भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका और भूमिज भाषाओं को नियोजन नीति में शामिल करने की मांग, राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
रांची: आज, 11 जुलाई 2025 को राजद महासचिव और अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव के नेतृत्व में एक 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में राज्यपाल संतोष गंगवार से मुलाकात की। इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य झारखंड की नियोजन नीति में भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका और भूमिज भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा के रूप में शामिल करने की मांग करना था। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा और इस मुद्दे पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।
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द्वितीय राजभाषा होने के बावजूद नियोजन नीति से बाहर
कैलाश यादव ने राज्यपाल को अवगत कराया कि झारखंड, जो पूर्ववर्ती बिहार राज्य से बना है, एक ऐसा राज्य है जहाँ सभी जाति, धर्म और भाषा के लोग मिलकर राज्य के विकास में लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि झारखंड राज्य में कुछ राजकीय प्रयोजनों के लिए उर्दू, संथाली, बंगला, मुंडारी, हो, खरिया, कुडूख (उरांव), कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगनिया और उड़िया भाषाओं के अतिरिक्त भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका और भूमिज भाषाओं को भी द्वितीय राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई है, जिसके लिए अधिसूचना 29 अगस्त 2018 को जारी की गई थी।
हालांकि, झारखंड सरकार के कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग द्वारा अधिसूचना संख्या 1426 दिनांक 10.03.2023 के तहत जारी झारखंड कर्मचारी चयन आयोग परीक्षा संचालन नियमावली 2023 में उक्त 17 द्वितीय राजभाषाओं में से 12 को क्षेत्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई है, जबकि भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका और भूमिज भाषाओं को इससे वंचित रखा गया है।
व्यापक जनसमर्थन और साहित्यिक विरासत
यादव ने राज्यपाल को बताया कि पलामू और संथाल परगना प्रमंडल सहित राज्य के मुख्य शहरों जैसे रांची, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो, गोड्डा, देवघर, गिरिडीह, कोडरमा और चतरा में करोड़ों लोग इन भाषाओं को बोलते हैं। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि इन भाषाओं का साहित्य एक अमूल्य धरोहर है।
उन्होंने यह भी बताया कि झारखंड सरकार के कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग की अधिसूचना संख्या 453 दिनांक 18.02.2022 में जिलावार चिन्हित क्षेत्रीय भाषाओं में भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका और भूमिज के अतिरिक्त सभी भाषाओं को सम्मिलित किया गया है।
राज्यपाल का आश्वासन और आगे की रणनीति
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से निवेदन किया कि राज्य की मान्यता प्राप्त द्वितीय राजभाषा में शामिल सभी 17 भाषाओं को उचित सम्मान और प्रोत्साहन देते हुए भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका और भूमिज को भी राज्य नियोजन नीति में क्षेत्रीय भाषा के रूप में न्यायसंगत तरीके से शामिल करने के लिए राज्य सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अनुशंसा कर अवगत कराने की कृपा करें।
वार्ता के उपरांत राज्यपाल संतोष गंगवार ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह इस विषय पर सरकार को पत्र लिखेंगे और इसे गंभीरता से अध्ययन करने का जिक्र करेंगे। राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मुलाकात कर इस विषय पर चर्चा करने की सलाह दी।
इस प्रतिनिधिमंडल में कैलाश यादव के अलावा अमरनाथ झा, सुधीर गोप, सुरेंद्र मिश्रा, राधेश्याम यादव और सुनील पांडेय भी मौजूद थे।
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