ने कहा, बीजेपी ने बाबा साहेब आंबेडकर की फोटो की जगह नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगा दी है। मुख्यमंत्री कार्यालय, विधानसभा कार्यालय और दिल्ली सरकार के मंत्रियों के कार्यालयों में आंबेडकर की जगह मोदी तस्वीर लगाई गई है। मैं पूछना चाहती हूं की नरेंद्र मोदी आंबेडकर से बड़े हैं। आपको इतना अहंकार हो गया है। इसी के खिलााफ आप ने प्रदर्शन किया। हम सदन से लेकर सड़क तक प्रदर्शन करते रहेंगे। जब तक बाबा साहब की तस्वीर उसी जगह पर नहीं लग जाती।

दिल्ली सीएम ऑफिस से आंबेडकर-भगत सिंह की तस्वीर हटाने पर भड़की आप, जानें क्या कहा

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दिल्ली में आज से विधानसभा सत्र शुरू है। राजधानी में 27 साल बाद बीजेपी की सरकार बनने के बाद यह पहला सत्र है। इस बीच सदन में विपक्ष की नेता आतिशी ने बीजेपी सरकार के ऊपर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया है कि विधानसभा में मुख्यमंत्री कार्यालय से बाबा साहेब और भगत सिंह की तस्वीर को हटा दिया गया है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को दलित विरोधी करार दिया है।

नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा, दिल्ली सरकार में अरविंद केजरीवाल के बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए उनके कार्यकाल के दौरान हर सरकारी दफ्तर में आंबेडकर और शहीद भगत सिंह की फोटो लगती थी। लेकिन आज जब हम दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता से मिलने विधानसभा में स्थित उनके दफ़्तर में गए तो देखा कि दोनों ही फ़ोटो सीएम कार्यालय से हटा दी गई है, विधानसभा में आप इसका पुरज़ोर विरोध करती है।

आप ने दावा किया कि सीएम के दफ्तर में अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और महात्मा गांधी की तस्वीर लगी है।

बीजेपी की दलित विरोधी मानसिकता-आतिशी

आप नेता आतिशी ने कहा कि बीजेपी की दलित विरोधी मानसिकता जगजाहिर है। आज बीजेपी ने अपनी असली मानसिकता का प्रमाण देश के सामने रख दिया है। दिल्ली सरकार ने हर कार्यालय में बाबा साहेब और भगत सिंह की फोटो लगाने का फैसला किया था। 3 महीने पहले बाबा साहेब और भगत सिंह की फोटो को लगाया गया था। उन्होंने विधानसभा में सीएम दफ्तर से बाबा साहेब और भगत सिंह की फोटो को हटा दिया है।

केजरीवाल ने भी जताया ऐतराज

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी फोटो हटाने को लेकर ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा, दिल्ली की नई बीजेपी सरकार ने बाबा साहेब की फोटो हटाकर प्रधान मंत्री मोदी जी की फोटो लगा दी। ये सही नहीं है। उन्होंने कहा, इससे बाबा साहेब के करोड़ो अनुयायियों को ठेस पहुंची है। मेरी बीजेपी से प्रार्थना है। आप प्रधानमंत्री की फोटो लगा लीजिए लेकिन बाबा साहिब की फोटो तो मत हटाइए. उनकी फोटो लगी रहने दीजिए।

दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता के सामने है बड़ी चुनौतियां, क्या बीजेपी का वादा कर पाएंगीं पूरा

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दिल्ली में बीजेपी ने सीएम पद की कमान रेखा गुप्ता के हाथ में सौंप दी है। बीजेपी ने एक बार फिर पहली बार विधायक बने नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना है। बीजेपी 27 साल बाद दिल्ली में सरकार बनाया है। इस बार के चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 70 में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की है। बीजेपी की इस जीत में उसके चुनावी वादों का बड़ा हाथ बताया जा रहा है। सीएम बनने के बाद रेखा गुप्ता के सामने पार्टी के संकल्पपत्र में किए वादों को पूरा करने की बड़ी जिम्मेदारी होगी।

दिल्ली की सीएम की पहली चुनौती उन उम्मीदों को पूरा करना और उन अपेक्षाओं पर खरा उतरना है, जो उनसे दिल्ली की जनता और खुद भाजपा ने पाली हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को उन सारी घोषणाओं और वादों को पूरा करना है, जो चुनाव के दौरान तीन किश्तों में जारी चुनाव घोषणा पत्र में किए थे और जिसे सभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बार-बार दोहराया था। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र को संकल्प पत्र कहा था। इनमें यमुना की सफाई स्वच्छ पेयजल साफ प्रदूषण रहित हवा दिल्ली को देना, प्रति वर्ष 50 हजार नई नौकरियों का सृजन महिलाओं को प्रति माह 2500 रुपये देना मुफ्त बस यात्रा नालों गलियों सीवर की सफाई सड़कों की मरम्मत ट्रैफिक जाम से निजात समेत आप सरकार की मुफ्त बिजली पानी जैसी लोकलुभावन योजनाओं को जारी रखना शामिल होगा।ऐसे आइए जानते हैं कि जब रेखा गुप्ता सीएम की कुर्सी पर बैठेंगी तो उनके सामने कितनी बड़ी चुनौतियां होंगीः-

महिलाओं से किया गया वादा पूरा करना होगा

दिल्ली की महिला मुख्यमंत्री से महिलाओं से किया गया वादा पूरा करने की पूरी उम्मीद है। इस बार के चुनाव में बीजेपी ने सबसे बड़ा वादा महिलाओं के लिए किया है। उसने कहा है कि सरकार बनने पर दिल्ली की हर पात्र महिला को 2500 रुपये प्रति महीने दिए जाएंगे। बीजेपी ने इस योजना का लाभ आठ मार्च से ही देने का वादा किया है। आठ मार्च को ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। बीजेपी ने इसे देखते हुए ही इस योजना की शुरुआत के लिए आठ मार्च की तारीख तय की है। इसकी घोषणा पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी भाषण में की थी। इसलिए नई मुख्यमंत्री के लिए अगले कुछ हफ्ते काफी व्यस्त रहने वाले हैं। उन्हें इसके लिए पूरी मशीनरी को तैयार करना होगा और पात्र महिलाओं का चयन करना होगा। इसके साथ ही उन्हें इतनी बड़ी योजना के लिए बजट की व्यवस्था करनी होगी।

यमुना की सफाई

इस बार के चुनाव में यमुना बड़ा चुनावी मुद्दा रहा। यमुना के काले पानी को लेकर कापी बखेड़ा भी खड़ा हुआ। सत्ता में आने से पहले बीजेपी ने एक बड़ा वादा यमुना की सफाई को लेकर भी किया था। चुनाव प्रचार में नदी में प्रदूषण का उच्च स्तर चर्चा का विषय रहा। 2020 में अरविंद केजरीवाल ने यमुना को साफ करने का वादा किया था। हालांकि, वो अपने वादे पर खरे नहीं उतरे। अब बीजेपी ने वादा किया है कि वह ऐसा करेगी जो न तो कांग्रेस और न ही आप सत्ता में रहने के दौरान कर पाई। हालांकि, चुनौती बहुत बड़ी है।

रेखा गुप्ता को मिला खाली खजाना और कर्ज

दिल्ली में जब कांग्रेस सरकार की विदाई हुई थी तो सरकारी खजाना लबालब भरा हुआ था। सरकार के पास खूब पैसा था। इसलिए आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए दिल खोलकर पैसा खर्च किया। लेकिन आप की तीसरी सरकार में दिल्ली सरकार का खजाना खाली हो गया। चुनाव से पहले, आप सरकार ने राष्ट्रीय लघु बचत कोष से 10,000 करोड़ रुपये का अधिक ब्याज वाला लोन मांगा था। वित्त विभाग ने पिछले कई सालों में सब्सिडी पर सरकारी खर्च को लेकर आशंका जताई है।दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने विधानसभा चुनाव के पहले ही 10 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। इसकी व्याज दरें भी काफी ऊंची हैं। इसलिए नई सरकार को खजाना करीब-करीब खाली और विरासत में कर्ज मिलेग। वहीं, बीजेपी ने वादा किया है कि आप सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी, जिसमें महिलाओं के लिए मुफ्त बिजली, पानी और बस यात्रा शामिल है, जारी रहेगी। इसने अपने खुद के भी कई वादे किए हैं। ऐसे में चुनौतियां बड़ी होने वाली है।

कूड़े के पहाड़ और वायु प्रदूषण

दिल्ली में कूड़े के पहाड़ और वायु प्रदूषण बड़ी समस्या रही है। बीजेपी इन मुद्दों पर आप पर हमलावर रही है लेकन अब जब खुद बीजेपी सत्ता में आ गई है तो इसके लिए कोई बहाना दिल्ली की जनता को रास नहीं आएगा। वायु प्रदूषण के कारण ना केवल लोगों के स्वास्थ्य प्रभावित हो रहे हैं बल्कि बच्चों के स्कूल बीच सेशन बंद भी कराने पड़ते हैं।

दिल्ली सीएम पर सस्पेंस बरकरारः 5 नाम शॉर्टलिस्ट, विधायक दल की बैठक में आज होगा खुलासा

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दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर सस्पेंस बरकरार है। मुख्यमंत्री के नाम को लेकर जो सस्पेंस बना हुआ है वो आज यानी बुधवार को विधायक दल की बैठक के बाद खत्म हो जाएगा। बुधवार शाम यानी आज 7 बजे बीजेपी के विधायक दल की बैठक बुलाई गई है, जिसमें केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में विधायक दल के नेता का चयन किया जाएगा। उससे पहले दिन में केंद्रीय नेतृत्व द्वारा पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। बैठक के बाद विधायक दल का नेता एलजी ऑफिस जाकर सरकार बनाने का दावा पेश करेगा, जिसे एलजी मंजूरी के लिए राष्ट्रपति भवन भेजेंगे। उसके बाद गुरुवार को रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण समारोह होगा।

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के 11 दिन के बाद आज नए मुख्यमंत्री के नाम सामने आएगा।पिछले दो सप्ताह से दिल्ली सीएम के नाम पर सस्पेंस बना हुआ है। दर्जन भर नेताओं की दावेदारी के बाद सीएम की फेहरिश्त में अब कुछ चुनिंदा नाम ही बचे हैं, जिन पर मंथन जारी है।

दिल्ली बीजेपी के विधायक दल की बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगुवाई में पार्टी के संसदीय दल की बैठक है। इस बैठक में पीएम मोदी, दिल्ली के सीएम के नाम पर भी चर्चा कर सकते हैं. वैसे बीजेपी चौंकाने के लिए जानी जाती है। किसके नाम पर फाइनल मुहर लगेगी, इसकी जानकारी पीएम मोदी, अमित शाह सहित बीजेपी के एक-दो नेताओं को ही पता होगा। ऐसे में जिसके नाम की पर्ची निकलेगी वो रामलीला मैदान में 27 साल बाद बीजेपी सरकार का मुखिया होगा।

सीएम की रेस में कौन कौन से नाम और क्यों?

1- रेखा गुप्ता, शालीमार बाग से विधायक, प्लस फैक्टर- बनिया और महिला

2- अभय वर्मा, लक्ष्मी नगर से विधायक, प्लस फैक्टर- पूर्वांचली

3- आशीष सूद, जनकपुरी से विधायक, प्लस फैक्टर – पंजाबी और संगठन के पुराने व्यक्ति

4- रवीन्द्र राज, बवाना से विधायक, प्लस फैक्टर- दलित चेहरा

5- पवन शर्मा, उत्तम नगर से विधायक, प्लस फैक्टर- यह माना जा रहा है कि गोधरा कांड के समय पर मोदी की काफी मदद की थी और दिल्ली में मोदी जी उनके घर पर भी रुके थे और संगठन के भी करीबी है और मोदी जी के पसंदीदा में भी हैं।

रामलीला मैदान में शपथ की तैयारियां पूरी

दिल्ली में शपथ ग्रहण को लेकर रामलीला मैदान में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। एसपीजी ने रामलीला मैदान को टेकओवर किया। दिल्ली के उपराज्यपाल मुख्यमंत्री को शपथ दिलवाएंगे। रामलीला मैदान में 30,000 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। तीन बड़े स्टेज बनाए गए हैं। मुख्य स्टेज पर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, लेफ्टिनेंट गवर्नर और दिल्ली के मुख्यमंत्री बैठेंगे। दूसरे मंच पर धर्म गुरुओं को बैठने की जगह होगी। तीसरी मंच पर दिल्ली के मौजूदा सांसद और चुने हुए विधायक बैठेंगे। कल सुबह 11:15 पर यह कार्यक्रम शुरू होगा और 12: 25 पर खत्म होगा। फिल्मी सितारों को मंच के नीचे जगह दी गई है।

कौन होगा दिल्ली का मुख्यमंत्री? विधायक दल की बैठक टलने से बढ़ा सस्पेंस

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दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 27 साल के बाद बड़ी जीत हासिल की है। हालांकि, 8 फरवरी को आए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भी ये तय नहीं हो सका है कि दिल्ली का नया मुख्यमंत्री कौन होगा? इधर, आज यानी 17 फरवरी को होने वाली विधायक दल की बैठक हल गई है। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि अब बीजेपी विधायक दल की बैठक 19 फरवरी को होगी। विधायक दल की बैठक टाल दे जाने के बाद से दिल्ली में सीएम को लेकर सस्पेंस और बढ़ गया है।

बीजेपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पहले विधायक दल की बैठक सोमवार को होने वाली थी। सूत्रों ने बताया था कि पंत मार्ग स्थित बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में दोपहर 3 बजे यह बैठक होगी। इस बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षको को मौजूदगी में विधायक दल के नेता का चयन किया जाएगा और उसके बाद एलजी के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा। पार्टी के विधायकों को भी यह संदेश दे दिया गया था कि सोमवार को उन्हें दिल्ली में ही रहना है। शाम तक ऐसी भी खबरें आई कि विधायक दल की बैठक के बाद मंगलवार को शपथ ग्रहरण समारोह भी हो सकता है। लेकिन फिलहाल इसे स्थगित कर है।

पहले पर्यवेक्षकों के नाम की होगी घोषणा

अब यह बैठक 20 फरवरी को या उसके बाद होने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि सोमवार को पर्यवेक्षकों के नाम की घोषणा की जाएगी और फिर विधायक दल के नेता का चयन किया जाएगा। बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी बिना किसी सीएम चेहरे के चुनाव में उतरी थी। ये चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर ही लड़ा गया। अब सवाल ये है कि मुख्यमंत्री किसे बनाया जाएगा। फिलहाल दिल्ली सीएम की रेस में केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा के अलावा रेखा गुप्ता, मोहन सिंह बिष्ट, विजेंद्र गुप्ता, सतीश उपाध्याय, आशीष सूद, शिखा राय और पवन शर्मा हैं।

बैठक टालने की क्या है वजह?

कारण यह बताया गया कि 19 तारीख को दिल्ली के झंडेवालान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आएसएस) के नवनिर्मित मुख्यालय का उद्घाटन होना है, जिसमें पार्टी के भी कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। इसी वजह से अब 20 तारीख के बाद निर्णय लिया जाएगा। विधायक दल की बैठक को टालने के पीछे एक बड़ा कारण नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुए हादसे को भी माना जा रहा है, जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई थी। हादसे के बाद से ही केंद्र सरकार, केंद्रीय रेल मंत्री और रेलवे प्रशासन विपक्ष के निशाने पर है। मृतकों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए बीजेपी ने रविवार को अपने सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए थे। ऐसे में इतने बड़े हादसे के तुरंत बाद बड़ा समारोह आयोजित करके बीजेपी दिल्ली की जनता के बीच यह संदेश नहीं देना चाहती कि उसे लोगों को कोई परवाह नहीं है।

sujeetkumar

delhi chunaw parinam:jharkhand bjp mukhyalay jashn

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जित ,रांची बीजेपी मुख्यालय में जश्न. 
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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस की राजनीतिक विफलता: एक विश्लेषण

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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक जमीन खो दी, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी स्थिति मजबूत की। कांग्रेस, जो दिल्ली में एक समय प्रमुख राजनीतिक पार्टी थी, अब अपनी पहचान बनाने में नाकाम रही। इस लेख में हम कांग्रेस की विफलता के मुख्य कारणों पर चर्चा करेंगे और इसे भारतीय राजनीति के संदर्भ में समझेंगे।

1. नेतृत्व संकट और रणनीति की कमी

कांग्रेस के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के नेतृत्व का संकट था। अरविंद सिंह लवली जैसे नेताओं के बावजूद, कांग्रेस के पास कोई स्पष्ट और प्रभावशाली नेतृत्व नहीं था। AAP के अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मतदाताओं से गहरे स्तर पर जुड़कर प्रभावी नेतृत्व का उदाहरण पेश किया, जबकि कांग्रेस इससे पूरी तरह से चूक गई। पार्टी के भीतर कई आंतरिक मतभेद थे, जिससे न केवल एकजुटता की कमी महसूस हुई, बल्कि सही रणनीति भी लागू नहीं हो पाई।

2. स्थानीय मुद्दों पर ध्यान न देना

दिल्ली में मुद्दे स्थानीय स्तर पर अधिक महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे एयर पॉल्यूशन, जल संकट, ट्रांसपोर्ट व्यवस्था और स्वास्थ्य सुविधाएं। AAP ने इन मुद्दों को प्रमुखता दी और उन्हें चुनावी प्रचार का केंद्र बनाया। वहीं, कांग्रेस का अभियान राष्ट्रीय मुद्दों पर अधिक केंद्रित था, जैसे बीजेपी की नीतियों की आलोचना, जो दिल्ली के स्थानीय समस्याओं से मेल नहीं खाती थी। परिणामस्वरूप, कांग्रेस दिल्ली के मतदाताओं के साथ सही तरीके से जुड़ने में नाकाम रही।

3. आंतरिक मतभेद और संगठनात्मक कमजोरी

कांग्रेस पार्टी के भीतर लंबे समय से चल रहे आंतरिक मतभेद और संगठनात्मक कमजोरी ने पार्टी की चुनावी ताकत को कमजोर कर दिया। पार्टी में कई बार नेतृत्व परिवर्तन हुआ, और विभिन्न गुटों के बीच की लड़ाई ने कांग्रेस के प्रचार अभियान को प्रभावित किया। कांग्रेस का संगठन कमजोर था, जिससे पार्टी को अपने पुराने वोट बैंक को मजबूत करने में कठिनाई हुई। यह कमजोरी पार्टी के दिल्ली चुनाव परिणामों पर स्पष्ट रूप से प्रभाव डालने वाली थी।

4. AAP और BJP का मजबूत प्रभाव

AAP और BJP दोनों ने 2025 के दिल्ली चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूती से स्थापित किया। AAP ने शिक्षा, स्वास्थ्य और नागरिक सेवाओं को लेकर अपने वादों को महत्व दिया, जो दिल्ली के मतदाताओं के लिए आकर्षक थे। वहीं, बीजेपी ने अपनी राष्ट्रीय राजनीति और राष्ट्रीय मुद्दों को दिल्ली के चुनावी मैदान में प्रभावी ढंग से रखा। कांग्रेस इन दोनों पार्टी के मुकाबले कहीं पीछे रह गई, क्योंकि पार्टी न तो स्थानीय मुद्दों पर ध्यान दे पाई, और न ही प्रभावी प्रचार अभियान चला पाई।

5. कांग्रेस को पुनः समीक्षा और सुधार की आवश्यकता

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस की विफलता ने यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी को अपनी रणनीतियों और नेतृत्व में बदलाव की आवश्यकता है। कांग्रेस को एक स्पष्ट और प्रभावी नेतृत्व तैयार करना होगा, जो दिल्ली के स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करे। इसके साथ ही, पार्टी को आंतरिक मतभेदों को समाप्त करके एकजुट होना होगा। यदि कांग्रेस इन बदलावों को स्वीकार कर सकती है, तो वह भविष्य में दिल्ली में अपनी खोई हुई राजनीतिक ताकत को फिर से पा सकती है। 

इस चुनाव ने यह भी दिखाया कि कांग्रेस को अपनी छवि और कार्यशैली को नए तरीके से प्रस्तुत करना होगा, ताकि वह दिल्ली के मतदाताओं के बीच फिर से विश्वास पैदा कर सके।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप का बेहद खराब प्रदर्शन, इस बार क्यों नहीं चला केजरीवाल का जादू?

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आज दिल्ली विधानसभा चुनाव के घोषित हो रहे हैं। वोटों की गिनती जारी है।इन नतीजों में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लग रहा है। भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में सरकार बनाते हुए दिख रही है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी बहुमत के आंकड़े को पार कर गई है। बीजेपी ने 36 के जादुई आंकड़े को पार करते हुए 41 सीटों पर बढ़त बना ली है। दिल्ली में सरकार बनाने के लिए 36 सीटों पर जीत दर्ज करनी होती है।

रूझानों में लगातार तीन बार दिल्ली की सत्ता संभालने वाली आम आदमी पार्टी की विदाई लगभग तय हो गई है। दिल्ली के चुनावी नतीजे आप प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए सदमे की तरह हैं, जो अपनी जीत का लगातार दावा कर रहे थे। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आम आदमी पार्टी के खराब प्रदर्शन की वजहें क्या हैं।

भ्रष्टाचार के आरोप

पार्टी के शीर्ष नेताओं, विशेषकर अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों और उनकी गिरफ्तारी ने पार्टी की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचाया। अरविंद केजरीवाल को भी कथित शराब नीति घोटाले में जेल जाना पड़ा था। वह काफी समय तक तिहाड़ में रहे, जिससे कहीं न कहीं उनकी और पार्टी की छवि प्रभावित हुई। भाजपा जनता को यह बताने में कामयाब रही कि केजरीवाल उतने पाकसाफ नहीं हैं, जितना वह खुद को बताते हैं।

बतौर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर सीएम हाउस को संवारने पर पानी की तरह पैसा लगाने के आरोप लगे। इससे जनता में यह संदेश गया कि खुद को आम आदमी करार देने वाले सरकारी सुख-सुविधाओं का दोहन करने में पीछे नहीं हैं। इससे उनकी व्यक्तिगत छवि प्रभावित हुई।

नेतृत्व में अस्थिरता

केजरीवाल की गिरफ्तारी और बाद में इस्तीफे के कारण पार्टी के नेतृत्व में अस्थिरता आई। नए मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी की नियुक्ति के बावजूद नेतृत्व में यह बदलाव पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण रहा। सबसे बड़ी बात ये रही कि अरविंद केजरीवाल की विश्वसनीयता में जबरदस्त तरीके से कमी आई।

जनता से किए वादों को पूरा नहीं किया

केजरीवाल ने जनता से बड़े-बड़े वादे दिए। केजरीवाल ने यमुना नदी को साफ़ करने, दिल्ली की सड़कों को पेरिस जैसा बनाने और साफ़ पानी उपलब्ध कराने जैसे जो तीन प्रमुख वादे किए थे, वे पूरे नहीं हुए। वादों को पूरा नहीं होने से जनता की नाराजगी असर चुनाव के परिणामों पर देखा जा सकता है।

कांग्रेस ने वोट काटे

बेशक कांग्रेस सीटों के हिसाब से दिल्ली में शायद एक सीट ही हासिल करे लेकिन उसने पूरी दिल्ली में आम आदमी पार्टी के वोटों को काटा है, जैसा आप ने हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ किया। 2013 के बाद कांग्रेस का वोट बैंक आम आदमी पार्टी की तरफ चला गया था, इसलिए कांग्रेस की वापसी से ‘आप’ को नुकसान हो रहा है। साथ ही 2024 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सातों सीटों पर हार और पंजाब में केवल तीन सीटों पर जीत ने पार्टी के जनाधार में गिरावट को दिखाया, जिससे मतदाताओं का विश्वास कम हुआ।

आपसी कलह

आम आदमी पार्टी में आपसी कलह भी जनता के बीच उसकी छवि प्रभावित करने में महत्वपूर्ण रही। खासकर, स्वाति मालीवाल विवाद से पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा।

बयानों ने घोली कड़वाहट

चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगियों के बयान भी कुछ हद तक जनता का मूड बदलने की वजह रहे। आप नेता भाजपा को गुंडों की पार्टी करार देते रहे। केजरीवाल ने यमुना के पानी में जहर जैसे बयान दिए, जो लोगों को पसंद नहीं आये।

दिल्ली में शुरुआती रुझानों में बीजेपी को बहुमत, पिछड़ रही आप

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दिल्ली की सभी 70 सीटों पर वोटों की गिनती जारी है। शुरुआती रुझानों में भाजपा ने बहुमत हासिल कर लिया है। भाजपा 39 सीटों पर आगे है। आप ने 24 सीटों पर बढ़त बना रखी है। दो सीट पर कांग्रेस आगे है।

इन सीटों पर भाजपा ने बनाई बढ़त

रिठाला से भाजपा आगे चल रही है। ओखला सीट से भाजपा ने बढ़त बना ली है। चांदनी चौक से भाजपा आगे चल रही है। मुंडका से भाजपा और महरौली से भी भाजपा आगे चल रही है।

बुधवार को हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगभग 60.4% मतदान हुआ, जो 2020 में हुए 62% से ज्यादा वोटिंग की तुलना में दो प्रतिशत कम है. मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच है, जबकि कांग्रेस केंद्र शासित प्रदेश में अपनी पकड़ फिर से बनाने की कोशिश कर रही थी. चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल्स में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच जबरदस्त टक्कर दिखाई दी गई है. हालांकि दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी जीत के लिए आश्वस्त हैं.

दिल्ली विधानसभा में CAG रिपोर्ट पेश, आबकारी नीति के कारण 2,000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

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दिल्ली में नई सरकार का गठन होने के बाद पहला विधानसभा सत्र जारी है।दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कैग रिपोर्ट पेश की है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार तो आबकारी नीति पर आधारित CAG रिपोर्ट पेश की। विधानसभा में रिपोर्ट पेश करते हुए, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि यह रिपोर्ट पूर्व सरकार के कार्यकाल में हुए वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करती है। इस रिपोर्ट में शराब घोटाले से जुड़ी कई अहम जानकारियां दी गई हैं।

सीएजी रिपोर्ट को लेकर स्पीकर विजेंद्र गुप्ता का निशाना

दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि यह जानकर आश्चर्य होता है कि CAG की रिपोर्ट 2017-18 के बाद विधानसभा में पेश नहीं की गई है। इस संबंध में तत्कालीन विपक्ष के नेता यानी मैंने और विपक्ष के पांच अन्य नेताओं ने राष्ट्रपति जी, विधानसभा अध्यक्ष जी से अनुरोध किया था कि इस रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाए। आप की सरकार कैग की रिपोर्ट को दबाया। कैग की रिपोर्ट एलजी के पास नहीं भेजी गई।

सीएजी रिपोर्ट में दिल्ली की आबकारी नीति के तहत हुई कथित अनियमितताओं का विवरण दिया गया है और यह आरोप लगाया गया है कि शराब बिक्री से जुड़े कई मामलों में नियमों का उल्लंघन किया गया था। सीएम रेखा गुप्ता ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए इसे विधानसभा में पेश किया और सरकार की ओर से आगे की कार्रवाई करने का संकेत दिया।

लाइसेंस जारी करने में कई अनियमितताएं

कैग रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में शराब के लाइसेंस जारी करने में कई अनियमितताएं सामने आई हैं। रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया है कि शराब के लाइसेंस केवल कुछ चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए दिए गए थे। इसके साथ ही, नई शराब नीति को एकाधिकार बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया था, जिसमें नियमों की अनदेखी की गई। फैसले और नीतियां तय करते समय कई जगहों पर नियमों का पालन नहीं किया गया और इसका फायदा केवल कुछ विशेष समूहों को हुआ।

आबकारी नीति के कारण 2,000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

कैग रिपोर्ट के अनुसार, 2021-2022 की आबकारी नीति के कारण दिल्ली सरकार को कुल मिलाकर 2,000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है. इसकी वजह कमजोर नीति फ्रेमवर्क से लेकर अपर्याप्त क्रियान्वयन तक कई कारण हैं। इस रिपोर्ट में लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में उल्लंघनों को भी चिन्हित किया गया है. इसमें बताया गया है कि शराब नीति के गठन के लिए बदलाव सुझाने के लिए गठित एक विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने नजरअंदाज कर दिया था

एलजी के अभिभाषण के दौरान आप विधायकों का हंगामा, आतिशी समेत पूरा विपक्ष पूरे दिन के लिए निलंबित

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दिल्ली विधानसभा में दूसरे दिन की कार्यवाही जारी है। आज एलजी वीके सक्सेना का सदन में अभिभाषण जारी है। इस बीच विपक्ष के विधायक हंगामा कर रहे हैं। विपक्ष के हंगामे के बीच स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ऐक्शन मोड में नजर आए। उन्होंने एक-एक कर आम आदमी पार्टी के सभी विधायकों को दिन भर के लिए निष्काषित कर दिया। इसमें विपक्ष की नेता आतिशी भी शामिल हैं।

दिल्ली विधानसभा की मंगलवार को हुई कार्यवाही हंगामे के साथ शुरू हुई। उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायकों ने विरोध जताते हुए हंगामा किया। इससे विधानसभा की कार्यवाही में रुकावट आई। इस दौरान आप के विधायक उपराज्यपाल के अभिभाषण के विरोध में अपनी आवाज उठा रहे थे। स्पीकर ने सभी हंगामा करने वाले विधायकों को पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया और उन्हें विधानसभा से बाहर कर दिया है। हंगामा इतना बढ़ गया कि विधानसभा में शांति बहाल रखने के लिए स्पीकर को सख्त कार्रवाई करनी पड़ी।

दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल वीके सक्सेना अभिभाषण शुरू होते ही आम आदमी पार्टी के विधायकों ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कार्यालय से भीमराव आंबेडकर की फोटो हटाने का विरोध करना शुरू कर दिया। उपराज्यपाल ने अभिभाषण में भाजपा सरकार की भावी योजना का उल्लेख किया साथ ही आम आदमी पार्टी की पिछली सरकार की नाकामियों की भी चर्चा की।

उपराज्यपाल ने अपने अभिभाषण में पांच प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की बात की, जिनमें यमुना सफाई, प्रदूषण नियंत्रण, भ्रष्टाचार मुक्त शासन, अनधिकृत कॉलोनियों का नियमितकरण शामिल थे। इसके बाद बीजेपी विधायकों ने 'मोदी-मोदी' के नारे लगाए। वहीं, विधानसभा से बाहर आप के विधायकों ने विरोध प्रदर्शन किया। इन विधायकों ने हाथ में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की तस्वीर लेकर प्रदर्शन किया।

विधानसभा की कार्यवाही से निलंबित किए जाने पर नेता विपक्ष आतिशी ने कहा, बीजेपी ने बाबा साहेब आंबेडकर की फोटो की जगह नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगा दी है। मुख्यमंत्री कार्यालय, विधानसभा कार्यालय और दिल्ली सरकार के मंत्रियों के कार्यालयों में आंबेडकर की जगह मोदी तस्वीर लगाई गई है। मैं पूछना चाहती हूं की नरेंद्र मोदी आंबेडकर से बड़े हैं। आपको इतना अहंकार हो गया है। इसी के खिलााफ आप ने प्रदर्शन किया। हम सदन से लेकर सड़क तक प्रदर्शन करते रहेंगे। जब तक बाबा साहब की तस्वीर उसी जगह पर नहीं लग जाती।

दिल्ली सीएम ऑफिस से आंबेडकर-भगत सिंह की तस्वीर हटाने पर भड़की आप, जानें क्या कहा

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दिल्ली में आज से विधानसभा सत्र शुरू है। राजधानी में 27 साल बाद बीजेपी की सरकार बनने के बाद यह पहला सत्र है। इस बीच सदन में विपक्ष की नेता आतिशी ने बीजेपी सरकार के ऊपर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया है कि विधानसभा में मुख्यमंत्री कार्यालय से बाबा साहेब और भगत सिंह की तस्वीर को हटा दिया गया है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को दलित विरोधी करार दिया है।

नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा, दिल्ली सरकार में अरविंद केजरीवाल के बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए उनके कार्यकाल के दौरान हर सरकारी दफ्तर में आंबेडकर और शहीद भगत सिंह की फोटो लगती थी। लेकिन आज जब हम दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता से मिलने विधानसभा में स्थित उनके दफ़्तर में गए तो देखा कि दोनों ही फ़ोटो सीएम कार्यालय से हटा दी गई है, विधानसभा में आप इसका पुरज़ोर विरोध करती है।

आप ने दावा किया कि सीएम के दफ्तर में अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और महात्मा गांधी की तस्वीर लगी है।

बीजेपी की दलित विरोधी मानसिकता-आतिशी

आप नेता आतिशी ने कहा कि बीजेपी की दलित विरोधी मानसिकता जगजाहिर है। आज बीजेपी ने अपनी असली मानसिकता का प्रमाण देश के सामने रख दिया है। दिल्ली सरकार ने हर कार्यालय में बाबा साहेब और भगत सिंह की फोटो लगाने का फैसला किया था। 3 महीने पहले बाबा साहेब और भगत सिंह की फोटो को लगाया गया था। उन्होंने विधानसभा में सीएम दफ्तर से बाबा साहेब और भगत सिंह की फोटो को हटा दिया है।

केजरीवाल ने भी जताया ऐतराज

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी फोटो हटाने को लेकर ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा, दिल्ली की नई बीजेपी सरकार ने बाबा साहेब की फोटो हटाकर प्रधान मंत्री मोदी जी की फोटो लगा दी। ये सही नहीं है। उन्होंने कहा, इससे बाबा साहेब के करोड़ो अनुयायियों को ठेस पहुंची है। मेरी बीजेपी से प्रार्थना है। आप प्रधानमंत्री की फोटो लगा लीजिए लेकिन बाबा साहिब की फोटो तो मत हटाइए. उनकी फोटो लगी रहने दीजिए।

दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता के सामने है बड़ी चुनौतियां, क्या बीजेपी का वादा कर पाएंगीं पूरा

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दिल्ली में बीजेपी ने सीएम पद की कमान रेखा गुप्ता के हाथ में सौंप दी है। बीजेपी ने एक बार फिर पहली बार विधायक बने नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना है। बीजेपी 27 साल बाद दिल्ली में सरकार बनाया है। इस बार के चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 70 में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की है। बीजेपी की इस जीत में उसके चुनावी वादों का बड़ा हाथ बताया जा रहा है। सीएम बनने के बाद रेखा गुप्ता के सामने पार्टी के संकल्पपत्र में किए वादों को पूरा करने की बड़ी जिम्मेदारी होगी।

दिल्ली की सीएम की पहली चुनौती उन उम्मीदों को पूरा करना और उन अपेक्षाओं पर खरा उतरना है, जो उनसे दिल्ली की जनता और खुद भाजपा ने पाली हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को उन सारी घोषणाओं और वादों को पूरा करना है, जो चुनाव के दौरान तीन किश्तों में जारी चुनाव घोषणा पत्र में किए थे और जिसे सभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बार-बार दोहराया था। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र को संकल्प पत्र कहा था। इनमें यमुना की सफाई स्वच्छ पेयजल साफ प्रदूषण रहित हवा दिल्ली को देना, प्रति वर्ष 50 हजार नई नौकरियों का सृजन महिलाओं को प्रति माह 2500 रुपये देना मुफ्त बस यात्रा नालों गलियों सीवर की सफाई सड़कों की मरम्मत ट्रैफिक जाम से निजात समेत आप सरकार की मुफ्त बिजली पानी जैसी लोकलुभावन योजनाओं को जारी रखना शामिल होगा।ऐसे आइए जानते हैं कि जब रेखा गुप्ता सीएम की कुर्सी पर बैठेंगी तो उनके सामने कितनी बड़ी चुनौतियां होंगीः-

महिलाओं से किया गया वादा पूरा करना होगा

दिल्ली की महिला मुख्यमंत्री से महिलाओं से किया गया वादा पूरा करने की पूरी उम्मीद है। इस बार के चुनाव में बीजेपी ने सबसे बड़ा वादा महिलाओं के लिए किया है। उसने कहा है कि सरकार बनने पर दिल्ली की हर पात्र महिला को 2500 रुपये प्रति महीने दिए जाएंगे। बीजेपी ने इस योजना का लाभ आठ मार्च से ही देने का वादा किया है। आठ मार्च को ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। बीजेपी ने इसे देखते हुए ही इस योजना की शुरुआत के लिए आठ मार्च की तारीख तय की है। इसकी घोषणा पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी भाषण में की थी। इसलिए नई मुख्यमंत्री के लिए अगले कुछ हफ्ते काफी व्यस्त रहने वाले हैं। उन्हें इसके लिए पूरी मशीनरी को तैयार करना होगा और पात्र महिलाओं का चयन करना होगा। इसके साथ ही उन्हें इतनी बड़ी योजना के लिए बजट की व्यवस्था करनी होगी।

यमुना की सफाई

इस बार के चुनाव में यमुना बड़ा चुनावी मुद्दा रहा। यमुना के काले पानी को लेकर कापी बखेड़ा भी खड़ा हुआ। सत्ता में आने से पहले बीजेपी ने एक बड़ा वादा यमुना की सफाई को लेकर भी किया था। चुनाव प्रचार में नदी में प्रदूषण का उच्च स्तर चर्चा का विषय रहा। 2020 में अरविंद केजरीवाल ने यमुना को साफ करने का वादा किया था। हालांकि, वो अपने वादे पर खरे नहीं उतरे। अब बीजेपी ने वादा किया है कि वह ऐसा करेगी जो न तो कांग्रेस और न ही आप सत्ता में रहने के दौरान कर पाई। हालांकि, चुनौती बहुत बड़ी है।

रेखा गुप्ता को मिला खाली खजाना और कर्ज

दिल्ली में जब कांग्रेस सरकार की विदाई हुई थी तो सरकारी खजाना लबालब भरा हुआ था। सरकार के पास खूब पैसा था। इसलिए आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए दिल खोलकर पैसा खर्च किया। लेकिन आप की तीसरी सरकार में दिल्ली सरकार का खजाना खाली हो गया। चुनाव से पहले, आप सरकार ने राष्ट्रीय लघु बचत कोष से 10,000 करोड़ रुपये का अधिक ब्याज वाला लोन मांगा था। वित्त विभाग ने पिछले कई सालों में सब्सिडी पर सरकारी खर्च को लेकर आशंका जताई है।दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने विधानसभा चुनाव के पहले ही 10 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। इसकी व्याज दरें भी काफी ऊंची हैं। इसलिए नई सरकार को खजाना करीब-करीब खाली और विरासत में कर्ज मिलेग। वहीं, बीजेपी ने वादा किया है कि आप सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी, जिसमें महिलाओं के लिए मुफ्त बिजली, पानी और बस यात्रा शामिल है, जारी रहेगी। इसने अपने खुद के भी कई वादे किए हैं। ऐसे में चुनौतियां बड़ी होने वाली है।

कूड़े के पहाड़ और वायु प्रदूषण

दिल्ली में कूड़े के पहाड़ और वायु प्रदूषण बड़ी समस्या रही है। बीजेपी इन मुद्दों पर आप पर हमलावर रही है लेकन अब जब खुद बीजेपी सत्ता में आ गई है तो इसके लिए कोई बहाना दिल्ली की जनता को रास नहीं आएगा। वायु प्रदूषण के कारण ना केवल लोगों के स्वास्थ्य प्रभावित हो रहे हैं बल्कि बच्चों के स्कूल बीच सेशन बंद भी कराने पड़ते हैं।

दिल्ली सीएम पर सस्पेंस बरकरारः 5 नाम शॉर्टलिस्ट, विधायक दल की बैठक में आज होगा खुलासा

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दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर सस्पेंस बरकरार है। मुख्यमंत्री के नाम को लेकर जो सस्पेंस बना हुआ है वो आज यानी बुधवार को विधायक दल की बैठक के बाद खत्म हो जाएगा। बुधवार शाम यानी आज 7 बजे बीजेपी के विधायक दल की बैठक बुलाई गई है, जिसमें केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में विधायक दल के नेता का चयन किया जाएगा। उससे पहले दिन में केंद्रीय नेतृत्व द्वारा पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। बैठक के बाद विधायक दल का नेता एलजी ऑफिस जाकर सरकार बनाने का दावा पेश करेगा, जिसे एलजी मंजूरी के लिए राष्ट्रपति भवन भेजेंगे। उसके बाद गुरुवार को रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण समारोह होगा।

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के 11 दिन के बाद आज नए मुख्यमंत्री के नाम सामने आएगा।पिछले दो सप्ताह से दिल्ली सीएम के नाम पर सस्पेंस बना हुआ है। दर्जन भर नेताओं की दावेदारी के बाद सीएम की फेहरिश्त में अब कुछ चुनिंदा नाम ही बचे हैं, जिन पर मंथन जारी है।

दिल्ली बीजेपी के विधायक दल की बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगुवाई में पार्टी के संसदीय दल की बैठक है। इस बैठक में पीएम मोदी, दिल्ली के सीएम के नाम पर भी चर्चा कर सकते हैं. वैसे बीजेपी चौंकाने के लिए जानी जाती है। किसके नाम पर फाइनल मुहर लगेगी, इसकी जानकारी पीएम मोदी, अमित शाह सहित बीजेपी के एक-दो नेताओं को ही पता होगा। ऐसे में जिसके नाम की पर्ची निकलेगी वो रामलीला मैदान में 27 साल बाद बीजेपी सरकार का मुखिया होगा।

सीएम की रेस में कौन कौन से नाम और क्यों?

1- रेखा गुप्ता, शालीमार बाग से विधायक, प्लस फैक्टर- बनिया और महिला

2- अभय वर्मा, लक्ष्मी नगर से विधायक, प्लस फैक्टर- पूर्वांचली

3- आशीष सूद, जनकपुरी से विधायक, प्लस फैक्टर – पंजाबी और संगठन के पुराने व्यक्ति

4- रवीन्द्र राज, बवाना से विधायक, प्लस फैक्टर- दलित चेहरा

5- पवन शर्मा, उत्तम नगर से विधायक, प्लस फैक्टर- यह माना जा रहा है कि गोधरा कांड के समय पर मोदी की काफी मदद की थी और दिल्ली में मोदी जी उनके घर पर भी रुके थे और संगठन के भी करीबी है और मोदी जी के पसंदीदा में भी हैं।

रामलीला मैदान में शपथ की तैयारियां पूरी

दिल्ली में शपथ ग्रहण को लेकर रामलीला मैदान में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। एसपीजी ने रामलीला मैदान को टेकओवर किया। दिल्ली के उपराज्यपाल मुख्यमंत्री को शपथ दिलवाएंगे। रामलीला मैदान में 30,000 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। तीन बड़े स्टेज बनाए गए हैं। मुख्य स्टेज पर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, लेफ्टिनेंट गवर्नर और दिल्ली के मुख्यमंत्री बैठेंगे। दूसरे मंच पर धर्म गुरुओं को बैठने की जगह होगी। तीसरी मंच पर दिल्ली के मौजूदा सांसद और चुने हुए विधायक बैठेंगे। कल सुबह 11:15 पर यह कार्यक्रम शुरू होगा और 12: 25 पर खत्म होगा। फिल्मी सितारों को मंच के नीचे जगह दी गई है।

कौन होगा दिल्ली का मुख्यमंत्री? विधायक दल की बैठक टलने से बढ़ा सस्पेंस

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दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 27 साल के बाद बड़ी जीत हासिल की है। हालांकि, 8 फरवरी को आए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भी ये तय नहीं हो सका है कि दिल्ली का नया मुख्यमंत्री कौन होगा? इधर, आज यानी 17 फरवरी को होने वाली विधायक दल की बैठक हल गई है। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि अब बीजेपी विधायक दल की बैठक 19 फरवरी को होगी। विधायक दल की बैठक टाल दे जाने के बाद से दिल्ली में सीएम को लेकर सस्पेंस और बढ़ गया है।

बीजेपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पहले विधायक दल की बैठक सोमवार को होने वाली थी। सूत्रों ने बताया था कि पंत मार्ग स्थित बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में दोपहर 3 बजे यह बैठक होगी। इस बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षको को मौजूदगी में विधायक दल के नेता का चयन किया जाएगा और उसके बाद एलजी के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा। पार्टी के विधायकों को भी यह संदेश दे दिया गया था कि सोमवार को उन्हें दिल्ली में ही रहना है। शाम तक ऐसी भी खबरें आई कि विधायक दल की बैठक के बाद मंगलवार को शपथ ग्रहरण समारोह भी हो सकता है। लेकिन फिलहाल इसे स्थगित कर है।

पहले पर्यवेक्षकों के नाम की होगी घोषणा

अब यह बैठक 20 फरवरी को या उसके बाद होने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि सोमवार को पर्यवेक्षकों के नाम की घोषणा की जाएगी और फिर विधायक दल के नेता का चयन किया जाएगा। बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी बिना किसी सीएम चेहरे के चुनाव में उतरी थी। ये चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर ही लड़ा गया। अब सवाल ये है कि मुख्यमंत्री किसे बनाया जाएगा। फिलहाल दिल्ली सीएम की रेस में केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा के अलावा रेखा गुप्ता, मोहन सिंह बिष्ट, विजेंद्र गुप्ता, सतीश उपाध्याय, आशीष सूद, शिखा राय और पवन शर्मा हैं।

बैठक टालने की क्या है वजह?

कारण यह बताया गया कि 19 तारीख को दिल्ली के झंडेवालान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आएसएस) के नवनिर्मित मुख्यालय का उद्घाटन होना है, जिसमें पार्टी के भी कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। इसी वजह से अब 20 तारीख के बाद निर्णय लिया जाएगा। विधायक दल की बैठक को टालने के पीछे एक बड़ा कारण नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुए हादसे को भी माना जा रहा है, जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई थी। हादसे के बाद से ही केंद्र सरकार, केंद्रीय रेल मंत्री और रेलवे प्रशासन विपक्ष के निशाने पर है। मृतकों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए बीजेपी ने रविवार को अपने सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए थे। ऐसे में इतने बड़े हादसे के तुरंत बाद बड़ा समारोह आयोजित करके बीजेपी दिल्ली की जनता के बीच यह संदेश नहीं देना चाहती कि उसे लोगों को कोई परवाह नहीं है।

sujeetkumar

delhi chunaw parinam:jharkhand bjp mukhyalay jashn

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जित ,रांची बीजेपी मुख्यालय में जश्न. 
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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस की राजनीतिक विफलता: एक विश्लेषण

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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक जमीन खो दी, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी स्थिति मजबूत की। कांग्रेस, जो दिल्ली में एक समय प्रमुख राजनीतिक पार्टी थी, अब अपनी पहचान बनाने में नाकाम रही। इस लेख में हम कांग्रेस की विफलता के मुख्य कारणों पर चर्चा करेंगे और इसे भारतीय राजनीति के संदर्भ में समझेंगे।

1. नेतृत्व संकट और रणनीति की कमी

कांग्रेस के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के नेतृत्व का संकट था। अरविंद सिंह लवली जैसे नेताओं के बावजूद, कांग्रेस के पास कोई स्पष्ट और प्रभावशाली नेतृत्व नहीं था। AAP के अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मतदाताओं से गहरे स्तर पर जुड़कर प्रभावी नेतृत्व का उदाहरण पेश किया, जबकि कांग्रेस इससे पूरी तरह से चूक गई। पार्टी के भीतर कई आंतरिक मतभेद थे, जिससे न केवल एकजुटता की कमी महसूस हुई, बल्कि सही रणनीति भी लागू नहीं हो पाई।

2. स्थानीय मुद्दों पर ध्यान न देना

दिल्ली में मुद्दे स्थानीय स्तर पर अधिक महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे एयर पॉल्यूशन, जल संकट, ट्रांसपोर्ट व्यवस्था और स्वास्थ्य सुविधाएं। AAP ने इन मुद्दों को प्रमुखता दी और उन्हें चुनावी प्रचार का केंद्र बनाया। वहीं, कांग्रेस का अभियान राष्ट्रीय मुद्दों पर अधिक केंद्रित था, जैसे बीजेपी की नीतियों की आलोचना, जो दिल्ली के स्थानीय समस्याओं से मेल नहीं खाती थी। परिणामस्वरूप, कांग्रेस दिल्ली के मतदाताओं के साथ सही तरीके से जुड़ने में नाकाम रही।

3. आंतरिक मतभेद और संगठनात्मक कमजोरी

कांग्रेस पार्टी के भीतर लंबे समय से चल रहे आंतरिक मतभेद और संगठनात्मक कमजोरी ने पार्टी की चुनावी ताकत को कमजोर कर दिया। पार्टी में कई बार नेतृत्व परिवर्तन हुआ, और विभिन्न गुटों के बीच की लड़ाई ने कांग्रेस के प्रचार अभियान को प्रभावित किया। कांग्रेस का संगठन कमजोर था, जिससे पार्टी को अपने पुराने वोट बैंक को मजबूत करने में कठिनाई हुई। यह कमजोरी पार्टी के दिल्ली चुनाव परिणामों पर स्पष्ट रूप से प्रभाव डालने वाली थी।

4. AAP और BJP का मजबूत प्रभाव

AAP और BJP दोनों ने 2025 के दिल्ली चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूती से स्थापित किया। AAP ने शिक्षा, स्वास्थ्य और नागरिक सेवाओं को लेकर अपने वादों को महत्व दिया, जो दिल्ली के मतदाताओं के लिए आकर्षक थे। वहीं, बीजेपी ने अपनी राष्ट्रीय राजनीति और राष्ट्रीय मुद्दों को दिल्ली के चुनावी मैदान में प्रभावी ढंग से रखा। कांग्रेस इन दोनों पार्टी के मुकाबले कहीं पीछे रह गई, क्योंकि पार्टी न तो स्थानीय मुद्दों पर ध्यान दे पाई, और न ही प्रभावी प्रचार अभियान चला पाई।

5. कांग्रेस को पुनः समीक्षा और सुधार की आवश्यकता

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस की विफलता ने यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी को अपनी रणनीतियों और नेतृत्व में बदलाव की आवश्यकता है। कांग्रेस को एक स्पष्ट और प्रभावी नेतृत्व तैयार करना होगा, जो दिल्ली के स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करे। इसके साथ ही, पार्टी को आंतरिक मतभेदों को समाप्त करके एकजुट होना होगा। यदि कांग्रेस इन बदलावों को स्वीकार कर सकती है, तो वह भविष्य में दिल्ली में अपनी खोई हुई राजनीतिक ताकत को फिर से पा सकती है। 

इस चुनाव ने यह भी दिखाया कि कांग्रेस को अपनी छवि और कार्यशैली को नए तरीके से प्रस्तुत करना होगा, ताकि वह दिल्ली के मतदाताओं के बीच फिर से विश्वास पैदा कर सके।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप का बेहद खराब प्रदर्शन, इस बार क्यों नहीं चला केजरीवाल का जादू?

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आज दिल्ली विधानसभा चुनाव के घोषित हो रहे हैं। वोटों की गिनती जारी है।इन नतीजों में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लग रहा है। भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में सरकार बनाते हुए दिख रही है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी बहुमत के आंकड़े को पार कर गई है। बीजेपी ने 36 के जादुई आंकड़े को पार करते हुए 41 सीटों पर बढ़त बना ली है। दिल्ली में सरकार बनाने के लिए 36 सीटों पर जीत दर्ज करनी होती है।

रूझानों में लगातार तीन बार दिल्ली की सत्ता संभालने वाली आम आदमी पार्टी की विदाई लगभग तय हो गई है। दिल्ली के चुनावी नतीजे आप प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए सदमे की तरह हैं, जो अपनी जीत का लगातार दावा कर रहे थे। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आम आदमी पार्टी के खराब प्रदर्शन की वजहें क्या हैं।

भ्रष्टाचार के आरोप

पार्टी के शीर्ष नेताओं, विशेषकर अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों और उनकी गिरफ्तारी ने पार्टी की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचाया। अरविंद केजरीवाल को भी कथित शराब नीति घोटाले में जेल जाना पड़ा था। वह काफी समय तक तिहाड़ में रहे, जिससे कहीं न कहीं उनकी और पार्टी की छवि प्रभावित हुई। भाजपा जनता को यह बताने में कामयाब रही कि केजरीवाल उतने पाकसाफ नहीं हैं, जितना वह खुद को बताते हैं।

बतौर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर सीएम हाउस को संवारने पर पानी की तरह पैसा लगाने के आरोप लगे। इससे जनता में यह संदेश गया कि खुद को आम आदमी करार देने वाले सरकारी सुख-सुविधाओं का दोहन करने में पीछे नहीं हैं। इससे उनकी व्यक्तिगत छवि प्रभावित हुई।

नेतृत्व में अस्थिरता

केजरीवाल की गिरफ्तारी और बाद में इस्तीफे के कारण पार्टी के नेतृत्व में अस्थिरता आई। नए मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी की नियुक्ति के बावजूद नेतृत्व में यह बदलाव पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण रहा। सबसे बड़ी बात ये रही कि अरविंद केजरीवाल की विश्वसनीयता में जबरदस्त तरीके से कमी आई।

जनता से किए वादों को पूरा नहीं किया

केजरीवाल ने जनता से बड़े-बड़े वादे दिए। केजरीवाल ने यमुना नदी को साफ़ करने, दिल्ली की सड़कों को पेरिस जैसा बनाने और साफ़ पानी उपलब्ध कराने जैसे जो तीन प्रमुख वादे किए थे, वे पूरे नहीं हुए। वादों को पूरा नहीं होने से जनता की नाराजगी असर चुनाव के परिणामों पर देखा जा सकता है।

कांग्रेस ने वोट काटे

बेशक कांग्रेस सीटों के हिसाब से दिल्ली में शायद एक सीट ही हासिल करे लेकिन उसने पूरी दिल्ली में आम आदमी पार्टी के वोटों को काटा है, जैसा आप ने हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ किया। 2013 के बाद कांग्रेस का वोट बैंक आम आदमी पार्टी की तरफ चला गया था, इसलिए कांग्रेस की वापसी से ‘आप’ को नुकसान हो रहा है। साथ ही 2024 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सातों सीटों पर हार और पंजाब में केवल तीन सीटों पर जीत ने पार्टी के जनाधार में गिरावट को दिखाया, जिससे मतदाताओं का विश्वास कम हुआ।

आपसी कलह

आम आदमी पार्टी में आपसी कलह भी जनता के बीच उसकी छवि प्रभावित करने में महत्वपूर्ण रही। खासकर, स्वाति मालीवाल विवाद से पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा।

बयानों ने घोली कड़वाहट

चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगियों के बयान भी कुछ हद तक जनता का मूड बदलने की वजह रहे। आप नेता भाजपा को गुंडों की पार्टी करार देते रहे। केजरीवाल ने यमुना के पानी में जहर जैसे बयान दिए, जो लोगों को पसंद नहीं आये।

दिल्ली में शुरुआती रुझानों में बीजेपी को बहुमत, पिछड़ रही आप

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दिल्ली की सभी 70 सीटों पर वोटों की गिनती जारी है। शुरुआती रुझानों में भाजपा ने बहुमत हासिल कर लिया है। भाजपा 39 सीटों पर आगे है। आप ने 24 सीटों पर बढ़त बना रखी है। दो सीट पर कांग्रेस आगे है।

इन सीटों पर भाजपा ने बनाई बढ़त

रिठाला से भाजपा आगे चल रही है। ओखला सीट से भाजपा ने बढ़त बना ली है। चांदनी चौक से भाजपा आगे चल रही है। मुंडका से भाजपा और महरौली से भी भाजपा आगे चल रही है।

बुधवार को हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगभग 60.4% मतदान हुआ, जो 2020 में हुए 62% से ज्यादा वोटिंग की तुलना में दो प्रतिशत कम है. मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच है, जबकि कांग्रेस केंद्र शासित प्रदेश में अपनी पकड़ फिर से बनाने की कोशिश कर रही थी. चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल्स में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच जबरदस्त टक्कर दिखाई दी गई है. हालांकि दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी जीत के लिए आश्वस्त हैं.