हूल दिवस के अवसर पर तिसरी में याद किए गए सिद्धो-कान्हो, किया गया माल्यार्पण
तिसरी प्रखंड के अंतर्गत दलपतदीह रोड में लॉरेंस गंगा राम टुडु, चांद किशोर हांसदा, ओम प्रकाश मुर्मू,अरविंद हेंब्रोम की अगुवाई में सोमवार को आदिवासी ससुर बेसी के बैनर तले सिंधु कान्हु की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित के साथ माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई साथ ही सिंधु कान्हु, फूलों झानो अमर रहे का नारा लगाया गया। चांद किशोर मुर्मू ने कहा हुल का मतलब होता है विद्रोह जिसको संथाली में हुल कहते है 1855 56 में महादानी प्रथा सह अंग्रेजों के विरुद्ध जो लड़ाई लड़ा जिसमे सिंधु कान्हु और फूलों झुनो शहीद हुए यह आज दुख का दिन है ससुर बेसी ने आज उन बीर लोगो को याद कर शत शत नमन करती है। लॉरेंस गंगा राम टुडु ने भारत के तमाम वाशियो को हुल दिवस की शुभ कामना देते हुए कहा आज ही के दिन 30 जून को हुल दिवस मनाने का शुभारंभ किया गया था साथ ही हुल दिवस में मंथन करने का दिन है हम सब आदिवासि शोषित है और शोषण भी किया जा रहा है। आज तक भारत सरकार और झारखंड सरकार के द्वारा हमलोग को धार्मिक दर्जा नहीं दी गई है।हम सरकार से यह मांग करते है हमे आदिवासी की धार्मिक का दर्जा मिले।अरविंद मुर्मू ने कहा 30 जून को हर वर्ष हूल दिवस मनाया जाता है. यह दिवस समर्पित है उन वीर संताल आदिवासियों को जिन्होंने अपनी जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन किया. संताल आदिवासियों का हूल अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आह्वान किया था, जिसमें दावा किया जाता है कि 50 से 60 हजार संताल आदिवासी जुट गए थे और अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी. आदिवासियों ने कभी भी अंग्रेजों की गुलामी को स्वीकार नहीं किया। मौके पर चांद किशोर मुर्मू, लॉरेंस गंगा राम टुडु,अरविंद हेमब्रोम, ओम प्रकाश मुर्मू होडिंग गुरु गणेश टुडु,मुकेश हंसदा,युवा कालब अध्यक्ष अविनाश टुडु,रिंकी सोरेन,बसंती हेमब्रोम,सुशील मुर्मू,वैसी मराया,बासुदेव मुर्मू, सँझला मरांडी,कृष्ण किस्कू आदि लोग उपस्थित हुए।
Jul 01 2025, 09:03