विवाह पंचमी: श्रीराम-जानकी की प्रेम कहानी से सीखें वैवाहिक जीवन के मूल्य


सीतामढ़ी : भगवान राम और माता के वैवाहिक जीवन से हमें सीखना चाहिए कि पति-पत्नी को हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ निभाना चाहिए। भगवान राम और सीता के विवाह उत्सव को विवाह पंचमी पर्व के रूप में मनाया जाता है।

ये त्योहार अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस बार ये 8 दिसंबर यानी आज है। मान्यता है कि इसी दिन गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस का लेखन भी पूरा किया था।

श्रीराम एक आदर्श पुरुष माने जाते हैं तो सीता उनकी संगिनी के रूप में महान पत्नी। इनका वैवाहिक जीवन कुछ खास बातों से महान माना जाता है। इनके वैवाहिक जीवन में श्रीराम ने माता सीता पर भरोसा और उनसे नि:स्वार्थ प्रेम किया वहीं माता जानकी ने त्याग और ईमानदारी के साथ हमेशा श्रीराम का साथ दिया। इसलिए हमें भी अपने वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने के लिए भगवान राम और मां सीता के जीवन से सीख लेनी चाहिए।

हमेशा दिया साथ भगवान राम को जब वनवास हुआ तो माता सीता ने भी उनके साथ चलने का निर्णय किया। भगवान राम ने माता सीता से महल पर रहने का आग्रह किया, परंतु माता सीता ने भगवान राम के साथ वनवास पर जाने का निर्णय लिया।

भगवान राम और माता के वैवाहिक जीवन से हमें सीखना चाहिए कि पति-पत्नी को हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ निभाना चाहिए।

त्याग वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाने के लिए एक-दूसरे के लिए त्याग भी करना पड़ता है। माता सीता ने महल का त्याग कर भगवान राम के साथ वन में रहने का निर्णय किया था।

अगर आप भी चाहते हैं कि वैवाहिक जीवन मजबूत बने तो एक-दूसरे के लिए त्याग करना सीखें।

भरोसा किसी भी रिश्ते की नींव भरोसा ही होता है। अगर आप रिलेशनशिप को मजबूत बनाना चाहते हैं तो एक-दूसरे के प्रति भरोसा रखें। माता सीता को भगवान राम पर पूरा भरोसा था। रावण जब अपहरण कर माता सीता को लंका ले गया तो माता सीता ने हार नहीं मानी, क्योंकि उन्हें भगवान राम पर पूरा भरोसा था कि वो आएंगे और रावण का अंत कर मुझे यहां से ले जाएंगे।

नि:स्वार्थ प्रेम भगवान राम और माता सीता के वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह का कोई स्वार्थ नहीं था। वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाने के लिए नि:स्वार्थ भाव से प्रेम करना बहुत जरूरी है। असली प्रेम वही है जो नि:स्वार्थ भाव से किया जाए।

ईमानदारी रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए ईमानदारी का होना बहुत जरूरी है। माता सीता और भगवान राम के वैवाहिक जीवन से हमें सीखना चाहिए कि एक- दूसरे के प्रति ईमानदार कैसे रहा जाए। अगर आप रिलेशनशिप प को मजबूत बनाना चाहते हैं तो एक-दूसरे के प्रति ईमानदार रहें।

श्रीराम-सीता का विवाहोत्सव आज : नेपाल के धनुषा में होता है राम-सीता विवाह, ब्रह्माजी ने लिखी थी विवाह की लग्न पत्रिका

मुंबई की पहचान:गेटवे ऑफ इंडिया का आज ही के दिन हुआ था उद्घाटन

मुंबई : मुंबई आने वाला कोई भी शख्स गेटवे ऑफ इंडिया का दीदार किए बिना नहीं रह सकता है। बता दें कि भारत का प्रवेश द्वार कहलाने वाले इस ऐतिहासिक स्मारक को 100 साल पूरे हो चुके हैं। 4 दिसंबर 1924 को इसे आम जनता के लिए खोला गया और आज भी गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई के सबसे आकर्षक स्थलों में शामिल है। 

आइए जानें इससे जुड़े कुछ फैक्ट्स 

4 दिसंबर को आम जनता के लिए खोला गया था Gateway of India, जानें कुछ दिलचस्प फैक्ट्स।

 मुंबई की ट्रिप अधूरी है अगर आपने गेटवे ऑफ इंडिया नहीं देखा। जी हां, इस साल इस ऐतिहासिक स्मारक ने 100 साल पूरे कर लिए हैं। 4 दिसंबर, 1924 को आम जनता के लिए खोला गया यह भव्य स्मारक भारत का प्रवेश द्वार कहलाता है।

जरा सोचिए, साल है 1911 और ब्रिटिश राजा जॉर्ज पंचम (George V) और महारानी मैरी (Queen Mary) भारत की धरती पर पहली बार कदम रखने वाले हैं। उनके स्वागत के लिए मुंबई के अपोलो बंदर पर एक भव्य स्मारक का निर्माण किया जा रहा है- गेटवे ऑफ इंडिया।

बता दें, प्रसिद्ध वास्तुकार जॉर्ज विटेट (George Wittet) द्वारा डिजाइन किया गया यह स्मारक आज मुंबई का प्रतीक बन चुका है और हर पर्यटक के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। आइए इस ऐतिहासिक स्मारक की कहानी को विस्तार से जानते हैं।

गेटवे ऑफ इंडिया की कहानी

जब यह तय हुआ कि ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी भारत की यात्रा करेंगे तो उनके स्वागत के लिए एक भव्य स्मारक बनाने की योजना बनाई गई। इस ऐतिहासिक घटना को चिह्नित करने के लिए, मुंबई में एक आश्चर्यजनक संरचना का निर्माण शुरू किया गया, जिसे बाद में गेटवे ऑफ इंडिया के नाम से जाना गया। 

बॉम्बे के तत्कालीन गवर्नर सर जॉर्ज सिनेहैम ने 31 मार्च, 1911 को इस भव्य स्मारक की आधारशिला रखी।

हालांकि, निर्माण कार्य में देरी के कारण जब सम्राट और महारानी 2 दिसंबर, 1911 को मुंबई पहुंचे, तो गेटवे ऑफ इंडिया अभी भी अधूरा था। 

इस चुनौती के बावजूद, स्वागत समारोह को शानदार बनाने के लिए आयोजकों ने इस प्रॉब्लम का एक क्रिएटिव सॉल्यूशन निकाला। उन्होंने कार्डबोर्ड से एक विशाल और भव्य द्वार बनाया, जो गेटवे ऑफ इंडिया के डिजाइन पर आधारित था। इस अस्थायी संरचना ने सम्राट और महारानी को मुंबई में एक यादगार स्वागत किया।

कैसे पड़ा गेटवे ऑफ इंडिया का नाम?

भारत के मुंबई शहर में स्थित गेटवे ऑफ इंडिया एक ऐतिहासिक स्मारक है। इसका निर्माण 20वीं सदी की शुरुआत में हुआ था और इस पर लगभग 21 लाख रुपये खर्च हुए थे।

इस भव्य इमारत को बनाने में पीले बेसाल्ट और कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया था। इसका मुख्य गुंबद 15 मीटर चौड़ा है और इसके लिए ग्वालियर से खूबसूरत जालियां मंगाई गई थीं।

गेटवे ऑफ इंडिया का डिजाइन एक ब्रिटिश वास्तुकार ने किया था और इसे इंडो-सरसेनिक शैली में बनाया गया है। इस इमारत के दोनों ओर इसके निर्माण की कहानी उकेरी गई है। तैयार होने के बाद इसका इस्तेमाल भारत में आने वाले अंग्रेजी अफसरों के स्वागत के लिए किया जाता था, इसलिए इसे 'गेटवे ऑफ इंडिया' नाम दिया गया। 

कहा जाता है कि गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण भारत में ब्रिटिश शासन के अंत का प्रतीक था। आज यह मुंबई का सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और यहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं।

एक ऐसा नज़ारा जिसे आप कभी नहीं भूलेंगे

कल्पना कीजिए, आप मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर खड़े हैं। आपके सामने विशाल समुद्र फैला हुआ है और दूर ताज महल पैलेस होटल अपनी शान दिखा रहा है। हवा में कबूतर मंडरा रहे हैं और समुद्र की लहरें धीरे-धीरे किनारे पर आकर टूट रही हैं। यह वह जगह है जहां भारत का इतिहास और आधुनिकता एक साथ मिलती है। एंट्री फ्री होने के कारण यहां हर कोई आ सकता है और इस खूबसूरत नजारे का आनंद ले सकता है।

1971 में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान नौसेना और कराची पर किया था हमला


नयी दिल्ली : 4 दिसंबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 1971 में आज ही के दिन भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान नौसेना और कराची पर हमला किया था।

1995 में 4 दिसंबर के दिन ही सं.रा. अमेरिका डेविस कप चैंपियन बना था। 1996 में आज ही के दिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मंगल ग्रह के लिए एक और अंतरिक्ष यान ‘मार्स पाथफ़ाउंडर’ प्रक्षेपित किया था।

2008 में आज ही के दिन प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर को क्लूज सम्मान के लिए चुना गया था। 

2004 में 4 दिसंबर को ही पेरू की मारिया जूलिया मांतिला गार्शिया को मिस वर्ल्ड चुना गया था।

2003 में आज ही के दिन अशोक गहलोत विधानसभा क्षेत्र से 12वीं राजस्थान विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे।

1996 में 4 दिसंबर के दिन ही अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मंगल ग्रह के लिए एक और अंतरिक्ष यान ‘मार्स पाथफ़ाउंडर’ प्रक्षेपित किया था।

1995 में आज ही के दिन अमेरिका डेविस कप चैंपियन बना था।

1977 में 4 दिसंबर के दिन ही मिस्र के विरुद्ध अरब मोर्चा गठित किया गया था।

1971 में 4 दिसंबर के दिन ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भारत और पाकिस्तान के बीच हालात खराब होने पर आपात सत्र बुलाया था।

1971 में आज ही के दिन भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान नौसेना और कराची पर हमला किया था।

1959 में आज ही के दिन भारत और नेपाल के बीच गंडक सिंचाई एवं विद्युत परियोजना पर साइन किए गए थे। 

1860 में 4 दिसंबर के दिन ही गोवा के मारगाव के अगस्टिनो लॉरेंसो ने पेरिस यूनिवर्सिटी से केमेस्ट्री में डॉक्टरेट की उपाधि ली थी।

1829 में आज ही के दिन वायसराय लॉर्ड विलियम बैन्टिक ने सती प्रथा खत्म की थी। 

4 दिसंबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1979 में आज ही के दिन प्रसिद्ध भारतीय महिला खिलाड़ी सुनीता रानी का जन्म हुआ था।

1919 में 4 दिसंबर के दिन ही भारत के 12वें प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल का जन्म हुआ था।

1910 में आज ही के दिन हिंदी सिनेमा के अभिनेता मोतीलाल का जन्म हुआ था।

1898 में 4 दिसंबर के दिन ही प्रसिद्ध भारतीय भौतिक वैज्ञानिक श्रीनिवास कृष्णन का जन्म हुआ था।

1892 में आज ही के दिन प्रसिद्ध साहित्यकारों में से एक विद्याभूषण विभु का जन्म हुआ था।

1888 में 4 दिसंबर के दिन ही इतिहासकार रमेश चंद्र मजूमदार का जन्म हुआ था।

4 दिसंबर को हुए निधन

1962 में आज ही के दिन हिंदी में शिष्ट हास्य लिखने वाले कलाकारों में अग्रणी लेखक अन्नपूर्णानन्द का निधन हुआ था। 

4 दिसंबर के महत्त्वपूर्ण अवसर

भारती नौसेना दिवस

बेंगलुरु में अपनी फुलों के साथ देखने जाएं सनसेट का नजारा, यादगार हो जाएगा दिन


बेंगलुरु : अपनी पार्टनर के साथ बाहर सनसेट का नजारा देखने के लिए घर से बाहर जाना न केवल रिश्ते को मजबूत बनाता है, बल्कि आपसी प्यार और समझ को भी गहरा करता है।

बेंगलुरु का मौसम पूरे साल सुहावना रहता है, जो कपल्स के रोमांटिक माहौल प्रदान करता है। उन्हें इस मौसम में जगह-जगह घूमने जाना अच्छा लगता है। बड़े शहरों में रहने वाले लोगों के लिए सनसेट का नजारा देखना आसान नहीं होता। इसलिए बेंगलुरु कपल्स सनसेट व्यू देखने के लिए कोई अच्छी जगह ढूंढ रहे हैं। कामकाज और व्यस्त दिनचर्या के कारण वीकेंड ही ऐसा ही दिन होता है, जब वह कहीं घूमने का प्लान बना सकते हैं।

ऐसे में अगर आपको इस वीकेंड सनसेट का नजारा देखने को मिल जाए, तो इससे अच्छा और क्या होगा। वीकेंड पर सनसेट के नजारे के साथ एक-दूसरे के साथ समय बिताने का मौका एक सपने की तरह लगता है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको बेंगलुरू और उसके आस-पास स्थित सनसेट के लिए फेमस जगहों के बारे में विस्तार से बताएंगे।

उल्सूर झील

पार्टनर के साथ घूमने के लिए यह अच्छी जगह है। झील के चारों ओर पूरा ट्रैक नहीं है, इसलिए आपको चलने में थोड़ी परेशानी हो सकती है। लेकिन सनसेट का नजारा यहां से बहुत अच्छा लगता है। इसे शांत विश्राम स्थल के नाम से भी जाना जाता है। सुबह और शाम के समय यहां लोगों की भीड़ देखी जाती है। अगर आप शहर के शोर-शराबों से दूर किसी शांत जगह पर पार्टनर के साथ बैठकर सनसेट का नजारा देखना चाहते हैं, जो शहर के अंदर ही स्थित हो, तो आपको उल्सूर झील जाने का प्लान बनाना चाहिए। यहबेंगलुरु की रोमांटिक जगह में से एक है।

सैंकी टैंक

ढेर सारे उड़ते कबूतर और पानी के ऊपर पड़ती सनसेट की छाया, वाकई कपल्स के लिए रोमांटिक पल होगा। पक्षियों की चहचहाहट, खुला आसमान और शांत जगह वाकई बेंगलुरु में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह में से एक मानी जाती है। यह एक विशाल मानव निर्मित झील है, जो प्रकृति में जाने का आदर्श अवसर प्रदान करती है। अगर आप केवल सुकून के लिए अच्छी जगह ढूंढ रहे हैं, तो यहां आपको घूमने, पानी के किनारे बैठने, संगीत सुनने या बस शांत सूर्योदय और सूर्यास्त का आनंद लेने के लिए जाना चाहिए। यह

कैकोंद्रहल्ली झील

इस जगह पर झील के सुंदर नजारे के साथ-साथ आप आप अपने पार्टनर के साथ घंटो समय बिता सकते हैं। आप शाम 4 बजे से 7 बजे तक अपने पार्टनर के साथ रूकें। वाकई यह जगह आपके लिए सुकूनदायक होगी।

ऐसा इसलिए, क्योंकि यहां आपको ज्यादा भीड़ देखने को नहीं मिलेगी। यहां लोग सुबह सूर्यास्त और शाम को सूर्योदय का नजारा देखने को लिए जाते हैं। यह बैंगलुरु में बेस्ट कपल स्पॉटमाना जाता है।

नवनिर्वाचित विधायक की गाड़ियों का काफिला आपस में टकराई, मची अफरातफरी


झारखण्ड डेस्क 

गढ़वा। बड़ी खबर झारखंड के गढ़वा जिले से आई है, झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक नवनिर्वाचित विधायक की गाड़ियों का काफिला आपस में टकरा गया। इसमें 3 गाड़ियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। घटना के बाद अफरातफरी मच गयी।

दुर्घटना भवनाथपुर-श्री बंशीधरनगर मुख्य पथ पर वन डिपो के पास हुई। विधायक अनंत प्रताप देव एक दर्जन गाड़ियों के काफिले के साथ पूजा-पाठ करने के लिए केतार मंदिर जा रहे थे। गनीमत यह रही कि दुर्घटना में किसी को चोट नहीं आई

साहिबगंज तीनपहाड़ थाना क्षेत्र में दो नकाबपोश अपराधियों ने गंगोत्री फिलिंग स्टेशन के मालिक को गोली मार कर कर दी हत्या


झारखण्ड डेस्क 

बड़ी खबर झारखंड के साहिबगंज से आई है, जहां तीनपहाड़ थाना क्षेत्र में दो नकाबपोश अपराधियों ने गंगोत्री फिलिंग स्टेशन के मालिक शालिग्राम मंडल को गोली मार दी। घायल शालिग्राम को आनन-फानन में राजमहल अनुमंडल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

मिली जानकारी के मुताबिक राजमहल मेन रोड के लालवन बाइपास के पास सोमवार को नकाबपोश अपराधियों ने लगभग 10:45 बजे मंडल कोच बस और गंगोत्री फिलिंग स्टेशन बभनगामा के मालिक शालिग्राम मंडल की गोली मारकर हत्या कर दी।

राजमहल थाना क्षेत्र दलाही गांव निवासी शालिग्राम मंडल रोज की तरह तीनपहाड़ अस्थायी बस स्टैंड गए। उसके बाद अपने गंगोत्री फिलिग स्टेशन बभनगामा से लाखों रुपए नगद लेकर भारतीय स्टेट बैंक पररिया के लिये निकल गए। जैसे ही वह लालवन बाईपास पार किये, दो नकाबपोश अपराधियों ने उनको साइड से सटा कर गोली मार दी, जिससे वह वहीं गिर गए।

गोली लगने के बाद शालिग्राम मंडल के आसपास लोग जमा हो गए। कुछ देर बाद तीनपहाड़ थाना का गश्ती दल भी पहुंच गया। घायल शालिग्राम मंडल को उठा कर इलाज के लिये अनुमंडल अस्पताल राजमहल ले जाया गया। जहां इलाज कर रहे चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

घटना के बाद बरहरवा एसडीपीओ नितिन खण्डेलवाल, तीनपहाड़ थाना प्रभारी मो. शाहरुख, राधानगर थाना प्रभारी नितेश पांडे, तालझारी थाना प्रभारी अमर कुमार मिंज, राजमहल थाना प्रभारी गुलाम सरवर पुलिस बल के साथ घटना स्थल पर पहुंचे और मामले की जांच की आसपास के लोगों से पूछताछ की।

भोपाल गैस त्रासदी: 40 साल बाद भी दर्द ताज़ा,पीड़ितों को न्याय की आस अभी भी जारी।


भोपाल :- आज ही के दिन भापोल की हवा में मिथाइल आइसोसाइनेट नाम का जहर बहा था। यूनियन कार्बाइड के कारखाने के टैंक नंबर 610 से लीक हुई इस गैस ने पूरे शहर को श्मशान में बदल दिया।

पांच लाख से अधिक की आबादी इसकी चपेट में आई। जो लोग दम घुटने से घबराकर जागे वे गलियों में भागते हुए गिरे और फिर कभी नहीं उठे। भोपाल में आज ही के दिन हुई थी गैस लीक। 

दो-तीन दिसंबर की आधी रात भोपाल के लोगों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं थी। भापोल की हवा में मिथाइल आइसोसाइनेट नाम का जहर बहा था। यूनियन कार्बाइड के कारखाने के टैंक नंबर 610 से लीक हुई इस गैस ने पूरे शहर को श्मशान में बदल दिया। पांच लाख से अधिक की आबादी इसकी चपेट में आई आसपास की बस्तियों में सो रहे लोग नींद में ही रह गए।

गलियों में भागते हुए गिरे और फिर कभी नहीं उठे

जो लोग दम घुटने से घबराकर जागे, वे गलियों में भागते हुए गिरे और फिर कभी नहीं उठे। जो कारखाने से कुछ दूरी पर थे, वे मौत की इस हवा से बचकर मीलों तक भागते रहे। आठ घंटे के बाद भोपाल की हवा से यह जहर खत्म हुआ। उसके बाद मरने वालों और गंभीर रूप से घायल लोगों की तलाश शुरू हुई।

अस्पताल की मर्चुरी में शवों को रखने की जगह नहीं थी

हालात ऐसे थे कि अस्पताल की मर्चुरी में शवों को रखने की जगह नहीं थी। मौतों का सरकारी आंकड़ा 3787 का है, लेकिन गैर सरकारी संगठन 25000 से अधिक लोगों की मौत का दावा करते हैं। तब सरकार ने गैस प्रभावितों के अलावा भोपाल से भी कई वादे किए थे।

हादसे के 40 साल बाद भी उनमें से कई वादे बस रस्मी वादे बनकर रह गए हैं। विशेषज्ञों ने जहरीली गैस का दुष्प्रभाव अगली पीढि़यों में जाने का खतरा बताया था। यूनियन कार्बाइड ने ऐसे किसी दुष्प्रभाव से अदालत में भी इन्कार किया था। बाद की पीढि़यों में बच्चे विकलांग पैदा होने लगे तो सरकार ने इनके पुनर्वास का वादा किया था, जो पूरा नहीं हो पाया। 

ऐसे बच्चों के लिए काम कर रहे संगठन चिंगारी ट्रस्ट के मुताबिक पिछले तीन सालों में ही गैस प्रभावितों के परिवार में 197 ऐसे बच्चों का जन्म हुआ है, जो निश्शक्तता से पीडि़त हैं।

विधवाओं को देनी थी पेंशन

सरकार ने गैस हादसे में मारे गए लोगों की पांच हजार विधवाओं को पेंशन देने का वादा किया था। बहुत लंबी और थकाऊ दावा प्रक्रिया के बाद पेंशन शुरू हुई, लेकिन यह पांच हजार महिलाओं को नहीं मिली। दावा है कि इसके लाभार्थियों की संख्या बेहद कम है।

सभी गैस पीड़ितों को बेहतर इलाज

इस वादे के तहत सरकार ने भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के अधीन संचालित छह अस्पताल और नौ औषधालय बनाए। समय बीतने के साथ ये अस्पताल भी औपचारिकता बनकर रह गए। अब सरकार ने आयुष्मान भारत 'निरामयम' मध्य प्रदेश योजना के अंतर्गत प्रदेश के सभी अनुबंधित अस्पतालों में भी गैस पीडि़तों को उपचार सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।

हालांकि गैस प्रभावितों का एक हिस्सा अब भी इस सुविधा से वंचित है।

मुआवजा बढ़ाना था, अब सुनते ही नहीं

गैस के असर से कैंसर और किडनी के रोगों से जूझ रहे लोगों के लिए सरकार ने मुआवजे की बात की थी। बाद में इसे आंशिक नुकसान की श्रेणी में डालकर ऐसी जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए 25 हजार रुपये का मुआवजा तय कर दिया गया। 

गैस प्रभावितों के लिए काम कर रहे संगठन इसे पांच लाख रुपये करने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका भी दायर है।

कचरा निपटाना था, वह कैंसर फैला रहा है

सरकार को यूनियन कार्बाइड परिसर में फैले जहरीले कचरे को वैज्ञानिक तरीके से निपटाना था। 40 साल बाद भी कचरा परिसर के एक तालाब में पड़ा है। इसकी वजह से आसपास की मिट्टी और पानी में कैंसरकारी तत्व बढ़ रहे हैं। पिछले साल केंद्र सरकार ने कचरा निपटान के लिए 123 करोड़ रुपये भी दिए, लेकिन कचरा नहीं उठा।

अन्तर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस आज, विकसित देशों के मुकाबले क्या है भारत में विकलांगों की स्थिति?


नयी दिल्ली : दुनियाभर में करीब एक अरब लोग विकलांगता की समस्या से जूझ रहे हैं। निशक्तों की परेशानियों को समझने और उन्हें जरूरी सहयोग देने के लिए आज 03 दिसंबर पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय विकलांगता दिवस मना रहे है।

भारत समेत कई देशों में दिव्यांगों के लिए कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं। अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के तमाम देशों में विकलांगों के लिए सार्वजनिक जगहों पर खास एलिवेटर, लिफ्ट, बस से लेकर स्विमिंग पूल और टॉयलेट की व्यवस्थाएं दी जाती हैं।

वहीं, भारत में अब भी तस्वीर इसके उलट है। भारत में विकलांगों को पढ़ाई से लेकर सफर करने तक कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

भारत में विकलांगता का प्रतिशत अलग-अलग अनुमानों के मुताबिक, 4 से 8 प्रतिशत है यानी 40 से 90 मिलियन हैं। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में 2.21 प्रतिशत लोग विकलांग हैं।

इनमें लगभग 1.5 करोड़ पुरुष और 1.18 करोड़ महिलाएं हैं। हालांकि, देश में सरकार ने दिव्यांगजनों के लिए कई योजनाएं बनाई हैं।

भारत में ये हैं विकलांगों के लिए सुविधाएं

घरौंदा योजना

निरामया योजना

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय दिव्यांगता पेंशन योजना

विकास डे केयर

समर्थ रेस्पिट केयर योजना

सहयोग (केयर एसोसिएट प्रशिक्षण योजना)

घरौंदा योजना : केन्द्र सरकार की तरफ से दिव्यांगजनों को रहने के लिए व्यवस्था दी जाती हैं। केन्द्र सरकार की इस योजना का नाम घरौंदा योजना। केन्द्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय न्यास के जरिए घरौंदा योजना देश की 40 जगह पर लागू की गई है। इस योजना के तहत दिव्यांगजनों को पढ़ाई में भी योगदान दिया जाता है।

निरामया योजना : निरामय योजना, भारत सरकार की एक योजना है जिसके तहत विकलांग लोगों को स्वास्थ्य बीमा कवर मिलता है। ये योजना 1 लाख रुपए तक का बीमा कवरेज प्रदान करती है, जिसे वित्तीय वर्ष के बाद हर साल नवीनीकृत किया जाना चाहिए।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांगता पेंशन योजना : IGNDPS के तहत, दिव्यांगजनों को पेंशन दी जाती है। इस योजना के तहत, 18 से 79 साल के दिव्यांगजनों को हर महीने 300 रुपए पेंशन मिलती है। वहीं, 80 साल या उससे ज्यादा उम्र के दिव्यांगजनों को हर महीने 500 रुपए पेंशन मिलती है।

विकास डे केयर: भारत सरकार एक डे केयर योजना है, जो 10 साल की उम्र के दिव्यांग लोगों बनाई गई है। इस योजना के तहत, पंजीकृत संगठन (आरओ) केंद्र दिव्यांग लोगों को देखभाल की सुविधा देते हैं। इसके साथ ही, दिव्यांग लोगों के परिवार के सदस्यों को भी दिन के दौरान कुछ समय मिलता है, ताकि वे दूसरी जिम्मेदारियां निभा सकें।

समर्थ रेस्पिट केयर योजना : इस योजना के तहत बीपीएल और एलआईजी परिवारों के विकलांग (पीडब्ल्यूडी) के लिए राहत घर मुहैया कराए जाते हैं।

विदेशों में दिव्यांगजनों को दी जाती हैं ये सुविधाएं

दिव्यांगजनों को दी जाने वाली ज्यादातर सुविधाओं में कई देश शामिल हैं, जिनमें जर्मनी, स्वेडन, जापान, फ्रांस, कनाडा, ब्राजील जैसे देश शामिल हैं।

रैम्प और लिफ्ट : व्हीलचेयर पर चलने वाले या चलने-फिरने में अक्षम लोगों के लिए रैम्प और लिफ्ट की सुविधा दी जाती है।

मेट्रो सिस्टम में लो-फ्लोर बसें होती हैं।

स्पर्शनीय मार्गदर्शक पथ, ब्रेल लिपि संकेत और श्रव्य घोषणाएं।

विजुअल अलार्म, हीयरिंग लूप सेवाएं।

नेविगेशन, भाषा अनुवाद और सुलभ सेवाओं के लिए ऐप्स और डिवाइस।

गाजीपुर में लुटेरी दुल्हन गैंग का पर्दाफाश हुआ,पुलिस ने 8 आरोपियों को किया गिरफ्तार।


गाजीपुर:- पुलिस ने लुटेरी दुल्हन के साथ गिरोह के सात अन्य सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के मुताबिक लुटेरी दुल्हन चौथी बार शादी करके रेलवे स्टेशन से दूल्हे को छोड़कर फरार हुई थी. ये लोग फर्जी आधार कार्ड तैयार करवाकर जरूरतमंद को अपने जाल में फंसाते थे. उनसे रुपये, जेवर लेकर शादी कराते थे. फिर प्लान के मुताबिक रेलवे स्टेशन तक दूल्हा-दुल्हन को पहुंचाते थे. वहां से बहाना बनाकर दुल्हन फरार हो जाती थी।

मोहम्मदाबाद सीओ शेखर सेंगर ने बताया कि करीमुद्दीनपुर थाने की पुलिस ने शादी का झांसा देकर लूट की वारदात को अंजाम देने वाले लुटेरी दुल्हन गैंग के 8 सदस्यों को बथोर गांव के पास से गिरफ्तार किया है।

रूपेश शाक्य की शादी कराने के लिए गैंग के सदस्यों ने एक दूसरे का रिश्तेदार बताया. फर्जी आधार कार्ड बनवाकर शादी की. इसके बाद एक लाख रुपये कैश, जेवरात लेकर दूल्हन और उसके फर्जी रिश्तेदार फरार हो गये.

इसके पहले इन्होंने हरियाणा, राजस्थान के जयपुर, उत्तर प्रदेश में लोगों को शादी का झांसा देकर धोखाधड़ी की है. इस गैंग का मास्टरमाइंड हरिश्चंद्र यादव है. करीमुद्दीनपुर थाने की पुलिस थाना क्षेत्र के शेरमठ अंडरपास के नजदी पर मौजूद थी. ग्राम बथोर के पास से अभियुक्त भीमराम पुत्र सूरज राम ग्राम बथोर थाना करीमुद्दीनपुर गाजीपुर को गिरफ्तार किया गया.

मोहम्मदाबाद सीओ शेखर सेंगर ने कहा कि अभियुक्त भीमराम की निशानदेही पर ग्राम परसा थाना करीमुद्दीनपुर जनपद गाजीपुर से आरोपियों में कुसुम पुत्री कृष्णकान्त (दुल्हन), कृष्णकान्त राम पुत्र विमल (पिता), करन कुमार पुत्र चन्द्रमा मल्लाह (भाई), रंजना पुत्री श्यामबिहारी (बहन),सोनी उर्फ नजमुनिशा पत्नी मुहम्मद मुमताज (बहन), गीतादेवी पत्नी श्याम, इंदू देवी पत्नी श्रीपति चौहान (चाची) को गिरफ्तार कर लिया गया. अब आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

बांग्लादेश में भारतीय बस पर हमला, इस्कॉन सदस्यों को प्रवेश से रोका।


ढाका:- वैध यात्रा दस्तावेज के साथ भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे इस्कॉन के दर्जनों सदस्यों को रविवार को बांग्लादेश के अधिकारियों ने बेनापोल सीमा से वापस भेज दिया। बेनापोल आव्रजन पुलिस के प्रभारी अधिकारी इम्तियाज अहसानुल कादिर भुइयां ने कहा कि हमने पुलिस की विशेष शाखा से परामर्श किया और उच्च अधिकारियों से निर्देश मिले कि उन्हें सीमा पार करने की अनुमति न दी जाए।

भुइयां ने बताया कि इस्कॉन के सदस्यों के पास वैध पासपोर्ट और वीजा थे, लेकिन उनके पास यात्रा के लिए आवश्यक सरकारी अनुमति नहीं थी। विभिन्न जिलों से आए श्रद्धालुओं समेत 54 सदस्य शनिवार रात और रविवार सुबह जांच चौकी पर पहुंचे। हालांकि, अनुमति के लिए घंटों इंतजार करने के बाद उन्हें बताया गया कि उनकी यात्रा अधिकृत नहीं है।

बस पर बांग्लादेश में हमला

इस्कॉन के एक सदस्य सौरभ तपंदर चेली ने कहा कि हम भारत में हो रहे एक धार्मिक समारोह में भाग लेने निकले थे, लेकिन आव्रजन अधिकारियों ने सरकारी अनुमति नहीं होने का हवाला देते हुए हमें रोक दिया। इस बीच, त्रिपुरा के परिवहन मंत्री सुशांत चौधरी ने आरोप लगाया कि अगरतला से कोलकाता जा रही एक बस पर बांग्लादेश में हमला किया गया।

जानबूझकर उसे टक्कर मार दी

यह घटना बांग्लादेश के ब्राह्मणबारिया जिले के विश्व रोड पर हुई। चौधरी ने शनिवार को फेसबुक पर बस की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा-त्रिपुरा से कोलकाता जा रही बस पर बांग्लादेश में हमला किया गया। बस अपनी लेन में चल रही थी, तभी एक ट्रक ने जानबूझकर उसे टक्कर मार दी। इस दौरान एक आटोरिक्शा बस के सामने आ गया।

भारतीय यात्रियों के साथ दु‌र्व्यवहार

बस और आटोरिक्शा की टक्कर हो गई। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने बस में सवार भारतीय यात्रियों को धमकाना शुरू कर दिया। उन्होंने भारत विरोधी नारे भी लगाए और भारतीय यात्रियों के साथ दु‌र्व्यवहार किया तथा उन्हें जान से मारने की धमकी दी।

ज्यादा जानकारी जुटाने का प्रयास

बताते चलें, कोलकाता और अगरतला के बीच बसों का संचालन ढाका के रास्ते किया जाता है क्योंकि इससे सफर की दूरी आधी से भी कम हो जाती है। यह विमान यात्रा से सस्ती पड़ती है तथा असम के रास्ते ट्रेन से यात्रा करने की तुलना में इसमें कम समय लगता है। मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि उन्हें बस पर हमले की सूचना मिली तथा वह इस बारे में ज्यादा जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहे हैं।

चिन्मय की जमानत पर सुनवाई कल

बांग्लादेश की एक अदालत ने पिछले सप्ताह राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए इस्कॉन के पूर्व सदस्य चिन्मय कृष्ण दास की जमानत पर सुनवाई के लिए तीन दिसंबर (मंगलवार) की तारीख तय की है।

चटगांव की अदालत के एक अधिकारी ने बताया कि सुनवाई की तारीख पहले ही तय कर दी गई थी, लेकिन बुधवार और गुरुवार को वकीलों की हड़ताल के कारण घोषणा में देरी हुई। पिछले मंगलवार को अदालत ने उन्हें जमानत देने से इन्कार कर दिया था।